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 Bihar board notes for class 12th sociology भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

Bihar board notes for class 12th sociology

Bihar board notes for class 12th sociology

भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

(Globalisation and Social Change)

स्मरणीय तथ्य

*सदस्य देशों ने स्थापित किया है। यह सन् 1995 में स्थापित हुआ और इसका मुख्यालय जेनेवा में है। यह विभिन्न कानूनों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सेवाओं का नियमन करता है।

*निर्यातोन्मुखी आर्थिकी : इस आर्थिकी में अधिकांश उत्पादन निर्यात व्यापार एवं सेवाओं के लिए किया जाता है। बहुत से देश इस नीति को अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए अपनाते हैं। यह देश की आवश्यकताओं एवं पूँजी की कमी को पूरा करने में सहायक होता है।

| एन.सी.ई.आर.टी. पाठ्यपुस्तक एवं अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

       (Objective Questions)

  1. भूमंडलीकरण का संबंध है

[M.Q.2009A]

(क) उदारीकरण से

(ख) निजीकरण से

(ग) ‘अ’ और ‘ब’ दोनों से

(घ) इनमें किसी से नहीं

उत्तर-()

2, भूमंडलीकरण का अर्थ होता है ?

__[M.Q.2009A]

(क) वस्तुओं का मुक्त प्रवाह

(ख) विचारों का मुक्त प्रवाह –

(ग) व्यापारिक बंधन की समाप्ति

(घ) ये सभी

उत्तर-(घ) 

  1. वैश्वीकरण को आगे बढ़ानेवाले प्रमुख प्रेरक कौन-से हैं ? [M.Q.2009A] 

(क) बाजार की खोज

(ख) बहुराष्ट्रीय विनिवेश

(ग) प्रौद्योगिकी व इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क

(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर-(घ) 

  1. विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है? 

(क) नई दिल्ली

(ख) पेरिस

(ग) जनेवा

(घ) इस्लामाबाद

उत्तर-(ग) 

2 ऐसी कंपनियाँ होती हैं जो एक से अधिक देशों में अपना को उत्पादन करती है अथवा बाजार सेवाएं प्रदान करती हैं, उसे क्या कहते हैं ? 

(क) पारा राष्ट्रीय निगम

(ख) स्वदेशी निगम

(ग) लघु उद्योग

(घ) वृहत् उद्योग

उत्तर-(क) 

  1. इनमें कौन विदेशी चैनल है ? 

(क) सहारा

(ख) स्टार

(ग) आज तक

(घ) कोई नहीं.

उत्तर-(ख) 

  1. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब की गयी ? 

(क) 1990

(ख) 1980

(ग) 1977

(घ) नेपाल

उत्तर-(घ) 

  1. व्यापार संगठन की स्थापना कहाँ की गई? . 

(क) श्रीलंका

(ख) नेपाल

(ग) अमेरिका

(घ) भारत

उत्तर-(ग) 

(ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(1) भारत एक …………. देश है।

(2) …………. ने भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी सहायता की है।

(3) भारत में …………. ई० में नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई।

(4) उदारीकरण की प्रक्रिया के लिए …………… से ऋण लेना जरूरी है।

उत्तर-(1) विकासशील, (2) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, (3) 1991, (4) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(Very Short Answer Type Questions) 

प्रश्न 1. भू-धारण से क्या अभिप्राय है।

उत्तर-भूमि अथवा अन्य संपत्ति का कानूनी अधिकार। यह राज्य और प्रशासन को राजस्व एकत्रित करने में सहायक होता है। भारत में स्वतंत्रता से पूर्व रैयतवाड़ी, महालवाड़ी तथा जमींदारी भू-धारण की व्यवस्थाएँ थीं।

प्रश्न 2. भू-मंडलीय ग्राम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-व्यवसाय और संबंधों को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों में तकनीकी रूप से विकसित कंपनियों और उद्यमों की स्थापना जो कि पूरे विश्व को एक वैश्विक ग्राम में बदल रही है।

प्रश्न 3. विश्व व्यापार संगठन से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने स्थापित किया है। सन् 1995 में स्थापित हुआ और इसका मुख्यालय जेनेवा में है। यह विभिन्न कानूनों और नीतियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सेवाओं का नियमन करता है।

प्रश्न 4. निर्यातोन्मुखी आर्थिकी से क्या अभिप्राय है ? .

उत्तर-इस अर्थव्यवस्था में अधिकतर उत्पादन निर्यात व्यापार और सेवाओं के लिए किया जाता है। बहुत से देश इस नीति को अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए अपनाते हैं। यह देश की आवश्यकताओं और पूँजी की कमी को पूरा करने में सहायक होता है।

प्रश्न 5. भूमंडलीकरण का लाभ निर्धन देशों तक कितना पहुँचा है ?

उत्तर-वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण संसार के विकासशील देशों को गरीबी से निपटने में नाकाम है। इन देशों में गरीबी बढ़ रही है। एक कठोर पूँजीवादी समाज का निर्माण हो रहा है। मुक्त व्यापार का विस्तार उस सीमा तक नहीं हो पाया है जिस सीमा तक पूँजी का मुक्त हस्तांतरण हुआ है।

प्रश्न 6. सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने क्या प्रभाव डाला है ?

उत्तर-सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने फैशन, खान-पान और पेय पदार्थों के संदर्भ में उपभोग प्रवृत्ति और जीवन-शैली पर अच्छा-खासा प्रभाव डाला है। इसने सामाजिक संबंधों और . धार्मिक पहचान को भी प्रभावित किया है।

प्रश्न 7. राजनीतिक के क्षेत्र में भूमंडलीकरण के क्या प्रभाव हैं ?

उत्तर-राजनीति के क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने बहुदलीय लोकतंत्र, मानव अधिकारों को स्वीकृति और लोक प्रशासन में जवाहदेही और पारदर्शिता का प्रसार किया है।

प्रश्न 8. विकसित और विकासशील देशों से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-ऐसे देश जिनमें राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत ऊँचा है और जहाँ आर्थिक विकास की दर ऊंची है, सेवा क्षेत्र और औद्योगीकरण की गति अधिक है, विकसित देश कहलाते हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देश विकसित देश कहलाते हैं।

विकासशील देश वे देश हैं जो यूरोपीय देशों की औपनिवेशिक नीति का शिकार रहे हैं जिनका आर्थिक शोषण किया गया। इन देशों को कच्चे माल की प्राप्ति का स्थान समझा गया और तैयार माल की बिक्री के लिए बाजार बनाया गया। आर्थिक शोषण के कारण निर्धनता और बेरोजगारी की समस्या का इन देशों को सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 9. भूमंडलीकरण के उद्देश्य बताइए।

उत्तर-भूमंडलीकरण व्यापार और विनिमय के अवरोधों को समाप्त कर पूँजी और श्रम को अधिक गतिशीलता प्रदान कर विश्व अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी, श्रम, पूँजी और मुद्रा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करना है। यह एक सीमाविहीन संसार बनाना चाहता है जिससे राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार आवागमन बिना किसी रोकटोक के संभव हो सके। वैश्वीकरण के संबंध में यह भी कहा गया है कि इससे उपभोक्ताओं का चुनाव करने के लिए व्यापक विकल्प मिलेंगे और गरीबी दूर होगी।

प्रश्न 10. पारराष्ट्रीय निगम पर लघु टिप्पणी कीजिए।

उत्तर-पारराष्ट्रीय निगम : भूमंडलीकरण को प्रेरित एवं संचालित करने वाले अनेक आर्थिक कारकों में से, पारराष्ट्रीय निगमों की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण होती है। टी.एन.सी. पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियाँ होती हैं जो एक से अधिक देशों में अपने माल का उत्पादन करती हैं अथवा

बाजार सेवाएं प्रदान करती हैं। ये अपेक्षाकृत छोटी फर्मे भी हो सकती हैं। इनके एक या दो कारखाने उस देश से बाहर होते हैं जहाँ वे मूल रूप से स्थित हैं। साथ ही, वे बड़े विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान भी हो सकते हैं जिनका कारोबार संपूर्ण भूमंडल में फैला हुआ हो। कुछ बहुत बड़े पारराष्ट्रीय निगमों के नाम जो जगप्रसिद्ध हैं, ये हैं : कोकोकोला, जनरल मोटर्स, कॉलगेट-पामोलिव, कोडैक, मित्सुबिशी आदि। भले ही इन निगमों का अपना एक स्पष्ट राष्ट्रीय आधार हो, फिर भी वे भूमंडलीय बाजारों और भूमंडलीय मुनाफों की ओर अभिमुखित हैं। कुछ भारतीय निगम भी पारराष्ट्रीय बन रहे हैं किंतु हम समय के इस बिंदु पर निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि इस रुख को, कुल मिलाकर, भारत के लोग इसे किस अर्थ में लेंगे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Type Questions) 

प्रश्न 1. भूमंडलीकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-भूमंडलीकरण व्यापार और विनिमय के अवरोध समाप्त कर विश्व अर्थव्यवस्था में एकीकरण करता है। यह नव उदारतावाद का परिणाम है। वर्तमान में महाशक्तियाँ और उनसे जुड़ी वित्तीय और बहुराष्ट्रीय संस्थाएँ एक नई अर्थव्यवस्था लाना चाहती हैं। भू-मंडलीकरण मुक्त बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूँजी का मुक्त प्रवाह होता है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के पार आना-जाना शामिल है। भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व-व्यापार व्यवस्था तथा व्यावसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास ने भूमंडलीकरण को आसान बना दिया है।

प्रश्न 2. उदारीकरण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।

उत्तर-उदारीरकण : यह भूमंडलीकरण का आर्थिक तत्त्व है। यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक अत्यंत नियंत्रित अर्थव्यवस्था खुली दिखने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित की जाती है। नियंत्रण व संचालन को कम करके आंतरिक अर्थव्यवस्था को उदार बनाया जाता है। अधिकतर कार्यों में राज्य का महत्व घटाकर निजी उद्यमों और कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सार्वजनिक इकाइयों को समाप्त करके व्यवसाय व उद्योग का निजीकरण होता है। उदारीकरण इस बात पर निर्भर है कि यदि राज्य का हस्तक्षेप कम हो तो अर्थव्यवस्थाओं पर कम-से-कम सरकारी नियंत्रण रखकर उसे उदार बनाना होगा। उदारीकरण की नीति अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता पर जोर डालती है। निजी उद्यमों को सार्वजनिक उद्यमों की तुलना में अधिक निपुण माना जाता है।

प्रश्न 3. संस्कृति पर भूमंडलीकरण से प्रभाव की संक्षेप में चर्चा करें।

(NCERTT.B. Q.3)

उत्तर-भूमंडलीकरण संस्कृति को कई प्रकार से प्रभावित करता है। भारत युगों से सांस्कृतिक प्रभावों के प्रति खुला दृष्टिकोण अपनाए हुए है और इसी के फलस्वरूप वह सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध होता रहा है। पिछले दशक में कई बड़े-बड़े सांस्कृतिक परिवर्तन हुए हैं जिनसे यह डर उत्पन्न हो गया है कि कहीं हमारी स्थानीय संस्कृतियाँ पीछे न रह जाएँ। हमारी सांस्कृतिक परंपरा ‘कूपमंडूक’ यानी जीवन भर कुएँ के भीतर रहने वाले उस मेढक की स्थिति से सावधान रहने की शिक्षा देती है जो कुएँ से बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नहीं जानता और प्रत्येक बाहरी वस्तु के प्रति शंकालु बना रहता है। वह किसी से बात नहीं करता और किसी से भी किसी विषय पर तर्क-वितर्क नहीं करता। वह तो बस बाहरी दुनिया पर केवल संदेह करना ही जानता है। हम आज भी अपनी परंपरागत खुली अभिवृत्ति अपनाए हुए हैं। इसीलिए, हमारे समाज में राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि कपड़ों, शैलियों, संगीत, फिल्म, भाषा, हाव-भाव आदि के बारे में गरमागरम बहस होती रहती है। 19वीं सदी के सुधारक और प्रारंभिक राष्ट्रवादी नेता भी

संस्कृति तथा परंपरा पर विचार-विमर्श किया करते थे। मुद्दे आज भी कुछ दृष्टियों में वैसे ही हैं और कुछ अन्य दृष्टियों में भिन्न भी हैं। शायद अंतर यही है कि अब परिवर्तन की व्यापकता और गहनता भिन्न है।

प्रश्न 4. भू-स्थानीकरण क्या है ? क्या यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई बाजार संबंधी रणनीति है अथवा वास्तव में कोई सांस्कृतिक संश्लेषण हो रहा है ?

(NCERTT.B. Q.4)

उत्तर-भूस्थानीकरण (ग्लोकलाइजेशन): भूस्थानीकरण का अर्थ है भूमंडलीय के साथ स्थानीय का मिश्रण। यह पूर्णतः स्वतः प्रवर्तित नहीं होता और न ही भूमंडलीकरण के वाणिज्यिक हितों से इसका पूरी तरह संबंध-विच्छेद किया जा सकता है। मुख्य हितों से यह दावा किया जाता है कि सभी संस्कृतियाँ एक समान अर्थात् सजातीय (होमोजिनस) हो जाएंगी। कुछ अन्य का यह मत है कि संस्कृति के भूस्थानीकरण की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। – ___यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो अक्सर विदेशी फर्मों द्वारा अपना बाजार बढ़ाने के लिए स्थानीय परंपराओं के साथ व्यवहार में लाई जाती है। भारत में, हम यह देखते हैं कि स्टार, एम.टी.वी., वी चैनल और कार्टून नेटवर्क जैसे सभी विदेशी टेलीविजन चैनल भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं। यहाँ तक कि मैक्डॉनाल्ड्स भी भारत में अपने निरामिष और चिकन उत्पाद ही बेचता है, गोमांस के उत्पाद नहीं, जो विदेशों में बहुत लोकप्रिय हैं। नवरात्रि पर्व पर तो मैक्डॉनाल्ड्स विशुद्ध निरामिष हो जाता है। संगीत के क्षेत्र में, ‘भाँगड़ा पॉप’, ‘इंडिपॉप’, ‘फ्यूजन म्यूजिक’, यहाँ तक कि रीमिक्स गीतों की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखा जा सकता है। यह भू-स्थानीकरण का ही एक रूप है।

प्रश्न 5. भारतीय समाज पर वैश्वीकरण (Globalisation) के प्रभावों का उल्लेख करें। [M.Q.2009A]

उत्तर-वैश्वीकरण मुक्त व्यापार बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूँजी की मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार जाना शामिल है। इसलिए वैश्वीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था और प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण के प्रसार में काफी मदद की है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न .

       (Long Answer Type Questions) 

प्रश्न 1. भूमंडलीकरण ने तीसरी दुनिया के देशों को किस प्रकार प्रभावित किया है?

उत्तर-विकासशील देशों ने अपने सर्वांगीण विकास के लिए कड़े प्रयत्न करने पड़ रहे हैं। वे अपने प्रयासों से भी प्रयत्न कर रहे हैं और विकसित देशों से भी सहायता प्राप्त करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन विकसित देश इस प्रकार की नीतियाँ बना रहे हैं जिनसे विकासशील देशों की कठिनाइयाँ बढ़ रही हैं। ये देश अभी भी विकसित देशों पर निर्भर हैं।

तीसरी दुनिया के देश गरीब और पिछड़े हुए हैं जबकि विश्व में कुछ धनी देशों ने विश्व व्यापार संगठन तथा विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। बहुराष्ट्रीय निगम भी विकसित देशों के ही हैं। जब तक इनका महत्व बना रहेगा, निर्धन देशों की गरीबी को दूर करना कठिन होगा। निर्धन देशों की अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण की चुनौती का सामना करने में असमर्थ है। यह एक असमान प्रतियोगिता चल रही है। इस प्रतियोगिता के तौर-तरीकों में फेर-बदल किया जाना आवश्यक है। भूमंडलीकरण से गरीब देशों की गरीबी में वृद्धि हुई है। पश्चिमी देशों की संस्कृति का प्रभाव इन देशों पर पड़ रहा है। सामाजिक न्याय तथा पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है। इन देशों की निर्धनता बढ़ रही है। एक कठोर पूँजीवादी समाज का निर्माण हो रहा है। मुक्त व्यापार का विस्तार उस सीमा तक नहीं हुआ है जिस सीमा तक पूँजी का मुक्त हस्तांतरण ‘ हुआ है।

सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने फैशन, खान-पान और पेय पदार्थों के संदर्भ में उपभोगवृत्ति और जीवन शैली पर अच्छा खासा प्रभाव डाला है।

प्रश्न 2. भूमंडलीकरण से क्या अभिप्राय है ? भूमंडलीकरण की क्षमता का उल्लेख कीजिए।

अथवा 

एक भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था के विशिष्ट लक्षण क्या हैं ? (NCERTT.B.Q.2)

उत्तर-भूमंडलीकरण शब्द का प्रयोग आर्थिक अर्थ में किया जाता है। इस दृष्टि से भूमंडलीकरण बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूँजी का मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के पार जाना शामिल है।

भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था तथा व्यावसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी ने भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी सहायता की है। इस प्रक्रिया को सूचना के तत्काल प्रसार के लिए विकसित तकनीक ने सरल बना दिया है। _

1970 तक भूमंडलीकरण के विचार में रुकावटें आईं। भूमंडलीकरण की प्रवृत्ति को पिछले दस वर्षों में नया प्रोत्साहन मिला है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। 1998 में इन कंपनियों की बिक्री विश्व व्यापार की एक तिहाई थी। ये निगम पूरे संसार को एक बाजार समझते हैं। विदेशी व्यापार की मात्रा को बढ़ाने के उद्देश्य से कर एवं सीमा शुल्क को घटाने तथा अन्य बाधाओं को दूर करने के परिणामस्वरूप देश की सीमाओं से बाहर व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। यातायात और संचार पर होने वाले खर्च अपेक्षाकृत कम हो गए हैं। भूमंडलीकरण ने बहु-राष्ट्रीय निगमों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं।

भूमंडलीकरण की क्षमता अथवा लक्षण : भूमंडलीकरण की प्रक्रिया बाजार के मुख्य सिद्धांत पर आधारित है। ऐसा माना जाता है कि यह मुक्त बाजारीकरण प्रतियोगिता करता है और कार्यदक्षता को बढ़ाता है जिसका नियंत्रित बाजारों में अभाव होता है। बढ़ी हुई कार्यदक्षता सामानों तथा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाती है। यह पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं के विकास में सहायक है। भूमंडलीकरण की स्थिति में आंतरिक अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश प्रचुर मात्रा में होती है, जो इसे मजबूत और तेज बनाता है। ये निवेश उन देशों को सहायता पहुँचाते हैं जो आंतरिक संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। इस प्रकार विदेशी पूँजी तथा वस्तुओं के अनियंत्रित प्रवाह की मुक्त द्वार नीति अपनाई जाती है जिससे अपेक्षा की जाती है कि यह तीसरी दुनिया की मंद अर्थव्यवस्था को तेज गति प्रदान करेगी।

अधिकतर विकासशील देशों में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है अतः भूमंडलीकरण को इस समस्या के समाधान का उपाय माना जा रहा है। भूमंडलीकरण रोजगार के अवसरों में वृद्धि की गारंटी देता है तथा अधिक रोजगार और आर्थिक विकास के द्वारा जीवन की गुणवत्ता में सुधार लायेगा। अर्थव्यवस्था के एकीकरण से जो आर्थिक विकास होगा, वह स्वयं ही सामाजिक न्याय के सवाल को सुलझा देगा। ऐसा कहा जाता है कि अर्थव्यवस्था का उदारीकरण वंचित समूहों के लिए एक नई आशा की किरण लेकर आएगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूमंडलीकरण व्यावसायिक सहयोग और भाईचारे में वृद्धि करेगा। वह राष्ट्रों के बीच आदान-प्रदान तथा स्थापना के माध्यम से विश्व शांति और मैत्री का युग लायेगा।

 प्रश्न 3. भूमंडलीकरण के परिणाम बताइये।

अथवा 

संस्कृति पर भूमंडलीकरण का प्रभाव बताइए।

उत्तर-संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के अनुसार भूमंडलीकरण का युग संसार के लाखों लोगों के लिए निर्धनता दूर करने में सहायता करेगा।

विकासशील देशों में अभी तक जो अनुभव किया गया है वह इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता। यह उन देशों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम

नहीं हैं। व्यापार में वृद्धि, नई प्रौद्योगिकी, विदेशी निवेश और इंटरनेट के विस्तार ने विश्व में आर्थिक विकास की गति को बढ़ाया है परंतु विभिन्न देशों को आर्थिक विकास का लाभ समान रूप से नहीं मिला है क्योंकि बाजार व्यवस्था मुनाफे की खोज में लगी रहती है। मुक्त प्रतियोगिता बाजार कार्यकुशलता की गारंटी तो दे सकता है परंतु अनिवार्य रूप में समानता को सुनिश्चित नहीं कर सकता। यह संसार के विकासशील देशों में असमानता में वृद्धि कर रहा है। एशिया और अफ्रीका के देशों में फैलते बाजार के विकास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या का पलायन हो रहा है। धन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। नगरीय जीवन की मूल्यहीनता में वृद्धि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं ने विश्व पूँजीवाद की विचारधारा को प्रबल बनाया है। ये संगठन विश्व बाजार के लिए राजनीतिक और कानूनी स्थितियों का निर्माण करते हैं। इन स्थितियों के निर्माण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ये कदम हैं

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सेवाओं की बाधाओं का निराकरण।.
  2. पूँजी का स्थानान्तरण। .
  3. संपत्ति के अधिकारों की विश्व के पैमाने पर सुरक्षा।
  4. राज्य की कंपनियों का निजीकरण।
  5. व्यावसायिक कार्यों का अनियमन।
  6. कल्याण सेवाओं को क्रमशः समाप्त करना।

इस सभी कदमों ने जनता को आवश्यक सामाजिक सेवाएं प्रदान करने की राष्ट्रों की क्षमता को घटा दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक द्वारा विकासशील देशों को अपने खर्च घटाने के लिए विवश किया जा रहा है। इससे जनसंख्या के वंचित समूहों के लिए उपलब्ध शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण को घटा दिया है। इन सुविधाओं को केवल सुविधा प्राप्त व्यक्तियों तक सीमित रखा गया है।

आज विकासशील देशों के लिए लाभ और अवसरों की अपेक्षा खतरे अधिक हैं। रोजगार पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है। एशिया के देशों में 1997-98 के मदों के दौर में बेरोजगारी दुगनी हो गई। अधिकांश देशों में श्रमिकों की सौदेबाजी की क्षमता कम हो गई है। वास्तविक मजदूरी में कमी आई है। प्रायः सभी देशों में गरीबी बढ़ रही है। विकास का लाभ समान रूप से नहीं मिल रहा है। निर्धन और अधिक निर्धन होते जा रहे हैं। भूमंडलीकरण आर्थिक संबंधों को जटिल बनाता है। आर्थिक सत्ता बहुराष्ट्रीय निगमों के हाथ में केन्द्रित करता है। भूमंडलीकरण सामान्य नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को सीमित करता है। यह सामाजिक नीति पर प्रभाव डालता है और राज्य की भूमिका को काम करता है। विकासशील देशों की जनता कृषि सेवाओं और पेटेंट अधिकारों जैसे सवालों पर चल रहे अंतराष्ट्रीय समझौतों से चिंतित है क्योंकि इनसे विकासशील देशों को याय नहीं मिलेगा।

प्रश्न 4. भूमंडलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की विवेचना कीजिए। … 

उत्तर-भूमंडलीकरण मुक्त बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूँजी का मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार जाना शामिल है। इसलिए भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था तथा व्यावसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी नै भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी मदद की है।

सकारात्मक प्रभाव : भूमंडलीकरण की स्थिति में आंतरिक व्यवस्था में विदेशी निवेश प्रचुर मात्रा में होता है। जिन देशों में आंतरिक संसाधनों की कमी होती है उन देशों में विदेशी पूँजी आर्थिक विकास की गति से तेज बना देती है।

भूमंडलीकरण से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, अधिक रोजगार और अधिक आर्थिक विकास जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

 

स्तर पर भूमंडलीकरण व्यावसायिक हिस्सेदारी के बीच सहयोग और भाई-चारा बढ़ाता है। सरकारों के बीच भी सहयोग में वृद्धि करता है।

नकारात्मक प्रभाव : विकासशील देशों का अनुभव यह बताता है कि भूमंडलीकरण उन देशों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं। विभिन्न देशों को आर्थिक विकास का समान समान लाभ नहीं मिल रहा है। बाजार व्यवस्था हमेशा मुनाफे की खोज में लगी रहती है। मुक्त प्रतियोगी बाजार व्यवस्था कार्यकुशलता की गारंटी तो दे सकती है परंतु अनिवार्य रूप से समानता नहीं ला सकती। बाजार के विस्तार से लोग ग्रामों से नगरों की ओर जा रहे हैं। नगरीय जीवन की मूल्यहीनता, परिवारों का विघटन और मानवीय प्रेरणा के आधार के रूप में भावुकता के स्थान पर धन की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाएँ विश्व-पूँजीवाद को बढ़ा रही हैं जिसके कारण राज्य की कंपनियों का निजीकरण और कल्याण सेवाओं को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। इन कदमों से जनता को आवश्यक सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने की राष्ट्रों की क्षमता कम हो रही है। वचित समूहों के लिए उपलब्ध शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण पर खर्च कम किया जा रहा है। आज विकासशील देशों में रोजगार पर बुरा असर पड़ रहा है। बेरोजगारी दुगुनी हो गई है। अब गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। विकास का लाभ केवल धनी देशों को ही मिल रहा है। धन और आय की विषमता में काफी वृद्धि हुई है। गरीब अब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं।

प्रश्न 5. उदारीकरण की प्रक्रिया को समझाइये। इसके परिणामों का उल्लेख कीजिए।

अथवा, 

भारत में उदारीकरण के प्रभाव की विवेचना कीजिए।

उत्तर-उदारीकरण भूमंडलीकरण का आर्थिक तत्व है। यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक अत्यंत नियंत्रित अर्थव्यवस्था खुली दिखने वाली व्यवस्था के रूप में परिवर्तित हो जाती है। नियंत्रण और संचालन को कम करके आंतरिक अर्थव्यवस्था को उदार बनाया जाता है। राज्य का महत्व घटाकर निजी उद्यमियों और कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सार्वजनिक इकाइयों को समाप्त करके व्यवसाय व उद्योग का निजीकरण होता है। उदारीकरण का विचार इस सोच पर निर्भर है कि यदि राज्य का हस्तक्षेप कम हो तो अर्थव्यवस्था एवं समाज बेहतर होगा। इसे ‘कम राज्य-अच्छा राज्य’ जैसे नारों से लोकप्रिय बनाया गया है।

भूमंडलीकरण की प्रक्रिया विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ जोड़ रही है। इस प्रक्रिया को उदारीकरण और निजीकरण के द्वारा आसान बनाया जा रहा है। विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर कम-से-कम सरकारी नियंत्रण रखकर उसे उदार बनाना होगा। उदारीकरण की नीति अर्थव्यवस्था की कार्य-कुशलता पर जोर डालती है।

भारत में सन् 1991 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई। नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर अधिकांश उद्यम निजी क्षेत्रों को सौंपे जा रहे हैं। भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया तेज की गई। नीतिगत सुधारों ने अर्थव्यवस्था को उदार बना दिया। 1991-1994 की अवधि में व्यापार और उद्योग से नियंत्रण और संचालन को विघटित करने पर ध्यान दिया गया। कर व सीमाशुल्क को घटाया गया है। घरेलू व विदेशी दोनों निवेशों के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण किया गया है।

सुधार के दूसरे चरण में उदारीकरण व निजीकरण की प्रक्रिया और भी तेज हुई। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है और सार्वजनिक क्षेत्र के आकार को छोटा किया जा रहा है।

अब बाजार विदेशी समान के लिए खुला हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र में उद्यमों में न केवल

विनिवेश प्रारंभ हो गया है बल्कि कई निगमों को निजी क्षेत्र को बेच दिया गया है। भारत में उदारीकरण के दस वर्षों में विकास दर संतोषजनक रही है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर दिया गया है। अब उद्योगों को सुरक्षा प्राप्त नहीं है। सूचना तकनीक के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ा है। आने वाले वर्षों में सूचना तकनीक से संबंधित सेवाओं से अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिल सकता है। –

उदारीकरण की नीति अपनाई जा रही है, परंतु समस्याएँ बढ़ी हैं। भारत के 26 प्रतिशत लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे हैं। रोजगार की स्थिति गंभीर बनी हुई है। नौकरियां घट रही हैं। स्वैच्छिक सेनानिवृत्ति योजना द्वारा लाखों लोग अलग हटा दिए गए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर्याप्त रोजगार देने की स्थिति में नहीं है। पूर्ण रोजगार, संपूर्ण साक्षरता, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सभी नागरिकों के जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार जैसे चुनौती भरे कार्यों को पूरा करना बाकी है।

प्रश्न 6. उदारीकरण की आर्थिक नीति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

उत्तर-उदारीकरण की आर्थिक नीति (Economic Policy of Liberalization): भूमंडलीकरण में सामाजिक और आर्थिक संबंधों का विश्वभर में विस्तार सम्मिलित है। यह विस्तार कुछ आर्थिक नीतियों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। मुख्यालय इस प्रक्रिया को भारत में उदारीकरण कहा जाता है। ‘उदारीकरण’ शब्द से आशय ऐसे अनेक नीतिगत निर्णयों से है जो भारत राज्य द्वारा 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व-बाजार के लिए खोल देने के उद्देश्य से लिए गए थे। इसके साथ ही, अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण रखने के लिए सरकार द्वारा इससे पूर्व अपनाई जा रही नीति पर विराम लग गया। सरकार ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् अनेक ऐसे कानून बनाए थे जिनसे यह सुनिश्चित किया गया था कि भारतीय बाजार और भारतीय स्वदेशी व्यवसाय व्यापक विश्व की प्रतियोगिता से सुरक्षित रहें। इस नीति के पीछे यह अवधारणा थी कि उपनिवेशवाद से मुक्त हुआ देश स्वतंत्र बाजार की स्थिति में नुकसान में ही रहेगा। सरकार का यह भी विश्वास था कि अकेला बाजार ही संपूर्ण जन-कल्याण विशेष रूप से सुविधा-वचित वर्गों के कल्याण का ध्यान, नहीं कर सकेगा। यह अनुभव किया गया कि जनसाधारण के कल्याण के लिए सरकार को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ था भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनों को समाप्त कर देना। इन उपायों को ‘आर्थिक सुधार’ भी कहा जाता है। ये सुधार क्या हैं ? जुलाई 1991 से, भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने सभी प्रमुख क्षेत्रों (कृषि, उद्योग, व्यापार, विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक क्षेत्र, वित्तीय संस्थाएँ आदि) में सुधारों की एक लंबी श्रृंखला देखी है। इसके पीछे मूल अवधारणा यह थी कि भूमंडलीय बाजार में पूर्व से ही अधिक समावेश करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

उदारीकरण की प्रक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आई. एम. एफ.) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण लेना भी आवश्यक हो गया। ये ऋण कुछ निश्चित शर्तों पर दिए जाते हैं। सरकार को कुछ विशेष प्रकार के आर्थिक उपाय करने के लिए वचनबद्ध होना पड़ता है; और इन आर्थिक उपायों के अंतर्गत संरचनात्मक समायोजन की नीति अपनानी होती है। इन समायोजनों का अर्थ सामान्यतः सामाजिक क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा में राज्य के व्यय में कटौती है। अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे विश्व व्यापार संगठन (डब्लू.टी.ओ.) के संदर्भ में भी यह बात कही जा सकती है।

प्रश्न 7. भूमंडलीकरण ने संचार व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? – 

उत्तर-विश्व में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र और दूरसंचार के आधारभूत ढाँचे में हुई महत्वपूर्ण उन्नति के परिणामस्वरूप भूमंडलीय संचार व्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। अब कुछ घरों और बहुत-से कार्यालयों में बाहरी दुनिया के साथ संबंध बनाए रखने के अनेक साधन उपलब्ध हैं; जैसे-टेलीफोन (लैंडलाइन और मोबाईल दोनों किस्मों के), फैक्स मशीनें, डिजिटल और केबल टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक मेल और इंटरनेट आदि।

आप में से कुछ को ऐसी बहुत-सी जगहों के बारे में पता होगा और कुछ को नहीं भी होगा। हमारे देश में इसे अक्सर ‘डिजिटल विभाजन’ का सूचक माना गया है। इस डिजिटल विभाजन के बाद भी प्रौद्योगिकी के ये विविध रूप समय और दूरी को तो संकुचित या कम करते ही हैं। इस ग्रह पर दो सुदूर विपरीत दिशाओं-बंगलूरु और न्यूयार्क में-बैठे दो व्यक्ति न केवल बातचीत कर सकते हैं, बल्कि दस्तावेज और चित्र आदि भी एक-दूसरे को उपग्रह प्रौद्योगिकी की सहायता से भेज सकते हैं।

मोबाइल टेलीफोन में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है और अधिकांश नगर में रहने वाले मध्यवर्गीय युवाओं के लिए सेलफोन उनके अस्तित्व का हिस्सा बन गए हैं। इस प्रकार सेलफोनों के इस्तेमाल में भारी वृद्धि हुई है और उनके प्रयोग के तरीकों में भी काफी बदलाव दिखाई देता है।

प्रश्न 8. भूमंडलीकरण ने राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार का परिवर्तन कर दिया है ? विवेचना कीजिए।

उत्तर– भूतपूर्व समाजवादी विश्व का विघटन’ अनेक दृष्टियों से एक वृहद् राजनीतिक परिवर्तन था, जिसने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तीव्र कर दिया। इसके परिणामस्वरूप भूमंडलीकरण को सहारा देने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशिष्ट आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण उत्पन्न हो गया। इन परिवर्तनों को अक्सर नव-उदारवादी आर्थिक उपाय कहा जाता है। हम पूर्व में यह देख चुके हैं कि भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत क्या-क्या ठोस कदम उठाए गए। मोटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त उद्यम संबंधी राजनीतिक दूरदर्शिता प्रतिबिंबित होती है जिसमें यह विश्वास किया जाता है कि बाजार की शक्तियों का निर्बाध शासन कुशल एवं न्यायसंगत होगा। इसलिए यह दूरदर्शितापूर्ण नीति के अंतर्गत राज्य की ओर से विनियमन और आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचना करती है। इस अर्थ में भूमंडलीकरण से भिन्न भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक भूमंडलीकरण की भी संकल्पना कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी अनुभागों का समावेश होता है।

भूमंडलीकरण के साथ एक अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है, और वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ (ई.यू.), दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (जोर्डस) – ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो क्षेत्रीय संघों की महत्वपूर्ण भूमिका का दर्शाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का उदय भी एक अन्य राजनीतिक आयाम प्रस्तुत करता है। अतः सरकारी संगठन एक ऐसा निकाय होता है जो सहभागी सरकारों द्वारा स्थापित किया जाता है और जिसे एक विशिष्ट पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र पर नजर रखने या उसे विनियमित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। उदारहरणार्थ, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) को व्यापार प्रथाओं पर लागू होने वाले नियमों के संबंध में आधिकाधिक भूमिका सौंपी जा रही है।

प्रश्न 9. अपनी रुचि का कोई भी विषय चुनें और यह चर्चा करें कि भूमंडलीकरण ने उसे किस प्रकार प्रभावित किया है। आप सिनेमा, कार्य, विवाह अथवा कोई भी अन्य विषय चुन सकते हैं ?

(NCERTT.B.Q.1)

नोट–अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 10. भूमंडलीकरण का भारतीय समाज पर पड़नेवाले प्रभावों की चर्चा करें ?

[M.Q.2009 A]

उत्तर-भारतीय समाज में पिछले एक दशक यानी 1995 के बाद एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया है जिसे हम भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण के नाम से जानते हैं। भूमंडलीकरण के कारण सामाजिक स्तरीकरण का एक नया स्वरूप उभरा है जिसमें खुला बाजार अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, राजनीतिक तथा सामाजिक प्रजातंत्र, नागरिक अधिकार तथा स्वतंत्रता आदि विचारों का उद्भव

हुआ है। दरअसल भूमंडलीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसने मानव जीवन के सम्मुख अनेक चुनौतियाँ भी प्रस्तुत की है। जहाँ एक ओर इसके चलते सम्पूर्ण मानव जाति के एक सार्वभौमिक समुदाय, एक विश्व बाजार और अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण हुआ है वहीं दूसरी ओर इसने भारत में एक नवीन मध्यमवर्ग को जन्म दिया है जो पूँजीपति तथा श्रमिकों के बीच कड़ी का काम करता है। इसके अलावा जनसंख्या में परिवर्तन तथा औद्योगिकीकरण एवं नगरीकरण की प्रक्रिया में भी गतिशीलता आई है। भूमंडलीकरण के कारण हम सूचना क्रांति के युग में प्रवेश किये हैं जिसने अनेक आन्दोलनों को जन्म दिया है जैसे-नारी आन्दोलन, दलित आन्दोलन आदि-आदि। भूमंडलीकरण के कारण हमारे नेता तथा प्रशासक निजी पूँजी तथा निजी औद्योगिक इकाइयों पर बल देने लगे हैं जिसके कारण हमारा आर्थिक विकास कृषि तथा उद्योग दोनों क्षेत्रों में काफी बढ़ा है।

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