Advertica

 Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 2

Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 2

प्रश्न 1.
विदेश नीति के चार अनिवार्य कारक बताइए।
उत्तर:
किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति निश्चित करने के लिए निम्नलिखित चार कारक अनिवार्य माने जाते हैं-

  1. राष्ट्रीय हित
  2. राज्य की राजनीतिक स्थिति
  3. पड़ोसी देशों से संबंध
  4. अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक वातावरण।

प्रश्न 2.
विदेश नीति के लक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विदेश नीति के मुख्यतः दो लक्ष्य होते हैं-

  1. राष्ट्रीय हित (National interests)- राष्ट्रीय हितों में आर्थिक क्षेत्र में राष्ट्रीय विकास, राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्थिरता या स्वामित्व, रक्षा क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा आदि का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
  2. विश्व समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण (Attitudes towards international problems)- इनमें प्रमुख रूप से विश्वशांति, राज्यों का सहअस्तित्व, राज्यों का आर्थिक विकास, मानव अश्किार आदि शामिल है।

प्रश्न 3.
1960 के दशक में किस संकट को ‘क्यूबा मिसाइल संकट’ के रूप में जाना गया ?
उत्तर:
क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा परमाणु हथियार तैनात करने की भनक अमरीकियों को तीन हफ्ते बाद लगी। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी और उनके सलाहकार ऐसा कुछ भी करने से हिचकिचा रहे थे जिससे दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध शुरू हो जाए। लेकिन वे इस बात को लेकर दृढ़ थे कि खुश्चेव क्यूबा से मिसाइलों और परमाणु हथियारों को हटा लें। कैनेडी ने आदेश दिया कि अमेरिकी जंगी बेड़ों को आगे करके क्यूबा की तरफ जाने वाले सोवियत जहाजों को रोका जाए।

प्रश्न 4.
जवाहरलाल नेहरू कौन थे ? विश्व नेता के रूप में उनकी भूमिका संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
जवाहरलाल नेहरू (1889-1964) भारत के पहले प्रधानमंत्री (1947-64) थे। वे विश्व में शांति के महान दूत के रूप में विख्यात हैं। उन्होंने अफ्रीकी एशियाई एकता, अनौपनिवेशीकरण और निरस्त्रीकरण के प्रयास किए और विश्व-शांति के लिए शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की वकालत की।

प्रश्न 5.
जोसेफ ब्रॉज टीटो कौन थे ? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
जोसेफ ब्रॉज टीटो (1892-1980) यूगोस्लाविया के शासक (1940-80) रहे। वह दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी के खिलाफ लड़े थे। उन्होंने साम्यवादी, सोवियत संघ से दूरी बनाए रखी तथा यूगोस्लाविया में एकता कायम की वह गूट निरपेक्षता आंदोलन के समर्थक थे।

प्रश्न 6.
भारत को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए कारण बतावें।
उत्तर:
जब 1945 में संयुक्त राष्ट्रसंघ बना था, उसमें 51 सदस्य थे अब उसकी संख्या 1992 हो गई। अतः सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए। 1945 में उसमें 11 सदस्य थे, 1965 में यह संख्या 15 हो गई। अब संख्या बढ़नी चाहिए जिसमें जर्मनी, जापान, ब्राजील व भारत जैसे राज्यों को स्थायी स्थान मिलना चाहिए।

भारत के दावे के पक्ष में तीन बिन्दु प्रस्तुत किए जा सकते हैं-

  1. भारत विश्व का विशालतम लोकतंत्र है।
  2. भारत विश्व का सबसे बड़ा विकासशील देश है।
  3. भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन का अगुआ रहा है।

प्रश्न 7.
महाराष्ट्र में दलित पैंथर्स की स्थापना कैसे हुई ?
उत्तर:
हमारे समाज में दलित समुदाय ने लम्बे समय तक क्रुरतापूर्ण जातिगत अन्याय भुगता है। 1970 के दशक में शिक्षित दलितों की पहली पीढ़ी ने अनेक मंचों से अपने हक की आवाज उठायी। दलित हितों के दावेदारी के इसी क्रम में महाराष्ट्र में 1972 में दलित युवाओं का एक संगठन दलित पैंथर्स की स्थापना हुई। आजादी के बाद के सालों में दलित समुदाय वाले मुख्यतः जाति आधारित असमानता और आर्थिक असमानता के खिलाफ लग रहे थे।

प्रश्न 8.
‘क्योटो प्रोटोकॉल’ क्या है ?
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौता है। इसके अन्तर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रोफ्लोरो कार्बन जैसी कुछ गैसों के बारे में माना जाता है कि वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 9.
काँग्रेस सिंडिकेट का अर्थ बतलावें।
उत्तर:
यह काँग्रेस के पुराने व वरिष्ठ नेताओं का गुट था जिसने इंदिरा गाँधी को सत्ता से वंचित करन हेतु उन्हें दल की प्राथमिक सदस्यता से वंचित कर दिया।

प्रश्न 10.
दलाई लामा का भारत में शरण लेने का कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
1950 में चीन ने तिब्बत पर नियंत्रण कर लिया। तिब्बत के ज्यादातर लोगों ने चीनी कब्जे का विरोध किया। चीन ने भारत को आश्वासन दिया था कि तिब्बत को चीन के अन्य इलाके से कहीं ज्यादा स्वायत्तता दी जाएगी। किंतु ऐसा नहीं हुआ। तिब्बतियों को बहुत सारी यातनाओं को झेलना पड़ा। 1958 में चीनी आधिपत्य के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह हुआ। इस विद्रोह को चीनी सेनाओं ने दबा दिया। स्थिति बिगड़ते देखकर तिब्बत के पारंपरिक नेता दलाई लामा ने सीमा पारकर भारत में प्रवेश किया और 1959 में भारत से शरण माँगी। भारत ने दलाई लामा को शरण दे दी।

प्रश्न 11.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई ? इसकी स्थापना के प्रमुख उद्देश्य क्या थे ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना युद्धों को रोकने, आपसी शांति और प्रेम स्थापित करने तथा जन-कल्याण के कार्य करने के लिए की गई है। आजकल संसार के छोटे-बड़े लगभग 185 देश इसके सदस्य हैं। इस संस्था की विधिवत् स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई० को हुई थी। इस संस्था का मुख्य कार्यालय न्यूयार्क (New york) अमेरिका में है।

उद्देश्य (Aims)-

  1. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाये रखना।
  2. भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ाना।
  3. आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय ढंग की अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करना।
  4. ऊपर दिये गये हितों की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न राष्ट्रों की कार्यवाही में तालमेल करना।

प्रश्न 12.
नामदेव ढसाल कौन था ? उनके दलित पैंथर्स समर्थक (पक्षधर ) विचारों का उनकी एक मराठी कविता के आधार पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
नामदेव ढसाल मराठी के प्रसिद्ध कवि थे। उन्होंने अनेक रचनाएँ लिखी जिनमें से कुछ बहुत प्रसिद्ध (गोलपीठ) अंधेरे में पदयात्रा और सूरजमुखी अशीशो वाला फकीर थी।

विचार (Thoughts)-

  • नामदेव दलितों के प्रति सच्ची हमदर्दी रखते थे। वे यह मानते थे कि वह सदियों तक दूषित सामाजिक अथवा जाति प्रथा के कारण कष्ट उठाते रहे हैं।
  • वे यह मानते थे कि अब अन्याय रूपी सामाजिक व्यवस्था के अंधकार का अंत और सामाजिक समानता और न्यायरूपी सूरज के उदय होने का समय आ गया है।
  • नामदेव यह मानते थे कि दलित पैंथर्स लोग अपने हक और न्याय के लिए खुदं खड़े होंगे और समाज को बदलेंगे। वे प्रगति करके आकश को छू लेंगे। वह सूरजमुखी की भाँति प्रगति, न्याय और समानता की ओर अपना रुख करेंगे।

प्रश्न 13.
महिला राष्ट्रीय आयोग का गठन कब हुआ? इसके अधीन कौन-कौन से उपायों को सम्मिलित किया जिनके द्वारा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हो।
उत्तर:
महिलाओं के अधिकार और कानूनी अधिकारों की सुरक्षा के लिए 1990 ई० में संसद ने महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना के लिए कानून बनाया जो 31 जनवरी 1992 ई० को अस्तित्व में आया। इसके अन्तर्गत कानून की समीक्षा, अत्याचारों की विशिष्ट व्यक्तियों शिकायतों में हस्तक्षेप और जहाँ कहीं भी उपयुक्त और संभव हो महिलाओं के हितों की रक्षा के उपाय सम्मिलित हैं।

प्रश्न 14.
शिक्षा और रोजगार में पुरुषों और महिलाओं की स्थिति का अंतर बताइए।
उत्तर:
पुरुषों और महिलाओं की स्थिति में शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अंतर है। स्त्री साक्षरता 2001 में 54.16 प्रतिशत थी जबकि पुरुषों की साक्षरता 75.85 प्रतिशत थी। शिक्षा के अभाव के कारण रोजगार, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की सफलता सीमित है।

प्रश्न 15.
बीसवीं सदी के कौन-से दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जा सकता है ? इसके कुछ मुख्य राजनीतिक प्रभाव दृष्टिगोचर हैं ? केवल उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1980 ई० के दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में भी देखा जा सकता है। इस दौर में देश के कई हिस्सों में स्वायत्तता की माँग उठी और इसने संवैधानिक हदों को भी पार किया। इन आंदोलनों में शामिल लोगों ने अपनी माँग के पक्ष में हथियार उठाए, सरकार ने उनको दबाने के लिए जवाबी कार्रवाई की और इस क्रम में राजनीतिक तथा चुनावी प्रक्रिया अवरुद्ध हुई।

प्रश्न 16.
‘क्षेत्रवाद एवं राष्ट्रीय सरकार’ विषय पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
1. क्षेत्रवाद ने राष्ट्र के लिए चिंता उत्पन्न की। राष्ट्रीय सरकार को कई बार हथियार उठाकर उन्हें कुचलने का प्रयास करने पड़े।

2. यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि स्वाययत्ता की माँग को लेकर चले अधिकतर संघर्ष लंबे समय तक जारी रहे और इन संघर्षों पर विराम लगाने के लिए केंद्र सरकार को सुलह की बातचीत का रास्ता अख्तियार करना पड़ा अथवा स्वायत्तता के आंदोलन की अगुवाई कर रहे समूहों से समझौते करने पड़े।

3. क्षेत्रवाद के समर्थक गुटों/नेताओं आदि एवं देश की सरकार के मध्य हुई बातचीत की एक लंबी प्रक्रिया के बाद दोनों पक्षों के बीच समझौता हो सका। बातचीत का लक्ष्य यह रखा गया कि विवाद के मुद्दों को संविधान के दायरे में रहकर निपटा लिया जाए। बहरहाल, समझौते तक पहुँचने की यह यात्रा बड़ी दुर्गम रही और इसमें जब-तब हिंसा के स्वर उभरे।

प्रश्न 17.
1991 में ‘नई विश्व व्यवस्था’ की शुरुआत कैसे हुई ?
उत्तर:
नई विश्व व्यवस्था की शुरुआत (Beginning of New World Order)-
1. सोवियत संघ के अचानक विघटन से हर कोई आश्चर्यचकित रह गया। दो महाशक्तियों (अमेरिका तथा सोवियत संघ) में अब एक का वजूद तक न था जबकि दूसरा अपनी पूरी ताकत या कहें कि बढ़ी हुई ताकत के साथ कायम था। इस तरह जान पड़ता है कि अमेरिका के वर्चस्व (Hegemony) की शुरुआत 1991 में हुई जब तक ताकत के रूप में सोवियत संघ अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य से गायब हो गया। एक सीमा तक यह बात सही है लेकिन हमें इसके साथ-साथ दो और बातों का ध्यान रखना होगा।

2. पहली बात यह है कि अमेरकी वर्चस्व के कुछ पहलुओं का इतिहास 1991 तक सीमित नहीं है बल्कि इससे कहीं पीछे दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के समय 1945 तक जाता है।

3. दूसरी बात, अमेरिका ने 1991 से ही वर्चस्वकारी ताकत की तरह बर्ताव करना शुरू नहीं किया। दरअसल यह बात ही बहुत बाद में जाकर साफ हुई कि दुनिया वर्चस्व के दौर में जी रही है।

प्रश्न 18.
इराक पर अमेरिकी आक्रमण के दो वास्तविक उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
(i) इराक के तेल भंडार पर अमेरिकी नियंत्रण बनाना। अमेरिका एक विकसित देश है यद्यपि उसके पास विश्व में लगभग तेल के 40 प्रतिशत संसाधन मौजूद हैं लेकिन यह तेल उत्पादक देशों को नियंत्रण में रखना चाहता है ताकि उसकी यातायात, सैन्य और अन्य संबंधित तेल आवश्यकताओं के साधन कभी भी किसी संकट का सामना न करे।

(ii) अमेरिका चाहता है कि इराक में उसकी मनपसंद सरकार कायम रहे ताकि कुवैत सहित अन्य खाड़ी और तेल उत्पादक देश उनके मित्र और सहयोगी बने रहे। अमेरिका अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए इराक सहित सभी देशों में अपनी मनपसंद सरकार कामय रखना चाहता है।

प्रश्न 19.
वर्चस्व का अर्थ क्या होता है ? समझाइए।
उत्तर:
वर्चस्व (Hegemony)- यह राजनीति की एक ऐसी कहानी है जो शक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है। किसी भी आम आदमी की तरह हर समूह भी ताकत पाना और कायम रखना चाहता है। हम रोजाना बात करते हैं कि फलाँ आदमी ताकतवर होता जा रहा है या ताकतवर बनने पर तुला हुआ है। विश्व राजनीति में भी विभिन्न देश या देशों के समूह ताकत पाने और कायम रखने की लगातार कोशिश करते हैं। यह ताकत सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक-शक्ति, राजनीतिक रुतबे और सांस्कृतिक बढ़त के रूप में होती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र हो तो इसे ‘वर्चस्व’ (Hegemony) शब्द के इस्तेमाल से वर्णित करना ज्यादा उचित होगा।

प्रश्न 20.
एकधुवीय व्यवस्था का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
शीतयुद्ध के समय (1945-91) दो अलग-अलग गुटों में शामिल देशों के बीच शक्ति का बँटवारा था शीतयुद्ध के समय सं. रा. अमेरिका और सोवियत संघ इन दो अलग-अलग शक्ति-केद्रों के अगुआ थे। सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया में एकमात्र महाशक्ति अमेरिका बचा। जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था किसी एक महाशक्ति या कहें कि उद्धत महाशक्ति के दबदबे में हो तो बहुधा इसे ‘एकध्रुवीय’ व्यवस्था भी कहा जाता है। भौतिकी के शब्द ‘ध्रुव’ का यह एक तरह से भ्रामक प्रयोग है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र हो तो इसे ‘वर्चस्व’ (Hegemony) शब्द के इस्तेमाल से वर्णित करना ज्यादा उचित होगा।

प्रश्न 21.
यूरोपीय संघ और आसियान के दो सामान्य उपयोगी निर्णयों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ और आसियान, दोनों ने ही अपने-अपने इलाके में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान ढूँढा।
  • साथ ही इन्होंने अपने-अपने इलाकों में अधिक शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित करने की तथा इस क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को समूह बनाने का दिशा में काम किया है।

प्रश्न 22.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरापीय आर्थिक संघ (EEC)- यूरोपीय आर्थिक संघ शीत युद्ध के दौरान हुए सभी समुदायों में सबसे अधिक प्रभावशाली समुदाय था। इसे यूरोपीय सामान्य बाजार भी कहा जाता था। इसमें फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम तथा लक्जमबर्ग शामिल थे। इस संगठन का निर्माण यूरोपीय कोयला और स्टील समुदाय की प्रेरणा से हुआ। इस समुदाय में पहले पाँच वर्षों (1951-56) में इस्पात के उत्पादन में 50 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। यूरोपियन आर्थिक संघ.के संस्थापक सदस्यों ने आपस में सभी प्रकार के सीमा कर तथा कोटा प्रणाली समाप्त करके मुक्त व्यापार अथवा खुली स्पर्धा का मार्ग प्रशस्त किया। 1961 ई० तक यूरोपियन आर्थिक संघ एक सफल संगठन बन गया। इसकी सफलता को देखते हुए 1973 ई० में ब्रिटेन भी इसमें शामिल हो गया।

प्रश्न 23.
आप कैसे कह सकते हैं कि आजाद हिन्दुस्तान के शुरुआती कुछ साल चुनौतियों से भरे हुए थे ?
उत्तर:
भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था। आजाद हिन्दुस्तान के शुरुआती कुछ साल चुनौतियों से भरे थे।

  • सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय एकता और अखंडता की थी। देश रियासतों का भारत संघ में शामिल करने का मसला तुरंत हल करना जरूरी था।
  • आजादी मिलने के साथ-साथ देश का विभाजन भी हुआ। इस बँटवारे के कारण बड़े पैमाने पर हिंसा हुई : लोग विस्थापित हुए। उन्हें पुन: बसाना एक बड़ी चुनौती थी।
  • देश विभाजन, विस्थापन आदि के कारण धर्म निरपेक्ष भारत की धारणा पर ही आँच आने लगी थी। संविधान में देश की धर्म निरपेक्ष (घोषित कर) इस चुनौती को हल कर लिया गया।

प्रश्न 24.
आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत खतरे की श्रेणी में ?
उत्तर:
1. आतंकवाद अपरंपरागत श्रेणी में आता है। आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जान-बूझकर और बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक से ज्यादा देशों में व्याप्त है और उसके निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं।

2. कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापंसद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल-प्रयोग अथवा बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और आतंकवाद नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ करता है।

3. आतंकवाद के चिर-परिचित उदाहरण हैं विमान-अपहरण अथवा भीड़ भरी जगहों जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसी ही अन्य जगहों पर बम लगाना। सन् 2001 ई० के 11 दिसंबर को आतंकवादियों ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला बोला। इस घटना के बाद से दूसरे मुल्क और वहाँ की सरकारें आतंकवाद पर ज्यादा ध्यान देने लगी है बहरहाल, आतंकवाद कोई नयी परिघटना नहीं है। गुजरे वक्त में आतंकवाद की अधिकांश घटनाएँ मध्यपूर्व, यूरोप, लातिनी अमेरिका और दक्षिण एशिया में हुई।

प्रश्न 25.
भारत मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक क्यों है? तीन कारण बताकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
I. मानव अधिकार ऐसे अधिकारों को कहते हैं जो कि प्रत्येक मनुष्य को पहचान देने के नाते अवश्य ही प्राप्त होने चाहिए।

II. भारत मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक है। इसके तीन प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं-

  • भारत का यह मानना है कि आधुनिक युग में कोई भी स्वतंत्र व लोकतांत्रिक देश मानव अधिकारों के बिना न तो प्रगति कर सकता है और न ही उस देश में शांति स्थापित कर सकती है।
  • मानव अधिकार ऐसे अधिकार हैं जो कि मानव की उन्नति व प्रगति के लिए अति आवश्यक व महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत विश्व शांति तथा मानवता के उत्थान में विश्वास रखता है। इसलिए वह मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक है।

प्रश्न 26.
प्रति वर्ष 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है ?
उत्तर:
10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में “मानव अधिकार दिवस” के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 10 दिसंबर, 1948 ई० को “मानव अधिकारों का घोषणा-पत्र” (Charter of Human Rights) स्वीकार किया था। इस घोषणा-पत्र के द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की सरकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने नागरिकों का आदर करेंगी। मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो कि सभी मनुष्यों को मानव होने के नाते मिलने ही चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक सामाजिक परिषद् ने 1946 ई० में मानव अधिकारों की समस्या के बारे में एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग ने 1948 ई० में अपनी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की महासभा को प्रदान की और संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 ई० को मानव अधिकारों के घोषणा-पत्र को स्वीकृति दे दी जिसमें 20 मानव अधिकारों की एक सूची का वर्णन किया गया था। अतः प्रति वर्ष 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस मनाकर प्रत्येक देश की सरकार को यह याद दिलाया जाता है कि वे अपने नागरिकों को उन्नति व विकास के लिए मानव अधिकार प्रदान करें।

प्रश्न 27.
निरस्त्रीकरण शब्द को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निरस्त्रीकरण का अर्थ है कि मानवता का संहार करने वाले अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण बंद हो व आणविक शस्त्रों पर प्रतिबंध लगे। विश्व के अनेक देशों ने अणुबम तथा हाइड्रोजन बम बना लिए हैं और कुछ बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति को दिन-प्रतिदिन खतरा बढ़ रहा है। एक देश द्वारा बनाए गए संहारक शस्त्रों का उत्तर दूसरा देश अधिक विनाशक शस्त्रों का निर्माण करके देता है। भारत प्रारंभ से ही निरस्त्रीकरण के पक्ष में रहा है। इस दृष्टि से संसार में होने वाले किसी भी सम्मेलन का भारत ने स्वागत किया है। 1961 ई० में भारत ने अणुबम न बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की साधारण सभा में रखा था’ जेनेवा में होने वाले निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत में हम यह कह सकते हैं कि निरस्त्रीकरण में ही विश्व का कल्याण निहित है।

प्रश्न 28.
जन आंदोलन की प्रकृति पर अतिलघु टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जन आंदोलन वे आंदोलन होते हैं। जो प्रायः समाज के संदर्भ या श्रेणी के क्षेत्रीय अथवा स्थानीय हितों, माँगों और समस्याओं से प्रेरित होकर प्रायः लोकतांत्रिक तरीके से चलाए जाते हैं। उदाहरण के लिए 1973 ई० में चलाया गया ‘चिपको आंदोलन’ भारतीय किसान यूनियन द्वारा चलाया गया आंदोलन, दलित पैंथर्स आंदोलन, आंध्र प्रदेश ताड़ी विरोधी आंदोलन, समय-समय पर चलाए गए छात्र आंदोलन, नारी मुक्ति और सशक्तिकरण समर्थित आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन आदि जन आंदोलन के उदाहरण हैं।

प्रश्न 29.
सुरक्षा परिषद् के क्या कार्य हैं ? अथवा, सुरक्षा परिषद् पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सुरक्षा परिषद् (Security Council)- सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र की कार्यपालिका के समान है। इसके 15 सदस्य होते हैं। जिनमें 5 स्थायी सदस्य हैं-अमेरिका, इंगलैंड, फ्रांस, चीन और रूस। पहले सोवियत संघ इसका स्थायी सदस्य था परंतु जनवरी, 1992 में सोवियत संघ की समाप्ति के बाद यह स्थान रूसी गणराज्य को दे दिया गया है। इसके अन्य 10 सदस्य महासभा के द्वारा 2 वर्ष के लिए चुने जाते हैं।

भारत कई बार सुरक्षा परिषद् का सदस्य चुना जा चुका है। 1992 ई० में सुरक्षा परिषद् की एक विशेष बैठक हुई जिसमें इसके स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने पर जोर दिया गया और भारत का इसका स्थायी सदस्य बनाये जाने के विचार ने जोर पकड़ा। कुछ लोग स्थायी सदस्यता के प्रावधान को समाप्त करना चाहते हैं और सभी सदस्यों को समान समझे जाने पर जोर देते हैं। स्थायी सदस्य को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो (Veto) का अधिकार है।

सुरक्षा परिषद् के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह विश्व में शांति स्थापित करने के लिए उत्तरदायी है और किसी भी मामले पर जो विश्व शांति के लिए खतरा बना हुआ हो, विचार कर सकती है।
  • यह किसी भी देश द्वारा भेजी गई किसी भी शिकायत पर विचार करती है और मामले या झगड़े का निर्णय करती है।
  • सुरक्षा परिषद् अपने प्रस्तावों या निर्णयों को लागू करवाने के लिए सैनिक कार्यवाही भी कर सकती है। इराक के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का निर्णय सुरक्षा परिषद् ने लिया था।

प्रश्न 30.
जूनागढ़ की भौगोलिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। सरदार पटेल ने इस राज्य को किस तरह से भारतीय संघ में मिलाने के लिए विवश किया ?
उत्तर:
जूनागढ़ की भौगोलिक स्थिति (Geographical Situation of Junagarh)- जूनागढ़ गुजरात के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित एक देशी रजवाड़ा या राज्य था। इसमें मनसबदार, बाबरिया बाड़ तथा मंगरोल नामक जागीरें शामिल थीं। इसके साथ पाकिस्तान के बीच सागर था।

जूनागढ़ के शासक द्वारा पाकिस्तान में मिलाने का असफल प्रयास (Unsuccessful attempt Junagrah to Join Pakistan)- जूनागढ़ का नवाब महावत खान पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था। सरदार पटेल जैसा दूरदर्शी ऐसा नहीं होने देना चाहते थे क्योंकि उन्हें पता था यहाँ 80 प्रतिशत गैर-इस्लामी लोग हैं। उन्होंने इस राज्य में जनमत संग्रह कराने के लिए नवाब पर दबाव डाला। नवाब के आनाकानी करने पर सरदार पटेल ने जूनागढ़ की तीन जागीरों पर बलपूर्वक कब्जा करने के लिए आदेश दे दिया। जूनागढ़ का दरबार जो पहले से ही आर्थिक विफलता का सामना कर रहा था और बाद में भारतीय सरकार को आमंत्रित किया कि वह आकर जूनागढ़ के शासन की बागडोर को संभाले। दिसम्बर के माह में जनमत-संग्रह कराया गया और उसमें 99 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान के स्थान पर भारत में सम्मिलित होने के लिए अपनी पसन्द को व्यक्त किया।

प्रश्न 31.
निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करें। नि:शस्त्रीकरण के मुद्दे पर भारत क्या भूमिका निभाता रहा है ?
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण का अर्थ है, विश्व शांति के लिए घातक हथियारों पर रोक लगाना। निःशस्त्रीकरण में भारत की भूमिका निम्नलिखित है-
(a) भारत ने घोषण की कि-

  • भारत हथियारों की दौड़ से बाहर रहकर आवश्यक न्यूनतम परमाणु अवरोधक शक्ति बना रहेगा।
  • भारत भविष्य में भूमिगत परमाणु विस्फोट नहीं करेगा।
  • परमाणु हथियारों के संदर्भ में भारत ने स्वेच्छा से इनको पहले प्रयोग न करने के सिद्धांत को स्वीकार किया।

(b) भारत ने विश्व समुदाय के समक्ष ‘पहले प्रयोग न करने’ के समझौते को परमाणु हथियारों की समाप्ति की ओर एक कदम के रूप में सुझाया।

(c) भारत, संयुक्त राष्ट्र में निःशस्त्रीकरण के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। यह जेनेवा निःशस्त्रीकरण आयोग का एक सदस्य था। डॉ० होमी जहाँगीर भाभा 1955 में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए हुए प्रथम सम्मेलन के निर्वाचित अध्यक्ष थे। भारत ने 1957 में वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आई० ए० ई० ए०) के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई थी।

(d) भारत ने 1988 में निःशस्त्रीकरण को समर्पित संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त और अहिंसक विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की।

प्रश्न 32.
संयुक्त राष्ट्र का महासचिव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव (The Secretary General of United Nations)- संयुक्त राष्ट्र के कार्यों का संचालन करने के लिए एक सचिवालय है। इसके अध्यक्ष को महासचिव कहा जाता है। सर्वप्रथम नार्वे के त्रिगवेली प्रथम महासचिव बने थे। वर्तमान महासचिव काफी अन्नान हैं। ये दोबारा निर्वाचित हुए हैं। महासचिव के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं-

  1. महासचिव सुरक्षा परिषद, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद आदि की बैठकों को आमंत्रित करता है।
  2. संघ के विभिन अंगों के द्वारा लिये गये निर्णयों को लागू करता है।
  3. यदि विश्व में कहीं भी शांति को खतरा पैदा होता है तो उसकी सूचना सुरक्षा परिषद को देता है।
  4. सचिवालय के सारे कार्यों की रिपोर्ट महासभा को देता है।
  5. अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का सर्वेक्षण, अंतराष्ट्रीय गोष्ठियों का आयोजन आदि।
Previous Post Next Post