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 Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

Bihar Board Class 12 Chemistry जैव-अणु Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 14.1
ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय हैं, जबकि साइक्लोहेक्सेन अथवा बेन्जीन (सामान्य छह सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं। समझाइए।
उत्तर:
ग्लूकोस में पाँच -OH समूह तथा सुक्रोस में आठ -OH समूह होते हैं। ये -OH समूह जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाते हैं। इस विस्तीर्ण अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध के कारण ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय होते हैं, अपितु इनके आण्विक द्रव्यमान उच्च अर्थात् क्रमशः 180 amu तथा 342 amu हैं।

दूसरी ओर बेन्जीन (आण्विक द्रव्यमान = 78) तथा साइक्लोहेक्सेन (आण्विक द्रव्यमान = 84) कम आण्विक द्रव्यमान वाले सरल अणु होते हैं, परन्तु ये जल में अविलेय होते हैं। इसका कारण यह है कि इन यौगिकों में -OH समूह नहीं होते हैं, इसलिए इनमें जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनते।

इसके अतिरिक्त विलेयता के सामान्य नियम के अनुसार “समान समान को घोलता है।” अत: बेन्जीन तथा साइक्लोहेक्सेन जो कि अध्रुवी अणु हैं, ध्रुवी जल अणुओं में नहीं घुलते हैं।

प्रश्न 14.2
लैक्टोस का जलअपघटन से किन उत्पादों के बनने की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
जलअपघटन पर लैक्टोस मोनोसैकेराइड के दो अणु देता है। इसके उत्पाद D – ग्लूकोस तथा D – गैलेक्टोम हैं।

प्रश्न 14.3
D – ग्लूकोस के पेन्टाएसीटेट में आप ऐल्डिहाइड समूह की अनुपस्थिति को कैसे समझाएँगे?
उत्तर:
चूँकि ग्लूकोस के पेन्टाऐसीटेट में C1 में मुक्त -OH समूह नहीं होता, अतः यह जलीय विलयन में जल अपघटित नहीं होता और ऐल्डिहाइड समूह नहीं बनता। अतः ग्लूकोस पेंटाऐसीटेट NH2OH के साथ अभिक्रिया करके ग्लकोस आक्सिम नहीं बनाता है।

अतः ग्लूकोस पेन्टाऐसीटेट में ऐल्डिहाइड समूह नहीं होता।

प्रश्न 14.4
ऐमीनो अम्लों की गलनांक एवं जल में विलेयता सामान्यतः संगत हैलो अम्लों की तुलना में अधिक होती है। समझाइए।
उत्तर:
ऐमीनो अम्लों में ज्विटर आयन ((N+HCRCOO¯¯¯¯)) होते हैं, जिनकी प्रकृति द्विध्रुवी होती है। प्रबल द्विध्रुवीय संयोजन के कारण ऐमीन अम्लों (ठोस) के गलनांक उच्च होते हैं।

ये जल में अधिक घुलनशील होते हैं, क्योंकि ये जल के अणुओं के साथ अन्तरा आणुविक हाइड्रोजन आबन्ध में प्रयुक्त होते हैं। दूसरी ओर हैलोअम्ल द्विध्रुवीय नहीं होते और जल के अणुओं के हाइड्रोजन आबन्ध में प्रयुक्त होते हैं किन्तु हैलोजन परमाणु के साथ नहीं। अत: हैलोअम्ल कम गलनांक वाले तथा जल में कम विलेयशील होते हैं। अतः ऐमीनों अम्ल के गलनांक एवं जल में विलेयता संगत हैलोअम्लों की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न 14.5
अण्डे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है?
उत्तर:
अण्डे को उबालने पर इसमें प्रोटीनों का विकृतिकरण हो जाता है। इसमें उपस्थित जल विकृतिकृत प्रोटीनों में सम्भवतः हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा अवशोषित या अधिशोषित हो जाता है तथा विलुप्त हो जाता है।

प्रश्न 14.6
हमारे शरीर में विटामिन C संचित क्यों नहीं होता?
उत्तर:
विटामिन C जल में विलेय होता है, अतः यह मूत्र के साथ सरलता से उत्सर्जित हो जाता है तथा शरीर में संचित नहीं होता है। अतः इसकी नियमित मात्रा लेना हमारे लिए आवश्यक है।

प्रश्न 14.7
यदि DNA के थायमीन युक्त न्यूक्लिओटाइड का जलअपघटन किया जाए तो कौन-कौन से उत्पाद बनेंगे?
उत्तर:
जलअपघटन पर, DNA से थायमीन के अतिरिक्त, दो उत्पाद 2-डिऑक्सी-D-राइबोस तथा फॉस्फोरिक अम्ल हैं।

प्रश्न 8
जब RNA का जलअपघटन किया जाता है तो प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह तथ्य RNA की संरचना के विषय में क्या संकेत देता है?
उत्तर:
DNA अणु में दो कुण्डलिनियों (strands) में चार पूरक क्षारक परस्पर युग्म बनाए रखते हैं; जैसे – साइटोसीन (C) सदैव ग्वानीन (G) के साथ युग्म बनाता है, जबकि थायमीन (T) सदैव ऐडेनीन के साथ युग्म बनाता है। इसलिए जब एक DNA अणु जलअपघटित होता है, तब साइटोसीन की मोलर मात्राएँ सदैव ग्वानीन के तुल्य तथा इसी प्रकार ऐडेनीन सदैव थायमीन के तुल्य होती है।

RNA में भी चार क्षारक होते हैं, जिनमें प्रथम तीन DNA के समान, परन्तु चौथा क्षारक यूरेसिल (U) होता है। चूँकि RNA में प्राप्त चारों क्षारकों (C, G, A तथा U) की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता है, इसलिए क्षारक-युग्मन सिद्धान्त (अर्थात् A के साथ U तथा C के साथ G का युग्म) का पालन नहीं होता है; अत: DNA के विपरीत RNA में एक कुण्डलिनी होती है।

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