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 Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन

BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन

Bihar Board Class 12 Chemistry वैद्युतरसायन Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.1
निकाय Mg2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव आप किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
उत्तर:
निकाय M2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने के लिए एक सेल स्थापित करते हैं, जिसमें एक इलेक्ट्रोड Mg | MgSO4 (1M), एक मैग्नीशियम के तार को IM MgSO4 विलयन में डुबोकर व्यवस्थित करते हैं तथा मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड Pt. H2 (1 atm) | H+ (1M) को दूसरे इलेक्ट्रोड की भाँति व्यवस्थित करते हैं (चित्र)।

सेल का वि० वा० बल मापते हैं तथा वोल्टमीटर में विक्षेप की दिशा को भी नोट करते हैं। विक्षेप की दिशा प्रदर्शित करती है कि इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड से हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड की ओर है अर्थात् मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड पर आक्सीकरण तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है। अतः सेल को निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है –

प्रश्न 3.2
क्या आप एक जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट का विलयन रख सकते हैं?
उत्तर:

चूँकि EΘ1 धनात्मक है; अतः अभिक्रिया होगी तथा हम जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट नहीं रख सकते हैं।

प्रश्न 3.3
मानक इलेक्ट्रोड विभव की तालिका का निरीक्षण कर तीन ऐसे पदार्थ बताइए जो अनुकूल परिस्थितियों में फेरस आयनों को आक्सीकृत कर सकते हैं।
उत्तर:
फेरस आयनों के आक्सीकरण का अर्थ है –

केवल वे पदार्थ Fe2+ को Fe3+ में आक्सीकृत कर सकते हैं जो प्रबल आक्सीकरण हों तथा जिनका धनात्मक अपचायक विभव 0.77 V से अधिक हो जिससे सेल अभिक्रिया का वि०वा० बल धनात्मक प्राप्त हो सके। यह स्थिति उन तत्वों पर लागू हो सकती है जो विद्युत-रासायनिक श्रेणी में Fe3+ | Fe2+ से नीचे स्थित हैं; उदाहरणार्थ – Br, Cl तथा I.

प्रश्न 3.4
pH = 10 के विलयन के सम्पर्क वाले हाइड्रोजन इलैक्ट्रोड के विभव का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के लिए,
H+ + e → 12 H2
अब नर्नस्ट समीकरण के अनुसार,

प्रश्न 3.6
एक सैल जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है,
2Fe+3 (aq) + 2I (aq) → 2Fe2+ (aq) + I2 (s) का 298 K ताप पर E0(cell) = 0.236 V है। सैल अभिक्रिया की मानक गिब्ज ऊर्जा एवं साम्य स्थिरांक का परिकलन कीजिए।
हल:

प्रश्न 3.7
किसी विलयन की चालकता तनुता के साथ क्यों घटती है?
उत्तर:
विलयन के एकांक आयतन में उपस्थित आयनों की संख्या को चालकता कहते हैं। विलयन की तनुता के साथ प्रति एकांक आयतन आयनों की संख्या घटती है जिससे चालकता भी घटती है।

प्रश्न 3.8
जल की Λm ज्ञात करने का एक तरीका बताइए।
उत्तर:
अनन्त तनुता पर NaOH, HCl तथा NaCl मोलर चालकताएँ ज्ञात होने पर अनन्त तनुता पर जल की A°m ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 3.9
0.025 mol L-1 मेथेनोइक अम्ल की चालकता 46.1 S cm2 mol-1 हैं। इसकी वियोजन मात्रा एवं वियोजन स्थिरांक का परिकलन कीजिए। दिया गया है कि –


प्रश्न 3.10
यदि एक धात्विक तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा 2 घंटों के लिए प्रवाहित होती है तो तार में से कितने इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
हल:
Q (कूलॉम) = i (ऐम्पियर) × t(s)
= (0.5 ऐम्पियर) × (2 × 60 × 60s)
= 3600 C
996500C का प्रवाह 1 मोल इलेक्ट्रॉन अर्थात् 6.02 × 1023 इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के तुल्य होता है।
∴ 3600 C के तुल्य इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह
6.02×102396500 × 3600
= 2.246 × 1022 इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 3.11
उन धातुओं की एक सूची बनाइए जिनका वैद्युत अपघटनी निष्कर्षण होता है।
उत्तर:
Na, Ca, Mg तथा Al.

प्रश्न 3.12
निम्नलिखित अभिक्रिया में Cr2O27 आयनों के एक मोल के अपचयन के लिए कूलॉम में विद्युत की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
Cr2O27 + 14H+ + 6e → 2Cr3+ + 7H2O
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया से,
Cr2O27 आयनों के एक मोल को 6 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
∴ F = 6 × 96500 C
= 579000 C
अत: Cr3+ में अपचयन के लिए आवश्यक विद्युत
= 579000C

प्रश्न 3.13
चार्जिंग के दौरान प्रयुक्त पदार्थों का विशेष उल्लेख करते हुए लेड-संचायक सैल की चार्जिंग क्रियाविधि का वर्णन रासायनिक अभिक्रियाओं की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
चार्जिंग के दौरान सैल वैद्युत अपघटनी सेल की भाँति कार्य करती है। रिचार्जिंग के दौरान निम्न अभिक्रियायें होती हैं –
कैथोड पर:
PbSO4(s) + 2e → Pb(s) + SO42- (aq)

ऐनोड पर:
PbSO4 (s) + 2H2O (l) → PbO2 (s) + SO42- (aq) + 4H+ (aq) + 2e 

परिणामी अभिक्रिया:
2PbSO4(s) + 2H2O(l) → Pb(s) + PbO2 (s) + 4H+ (aq) + 2SO42- (aq)

प्रश्न 3.14
हाइड्रोजन को छोड़कर ईंधन सेलों में प्रयुक्त किए जा सकने वाले दो अन्य पदार्थ सुझाइए।
उत्तर:
मेथेन (CH4), मेथेनॉल (CH3OH)।

प्रश्न 3.15
समझाइए कि कैसे लोहे पर जंग लगने का कारण एक विद्युत रासायनिक सेल बनना माना जाता है।
उत्तर:
लोहे की सतह पर उपस्थित जल की परत वायु के अम्लीय ऑक्साइडों, जैसे : CO2, SO2 आदि को घोलकर अम्ल बना लेती है जो वियोजित होकर H+ आयन देते हैं:
H2O + CO2 → H2CO3 ⇄ 2H+ + CO32- आयनों की उपस्थिति में, लोहा कुछ स्थलों पर से इलेक्ट्रॉन खोना प्रारम्भ कर देता है तथा फेरस आयन बना लेता है। अतः ये स्थल ऐनोड का कार्य करते हैं –
Fe(s) → Fe2+ (aq) 2e
इस प्रकार धातु से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन अन्य स्थलों पर पहुँच जाते हैं। जहाँ H+ आयन तथा घुली हुई ऑक्सीजन इन इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण कर लेती है तथा अपचयन अभिक्रिया हो जाती है। अतः ये स्थल कैथोड की भाँति कार्य करते हैं –
O2(g) + 4H+ (aq) 4e → 2H2O (l)
सम्पूर्ण अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है –
2Fe(s) = O2(g) + 4H+ (aq) → 3Fe2+(aq) + 2H2O (l)
इस प्रकार लोहे की सतह पर विद्युत रासायनिक सेल बन जाता है। फेरस आयन पुनः वायुमण्डलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत होकर फेरिक आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं जो जल अणुओं से संयुक्त होकर जलीय फेरिक ऑक्साइड Fe2O3. xH2O बनाते हैं। यह जंग कहलाता है।

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