NCERT Class 9 Hindi Chapter 1 दो बैलों की कथा

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर:
काँजीहौस वह स्थान है, जहाँ आवारा पशुओं को बाँधकर लाया जाता है। उनके मालिकों के न आने पर उन्हें नीलाम कर दिया जाता है। काँजीहौस में कैद पशुओं की इसीलिए हाजिरी ली जाती थी, जिससे पकड़े गए पशुओं का पूरा ध्यान रखा जा सके कि कहीं कोई जानवर भाग न गया हो। कोई किसी जानवर को लेकर न चला गया हो।

प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया था?
उत्तर:
भैरों की छोटी बच्ची को अपने घर में ममता नहीं मिली थी। पहली बार जब उस बच्ची ने हीरा और मोती को विवश, परेशान और दुःखी देखा। बंधन को उसने अपनी बेबसी और बँधन माना अतः उनकी पीड़ा देख उस बच्ची के प्रति प्रेम उमड़ आया था।

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति विषयक मूल्य उभर कर आए हैं।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी केवल दो बैलों की कथा नहीं है, अपितु इनके माध्यम से मानवीयता, भारतीय संकृति आदि को उकेरा है। कथा में बैलों के माध्यम से नीति विषयक निम्नलिखित मूल्य उभारे गए हैं।

  • सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • बैरी को ऐसा चाहिए कि फिर न उठे।
  • ऐसा जोर किस काम का कि और बंधन पड़ते जाएँ।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं को आधार पर उसके प्रति रूढ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर, किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
कहानीकार प्रेमचंद एक सर्जक कहानी सर्जक हैं, जिन्होंने प्रस्तुत कहानी में गधे, संबंधी स्वभावगत विशेषताएँ बताकर उसे मात्र रूढ अर्थ ‘मूर्ख’ में प्रयोग न करके ‘सीधेपन’, निरापद सहिस्णुता के नए अर्थ में लिया है, क्योंकि गधा मूर्ख नहीं होता है।, उसमें सहन करने, सहज रहने, सीधेपन की प्रवृति होती है। वर्तमान समाज सीधेपन को मूर्खता का पर्याय समझता है।।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर:
हीरा और मोती साधारण बैल न थे। वे गहरे मित्र थे और उनकी दोस्ती गहतना निम्न रूपों में देखी जा सकती है-

  1. दोनों एक दूसरे से मूक-भाषा में बाते करते थे।
  2. दोनों एक दूसरे को चाटकर संघकर प्रेम प्रकट करते थे।
  3. दोनों गाड़ी में जुतने पर सोचते कि मुझ पर सारा भार रहे।
  4. दोनों साँझ को एक दसरे को चाट कर थकान मिटाते थे।
  5. नाँद में भूसा खाने के लिए एक साथ उठते, मुह डालते और एक साथ मुंह हटाते थे।

प्रश्न 6.
“लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूलं जाते हो।” -हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
प्रेमचंद एक सजग सर्जक सामाजिक चेता हैं। वह कृषक मजदूरों की विषमता के साथ-साथ स्त्री संबंधी विषमता को भी महसूस करते हैं उसे मिटाने के लिए प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अपनी कथाओं के माध्यम से आवाज उठाते हैं। इस कहानी में भी हीरा के मुख से यह कथन कहलवाकर की लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है यह भूल जाते हो तयुगीन स्त्री-संबंधी सामाजिक विषमता को उकेरे जाने का प्रयास किया है कि किस प्रकार स्त्रियां पशुवत पुरुष प्रधान समाज में शोषित थी।

प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है।
उत्तर:
प्रेमचंद एक कुशल कलाकार हैं। उन्होंने अपने कथा साहित्य में कृषक जीवन से जुड़ी समस्याओं को ही स्थान दिया है। प्रस्तुत कहानी में दो बैलों की कथा के माध्यम से प्रेमचंद ने कृषक जीवन में देखा कि पशु और मनुष्य का आपसी घनिष्ठ संबंध होते हैं, जोकि शहरी वातावरण में नारद है। गाँव में पशु पालने वाले लोग उन पशुओं को अपने परिवार के सदस्य के सामान रखते है। उनसे आत्मीय संबंध बना लेते हैं जैसे झरी का हीरा और मोती बहनों के साथ संबंध था। गया भी उनकी पीड़ा से पीड़ित होता है। उसकी पुत्री को भी उनसे स्नेह मिलता है।

प्रश्न 8.
इतना तो हो ही गया है कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई यह सब तो आशीर्वाद देंगे-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएं बताए।
उत्तर:
काँजीहौस की दीवार तोड़ कर सभी जानवरों को भगाकर न भाग पाने की विवशता से मोती ने हीरा से कहा इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। यह सब तो आशीर्वाद देंगे मोती के इस कथन से ज्ञात होता है कि मोती सहनशील, प्रौढ़, दयालु और मानवीय सकारात्मक गुणों से ओतप्रोत है।

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त सकती थी, जिससे जीवो में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर:
आशय:
हीरा और मोती साधारण जानवर होते हुए भी साधारण न थे। उनके हाव-भाव, क्रिया-कलाप, उनका भाई-चारा मानो मनुष्य को संदेश देता था। आज मनुष्य अपने को सभी जीवों में बुद्धिमान और श्रेष्ठ जीव होने का दावा करता है। हीरा और मोती को देख मनुष्य का दावा खोखला नजर आता है, क्योंकि मनुष्य आज भी मनुष्य के दर्द, उसकी पीड़ा, उसके भाव को समझ नहीं पा रहा है। जबकि हीरा और मोती मूक भाषा में ही एक दूसरे की बात जान लेते हैं।

(ख) उस एक रोटी……….मिल गया।
आशय:
हीरा और मोती साधारण जानवर न थे। उनमें मानवीय गुण विद्यमान थे। उन्हें झूरी के यहाँ पारिवारिक प्रेम मिला था, स्वतन्त्रता मिली थी, लेकिन गया के घर में बंधन, उपेक्षा में बँधकर उनकी भूख मानो मर गई थी। उनका स्वाभिमान उन्हें भूसे की ओर देखने भी दे रहा था। लेकिन जब भैरों की लड़की जो पूरा मां होते हुए भी मातृत्वहीन थी। वह उनके लिए एक रोटी लाई तो उनका मन द्रवीभूत हो गया था उस एक रोटी से उनकी भूख नहीं मिटनी थी, लेकिन लड़की की भावना ने मानों दोनों को पूरा भोजन करा दिया था।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा-भूसा खाने के लिए दिया, क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
सही उत्तर-के आगे (✓) का निशान लगाई है।
उत्तर:
(ख) गरीबी के कारण खली आदि न खरीदना उसके बस की बात न थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें?
उत्तर:
जब-जंब शोषण, अन्याय या अत्याचार होता है, तब-तब उसके विरोध में प्रतिक्रिया-स्वरूप क्रांति होती है। इस कहानी में भी हीरा और मोती ने जब अपनी स्वतन्त्रता पर बँधन का आभास किया। उन्हें लगा कि गया के घर उनका शोषण हो रहा है। या काँजीहौस में उन्हें बंदी बना लिया है और भूखा रखा. जा रहा है, तब हीरा और मोती ने शारीरिक बल द्वारा अपनी मुक्ति पाने के लिए संघर्ष किया। इस प्रतिक्रिया में उन्हें प्रताड़ना के रूप में गया की स्त्री डांट-फटकार, उपेक्षा और भूख सहनी पड़ी तो काँजीहौस में मार खनी पड़ी।

प्रश्न 12.
क्या आपको लगात है कि यह कहानी आजीवन की लड़ाई की ओर संकेत करती है।
उत्तर:
प्रेमचंद ने इस कहानी का सृजन उस समय किया, जब भारत अंग्रेजों से आजादी के लिए जूझ रहा था। उनकी तत्कालीन रचनाओं में स्वाधीनता-आंदोलन की छाया स्पष्ट देखी जा सकती है। इस कहानी में भी चाहे प्रेमचंद ने हीरा और मोती जैसे बैलों को आधार बनाया था, किन्तु इनके माध्यम से तत्कालीन अंग्रेजों के विरूद्ध आजादी के लिए संघर्ष कर रहे भारतीयों को ही उजागर किया है। जिस प्रकार हीरा-मोती गया के यहाँ बँधन महसूस करते हैं अपनी स्वतन्त्रता छीन जाने पर उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता है और वे स्वतन्त्रता पाने के लिए संघर्ष करते हैं आजाद होकर हीरा झूरी के घर सुख पाते हैं। अतः यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफी है।
फिर में भी जोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ भाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं कहानी में से पांच ऐसे वाक्य छाँटिए, जिसमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है।
किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा।
फिर भी बदनाम है।
साथ नांद में मुंह डालते और साथ ही बैठते थे।
घुटने तक पांव कीचड़ से भरे हैं।

प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य-भेद बताइए तथा उप-वाक्य छांटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे से पड़े जुए जानवर सभी चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आंखें लाल थी और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगें।
(ड) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर:
(क) जटिल वाक्य → मिश्र वाक्य।

  • दीवार का गिरना था। (प्रधान उपवाक्य)
  • कि अधमरे से पड़े हुए जानवर सभी चेत उठे। (आश्रित उपवाक्य)
  • अधमरे से पड़े हुए। (विशेषण उपवाक्य)

(ख) जटिल वाक्य → मिश्र एवं संयुक्त वाक्य।

  • जिसकी आंखें लाल थी। (संज्ञा उपवाक्य) एवं (विशेषण उपवाक्य)
  • जिसकी आंखें लाल थी और मुद्रा अत्यंत कठोर। (संयोगजंक सयुक्त वाक्य)

(ग) जटिल वाक्य → मिश्र वाक्य।

  • हीरा ने कहा (प्रधान उपवाक्य)
  • गया के घर नाहक भागे। (आश्रित उपवाक्य)
  • हीरा ने कहा। (संज्ञा उपवाक्य)

(घ) जटिल वाक्य → संयुक्त वाक्य।

  • परिमाणवाची संयुक्त वाक्य।
  • मैं बेचूंगा। (प्रधान उपवाक्य)
  • तो बिकेंगे (आश्रित उपवाक्य)

(ड) जटिल वाक्य → मिश्र वाक्य।

  • अगर वह मुझे पकड़ता। (प्रधान उपवाक्य)
  • तो मैं बे-मारे न छोड़ता। (आश्रित उपवाक्य)
  • शर्तवाचक क्रिया-विशेषण उपवाक्य।

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पांच मुहावरे छांटिएं और उन्हें वाक्यों में प्रयोग किजिए।
उत्तर:

  1. जी तोड़ कर काम करना ⇒ मजदूर जी-तोड़कर मेहनत करते हैं, पर पैसा नहीं मिलता है।
  2. गम खना ⇒ मजदूरों की जिंदगी तो काम करने और गम खाने में ही बती जाती है।
  3. ईट का जवाब पत्थर से देना ⇒ युद्ध में दुश्मन को ईंट का जवाब पत्थ से देना चाहिए।
  4. दिल भारी होना ⇒ परीक्षा में अच्छे अंक न आने पर मेरा दिल भारी हो गया।
  5. आंख न उठाना ⇒ अध्यापक के सामने बच्चे आंख उठाकर भी देख नहीं पाते हैं।

अन्य पाठ्यचर्या प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गधा किस अर्थ में रुढ़ हो गया है? और क्यों?
उत्तर-
गधा ‘मूर्ख’ या बेवकूफ के अर्थ में रुढ़ हो गया है। किसी आदमी को जब बेवकूफ़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं। ऐसा उसके सीधेपन और सब कुछ सहन करने के कारण कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सहनशीलता के मामले में गाय और कुत्ता गधे से किस तरह भिन्न हैं?
उत्तर-
गाय और कुत्ता गधे जितना सहनशील नहीं है। गाय नाराज होने पर या अपने बच्चे को छेड़े जाते हुए देखकर हिंसक रूप धारण कर लेती है। इसी तरह कुत्ता भी काट लेता है जबकि गधा सब कुछ चुपचाप सहन कर लेता है।

प्रश्न 3.
अफ्रीका और अमरीका में भारतीयों की दुर्दशा का क्या कारण है?
उत्तर-
अफ्रीका और अमरीका में भारतीयों की दुर्दशा का कारण उनका सीधापन और उनकी सहनशीलता है। वे अपनी सहनशीलता के कारण शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते है और गम खाकर रह जाते हैं।

प्रश्न 4.
बैल को गधे का छोटा भाई क्यों कहा गया है?
उत्तर-
बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा गया है क्योंकि बैल भी सीधा-सादा जानवर है। वह भी सहनशील है पर गधे जितना नहीं। बैल सींग चलाकर, अड़ियल रुख अपनाकर तथा कई अन्य तरीके से अपना विरोध एवं असंतोष प्रकट कर देता है।

प्रश्न 5.
पशुओं की किस गुप्त शक्ति से मनुष्य वंचित है?
उत्तर-
पशु अपने मन के भाव-विचार मूक भाषा में व्यक्त करते हैं जिससे अन्य पशु समझ जाते हैं। इस तरह वे दूसरे के मन की बातें बिना कहे जान-समझ लेते हैं। पशुओं की यह ऐसी गुप्त शक्ति है जिससे मनुष्य वंचित है।

प्रश्न 6.
हीरा-मोती एक-दूसरे के प्रति प्रेम और मित्रता कैसे प्रकट करते थे?
उत्तर-
हीरा और मोती एक-दूसरे को चाट-चूटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। वे अपनी दोस्ती प्रकट करने के लिए कभी-कभी सींग भी मिला लेते थे। उनके ऐसा करने में विग्रह का भाव नहीं बल्कि मनोविनोद और आत्मीयता का भाव रहता था।

प्रश्न 7.
किन बातों से प्रकट होता है कि हीरा-मोती में भाई चारा था।
उत्तर-
हीरा-मोती जब हल में जोते जाते थे तब उनकी यही चेष्टा रहती थी कि वे एक-दूसरे का भार अपने कंधे पर ले ले। वे दिन भर के काम के बाद दोपहर या संध्या में चाट-चूटकर अपनी थकान उतारते। वे एक साथ नाँदों में मुँह डालते और हटाते थे। इन बातों से हीरा-मोती का भाई चारा प्रकट होता है।

प्रश्न 8.
बैलों को अपने साथ ले जाते हुए गया को क्या परेशानी हो रही थी ?
उत्तर-
दोनों बैलों को अपने साथ ले जाते हुए गया को यह परेशानी हो रही थी कि बैल उसके साथ नहीं जाना चाहते थे। यदि वह बैलों को पीछे से हाँकता था तो दोनों बैल दाँए-बाएँ भागते थे और वह पगहे पकड़कर आगे को खींचता तो दोनों पीछे को ज़ोर लगाते।

प्रश्न 9.
हीरा-मोती को वाणी की कमी क्यों अखर रही थी?
उत्तर-
हीरा-मोती गया के साथ अनिच्छा से जा रहे थे। वे सोच रहे थे कि गया के हाथों उन्हें बेच दिया गया है। वे अपने मालिक झूरी से अपने बेचे जाने का कारण जानना चाहते थे। हीरा-मोती बैल ये जो मूक भाषा में बातें कर सकते थे पर झूरी समझता कैसे। अपनी बात कहने के लिए हीरा-मोती को वाणी की कमी अखर रही थी।

प्रश्न 10.
हीरा-मोती की आँखों में विद्रोहमय स्नेह कब झलकता हुआ प्रतीत हुआ और क्यों?
उत्तर-
झूरी ने हीरा-मोती को गया के घर काम करने भेजा था पर इन दोनों को वहाँ गाँव, घर तथा मनुष्य सब बेगाने जैसे लग रहे थे। उन्हें गया से भी स्नेह नहीं मिल रहा था। वे दोनों वहाँ से रात में ही भाग आए थे। उन्हें अपने बेचे जाने का भ्रम होने के कारण उनकी आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा था।

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने गया के घर स्वयं को अपमानित क्यों महसूस किया?
उत्तर-
हीरा और मोती ने गया के घर स्वयं को इसलिए अपमानित महसूस किया क्योंकि गया ने अपने बैलों के चारे में चूनी-चोकर, खली आदि मिलाया परंतु हीरा मोती के सामने सूखा भूसा डाल दिया। इन बैलों के साथ झूरी ने ऐसा कभी नहीं किया था।

प्रश्न 12.
गया और उसके घरवाले हीरा-मोती को नियंत्रण में करने के लिए क्या योजना बना रहे थे?
उत्तर-
गया और उसके घरवालों का व्यवहार बैलों के प्रति अच्छा न था। वह बैलों को मारता-पीटता था तब भी बैलों पर उसका पूरा नियंत्रण नहीं था। इन्हें नियंत्रित करने के लिए वे बैलों की नाक में नाथ डालने की योजना बना रहे थे।

प्रश्न 13.
बालिका ने बैलों को भागने में किस तरह मदद की?
उत्तर-
बालिका प्रतिदिन की तरह दो रोटियाँ लेकर हीरा-मोती के पास आई और घरवालों की योजना बताते हुए उनके गले की रस्सी खोल दी। वह चिल्लाने लगी कि फूफा वाले दोनों बैल भागे जा रहे हैं ताकि कोई भी उसपर संदेह न करे। इस तरह उसने बैलों को भागने में मदद की।

प्रश्न 14.
हीरा ने कब और कैसे सच्चे मित्र का फर्ज निभाया?
उत्तर-
हीरा और मोती भूखे थे। सामने के खेत में हरी मटर नजर आई। अभी उन्होंने दो-चार ग्रास ही खाए थे कि रखवाले लाठी लिए आए। हीरा तो भाग सकता था पर सींचे खेत में खुर धंसने से मोती फँस गया। रखवालों ने उसे पकड़ लिया तो हीरा भागा नहीं। इस तरह उसने सच्चे मित्र का फर्ज निभाया।

प्रश्न 15.
कांजीहौस में किन्हें बंद किया जाता है और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?
उत्तर-
कांजीहौस में आवारा और लावारिस पशुओं को बंद किया जाता है। वहाँ उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। उनकी हालत अत्यंत दयनीय हो जाती है। अधिकांश मरने की कगार पर पहुँच जाते हैं।

प्रश्न 16.
दढ़ियल ने जब बैलों के कूल्हे में अँगुली से गोदा तो उन्होंने अपने अंतर्ज्ञान से क्या जान लिया?
उत्तर-
नीलामी के लिए खड़े हीरा-मोती के कूल्हे में जब दढ़ियल ने अँगुली से गोदा तो दोनों ने अपने अंतर्ज्ञान से यह जान लिया कि दढ़ियल कसाई है। वह नीलामी में उन्हें खरीदकर उन पर छुरी चलाएगा।

प्रश्न 17.
मोती के उस कार्य का वर्णन कीजिए जिसके बदले वह आशीर्वाद पाने की अपेक्षा कर रहा था?
उत्तर-
कांजीहौस में बंदी हीरा-मोती ने देखा कि वहाँ गधे, घोड़े बकरियाँ, भैंसें आदि नौ-दस जानवर मुरदों-से ज़मीन पर पड़े हैं। मोती ने रात में बाड़े की दीवार गिरा दी जिससे ये जानवर भाग गए और उनकी जान बच गई। अपने इसी कार्य के बदले वह आशीर्वाद पाने की अपेक्षा कर रहा था।

प्रश्न 18.
हीरा-मोती जब दढ़ियल के साथ जा रहे थे तो हार में चरते अन्य जानवरों को देखकर उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
दढ़ियल के साथ जाते हीरा-मोती ने जब खेत में प्रसन्नतापूर्वक चर रहे अन्य जानवरों को देखा तो उन्हें वे जानवर स्वार्थी लगे क्योंकि कसाई के हाथों में उन्हें देखकर भी वे चिंता नहीं कर रहे थे। वे अपनी उछल-कूद और खुशी में डूबे थे।

प्रश्न 19.
झूरी के पास वापस आए बैलों को देखकर बच्चों ने अपनी खुशी किस तरह व्यक्त की?
उत्तर-
झूरी के पास लौटे हीरा-मोती को देखकर बच्चों ने ताली बजाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया। वे इन्हें वीरता का प्रशस्ति पत्र देना चाहते थे। बच्चे खुशी-खुशी में भागकर अपने घरों से चूनी, गुड़, चोकर आदि लोकर खिलाने लगे। वे बहुत खुश दिख रहे थे।

प्रश्न 20.
दूसरी बार घर आए हीरा-मोती को देखकर मालकिन की प्रतिक्रिया पहली बार से किस तरह भिन्न थी?
उत्तर-
हीरा-मोती जब पहली बार गया के घर से लौटकर आए थे तो मालकिन ने उन्हें नमकहराम कहा और उनकी खली-चूनी भूसी आदि बंद करवा दिया, पर दूसरी बार हीरा-मोती के घर आने पर मालकिन हर्षित हुई और बैलों के माथे चूम लिए थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ किस तरह का भाव रखते थे?
उत्तर-
हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ अत्यंत गहरा प्रेम एवं आत्मीय व्यवहार रखते थे। वे अपने मालिक से प्रेम करते हुए उसकी हर बात मानते थे। वे झूरी से अलग नहीं रहना चाहते थे। उनकी इच्छा थी उनका मालिक चाहे जितना काम करा ले पर वह उन्हें अपने से अलग न करे। झूरी ने जब गया के साथ उन्हें भेजा तो वे रस्सी पगहे तुड़ाकर गया के घर से भागकर आ गए। इस समय उनकी आँखों में विद्रोहमयी स्नेह झलक रहा था। हीरा-मोती को भागने का अवसर मिलने पर भी वे अंत में भागकर झूरी के पास आ जाते थे जो उनके असीम लगाव का प्रमाण था।

प्रश्न 2.
“दो बैलों की कथा’ पाठ में लेखक ने ‘सीधेपन’ के संबंध में क्या कहा है? इसके लिए उसने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं?
उत्तर-
‘दो बैलों की कथा’ पाठ में लेखक प्रेमचंद ने ‘सीधेपन’ को इस संसार के लिए उचित नहीं बताया है। इसके लिए उसने गधे और बैलों के सीधेपन का उदाहरण देते हुए दर्शाया है कि अपने सीधेपन के लिए गधा मूर्ख के अर्थ में रूढ़ बन गया है तथा बैल को ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाने लगा है। इस पाठ में भी हीरा-मोती के सीधेपन के कारण उन पर अत्याचार किया जाता है परंतु उनके सींग चलाते या अत्याचार का विरोध करते ही उन पर किया जाने वाला अत्याचार कम हो जाता है। इसी तरह अपनी सहनशीलता के कारण भारतीय अफ्रीका और अमेरिका में सम्मान नहीं पाते जबकि जापान ने युद्ध में विजय पाते ही दुनियाभर में सम्मान प्राप्त किया।

प्रश्न 3.
हीरा-मोती दो बार झूरी के घर से वापस आए। दोनों बार झूरी की पत्नी की प्रतिक्रिया अलग-अलग क्यों थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
झूरी ने अपने बैलों हीरा और मोती को गया के घर काम के लिए भेजा। हीरा-मोती झूरी से बहुत लगाव रखते थे। वे झूरी को छोड़ कर गया के घर नहीं जाना चाहते थे। गया के साथ वे जैसे-तैसे चले गए पर बेगानापन महसूस होने के कारण वे रात में ही रस्सी पगहे तुड़ाकर चले आए। यह देख झूरी की पत्नी ने उन्हें नमक हराम कहा और उन्हें खली, चूनी-चोकर आदि देना बंद करके सूखा भूसा सामने डाल दिया। दूसरी बार हीरा-मोती कांजीहौस से नीलाम होकर किसी तरह घर पहुँचते हैं तो उनकी दशा देखकर झूरी की पत्नी के मन में उनके प्रति बदलाव आ जाता है। वह बैलों द्वारा सहे कष्ट का अनुमान लगा लिया और उनके माथे चूम लिया। ऐसी प्रतिक्रिया बैलों के द्वारा अपनी स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के कारण थी।

प्रश्न 4.
मोती ने बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहा पर हीरा ने सँभाल लिया। इस कथन के आलोक में हीरा की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
हीरा-मोती गया के साथ नहीं जाना चाहते थे, इसलिए गया उन दोनों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जा रहा था। अपना विरोध जताने के लिए मोती बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहता था, पर हीरा ने रोक लिया। इससे उसकी इन विशेषताओं का पता चलता है-

  • धैर्यवान-हीरा-मोती की तुलना में अधिक धैर्यवान है। वह किसी समस्या का धैर्यपूर्वक सामना करता है।
  • सहनशील-गया ने जब हीरा की नाक पर डंडे बरसाए तो हीरा सहन कर गया। इसी घटना के लिए मोती ने जब गयों को मार गिराना चाहा तो हीरा ने कहा कि यह हमारी जाति का धर्म नहीं है।
  • अहिंसक विद्रोही-कांजीहौस में मार खाकर भी हीरा शांत नहीं होता। यद्यपि उसे मोटी रस्सियों में बाँध दिया जाता है फिर भी वह कहता है ‘ज़ोर तो मारता ही जाऊँगा चाहे कितने ही बंधन पड़ते जाएँ।’
  • सच्चा मित्र-हीरा मोती के साथ सच्ची मित्रता निभाता है। वह रखवालों के हाथ पड़े मोती को अकेला नहीं छोड़ता है।

प्रश्न 5.
‘मोती के स्वभाव में उग्रता है’–उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मोती का स्वभाव उग्र है। वह अत्याचार एवं शोषण का विरोध करता है। वह अपने ऊपर ही नहीं हीरा पर भी अत्याचार देखकर क्रोधित हो उठता है और अत्याचार का सामना करने के लिए आक्रमण कर देता है। इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। गया जब हीरा की नाक पर डंडे बजाता है तो क्रोधित मोती हल जोत, जुआ लेकर भागता है। गया और उसके साथी जब उसे पकड़ने आते हैं तो वह कहता है-”मुझे मारेगा तो मैं भी एक दो गिरा दूंगा।” इसी तरह वह गया का अत्याचार देखकर एकाध को सींगों पर उठाकर फेंक देने की बात कहता है।

वह गिरे हुए शत्रु पर भी दया दिखाने का पक्षधर नहीं है। वह वेदम साँड को मार डालना चाहता है। उसका विचार है कि वैरी को ऐसा मारना चाहिए कि फिर न उठे। यह मोती के स्वभाव की उग्रता है कि दढ़ियल को सींग दिखाकर गाँव के बाहर इस तरह खदेड़ देता है कि वह लौटकर आने का साहस नहीं जुटा पाता है।

प्रश्न 6.
‘संगठन में शक्ति है’-हीरा-मोती ने इसका नमूना किस तरह प्रस्तुत किया?
उत्तर-
यह सर्वविदित है कि संगठन में शक्ति होती है। इसका एक नमूना हीरा-मोती ने अपने से बलशाली साँड को पराजित करके प्रस्तुत किया। गया के घर से भागे हीरा-मोती के सामने रास्ते में विशालकाय, मदमस्त साँड आ गया। हीरा-मोती ने सोच-विचार के बाद अपने से बलशाली शत्रु का मुकाबला करने की योजना बनाई मल्ल युद्ध में माहिर साँड को संगठित शत्रुओं से लड़ने का अनुभव न था। हीरा-मोती ने संगठित होकर साँड से युद्ध किया। एक ने आगे से वार किया तो दूसरे ने पीछे से। साँड जब हीरा को मारने दौड़ता तो मोती उस पर सींग से वार कर देता। वह जब मोती पर वार करता तो हीरा उसके बगल में सींग घुसा देता। इससे साँड जख्मी होकर बेदम हो गया और गिर गया।

प्रश्न 7.
हीरा-मोती स्वभाव से विद्रोही तो हैं पर उनके मन में दयाभाव भी है। इसका प्रमाण हमें कब और कहाँ मिलता है? ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हीरा और मोती स्वभाव से विद्रोही हैं। इसी विद्रोह के कारण वे दूसरी बार भी गया के घर से भागते हैं और खेत के रखवालों द्वारा पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिए जाते हैं। कांजीहौस में हीरा-मोती ने देखा कि यहाँ भैसे, घोड़ियाँ, गधे बकरियाँ आदि पहले से बंद हैं। वे चारा न मिलने के कारण मुरदों जैसे जमीन पर पड़े हैं। इन्हें देखकर हीरा-मोती दयार्द्र हो जाते हैं। पहले हीरा ने बाड़े की दीवार गिराना शुरू किया परंतु चौकीदार ने देख लिया और उसे बंधन में डाल दिया। अब मोती ने उग्र रुख अपनाया और दो घंटे के परिश्रम के बाद बाड़ की आधी दीवार गिरा दी। अब उसने सींग मार-मारकर जानवरों को वहाँ से भगा दिया और उनकी जान बचाई। इस प्रकार हीरा-मोती एक ओर जहाँ विद्रोही हैं वहीं दूसरी ओर उनके मन में दयाभाव भी है।


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