Advertica

 Bihar board solutions for class 12th sociology

Bihar board solutions for class 12th sociology

Bihar board solutions for class 12th sociology

 भारतीय समाज की जन सांख्यिकीय संरचना 

(The Demographic Structure of the Indian Society)

*स्मरणीय तथ्य

जनसंख्या घनत्व (Population Density) : जनसंख्या घनत्व से आशय प्रति वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या से है।

*जन्मदर (Birth Rate) : जन्मदर का संबंध प्रति हजार जनसंख्या पर जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या से होती है।

*आर्थिक विकास (Economic Development) : साधारण शब्दों में आर्थिक विकास का अर्थ है – अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता के स्तर को बढ़ाना और इस प्रकार राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में संचयी रूप में वृद्धि करना।

*जनाधिक्य (Over-Population) : यदि संसाधनों की तुलना में जनसंख्या अधिक है तो उसे ‘जनाधिक्य’ या ‘जनातिरेक’ कहते हैं।

*आश्रित अर्थव्यवस्था (Dependent Population) : आश्रित जनसंख्या, जनसंख्या का वह भाग है जो जीवनयापन के लिए कार्यशील जनसंख्या पर निर्भर करता है। इसमें 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 62 वर्ष से ऊपर की आयु के वृद्ध आते हैं।

*जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) : जनसंख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी होना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है।

*जनसंख्या वितरण (Population Distribution) : देश के विभिन्न भागों (राज्यों) में जनसंख्या की स्थिति जनसंख्या वितरण कहलाती है।

*जनगणना (Census) : जनगणना किसी देश की जनसंख्या को गिरने की पद्धति है। भारत में प्रत्येक 10 वर्ष बाद जनगणना होती है। विगत जनगणना 2001 में सम्पन्न हुई थी।

*नगर (City) : नगर का तात्पर्य कानून द्वारा निर्धारित उस क्षेत्र से है जिसके अन्तर्गत एक निश्चित आकार वाली जनसंख्या रहती है।

*प्राइमेट सिटी (Primate City): औद्योगिक देशों में अत्यधिक विस्तृत नगरीय केन्द्र होते हैं, इन्हें प्राइमेट सिटी कहते हैं।

*ग्रामीण समुदाय (Rural Community) : ग्रामीण समुदाय प्रारंभिक रूप से कृषि जीवन पर आधारित प्राथमिक सम्बन्धों एवं कम जनसंख्या वाला सरल समुदाय है।

 एन.सी.ई.आर.टी. पाठ्यपुस्तक एवं अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(Objective Questions) 

(क) बहुवैकल्पिक : 

  1. भारत की वर्तमान आबादी

[M.Q. 2009A]

(क) एक लाख से अधिक है

(ख) 50 करोड़ है

(ग) 100 लाख है

(घ) उपर्युक्त कोई भी सही नहीं है

उत्तर-(क) 

  1. भारत के किस प्रांत में लिंग अनुपात स्त्रियों के पक्ष में हैं ? [M.Q.2009A] 

(क) पश्चिम बंगाल

(ख) तमिलनाडू

(ग) गोवा

(घ) केरल

उत्तर–(घ) 

  1. ग्रामीण भारत निम्न किस आधार पर नगरीय भारत से भिन्न है ? [M.Q.2009 A] 

(क) शैक्षणिक स्तर

(ख) आर्थिक स्तर

(ग) स्वास्थ्य-संबंधी स्तर

(घ) उपर्युक्त सभी स्तर

उत्तर-(घ) 

  1. नगरीय भारत में परिवार का कौन-सा स्वरूप सर्वाधिक प्रचलित है ?

___ [M.Q.2009 A]

(क) विस्तृत परिवार

(ख) एकाकी परिवार

(ग) संयुक्त परिवार

(घ) छोटा परिवार

उत्तर-(ग) 

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंग अनुपात कितना है? [M.Q.2009A] 

(क) 933 प्रति हजार

(ख) 927 प्रति हजार

(ग) 972 प्रति हजार

(घ) 935 प्रति हजार

उत्तर-(क)

6. भारत में अभी लगभग कितना प्रतिशत लोग गाँव में रहते हैं ? [M.Q.2009A] 

(क) 80%

(ख) 75% .

(ग) 72%

(घ) 67%

उत्तर-(ग) 

  1. गाँव से लोगों का शहर की ओर आना और शहरी मूल्यों को अपनाने को क्या कहते

[M.Q.2009A]]

(क) औद्योगिकीकरण

(ख) नगरीकरण

(ग) संस्कृतिकरण

(घ) पश्चिमीकरण.

उत्तर-(ख) 

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या में जनजातियों की जनसंख्या कितनी है?

[M.Q.2009A]

(क) 8.08 प्रतिशत है

(ख) 10.08 प्रतिशत है

(ग) 12.08 प्रतिशत है

(घ) 14.08 प्रतिशत है •

उत्तर-(क) 

  1. निम्नलिखित में कौन जनसंख्या वृद्धि का कारण है- . [M.Q.2009A] 

(क) अशिक्षा

(ख) निर्धनता

(ग) धार्मिक मतवाद

(घ) इनमें सभी __

उत्तर-(घ) 

  1. 2001 की जनगणना रिपोर्ट में विकलांगता के कितने प्रकार बताये गए हैं ?

[M.Q.2009A

(क) दो प्रकार

(ख) तीन प्रकार (ग) चार प्रकार

(घ) पाँच प्रकार

उत्तर-(घ)

  1. ‘ग्रामीण क्षेत्रों’ का नगरीय क्षेत्रों में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं। . यह किसका कथन है ?

[M.Q.2009A]

(क) फेयर चाईल्ड

(ख) एम० एस० ए० राव

(ग) एम० एन० श्रीनिवास

(घ) ई० एफ० बर्गेस ..

उत्तर-(घ) 

  1. निम्नलिखित में कौन ग्रामीण समुदाय की विशेषता है ? [M.Q. 2009A] 

(क) श्रमविभाजन

(ख) सामाजिक गतिशीलता

(ग) धनी आबादी

(घ) कृषि व्यवसाय

उत्तर-(घ) 

  1. निम्नलिखित में कौन नगरीय समुदाय की विशेषता है? [M.0.2009A] 

(क) घनी आबादी

(ख) सामाजिक जीवन में एकरूपता

(ग) सामाजिक गतिशीलता का अभाव

(घ) पारस्परिक निकटता

उत्तर-(क) 

  1. ‘ग्रामीण-नगरीय सातत्य’ की अवधारणा के विकास में निम्न में किनका योगदान है ? 

(क) ऑगस्ट कॉम्ट

(ख) कार्ल मार्क्स

(ग) रॉबर्ट रेडफील्ड

(घ) मैकाइवर और पेज

उत्तर-(ग) 

  1. भारत में जनगणना कितने वर्षों बाद होती है ?

[M.Q. 2009A]

(क) 5 वर्ष

(ख) 10 वर्ष –

(ग) 15 वर्ष

(घ) 20 वर्ष

उत्तर-(ख) 

  1. डेमोग्राफी (जनांकिकी) शब्द का प्रयोग सबसे पहले किस विद्वान द्वारा किया गया था?

[M.Q.2009A]

(क) गुईलार्ड

(ख) सोरोकिन

(ग) लेविस

(घ) बर्कले

उत्तर-(ग) 

  1. भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है

(क) पश्चिम बंगाल

(ख) झारखंड

(ग) बिहार

(घ) छत्तीसगढ़

उत्तर-(क) 

  1. भारत में सबसे अधिक शिक्षित महिलाओं वाला राज्य है

(क) मध्य प्रदेश

(ख) केरल (ग) बिहार

(घ) उत्तर प्रदेश.

उत्तर-(ख) 

  1. भारत में सबसे कम साक्षरता वाला राज्य है

(क) राजस्थान

(ख) गुजरात

(ग) मध्य प्रदेश

(घ) बिहार

उत्तर-(घ)

  1. भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का कुल कितना प्रतिशत है ? 

(क) 20 प्रतिशत

(ख) 16 प्रतिशत

(ग) 10 प्रतिशत

(घ) 40 प्रतिशत

उत्तर-(ख)

  1. भारत में महारजिस्ट्रार के अनुसार सन् 2011 तक भारत की जनसंख्या हो जायेगी

(क) 10.89 करोड़

(ख) 201.89 करोड़

(ग) 117.89 करोड़

(घ) 240.69 करोड़

उत्तर-(ग) 

(ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(1) विश्व की कुल भूमि का केवल ……………. प्रतिशत भारत में है।

(2) भारत में नियमित जनगणना …………… ई० प्रारंभ की गई। .

(3) हरियाणा राज्य में महिलाओं का औसत सबसे …………….

(4) केरल राज्य में महिलाओं की संख्या पुरुषों से …………है।

उत्तर-(1) 2.4, (2) 1881, (3) कम, (4) अधिक।

 

………….

(ग) निम्नलिखित कथनों में सत्य एवं असत्य बताइये :

(1) 1991 ई० की जनगणना के अनुसार भारत में 5109 नगर थे।

(2) प्राइवेट सिटी बड़े नगर होते हैं।

(3) देश में 2001 ई० की जनगणना के अनुसोर 597 जिले हैं।

(4) भारत में जनगणना का घनत्व निरन्तर ह्यस की ओर है।

(5) भारत में मुख्य तौर पर आठ धर्म प्रचलित हैं।

 उत्तर-(1) सत्य, (2) सत्य, (3) सत्य, (4) असत्य, (5) असत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

   (Very Short Answer Type Questions)

 प्रश्न 1. ब्रिटिश भारत में सर्वप्रथम जनगणना कब हुई थी?

उत्तर-सर्वप्रथम जनगणना 1872 में हुई। इसके बाद 1881 में लार्ड रिपन के शासन काल में जनगणना हुई थी।

प्रश्न 2. भारत में जनगणना कब की जाती है ?

उत्तर-भारत में जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष पश्चात् की जाती है। पिछली जनगणना वर्ष 2001 में संपन्न हुई है।

प्रश्न 3. भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर तेज क्यों है ?

उत्तर-भारत की जनसंख्या संसार की कुल जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 102 करोड़ 70 लाख थी। 1991की तुलना में इसमें 21.34 प्रतिशत वृद्धि हुई है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, मृत्यु दर में कमी, महामारियों पर प्रभावकारी नियंत्रण, अकाल की स्थिति में उपयुक्त उपाय, आर्थक विकास आदि इस वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारक हैं।

प्रश्न 4. समाजशास्त्री जनसंख्या नियंत्रण पर क्यों अधिक जोर देते हैं ?

उत्तर-जनसंख्या की तीव्र वृद्धि किसी भी देश की.सामाजिक व्यवस्था के लिए तीव्र खतरा बन सकती है। तीव्र गति से होने वाली जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप, बेरोगजारी, निर्धनता, अपराध, बाल अपराध, आत्महत्या आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार 2011 तक भारत की जनसंख्या 117.89 करोड़ हो जाएगी।

प्रश्न 5. स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर बताइए।

उत्तर भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् जनसंख्या की वृद्धि दर निम्नलिखित रही है : .

प्रश्न 6. विश्व में भारत की जनसंख्या का स्थान बताइए।

उत्तर-संसार की विशाल जनसंख्या वाले देशों में भारत का स्थान दूसरा है। भारत में अनेक सामाजिक, आर्थिक समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण जनसंख्या ही है। भारत की जनसंख्या अमेरिका व रूस की सम्मिलित जनसंख्या से अधिक है। विश्व के प्रत्येक 6 व्यक्तियों में एक भारतीय है, जबकि विश्व की कुल भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भारत में है।

प्रश्न 7. भारत में ऊँची जन्म दर के क्या कारण हैं ?

उत्तर-भारत में आज भी धर्म, परम्परा, रूढ़ि आदि का पर्याप्त प्रभुत्व है जिसके कारण गर्भ निरोध और विलंब से विवाह करने में कोई रुचि नहीं है। भारत में ऊँची जन्म दर के कारण कम आयु में विवाह, विवाहितों की अधिक संख्या, बच्चों का अधिक महत्व, निर्धनता, जीवन में स्वस्थ मनोरंजन का अभाव, भाग्यवादिता, संयुक्त परिवार प्रणाली, चिकित्सा सुविधाओं का विकास आदि है। जन्म दर को प्रभावित करने में शिक्षा, धर्म, व्यवसाय, जाति, वर्ग और सामुदायिक संरचना भी उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 8. जनसंख्या के घनत्व से क्या अभिप्राय है? भारत में जनसंख्या का घनत्व कितना है ?

उत्तर-एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। पश्चिम बंगाल में जनसंख्या का घनत्व सबसे अधिक 904 है, बिहार में 880 तथा अरुणाचल में 13 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है। भारत में जनसंख्या का घनत्व निरंतर बढ़ रहा है।

प्रश्न 9. भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात को समझाइए।

उत्तर–सन् 2001 के आँकड़ों के अनुसार देश में पुरुषों की संख्या 53.12 करोड़ है जबकि स्त्रियों की संख्या 49.57 करोड़ है। प्रति 1000 पुरुषों के पीछे 933 महिलाएँ हैं। केरल राज्य में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। हरियाणा राज्य में महिलाओं का औसत सबसे कम अर्थात् प्रति 1000 पुरुषों के पीछे 861 महिलाएं हैं। .

प्रश्न 10. भारत में अनुसूचित जाति और जनजातियों की संख्या कितनी है ?

उत्तर-1991 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की जनसंख्या क्रमशः 13.82 करोड़ और 6.77 करोड़ थी। इन दोनों की सम्मिलित जनसंख्या कुल जनसंख्या का 24.56 प्रतिशत थी। अनुसूचित जाति के लोगों की सबसे अधिक संख्या 2.92 प्रतिशत थी। अनुसूचित जाति के लोगों की सबसे अधिक संख्या 2.92 करोड़ उत्तर प्रदेश में निवास करती है।

प्रश्न 11. भारत में विभिन्न धर्म के लोगों की संख्या बताइए।

उत्तर-भारत में अनेक धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं। सात बड़े धर्म हैं जिनके माने वालों की संख्या निम्न प्रकार से है

प्रश्न 12. अशोधित जन्म दर से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर-एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्ति पर जन्मों की संख्या अशोधित जन्म दर कहलाती है।

प्रश्न 13. वृद्ध-समूह का प्रतिशत क्या है ? 

उत्तर-2001 की जनगणना के अनुसार भारत में यह कुल जनसंख्या का 6.79 प्रतिशत है।

प्रश्न 14. एक दशक में वार्षिक वृद्धि दर और चरम वृद्धि के बीच क्या संबंध है?

उत्तर-यह व्युत्क्रमानुपाती है क्योंकि जब वार्षिक वृद्धि दर गिरावट की प्रवृत्ति रखती है ठीक उसी समय निरपेक्ष/चरम वृद्धि बढ़ती है। उदाहरणार्थ : 1981 की जनगणना में निरपेक्ष वृद्धि 13. 51 करोड़ थी जबकि वार्षिक वृद्धि दर 2.22 प्रतिशत थी। 1991 में निरपेक्ष वृद्धि 16.30 करोड़ थी जबकि वार्षिक वृद्धि दर 1981 के 2.22% से घटकर 2.14% रह गई थी।

प्रश्न 15. जनसंख्या का विस्तार (Magnitude) क्या है ?

उत्तर-यह प्रति दशक जनसंख्या में होने वाली निरपेक्ष वृद्धि का सूचक है। उदाहरणार्थ-1951 में कुल जनसंख्या 36.10 करोड़ थी जबकि जनसंख्या विस्तार 4.24 करोड़ था।

प्रश्न 16. जनसंख्या का वेग (Pace) क्या है?

उत्तर-जनसंख्या में होने वाली वृद्धि की चाल या दर को वेग कहा जाता है। इसको प्रतिवर्ष प्रतिशत में लिखा जाता है तथा जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर भी कहा जाता है। उदाहरणार्थ-1951की जनगणना के अनुसार वार्षिक वृद्धि दर (वेग) 1.25% थी जबकि जनसंख्या का विस्तार 4. 24 करोड़ था।

प्रश्न 17. उस वर्ष को लिखिए जिसमें जनसंख्या की वृद्धि के स्थान पर भारत के जनगणना इतिहास में पहली बार जनसंख्या की गिरावट देखी गई।

उत्तर–वर्ष 1921, इसमें 0.30% गिरावट दर्ज की गई।

प्रश्न 18. तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश में प्रत्येक राज्य से तीन-तीन दस लाख से ऊपर जनसंख्या वाले शहरों के नाम लिखिए।

उत्तर-तमिलनाडु: चेन्नई, मदुराई और कोयम्बटूर। . गुजरात : अहमदाबाद, सूरत तथा बडोदरा। उत्तर प्रदेश : कानपुर, लखनऊ और वाराणसी।

प्रश्न 19. 2001 की जनगणना के अनुसार महिलाओं और पुरुषों की पृथक्-पृथक् । जनसंख्या क्या है ?

उत्तर-पुरुषों की 53.2 करोड़ और महिलाओं की 49.6 करोड़, यह कुल जनसंख्या 102.87 करोड़ का हिस्सा है।

प्रश्न 20. जनगणना, 2001 के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व लिखिए। 

उसर-324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.।

प्रश्न 21. भारत में 0-14 वर्ष या 15-59 वर्ष में से कौन सा आयु समूह बड़ा है?

उत्तर-0-14 वर्ष का आयु समूह (कुल जनसंख्या का 34-33%)।

प्रश्न 22. भारत में जनसंख्या वितरण का अवधारण करने वाले घटक कौन-कौन से हैं?

उत्तर-ये घटक हैं : (अ) भू-आकृतियाँ, (ब) जलवायु, (स) प्राकृतिक संसाधन, (द) परिवहन और संचार के साधन, (य) उपजाऊ भूमि, (र) औद्योगीकरण, (ल) खनिज संपदा, (व) जल की उपलब्धता।

प्रश्न 23, नगर की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-1. क्वीन के अनुसार, “नगर का तात्पर्य कानून द्वारा निर्धारित उस क्षेत्र से है जिसके अन्तर्गत एक निश्चित आकार वाली जनसंख्या रहती हो तथा जिसकी सीमाओं के अन्तर्गत व्यवस्था कायम करने का कार्य राज्य द्वारा अधिकृत एक स्थानीय सत्ता द्वारा किया जाता है।”

  1. लूमिस के अनुसार, “नगर एक ऐसी इकाई है जिसे उसके नजदीकी क्षेत्रों से जनसंख्या के आकार या घनत्व, व्यवसाय की प्रकृति एवं सामाजिक संबंधों की प्रकृति जैसी विशेषताओं के आधार पर पृथक् किया जा सकता है।”

प्रश्न 24. ‘प्राइमेट सिटी’ से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-औद्योगिकी देशों में अत्यधिक विस्तृत नगरीय केन्द्र (Urban Centre) होते हैं, इन्हें प्राइमेट सिटी कहा जाता है। प्राइमेट सिटी बड़े नगर होते हैं जिसमें ग्रामीण जनसंख्या अत्यधिक अनुपात में रोजगार (Employment) की तलाश में आती है।

प्रश्न 25. महानगर किसे कहते हैं ?

उत्तर-जब नगरीय समुदायों (Urban Communities) का विस्तार नगर के केन्द्र से बाहर की ओर होता है, तब निकटवर्ती कस्बे तथा ग्रामीण क्षेत्र सामाजिक तथा आर्थिक जाल के अन्तर्गत आ जाते हैं। उपनगर तथा ग्रामीण क्षेत्र नगर के केन्द्रीय भाग से अनेक प्रकार से जुड़े होते हैं। इस प्रकार, नगर का केन्द्र, उपनगर, निकटवर्ती कस्बे तथा ग्रामीण क्षेत्र परस्पर सामाजिक व आर्थिक रूप से संबद्ध होते हैं, इन्हें महानगर कहते हैं।

प्रश्न 26. नगर का केन्द्र किसे कहते हैं ?

उत्तर-(1) महानगरों के आंतरिक भाग (Core) को नगर का केन्द्र कहा जाता है। नगर के केन्द्र में सदैव जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। नगर के केन्द्र सांस्कृतिक रूप से छोटे कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों से पृथक् होते हैं।

(2) आम तौर पर, अत्यधिक धनी तथा बौद्धिक स्तर वाले व्यक्ति नगर के केन्द्र से उपनगर में चले जाते हैं। इस प्रकार, नगर केन्द्रों में निम्न सामाजिक स्थिति के व्यक्ति रह जाते हैं।

प्रश्न 27. उपनगर पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-(1) आमतौर पर समाज का धनाढ्य वर्ग नगर के मध्य भाग से हटकर नगर के बाहरी भाग में रहने का प्रयत्न करते हैं। नगर का यही बाहरी क्षेत्र विस्तृत तथा शांतिमय होता है। इसका नगर की आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों से प्रत्यक्ष तथा सुगम संबंध होता है।

(2) महानगर क्षेत्र की सीमाओं में स्थित ऐसे क्षेत्र को उपनगर (Suburbs) कहते हैं। उपनगरीय क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व तथा आकार कम पाया जाता है।

प्रश्न 28. ग्राम समुदायों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है ? 

उत्तर-ग्राम समुदायों का वर्गीकरण डॉ. श्यामाचरण दुबे ने निम्न प्रकार से किया है :

(i) आकार, जनसंख्या तथा भूमि का क्षेत्रफल।

(ii) प्रजातीय तत्व तथा जातियाँ।

(iii) भूमि का स्वामित्व।

(iv) अधिकार तथा सत्ता।

(v) अन्य समुदायों से पृथकता।

(vi) स्थानीय परंपराएँ।

 प्रश्न 29. ग्रामीण समुदाय किसे कहते हैं ?

उत्तर-ग्रामीण समुदाय प्रारंभिक रूप से कृषि जीवन पर आधारित प्राथमिक संबंधों एवं कम जनसंख्या वाला सरल समुदाय है।

प्रश्न 30. ग्रामों का विकास कैसे हुआ?

उत्तर-ग्रामों का विकास एकाएक नहीं हुआ, बल्कि इनका विकास पर्यावरण से अनुकूलन करने की प्रक्रिया के द्वारा धीरे-धीरे हुआ है।

प्रश्न 31. भारत में कितने प्रतिशत जनता कृषि पर आधारित है?

उत्तर-भारत में कुल जनसंख्या का 43.24 प्रतिशत कृषि पर तथा 26.33 प्रतिशत कृषि-श्रम पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 32. नगर से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-नगर से अभिप्राय ऐसी केन्द्रीयकृत बस्तियों के समूह से है जिसमें सुव्यवस्थित केन्द्रीय व्यापार क्षेत्र, प्रशासनिक इकाई, आवागमन के साधन, संचार सुविधाएँ और अन्य नागरिक सुविधाएँ होती हैं। जनसंख्या का घनत्व भी अधिक होता है।

प्रश्न 33. नगरों में जनसंख्या का घनत्व क्यों बढ़ रहा है ?

उत्तर-अधिकतर कारखाने नगरों के पास ही स्थापित किए जाते हैं जिनमें काम करने के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं और वे आकर नगर में बस जाते हैं। इससे नगरों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है।

प्रश्न 34. स्वतंत्रता से पूर्व ग्रामों की क्या स्थिति थी ? 

उत्तर-स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय ग्रामों की स्थिति अच्छी नहीं थी। लोग गरीब थे, बेरोजगारी शिक्षा-चिकित्सा आदि की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।

प्रश्न 35. ग्रामीण समुदाय से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर-ग्रामीण समुदाय से अभिप्राय ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों से है जो मुख्य रूप से कृषि या कृषि आधारित अन्य कार्यों को करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं।

प्रश्न 36. व्यक्ति अपने पास-पड़ोस के लोगों से संबंध क्यों बनाते हैं ? 

उत्तर-व्यक्ति की अनेक आवश्यकताएँ होती हैं जिन्हें वह अकेले पूरी नहीं कर सकता। उसे वरन् आवश्यकता पड़ने पर सहायत देता भी है।

प्रश्न 37. भारत में कुल कितने नगर हैं ? . 

उत्तर-1991 की जनगणना के अनुसार भारत में 5109 नगर थे। भारत में नगर की सूचना राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न नियमों के अनुसार की जाती है। नगरों में नगर निगम, नोटीफाइड

10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर महानगर कहलाते हैं।

प्रश्न 38. गाँव से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-पाँच हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्र को गाँव कहते हैं। गाँव मान्य और स्थायी पारस्परिक संबंधों द्वारा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक एकीकृत समुदाय है। कृषि ही लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है। जजमानी व्यवस्था इसकी एकता का सबसे बड़ा प्रतीक है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

(Short Answer Type Questions) 

प्रश्न 1. आदर्श जनसंख्या से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-जनसंख्या समाज का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य तत्व है। जनसंख्या के अभाव में समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती। किसी राष्ट्र की जनसंख्या कितनी होनी चाहिए यह प्रश्न एक सापेक्षिक प्रश्न है। कुछ राष्ट्रों की जनसंख्या कम है वे अधिक जनसंख्या के लिए प्रोत्साहन देते हैं। कुछ राष्ट्रों की जनसंख्या अधिक है। वे अपने नागरिकों को जीवन की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। किसी देश की जनसंख्या उसी समय आदर्श जनसंख्या कहलाती है जब उनकी रोटी, कपड़े और मकान की समस्या नहीं रहती। अर्थशास्त्री कैनन के अनुसार आदर्श जनसंख्या एक ऐसी जनसंख्या है जो देश के सभी ‘प्राकृतिक साधनों का शोषण करके अपने व्यक्तियों को अधिकतम प्रति व्यक्ति आय देती है।’ जनसंख्या का उचित आकार राष्ट्र को सुदृढ़ बनाता है तथा उसकी बहुपक्षीय प्रगति में सहायता करता है। अधिक जनसंख्या राष्ट्र व समाज के लिए अनेक समस्याओं का कारण बन जाती है। ऐसे राष्ट्र जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 2. आप्रव.स तथा उत्प्रवास में क्या अन्तर है ?

उत्तर-एक देश की जनसंख्या में परिवर्तन आप्रवास (बाहर के देशों से आकर बसने वाले लोगों) और उत्प्रवास (बाहर जाकर बसने वाले लोगों) के आधार पर भी होता है। जब अन्य देशों से व्यक्ति आकर हमारे देश में बस जाते हैं तो इससे निश्चित रूप से हमारे देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है। उत्प्रवास के अन्तर्गत हमारे देश या समाज के व्यक्ति अन्य देशों या समाजों में जाकर बस जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप. हमारे देश की जनसंख्या निश्चित रूप से कम हो

जाती है। वैसे तो ये क्रियाएँ हमेशा चलती रहती हैं परन्तु जब इनके अनुपात में अन्तर आ जाता है तो जनसंख्या में संबंधित परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।

प्रश्न 3. जन्म-दर और मृत्यु-दर से क्या अभिप्राय है ? जन्म-दर में वृद्धि के लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं ?

उत्तर-जन्म-दर (Birth Rate): एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे जितने बच्चे जन्म लेते हैं, वह जन्म-दर कहलाती है।

मृत्यु-दर (Death Rate) : एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे जितने लोग मरते हैं उसे मृत्यु-दर कहते हैं।

यदि किसी समाज में मृत्यु-दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक होती है तो निश्चित रूप से उस समाज में जनसंख्या की वृद्धि होती है।

यदि जन्म दर की अपेक्षा मृत्यु-दर अधिक है तो निश्चित रूप से जनसंख्या घटने लगती है। जन्म-दर में वृद्धि के लिए कुछ कारक उत्तरदायी हैं। ये कारक हैं : प्रजनन क्षमता में वृद्धि, शारीरिक रोगों से मुक्ति, विवाह की कम आयु, प्राकृतिक कारक, धार्मिक विचार, सामाजिक विचार, निरक्षरता, निर्धनता, भाग्यवाद, कृषि अर्थव्यवस्था, संयुक्त परिवार प्रणाली, स्त्रियों की निम्न सामाजिक स्थिति, मनोरंजन सुविधाओं की कमी आदि।

जब जन्म-दर और मृत्यु-दर समान रहती है तो उसे आदर्श जनसंख्या कहा जाता है।

प्रश्न 4. भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत है, जबकि चीन की जनसंख्या 22 प्रतिशत है। हमारे देश में जन्म-दर 20 प्रति हजार है जो कि अन्य विकसित देशों की तुलना में अधिक है। निम्न दी गई तालिका द्वारा हम इसे स्पष्ट कर सकते हैं।

भारत की जनसंख्या और उसकी वृद्धि दर

1.93 ऊपर दी गई तालिका से स्पष्ट है कि भारत में औसत वार्षिक वृद्धि दर अधिक है। मृत्यु-दर से तेजी से कम हो रही है परंतु जन्म-दर में गिरावट धीमी है अतः औसत वार्षिक वृद्धि दर में कमी नहीं हो रही है।

प्रश्न 5. हमारे देश में निर्भरता अनुपात अब भी उच्च क्यों है ?

उत्तर-भारत में निर्धनता अनुपात में वृद्धि हो रही है। जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक होने के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। निर्धनता और बेरोजगारी के कारण बच्चों व बूढ़ों की संख्या में वृद्धि हो रही है। 60 वर्षों से अधिक आयु वाले बूढ़े व्यक्तियों की संख्या लगभग 6% है जो अन्य लोगों पर आश्रित हैं। स्त्रियों की एक बड़ी संख्या अन्य लोगों पर निर्भर है। 1991 की जनगणना के अनुसार 0-14 वर्ष आयु वाले बच्चों की संख्या 36 प्रतिशत तथा 60 वर्ष से ऊपर वाले व्यक्तियों की संख्या 6 प्रतिशत थी। अतः 42 प्रतिशत जनसंख्या आश्रित जनसंख्या है। शिशु मृत्यु-दर में कमी और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण निर्भरता अनुपात ऊँचा है। .

प्रश्न 6. भारत की जनसंख्या की जनांकिकी विशेषताएँ क्या हैं ?

उत्तर-जनसंख्या की दृष्टि से भारत संसार का दूसरा बड़ा देश है। भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत है। जन्म-दर, मृत्यु-दर और शिशु मृत्यु-दर के आधार पर भारत की जनसंख्या निम्न तालिका की सहायता से स्पष्ट की जा सकती है :

 

यहाँ प्रति हजार व्यक्ति अशोधित जन्म-दर से अभिप्राय एक वर्ष में जन्मे प्रति हजार व्यक्तियों की संख्या है।

अशोधित मृत्यु-दर से अभिप्राय एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर मृतकों की संख्या है।

प्रश्न 7. भारत में जनसंख्या की आयु संरचना को समझाइये।

उत्तर भारत में 1951 में 14 वर्ष तक की आयु के लोग कुल जनसंख्या के 37 प्रतिशत ‘थे। 15 से 60 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 57.5% तथा 60 वर्ष से ऊपर के लोग 5.5% थे। निम्नलिखित तालिका की सहायता से हम इसमें होने वाले परिवर्तन को स्पष्ट कर सकते हैं :

तालिका से स्पष्ट है कि 0-14 आयु वर्ग में प्रतिशत घट रहा है और 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों का प्रतिशत बढ़ रहा है। जीवन प्रत्याशा जो 1951 में 33 वर्ष थी, 1991 में बढ़कर 58 वर्ष तथा सन् 2001 में 64 हो गई।

प्रश्न 8. भारत में जनसंख्या की ग्रामीण-शहरी सरंचना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-भारत की जनसंख्या का अधिक भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। 1951 में 83 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में तथा 17 प्रतिशत श्हारों में निवास करती थी। नगरीकरण की प्रवृत्ति,

औद्योगीकरण और सेवा क्षेत्रों के विकास से नागरिकों का ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन जारी है। शहरी जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होती जा रही है। निम्नलिखित तालिका के आधार पर हम इसे स्पष्ट कर सकते हैं :

तालिका से स्पष्ट है कि नगरों का तेजी से विकास हो रहा है। रोजगार के अधिक अवसर ग्रामीण जनसंख्या को नगरों की ओर आकर्षित कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का प्रतिशत कम हो रहा है और शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत बढ़ रहा है।

प्रश्न 9. भारत में पुरुष-स्त्री अनुपात को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात में निरंतर गिरावट आ रही है। यह एक चिंता का विषय है। प्रायः कन्या का जन्म होने से पहले ही उसे संसार में आने से रोक दिया जाता है। केरल जहाँ

शिक्षा का प्रचार अधिक है स्त्री मृत्यु-दर सबसे कम है। 1989-93 की अवधि में 12.9 थी जो कि उड़ीसा में थी। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में पुरुष-स्त्री अनुपात में निरंतर गिरावट आ रही है।

भारत : लिंग अनुपात

(स्त्रियाँ प्रति 1000 पुरुष) वर्ष ग्रामीण

प्रश्न 10. भारत में जनसंख्या की सामाजिक और जनांकिकी विशेषताएँ बताइये। 

उत्तर-भारत में जनसंख्या की मुख्य विशषताएँ निम्नलिखित हैं :

  1. भारत में जन्म-दर, मृत्यु-दर और शिशु मृत्यु-दर घट रही है। परंतु जन्म दर मृत्यु दर की अपेक्षा कम घटी है।
  2. जनसंख्या की वृद्धि दर (Growth rate) घट रही है।
  3. भारत में जनसंख्या के आकार में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में कमी है जो जन्म दर की अपेक्षा अधिक तेजी से घटी है।
  4. भारत में कार्यशील जनसंख्या के आकार में वृद्धि हो रही है।
  5. भारत में स्त्रियों का अनुपात पुरुषों की अपेक्षा कम है।
  6. निम्न स्त्री-पुरुष अनुपात तथा उच्च शिशु मृत्यु दर भारत की निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करते हैं।

प्रश्न 11. सन् 2001 ई. की जनगणना की मुख्य जनसंख्या संबंधी सूचनाएं बताइये।

उत्तर-सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 102.70 करोड़ थी जिसमें हैं,

= 53.12 करोड़ स्त्रियाँ

= 45.57 करोड़

= 21.34 प्रतिशत विश्व की जनसंख्या का प्रतिशत = 16% साक्षरता दर

= 65.38 स्त्रियाँ

= 933 प्रति हजार पुरुष।

प्रश्न 12, जन्म-दर को नियंत्रित करने के दो उपाय बताइये।

उत्तर-परिवार कल्याण के लिए जन्म दर को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिए दो प्रकार के उपाय काम में लाए जा सकते हैं :

  1. आत्मसंयम .
  2. संन्तति निग्रह
  3. आत्मसंयम (Self Control)-इसे प्राकृतिक उपाय भी कहते हैं। विद्वानों का मत है कि व्यक्ति को अपनी यौन इच्छा पर नियंत्रण लगाना चाहिए तथा ब्रह्मचर्य का जीवन बिताना चाहिए। जनसंख्या को सीमित रखने का यह एक सर्वोत्तम उपाय है। इस उपाय पर अधिक निर्भर नहीं रहा जा सकता क्योंकि यौन इच्छा का दमन न तो पूर्ण रूप से संभव है और न यह उचित ही है।
  4. संतति निग्रह (Birth Control)-इसमें बच्चों के जन्म को कुछ समय के लिए रोका जा सकता है। इसके दो उपाय हैं गर्भ निरोध (Contraceptive) अर्थात् ऐसे प्रयत्न करना जिनसे

 

काम में लिए जाते हैं। शल्य चिकित्सा द्वारा संतान की उत्पत्ति को रोका जा सकता है। दूसरा उपाय गर्भपात है। यदि गर्भ धारण कर लिया जाए तथा उसके बाद बच्चे को जन्म न देना चाहें तो गर्भपात कराया जा सकता है।

प्रश्न 13. भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता में क्या बाधाएँ हैं ?

उत्तर-भारत सरकार पिछले पचास वर्षों से परिवार कल्याण कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को शिक्षित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन अधिक सफलता प्राप्त नहीं हो रही है। परिवार कल्याण कार्यक्रम की असफलता के निम्नलिखित कारण हैं :

  1. जनता का अज्ञान : भारत में धार्मिक विश्वासों, भाग्यवादिता, निर्धनता आदि के कारण भी अनेक व्यक्ति परिवार कल्याण कार्यक्रम की निरंतर उपेक्षा कर रहे हैं।
  2. यौन शिक्षा का अभाव : भारत में यौन शिक्षा की कमी के कारण दम्पति परिवार को सीमित रख पाने में सफल नहीं हो पाते। प्रबल यौन इच्छा के कारण परिवार बढ़ते रहते हैं।
  3. पर्याप्त सन्तति निरोधक की कमी : भारत में आज भी कोई आदर्श गर्भ निरोधक उपलब्ध नहीं है। जो उपलब्ध भी हैं उनका प्रयोग नहीं हो.पा रहा है। ___4. वित्तीय कठिनाई : भारत एक विशाल देश है। देश के प्रत्येक भाग में इस कार्यक्रम को पहुँचाना बहुत कठिन काम है। धन की कमी के कारण यह कार्यक्रम अधिक गति नहीं पकड़ पा रहा है।

प्रश्न 14. परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव दीजिए।

चाहिए:

  1. जो व्यक्ति परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाते हैं उन्हें करों में छूट दी जानी चाहिए।
  2. विवाह की न्यूनतम आयु को कठोरता से लागू करना चाहिए।
  3. नियोजित परिवार के बच्चों को शिक्षा शुल्क में रियायत दी जानी चाहिए।
  4. निर्धन व्यक्तियों की बस्ती में अधिक परिवार कल्याण दी जानी चाहिए।
  5. विद्यालय में जनसंख्या कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाहिए।
  6. परिवार नियोजन कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाजिए।
  7. अधिक लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन, रेडियो और अन्य साधनों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए।
  8. गर्भपात की शर्तों को उदार बनाना चाहिए।

प्रश्न 15. भारत में जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम बताइये।

उत्तर-भारत की जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि हो रही है। चीन को छोड़कर भारत दूसरे नम्बर पर है। संसार की 16 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है। तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या वृद्धि के मुख्य दुष्परिणाम निम्नलिखित है :

  1. जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में कुपोषण की समस्या में वृद्धि हुई है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हो रही है। यद्यपि उद्योगों में वृद्धि हुई है परंतु यह जनसंख्या वृद्धि की तुलना में कम है।
  2. जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में गन्दी बस्तियों का विकास तेजी से हो रहा है। इन बस्तियों में अपराध, मद्यपान, वेश्यावृत्ति, जुआखोरी आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  3. संयुक्त परिवार प्रथा का तेजी से विघटन हो रहा है।
  4. भ्रष्टाचार में वृद्धि का मुख्य कारण जनसंख्या में वृद्धि ही है क्योंकि व्यक्ति अवैध तरीके से धन कमाकर अपने परिवार की आवश्यकताओं की अधिकतम पूर्ति करना चाहते हैं।
  5. निर्धनता और बेरोजगारी में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के कारण ही है।

 प्रश्न 16. निम्नलिखित परिभाषित शब्दों की व्याख्या कीजिए :

(क) स्त्री-पुरुष अनुपात

(ख) कुल प्रजनन दर

(ग) मातृ मृत्यु-दर

(घ) शिशु मृत्यु-दर

उत्तर-(क) स्त्री-पुरुष अनुपात (Female and male ratio)-प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को स्त्री-पुरुष अनुपात कहते हैं। भारत में 1951 में स्त्री-पुरुष अनुपात 946 स्त्रियाँ प्रति 1000 पुरुष था। 2001 में यह कम होकर 933 रह गया। __

(ख) कुल प्रजनन दर (Gross fertility rate)-प्रचलित प्रजनन दर पर एक माता द्वारा जन्म दिए गए बच्चों की औसत संख्या कुल प्रजनन दर कहलाती है।

(ग) मातृ मृत्यु-दर (Mother fertility rate)-प्रति एक हजार जीवित शिशुओं को जन्म देने के समय माताओं की मृत्यु की संख्या मातृ मृत्यु-दर कहलाती है।

(घ) शिशु मृत्यु-दर (Infant mortality rate)-एक वर्ष में प्रति हजार जीवित जन्मे शिशुओं में मृत शिशुओं की संख्या, शिशु मृत्यु-दर कहलाती है।

प्रश्न 17. बढ़ती हुई खाद्यान्नों की मांग को पूरा करने के लिए इनका उत्पादन और आपूर्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है ?

उत्तर-भिन्न-भिन्न ऋतुओं में एक से अधिक फसल उगाकर या फिर एकांतर पंक्तियों में दो या तीन फसलों को एक साथ उगाकर भूमि की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। सदाबहारी पौधों को उगाकर पहले से अधिक खाद्यान्न उगाए जा सकते हैं। वृक्षों से गैर-परंपरागत आहार स्रोत प्राप्त करके और आहार की प्रवृत्तियों में परिवर्तन करके तथा ऐसे सदाबहारी पौधों का सुनियोजित उपयोग भी खाद्यान्नों की आपूर्ति को बढ़ाएगा।

प्रश्न 18. भारत की किशोर जनसंख्या पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-आम भाषा में किशोर 10-19 वर्ष के आयु समूह में आते हैं। भारत की कुल जनसंख्या में इस वर्ग का हिस्सा 1/5वाँ है। इन पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। ‘इस आयु समूह को सामान्य बच्चों और वयस्कों की तुलना में अधिक पोषक तत्वों वाले आहार की जरूरत रहती है। इस आयु समूह को समुचित आहार, शिक्षा, स्वस्थ वातावरण और स्नेह-प्यार न दिए जाने की दशा में उनके स्वास्थ्य में कई रोग और विकार आ सकते हैं। हम देखते हैं कि हमारे देश में किशोर कुपोषण, शोषण, समाज की उपेक्षा तथा पारिवारिक स्नेह से वंचित हैं। यह वस्तुतः शोचनीय विषय है क्योंकि उनके प्रति ऐसी अभिवृत्ति भावी भारत को पंगु और रुग्ण बना देगी। किशोर बालकों की तुलना में इस वर्ग की बालिकाएँ कहीं अधिक उपार्जित जीवन जीने को विवश हैं। इसका कारण है आश्रयकर्ता द्वारा बालक (शिशु) को अधिक सम्मान और प्यार दिया जाना, ऐसा उनके अंध-विश्वासों और मिथ्या धारणा रहने के कारण है। बालिका शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिए जाने की दशा में उन्हें अपने को प्राप्त अधिकारों का बोध हो सकेगा और केवल तभी उनके अपने प्रयासों से ही समाज में उनकी परिस्थिति सुधरेगी।

. प्रश्न 19. एक देश के लोगों की आर्थिक उत्पादकता को प्रभावित करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए। ___

उत्तर-ऐसे घटक हो सकते हैं :

(i) संतुलित पौष्टिक आहार,

(ii) बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ,

(iii) शैक्षिक सुविधाएँ और शिक्षा के अवसर,

(iv) नई प्राविधियों का प्रयोग,

(v) व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण,

(vi) कार्य करने की अनुकूल दशाएँ,

(vii) बेहतर मशीनों और उपकरणों का प्रयोग तथा

(viii) पूँजी निवेश व उपक्रम।

प्रश्न 20. जनगणना, 2001 के अनुसार एक दशक के भीतर जनसंख्या की सर्वाधिक वृद्धि वाले पाँच राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर-जनगणना, 2001 के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि वाले पाँच राज्य हैं-नागालैंड (64.41%), सिक्किम (32.98%), मणिपुर (30.02%), मेघालय (29.94%) तथा मिजोरम (29.18%)।

प्रश्न 21. जनगणना, 2001 के अनुसार भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों की जनसंख्या को एक सारणी में दर्शाइए।

उत्तर-भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों की जनसंख्या का निरूपण : जनगणना 2001

प्रश्न 22. मिलियन प्लस नगरों की परिभाषा दीजिए और जनगणना, 2001 के अनुसार एक सारणी में उनका निरूपण कीजिए।

उत्तर-दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर मिलियन प्लस नगर कहलाते हैं। जनगणना, 2001 के अनुसार इनकी संख्या 35 है। हम इनका एक सारणी में निम्नवत् निरूपण करते हैं

प्रश्न 23. ग्रामीण समुदाय की अवधारणा को स्पष्ट करें। [M.Q.2009A]

उत्तर-‘ग्रामीण’ शब्द का संबंध किसी विशेष स्थान अथवा आवासीय क्षेत्र से नहीं होता बल्कि यह सामुदायिक जीवन के एक विशेष स्वरूप को स्पष्ट करता है जबकि समुदाय सामान्य जीवन का वह क्षेत्र है जिसे सामाजिक सम्बद्धता की मात्रा के द्वारा पहचाना जाता है। एक निश्चित भू-भाग में रहनेवाले व्यक्तियों में यदि सामाजिक और सांस्कृतिक समरूपता के साथ प्राकृतिक जीवन की प्रधानता हो तो उसे ग्रामीण समुदाय कहा जाता है।

प्रश्न 24. ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका का मुख्य साधन क्या है ?

उत्तर-(1) ग्रामीण क्षेत्रों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। इसके अलावा अन्य व्यवसाय भी पाये जाते हैं।

(2) ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक प्राकृतिक पर्यावरण में कार्य करते हैं। अर्थोपार्जन के साधन सीमित होते हैं। रॉस (Ross) के अनुसार, “ग्रामीण जीवन बचत करने का सुझाव देता है।”

(3) ग्रामीण स्तर पर जीवन साधारण होता है। ग्रामीण समाज परंपराओं तथा प्रथाओं के अनुसार चलता है। ग्रामीण जीवन में स्थिरता पायी जाती है। सिम्स (Sims) के अनुसार, “कुछ अपवादों के अलावा उसका जीवन भी ऋतुओं के समान निश्चित कालचक्र के अनुसार चलता है।” __

(4) ग्राम तथा कृषि में इतना निकटवर्ती संबंध है कि दोनों एक-दूसरे के पर्यायवाची समझे जाते हैं। लिन स्मिथ (Lynn Smith) के अनुसार, “कृषि तथा संग्रहकार्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधार हैं। कृषक तथा ग्रामीण प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं।” कृषि कार्य में कृषक का संबंध प्राकृतिक पर्यावरण जैसे पेड़, पौधे, पशु आदि से है। यही कारण है कि कृषक के संबंध अन्य व्यक्तियों से अपेक्षाकृत अधिक मानवीय होते हैं। नेल्सन (Nelson) के अनुसार, “कृषि एक पारिवारिक व्यवसाय है।” ।

प्रश्न 25. शहरी क्षेत्रों में जीविका का मुख्य साधन क्या है ?

उत्तर-(1) ग्रामों के विपरीत नगरों में जीविका के साधनों में विभिन्नता पायी जाती है। नगरों में गैर-कृषि कार्यों की बहुलता पायी जाती है। नगरों में व्यवसायों की विभिन्नता के कारण व्यावसायिक बहुलता पायी जाती है।

(2) व्यवसायों में बहुलता तथा भिन्नता के कारण नगरों में जीविका के साधन बहु-आयामी होते हैं। नगरों में उद्योग तथा उससे संबंधित व्यवसाय जीविका के मुख्य साधन होते हैं।

स्वयं नहीं कर सकता है।

3 व्यवसायों की बहुलता के कारण अन्योन्याश्रितता बढ़ती है।

में वस्तुओं को सीधे प्रकृति से प्राप्त किया जाता है। जैसे खान खोदना तथा मछली पकड़ना आदि। द्वितीयक उत्पादन में मौलिक उत्पादन से नवीन, वस्तुएँ बनायी जाती हैं। नगर व्यापार तथा वाणिज्य के प्रमुख केन्द्र होते हैं। अंतः अनेक व्यक्तियों की जीविका का मुख्य व्यवसाय (व्यापार) तथा वाणिज्य होता है। इस प्रकार, नगरों में जीविका के साधन प्रायः द्वितीयक होते हैं। सेवायें भी जीविका का मुख्य साधन होती हैं।

प्रश्न 26. कृषि समुदाय का पर्यावरण से कैसा संबंध है ? विवेचना कीजिए।

उत्तर-कृषि समुदायों का पर्यावरण से प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह तथ्य निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट होता है :

  1. कृषि समुदाय का पर्यावरण से बहुत नजदीकी संबंध होता है। यही कारण है कि भौगोलिक पर्यावरण कृषि समुदाय से संबंधित व्यवसायों का निश्चायक (Determinant) होता है। कृषि का स्वरूप पर्यावरणीय दशाओं से निश्चित रूप से निर्धारित होता है।
  2. गंगा-यमुना तथा सिंधु नदी के मैदानों में पर्यावरण कृषि के अनुकूल होने के कारण जनसंख्या का घनत्व भी अधिक पाया जाता है।
  3. प्रतिकूल पर्यावरणीय दशाओं में कृषि संबंधी गतिविधियाँ सीमित हो जाती हैं। उदाहरण के लिए रेगिस्तानी तथा पठारी क्षेत्रों में कृषि समुदायों का जीवन तथा जीवनयापन के तौर-तरीके भिन्न होते हैं। हालांकि विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के नवीन आविष्कारों ने पर्यावरणीय प्रतिकूलता पर बहुत सीमा तक विजय प्राप्त कर ली है। वार्ड (Ward) के अनुसार, “पर्यावरण पशु को परिवर्तित करता है, लेकिन मनुष्य पर्यावरण को परिवर्तित करता है।”
  4. कृषि समुदाय तथा पर्यावरण एक-दूसरे से अंतःसंबंधित है। मनुष्य अपने बौद्धिक ज्ञान के आधार पर पर्यावरण से अनुकूलन करता है। मैकाइवर तथा पेज (MacIver and Page) के अनुसार, “मनुष्य अपने को अपने पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।” वनस्पतियों तथा पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध है। उदाहरण के लिए चाय असम में तथा कॉफी का उत्पादन मुख्यतः दक्षिण भारत में होता है। इसका कारण यह है कि भिन्न-भिन्न पौधों के लिए भिन्न-भिन्न पर्यावरणों की जरूरत होती है। वनस्पति पारिस्थिति की शास्त्र (Plant Ecology) में वनस्पति तथा पर्यावरण का विस्तृत तथा व्यापक अध्ययन किया जाता है। अंत में, हम कह सकते हैं कि कृषि समुदाय पर्यावरण तथा पर्यावरणीय दशाओं से अत्यधिक प्रभावित तथा नियंत्रित होते हैं।

प्रश्न 27. कस्बे शहरों से किस प्रकार भिन्न हैं ?

उत्तर-भारत में नगरीय क्षेत्रों का निर्धारण राज्य सरकारों द्वारा होता है और इसके लिए भिन्न-भिन्न राज्यों ने भिन्न-भिन्न मापदंड निर्धारित किए हैं। जनगणना के आधार पर भी शहरों को परिभाषित किया जाता है। जनगणना अधिकारियों द्वारा किसी स्थान को शहर या कस्बा घोषित करने के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए हैं :

  1. न्यूनतम जनसंख्या 5000 या उससे अधिक होनी चाहिए।
  2. कम से कम 75 प्रतिशत वयस्क पुरुष जनसंख्या कृषि कर्यों में व्यस्त न होकर दूसरे कार्यों पर आश्रित हो।
  3. जनसंख्या घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति किलोमीटर होना चाहिए।

भारतीय जनगणना, आकार और जनसंख्या के घनत्व के आधार पर तीन प्रकार के आवासों का निर्धारण किया जाता है :

(i) वह आवास जिसकी जनसंख्या 1,00,000 या अधिक हो, नगर कहलाता है। (ii) पाँच हजार से एक लाख तक की जनसंख्या वाले स्थान कस्बा या शहर कहलाते हैं।

(ii) नगर की शासन व्यवस्था नगर महापालिका चलाती है, जबकि शहर की नगरपालिका तथा गांव की पंचायत चलाती है।

  1. नगर और शहरों को एक साथ नगरीय वर्ग में तथा शेष आवासों को ग्रामीण वर्ग में रखा

कस्बे के बीच अंतर रखा गया है।

प्रश्न 28. ग्रामीण जीवन में गरीबी और अशिक्षा के विषय में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर-ग्रामीण जीवन में कृषक परिवारों की प्रधानता है। उनका प्रकृति से प्रत्यक्ष संबंध है। ग्रामीण परिवेश में परस्पर सहयोग व समुदाय भाव होता है, लेकिन ग्रामीण जीवन में गरीबी और अशिक्षा अंग्रेजों के शासनकाल से ही चली आ रही है। भूमि की गैर-लाभकारी छोटी और बिखरी का अभाव है। अधिकतर भूमि बंजर पड़ी है। जो भूमि सरकार न अधिग्रहण की है वह भी उपजाऊ नहीं है। ग्रामीण जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत गरीबी की रेखा के नीचे रहता है। अभी भी वे मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं। वहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, आवागमन, संचार और उद्योगों की कमी है। यद्यपि सरकार ने स्वतंत्रता के पश्चात् ग्रामीण जीवन की स्थिति को सुधारने का बहुत प्रयास किया है परन्तु कृषि की उत्पादकता और अन्य सुख-सुविधाओं की कमी के कारण ग्रामीण जीवन

प्रश्न 29. भारत में ग्रामीण समुदायों का वगीकरण संक्षेप में लिखिए।

उत्तर-भारत में ग्रामीण समुदायों का वर्गीकरण (Classification of

L al Communities in India) यों तो भारतीय ग्रामीण समुदायों को अनेक आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, परन्तु इस संदर्भ में डॉ. श्यामाचरण दुबे का वर्गीकरण महत्वपूर्ण है। डॉ. दुबे ने छः आधारों पर ग्रामीण समुदायों को वर्गीकृत किया है; ये आधार निम्नलिखित हैं-1. आकार,

जनसंख्या तथा भूमि का क्षेत्रफल, 2. प्रजातीय तत्व तथा जातियाँ, 3. भूमि का स्वामित्व, 4. अधिकार तथा सत्ता, 5. अन्य समुदायों से पृथकता तथा 6. स्थानीय परम्पराएँ। . __

उपर्युक्त छ: आधारों में से किसी एक आधार को उदाहरण के तौर पर स्पष्ट किया जा सकता

सकता है-(i) ग्राम जिनकी जनसंख्या 500 से कम है; (ii) ग्राम जिनकी संख्या 500 और 990 के बीच है; (iii) ग्राम जिनकी जनसंख्या 1,000 और 1999 तक है; (iv) ग्राम जिनकी जसंख्या 2,000 से 4,999 तक है; तथा (v) वे ग्राम जिनकी जनसंख्या 5,000 से 9,999 तक है तथा (vi) वे ग्राम जिनकी आबादी 10,000 और उससे अधिक है। __आमतौर पर कम आबादी वाले गाँवों को ‘खेरा’ (खारी खेरा, कालू खेरा आदि) ‘पुरवा’ (चाँद का पुरवा टीका का पुरवा आदि) भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में छोटे-छोटे गाँवों को ‘मजरा’ (Majra), ‘गुम्पू आदि नामों से जाना जाता है।

प्रश्न 30. नगरी क्षेत्रों में अलगाव अथवा वियोजन किसे कहते हैं ?

उत्तर-(1) नगरीय क्षेत्रों में अलगाव अथवा वियोजन एक पारिस्थितिकी प्रक्रिया है। अलगाव अथवा वियोजन की स्थिति वहाँ आती है, जहाँ सजातीय समूह अथवा विभिन्न वर्गों के व्यक्ति अलग-अलग समुदायों में पृथक्-पृथक् रहते हों।

(2) अलगाव या वियोजन वह सामाजिक स्थिति है जिसमें एक ही समुदाय के व्यक्तियों

प्रकार का अलगाव अथवा नियोजन किसी समुदाय के व्यक्तियों द्वारा स्वेच्छा से किया जाता है।

प्रश्न 31. ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों की दो-दो समानतायें तथा असमानतायें बताइये। 

उत्तर-ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों में दो समानताएँ तथा असमानताएं निम्नलिखित हैं :

(1) समानताएं : 

(i) नगरों के विकास में ग्रामीण कारक अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

(ii) नगरों तथा ग्रामों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक संबंधों की एक शृंखला होती है।

(2) असमानताएँ :

(i) ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक गतिशीलता नगरीय क्षेत्रों की अपेक्षा कम पायी जाती है।

(i) ग्रामीण क्षेत्रों में नियंत्रण के अनौपचारिक साधन तथा नगरीय क्षेत्रों में औपचारिक साधन पाये जाते हैं।

प्रश्न 32. ग्रामीण-नगरीय सातत्यक से आप क्या समझते हैं ?

अथवा,

 ग्रामीण-नगरीय अंतःसंबंध की विवेचना कीजिए।

उत्तर-भारत के गाँवों तथा नगरों को केवल द्विविभागीकरण (Dichotomous) इकाइयों के रूप में नहीं देखा जा सकता है। मूल रूप से गाँव तथा नगर एक-दूसरे से अत: संबंधित होते हुए भी एक-दूसरे से पृथक् हैं। प्रसिद्ध समाजशास्त्री आर. के. मुखर्जी ग्राम तथा नगर के बीच चर के रूप में भी स्वीकार नहीं किया है। ग्रामीण-नगरों के संबंधों को समझने के लिए आर. के. मुखर्जी ने नगरीकरण के अंश की अवधारणा को स्पष्ट किया है। यही कारण है कि मुखर्जी ने ग्रामीण-नगरीय सातत्यक अथवा निरंतरता की अवधारणा को अपनाया है।

आधुनिक प्रौद्योगिकीय तथा औद्योगिक विशेषताओं ने ग्रामीण व नगरीय जीवन के अंतरों को काफी सीमा तक समाप्त कर दिया है। यही कारण है कि विभक्त क्षेत्रों में दोनों समाजों अर्थात् ग्रामीण तथा नगरीय समाजों की सांस्कृतिक गतिविधियों का मिश्रण एवं निरंतरता को रेखांकित किया जाता है।

मैकाइवर तथा पेज (MacIver and Page) के अनुसार, “परन्तु दोनों के बीच इतना स्पष्ट अंतर नहीं है कि यह बताया जा सके कि कहाँ पर नगर समाप्त होता है तथा ग्राम प्रारम्भ होता है।”

प्रश्न 33. ग्राम के विकास की आधुनिक अवस्था क्या थी?

उत्तर-यह गाँव के विकास की विकसित अवस्था थी। ऐसे गाँवों में आदिम और मध्यकालीन गाँवों की लगभग सभी विशेषताओं का समापन हो चुका होता है; निजी संपत्ति की भावना चरम सीमा पर पहुँच जाती है, सामुदायिक भावना का अंत होता चला जाता है, कृषि कला की पद्धति में क्रांतिकारी व वैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं और कृषि उत्पादनों का व्यापारीकरण लगातार बढ़ने लगता है। यातायात और संचार के साधनों में प्रगति होने के कारण ऐसे गाँव शहर के निकट संपर्क में आते जा रहे हैं। इस सबके कहने का आशय यही है कि गाँव की इस अवस्था में गांव की जनसंख्या काफी बढ़ चुकी है और शहरी जीवन का प्रभाव भी काफी सीमा तक घर कर चुका होता है। ‘आधुनिक युग में नगरों के निकट वाले गाँव इसी कोटि के गाँव हैं।’ –

 प्रश्न 34. भारत में ग्राम विकास के प्रादेशिक कारक कौन-से हैं?

उत्तर-ग्रामीण समुदाय का मुख्य व्यवसाय कृषि है। कृषि के लिए भौगोलिक अथवा प्रादेशिक परिस्थितियाँ भी इस प्रकार की होनी चाहिए ताकि कृषि उत्पादन ठीक प्रकार से हो सके और लोग अपने रोटी के प्रश्न को हल कर सकें। प्रादेशिक कारकों में भूमि, पानी और जलवायु महत्वपूर्ण कारक हैं। जिन स्थानों की भूमि उपजाऊ है, पानी की अच्छी व्यवस्था है और जलवायु फसलों के बढ़ने के लिए अनुकूल है वहाँ गाँवों का विकास सरलता से होता रहता है। इसलिए प्रदेशिक कारक स्थायी ग्रामीण समुदाय के विकास के लिए आवश्यक हैं, संभवतया इसी कारण भारत में गंगा-यमुना के मैदानों में गाँवों की बाढ़-सी दिखाई देती है।

प्रश्न 35, भारतीय ग्रामों का मुख्य व्यवसाय क्या है ?

उत्तर-भारतीय ग्रामीण जनता का मुख्य व्यवसाय खेती है। प्रोफेसर मेमोरिया (Prof. Mamoria) के अनुसार आसाम में 89 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 65 प्रतिशत, तमिलनाडु में 68 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश + उत्तराखंड में 78 प्रतिशत, (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) जनता कृषि पर आश्रित है। नवीनतम अनुमानों के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 43.24 प्रतिशत कृषि (Cultivation) पर और 26.33 प्रतिशत कृषि श्रम पर आश्रित है। इस प्रकार भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आश्रित है। भारत की तुलना में पश्चिमी देशों के लोग कृषि पर बहुत कम आश्रित हैं।

प्रश्न 36. डॉ. ए. आर. देसाई के अनुसार भारतीय समुदाय में कौन-कौन से परिवर्तन आ रहे हैं ?

उत्तर-डॉ. ए. आर. देसाई ने भारतीय ग्रामीण समुदाय में निम्नलिखित परिवर्तन बताये हैं:

  1. सामूहिकता के स्थान पर व्यक्तिवादिता व वैयक्तिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
  2. व्यक्तिगत स्वामित्व की उत्पत्ति।
  3. अब बाजारी अर्थव्यवस्था का विकास होता जा रहा है।
  4. मशीनीकरण के प्रभाव से कुटीर उद्योग नष्ट हो रहे हैं।
  5. कुटीर उद्योग नष्ट होने के कारण दस्तकार बेकार हो रहे हैं और भूमिहीन मजदूरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। .
  6. पारिवारिक सत्ता का ह्रास हो रहा है और संयुक्त परिवारों का स्थान छोटा परिवार लेते जा रहे हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि ग्रामीण समुदाय के प्रत्येक क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद अत्यधिक परिवर्तन उत्पन्न हो गए हैं। फिर भी यह कहना उपयुक्त होगा कि आज भी ग्रामीण समुदाय परंपराओं से प्रभावित है।

प्रश्न 37. ग्रामीण जीवन तथा नगरीय जीवन की समानता को समझाइये। 

उत्तर-ग्राम तथा नगर दोनों कुछ आधारों पर समान हैं क्योंकि इसमें निम्नलिखित समानताएँ

  1. समान चुनाव प्रणाली : ग्रामों और नगरों में लोकसभा, विधानसभा तथा अन्य राजनीतिक संस्थाओं के गठन के लिए एक समान चुनाव प्रणाली का अनुसरण किया जाता है।

होता है।

  1. समान सामाजिक विधान : सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए समान सामाजिक विधानों का प्रचलन है।
  2. बाजार अर्थव्यवस्था : दोनों समुदायों में थोड़े-बहुत अंतर के साथ अर्थव्यवस्था का प्रचलन देखने को मिलता है।

प्रश्न 38, भारतीय ग्रामों की क्या विशेषताएं हैं ? 

उत्तर-1. भारतीय ग्रामों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है।

  1. जनसंख्या का घनत्व कम है।
  2. ग्रामवासियों का प्रकृति से प्रत्यक्ष संबंध है।
  3. सामाजिक गतिशीलता कम पाई जाती है।
  4. ग्रामों में सीमित आकार के कारण प्राथमिक संबंध पाए जाते हैं।
  5. परम्पराओं, प्रथाओं, जनरीतियों का सामाजिक नियंत्रण में अधिक प्रभाव है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  (Long Answer Type Questions) 

प्रश्न 1. देश के प्रत्येक नागरिक हेतु जनसंख्या का अध्ययन करना आवश्यक क्यों है सुस्पष्ट कीजिए।

उत्तर-मानव जाति के अलावा प्रकृति के अन्य सभी जीव एवं प्राकृतिक संसाधन स्थिर तथा निष्क्रिय हैं। विशेषकर मनुष्य को प्रकृति ने मन और बुद्धि दी है तथा वह अपनी उत्तरजीविता के स्रोतों के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी बढ़ती हुई संख्या का लेखा-जोखा रख सकता है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि जनसंख्या वह संदर्भ बिन्दु है जिससे अन्य सभी तत्वों का प्रेक्षण किया जाता है और वे सभी अपने महत्व तथा अर्थ को पाते हैं। संक्षेप में संसाधन, आपदाएँ और संकट केवल मानव जाति के साहचर्य में ही अर्थवान बनते हैं क्योंकि केवल मनुष्य ही इन्हें निर्वाह की सीमा तक नियंत्रित करने की सामर्थ्य रखता है।

दूसरी बात यह है कि मानव पृथ्वी के स्रोतों का उत्पादक भी है और उपभोक्ता भी। इस कारण उनकी संख्या, वितरण, वृद्धि तथा विशेषताएँ या गुणवत्ता पर्यावरण के समस्त पहलुओं को समझने और उनका आकलन करने की मूल पृष्ठभूमि प्रदान करती है।

इस प्रकार जनसंख्या का अध्ययन एक देश के प्रत्येक नागरिक को वहाँ मानव-शक्ति (जिसका उत्पादक कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है) का ज्ञान और उनके उपभोग हेतु माल तथा सेवाओं की मात्रा की जानकारी प्रदान करता है। इन आधारों पर यह कहा जा सकता है कि एक देश के नागरिकों हेतु जनसंख्या का अध्ययन जरूरी है। यह अध्ययन निम्नलिखित जानकारी देता है :

(ल) लोगों की संख्या का सही बोध : प्रत्येक दशक में जनगणना करके हम अपने देश में रहने वाले लोगों की संख्या, उनकी आयु संरचना, जन्म और मृत्यु दर, व्यवसाय के ढाँचे आदि के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हम इन आंकड़ों के आधार पर अपनी प्रगति का अनुमान लगा सकते हैं और अनियंत्रित जनसंख्या के फलस्वरूप आने वाली भावी विपत्ति के कारणों को दूर करने के उपयुक्त कदम उठा सकते हैं।

(ब) जनसंख्या वितरण और क्षेत्र-विकास की जानकारी : यह अध्ययन लोगों के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र को पलायन करने तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके उद्योग, व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्रों में एक दशक के भीतर की गई प्रगति का ज्ञान कराता है।

(स) लिंग अनुपात की स्थिति और परिष्कार : जनांकिकी के आँकड़े लिंग अनुपात को बताते हैं तथा देश में महिलाओं और बालिकाओं की परिस्थिति प्रोन्नत करने में सक्षम बनाते हैं। 933:1000 पुरुष का आंकड़ा दर्शाता है कि महिलाओं और पुरुषों की संख्या में अति-विषमता

आ रही है जिसको संतुलित करने के लिए भारत में महिलाओं की परिस्थिति ऊँची उठाने हेतु विशेष प्रयास आवश्यक है।

(द) आयु संरचना का ज्ञान : हम देश में आश्रित जनसंख्या का अनुमान लगाकर भावी बचत करने में लागों को सक्षम बनाने हेतु जन्म दर पर नियंत्रण लगाने के उपाय विकसित कर सकते हैं। बचत की प्रवृत्ति से ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विकास संभव है।

(य) व्यावसायिक ढाँचे की जानकारी: हमारे देश के कितने लोग प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक व्यवसाय कर रहे हैं-इसकी जानकारी मिलती है और इस आधार पर हम इस ढाँचे में परिवर्तन करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

(र) साक्षरता का स्तर : जनांकिकी के आँकड़े देश की साक्षरता दर बताते हैं तथा निरक्षरता का उन्मूलन करने के लिए उपादेय कदम उठाने की प्रेरणा देते हैं।

(ल) किशोरों की संख्या का ज्ञान : देश के किशोरों की संख्या का पता लगता है और उनके पालन-पोषण और शिक्षा की स्थिति की जानकारी मिलती है। इस जानकारी के रहने पर ही उन्हें बेहतर शिक्षा सुविधाएँ, पौष्टिक भोजन, चिकित्सा एवं देख-रेख के कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं।

(व) राष्ट्रीय नीति बनाने में सहायक : सरकारी स्तर पर यही आँकड़े जन्म और मृत्यु दरों पर नियंत्रण लगाने, आर्थिक विकास, सामाजिक विकास सुनिश्चित करने तथा पर्यावरण संरक्षण करने में सक्षम, राष्ट्रीय नीति निर्धारित करने में सहायक बनते हैं।

प्रश्न 2. भारत में साक्षरता दर को मापने का मानक या मानदंड क्या है ? स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर 2001 तक भारत में साक्षरता दर की प्रवृत्ति का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर-जनगणना 2001 के अनुसार 7 वर्ष की आयु का किसी भाषा को पढ़ने, लिखने तथा समझने में सक्षम व्यक्ति साक्षर माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति केवल पढ़ना जानता है लेकिन लिख नहीं सकता, निरक्षर है। इसका यह अर्थ भी है कि 0-6 वर्ष की आयु वाले बच्चे निरक्षर माने गए हैं। इसके अलावा पढ़ने और लिखने की योग्यता रखने वाला लेकिन समझ न पाने वाला व्यक्ति भी साक्षर नहीं है। इस मानदंड के आधार पर भारत में 1881 से लगातार दस वर्ष के अंतराल से जनगणना की जाती है। साक्षरता दर को निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करके ज्ञात किया जाता है :

साक्षर व्यक्तियों की संख्या साक्षरता दर =

सात वर्ष या इससे अधिक आयु की कुल जनसंख्या जनगणना, 2001 जनसंख्या की साक्षरता दर 64.84% दर्शाती है जिसमें पुरुष साक्षरता दर 75.26% और महिला साक्षरता की दर 53.67% है अर्थात् इनमें (75.26 – 53.67) = 21.59% का अंतर है। यह भारत में लिंग-भेद या महिला एवं पुरुष में भेदभाव को सुस्पष्ट दर्शाता है। प्रतिशत में साक्षरता दर का अर्थ है कि 100 पुरुषों में से 75.26 पुरुष साक्षर हैं या 24.74 पुरुष अभी तक साक्षर नहीं हैं या निरक्षर हैं अर्थात् किसी भी भाषा में पढ़ने, लिखने और समझने की योग्यता नहीं रखते हैं।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की स्थिति : स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद पहली जनगणना 1951 में की गई। इसके बाद से साक्षरता की स्थिति का अवलोकन निम्नलिखित आँकड़ों में किया जा सकता है:

          

छः जनगणनाओं के उपर्युक्त आँकड़े निम्नलिखित तथ्यों को उजागर करते हैं :

(i) साक्षरता निरन्तर बढ़ रही है। (ii) 1991-2001 के दशक में महिला साक्षरता में चमत्कारिक वृद्धि हुई है अर्थात् (53.67 – 39.29) = 14.38%। (iii) महिला साक्षरता ने पुरुष साक्षरता दर (75.26 -64.13) = 11.13% बढ़ी है जबकि महिला साक्षरता इस अवधि में (53. 67 – 39.29) =14.38% बढ़ी है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत सरकार ने महिला सशक्तीकरण और कल्याण की जो योजनाएं चलाई हैं, महिलाओं में वे अच्छी जागरुकता उत्पन्न कर रही हैं। (iv) साक्षरता दर के बढ़ने की यह प्रवृत्ति बनी रही तो भारत से शीघ्र ही निरक्षरता का उन्मूलन हो जाएगा।

प्रश्न 3. भारत में परिवार नियोजन के साधनों तथा उनसे प्राप्त लाभ का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-किसी देश के लिए भी जनसंख्या का तेजी से बढ़ना शुभ संकेत नहीं है और विकासशील देशों (यथा-भारत) के लिए तो यह और भी अधिक बुरा है। जन्म दर और मृत्यु-दर में संतुलन स्थापित करके हमें जनसंख्या की वृद्धि दर को रोकना चाहिए। जिस तरह मृत्यु दर को नियंत्रित करने में हम चिकित्सा और शल्य चिकित्सा की प्राविधियों का प्रयोग करके सफल हुए हैं ऐसे ही सक्षम प्रयास जन्म दर रोकने के लिए भी किए जाएँ। मृत्यु दर रोकने के लिए जिन प्रयासों को हमने किया वही प्रयास जन्म दर को रोकने में भी हमारे सहायक बन सकते हैं। आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करक हमने अपने परिवारों के आकार को सीमित करना चाहिए। इसने हमें बहुत से अस्थायी ओर स्थायी विधियां प्रदान की हैं। अस्थायी विधियों के अंतर्गत कंडोम, डायफ्राम, सवाईकल कैप, आई. यू. डी. आते हैं। रासायनिक विधियों में स्परमिसाइड्स, शरीर रचना युक्तियाँ आदि उपलब्ध हैं। प्राकृतिक विधियों में आत्म-संयम, मैथुन-विलंबन और अनुनाद/लय अवधि आती हैं। इसी तरह महिला और पुरुष नसबंदी (शल्य चिकित्सा प्राविधियाँ) अर्थात् बधियाकरण, शुक्रवाहिनी उच्छेदन, डिम्बग्रंथि उच्छेदन, नली विच्छेदन, नलबंदी और गर्भपात एवं बंध्याकरण है। सरकार द्वारा धनी और निर्धन, शिक्षित एवं अशिक्षित सभी के लिए समान रूप से चलाई जा रही परिवार नियोजन सेवाओं का श्रेष्ठ उपयोग करना सभी नागरिकों के लिए आवश्यक है।

लाभ : परिवार नियोजन से परिवार की सीमित संख्या को रखकर हम अपने रहन-सहन को ऊँचा बना सकते हैं। इसी तरह अपने परिवार के सभी मनुष्यों को बेहतर पौष्टिक भोजन, वस्त्र, घर और शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध करा सकते हैं। इससे बचत को भी प्रोत्साहन मिलेगा जिसका उपयोग देश के विकास हेतु किया जा सकता है। –

प्रश्न 4. भारत की जनसंख्या वृद्धि का सर्वाधिक प्रमुख जिम्मेदार घटक मृत्यु दर है। इस तथ्य की विवेचना कीजिए।

उत्तर भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारक/घटक वैसे तो बहुत से हैं लेकिन इसमें अनियंत्रित जन्म दर का सबसे अधिक हाथ रहता है। जन्म और मृत्यु दर के इस चमत्कार को समझने के लिए हम इन आँकड़ों को निम्नवत् देना चाहेंगे :

 

भारत में जन्म और मृत्यु दरों का निरूपण

उपर्युक्त तालिका यह दर्शाती है कि 1901 की जनगणना के अनुसार जन्म दर 49.2 प्रतिशत व्यक्ति थी जबकि मृत्यु दर 42.6/1000 थी अर्थात् इसमें लगभग 8% का अंतर था जिसके कारण जनसंख्या में 5.75% वृद्धि हुई और 23.84 करोड़ पर पहुंची। यह सत्य है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की अवधि में जन्म दर और मृत्यु दर घटी है फिर भी उपर्युक्त तालिका दर्शाती है कि जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर अधिक तेजी के साथ गिरी है। इसका मतलब यह है कि जन्म दर लगातार बढ़ती गई है। 1901-2001 की अवधि में मृत्यु दर 22.6/1000 से गिरकर 8.4/1000 पर पहुंची है लेकिन वास्तविक जन्म दर केवल (49.2 – 26) = 23.2/1000 तक ही गिर पाई है। इसका अर्थ यह हुआ है कि जनसंख्या पर प्रभाव (42.6 – 8.4) =34.2 (मृत्यु दर) – 23.2 (जन्म दर) = 11.9/1000 की. वृद्धि का रहा। इसी तरह 1941-1951 का आंकड़ा 12.5/1000 (39. 9-27.4), 1951-1961 का (41.7 – 22.8) और 1991-2001 का (26.0- 8.4) अर्थात् क्रमश: 12.5, 18.9 और 17.6/1000 का अन्तर ही जन्म और मृत्यु की दरों में आ पाया। संक्षेप में यह कह सकते हैं कि अभी भी जन्म और मृत्यु की दरों में ढाई गुना अंतर है। हम एक शताब्दी 1901-2001 के आँकड़ों में कहीं भी जनसंख्या की शून्य वृद्धि दर या स्थिरीकरण की स्थिति नहीं देखते हैं। ऐसी लगातार वृद्धि के कारण निम्नवत् दिए जा सकते हैं :

(अ) चिकित्सा प्रौद्योगिकी में वृद्धि : पिछले तीन दशकों में हम चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी (चिकित्सा संबद्ध) में चमत्कारिक प्रगति को देख रहे हैं। फेफड़े के रोग (क्षय रोग), हृदय गति की अवरुद्धता, न्यूमोनिया, त्वचा, नाड़ी स्नायु तंत्र इत्यदि की बीमारियों को दूर करने के लिए बहुत-सी प्रभावकारी औषधियाँ खोज ली गई हैं। प्लेग, चेचक जैसी महामारियों का उन्मूलन हो चुका है। बच्चों और महिलाओं के रोग अब खतरानाक नहीं रह गए हैं। इस प्रगति और सार्वजनिक स्वास्थ्य के उपायों ने अब मृत्यु दर पर पूर्णतः नियंत्रण लगा दिया है। इसके परिणाम प्रत्याशित आयु 1951 की 36.6 वर्ष से बढ़कर 2003 में 64.6 वर्ष तक पहुँचने के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं।

(ब) समाजिक कुरीतियाँ और अंधविश्वास : भारत के लोग अंधविश्वासी हैं और अपनी पुत्रियों का विवाह उनकी पूर्व किशोरावस्था में ही कर देते हैं। वे 12 वर्ष पश्चात् कन्या को अविवाहित रखना पाप समझते हैं। इसी कारण बच्चों का जन्म शीघ्र होने लगता हैं। यहाँ पर पर्याप्त पुस्तकालयों, क्लबों, पार्कों आदि मनोरंजन साधनों का न रहना भी एक प्रमुख कारण है जो जन्म दर को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाता है। .

(स) कतिपय परंपराएँ और रीति-रिवाज : कुछ अल्पसंख्यकों की यह धारणा रहती है कि अधिक बच्चे पैदा करके वे संसद और राज्य विधानसभाओं में अधिक सीटें प्राप्त कर सकेंगे।

इस तरह वे अपने समुदाय को विशेषाधिकार दिला पाएँगे। कुछ रिवाज भी ऐसे हैं कि उनके अनुसार परिवार के भीतर ही विवाह संबंध बना लिए जाते हैं। इससे भी देश में जन्म दर बढ़ती जाती है। .

(द) रहन-सहन की दशाएँ : भारत में जनसंख्या का लगभाग एक-तिहाई भाग निर्धनता की रेखा से नीचे जीवन बिताता है। इस कारण एक सामान्य मनुष्य की तुलता में उनकी खाने की आदतें और रहन-सहन का स्तर बिगड़ जाता है। जूठा, गंदा, अपवित्र जो भी खाने को मिलता है ये लोग खा लेते हैं तथा इनके काम करने, भोजन करने तथा सोने का भी कोई निश्चित समय नहीं होता क्योंकि देश में रोजगार की दशाएँ पूर्णतः अनिश्चत हैं, लेकिन अनियमित तनाव और कुठाएँ संभोग में ही सांत्वना और संतुष्टि ढूंढती हैं जिससे बच्चों की लंबी कतार खड़ी हो जाती है।

(य) मनोवैज्ञानिक कारण : निर्धनता, समाज के निम्न वर्ग में जन्म आदि कारणों से समाज का कतिपय वर्ग उपेक्षित, अपमानित और घृणित दशाओं मे जीने को मजबूर है। उनका मन केवल यौन-क्रिया में ही राहत महसूस करता है जिससे जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होती जाती है।

निष्कर्ष : उपर्युक्त एवं अन्य भी कई कारण देश की जनसंख्या वृद्धि में जन्म दर की बढ़ोत्तरी को ही सर्वाधिक प्रमुख या उत्तरदायी घटक सिद्ध करते हैं।

प्रश्न 5. बड़ी जनसंख्या होने के लाभ और हानियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर– बड़ी जनसंख्या होने के लाभ : द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक व्यवसाय क्षेत्रों में आर्थिक क्रियाकलापों हेतु मानव शक्ति प्रचुरता में उपलब्ध रहती है। हालांकि एक देश के संसाधनों और मानव शक्ति का बेहतर प्रबंधन किए जाने की दशा में ही ऐसा संभव हो पाएगा। देश के लोगों को विविध व्यवसायों में कुशल बनाने के लिए सभी स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान करने की खासी जरूरत है। अधिक मानव-शक्ति द्वारा वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। इसके अलावा बड़ी जनसंख्या रहने का एक अन्य लाभ यह भी है कि उत्पादित माल की खपत घरेलू बाजार में ही हो जाएगी। इसमें अधिक उत्पादित माल का निर्यात करके देश प्रामाणिक मुद्रा अर्जित कर सकता है और इस तरह घरेलू बाजार में मुद्रा प्रसार पर वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों. पर भी नियंत्रण लगाया जा सकता है।

हानियाँ : उपर्युक्त लाभों के अलावा बड़ी जनसंख्या आर्थिक विकास में जबरदस्त अवरोध भी खड़े करती है। यह देखा गया है कि बड़ी जनसंख्या में राष्ट्रीय आय बँट जाने से प्रति व्यक्ति आय. में कमी आ जाती है। पुनः उपभोग प्रवृत्ति बढ़ जाती है तथा बचत के आकार को घटाने लगती है। इन परिस्थितियों में निवेश के लिए बहुत कम पूँजी शेष रह जाती है। जनसंख्या की वृद्धि भूमि पर दबाव को भी बढ़ाती है। इसके फलस्वरूप कृषि की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बड़ी जनसंख्या वाले देश में ढाँचागत सुविधाओं की माँग सामाजिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में बढ़ जाती है। लगातार बढ़ रही जनसंख्या की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने में ही राष्ट्र की योजनाएँ सीमित हो जाती हैं। इन परिस्थितियों में विशेषकर आर्थिक संकट के कारण बहुत से विकासपरक कार्यों की ओर निवेश कर पाना कठिन हो जाता है। सीमित संसाधनों के रहने से देश-निवेश नहीं कर पाता है जिससे निर्धनता और बेरोजगारी की दशाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती हैं।

प्रश्न 6. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?

उत्तर–जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। मार्च, 2001 में भारत की जनसंख्या 1027 मिलियन थी। ऐसा अनुमान है कि मार्च, 2016 तक भारत की जनसंख्या 1263.5 मिलियन हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने के अनेक प्रयत्न किए जा रहे हैं।

1975-76 में एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया गया जिसमें जन्म-दर को कम करने के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया। जनसंख्या नीति 2000 में जनसंख्या को स्थिर रखने के संबंध

में नई नीति की घोषणा की गई। इसकी प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं : __

  1. अशोधित जन्म-दर, कुल प्रजनन दर, अशोधित मृत्यु-दर के साथ-साथ मातृ मृत्यु-दर को विकास के धारणीय स्तर तक कम करना।
  2. प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य की देखभाल हेतु सुविधाएँ देना।
  3. जनसंख्या शिक्षा के प्रसार पर बल देना तथा 14 वर्ष की आयु तक विद्यालयी शिक्षा को अनिवार्य बनाना।
  4. विवाह की आयु को बढ़ाना तथा बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम 1976 को कठोरता से लागू करना।
  5. बच्चों के लिए सर्वव्यापक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के लक्ष्य को प्राप्त करना।
  6. प्रजनन को कम करने से संबंधित उपायों की सूचना, परामर्श और सेवाओं को सब तक पहुँचाना।
  7. एड्स के प्रसार को नियंत्रित करना तथा कई अन्य संक्रामक रोगों को प्रतिबंधित और नियंत्रित करना।
  8. प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य सेवा को भारतीय चिकित्सा पद्धति में एकीकृत करना।
  9. कुल प्रजनन दर को कम करने के लिए छोटे परिवार के मानदंड को बढ़ावा देना।
  10. जनसंख्या के जनकेन्द्रित कार्यक्रम के विचार को बढ़ावा देना तथा सामाजिक विकास और रूपान्तरण को समस्त प्रक्रिया का एक अंग बनाना।

प्रश्न 7. जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत के बुनियादी तर्क को स्पष्ट कीजिए। संक्रमण अवधि ‘जनसंख्या विस्फोट’ के साथ क्यों जुड़ी है ? (NCERT T.B.Q. 1)

उत्तर-जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत का बुनियादी तर्क : जनसंख्या वृद्धि विकास के सभी स्तरों के साथ जुड़ी है और सभी समाज जनसंख्या वृद्धि से संबंधित एक विशिष्टि प्रकार के विकास प्रारूप को अपनाते हैं।

यह तर्क स्पष्ट करता है कि यदि एक समाज अविकसित तथा तकनीकी रूप से पिछड़ा है तो वहाँ जनसंख्या वृद्धि की गति धीमी तथा कम होती है। यह इसलिए क्योंकि इस तरह के अकुशल समाज में प्रति व्यक्ति अर्जन-क्षमता निम्न तथा नाममात्र की होगी। इस तरह के समुदाय में लोग हाथ से काम करते हैं, कुपोषण आदि से ग्रस्त रहते हैं तथा उनमें मृत्यु दर एक शिक्षित तथा कुशल समाज से कई गुना अधिक रहती है। इसमें वृद्धि दर निम्न रहती है क्योंकि दोनों-जन्म दर तथा मृत्यु दर ऊँची रहती है इसलिए उनमें अधिक अंतर नहीं होता। एक विकसित समाज में जन्म दर तथा मृत्यु दर दोनों निम्न रहती हैं अतः उनमें भी कम होता है। पिछड़ेपन तथा दक्ष लोगों के बीच की अवस्था को संक्रमण अवधि कहते हैं जिसमें जनसंख्या की जन्म दर अधिक तथा मृत्यु दर कम (विभिन्न कारणों से जैसे जन स्वास्थ्य में सुधार, बेहतर पोषण आदि) होती है। समाज का व्यवहार सापेक्षिक समृद्धि तथा लंबे जीवन काल के साथ सामंजस्य बिठाने में समय लेता है। अतः संक्रमण अवधि में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उदाहरण के लिए भारतीय समाज ने अभी तक अपने प्रजनन व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं किया है। जबकि पिछले कुछ दशकों से यहाँ मृत्यु दर तथा मौतों की संख्या में काफी कमी आई है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि संक्रमण अवधि अथव पिछड़ेपन की मध्य अवस्था तथा विकास जनसंख्या विस्फोट के साथ जुड़े हैं। समाज को इस बदली स्थिति से सामंजस्य बिठाने में समय लग सकता है।

प्रश्न 8. माल्थस का यह विश्वास क्यों था कि अकाल और महामारी जैसी विनाशकारी घटनाएँ, जो बड़े पैमाने पर मृत्यु का कारण बनती हैं, अपरिहार्य हैं? (NCERT T.B. Q.2)

उत्तर-जनसांख्यिकी का एक प्रसिद्ध सिद्धांत अंग्रेज राजनीतिक अर्थशास्त्री थॉमस राबर्ट माल्थस के नाम से जुड़ा है। इस सिद्धांत में माल्थस ने माना है कि प्राकृतिक विपदाएँ जैसे अकाल और महामारियाँ जो मानव-मृत्यु का कारण बनती हैं अपरिहार्य हैं। इस सिद्धांत में उन्होंने स्पष्ट

किया है कि मनुष्यों की जनसंख्या उस दर की तुलना में तेजी से बढ़ती है जिस दर पर मनुष्य के भरण-पोषण के साधन (कृषि उपज आदि) बढ़ सकते हैं। कृषि उत्पादन की वृद्धि हमेशा जनसंख्या वृद्धि से कम रही है। अतः मनुष्य दंडित किया जाता रहा है। जनसंख्या नियंत्रण ही खुशहाली का एकमात्र उपाय है। माल्थस का विश्वास था कि अकालों और बीमारियों के रूप में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के प्राकृतिक निरोध अनिवार्य होते हैं क्योंकि ये खाद्य आपूर्ति और बढ़ती हुई जनसंख्या के बीच असंतुलन रोकने के प्राकृतिक उपाय हैं।

संक्षेप में उन्होंने अकाल और महामारियों को प्राकृतिक निरोध माना है। यह निरोध मृत्यु दर को बढ़ाते हैं और इस प्रकार खाद्य आपूर्ति तथा बढ़ती जनसंख्या के बीच उत्पन्न असंतुलन को कम करते हैं।

प्रश्न 9. भारत में कौन-कौन से राज्य जनसंख्या संवृद्धि के प्रतिस्थापना स्तरों’ को प्राप्त कर चुके हैं अथवा प्राप्ति के बहुत नजदीक हैं ? कौन-से राज्यों में अब भी जनसंख्या संवृद्धि की दरें बहुत ऊँची हैं ? आपकी राय में इन क्षेत्रीय अंतरों के क्या कारण हो सकते

(NCERT T.B. Q.4)

उत्तर–जनसंख्या के प्रतिस्थापन स्तरों’ को प्राप्त कर चुके भारतीय राज्य निम्नलिखित हैं :

केरल, तमिलनाडु, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू और कश्मीर तथा पंजाब और गोवा। भारत के वे राज्य जिनमें जनसंख्या संवृद्धि दरें बहुत ऊँची हैं, निम्नलिखित हैं : राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश।

प्रतिस्थापन स्तर से तात्पर्य है प्रति जोड़े (पति-पत्नी) द्वारा दो बच्चों को जन्म देना। केरल की कुल प्रजनन दर वास्तव में प्रतिस्थापन दर से कम है अर्थात् प्रति जोड़ा (पति-पत्नी) 1.8 बच्चे। इसका अर्थ हुआ कि यहाँ भविष्य में जनसंख्या में कमी आएगी। वे राज्य जो प्रतिस्थापन स्तरों की प्राप्ति के नजदीक हैं, निम्नलिखित हैं : हिमाचलप्रदेश, उत्तरांचल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम!

इन क्षेत्रीय अंतरों के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

(क) सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना तथा साक्षरता का स्तर भिन्न-भिन्न है। ऐसे लोग भी हैं जो अधिक बच्चों के प्रजनन के समर्थक हैं जिससे वे बहुमत वाली पंक्ति में शामिल होकर अधिक से अधिक आर्थिक-राजनीतिक लाभ ले सके।

(ख) जनसंख्या वृद्धि के प्रादेशिक अंतरों में पूर्वाग्रह तथा रूढ़ियाँ भी जिम्मेदार हैं।

(ग) राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा कर प्रादेशिक हितों को महत्व देना भी इसका एक कारण है।

(घ) भू-भागों में विषमता भी इसका एक प्रमुख कारण है। उदाहरण के लिए असम, अरुणाचल प्रदेश आदि पर्वतीय क्षेत्र हैं जहाँ निम्न जनसंख्या पाई जाती है, अपेक्षाकृत मैदानी भागों जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के।

(ङ) नकारात्मक सोच तथा अज्ञानता आदि।

प्रश्न 10. जनसंख्या की ‘आयु संरचना’ का क्या अर्थ है ? आर्थिक विकास और संवृद्धि के लिए उसकी क्या प्रासंगिकता है ?

(NCERTT.B.Q.5)

उत्तर-जनसंख्या की आयु संरचना (Age Structure of Population)–जनसंख्या की आयु संरचना का अर्थ है जनसंख्या का तीन समूहों में वर्गीकरण : (i) 0-10 वर्ष, (ii) 15–19 वर्ष, (iii) 60 वर्ष और इससे अधिक।

इनमें प्रथम वर्ग में बच्चे (आश्रित जनसंख्या), द्वितीय वर्ग में युवा या प्रौढ़ वर्ग (अर्जक जनसख्या) तथा तृतीय वर्ग में वृद्ध (आश्रित जनसंख्या) शामिल हैं। भारत की आयु संरचना की

ख्या : लिए हम विभिन्न आयु समूहों का 1961 से 2026 (अनुमानित) तक का आंकड़ा प्रस्तुत करेंगे।

 

 

SOCIOLOGY-XII भारत की जनसंख्या की आयु संरचना, 1961-2026

उपरोक्त सारणी में हम देखते हैं कि 15 वर्ष से नीचे के समूह की कुल जनसंख्या में (1961 में 42 प्रतिशत, 2001 में 35 प्रतिशत तथा 2026 में 23 प्रतिशत) गिरावट आई है। इसका अर्थ हुआ कि भारत में जन्म दर में धीरे-धीरे कमी आ रही है। कुल जनसंख्या में 15-59. वर्ग का भाग बढ़ रहा है जो 1961 के 3 प्रतिशत से 2001 में 59 प्रतिशत तथा आगे 2026 में 64 प्रतिशत तक हो सकता है। इससे यह अर्थ निकलता है कि यह समूह (अर्जक जनसंख्या) वृद्धि कर रहा है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है। अब जनसंख्या आयु संरचना के तीसरे समूह को देखें तो इसमें 1961 के 6 प्रतिशत, 2001 के 7 प्रतिशत तथा 2026 में 12 प्रतिशत होने की उम्मीद है। इसका कारण जीवन प्रत्याशा में अभूतपूर्व वृद्धि है।

आर्थिक संवृद्धि तथा विकास में आयु संरचना की प्रासंगिकता (Relevance of Age Structure in Economic Growth and Development):

(क) 60 वर्ष और इससे ऊपर के लोगों की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है जो चिकित्सा विज्ञान, जन स्वास्थ्य उपायों तथा पोषण से जुड़ी है। यह संकेत भारत में समृद्धि तथा विकास को सूचित करते हैं।

(ख) 0-14 आयु वर्ग की जनसंख्या में गिरावट से सिद्ध होता है कि राष्ट्रीय जसंख्या नीति उचित रूप में लागू की गई है और भारत के लोग जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की आवश्यकता समझने लगे हैं।

(ग) आयु संरचना से यह भी ज्ञात होता है कि आश्रित अनुपात में गिरावट आ रही है तथा अर्जक जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। यह संकेत करता है कि भारतीय जनसंख्या में प्रौढ़ों (अर्जक) की संख्या बढ़ रही है।

(घ) जनसंख्या की आयु संरचना में सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, आर्थिक तथा राजनीतिक बदलावों की झलक मिलती है जिससे किसी देश के संपूर्ण विकास प्रतिमानों को नियोजित करने में सफलता मिलती है।

प्रश्न 11. “स्त्री-पुरुष अनुपात’ का क्या अर्थ है ? एक गिरते हुए स्त्री-पुरुष अनुपात के क्या निहितार्थ हैं ? क्या आप यह महसूस करते हैं कि माता-पिता आज भी बेटियों की बजाय बेटों को अधिक पसंद करते हैं ? आपकी राय में इस पसंद के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?

(NCERTT.B. Q.6)

उत्तर-एक दिए गए क्षेत्र में एक विशिष्ट समय में उपस्थित प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या को स्त्री-पुरुष अनुपात कहते हैं। यह जनसंख्या में लिंग संतुलन का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। ऐतिहासिक रूप में पूरे विश्व में पाया गया है कि पुरुषों की अपेक्षा कुछ अधिक स्त्रियाँ हैं इस तथ्य के बावजूद कि मादा शिशु नर शिशु की अपेक्षा कम जन्म (1000-943 से 952) लेते हैं। भारत के संदर्भ में पिछली एक शताब्दी से स्त्री-पुरुष अनुपात में भारी गिरावट

दर्ज की गई है। जनगणना 2001 के अनुसार भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 933 स्त्रियाँ थीं। यह एक गहन चिंता का विषय है।

हाँ, आज 21वीं सदी में भी माता-पिता बेटियों की बजाए बेटों को अधिक पसंद करते हैं। जैसा कि हम दिन-प्रतिदिन टी.वी. रेडियो, समाचार-पत्र इत्यादि की रिपोर्टों में देखते हैं कि कहीं भ्रूण-हत्या, कहीं कन्या बलि तथा कहीं गर्भपात के द्वारा बेटियों की निर्मम हत्या की जा रही है। यह आश्चर्य की बात है कि इसका गरीबी या भूखमरी से कोई संबंध है क्योंकि अपेक्षाकृत समृद्ध राज्यों जैसे पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली आदि में यह अनुपात निम्नतम है। अतः इस समस्या के निवारण के लिए हमारा ध्यान अन्य सामाजिक मुद्दों की तरफ भी जाना चाहिए। माता-पिता के बेटियों की अपेक्षा बेटों की तरफ झुकाव के निम्न कारण हो सकते हैं:

(क) धार्मिक तथा सांस्कृतिक विश्वास : यह एक प्रचलित विश्वास है कि माता-पिता की चिता को बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है। बेटे की अनुपस्थिति में उसके अगले उत्तराधिकारी को यह अधिकार दिया जा सकता है किन्तु बेटी को नहीं।

(ख) अज्ञानता : माता-पिता सोचते हैं कि पुत्री शादी के बाद उनका घर छोड़कर किसी अन्य के घर चली जाएगी जबकि बेटा साथ रहकर परिवार की प्रत्येक परंपरा में शामिल होकर वंश-वृक्ष को आगे बढ़ाएगा।

(ग) कुछ परिवारों में अपनी खानदानी परंपरा को जीवित रखने का भी शौक है जिसके

में बेटी के जन्म या उसके पालन-पोषण पर कोई उत्साह नहीं दिखाया जाता। • अनेक अन्य कारण भी हैं कि जो बेटियों पर बेटों की प्राथमिकता को दर्शाते हैं। हालांकि

प्रश्न 12. ग्रामीण एवं शहरी समुदायों के बीच के अंतरों को स्पष्ट करें।

_ [M.Q.2009A]

उत्तर-ग्रामीण एवं शहरी समुदाय समाज के दो समरूप हैं, जिसे कुछ समाजशास्त्री, जैसे-दुर्खिम, वेबर, मार्क्स आदि एक-दूसरे से अलग मानते हैं जबकि दूसरी ओर कुछ समाजशास्त्री, जैसे-अल्थूजर तथा लुईस ड्यमों दोनों के बीच निरंतरता की बात करते हैं। दरअसल औद्योगिक क्रांति से पहले गाँव और शहर दो अलग-अलग समुदाय थे। गाँव जहाँ कृषि प्रधान था वहीं शहर वित्त, वाणिज्य एवं प्रशासन का केन्द्र था। सोरोकिन एवं जिमरमैन ने आठ आधारों पर ग्रामीण एवं शहरी समुदायों में अंतर स्थापित किया है। वे आठ आधार हैं

(i) व्यवसाय

(ii) पर्यावरण

(iii) समुदाय की प्रकृति

(iv) जनसंख्या का घनत्व

(v) समुदाय की आकार

(vi) सामाजिक संबंधों की प्रकृति

(vii) सामाजिक स्तरीकरण का स्वरूप एवं

(viii) सामाजिक गतिशीलता का स्वरूप।

शहरी समाज में व्यवसाय की बहुलता भी होती है और पेशे चुनाव की स्वतंत्रता भी।

इन विद्वानों का कहना है कि गांवों का पर्यावरण बिल्कुल प्राकृतिक होता है जबकि शहरी समुदाय का वातावरण कृत्रिम। आगे इन विद्वानों का कहना है कि ग्रामीण समुदाय की प्रकृति समरूपी होती है जबकि शहरी समुदाय की प्रकृति विषमरूपी होती है। ग्रामीण समुदाय में जनसंख्या का घनत्व कम पाया जाता है जबकि शहरी समुदायों में जनसंख्या का घनत्व ज्यादा पाया जाता है। ग्रामीण

समुदाय का आकार छोटा होता है जबकि शहरी समुदाय का आकार बहुत बड़ा ग्रामीण समुदाय . में संबंधों का स्वरूप अनौपचारिक होता है जबकि शहरी समुदायों में संबंधों का स्वरूप औपचारिक होता है। ग्रीमण समुदाय कम स्तरीकृत होता है जबकि शहरी समुदाय ज्यादा संस्तरित होता है। अंततः इन विद्वानों का कहना है कि ग्रामीण समुदाय घड़े में रखे पानी के समान शांत होता है, जबकि शहरी समुदाय केतली में खौलते पानी के समान गतिशील।

पर अब कई विद्वानों का मानना है कि गाँव और शहर में सुस्पष्ट विभाजन नहीं है क्योंकि गाँव की विशेषता शहर में और शहर की विशेषता गाँव में देखने को मिलती है। अतः, अब लोग ग्रामीण-शहरी निरतंरता की बात करने लगे हैं।

Previous Post Next Post