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 Bihar Board 12th Chemistry Important Questions Short Answer Type Part 3

Bihar Board 12th Chemistry Important Questions Short Answer Type Part 3

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रोड विभव के लिए नस्ट समीकरण लिखें।
उत्तर:
एकल इलेक्ट्रोड या अर्द्धसेल का विभव सेल में आयन के सान्द्रण पर निर्भर करता है। इस संबंध में नस्ट ने एक समीकरण प्रस्तुत किया जिसे नस्ट का समीकरण कहते हैं। नन्स्ट का समीकरण निम्न प्रकार लिखा जाता है।
E = E2303RTnFlogK
जहाँ E = इलेक्ट्रोड विभव, E° = इलेक्ट्रोड का मानक विभव, R = गैस स्थिरांक, T = केल्विन में ताप, n = आयन की संयोजकता, F = फेराडे और K = अर्द्धसेल अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक।

प्रश्न 2.
फ्रायण्डलिक अधिशोषण समीकरण (Freundlich adsorption equation) के स्थिरांक K और n की गणना कैसे करेंगे?
उत्तर:
फ्रायण्डलिक अधिशोषण समीकरण के अनुसार xm = kpl/n
दोनों और लॉरेथियम लेने पर log xm = log K + 1nlogP
logxm और logP के बीच ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होती है। इस रेखा का slope 1n तथा y-अक्ष पर intercept log K के मान को बतलाता है।
अत: slope और intercept के मान से K और n के मान की गणना की जा सकती है।

प्रश्न 3.
निम्न में किस प्रकार का कोलॉइडी विलयन बनता है ?
(a) गंधक के वाष्प को ठंडे, जल में प्रवाहित किया जाता है (b) अंडे की सफेदी को जल के साथ मिलाया जाता है। (c) साबुन का विलयन।
उत्तर:
(a) Macromolecular, क्योंकि.गंधक के अणु संगुणित होकर कोलॉइडी विलयन बनाते हैं।
(b) Macromolecular, क्योंकि अण्डे की सफेद में उपस्थित प्रोटीन Macromolecule होते हैं जो जल में विलेय हैं।
(c) Associated क्योंकि साबुन के RCOO- आयन संगुणित होकर micelles बनाते हैं।

प्रश्न 4.
फेन उत्प्लावन विधि (Froth bloation process) का सिद्धान्त लिखें और इस विधि से किस प्रकार के अयस्क का सान्द्रण किया जाता है ?
उत्तर:
यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि सल्फाइड अयस्क के कण पानी के अपेक्षा तेल के द्वारा अधिक भीगते हैं जबकि अधात्री (gangue) के कण तेल की अपेक्षा पानी से अधिक भींगते हैं। अतः जब तेल मिश्रित पानी में अयस्क के चूर्ण को डालकर उसमें हवा का झोंका प्रवाहित किया जाता है तो अयस्क के कण फेन के साथ ऊपर चले आते हैं जबकि अधात्री के कण पानी के साथ नीचे ही रह जाते हैं। इस विधि से सल्फाइड अयस्क जैसे गैलेना (PbS) जिंक ब्लेण्ड (ZnS) कॉपर पायराइट (CuFe2) आदि का सान्द्रण किया जाता है।

प्रश्न 5.
निक्षालन (lkaching) क्या है ? निक्षालन के द्वारा कौन-सा अयस्क सान्द्रित किया जाता है।
उत्तर:
निक्षालन (leaching) प्रक्रिया है जिसमें किसी खास अयस्क को विशेष रूप से चुनें हुए उपयुक्त विलायक, क्षार या किसी दूसरे अभिकर्मक, में घुलाया जाता है। विलायक में केवल अयस्क घुलता है अशुद्धियाँ नहीं। उदाहरणार्थ, बॉक्साइट अयस्क के चूर्ण को NaOH के सान्द्र विलयन के साथ निक्षालित करने पर Al2O3 घुलाकर सोडियम एलुमिनेट बनाता है। अशुद्धियाँ बिना घुले ही अवशिष्ट के रूप में रह जाती हैं।

प्रश्न 6.
SiF26 ज्ञात है लेकिन SiCl26 नहीं क्यों?
उत्तर:
उसके दो कारण (a) Cl की अपेक्षा F का आकार छोटा होता है। इसलिए SiF26 में steric repulsion SiCl26 की अपेक्षा कम होगा।

(b) Si-Cl की तुलना में Si-F बंध छोटा होता है इसलिए F के इलेक्ट्रॉन की निर्जन जोड़ी का interaction Si के साथ अधिक होता है।

प्रश्न 7.
नाइट्रोजन अणु के अत्यन्त कम क्रियाशील होने का कारण लिखें।
उत्तर:
नाइट्रोजन अणु के अत्यन्त परमाणुओं के बीच त्रिबंध (N = N) होता है। इसलिए N2 का बंध वियोजन ऊर्जा (Bond dissociation) अधिक होता है। अतः नाइट्रोजन बहुत कम क्रियाशील होता है।

प्रश्न 8.
हैलोजन की अपेक्षा इण्टरहैलोजन (Interhalogen) अधिक क्रियाशील होते हैं क्यों?
उत्तर:
इसका कारण है कि इण्टरहैलोजन AX में A-x बंध हैलोजन X2 के X-X बंध की अपेक्षा निर्बल होता है। क्योंकि असमान परमाणुओं के आर्बिटलों के बीच होने वाला अतिव्यापन समान परमाणुओं के आर्बिटलों के बीच होने वाले अतिव्यापन की तुलना में कम प्रभावी होता है।

प्रश्न 9.
H2SO4 की अपेक्षा परक्लोरिक अम्ल अधिक शक्तिशाली क्यों होता है ?
उत्तर:
परक्लोरिक अम्ल (HClO4) में क्लोरीन की ऑक्सीकरण संख्या +7 है जबकि H2SO4 में S की ऑक्सीकरण संख्या +6 है। अत: HClO4 का ClO3 भाग O-H बंध को H2SO4 की अपेक्षा अधिक सरलता से तोड़कर प्रोटॉन मुक्त करता है।

प्रश्न 10.
संक्रमण तत्त्वों के तीसरे और चौथे श्रेणी के तत्त्वों के गुणों में समानता क्यों पायी जाती है?
उत्तर:
तीसरे श्रेणी में लैंथानम के बाद लैंथानाइट संकुचन होता है जिसके फलस्वरूप तीसरे और चौथे श्रेणी के संगत तत्त्वों के आकार लगभग समान होते हैं। यही कारण है कि संक्रमण तत्त्वों के तीसरे और चौथे श्रेणी के तत्त्वों के गुणों में समानता पायी जाती है।

प्रश्न 11.
[Ti(H2O)6]3+ रंगीन होता है जबकि [Se(H2O)6]3+ रंगहीन होता है, क्यों?
उत्तर:
Ti3+ आयन में एक 3d इलेक्ट्रॉन होता है जो ऊर्जा का अवशोषण कर t2g से eg में जाता है इसलिए [Ti(H2O)6]3+ रंगीन होता है। Sc3+ आयन के d ऑर्बिटल में एक भी । इलेक्ट्रॉन नहीं होता है इसलिए यह रंगहीन होता है।

प्रश्न 12.
[CuCl4]2- का अस्तित्व है लेकिन [Cul4]2- का नहीं। क्यों ?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि Cl की तुलना में | का आकार बहुत बड़ा होता है, इसलिए कॉपर इस स्थिति में नहीं होता है कि वह चार बड़े । परमाणु को संभाल सके। अतः [Cul4]2- का अस्तित्व नहीं होता है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित जटिल यौगिकों का IUPAC नाम लिखें।
उत्तर:
(i) [Zn(OH)4]2- – tetrahydroxozincate (II)
(ii) Kg[PdCl4] – Potassium Tetrachloropalladate (II)
(iii) [PtCl2(NH3)2] – Diamminedichloroplatinum (II)
(iv) K2[Ni(CN)4] – Potassium tetracyanonickelate (II)
(v) [Co(ONO)(NH3)5]2+ – Pentaaminenitrito-O-cobalt (III)
(vi) [Co(NH3)6]2 (SO4)3 – Hexammine cobalt (III) Sulphate
(vii) K3[Cr(C2O4)3] – Potassium trioxalatochromate (III)
(viii) [Pt(NH3)6]Cl4 – Hexammine platinum (IV) chloride
(ix) [CuBr4]2+ – Tetrabromocuprate (II)
(x) [Co(NO2)(NH3)5]2+ – Pentaamminenitro-N-Cobalt (III)
(xi) [(CO(NH3)6]Cl3 – Hexammine Cobalt (III) Chloride
(xii) [Ti(H2O)Cl3 – Hexaaquatitamium (III) Chloride
(xiii) [Co(NH3)4 Cl(NO)2Cl] – Tetraammine chloronitro-N-Cobalt(III) Chloride
(xiv) [Mn(H2O)6]SO4 – Hexaaquamanganese (II) Sulphate
(xv) [NiCl4]2- – Tetrachloronickelate (II) ion
(xvi) [Ni(NH3)6]3+ – Hexaammine nickel (II) Chloride
(xvii) (Co(en)3]3+ – Tris (ethane-1, 2-diamine) Cobalt(III) ion
(xviii) [Ni(CO)4] – Tetracarbonylnickel (0)
(xix) K[Cr(H2O)2(C2O2) 3H2O – Potassium diaguadioxalatochromate (III) trihydrate
(xx) [CrCl3(Py)3] – Trichlorotripyridine Chromium(III)
(xxi) K4[Mn(CN)6] – Potassium hexacyanomanganate(II)
(xxii) K4[Fe(CN)6] – Potassium hexacyanoferrate (II)
(xxiii) K3[Fe(CN)6] – Potassium hexacyanoferrate (III)
(xxiv) [Co(NH3)5Cl]Cl2 – Pentaammine chlorido Cobalt(III) Chloride
(xxv) Kz[Fe(C2O7)3] – Potassium trioxalato ferrate(III)
(xxvi) [Pt(NH3)2Cl(CH3NH2)]Cl – Diammine chlorido (Methylamine platinum(II) chloride)।

प्रश्न 14.
0-एवं m-डाइक्लोरोबेंजीन की अपेक्षा p-डाइक्लोरोबेंजीन का द्रवणांक अधिक और विलेयता कम क्यों होती है?
उत्तर:
p-डाक्लोरोबेंजीन 0-एवं m-समावयवी से अधिक सममित है जिसके Crystal lattice में यह सघन रूप से व्यवस्थित होता है। अतः इसमें शेष दोनों समायवी की तुलना में अन्तर अणुक आकर्षण का बल अधिक होता है। पदार्थ के घुलने या पिघलने के समय Crystal lattice टूटता है। इसलिए p-समावयवी के घुलने या पिघलने के समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि p-समावयवी का द्रवणांक ० एवं m-समावयवी की अपेक्षा अधिक और विलेयता कम होती है।

प्रश्न 15.
निम्न यौगिकों के IUPAC नाम लिखें-
उत्तर:
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प्रश्न 16.
निम्न यौगिकों से 1-आयोडोब्यूटेन बनाने के लिए समीकरण लिखें-
(a) 1-ब्यूटेनॉल (b) 1-क्लोरो ब्यूटेन (c) ब्यूट-1-इन
उत्तर:
(a) 1-ब्यूटेनॉल से
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प्रश्न 17.
एल्कोहॉल और KI के बीच होने वाली प्रतिक्रिया में H2SO4 का उपयोग नहीं किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
एल्कोहॉल से एल्काइल बनाने में KI के साथ H2SO4 का उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि H2SO4, KI को HI में बदल देता है और फिर उसे आयोडीन में ऑक्सीकृत कर देता है।
(i) KI + H2SO4 → KHSO4 + HI
(ii) 2HI + H2SO4 → I2 + 2H2O + SO2

प्रश्न 18.
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजन व्युत्पन्न का संरचना सूत्र लिखें।
उत्तर:
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प्रश्न 19.
फ्रियोन-12, DDT, कार्बन टेट्राक्लोराइड एवं आयोडोफॉर्म के उपयोग लिखें।
उत्तर:
फ्यिोजन-12-इसका उपयोग निम्न कार्यों में किया जाता है-

  • रेफ्रिजेरेटर एवं एयर कंडीशनर में शीतकारक के रूप में
  • दाढ़ी बनाने के क्रीम बनाने में, कीटनाशक आदि में किया जाता है।

DDT- इसका उपयोग कीटनाशक के रूप में किया जाता है इसके उपयोग के कारण मलेरिया भारत में लगभग ख़त्म हो चुका है। लेकिन कुछ विकसित देशों में इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कार्बन टेट्रक्लोराइड- इसका उपयोग तेल, वसा, रेजीन आदि के लिए विलायक के रूप में किया जाता है। पायरीन के नाम से इसका उपयोग आग को रोकने में किया जाता है।

इसका उपयोग क्लोरोफॉर्म बनाने तथा औषधि के निर्माण में किया जाता है।
आयोडोफॉर्म- घाव के dressing में इसका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 20.
लगभग समान आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बन की अपेक्षा एल्कोहॉल जल में अधिक क्लेय होता है। व्याख्या करें।
उत्तर:
एल्कोहॉल जल के साथ हाइड्रोजन बंध बनाते हैं और जल के अणुओं के बीच बने हाइड्रोजन बंध को तोड़ देते हैं। इसलिए वे जल में विलेय होते हैं। हाइड्रोकार्बन ऐसा करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए वे जल में अविलेय होते हैं।
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प्रश्न 21.
उन सभी ईधरों के IUPAC नाम एव संरचना सूत्र लिखें जिनका अणुसूत्र C4H10O होता है।
उत्तर:
(i) CH3-O-CH2-CH3 मिथॉक्सी प्रोपेन
(ii) CH3 · CH2·O· CH2CH3 इथॉक्सीइथेन
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प्रश्न 22.
आप 2-पेण्टेनोन में कैसे विभेद करेंगे?
उत्तर:
2-पेण्टेनोन आयोडोफोर्म पीरक्षण देता है जबकि 3-पेण्टेनोन यह परीक्षण नहीं देता है।
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प्रश्न 23.
बिना अवकारक का उपयोग किये आप फाल्डिहाइड से मिथेनॉल कैसे बनायेंगे?
उत्तर:
कैनिजारो अभिक्रिया के द्वारा फार्मल्डिहाइड की अभिक्रिया सान्द्र (50%) NaOH विलयन के साथ कराने पर मिथेनॉल बनता है। NaOH अवकारक नहीं है।
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प्रश्न 24.
मिथेनोइक अम्ल के एक ऐसे गुण का उल्लेख समीकरण के साथ करें। जिसमें यह इथेनोइक अम्ल से भिन्नता दिखलाता है।
उत्तर:
मिथेनोइक अम्ल अवकारक के ऐसा व्यवहार करता है। यह अम्लीय पोटैशियम परमैग्नेट के गुलाबी रंग के विलयन को रंगहीन कर देता है जबकि इथेनोइक अम्ल ऐसा नहीं करता है।
5HCOOH + 2KMnO4 + 3H2SO4 → K2SO+ 2MnSO4 + 8H2O + 5CO2

प्रश्न 25.
प्रोपाइल एमीन का क्वथनांक ट्राइमिथाइल से अधिक होता है जबकि दोनों का द्रव्यमान बराबर है। कारण बतावें।
उत्तर:
n-प्रोपाइल एमीन (CH3CH2CH2NH2) में N-परमाणु पर दो हाइड्रोजन परमाणु हैं इसलिए इसमें intermolecular हाइड्रोजन बंध पाया जाता है जिसके कारण इसका क्वथनाक बढ़ जाता है। ट्राइमिथाइल एमीन (CH3)3N एक टर्शियरी एमीन है और इसमें N-परमाणु पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं है। अत: इसमें हाइड्रोजन बंध नहीं पाया जाता है। इसलिए इसका क्वथनांक 1प्रोपाइल एमीन से कम होता है।

प्रश्न 26.
निम्न अभिक्रियाओं में A, B और C की पहचान करें-
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उत्तर:
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प्रश्न 27.
ग्लायसीन zwitterion के रूप में रहता है जबकि O- एवं p-एमीनोबेंजोइक अम्ल नहीं। व्याख्या करें।
उत्तर:
o-एवं p- एमीनोबेंजोइक अम्ल में -NH2 पर उपस्थित इलेक्ट्रॉन की निर्जन जोड़ी बेंजीन वलय की ओर खिसकता है। इसके कारण – COOH का अम्लीय प्रकृति और -NH2 की भस्मीय प्रकृति में कमी होती है। इसलिए निर्बल अम्लीय मूलक -COOH, H+ आयन को निर्बल भस्मीय मूलक -NH2 को स्थानान्तरित नहीं कर पाता है। अतः 0-एवं p-एमीनो बेंजोइक अम्ल zwitterion के रूप में नहीं रहता है।

प्रश्न 28.
Nucleoside से आप क्या समझते हैं ? RNA के चार कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
Nucleoside में nucleic acid के केवल दो मूल अवयव- pentose sugar और nitrogeneous base होते हैं।
RNA के चार प्रमुख कार्य हैं-

  • RNA प्रोटीन के संश्लेषण को नियंत्रित करता है।
  • यह उत्प्रेरक के ऐसा कार्य करता है।
  • यह कभी-कभी RNA और DNA संश्लेषित करता है।
  • कुछ viruses में यह heriditary अवयव होता है।

प्रश्न 29.
प्रोटिन का denturation क्या है?
उत्तर:
प्रोटीन के घुलनशील रूप जैसे globular protein को जब गर्म किया जाता है या खनिज अम्ल, क्षार आदि के साथ अभिक्रिया करायी जाती है तो प्रोटीन का स्कन्द या अवक्षेपण होता है। यह प्रोटीन के जैविक सक्रियता को समाप्त कर देता है। इसे प्रोटीन का denaturation कहते हैं। उदाहरणार्थ, दूध को जब नींबू के रस के साथ गर्म किया जाता है तो पनीर बन जाता है।

प्रश्न 30.
बहुलक (Polymer) तथा एकलक (monomer) क्या है ?
उत्तर:
बहुलक (Poloymer) : अनेक छोटे-छोटे सरल अणुओं (समान या भिन्न) के नियमित तरीके से परस्पर संयुक्त होने से जो वृहत् अणु बनता है उसे बहुलक कहते हैं। जैसे पॉली इथिलीन, पॉली भिनाइल क्लोराइड, नाइलोन-66 इत्यादि।

एकलक (monomer) छोटे-छोटे सरल अणु जिनसे बहुलक का निर्माण होता है, एकलक कहलाता है। जैसे इथीन, भिनाइल क्लोराइड, इत्यादि एकलक के उदाहरण हैं।

प्रश्न 31.
प्राकृतिक एवं संश्लेषित बहुलक क्या हैं ? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दें।
उत्तर:
प्राकृतिक बहुलक (Naturalpolymer) : प्राकृतिक बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहत अणु हैं जो पेड़-पौधों एवं जानवरों में पाया जाता है। उदाहरणार्थ-रबर, प्रोटीन, nucleic acid इत्यादि। संश्लेषित बहुलक (synthetic polymer)

संश्लेषित बहुलक कृत्रिम रूप से बनाये गये उच्च द्रव्यमान वाले वृहत् अणु हैं। प्लास्टिक, संश्लेषित रबर इत्यादि संश्लेषित बहुलक की श्रेणी में आते हैं। उनके दो विशिष्ट उदाहरण हैं-डैकरॉन, पॉलीथीन, बेकेलाइट इत्यादि।

प्रश्न 32.
होमोपॉलीमर और कोपॉलीमर क्या हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
होमोपॉलीमर (Homopolymer) : जब एक ही मोनोमर के कई अणु मिलकर बहुलक का निर्माण करते हैं तो वैसे बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। उदाहरणार्थ, पॉलीथीन, पॉलीभिनाइल क्लोराइड, टेफ्लॉन इत्यादि।

कोपॉलीमर (Copolymer) : जब दो भिन्न मोनोमर के आपस में संयुक्त होने पर पॉलीमर बनता है तो वैसे पॉली को कोपॉलीमर कहते हैं। उदाहरणार्थ-ब्युना-s रबर, बेकेलाइट, नाइलॉन 6, 6 इत्यादि।

प्रश्न 33.
टेफ्लॉन, पॉलीभिनाइल क्लोराइड, बेकेलाइट के निर्माण में प्रयुक्त एकलक (monomer) का नाम लिखें।
उत्तर:
टेफ्लॉन : इसके निर्माण में टेट्राफ्लुओरोइथिलीन (tetrafluoroethyline) CF2 = CF2 मोनोमर का उपयोग होता है।
पॉलीभिनाइल क्लोराइड : इसके निर्माण में भिनाइल क्लोराइड CH2 = CHCl मोनोमर के रूप में प्रयुक्त होता है।
बेकेलाइट : बेकेलाइट के निर्माण में दो मोनोमर फिनॉल (C6H5OH) तथा फार्मल्डिहाइड (HCHO) का उपयोग होता है।

प्रश्न 34.
संरचना के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
संरचना के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है-

  • एक रैखिक बहुलक उदाहरणार्थ, पॉलीइथिलीन, पॉलीभिनाइल क्लोराइड इत्यादि।
  • शाखाश्रृंखला वाला बहुलक उदाहरणार्थ, पॉलिस्टाइरिन।
  • क्रॉस-लिंक्ड बहुलक उदाहरणार्थ, बेकेलाइट, मेलामाइन इत्यादि।

प्रश्न 35.
ब्युना-N, और ब्युना-S में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
ब्युना-N,1,3-ब्युटाडाइन एवं एक्राइलो नाइट्राइल का कोपॉलीमर है जबकि ब्युना-S1,3-ब्युटाडाइन और स्टाइरिन का कोपॉलीमर है।

प्रश्न 36.
नाइलॉन 66 और नाइलॉन 6 में क्रमश: 66 और 6 क्यों लिखा जाता है ?
उत्तर:
नायलॉन 6 एक ही प्रकार के मोनोमर कैपरोलैक्टम के संघनन बहुलीकरण के फलस्वरूप बनता है। कैपरोलैक्टम में 6 कार्बन परमाणु होते हैं, इसलिए नाइलॉन 6 में 6 का प्रयोग किया जाता है।

नाइलॉन 6, 6 दो भिन्न मोनोमर एडिपीक अम्ल और हेक्सामिथिलीन डाइएमीन के संघनन बहुलीकरण के कारण बनता है। दोनों मोनोमर में 6 कार्बन परमाणु होते हैं, इसलिए नाइलॉन 6, 6 में 6, 6 का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 37.
एक ऐसे पदार्थ का नाम लिखें जो antiseptic और disinfectant दोनों के ऐसा कार्य करें।
उत्तर:
फेनॉल। इसका 0.2 प्रतिशत जलीय विलयन antiseptic का कार्य करता है जबकि 1 प्रतिशत विलयन disinfectant का कार्य करता है।

प्रश्न 38.
साबुन की अपेक्षा संश्लेषित detergent बेहतर कैसे हैं ?
उत्तर:
साबुन का उपयोग जब खारा जल में किया जाता है तो यह दही के समान अवक्षेप बनाता है जो पपड़ी के रूप में अलग हो जाता है। अतः साबुन का उपयोग वस्तुओं को साफ करने में अक्षम हो जाता है। संश्लेषित detergent खारा जल में भी झाग उत्पन्न करता है और वस्तुओं को साफ करने में सक्षम होता है। अत: synthetic detergent बेहतर है।

प्रश्न 39.
Hypertension, मलेरिया एवं दर्द के इलाज में प्रयुक्त alkaloid का नाम लिखें।
उत्तर:
Hypertension के इलाज में Reserpine का प्रयोग किया जाता है। मलेरिया के इलाज में Quinine का उपयोग होता है। दर्द निवारक के रूप में morphine का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 40.
Antibiotic क्या है ? सबसे पहले खोजे गये antibiotic का नाम लिखें।
उत्तर:
Antibiotic वे रासायनिक पदार्थ हैं जो microorganism के metabolic Process में प्रवेश कर उन्हें मार देते हैं या उनके वृद्धि को रोक देते हैं। पेनिसिलिन, जो एक antibiotic है, की खोज सबसे पहले हुई।

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