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 Bihar Board Class 11 Biology notes | वनस्पति जगत

Bihar Board Class 11 Biology notes | वनस्पति जगत

वनस्पति जगत
                                  (PLANT KINGDOM)
                                     अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. मॉस (Moss) का एक आर्थिक महत्त्व बतायें।
उत्तर-इसमें जलावशोषण की अद्भुत क्षमता होती है, अत: इसका उपयोग Flourits
एवं Horticulturists करते हैं।
2. उस पौधे का नाम बतायें जिनसे Ephedrine प्राप्त किया जाता है।
उत्तर–Ephedra, अनावृतबीजी (Gymnospermatophyta)।
3. Monocarpic Plant का एक उदाहरण बतायें।
उत्तर ― Bamboo (बाँस)।
4. फल क्या है?
उत्तर-पके हुए (Ripenec.) अंडाशय (ovary) को फल कहते हैं।
5. हरा शैवाल (Green Algae) का नाम बतायें, जिसका उपयोग भोजन के रूप में
किया जाता है।
उत्तर-क्लोरेला अल्वा (Chlorella Ulva)|
6. चना किस प्रकार का बीज है?
उत्तर-Dicot seed (द्विबीजपत्री बीज)।
7. Sphagnum कितना पानी अवशोषित करता है?
उत्तर-यह अपने वजन से 18 गुणा अधिक पानी अवशोषित करता है।
8. Adiantum को Walking Fern क्यों कहा जाता है?
उत्तर-Adiantum को Walking Fern कहा जाता है क्योंकि इसके पत्ती का शीर्ष
मिट्टी के संपर्क में रहता है और Adventitious roots को strike करता है और उससे नए
पौधे का जन्म होता है।
9. Ramenta क्या है?
उत्तर-नये तने, पर्णवृन्त एवं पत्ती के Rachis पर उपस्थित बालनुमा रचना को
Ramenta कहते है।
10. बायोफाइट को किसमें विभक्त किया जाता है?
उत्तर-लिवरवर्ट एवं मॉस।
11. ‘Sago’ किस पौधे से प्राप्त होता है?
उत्तर-Cycast।
                                     लघु उत्तरीय प्रश्न
1. तकनीकी शब्द ट्रैकियोफाइटा की व्याख्या करें।
उत्तर-उच्च पादपों में खनिज (जाइलम द्वारा) तथा भोजन (फ्लोएम.द्वारा) के संवहन
हेतु संवहन ऊतक पाया जाता है। जिन पादपों में यह ऊतक जंदुओं की श्वासनली के समान
होता है उन्हें ही ट्रैकियोफाइटा कहते हैं।
2. टेरिडोफाइटा में बीजाणुपर्णी की प्रकृति का वर्णन करें।
उत्तर-बीजाणुधारक पत्तियों को बीजाणुपर्ण (Sporophylls) कहते हैं। टेरिडोफाइट्स
में दो प्रकार के बीजाणुपत्र होते हैं-
(i) सरल पत्ती (कुछ फर्न में)- इसमें मात्र एक शिरा (vein) पाया जाता है।
(ii) संयुक्त पर्ण-इनमें कई पत्रक (Pennules) होते हैं। कुछ पत्तियाँ पर्णवृंतरे
(Petiolate) होती है तो कुछ पर्णवंत रहित (Sessile) होती हैं। बीजाणुधानी पत्तियों के
निचली सतह पर मोतियों की भाँति Sporangium) पीले या भूरे धब्बे के रूप में लगी
रहती है, जिसे बीजाणुधानी पुंज (Sori) कहते हैं।
3. शैवालों में जनन की सामान्य विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर-(i) कायिक प्रजनन (Vegetative reproduction)-मुकुलन (Budding)
या गुलिका निर्माण (Tuber formation) द्वारा/उदाहरण-सरगासम।
(ii) अलैंगिक जनन (Asexual reproduction)-अचल (Non motile) एवं चल
(Motile) बीजाणुओं द्वारा।
4. शैवाल एवं कवक में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-शैवाल एवं कवक में अंतर इस प्रकार है
5. क्रिप्टोगेमी एवं फेनेरोगेमी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-क्रिप्टोगेमी एवं फेनेरोगेमी में अन्तर इस प्रकार हैं-
6. बीजयुक्त पौधे को अधिक सफल जमीनी पौधा क्यों माना जाता है?
उत्तर-इसके कारण निम्न हैं-(i) निषेचन जल पर निर्भर नहीं होता। (ii) बीज में
भावी भ्रूण छिपा होता है जो अंडाशय के भीतर सुरक्षित रहता है। (iii) इसमें भूमि को पकड़े
रखने एवं खनिज-लवणों के अवशोषण के लिए जड़तंत्र विकसित होता है। (iv) द्वीतियक
वृद्धि (Secondry Growth) के समय सुरक्षा के लिए छाल (Bark) बनाता है।
7. लाल शैवाल के पाँच लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर-लाल शैवाल के पाँच लक्षण इस प्रकार हैं-(i) अधिकांश समुद्री होता है।
(ii) जीवनचक्र में चल अवस्था (Motile stage) अनुपस्थित होता है। (iii) पादपशरीर
एककोशीय तंतु से Parenchymatous रूप में परिवर्तित होता रहता है। (iv) कोशिकाभित्ति
में सेलुलोज एवं फाइकोकोलॉयड्स पाया जाता है। (v) प्रकाशसंश्लेषी पिगमेंट (वर्णक) के
रूप में क्लोरोफिल a, कैरोटिनॉयड एवं फाइकोब्रिलिन्स पाया जाता है।
8. मोनोपोडियस दृद्धि क्या है:
उत्तर-जब धड़ (Trunk) का मुख्य अक्ष सीधे वृद्धि करते हुए आधार से शीर्ष तक
पहुँच जाता है तो उसे मोनोपोडियस वृद्धि कहते हैं।
9. स्पाइरोगाइरा एवं क्लेमाइडोमोनॉस का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनायें।
उत्तर स्पाइरोगाइरा एवं क्लेमाइडोमोनॉस का नामांकित चित्र इस प्रकार है-
10. द्विगुणितक (Diplontic) एवं हैप्लो द्विगुणितक (Haplo-Diplontic) चक्र को
आरेख द्वारा निरुपित करें।
उत्तर-इसका आरेख निम्नांकित है-
जीवन चक्र पैटर्न (अ) अगुणितक (ब) द्विगुणितक (स) अगुणितक-द्विगुणितक
11. उस परिवर्तन का उल्लेख करें जो फल के पक जाने पर होता है।
उत्तर-(i) स्टार्च, सुगर में बदल जाता है। (ii) कई कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न होकर
इसमे एक विशेष गंध एवं स्वाद उत्पन्न करते हैं। (iii) क्लोरोफिल टूटकर फल को एक
विशेष रंग प्रदान करता है।
                                           दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. टेरिडोफाइट के मुख्य लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर-(i) पादप शरीर प्रकन्दयुक्त होता है। (ii) प्रकन्द पर भलीभाँति परिवर्धित मूलाभ
(Rhizome) एवं पत्तियाँ लगी रहती है। (iii) विभिन्न प्रकार के संवहन तंत्र उपस्थित होते
हैं। (iv) यह आई एवं उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में अधिपादप के रूप में पाया जाता है। (v) पत्तियाँ
दो प्रकार की होती है-सरल एकशिरा युक्त एवं संयुक्त पर्ण। (vi) बीजाणुधानियाँ पीले या
भर यीजाणु पर्ण पर उपस्थित होती है। (vii) जनन लैगिक प्रकार का। (viii) जीवनचक्र में
प्रोथैलस युग्मकोद्भिद् अवस्था (Gametophytic Phase) का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें पीढ़ी एकान्तरण स्पष्ट होता है।
2. बायोफाइट में पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) का संक्षेप में वर्णन
करें।
उत्तर-ब्रायोफाइटों के जीवनचक्र में युग्मकोद्भिदी एवं बीजाणुकोभिदी दोनों अवस्थाएँ
एक के बाद एक कर आती रहती हैं, इसे ही पीढ़ी एकान्तरण कहते हैं।
ब्रायोफाइट का मुख्य शरीर युग्मकोद्भिद् अवस्था दर्शाता है और युग्मकधानियाँ
(Gametangia) में अगुणित युग्मक धारण करते हैं। नर एवं मादा युग्मक के संलयन के
उपरांत द्विगुणित युग्मनज का निर्माण होता है। युग्मनज परिवर्द्धित होकर बीजाणुकोभिद्
(Sporophytic) अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। यह अगुणित युग्मकोद्भिद् से जुड़ा
रहता है एवं अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित बीजाणुओं का निर्माण करता है जो अंकुरित
होकर अगुणित युग्मकोद्भिद् में परिवर्द्धित होते हैं। यह पुनः युग्मक निर्माण करते हैं और
इस तरह प्रक्रिया चलती रहती है। अर्थात् पीढ़ी का एकांतरण होते रहता है। इसे निम्न रेखाचित्र
द्वारा समझा जा सकता है।
3. बायोफाइटा के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर-(i) यह जल एवं स्थल दोनों जगहों पर पाया जाता है, अत: इसे उभयचर
पादप कहा जाता है। (ii) पादप शरीर थैलस सदृश (Thalloid) अथवा तने एवं पत्ती के
समान रचनायुक्त। (iii) संवहन ऊतक अनुपस्थित। जड़ अनुपस्थित परंतु इसके सदृश रचना
मूलाभास (Rhizoids) थैलस की निचली सतह से अथवा तने के आधार से निकली रहती
है। (iv) जनन लैंगिक, विषमयुग्मक प्रकार का मादा जननांग (Archegonium) एवं नर
जननांग (Antheridium) दोनों बहुकोशीय एवं जैकेटयुक्त होता है। (v) निषेचन हेतु जल
आवश्यक। (vi) बीजाणु उद्भिद् अवस्था में समबीजाणु (Homospores) का निर्माण।
(vii) पीढ़ी एकांतरण का प्रदर्शन।
4. शैवाल के वर्गीकरण का आधार क्या है?             [N.C.ER.T. (Q.1)]
उत्तर-शैवाल को क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी तीन वर्गों में विभक्त
किया गया है जिसके मुख्य आधार इस प्रकार हैं―
5. लिवरवर्ट, मॉस, फर्न, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म के जोवन-चक्र में कहाँ और
कब निम्नीकरण विभाजन होता है?                         [N.C.E.R.T. (Q.2)]
उत्तर-लिवरवर्ट, मॉस, फर्न, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म के जीवन चक्र में निम्न
स्थितियों में निम्नीकरण विभाजन होता है-
6. पौधे के तीन वर्गों के नाम लिखो, जिनमें सीधानी होती है। इनमें से किसी एक के
जीवन-चक्र का संक्षिप्त वर्णन करें।                  [N.C.E.R.T.(Q.31)]
उत्तर-पौधे के तीन वर्ग जिनमें स्त्रीधानी होती है–टैरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म एवं
एंजियोस्पर्म। यह एक द्विलिंगी पौधा होता है इसके नर लैंगिक अंग को पुंकेसर एवं मादा
लैगिक अंग को स्त्रीकेसर कहा जाता है। प्रत्येक पुंकेसर के तीन भाग होते हैं पुतन्तु, योजी
एवं परागकोष। मिऑसिस के बाद परागकण में परागकोष बन जाते है। स्त्रीकेसर के भी तीन
भाग होते हैं-अंडाशय, वर्तिका एवं वर्तिकाग्र। अंडाशय के भीतर एक या एक से अधिक
बीजांड पाये जाते है। बीजाण्ड के भीतर युग्मकोद्भिद होता है जिससे मिऑसिस विभाजन
द्वारा भ्रूणकोष बनता है जिसकी प्रत्येक कोशिका अगुणित होती है।
प्रत्येक भ्रूणकोष में तीन कोशिकीय अंड समुच्चय, एक अंड कोशिका तथा दो सहायक
कोशिकाएँ, तीन एंटीपोडल एवं दो धुवीय कोशिकाएँ होती हैं। धुवीय कोशिकाएँ आपस में
जुड़कर द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक बनाती है।
परागकण, परागकोष से निकलकर वायु अथवा अन्य दूसरे माध्यमों द्वारा स्त्रीकेसर के
वर्तिकान पर पहुँच जाता है. इस क्रिया को परागण कहते है। परागकण वर्तिकान से जल को
                            चित्र : ऐन्जियोस्पर्म का जीवन चक्र
अवशोषित कर अंकुरित हो जाता है, और इससे परागनली निकलती है जो वर्तिका के ऊतकों
के बीच से होती हुई बीजांड तक पहुँच जाती है। जहाँ यह भ्रूणकोश के भीतर जाकर दो नर
युग्मकों को छोड़ती है। इनमें से एक अंड कोशिका से संगलित हो जाता है जिससे युग्मनज
बनता है। दूसरा द्वितीयक केन्द्रक से संगलित होता है जिससे त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणकोष
केन्द्रक बनता है। चूंकि इसमें दो बार संगलन होता है इस कारण इसे द्विनिषेचन कहते हैं।
यह एंजियोस्पर्म का एक मुख्य गुण है। युग्मनज से भ्रूण एवं प्राथमिक भ्रूणकोष, केन्द्रक
भ्रूणकोष में बदल जाता है। भ्रूणकोप विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। बीजांड से
बीज तथा अंडाशय से फल बन जाता है। निषेचन के बाद सहायक एवं एंटीपोडल कोशिकाएँ
लुप्त हो जाती हैं।
7. निम्नलिखित की सूत्रगुणता (Ploidy) बतायें। मॉस के प्रथम तंतुक कोशिका,
द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक, मॉस की पत्तियों की कोशिका, फर्न
के प्रोथैलस की कोशिकाएँ, मारकेंशिया की जेमा कोशिका, एकबीजपत्री की
मैरिस्टेम कोशिका, लिवरवर्ट के अंडाशय तथा फर्न के युग्मनज। [N.CER.T. (Q.4)]
उत्तर-(i) मॉस के प्रथम तंतुक कोशिका (Protonemal cell of a moss).
Protonema का विकास सीधे बीजाणु (spore) से होता है। यह विसी (creeping), हरा
शाखित एवं तंतुमयी होता है।
(ii) द्विवीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणकोप का केन्द्रक (Primaryendospermnucleus
in dicot)-परागनली भ्रूणकोश के अंदर जाती है, जहाँ पर फटकर यह दो नर युग्मको
को छोड़ देती है। इनमें से एक नर युग्मक अंड कोशिका से संगलित हो जाता है जिससे एक
युग्मनज बनता है। दूसरा र युग्मक द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक से संगलित होता है जिससे
त्रिगुणित प्राथमिक भूणकोष केन्द्रक बनता है। युग्मनज भ्रून मे विकसित हो जाता है और
प्राथमिक भ्रूणकोष केन्द्रक भ्रूणकोष में विकसित हो जाता है।
(iii) फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ (Prothallus cellofaFem)-विजाणुधानी
में स्थित बीजाणुमात कोशिका में मिऑसिस के कारण बीजाणु बनते है। बीजाणु अंकुरित होने पर एक अस्पष्ट छोटा बहुकोशिकीय, मुक्तजीवी, अधिकांशतः प्रकाशसंश्लेषी थैलाभ युग्मकोद्भिद् बनाते हैं, जिसे प्रोथैलस कहते हैं। इन युग्मकोद्भिदों को उगने के लिए ठंडा, गीला, छायादार स्थान चाहिए। युग्मकोद्भिद में नर तथा मादा अंग होते हैं, जिन्हें क्रमश: पुंधानी एवं सीधानी कहते है।
(iv) मारकेंशिया की जेमा कोशिका (Gemma cell in Marchantia)-जेमा हरी
बहुकोशीय अलैगिक कलियाँ हैं। ये छोटे-छोटे पात्रों, जिन्हें जेमा कप कहते हैं, में स्थित होती
हैं। ये अपने पैतृक पादप से अलग हो जाती हैं और इससे एक नया पादप उग आता है।
लैगिक जनन के दौरान नर तथा मादा लैंगिक अंग या तो उसी थैलस पर अथवा दूसरे थैलस
पर बनते हैं। स्पोरोफाइट में एक पाद, सीटा तथा कैप्स्यूल (Marchantia) होता है।
(v) एकवीजपत्री की मेरिस्टेम कोशिका (Meristem cell of monocot) यह
एक सरल ऊतक है जो अविभेदित कोशिकाओं से बना होता है। इसके कोशिका की
कोशिकाभित्ति पतली होती है। इसमें अन्त:कोशिकीय स्थान बहुत छोटा या नहीं पाया जाता
है। इसके उपापचय की दर उच्च होती है और इसमें विभाजन की क्षमता अधिक होती है।
(vi) लिवरवर्ट का अंडाशय (Ovary of liverwort)-लिवरवर्ट में अलैगिक जनन
थैलस के विखंडन अथवा विशिष्ट संरचना जेमा द्वारा होता है। जेमा हरी, बहुकोशीय अलैगिक
कलियाँ हैं। ये छोटे-छोटे पात्रों, जिन्हें जेमा कप कहते हैं में स्थित होती हैं। ये अपने पैतृक
पादप से अलग हो जाती हैं और इससे एक नया पादप उग आता है। लैगिक जनन के दौरान
नर तथा मादा लैंगिक अंग या तो उसी थैलस पर अथवा दूसरे थैलस पर बनते हैं। स्पोरोफाइट
में एक पाद, सीटा तथा कैप्स्यूल होता है। मिऑसिस के बाद कैप्सूल में स्पोर बनते हैं। स्पोर
से अंकुरण होने के कारण मुक्तजीवी युग्मकोद्भिद बनते हैं।
(vii) फर्न के युग्मनज (Zygote of Fen)-स्त्रीधानी में स्थित अंडे से नर युग्मक
का संगलन हो जाता है और युग्मनज बनता है। उसके बाद युग्मनज से बहुकोशीय, सुस्पष्ट
स्पोरोफाइट बन जाता है, जो टेरिडोफाइट की प्रभावी अवस्था है। यद्यपि अधिकांश टेरिडोफाइट
में, जहाँ स्पोर एक ही प्रकार के होते हैं, उन पौधों को समबीजाणुक कहते हैं। युग्मनज का
विकास मादा युग्मकोद्भिद में होता है जिससे एक नया शैशव भ्रूण बनता है।
8. शैवाल तथा जिम्नोस्पर्म के आर्थिक महत्त्व पर टिप्पणी लिखें। IN.C.ER.T. (Q.5)]
उत्तर-शैवाल का आर्थिक महत्त्व-(i) पृथ्वी पर प्रकाश संश्लेषण के दौरान कुल
स्थिरीकृत CO2 का लगभग आधा भाग शैवाल ही स्थिर करते हैं। (ii) ये अपने आस-पास
पर्यावरण में घुलित O2 का स्तर बढ़ा देते हैं। (iii) शैवाल की कई जातियाँ पोरफायरा,
लैमिनेरिया, सरगासम इत्यादि का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। (iv) जिलेडियम
एवं ग्रेसिलेरिया से ऐजार प्राप्त होता है, जिसका उपयोग सूक्ष्मजीवों के संवर्धन एवं आइसक्रीम
और जेली बनाने में किया जाता है। (v) क्लोरेला तथा स्पिलाइना का उपयोग अंतरिक्ष यात्री
भोजन के रूप में करते हैं।
जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्त्व-(ic) कोनिफर्स से मुलायम लकड़ियाँ प्राप्त होती है
जिसका उपयोग प्लाइउड एवं कागज उद्योग में किया जाता है। (ii) पाइनस के रेजिन से
टर्पेन्टाइन एवं रेजीन प्राप्त होता है। (iii) टर्पेन्टाइन का उपयोग पेंट एवं पॉलिस बनाने में
होता है तथा इससे दर्द, ब्रोंकाइटिस, आंतकृमि की दवा बनाई जाती है। (iv) रेजीन द्वारा
वाटरप्रूफ पदार्थ बनाया जाता है। (v) पाइनस का बीज चिलगोजा खाने के काम में आता है।
(vi) एफेडरा से एफेडीन प्राप्त किया जाता है जो दम्मा के इलाज में प्रयुक्त होता है।
9. जिग्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म दोनों में वीज होते हैं, फिर भी उनका वर्गीकरण
अलग-अलग क्यों है?                                     [N.C.ER.T.(Q.60]
उत्तर-जिम्नोस्पर्म ऐसे पौधे होते हैं, जिनमे बीजांड अंडाशय भित्ति से ढंँके हुए नहीं होते और ये निषेचन से पूर्व तथा बाद में भी अनावृत्त ही रहते हैं। जबकि, एंजियोस्पर्म ऐसे पौधे होते हैं जिनमें बीजांड से बीज बनते है जो अंडाशय की भित्ति से ढंके रहते हैं।
जिम्नोस्पर्म में ovules त्रिस्तरीय आवरण से ढंका रहता है जिसमें एक चौड़ा बीजांडद्वार रहता है, जबकि एंजियोस्मर्म में ovule एक या दो स्तर के बने पतले आवरण द्वारा ढंका रहता है, जिसमें एक संकीर्ण बीजांडद्वार रहता है।
जिम्नोस्पर्म में परागकण सीधे ovule (बीजांड) में प्रवेश कर केन्द्रक के निकट पहुँच जाता है, जबकि एंजियोस्पर्म में परागकण पहले वर्तिकाग्र और फिर वर्तिका से होते हुए बीजांड तक पहुँचता है।
10. विषम वीजाणुता क्या है? इसकी सार्थकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। इसके दो
उदाहरण भी दें।                                                  [N.C.E.R.T. (Q.7)]
उत्तर-सिलाजिनेला, साल्वीनिया में दो प्रकार के बड़े एवं छोटे बीजाणु बनते हैं, जिन्हें
विषण बीजाणु कहा जाता है। बड़े बीजाणु से नर एवं छोटे बीजाणु से मादा युग्मकोद्भिद बन
जाते हैं। इनमें मादा युग्मकोद्भिद अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैतृक स्पोरोफाइट
से जुड़े रहते हैं। मादा युग्मकोद्भिद् में युग्मनज का विकास होता है, जिससे एक नया शैशव
भ्रूण बनता है। यह घटना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है जो बीजी प्रकृति की ओर ले जाती है।
11. उदाहरणसहित निम्नलिखित शब्दावली का संक्षिप्त में वर्णन करें-
(i) प्रथम तंतु, (ii) पुंधानी, (iii) स्त्रीधानी, (iv) द्विगुणितक,
(v) बीजाणुपर्ण, (vi) समयुग्मकी।                    [N.C.E.R.T. (Q.8)]
उत्तर-(i) प्रथम तंतु (Protonema)-यह मॉस के जीवन चक्र की प्रथम अवस्था
है जो स्पोर से बनता है। यह विसी, हरा, शाखित तथा प्रायः तंतुमयी होता है।
(ii) पुंधानी (Anthetidium)-नर लैंगिक अंग को पुंधानी कहा जाता है।
(iii) स्त्रीधानी (Archegonium)-मादा लैगिक अंग को स्त्रीधानी कहा जाता है।
(iv) द्विगुणितक (Diplontic)-जिम्नोस्पर्म एवं एंजियोस्पर्म के जीवन चक्र में
द्विगुणित बीजाणुद्भिद प्रभावी, प्रकाश संश्लेषी मुक्त होता है।
युग्मकोद्भिद एक कोशिकीय अथवा कुछ कोशिकीय अगुणित होते हैं। जीवन चक्र की
इस अवस्था को द्विगुणितक कहा जाता है।
(v) बीजाणुपर्ण (Sporophyll)-बीजाणुधानी जिसमें पत्तीनुमा रचनाएँ पायी जाती
हैं, बीजाणुपर्ण कहलाता है।
(vi) समयुग्मकी (Isogamy)-क्लेमाइडोमोनास एवं स्पाइरोगायरा में क्रमश: माप
में समान परंतु फ्लैजिलायुक्त एवं फ्लैजिलाविहीन युग्मक संलयित होकर जनन करते हैं,
ऐसे जनन को समयुग्मकी कहा जाता है।
12. निम्न में अंतर स्पष्ट करें।                                  [N.C.E.R.T. (Q.9)]
(i) लाल एवं भूरा शैवाल,
(i) लिवरवर्ट तथा मॉस,
(iii) विषम वीजाणुक एवं सम वीजाणुक टेरिडोफाइट,
(iv) युग्मक संलयन एवं त्रिसंलयन।
उत्तर-(i) लाल एवं भूरा शैवाल
(ii) लिवरवर्ट तथा मॉस
(iii) विषम वीजाणुक एवं सम बीजाणुक टेरिडोफाइट-
(iv) युग्मक संलयन एवं निसंलयन-
13. एक बीजपत्री को द्विबीजपत्री से किस प्रकार विभेदित करेंगे। [N.C.E.R.T. (Q.10)]
उत्तर-
14. स्तंभ I में दिये गये पादप की स्तंभ II में दिये गये पादप वर्गों से मिलान करें।
                                                                     [N.C.E.R.T.(Q.11)]
स्तंभ I (पादप)                    स्तंभ II (वर्ग)
(क) क्लेमाइडोमोनस             (i) मॉस
(ख) साइकस                       (ii) टेरिडोफाइट
(ग) सिलाजिनेला                  (iii) शैवाल
(घ) स्क्रैगनम                        (iv) जिम्नोस्पर्म
         उत्तर-(क)-(iii); (ख)-(iv); (ग)-(ii); (घ)-(i)।
                                    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. Agar किससे प्राप्त किया जाता है?
(क) लैमिनेरिया
(ख) पोरफायरा
(ग) सरगासम
(घ) जेलिडियम                          उत्तर-(घ)
2. बीजहीन संवहनीय पौधा (Seedless Vascular Plants) होते हैं-
(क) मॉसेस
(ख) लीवरवर्ट्स
(ग) फर्न्स
(घ) साइकाड्स                          उत्तर-(ग)
3. Protoema अवस्था किसमें पाया जाता है?
(क) हरित शैवाल
(ख) फर्न
(ग) मॉस
(घ) लीवरवर्ट                             उत्तर-(ग)
4. Pyrenoids किसमें पाया जाता है?
(क) भूरा शैवाल
(ख) लाल शैवाल
(ग) हरा शैवाल
(घ) नील हरित शैवाल                 उत्तर (ग)
5. Pinus का जीवनचक्र होता है-
(क) डिप्लोटिक
(ख) हैप्लोटिक
(ग) डिप्लोबायोटिक
(घ) डिप्लोहैप्लोटिक                     उत्तर-(घ)
6. ब्रायोफाइटा और शैवाल को विभेदित किया जा सकता है क्योंकि-
(क) Thalloid रूप में पाये जाते हैं।
(ख) इनके कोशिका में क्लारोप्लास्ट पाया जाता है।
(ग) इनमें संवहन ऊतक नहीं होता
(घ) इनमें Archegonia पाया जाता है।        उत्तर-(घ)
7. किस Algae में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है?
(क) यूलोधिक्स
(ख) ऑसीलेटोरिया
(ग) बलोरेला
(घ) स्पाइरोगाइरा                             उत्तर-(ग)
8. फर्न ब्रायोफाइटा से किस कारण अलग होते हैं-
(क) परजीवी स्पोरोफाइट (ख) स्वतंत्र युग्मकोद्भिद्
(ग) स्वतंत्र स्पोरोफाइट
(घ) परजीवी युग्मकोद्भिद्               उत्तर-(ग)
9. जिम्नोस्पर्म की मुख्य विशेषता है-
(क) नग्नबीजाण्ड
(ख) बड़ी पत्ती
(ग) शल्कीपत्र
(घ) सिलियायुक्त शुक्राणु               उत्तर-(क)
10. Largest Algae –
(क) सरगासम
(ख) लैमिनेरिया
(ग) मैक्रोसिसटिस
(घ) फ्यूकस                                उत्तर-(ग)
11. कौन समुद्री एंजियोस्पर्म है-
(क) हाइड्रिला
(ख) जोस्टेरा
(ग) वैलिसिनेरिया
(घ) सिरेप्टोफाइलस                     उत्तर-(ख)
12. किसका sex-organ एककोशीय तथा नग्न होता है-
(क) बायोफाइट
(ख) नग्नबीजी
(ग) शैवाल
(घ) सभी                                    उत्तर-(ग)
13. सभी Algae में होता है-
(क) क्लोरोफिल b एवं कैरोटिन
(ख) क्लोरोफिल a एवं कैरोटिन
(ग) क्लोरोफिल a एवं c
(घ) क्लोरोफिल a एवं b                   उत्तर-(ग)
14. हरा शैवाल (Green Algae) में मिऑसिस कव होता है?
(क) गैमेटैजिया
(ख) स्पोरोन्जिया
(ग) जूस्पोर
(ब) जाइगोस्पोर                             उत्तर-(घ)
15. रिक्सिया (Riccia) का स्पोरोफाइट (sporophyte) बना होता है-
(क) केवल कैपसूल
(ख) फल, सीता और कैपसूल
(ग) सीता और कैपसूल
(घ) फल और कैपसूल                     उत्तर-(क)
                                               □□□
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