JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Economics Solutions chapter - 3- मुद्रा और साख

JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Economics Solutions chapter - 3- मुद्रा और साख

                          अर्थशास्त्र
 
                       मुद्रा और साख

                      वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. नई आर्थिक नीति कब बनी ?
(a) 1918 ई०,

(b) 1920 ई०,

(c) 1919 ई०,

(d) 1991 ई० ।
                      उत्तर - (d)

प्रश्न 2. भारत में केंद्रीय बैंक का नाम...... है। 
(a) भारतीय बैंक,

(b) भारतीय स्टेट बैंक,

(c) केंद्रीय बैंक,

(d) भारतीय रिजर्व बैंक |
                                  उत्तर-(d)

प्रश्न 3. भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्य कार्य है—
(a) ऋण प्रदान करना,

(b) विश्व बैंक से लेन-देन करना,

(c) साख नियंत्रण,

(d) इनमें कोई नहीं ।
                            उत्तर-(c) 

प्रश्न 4. भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण...... को हुआ था ।
(a) 1 अप्रैल, 1947,

(b) 1 अप्रैल, 1948,

(c) 1 अप्रैल, 1949,

(d) 1 अप्रैल, 1960.
                             उत्तर-(c) 

प्रश्न 5. वस्तु के बदले वस्तु के आदान-प्रदान की प्रणाली को कहा जाता है
(a) वस्तु विनिमय प्रणाली,

(b) विनिमय प्रणाली,

(c) मौद्रिक प्रणाली,

(d) क्रेडिट सिस्टम
                         उत्तर-(a)

प्रश्न 6. किस विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना अनिवार्य विशिष्टता है ?
(a) मुद्रा अर्थव्यवस्था, 

(b) वस्तु विनिमय प्रणाली,

(c) वैश्विक अर्थव्यवस्था,  

(d) इनमें कोई नहीं।
                           उत्तर-(b)

प्रश्न 7. भारत में करेंसी नोट कौन जारी करता है ? 
(a) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, 

(b) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया,

(c) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया,  

(d) पंजाब नेशनल बैंक । 
                                 उत्तर-(c)

प्रश्न 8. ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है
(a) बैंक, 

(b) नियोक्ता

(c) सहकारी समिति,

(d) इनमें सभी ।
                        उत्तर- (b)

प्रश्न 9. निम्न में से कौन गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए ऋण का औपचारिक स्रोत है ?
(a) व्यापारी,

(b) जमींदार,

(c) वाणिज्यिक बैंक,

(d) साहूकार ।
                    उत्तर-(c)

प्रश्न 10. निम्नांकित में कौन-सा प्लास्टिक मुद्रा का उदाहरण है ? 
(a) चेक, 

(b) ड्राफ्ट,

(c) क्रेडिट कार्ड,

(d) डिमांड ड्राफ्ट ।
                          उत्तर-(c)

प्रश्न 11. भारत में निम्नांकित में से कौन-सी मुद्रा अपनाई जाती है ? 
(a) डॉलर, 

(b) पाउंड, 

(c) EURO, 

(d) रुपया ।
                उत्तर - (d)

प्रश्न 12. ऋण के अनौपचारिक स्रोत में शामिल है
(a) व्यापारी,

(b) सहकारी समितियाँ, 

(c) बैंक,

(d) इनमें कोई नहीं ।
                            उत्तर - (a)

प्रश्न 13. भारत में बैंक कुल जमा राशि का कितना प्रतिशत नकद के रूप में अपने पास रखते हैं ?
(a) 10%,

(b) 12%,

(c) 15%,

(d) 20%
              उत्तर-(c)

प्रश्न 14. एक देश में कितने केंद्रीय बैंक होते हैं ?
(a) 2,

(b) 3,

(c) 1,

(d) 5.
         उत्तर-(c)

प्रश्न 15. मुद्रा का प्राथमिक कार्य है
(a) विनिमय का माध्यम,

(b) मूल्य का मापन,

(c) मूल्य का हस्तांतरण,

(d) राष्ट्रीय आय का वितरण ।
                                         उत्तर-(a)

प्रश्न 16. साख की शर्तों में यह शामिल नहीं होता है-
(a) ब्याज दर,

(b) समर्थक ऋणाधार,

(c) चेक,

(d) भुगतान के तरीके ।
                               उत्तर-(c)

प्रश्न 17. बैंकों के लिए आय का प्रमुख स्रोत क्या है ?
(a) कर्जों पर ब्याज,

(b) जमा पर ब्याज,

(c) कर्जदारों और जमाकर्ताओं पर लगाए गए ब्याज के बीच का अंतर,

(d) इनमें कोई नहीं।
                           उत्तर-(c)

प्रश्न 18. निम्नांकित में से कौन-सी शर्त कर्ज लेने में शामिल नहीं है ?  
(a) ब्याज दर,

(b) समर्थक ऋणाधार, 

(c) दस्तावेज

(d) कर्जदार की भूमि ।
                               उत्तर-(d)

प्रश्न 19. निम्नांकित में से कौन मुद्रा का कार्य नहीं है ?
(a) मूल्य का मापन,

(b) मूल्य का संचय,

(c) मूल्य का हस्तांतरण,

(d) मूल्य का स्थिरीकरण ।
                                    उत्तर-(d)

* कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें-

प्रश्न 1. .........परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं। (गरीब / बड़े) 
उत्तर- गरीब

प्रश्न 2. .........दर ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है। (ऊँची ब्याज / विनिमय) 
उत्तर- ऊँची ब्याज

प्रश्न 3. ..........केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है। (वित्त मंत्रालय / भारतीय रिजर्व बैंक) 
उत्तर - भारतीय रिजर्व बैंक

प्रश्न 4. बैंक.........पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं । (जमा राशि / निवेश )
उत्तर - जमा राशि 

प्रश्न 5. संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है, जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता। (जमा राशि / ऋणाधार) 
उत्तर - ऋणाधार

प्रश्न 6. कहलाती बैंक में वह जमा राशि, जिसे माँग के अनुसार निकाला जा सके है। (माँग जमा/ दस्तावेज) 
उत्तर- माँग जमा

प्रश्न 7. ऋण प्रदान करते हैं, चाहे गरीब महिला सदस्यों के पास समर्थक ऋणाधार नहीं होता। (स्वयं सहायता समूह / साहुकार)  
उत्तर - स्वयं सहायता समूह 

प्रश्न 8. बैंक के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं । ( ब्याज / जमा राशि)
उत्तर- जमा राशि 

प्रश्न 9. बैंक जिनके जमाकर्ता एवं कर्जदार के बीच........का काम करते हैं । (न्याय / मध्यस्थता)
उत्तर- मध्यस्थता

प्रश्न 10. अनौपचारिक क्षेत्र के साख में. ........ से कर्ज लेना शामिल है। (साहूकार / स्वयं सहायता समूह)
उत्तर- साहूकार

प्रश्न 11. स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण गतिविधियों से संबंधित निर्णय..........द्वारा लिए जाते हैं। (बैंकों/ सदस्यों) 
उत्तर- सदस्यों

प्रश्न 12. पेपर नोट तथा सिक्के........ के आधुनिक रूप हैं । (मुद्रा / साख) 
उत्तर-मुद्रा

प्रश्न 13. ब्याज दर, समर्थक ऋणाधार, आवश्यक कागजात और भुगतान के तरीकों को सम्मिलित रूप से.......... कहा जाता है। (बैंक फीस / ऋण की शर्तें)
उत्तर - ऋण की शर्तें

प्रश्न 14. मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में........ का काम करती है। (सहायक / मध्यस्थता)
उत्तर- मध्यस्थता

              अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. मुद्रा की परिभाषा दें ।
उत्तर-साधारण शब्दों में मुद्रा का अर्थ है धन-दौलत जिसके इर्द-गिर्द सारी आर्थि गतिविधियाँ घूमती हैं।

प्रश्न 2. ऋण (साख) से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - साधारण शब्दों में ऋण का अर्थ है साख या कर्ज जो कुछ शर्तों पर जरूरतमन्द लोगों को दिया जाता है ताकि वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके ।

प्रश्न 3. वस्तु विनिमय किसे कहते हैं ?
उत्तर- जब चीजों का लेन-देन बिना मुद्रा के प्रयोग से आपस में ही हो जाता है तो ऐसी व्यवस्था को वस्तु विनिमय कहा जाता है ।

प्रश्न 4. मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- क्योंकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

प्रश्न 5. बैंकों में जमा की गई राशि को माँग मुद्रा क्यों कहते हैं ?
उत्तर- क्योंकि जमा की गई राशि माँग करने पर प्राप्त की जा सकती है। 

प्रश्न 6. चेक से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- चेक एक ऐसा कागज है जो जमाकर्ता के खाते से चेक पर किसी अन्य व्यक्ति को एक विशेष रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।

प्रश्न 7. समर्थक ऋणाधार किसे कहा जाता है ?
उत्तर- समर्थक ऋणाधार वह सम्पत्ति है (जैसे- भूमि, सम्पत्ति, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूँजी) जिसका कर्जदार मालिक कर्जदार होता है। अपने कर्ज देने के बदले में उधारदाता कर्जदार से ऐसी गारंटी की माँग कर सकता है। 

प्रश्न 8. ऋण की शर्तों से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-ब्याजदर, सम्पत्ति और कागजात की मांग, भुगतान के तरीकों आदि को मिलाकर ऋण की शर्तों का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 9. औपचारिक क्षेत्र के ऋण किसे कहते हैं ?
उत्तर- बैंकों और सहकारी समितियों से लिए गए ऋण औपचारिक ऋण कहलाते हैं। 

प्रश्न 10. अनौपचारिक ऋण किसे कहते हैं ? 
उत्तर- साहूकारों, व्यापारियों, मालिकों, रिश्तेदारों और मित्रों आदि से लिए जाने वाले ऋण औपचारिक ऋण कहलाते हैं ।

प्रश्न 11. मुद्रा के प्रयोग के दो तरीके या ढंग बताएँ ।
उत्तर - (क) मुद्रा का प्रयोग अनेक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है।

(ख) मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्राप्त करने में भी किया जा सकता है। जैसे- वकील से परामर्श लेने में डॉक्टर की सलाह लेने में आदि । 

प्रश्न 12. वाणिज्यिक बैंक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-व्यावसायिक बैंक वह संस्था है जो लाभ के उद्देश्य से मुद्रा के जमा, लेन-देन तथा ऋण की सेवाएँ प्रदान करता है। इसके लिए वह जनता, फर्मों तथा सरकार से जमा स्वीकार करता है। उनके चेक या आदेश पर भुगतान (आहरण) करता है। जमा का प्रयोग ऋण या निवेश के लिए करता है।

प्रश्न 13. बैंकों की आय के मुख्य स्रोत क्या है ?
उत्तर- बैंक अपने यहाँ जमा राशि पर जो ब्याज देते हैं उससे अधिक ब्याज दिए गए ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों से लिए गए ब्याज तथा जमाकर्त्ताओं को दिए गए ब्याज में अंतर, बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

प्रश्न 14. मुद्रा के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर- मुद्रा के दो कार्य हैं-

(क) विनिमय का माध्यम- मुद्रा का विनिमय माध्यम के रूप में वस्तुओं और सेवाओं के क्रय-विक्रय के रूप में किया जाता है।

(ख) मूल्य का मापन वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय-विक्रय में सरलता के लिए मूल्य का मापन किया जाता है। जैसे- ₹20 प्रति किलो, ₹30 प्रति दर्जन. ₹25 प्रति लीटर आदि।

                लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है ? 
उत्तर-वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ मुद्रा के प्रयोग के बिना सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शर्त होती है। विनिमय के एक माध्यम के रूप में मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता और वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर करता है। इस प्रकार मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है। 

प्रश्न 2. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण करें। 
उत्तर-विकास में ऋण की भूमिका-

(क) जिन लोगों के पास अपना काम चलाने के लिए धन नहीं होता वे ऋण लेकर अपना काम

(ख) देश के विकास में ऋण की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।

(ग) ऋण ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की और शहरी क्षेत्रों में व्यापारियों और उद्योगपतियों की विशेष सहायता करता है।

(घ) ऋण साधारण लोगों के लिए भी काफी लाभकारी सिद्ध होता है। इसकी सहायता से लोग अपने घर का निर्माण कर सकते हैं, और आने-जाने के लिए कारें आदि भी खरीद सकते हैं।

ऋण की दर भी कम होनी चाहिए ताकि लोगों को ऋण चुकाने में आसानी रहे। 

प्रश्न 3. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता प्रदान करते हैं ?
उत्तर- साधारणतयाः दो प्रकार के लोग बैंकों में जाते हैं एक वे जिनके पास अतिरिक्त धन होता है और दूसरे वे जिन्हें धन की जरूरत होती है। बैंक इन दोनों प्रकार के लोगों के बीच मध्यस्थता प्रदान करता है। जिनके पास अतिरिक्त धन होता है ऐसे जमाकर्ताओं को बैंक सूद देती है और जिन्हें धन की जरूरत होती है उनसे बैंक सूद प्राप्त करते हैं। धन कर्ज लेने वालों से बैंक सूद की ऊँची दर लेते हैं जबकि जमाकर्ताओं को वे सूद की कम दर देते हैं और इस प्रकार उनके पास जो धन बच जाता है उससे वे अपना काम चलाते हैं। बैंकों की मध्यस्थता से सब वर्गों का कल्याण हो जाता है, साथ में बैंकों का भी ।

प्रश्न 4. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते ?
उत्तर- कई बार बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते, इसके मुख्य कारण निम्नांकित हैं-

(क) कुछ कर्जदार बैंकों को अपनी आय का प्रमाणपत्र देने में असमर्थ रहते हैं। 

(ख) कुछ लोग अपनी नौकरी के विषय में बैंकों को ब्योरा उपलब्ध नहीं करा सकते।

(ग) कुछ लोग कर्जे के बदले में भूमि, पशु, सम्पत्ति आदि के रूप में ऋणाधार उपलब्ध नहीं करा सकते।

(घ) कुछ लोग गारंटी देने वाले दो लोगों को नहीं ला सकते। जो कर्ज न देने पर उनका कर्ज चुकाने की गारंटी दे सके।

प्रश्न 5. जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट करें।
उत्तर- (क) निस्सन्देह, एक स्थिति में ऋण आय बढ़ाने में सहयोग करता है, जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है। दूसरी स्थिति में, जहाँ अधिक जोखिम होता है, ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है।

(ख) उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति फसल उत्पादन के लिए ऋण लेता है। यदि किसी कारणवश उसकी फसल मारी को वापस नहीं कर पाता

(ग) ऐसी स्थिति में वह कर्ज चुकाने के लिए पुनः कर्ज लेता है अथवा अपनी जमीन बेचने के लिए विवश हो जाता है।

(घ) इस प्रकार परिस्थिति के खतरे इस बात को तय करते हैं कि ऋण उपयोगी होगा अथवा नहीं।

प्रश्न 6. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं ? अपने शब्दों में व्याख्या करें।
उत्तर- स्वयं सहायता समूहों ने गरीबों और विशेषकर महिलाओं का बड़ा भला किया है। एक स्वयं सहायक समूह में 15 से 20 सदस्य होते हैं जो हर महीने अपनी बचत राशि का या उससे कुछ राशि का आत्मनिर्भर गुट बनाकर जमा करते हैं। धीरे-धीरे यह जमा राशि काफी बड़ी रकम बन जाती है।

आवश्यकता के समय इन स्वयं सहायता समूहों के सदस्य अपने-अपने गुटों से कर्ज भी ले सकते हैं।

यदि ऐसे स्वयं सहायक समूह एक वर्ष तक अपने अतिरिक्त धन को इकट्ठा करते रहें तो बैंक भी ऐसे गुटों को कर्ज के रूप में अपनी ओर से भी धन दे देते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का विश्वास हो जाता है कि 15 से 20 सदस्यों वाले गुट धोखा नहीं कर सकते और ऐसे लोगों की सहायता करना समाजहित और देश हित में होगा। विशेषकर महिला संगठनों की सहायता करना और भी अधिक सेवा का कार्य होता है इसलिए बैंक ऐसे गुटों को कर्ज देने के लिए सदा तत्पर रहते हैं। समाज सेवा करना बैंकों का एक मुख्य उद्देश्य रहता है। अकेले आदमी के कर्ज में डूबने का डर तो रहता है परन्तु 15 से 20 सदस्यों के स्वयं सहायता समूहों का नहीं।

प्रश्न 7. 10 रुपए के नोट को देखें। इसके ऊपर क्या लिखा है ? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं ?
उत्तर- यदि हम 10 रुपए के नोट को देखें तो उसके ऊपर यह स्पष्ट लिखा होता है-

भारतीय रिजर्व बैंक 

केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत 

मैं धारक को 10 रुपए अदा करने का वचन देता हूँ।

हस्ताक्षर

गवर्नर रिजर्व बैंक

इस कथन की व्याख्या - इस कथन का यह तात्पर्य है कि केन्द्रीय सरकार ने रिजर्व बैंक को यह अधिकार दिया है कि वह उसकी ओर से 10 रुपए के नोट छापें और रिजर्व बैंक का गवर्नर इस नोट को रखने वाले को यह वचन देता है कि वह 10 रुपए उसे अदा करेगा। केन्द्रीय सरकार के इस अधिकार के बिना 10 रुपए का नोट केवल एक कागज का टुकड़ा बनकर रह जाएगा। केन्द्रीय सरकार का यह अधिकार और अनुमति ही इस नोट को अधिकृत करेंसी का रूप प्रदान करती है।

प्रश्न 8. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है ? यह जरूरी क्यों है ?
उत्तर- रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की आर्थिक गतिविधियों पर निम्नांकित तरीके से नजर रखता है-

(क) हर बैंक अपने पास जमा पूँजी की एक न्यूनतम राशि रखता है। रिजर्व बैंक इस बात का ध्यान रखता है कि प्रत्येक बैंक ने वह न्यूनतम राशि अपने पास रखती है या नहीं।

(ख) रिजर्व बैंक इस बात पर भी नजर रखता है कि बैंक केवल लाभ कमाने वाली इकाइयों और व्यापारियों को ही तो ऋण नहीं दे रहें हैं, बल्कि वे छोटे किसानों, छोटे उद्योग चलाने वालों और छोटे ऋण प्राप्त करने वालों को भी ऋण दें ताकि जन साधारण का कल्याण हो सके।

(ग) रिजर्व बैंक विभिन्न बैंकों से यह भी निरन्तर जानकारी प्राप्त करता रहता है कि वे किन-किन को कर्ज दे रहे हैं और यह कि दर से किसी से अन्याय न हो सके और कोई ठगा न जाए।

प्रश्न 9. ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है ? अथवा, साख के प्रमुख स्रोतों की व्याख्या करें । 
उत्तर- साख के प्रमुख स्रोत हैं-

(क) औपचारिक ऋण,

(ख) अनौपचारिक ऋण।

ऋण के औपचारिक स्रोत-

(क) इसके अन्तर्गत ऋण के वे स्रोत शामिल होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। इन्हें सरकारी नियमों और विनियमों का पालन करना पड़ता है। ये स्रोत हैं- बैंक और सहकारी समितियाँ।

(ख) भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के काम-काज पर नजर रखता है।

(ग) इनका उद्देश्य लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक कल्याण भी है। 

(घ) ये सामान्यतः ऋण के अनौपचारिक स्रोतों की अपेक्षा ब्याज की कम दर माँगते हैं।

(ङ) ये कोई अनुचित शर्त नहीं लगाते हैं।

ऋण के अनौपचारिक स्रोत-

(क) इसके अन्तर्गत वे छोटी और छिटपुट इकाईयाँ शामिल होती हैं जो सरकार के नियंत्रण से प्रायः बाहर होती हैं ।

यद्यपि इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं परन्तु यहाँ उनका पालन नहीं किया जाता है। ये स्रोत हैं- साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता और मित्र आदि ।

(ख) अनौपचारिक क्षेत्र में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण क्रियाओं का निरीक्षण करता हो। 

(ग) इनका एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना है।

(घ) ये औपचारिक उधारदाताओं की तुलना में ऋणों पर ब्याज की अधिक ऊँची दर माँगते हैं।

(ङ) ये ऊँची ब्याज दरों के अतिरिक्त अन्य कई कठोर शर्ते लगाते हैं।

प्रश्न 10. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है ? 
उत्तर- (क) ऋण के मुख्य दो स्रोत हैं- औपचारिक और अनौपचारिक औपचारिक ऋण वह है जो बैंकों या सहकारी समितियों से प्राप्त होते हैं जबकि अनौपचारिक ऋण वे हैं जो साहूकारों, व्यापारियों, मित्रों एवं रिश्तेदारों आदि से प्राप्त होते हैं।

(ख) औपचारिक ऋणों में ब्याज दर प्रायः साधारण होता है ( 8 से 10% तक) जबकि अनौपचारिक ऋण चार से छः गुणा अधिक महंगा होता है।

(ग) औपचारिक स्रोतों में ऋण लेने वालों का कोई शोषण नहीं होता परन्तु अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेने वाले को अनेक प्रकार से शोषणों का शिकार बनना पड़ता है। यदि किसान यह ऋण किसी व्यापारी से लेता है तो वह चाहेगा कि किसान उसे अपना अनाज सस्ते दामों मे बेचे।

उपरोक्त विवरण से पता चलता है कि भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की बड़ी आवश्यकता है ताकि विभिन्न प्रकार के ऋण लेने वालों को सस्ती दर पर ऋण मिल सके और शोषण से भी उनका बचाव हो सके।

प्रश्न 11. सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण क्यों उपलब्ध होना चाहिए ? 
उत्तर- निश्चय ही, सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण उपलब्ध होना चाहिए। इसका कारण है कि ऋण आधुनिक व्यवसाय एवं देश के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

हमारी दिन-प्रतिदिन की क्रियाओं में व्यापक लेन-देन किसी न किसी रूप में ऋण द्वारा ही होता है। ऋण किसानों को अपनी फसल उपजाने में मदद करता है। यह उद्यमियों के लिए व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना, उत्पादन के कार्यशील खर्चों को पूरा करने, समय पर उत्पादन पूरा करने में सहायक होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है।

प्रश्न 12. वस्तु विनिमय की कठिनाइयों की व्याख्या करें ।
उत्तर - वस्तु विनिमय प्रणाली के दोष अथवा कठिनाइयाँ निम्नांकित हैं-

(क) ऐसा विनिमय जिसमें भुगतान, भविष्य में किया जाना होता है, वस्तु विनिमय प्रणाली के गंभीर दोष को व्यक्त करता है। भविष्य में दी जानेवाली वस्तु के मूल्यमान में उतार-चढ़ाव का जोखिम बना रहता है, जिससे किसी एक पक्ष को हानि की संभावना बनी रहती है।

(ख) वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यमान के इकाई का अभाव, अर्थात् यदि एक व्यक्ति को पाँच मीटर कपड़े की आवश्यकता है तथा उसे वह अपने पास के गेहूँ से बदलना चाहता है, तब प्रति मीटर कपड़े के लिए उसे कितना गेहूँ देना होगा निश्चित नहीं कर पाता।

(ग) वस्तु विनिमय प्रणाली द्विपक्षीय संयोग पर आधारित प्रक्रिया है अर्थात् एक व्यक्ति किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश में रहता है जो वही चीज बेचना चाहता है, जिसे पहला व्यक्ति खरीदना चाहता है। यह विनिमय को अधिक जटिल तथा समय लगने वाली बना देती है।

(घ) वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य या धन संचय का कोई स्थान नहीं होता। इस व्यवस्था में सिर्फ वस्तुओं का भंडारण किया जा सकता है। उससे वस्तुओं के खराब होने की संभावना बनी रहती है।

                दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है ? उदाहरण देकर समझाएँ ।
उत्तर- वस्तु विनिमय व्यवस्था में चीजों का आदान-प्रदान चीजों से होता है और उसमें मुद्रा के प्रयोग की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। परन्तु ऐसा करना कितना कठिन है यह एक उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा।

एक जूता बेचने वाला गेहूँ खरीदना चाहता है। पहले तो उसे जूता खरीदने वाला व्यक्ति खोजना पड़ेगा और फिर उसे देखना पड़ेगा कि ऐसा व्यक्ति कहाँ है, जो एक तरफ तो जूता खरीदना चाहता है और दूसरी तरफ गेहूँ बेचना चाहता है। इस प्रकार इस लेन-देन में संयोगों की आवश्यकता पड़ती है। पहले तो जूता खरीदने वाला व्यक्ति खोजा जाए और दूसरे वह गेहूँ बेचने के लिए तैयार हो ।

परन्तु मुद्रा के प्रयोग से जूता बनाने वाला किसी को भी अपना जूता बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता है और इस मुद्रा से वह जहाँ से चाहे गेहूँ खरीद सकता है। ऐसे में मुद्रा द्वारा दोहरे संयोग की समस्या पैदा नहीं होती और वह अपने आप हल हो जाती है।

प्रश्न 2. देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की क्या भूमिका रहती है ?
उत्तर- बैंक देश की अर्थव्यवस्था में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-
(क) बैंक लोगों के खून-पसीने की कमाई को अपने पास जमा करके उसे सुरक्षित रखते हैं।

(ख) बैंक केवल जमाकर्ता के धन को सुरक्षित ही नहीं रखते वरन् वे उस पर उसे उचित ब्याज भी देते हैं। बहुत से परिवार बैंक के इस ब्याज पर ही निर्भर करते हैं।

(ग) बैंक जिनके पास फालतू धन है और जिन्हें धन की आवश्यकता है इन दोनों के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।

(घ) बैंक किसानों को कर्ज देकर देश की पैदावार को बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस धन से किसान अपनी सिंचाई की सुविधाओं आदि को बढ़ाकर जहाँ पहले वर्ष भर में एक बार खेती करते थे, वहाँ दो और तीन बार भी खेती कर सकते हैं।

(ङ) बैंक उद्योग के विकास में भी बड़ा सहायक सिद्ध होते हैं। लघु उद्योगों में लगे लोग बैंकों से सस्ते दामों पर कर्ज लेकर अपने पुराने उद्योगों को उन्नत कर सकते हैं और कई नए उद्योग भी लगा सकते हैं।

(च) बैंक से कर्ज लेकर बहुत से व्यापारी अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं और पहले से कहीं अधिक वस्तुओं का व्यापार कर सकते हैं।

प्रश्न 3. एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका की विवेचना करें।
उत्तर- एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका-

(क) उपभोग में मुद्रा की भूमिका- हम जानते हैं कि मुद्रा विनिमय माध्यम के रूप में अपनाई जाती है इसलिए हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा के बदले वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय कर सकते हैं।

(ख) व्यापार में मुद्रा की भूमिका - मुद्रा के द्वारा व्यापारिक क्रियाएँ सरलतापूर्वक पूरी की जाती है, क्योंकि मुद्रा की सहायता से एक स्थान से वस्तुओं को क्रय करके इन्हें दूसरे स्थान पर विक्रय किया जा सकता है।

(ग) बजट निर्माण में मुद्रा की भूमिका- सरकारी व्यय तथा प्राप्तियों का माप मुद्रा में किया जाता है, जिसके द्वारा करों की दर, ऋण पर ब्याज संबंधित आर्थिक नीतियाँ सरलतापूर्वक बनाई जाती है। बजट को मुद्रा भी मुद्रा में ही प्रदर्शित किया जाता है।

(घ) राष्ट्रीय आय के मापन में मुद्रा की भूमिका- देश की राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है जो कि देश की निवासियों का जीवन स्तर प्रदर्शित करती है। मुद्रा के बिना राष्ट्रीय आय की गणना कठिन है एवं जीवन स्तर भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है.

(ङ) उत्पादन में मुद्रा की भूमिका- उत्पादन प्रक्रिया में एक उद्यमी उत्पादन के विभिन्न साधनों को उनकी सेवाओं के बदले मुद्रा में भुगतान करता है जैसे भूमि पर लगान, मजदूरों को मजदूरी, पूँजी पर ब्याज तथा उद्यम पर लाभ मुद्रा की अनुपस्थिति में उत्पादन के साधनों को पारितोषिक प्रदान करना कठिन होता है।

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