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 bihar board class 10th civics notes – लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

bihar board class 10th civics notes – लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

bihar board class 10th civics notes

class – 10

subject – civics

lesson 4 – लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

आज दुनिया के लगभग 100 देशों में लोकतंत्र किसी – न – किसी रूप में विद्यमान है । लोकतंत्र का विस्तार एवं उसे मिलनेवाला जनसमर्थन यह बताता है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है । इस व्यवस्था में नागरिकों को मिलने वाला समान अवसर , स्वतंत्रता एवं गरिमा इसकी लोकप्रियता कारण हैं । इसमें आपसी टकराव को कम करने और गुण – दोष के आधार पर सुधार की संभावनाएँ इसे जनता के बीच लोकप्रिय बनाती हैं । लोकतंत्र में फैसले किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं बल्कि सामूहिक सहमति से लिए जाते हैं । यह इसकी विशेषता है ।
इन सारी विशेषताओं के कारण लोगों की उम्मीदें इतनी ज्यादा हो जाती हैं कि इसकी थोड़ी – सी कमजोरी भी खलने लगती है । इस तरह लोगों का अतिवादी दृष्टिकोण लोगों में इसके प्रति उपेक्षा पैदा करता है । आजादी के पश्चात् विगत 60 वर्षों से इतिहास में भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों के कारनामों की कमी नहीं है । लेकिन इन तमाम कमजोरियों के बाद भी हमारा लोकतंत्र पश्चिम के लोकतंत्र से बेहतर है जो विकास की ओर अग्रसर है । अतः हमें लोकतंत्र को एक सर्वोत्तम शासन व्यवस्था के रूप में देखना चाहिए । लोकतंत्र में लोग चुनावों में भाग लेते हैं , अपने प्रतिनिधियों को चुनने का कार्य करते हैं । आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से मजबूत लोगों का दबदबा होने के बावजूद जनता में जागरूकता की संभावना बनी रहती है । शिक्षा के व्यापक प्रचार – प्रसार के कारण आज लोग अपने मतों की अहमियत को समझने लगते हैं । पहले अभिवचित वर्ग के लोगों को कभी समाज के श्रेष्ठजनों द्वार मुताधिकार से वंचित किया जाता था , लेकिन आज वे अपने मताधिकार का प्रयोग खुलकर करते हैं । जनता सरकार के कार्यों में भी हस्तक्षेप करती है । अत : सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनना पड़ता है क्योंकि उसे जनता द्वारा नकारने का खतरा बना रहता है ।
लोकतंत्र में फैसलों को विधायिकाओं की लंबी प्रक्रियाओं से में विलंब होता है । दूसरी तरफ गैर – लोकतांत्रिक व्यवस्था में फैसलों को लंबी विधायी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । अत : फैसलों नहीं गुजरना पड़ता है । अतः गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था में फैसले शीघ्र एवं प्रभावी ढंग से लिए जाते हैं । लेकिन गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसलों में नक्तिगत पूर्वाग्रहों की अधिकता रहती है जो जनकल्याण की दृष्टि से सही नहीं होती है , इसके विपरीत लोकतांत्रिक व्यवस्था में मार्गदर्शिता एवं संतोष का भाव प्रलक्षित होता है तथा जनता को यह जानने का हुक होता है कि फैसले कैसे एवं किस प्रकार लिए जाते हैं । सरकार अगर कोई कानून बनाती है तो उस पर जनप्रतिनिधियों के साथ – साथ आम जनता के बीच भी खुलकर चर्चाएँ होती हैं । लोकतांत्रिक व्यवस्था वैद्य एवं जनता के प्रति उत्तरदायी होती है । लोकतांत्रिक व्यवस्था नागरिकों को शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होती है । लोकतंत्र विभिन्न जातियों के बीच की प्रांतियों को पूरा करने में सहायक होता है । अपने देश में टकरावों एवं सांप्रदायिक उन्मादों को व्यापक स्तर पर रोकने में लोकतंत्र सहायक हुआ है । ऐसे मतभेदों के बने रहने की कई वजहें होती हैं । इनके बीच टकराव तक होता है , जब इनकी अनदेखी की जाती है । उदाहरण के लिए नेपाल में जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी की गई एवं राजपरिवार के इशारे पर दमन चक्र चलाया गया लेकिन अंतत : जनता की ही जीत हुई । नागरिकों को गरिमा एवं उनकी आजादी की दृष्टि से भी लोकतंत्र सर्वोत्तम है , अर्थात् अपनी बातों को निर्भीकता से रखने एवं दूसरों की बातों को गंभीरता से सुनने की आजादी है । किसी दूसरी व्यवस्था में इस तरह की आजादी नहीं है । भारत में लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है , अतः इसकी गति धीमी है ।
पहले जनता शासन – व्यवस्था में अपने आपको भागीदार नहीं मानती थी । वह भावनाओं में बहकर अपने वोट देती थी । धनाढ्य एवं दबंग उम्मीदवार जनता के मतों को खरीदने की ताकत रखते थे । लेकिन आज जनता अपने मतों की ताकत को समझती है । वर्ष 2009 के चुनावों में जनता ने आपराधिक छवि के उम्मीदवारों को खारीज कर दियाl
अर्थात् किसी तानाशाह के कार्यों का मूल्यांकन जनता भय के कारण कर नहीं पाती जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता में बैठे लोगों के कामकाज का मूल्यांकन जनता हर रोज करती है । भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए जनता का शिक्षित होना आवश्यक है । शिक्षा उनके अंदर जागरूकता पैदा करती है । लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बनती हैं लेकिन यहाँ अल्पमत की आकांक्षाओं पर ध्यान देना भी आवश्यक होता है । लोकतंत्र की सफलताओं के लिए यह आवश्यक है कि सबों को अवसर मिले , लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंदर लोकतंत्र हो , सार्वजनिक मुद्दों पर बहस हो लेकिन भारतवर्ष में राजनीतिक दलों में लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा का अभाव है । लेकिन हम इन कमियों को अपनी सक्रिय भागीदारी तथा लोकतंत्र में विश्वास से पूरा कर सकते है ।

प्रश्नोत्तर :-

1. लोकतंत्र किस प्रकार उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है ?
Ans . लोकतंत्र का केन्द्र बिंदु जनता होती है । अब्राहम लिंकन के अनुसार ” लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए , जनता के द्वारा शासन है । ” लोकतंत्र में जनता चुनावों में भाग लेती है तथा अपना प्रतिनिधि चुनती है जो आपस में मिलकर सरकार बनाती है । अत : अप्रत्यक्ष रूप से शासन की बागडोर जनता के ही हाथों में होती है । सरकार जो भी निर्णय लेती है , कानून बनाती है उस पर जनता को सवाल उठाने का हक होता है । अगर जनता को यह महसूस हो कि सरकार उसके अनुरूप कार्य नहीं कर रही है तो वह अगले चुनावों में उसे मत ना देकर सरकार से हटा सकती है । अतः लोकतांत्रिक सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी एवं वैध होती है ।
2. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक होता है ।
Ans . लोकतंत्रात्मक सरकार के बारे में प्राप्त जानकारी के आधार पर हम यह जानते हैं कि लोकतंत्रात्मक सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी एवं वैध होती है । अत : यह सरकार अच्छी होती है । यहाँ आर्थिक खुशहाली होती है तथा विकास की गति भी अच्छी होती है । लेकिन हकीकत में लोकतांत्रिक शासन और तानाशाही शासन – व्यवस्था में आर्थिक विकास की दरों में तानाशाही शासन – व्यवस्था में विकास की दरें ज्यादा होती हैं । इसलिए लोकतांत्रिक शासन – व्यवस्था से निराशा तो होती है लेकिन किसी देश का आर्थिक विकास उस देश की जनसंख्या , आर्थिक , प्राथमिकताएँ अन्य देशों से सहयोग , वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है । लोकतांत्रिक शासन में विकास की दर में कमी के बावजूद कई सकारात्मक एवं विश्वसनीय फायदें भी होते हैं जो सुखद होते हैं ।

3. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है ?
Ans . लोकतंत्र नागरिकों के शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होता है । लोकतंत्र विभिन्न जातियों एवं धर्मों के बीच टकरावों को हिंसक और विस्फोटक बनने से रोकता है । इन मतभेदों के बीच टकराव तब होते हैं जब इनकी बातों की अनदेखी की जाती है या इन्हें दबाने की कोशिश की जाती है । उदाहरण के लिए नेपाल में जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी की गई थी तथा दमन चक्र चलाया गया लेकिन अंत में जनता की ही जीत हुई । लोकतंत्र लोगों के बीच एक – दूसरे के प्रति सम्मान का भाव विकसित करता है । विभिन्न सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच संवाद एवं सामंजस्य निर्माण में सिर्फ लोकतंत्र ही सफल हो जाता है ।

4. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने निम्नांकित किन मुद्दों पर सफलता पाई है ?
( क ) राजनीतिक असमानता को समाप्त कर दिया हैl
( ख ) लोगों के बीच टकरावों को समाप्त कर दिया गया है ।
( ग ) बहुमत समूह और अल्पमत समूह के साथ एक – सा व्यवहार करता है ।
( घ ) समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े लोगों के बीच आर्थिक समानता को कम कर दिया गया है ।
Ans . ( ग ) बहुमत समूह एवं अल्पमत समूह के साथ एक – सा व्यवहार करता है ।

5. इनमें से कौन – सा एक कथन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है ?
( क ) कानून के समक्ष समानता ,
( ख ) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव ,
( ग ) उत्तरदायी शासन व्यवस्था ,
( घ ) बहुसंख्यकों का शासन
Ans . ( घ ) बहुसंख्यकों का शासन

6. लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक एवं सामाजिक असमानताओं के संदर्भ में किया गया कौन – सा सर्वेक्षण सही और कौन – सा गलत प्रतीत होता है । ( सत्य / असत्य )
( क ) लोकतंत्र और विकास साथ – साथ चलते हैं । ( ख ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं ।
( ग ) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती ।
( घ ) तानाशाही व्यवस्थाएँ लोकतंत्र से बोधता सिद्ध हुई है ।
Ans . ( क ) सत्य , ( ख ) असत्य , ( ग ) असत्य , ( घ ) असत्य ।

7. भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों के संबंध में कौन – सा कथन सही अथवा गलत है |
(क) आज लोग पहले से कहीं अधिक मताधिकार की उपादेयता को समझने लगे हैं
( ख ) शासन की दृष्टि से भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रिटिश काल के शासन से बेहतर
( ग ) अभिवचित वर्ग के लोग चुनावों में उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं ?
( घ ) राजनीतिक दृष्टि से महिलाएं पहले से अधिक सत्ता में भागीदार बन रही हैं ।
Ans . ( क ) सत्य , ( ख ) असत्य , ( ग ) असत्य , ( घ ) सत्य ।

8. भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं ?
Ans . लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है । न्याय के विलंब , विकास लेकिन हम भारत के 60 वर्ष के लब संचालन को देखते हैं तो ऐसा लगता है हम काफी सफल रहे हैं । लोकतंत्र की शुरुआत में आम जनता अपने – आपको शासन में भागीदारी नहीं मानती थी तथा जजबातों एवं भावनाओं में वोट करती थी । धनाढ्य एवं आपराधिक छवि के उम्मीदवार जनता के मतों को खरीदने का जज्बा रखते थे लेकिन 2009 के चुनाव परिणामों से यही साबित होता है कि जनता को अपने मतों की महत्ता समझ में आ गई है । आज पुरी दुनिया में लोकतंत्र की साख बढ़ गई है तथा इसकी सफलता से अन्य देश भी प्रेरित हो रहे हैं । लोकतंत्र से जनता की अपेक्षाएँ एवं शिकायतें इस बात के सबूत हैं कि जनता लोकतंत्र को कितना पसंद करती है । तानाशाही व्यवस्था में जनता किसी तानाशाह के कार्यों का मूल्यांकन भय के कारण कर नहीं पाती है । लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता में बैठे लोगों के कार्यों का मूल्यांकन जनता हर रोज करती है । अतः भारतवर्ष में लोकतंत्र का भविष्य काफी उज्जवल है ।

9. भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है ?

Ans . भारतीय लोकतंत्र की साख पूरी दुनिया में बढ़ी है । लेकिन जनता का जुड़ाव उस स्तर तक नहीं पहुँचा है जहाँ जनता सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर सके । अत : सबसे पहले यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो । क्योंकि शिक्षा उनके भीतर जागरूकता पैदा करती है । लोकतंत्र में सरकारें बहुमत के आधार पर बनती हैं लेकिन अल्पमत को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते । भारतीय लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि सरकार प्रत्येक नागरिक को अवसर प्रदान करे । व्यक्ति के साथ – साथ विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंदर भी आंतरिक लोकतंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए । सार्वजनिक मुद्दों पर बहस होनी चाहिए । भारतवर्ष में नागरिकों के स्तर पर तथा राजनीतिक दलों के अंदर भी स्वस्थ परंपरा का अभाव होता है जिसके कारण सत्ताधारी लोगों को चरित्र एवं व्यवहार गैर लोकतांत्रिक दिखते हैं और लोकतंत्र में हमारा विश्वास कम हो जाता है । इसे हम अपनी सक्रिय भागीदारी से हासिल कर सकते हैं ।

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