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 bihar board class 8th hindi note | कबीर के पद

bihar board class 8th hindi note | कबीर के पद

class 8th hindi note

वर्ग – 8

विषय – हिंदी

पाठ 11 – कबीर के पद

कबीर के पद
       —कबीरदास

( कबीर भक्तिकाल के अप्रतिम भक्त ……………साक्षत्कार की बात कही गयी है । )
मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक…….. तब ही वैसा होई रे ।
अर्थ – मेरा और तेरा मन कैसे एक हो सकता है । अर्थात् सब के विचार एक नहीं हो सकते हैं । मैं कहता हूँ आँख से देखा सत्य समझना चाहिए तो तुम कहते हो कागज पर लिखा ( शास्त्र – पुराण की ) बात सत्य है । मैं किसी काम को सुलझाने की बात करता हूँ तो तुम उलझाने की बात करता है । जब मैं जगने की बात कहता हूँ तो सोने की बात करता है ।
मैं निर्मोही ( अनुरागहीन ) बनने की बात करता हूँ तो मोही ( अनुरागी होने ) की बात करता है।
मैं जुगों – जुगों तक समझाता हूँ लेकिन कोई मानने वाला नहीं है । सत्गुरु के ज्ञान की धारा बह रही है । उसमें कोई भी अपना शरीर धो सकता है । कबीर का कहना है कि तभी वैसा हो सकता है । अर्थात् तभी हम सबों का मन एक हो सकता है जब सत्गुरु के ज्ञान रूपी जल धारा में हम सभी स्नान करें । मोको कहाँ ढूँढे चंदे , मैं तो साँसों की साँस में । अर्थ – ईश्वर का कहना है हे मेरे भक्त मुझे तुम कहाँ ढूँढ़ रहे हो । मैं तो तेरे पास ही हूँ । न मैं मंदिर में और न मस्जिद में रहता हूँ । किसी कर्मकाण्ड से भी मैं नहीं मिल सकता हूँ और न योग – वैराग से प्राप्त हो सकता हूँ । यदि तुम मुझे खोजो तो मैं पल भर में ही मिल जाऊँगा । कबीर का कहना है कि ईश्वर या अल्लाह तो हरेक प्राणियों के आत्मा में ही निवास करते हैं ।

शब्दार्थ – मनुआँ = मन । आँखिन = आँख । कागद = कागज । निर्मोही = अनुराग न रखने वाला । वामैं = उसमें । मोको = मुझको । देवल = मन्दिर । बैराग = विरक्ति ।

प्रश्न – अभ्यास

1. निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा कीजिए ।

प्रश्न ( क ) मेरा तेरा मनुआँ मैं कहता सुरझावनहारी ….. तु रहता है सोई रे ।

उत्तर — मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक होई रे । मैं कहता हौं आँखिन देखी , तू कहता कागद को लेखी । मैं कहता सुरावानहारी , तू राख्यो उरझाई रे । मैं कहता तू जागत रहियो , तू रहता है सोई रे ॥

( ख ) ना तो कौनों क्रिया करम में पलभर की तलास में ।

उत्तर – ना तो कौनों क्रिया करम में नहिं जोग बैराग में । खोजी होय तो तूरतहि मिलिहौ , पलभर की तलाश में ।

2. इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

( क ) मैं कहता निर्मोही रहियो , तू जाता है मोही रे ।

उत्तर — कबीर के अनुसार मनुष्य को अनुरागहीन ( निर्मोही ) होना चाहिए क्योंकि अनुरागहीन होने से ही मनुष्य का कल्याण होता है । इसके विपरीत मनुष्य अनुराग में पड़ता ।

( ख ) मोको कहाँ ढूंढे बंदे , मैं तो तेरे पास में ।

उत्तर – मानव ईश्वर को यत्र – तत्र मंदिर – मस्जिद में ढूँढते ‘ – फिरते हैं लेकिन ईश्वर तो मनुष्य के पास ही हृदय में निवास करते हैं ।

3. “ मोको ” शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?

उत्तर– ” मोको ” शब्द ईश्वर / अल्लाह के लिए किया गया है ।

पाठ से आगे

1. कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए कितनी सार्थक / उपयोगी हैं ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर — कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए अत्यन्त सार्थकाउपयोगी है । जहाँ आज भी बाह्य आडम्बर को मान्यता दी जा रही है । आज के समय में जबकि मनुष्य के पास समयाभाव है । अत्यन्त भाग – दौड़ के बाद मनुष्य अपने कर्त्तव्य को पूरा कर पाता है । ऐसे काल में भी मनुष्य यदि तीर्थ यात्रा आदि में समय नष्ट कर रहा है तो मूल है क्योंकि ईश्वर तो हरेक प्राणियों के हृदय में ही निवास करते हैं । मनुष्य के लिए सच्ची भक्ति तो मानव सेवा ही है । इन सब बातों की सीख कबीर के पद से मिलते हैं । अत : कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए उपयोगी एवं अत्यन्त सार्थक सिद्ध है ।

2. सगुण भक्तिधारा – जिसमें ईश्वर के साकार रूप की आराधना की जाती है । निर्गुण भक्तिधारा – जिसमें ईश्वर के निराकार ( बिना आकार के ) स्वरूप की आराधना की जाती है । इस आधार पर कबीर को आप किस श्रेणी में रखेंगे ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।

उत्तर — कबीरदास निर्गुण भक्ति धारा के भक्त कवि थे । क्योंकि उन्होंने ईश्वर को मानव हृदय में ही रहने वाला बताया है । उनके अनुसार मंदिर – मस्जिद या कैलाश आदि तीर्थ स्थान में सकार रूप स्थित देवताओं की मूर्ति में ईश्वर नहीं रहते हैं ।

3. सगुन भक्तिधारा एवं निर्गुण भक्ति धारा के दो – दो कवियों के नाम लिखिए ।

उत्तर – सगुन भक्ति धारा में तुलसीदास एवं सूरदास प्रमुख हैं । निर्गुण भक्ति धारा में — कबीरदास एवं रैदास प्रमुख हैं ।

4. वैसी पंक्तियों को खोजकर लिखिए जिसमें कबीर ने धार्मिक आडम्बरों पर कुठाराघात किया है ।

उत्तर — मोको कहाँ ढूँढे बंदे , मैं तो तेरे पास में । ना मैं कैलास में । ना तो कौनो क्रिया बैराग में । खोजी होय तो कहै कबीर साँस में ।

गतिविधि

1. अपने स्कूल या गाँव / शहर के पुस्तकालय में जाकर ‘ कबीर ग्रंथावली ‘ या अन्य पुस्तकों से कबीर के बारे में विस्तृत जानकारी हासिलकर मित्रों तथा अपने शिक्षकों से चर्चा कीजिए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

2. सगुण भक्ति एवं निर्गुण भक्ति के एक – एक कविताओं को वर्ग कक्ष में सुनाइए ।

उत्तर — छात्र स्वयं करें ।

3. कबीर के पदों से संबंधित अनेक कैसेट्स बाजार में उपलब्ध हैं । उन कैसटों को संग्रह कर सुनिए तथा उस पद को लय के साथ कक्षा सुनाइए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

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