Advertica

 Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1

Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
चित्र में किसी विद्युत क्षेत्र में समविभवी तल दिखलाया गया है V1 > V2 है। विद्युत क्षेत्र में विद्युत बल रेखाओं के वितरण को दिखलायें तथा इनकी दिशा को दर्शायें। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता किस क्षेत्र में अधिक है निर्धारित करें।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 1
उत्तर:
हम जानते हैं कि विद्युत बल रेखायें समविभवी तल के लम्बवत् होते हैं। चित्र में इन बल रेखाओं के बिन्दीदार रेखाओं से दिखलाया गया है। इन की दिशा ऊँच-विभव से निम्न विभव की ओर होती है।
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता बायीं ओर यानि जिधर समविभवी तल अधिक संघनित है, अधिक होगी।

प्रश्न 2.
विभवमापी की सुग्राहिता से आप क्या समझते हैं ? तथा इसकी सुग्राहिता आप कैसे बढ़ा सकते हैं ?
उत्तर:
विभवमापी की सुग्राहिता का अर्थ है कि इस उपकरण से कम-से-कम कितना विभवान्तर की माप की जा सकती है। विभवमापी की सुग्राहिता विभव प्रवणता (potential gradient) का मान घटाकर बढ़ायी जा सकती है। इसे प्राप्त करने के लिए-

  • विभवमापी तार की लम्बाई बढ़ाई जा सकती है।
  • नियत लम्बाई वाले विभवमापी में धारा का मान बढ़ाकर (रिहॉस्टेंट की सहायता से) भी इसकी सुग्राहिता बढ़ायी जा सकती है।

प्रश्न 3.
धातु के एक गोले A (त्रिज्या a) को V विभव तक आवेशित किया जाता है। अगर इस गोले A को एक गोलीय खोल B भीतर रखकर एक तार द्वारा जोड़ दिया . जाय तो गोला B का विभव क्या होगा?
उत्तर:
अगर गोला A को ‘q’ आवेश दिया जाय तो इसका विभव
V = q4πϵ0a
∴ q= (4π∈0a)V
जब गोला A को गोले B के भीतर रखा जाता है और इन्हें तार से जोड़ दिया जाता है तो कुल आवेश गोला B के बाह्य पृष्ठ पर चला जाता है अत: B का विभव
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 2
VB = q4π0b = (4π0a)V4π0b = ab V
चूँकि गोला A, गोलीय खोल B के भीतर है अतः गोला A का विभव
= VA = VBab V
∴ a < b है
अतः VA < V
यदि गोला A का विभव पहले के विभव V से कम हो जायेगा।

प्रश्न 4.
कुलाम्ब के नियमों की सीमा बतायें।
उत्तर:
विद्युत स्थैतिक में कुलाम्ब के नियमों की सीमायें-

  1. यह नियम बिन्दु आवेशों के लिए ही लागु होता है।
  2. यह नियम सिर्फ स्थिर आवेशों के लिए लागु होता है।
  3. यह नियम नाभकीय कणों (Protons in nucleus) के नाभीक में स्थाइत्व (Stability) की व्याख्या नहीं कर पाता है।
  4. कुलाम्ब नियम 10-14m से कम तथा कुछ किलोमीटर से अधिक दूरियों के लिए मान्य नहीं होता है।

प्रश्न 5.
किसी माध्यम के परावैद्युतता से आप क्या समझते हैं? इसके मात्रक एवं विमा को लिखें।
उत्तर:
माध्यम की परावैद्युतता- यह किसी अचालक माध्यम की विद्युतीय अभिलक्षण होता है कि वह किस हदतक विद्युत गुण को संचरित कर सकता है। इसे प्रायःसे सूचित किया जाता है इसका S.I. मात्रक C2/Nm2 तथा विमा M-1L-3T4A2 होता है।

प्रश्न 6.
समान परिमाण के दो बिन्दु आवेश जब नजदिक रखे जाते हैं तो उनके लिए विद्युत बल रेखाओं को खींच कर दिखायें।
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 3

प्रश्न 7.
एक समान विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:
विद्युत द्विध्रुव की स्थिति ऊर्जा-
विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को घुमाने में विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है जो उसमें स्थिति ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
W = ΔU = Uf – Ui … (1)
जहाँ Ui तथा Uf क्रमशः प्रारंभिक (θ = θ1) तथा अन्तिम अवस्था (θ = θ2) में ऊर्जा है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 4
अतः विद्युत द्विध्रुव ऊर्जा के लिए हम लिख सकते हैं
U = – pEcosθ = –p⃗ E⃗ 

प्रश्न 8.
डाइइलेक्ट्रिक भंजन तथा डाइइलेक्ट्रिक साम्थर्य से आप समझते हैं?
उत्तर:
डाइइलेक्ट्रिक भंजन (Dielectric break down)-जब डाइइलेक्ट्रिक पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो यह ध्रुवित होने लगता है तथा ध्रुवण का आरोपित विद्युत क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता है। अगर विद्युत क्षेत्र का मान एक सीमा से अधिक हो जाता है तो इलेक्ट्रॉन अणु परमाणु से अलग होने लगते हैं और यह मुक्त इलेक्ट्रॉन दूसरे अणु परमाणु से टकराकर और इलेक्ट्रॉन को मुक्त कर देते हैं परिणामतः अधिक और अधिक इलेक्ट्रॉन चालन के लिए उपलब्ध हो जाते हैं और यह चालक के जैसा व्यवहार करने लगता है। इस स्थिति को डाइइलेक्ट्रिक भंजन कहा जाता है।

डाइइलेक्ट्रिक सार्थय (Dilelectric strighth)-डाइइलेक्ट्रिक पर आरोपित विद्युत क्षेत्र का वह अधिकतम मान जिस पर वह बिना जले यानि भंजन अवस्था में बिना पहुंचे रह सकता है, डाइइलेक्ट्रिक साम्थर्य कहलाता है। इसके बाद विद्युत विर्सजन (Spark) होने लगता है। शुष्क हवा के लिए सामान्य दाब पर डाइइलेक्ट्रिक सार्थय लगभग 3 × 10Vm-1 होता है।

प्रश्न 9.
परावैद्युत सामर्थ्य एवं आपेक्षिक परावैधुतांक को परिभाषित करें।
उत्तर:
परावैद्युत सामर्थ्य : किसी परावैद्युत पदार्थ का परावैद्युत सामर्थ्य (या शक्ति) विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का वह अधिकतम मान होता है जिसे वह पदार्थ बिना मंजन हुये सहन कर सकता है। सामान्य दाव पर शुष्क हवा के लिए परावैद्युत सामर्थ्य लगभग 3 × 106Vm-1 होता है।

आपेक्षिक परावैद्युतांक : किसी परावैद्युत माध्यम का आपेक्षिक परावैद्युतांक निवात के सापेक्ष उस माध्यम का परावैद्युतता होता ∈r है। इसे, या k से सूचित किया जाता है।
अतः किसी परावैद्युत या माध्यम का आपेक्षिक परावैद्युतांक
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 5
यानि ∈r = ϵϵ0 : इसका कोई मात्रक या विमा नहीं होता है। हवा या निर्वात के लिए ∈r =1 लिया जाता है।

प्रश्न 10.
चोक कुण्डली क्या है?
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 6
चोक कुण्डली : यह एक उच्च प्रेरकत्व की एक कुण्डली होती है जो नर्म लोहे के क्रोड के उपर विद्युत रोधी रूप में लिपटी रहती है। यह प्रत्यावर्ती परिपथ में विना विद्युत ऊर्जा क्षय के विभावान्तर का मान बढ़ा होता है। अतः इसका उपयोग विभावान्तर बढ़ाने लिए ए-सी प्रतिरोध की अपेक्षा अधिक कारगर होता है। इस कुण्डली की
प्रतिबाधा
z = R2+ω2L2होती है। उच्च आवृत्ति के स्रोत रहने पर L का मान कम रहने पर भी wL का मान अधिक होता है अतः इस स्थिति में लौह क्रोड के स्थान पर वायु क्रोड का ही उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
ट्रांसफॉर्मर के क्रोड़ परतदार क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
ट्रांसफॉर्मर के कुण्डली से जब प्रत्यवर्ती धारा प्रवाहित होता है तो फ्लक्स में परिवर्तन के कारण लौह क्रोड में भंवर धारा उत्पन्न होती है और विद्युत ऊर्जा का ह्रास लौह क्रोड को गर्म करने में हो जाती है जिसे लौह क्षय भी कहा जाता है। इस हानी को रोकने के लिए लौह क्रोड को विद्युत रोधी परतदार पट्टियों के रूप में बना देने पर भंवर धारा नहीं बन पाती है और विद्युत ऊर्जा का ह्रास कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
लेंज के नियम क्या है?
उत्तर:
लेंज का नियम : विद्युत चुम्बकीय प्रेरण में प्रेरित वि०वा० बल या धारा की दिशा लेंज-नियम से प्राप्त होती है। इस नियम के अनुसार-“विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण सभी स्थितियों में परिपथ में प्रेरित धारा या वि०वा०बल की दिशा इस प्रकार की होती है कि वह अपने उत्पन्न कर्ता का विरोध करता है जिसके कारण वह उत्पन्न होता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 7
उदाहरण के लिए जब किसी कुण्डली के नजदिक बाध्य चुम्बक का N-ध्रुव लाया जाता है तो । कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि समुख सतह पर N-ध्रुव की उत्पत्ति हो तो आते हुये चुम्बक का N-ध्रुव का विरोध हो। अर्थात् कुण्डली से सम्बन्ध फ्लक्स में वृद्धि होने पर प्रेरित धारा की दिशा ऐसी होती है कि इसके कारण : फ्लक्स में कमी हो।
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुरूप होता है तथा इससे प्रेरण में विद्युत स्रोत की जानकारी भी मिलती है।

प्रश्न 13.
आवेश का रैखिक घनत्व से क्या समझते हैं। इसका मात्रक लिखें।
उत्तर:
किसी चालक के प्रति एकांक लम्बाई के आवेश के परिमाप को आवेश का रैखिक द्वारा व्यक्त किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 8
∴ λ = ql
इसका मात्रक C-m-1 होता है।

प्रश्न 14.
आवेश का पृष्ठ (तलीय) घनत्व से क्या समझते हैं।
उत्तर:
किसी चालक के प्रतिएकांक क्षेत्रफल के आवेश के परिमाप को आवेश का तलीय घनत्व कहा जाता है। इसे σ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
पष्ठ घनत्व
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 9
∴ σ = qA
इसका मात्रक C-m-2होता है।

प्रश्न 15.
विद्युत फ्लस्क क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र के क्षेत्रफल सदिश एवं तीव्रता के अदिश गुणनफल को विद्युत फ्लक्स कहा जाता है। इसे Φ द्वारा सूचित किया जाता है।
∴ Φ= Eds cosθ
जहाँ E= तीव्रता
ds = क्षेत्रफल इसका मात्रक
V – m होता है।

प्रश्न 16.
गतिशीलता से क्या समझते हैं?
उत्तर:
एकांक परिमाण के विद्युत क्षेत्र से उत्पन्न संवहन (अनुगमन) वेग को गतिशीलता कहा जाता है। इसे प्रायःμ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 10
∴ μ = VdE

प्रश्न 17.
कार्बन प्रतिरोध के कलर कोड का क्या तात्पर्य है।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक के छोटे-छोटे उपकरणों का प्रतिरोध व्यक्त करने के लिए रंगीन संकतों या कलर कोड का उपयोग किया जाता है। प्रतिरोध व्यक्त करने की इसी विधि को कार्बन प्रतिरोध का कलर कोड कहा जाता है। इसमें कुछ दस रंगों का प्रयोग होता है जिसका क्रमांक 0, 1, 2, ……9 तक होता है। इस विधि में पहली एवं दूसरी रंगीन पट्टिका सार्थक अंक को, तीसरी पट्टिका दाशमिक गुणक को तथा चौथी पट्टिका सहन शक्ति को व्यक्त करता है। इस विधि में प्रयुक्त रंगों का क्रमानुसार नाम निम्न है। काला, ‘भूरा, लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, बैंगनी, धूसर एवं सफेद।

प्रश्न 18.
ऐम्पियर को परिभाषित करें।
उत्तर:
दो समांतर धारावाही तारों के बीच क्रियाशील बल
F= μ02πI1I2lr
यदि I1 = I2, = 1A
r= 1m
l=1m
∴ F = μ02π=4π×1072π = 2 ×10-7 N

प्रश्न 19.
अपवाह वेग या अनुगमन वेग से क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र के प्रभाव से उत्पन्न दिष्ट प्रवाह की दिशा में आवेश का औसत वेग ही उसका अपवाह वेग या अनुगमन वेग कहलाता है।
माना कि किसी चालक की लम्बाई । एवं अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है।
चालक का आयतन = Al
यदि चालक के एकांक आयतन में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या n हो तो पूरे चालक में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nAL
अतः चालक का आवेश q= nAle
∵ I = qt
 nAle t
or,
I = nAV de
∴ Vd = I Ane 

प्रश्न 20.
प्रतिघात एवं प्रतिबाधा से क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी कुंडली के स्वप्रेरकत्व एवं संघारित के धारिता द्वारा आरोपित परिपथ में धारा के प्रवाह में आरोपित प्रभावी अवरोध को प्रतिघात कहा जाता है। प्रेरण कुण्डली में प्रतिघात Lw
‘एवं संधारिता में 1cw होता है।
LCR परिपथ द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में लगाया गया कुछ प्रभावी अवरोध को प्रतिबाधा कहा जाता है। इसे z द्वारा सूचित किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 11
अतः एक ऐम्पियर प्रबलता की विद्युत धारा वह स्थाई धारा है जो हवा या निर्वात में एक दूसरे से एक मीटर की दूरी पर स्थित दो लंबे, सीधे एवं समांतर चालकों से प्रवाहित होने पर उनके बीच 2 × 10-7N-m-1 का बल उत्पन्न कर देती है।

प्रश्न 21.
स्वप्रेरण एवं स्वप्रेरकत्व क्या है? समझावें।
उत्तर:
किसी कुंडली से प्रवाहित धारा को परिवर्तित करने पर स्वयं उसी कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहब बल एवं प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होने की घटना को स्वप्रेरण कहा जाता है। किसी कुंडली का स्वप्रेरकत्व प्रेरित विद्युत वाहक बल के संख्यात्मक मान के बराबर होता द्वारा सूचित किया जाता है। इसका मात्रक henry (H) होता है।

प्रश्न 22.
धारा घनत्व को परिभाषित करें।
उत्तर:
धारा घनत्व के एकांक अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल से प्रवाहित धारा के परिमाण को धारा घनत्व कहा जाता है। इसे प्रायः J द्वारा सूचित किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 12
J = IA
इसका मात्रक A/m2 होता है।

प्रश्न 23.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ से क्या प्रते हैं?
उत्तर:
वैसे पदार्थ जिनका कुल चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता हो प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र से कम शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र की ओर गतिशील होते हैं। इनकी चुम्बकीय प्रवृति एकांक से कम एवं ऋणात्मक होती है।
Ex. विस्मथ, चाँदी, तांबा, जस्ता, सीसा, सोना इत्यादि।

प्रश्न 24.
अनुचुम्बकीय पदार्थ से क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैसे पदार्थ जिनका कुल चुम्बकीय आघूर्ण शून्य नहीं होता है अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ निम्न चुम्बकीय क्षेत्र से उच्च चुम्बकीय क्षेत्र की ओर, गमन करते हैं। इनकी चुम्बकीय प्रवृत्ति एकांक से कम एवं धनात्मक होता है
Ex. प्लैटिनम, मैंगनीज, ऑक्सीजन, ऑसनियम इत्यादि।

प्रश्न 25.
स्थायी चुम्बक किस चीज का बना होता है। इसके गुणों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्थायी चुम्बक प्रायः इस्पात का बना होता है। स्थायी चुम्बक के निम्न गुण है।

  1. उच्च चुम्बक धाराणशीलता
  2. यांत्रिक परिवर्तन सहन करने की क्षमता
  3. उच्च निग्राहिता
  4. अल्प शैथिल्य हानि।

प्रश्न 26.
लॉरेंज बल क्या है।
उत्तर:
माना कि l लम्बाई के चालक से q आवेश V वेग से प्रवाहित होता है। यदि चालक चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित हो तो लॉरेन्ज के अनुसार क्रियाशील बल F= q(V⃗ ×B⃗ )
or, F=qνB sinθ ∴ θ = 90°
∴ F=qνB ∵ q= It
F = ItνB
∴ F= IlB [∵ ν = lt]

प्रश्न 27.
पोलैरॉइड क्या हैं? इसका उपयोग लिखें।
उत्तर:
ऐसी व्यवस्था जिसमें चयनात्मक शोषण द्वारा समतल-ध्रुवित प्रकाश देता है। पोलेरॉइड कहा जाता है।
इसका उपयोग निम्न है-

  1. रेलगाड़ियों तथा हवाई जहाज के खिड़कियों पर तीव्र प्रकाश को नियंत्रित करने में
  2. चश्में की शीशे में
  3. मोटरकार के अग्रदीपों पर तथा वायु पट पर।

प्रश्न 28.
पारित्र (Capacitance) की धारिता से क्या समझते हैं?
उत्तर:
मान लिया कि संधारित्र के संग्राहक प्लेट पर Q आवेश देने से उसके प्लेटों के बीच विभवान्तर ν हो जाता है।
∴ Q ∝ ν =c ν
जहाँ c एक स्थिर राशि है। इसे संधारित्र की धारिता (capacity of capacitance) कहते हैं। यदि V= 1 हो तो Q = c
अतः संधारित्र के प्लेटों के बीच इकाई विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए दिये गये आवेश को “संधारित्र की धारिता” कहते हैं।

यह धारिता निम्न बातों पर निर्भर करती है-

  1. प्लेटों के सतहों के समानुपाती
  2. प्लेटों के बीच के माध्यम की विद्युतशीलता के समानुपाती
  3. प्लेटों के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती (invessely prop) होता है।
Previous Post Next Post