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 Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi

Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi

परिक्षार्थियों के लिए निर्देश :

  1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
  2. दाहिनी ओर हाशिये पर दिये हुए अंक पूर्णांक निर्दिष्ट करते हैं।
  3. उत्तर देते समय परीक्षार्थी यथासंभव शब्द-सीमा का ध्यान रखें।
  4. इस प्रश्न-पत्र को ध्यानूपर्वक पढ़ने के लिये 15 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया है।
  5. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है, खण्ड-अ एवं खण्ड-ब ।
  6. खण्ड-अ में 35 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक के लिए एक अंक निर्धारित है, इनके उत्तर उपलब्ध कराये गये ओ एम आर-शीट में दिये गये वृत्त को काले/नीले बॉल पेन से भरें। किसी भी प्रकार का व्हाइटनर/तरल पदार्थ/ब्लेड/नाखून आदि को ओ एम आर पत्रक में प्रयोग करना मना है, अन्यथा परीक्षा परिणाम अमान्य होगा।
  7. खण्ड-ब में 18 लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं प्रत्येक के लिये दो अंक निर्धारित है, जिनमें से किन्हीं 10 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
    इनके अतिरिक्त इस खण्ड में 06 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं प्रत्येक के लिये 5 अंक निर्धारित है, जिनमें से किन्हीं 3 प्रश्नों का उत्तर देना है।
  8. किसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक यंत्र का उपयोग वर्जित है।

समय 3 घंटे 15 मिनट
पूर्णांक : 70

खण्ड-अ : वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न संख्या 1 से 35 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गए सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। (35 × 1 = 35)

खण्ड-अ : वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न संख्या 1 से 35 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें से एक सही है । अपने द्वारा चुने गए सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। (35 x 1 = 35)

प्रश्न 1.
एक विद्युत द्विध्रुव के अक्ष पर r दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E, तथा लम्ब-अर्द्धक रेखा पर r दूरी पर तीव्रता E2 है । E1 एवं E2 के बीच का कोण θ है । E1 : E2 एवं θ होंगे :
(a) 1:1,π
(b) 1:3,π
(c) 1 : 2,π/2
(d) 2:1,π
उत्तर-
(d) 2:1,π

प्रश्न 2.
चित्र में मीटर ब्रीज प्रदर्शित है । x का मान होगा

(a) 10 ओम
(b) 3 ओम
(c) 9 ओम
(d) 10 ओम
उत्तर-
(a) 10 ओम

प्रश्न 3.
विद्युत वाहक बल की विमा है ।
(a) ML2T-3
(b) ML2T-2l-1
(c) MLT-2
(d) (ML2T-T-3-1)
उत्तर-
(d) (ML2T-T-3-1)

प्रश्न 4.
विद्युत परिपथ की शक्ति होती है :
(A)V.R
(B) V2. R
(C) V2/R
(D)V2. R.I.
उत्तर-
(C) V2/R

प्रश्न 5.
यदि एक 60w तथा एक 40w का बल्ब श्रेणी क्रम में जोड़ दिया जाय तो
(a) 60 w वाला बल्ब ज्यादा प्रकाशित होगा
(b) 40 w वाला बल्ब ज्यादा प्रकाशित होगा
(c) दोनों एक तरह प्रकाशित होगा ।
(d) सिर्फ 60 w वाला बल्ब प्रकाशित होगा
उत्तर-
(b) 40 w वाला बल्ब ज्यादा प्रकाशित होगा

प्रश्न 6.
किलोवाट-घंटा (kwh) मात्रक है :
(a) शक्ति का
(b) ऊर्जा का
(c) बला आघूर्ण का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(b) ऊर्जा का

प्रश्न 7.
किसी चुम्बक को लम्बाई के समानान्तर n बराबर टुकड़ों में काटने पर प्रत्येक टुकड़े का आघूर्ण होगा
(a) Mn
(b) Mn2
(c) M2n
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) Mn

प्रश्न 8.
किसी चुम्बक को 90° से घुमाने में किया गया कार्य होगा
(a) MB
(b) MB cos θ
(c) MB sinθ
(d) MB (1- sinθ)
उत्तर-
(a) MB

प्रश्न 9.
ध्रुवीय प्रबलता का S.I मात्रक है
(a) ऐम्पीयर मीटर
(b) टेसला
(c) फैराडे
(d) एम्पियर मी2
उत्तर-
(a) ऐम्पीयर मीटर

प्रश्न 10
निम्नलिखित में लौह चुम्बकीय पदार्थ कौन है ?
(a) Mn
(b) G
(c) Zn
(d) एलनिको
उत्तर-
(d) एलनिको

प्रश्न 11.
निम्न में कौन-सा नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है ?
(a) लेंज का नियम
(b) फैराडे का विद्युत विच्छेदन नियम
(c) ऐम्पियर का नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) लेंज का नियम

प्रश्न 12.
ट्रांसफार्मर का कोड बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पदार्थ है
(a) मुलायम इस्पात
(b) ताँबा
(c) स्टेनलेस स्टील
(d) अलनीको
उत्तर-
(a) मुलायम इस्पात

प्रश्न 13.
किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा एवं विभवान्तार के बीच . कलान्तर θ है, तब शक्ति गुणांक होगा।
(a) cos θ
(b) sin θ
(c) tan θ
(d) 1θ
उत्तर-
(a) cos θ

प्रश्न 14.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का वेग हवा में होता है

उत्तर-
(B) 1μ00

प्रश्न 15.
एक ऐसी परिघटना जो यह प्रदर्शित करता है कि कोई तरंग अनुप्रस्थ है, वह है –
(a) – प्रकीर्णन
(b) विवर्तन
(c) व्यतिकरण
(d) ध्रुवण
उत्तर-
(d) ध्रुवण

प्रश्न 16.
पानी और सीसा के अपवर्त्तनांक क्रमशः 4/5 और 5/3 है । एक प्रकाश की किरण सीसा से पानी में जा रही है, तो क्रांतिक कोण होगा

उत्तर-
(a) sin145

प्रश्न 17.
जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो उसके मुड़ने की क्रिया को कहते हैं
(a) वर्ण विक्षेपण
(b) अपवर्तन
(c) विवर्तन
(d) परावर्तन
उत्तर-
(b) अपवर्तन

प्रश्न 18.
उत्तल लेंस का व्यवहार किया जाता है जिसमें होता है
(a) निकट दृष्टि दोष
(b) दीर्घ दृष्टि दोष
(c) जरा दृष्टि दोष
(d) अविन्दुकता
उत्तर-
(b) दीर्घ दृष्टि दोष

प्रश्न 19.
विनाशी व्यतिकरण के लिये पथान्तर होना चाहिये ।
(a) nλ
(b) (2n + 1)λ/2
(c) शून्य के
(d) अनंत के
उत्तर-
(b) (2n + 1)λ/2

प्रश्न 20.
बूस्टर का नियम है
(A) μ = sin ip
(B) μ = cosip
(C) μ = tan ip
(D) μ = tan1ip
उत्तर-
(C) μ = tan ip

प्रश्न 21.
प्रकाश किस प्रकार के कंपनों से बनती है ?
(a) ईथा कण
(b) वायु कण
(c) विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र

प्रश्न 22.
फोटो सेल आधारित है ।
(a) प्रकाश विद्युत प्रभाव पर
(b) धारा के रासायनिक प्रभाव पर
(c) धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर
(d) विद्युत चुम्बकीय सेल पर
उत्तर-
(a) प्रकाश विद्युत प्रभाव पर

प्रश्न 23.
इनमें कौन अनाविष्ट है
(a) अल्फा कण
(b) वीटा कण
(c) फोटॉन
(d) प्रोटॉन .
उत्तर-
(c) फोटॉन

प्रश्न 24.
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग में हाइड्रोजन की लाइमन श्रेणी पायी जाती है ?
(a) x-किरण
(b) दृश्य
(c) अवरक्त
(d) पराबैंगनी
उत्तर-
(d) पराबैंगनी

प्रश्न 25.
हाइड्रोजन परमाणु में जब संक्रमण किसी उच्च कक्षा से दूसरी कक्षा में होती है तो प्राप्त होती है
(a) लाइमन श्रेणी
(b) बामर श्रेणी
(c) पाश्चन श्रेणी
(d) फुड श्रेणी
उत्तर-
(a) लाइमन श्रेणी

प्रश्न 26.
नाभिक की प्रति न्यूक्लियान औसत बंधन ऊर्जा है
(a) 8eV
(b) 8MeV
(c) 8BeV
(d) 8 जूल
उत्तर-
(b) 8MeV

प्रश्न 27.
तारों में ऊर्जा उत्सर्जन का मुख्य कारण है
(a) रासायनिक क्रिया
(b) भारी नाभिक का संलयन
(c) हल्के नाभिक का संलयन
(d) भारी नाभिक का विखंडन |
उत्तर-
(c) हल्के नाभिक का संलयन

प्रश्न 28.
OR गेट का बूलियन व्यंजक होता है
(a) A+ B =Y
(b) A.B = Y
(c) A¯=Y
(d) C=AB¯¯¯¯¯¯¯¯
उत्तर-
(a) A+ B =Y

प्रश्न 29.
p-प्रकार के अर्द्धचालक में आवेशवाहक होते हैं
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) बिवर
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन
उत्तर-
(b) बिवर

प्रश्न 30.
अग्र अभिनत संधि डायोड जिसमें प्रकाश उत्सर्जित होता है, कहे जाते हैं
(a) प्रकाश उत्सर्जक डायोड
(b) फोटो डायोड
(c) जेनर डायोड
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) प्रकाश उत्सर्जक डायोड

प्रश्न 31.
निम्न में कौन-सा शुद्ध व्यंजक है

उत्तर-
(d) =β(1+β)

प्रश्न 32.
n-प्रकार के अर्द्धचालक में मुख्य धारावाहक होते हैं
(a) प्रोटॉन
(b) बिवर
(c) α -कण
(d) इलेक्ट्रॉन
उत्तर-
(d) इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 33.
टेलीविजन संचारण में आम तौर से उपयुक्त आवृत्ति परास है ।
(a) 30-300 MHZ
(b) 30-300 GHZ
(c) 30-300 KHZ
(d) 30-300 HZ
उत्तर-
(a) 30-300 MHZ

प्रश्न 34.
आयन मंडल का व्यवहार रेडियो तरंगों हेतु होता है
(a) विरल माध्यम में
(b) सधन माध्यम में
(c) मुक्त आकाश में
(d) पारवैद्युत माध्यम में
उत्तर-
(a) विरल माध्यम में

प्रश्न 35.
h ऊँचाई वाले दूरदर्शन ऐंटिना से प्रसारित संकेत पृथ्वी पर जितनी अधिकतम दूरी तक जा सकते हैं, वह अनुक्रमानुपाती होते हैं
(a) h12
(b) h
(c) h52
(d) h2
उत्तर-
(a) h12


खण्ड-ब : गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न संख्या 1 से 18 तक सभी लघु उत्तरीय कोटि के प्रश्न हैं। | इस कोटि के प्रत्येक के लिए 2 अंक निर्धारित है । आप किन्हीं दस (10) प्रश्नों के उत्तर दें। (10 x 2 = 20)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युतीय बल रेखायें कभी भी एक दूसरे को नहीं काटती | है, क्यों ?
उत्तर-
दो बल रेखायें एक दूसरे को नहीं काटती है क्योंकि कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखायें खींची जा सकती है जो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशायें प्रदर्शित करेंगी । यह असंभव है ।

प्रश्न 2.
कूलम्ब के नियम की सीमाएँ क्या हैं ? उत्तर-कूलम्ब के नियम की सीमाएँ :
(a) यह नियम मूलतः विरामावस्था में बिन्दु आवेशों के लिए ही सत्य है।
(b) यह एक प्रायोगिक नियम है।
(c) यह नियम कम तथा अधिक दूरियों के लिए सही है परन्तु 10-15m से कम दूरी पर नाभिकीय बल प्रभावी हो जाता है।
(d) आवेश यदि वायु या निर्वात के अतिरिक्त किसी माध्यम में रखे जाते हैं तो कूलम्ब बल का मान कम हो जाता है ।

प्रश्न 3.
महत्तम शक्ति प्रमेय को प्रमाणित करें ।
उत्तर-
इस प्रमेय के अनुसार जब परिपथ का बाह्य प्रतिरोध स्त्रोत के आन्तरिक प्रतिरोध के बराबर होता है तो स्त्रोत की निर्गत शक्ति का मान अधिकतम होता है।
ओम के नियम से

अतः आन्तरिक और बाह्य प्रतिरोध का मान बराबर होने पर शक्ति अधिकतम होती है।

प्रश्न 4.
धारा घनत्व एवं अपवाह वेग के बीच संबंध स्थापित करें।
उत्तर-
हम जानते हैं कि
I = η A eVd
Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi - 7
जहाँ J=JA धारा घनत्व । यह धारा घनत्व तथा अपवाह वेग के बीच संबंध है ।

प्रश्न 5.
शैथिल्य पाश क्या है ? इसकी सहायता से ‘धारणशीलता’ एवं ‘निग्राहिता’ को समझाइए।
उत्तर-
चुम्बकीय शैथिल्य ग्राफ (Hysteresis loop)-यह चक्रीय चुम्बकन का परिणाम है। धारण क्षमता किसी चुम्बकीय पदार्थ की जिसके कारण पदार्थ पर से चुम्बकीय क्षेत्र हटाने के बाद भी उसमें चुम्बकत्व शेष रहता है।

निग्राहिता किसी चुम्बकीय पदार्थ की विलोम प्रक्रिया है जो पदार्थ में शेष चुम्बकत्व को शून्य बनाने में सहायक होती है । वक्र ABCDEFA शैथिल्य वक्र के रूप में जाना जाता है । OB तथा OE यह दर्शाता है कि चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होने पर भी कुछ चुम्बकत्व I अभी भी होता है। नमूने के द्वारा चुम्बकत्व अभी भी उपस्थित रहता है जबकि चुम्बकीय क्षेत्र का मान घटकर शून्य हो जाता है । पदार्थ का अवशोषी चुम्बकत्व कहलाता है तथा चुम्बकीय पदार्थ का यह गुण धारणशीलता (Retentivity) कहलाता है।

अवशोषी चुम्बकत्व को शून्य तक लाने के लिए, चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता OC तथा OF विपरीत दिशा में आरोपित किया जाता है। अवशोषी चुम्बकत्व को घटाकर शून्य करने के लिए चुम्बकीय पदार्थ का वह गुण जो व्युत्क्रम चुम्बकीय क्षेत्र के मान पर निर्भर करता है, विचुम्बकत्व (Coercivity) कहलाता है।

प्रश्न 6.
किसी कुंडली में संचित ऊर्जा का व्यंजक प्राप्त करें । उत्तर-जब धारा कुंडली से होकर प्रवाहित होती है तो प्रेरित वि. वा. बल
e=LdIdt
माना कि अति सूक्ष्म आवेश da प्रेरक से प्रवाहित होता है ।
अतः बाह्य वोल्टता द्वारा किया गया कार्य
dw = e.dq
Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi - 9
प्रेरक से होकर अधिकतम धारा प्रवाहित करने में किया गया कार्य

यह किया गया कार्य उसकी ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है ।

प्रश्न 7.
चल कुंडली धारामापी की सुग्राहिता किसे कहते हैं ? धारा सुग्राहिता तथा विभव सुग्राहिता के लिये व्यंजक लिखें ।
उत्तर-
धारामापी की सुग्राहिता (Sensitivity of Galvanometer) : यदि धारामापी की कुंडली से प्रवाहित अल्प धारा इसमें अधिक विक्षेप उत्पन्न करे तो धारामापी अधिक सुग्राही होता है ।
धारा सुग्राहिता (Current Sensitivity)-धारामापी की विभव सुग्राहिता इसमें प्रवाहित प्रति इकाई धारा के कारण उत्पन्न विक्षेप से व्यक्त की जाती है।
धारा सुग्रहिता αI=NABK
विभव सुग्राहिता (Voltage Sensitivity)-धारामापी की विभव सुग्राहिता इस पर आरोपित प्रति इकाई विभव पर धारामापी में उत्पन्न विक्षेप से व्यक्त की जाती है।
विभव सुग्राहिता αV=NABKR

प्रश्न 8.
किसी विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र तरंग से जुड़े वैद्युत ऊर्जा घनत्व एवं चुम्बक ऊर्जा घनत्व का व्यंजक लिखें तथा दर्शाइये कि इसका अनुपात 1 होता है।
उत्तर-

प्रश्न 9.
अपसारी किरणों एवं अभिसारी किरणों के लिये संगत तरंगों के रेखा चित्र बनाइए ।
उत्तर-
अभिसारी किरणों के लिये

प्रश्न 10.
आवर्धन एवं आवर्धन क्षमता में क्या अंतर है ?
उत्तर-
आवर्धन तथा आवर्धन क्षमता में अन्तर :

प्रश्न 11.
डी-ब्रोगली तरंग दैर्घ्य का व्यंजक लिखें ।
उत्तर-
क्वांटम सिद्धान्त के अनुसार फोटॉन ऊर्जा
E = hv ……..(1)
आईंस्टीन के नियम के अनुसार ऊर्जा (E) तथा संवेग के बीच-संबंध

प्रश्न 12.
द्रव्यमान क्षति (Mass defect) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब प्रोट्रॉन व न्यूट्रॉन को मिलाकर परमाणु के नाभिक का निर्माण किया जाता है तो निर्मित का द्रव्यमान घटक प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के मुक्त अवस्था | में द्रव्यमानों के योग से हमेशा कम होता है । द्रव्यमान में यह अंतर द्रव्यमान क्षति कहलाता है।
इसे ∆m से सूचित किया जाता है ।
द्रव्यमान क्षय ∆m = {mpZ+ Mn (A-Z)- M}
जहाँ M = नाभिक का द्रव्यमान, mp = प्रत्येक प्रोटॉन का द्रव्यमान

प्रश्न 13.
तापायनिक उत्सर्जन की प्रक्रिया सिर्फ धातु सतह पर क्यों घटती है ?
उत्तर-
जब एक धातु को गर्म किया जाता है तब उसके मुक्त इलेक्ट्रॉन ताप ऊर्जा को अवशोषित कर पृष्ठीय अवरोध को पार कर जाते हैं। परिणामस्वरूप मुक्त इलेक्ट्रॉन धातु के पृष्ठ से ही उत्सर्जित होते हैं।

प्रश्न 14.
प्रबल धारा के कारण अर्द्धचालक क्षतिग्रस्त क्यों हो जाते हैं।
उत्तर-
जब किसी अर्द्धचालक में प्रबल धारा प्रवाहित होती है तो इसमें बड़ी मात्रा में ऊष्मा का उत्पादन होता है । इस ऊष्मा ऊर्जा के कारण अर्द्धचालक के लगभग सभी सहसंयोजी बंधन टूट जाते हैं तथा यह क्षतिग्रस्त हो जाता है।

प्रश्न 15.
नैज अर्द्धचालक तथा बाह्य अर्द्धचालक में अंतर बतायें ।
उत्तर-
नैज अर्द्धचालक :

  1. नैज अर्द्धचालक शुद्ध तत्त्वों जैसे जर्मेनियम तथा सिलिकॉन के क्रिस्टल होते हैं।
  2. नैज अर्द्धचालक में इलेक्ट्रॉन का संख्या घनत्व होल्स के संख्या घनत्व के बराबर होता है ।।
  3. नैज अर्द्धचालक की विद्युत चालकता कम होती है।

बाह्य अर्द्धचालक:

  1. जब नैज अर्द्ध चालक में कुछ अशुद्धि मिलायी जाती है तो बाह्य अर्द्धचालक प्राप्त होते हैं।
  2. बाह्य अर्द्धचालक में इलेक्ट्रॉन की संख्या घनत्व का मान होल्स के संख्या घनत्व के समान नहीं होता है।
  3. बाह्य अर्द्धचालकों की विद्युत चालकता उच्च होती है ।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो की व्याख्या करें :
(i) भू-तरंगें (ii) व्योम तरंगें (iii) आकाशीय तरंगें।
उत्तर-
(i) भू-तरंगें (Earth waves)-ट्रांसमीटर के ऐंटीना से रिसीवर के ऐंटीना तक पृथ्वी की सतह के साथ संचरित तरंगों को भू-तरंग कहते हैं। लंबी दूरी तक भू-तरंगों द्वारा संचरण 1500 kHz तक की तरंगों के लिए ही संभव है, चूँकि इससे अधिक आवृत्ति की तरंगों का संचरण उनके पथ में पड़ने वाले माध्यम के कणों के अन्योन्य क्रिया के कारण अवमंदन हो जाता है।
(ii) अंतरिक्ष तरंगें (Space waves)-उच्च आवृत्ति तरंगों (30 MHz से अधिक) को अन्तरिक्ष तरंगें कहते हैं। इन उच्च आवृत्ति तरंगों के लिए आयन मंडल द्वारा पारगमन होता है, जिससे वे पुनः परावर्तित नहीं की जा सकती हैं।
(iii) आकाशीय तरंगें (Sky waves)-जो तरंगें ट्रांसमीटर के ऐंटीना से निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत, जिसे आयन मंडल कहा जाता है, से परावर्तित होकर रिसीवर के ऐंटीना तक पहुँचती हैं, उन्हें आकाशीय तरंग कहा जाता है।

प्रश्न 17.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुणों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं :
(a) सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें अनावेशित होती हैं, इसीलिए विद्युत या चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति द्वारा प्रभावित नहीं होती है ।
(b) ये तरंगें प्रकृति में अनुप्रस्थ होती हैं तथा त्वरित विद्युत आवेश से उत्पन्न होती हैं ।
(c) ये तरंगें निर्वात में भी सीधी रेखाओं में संचरित होती हैं तथा इसका वेग समान माध्यम में प्रकाश के वेग के बराबर होता है ।
(d) इन तरंगों की आवृत्ति v तथा तरंग-दैर्घ्य λ, वेग C से निम्नलिखित सम्बन्ध रखते हैं :
C = v λ
(e) ये तरंगें एक-दूसरे के लम्बवत् परिवर्ती विद्युत् तथा चुम्बकीय दोलनों द्वारा संचरित होती हैं।
(f) ये तरंगें परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन तथा ध्रुवण के गुण प्रदर्शित करती हैं।

प्रश्न 18.
जब दो प्रतिरूप X एवं Y को एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो चुम्बकीय क्षेत्र में उत्पन्न विकृति को चित्र में दर्शाया गया है :

(i) दो नमूने X तथा Y की पहचान करें। (ii) x एवं Y में बल-रेखा की विकृति के कारण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
(i)X प्रति-चुम्बकीय तथा Y लौह-चुम्बकीय पदार्थ है ।
(ii) प्रति-चुम्बकीय पदार्थ का अणु एवं परमाणु के पास पूर्व से द्विध्रुवीय नहीं होता । इनकी चुम्बकशीलता 1 से कम होती है तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति का मान कम एवं ऋणात्मक होता है। क्षेत्र रेखाएँ बाहर की ओर हो जाती हैं।
लौह-चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता का मान 1 से काफी अधिक __ होता है और चुम्बकीय प्रवृत्ति का मान धनात्मक एवं 1 से अधिक होता है । क्षेत्र रेखाएँ अन्दर की ओर केन्द्रित होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्नों संख्या 19 से 24 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है । इस कोटि के प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित है । आप किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें।
(3 x 5 = 15)

प्रश्न 19.
विद्युतीय द्विध्रुव के कारण विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक ज्ञात करें जब बिन्दु लम्ब अर्द्धक रेखा पर स्थित हो या निरक्षीय स्थिति में हो।
उत्तर-
माना एक विद्युत द्विध्रुव है। इसके मध्य बिन्दु 0 से r दूरी पर उसकी निरक्षीय स्थिति में P एक बिन्दु है।।
P पर विद्युत तीव्रता +q आवेश के कारण AP दिशा में

E⃗ 1 तथा E⃗ 2 के परिमाण बराबर हैं किन्तु दिशा भिन्न हैं। E⃗ 1 तथा E⃗ 1
के OP के लंबवत घटक E1 cos θ तथा E2cos θ हैं जो एक ही दिशा में है। अतः P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

जहाँ (P = q.21) .:. l2 << l2, अतः l2 को छोड़ दिया जाता है।

प्रश्न 20.
साइक्लोट्रॉन की बनावट, सिद्धांत तथा कार्य विधि का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर-
साइक्लोट्रॉन (Cyclotron):
सिद्धान्त : जब किसी धनावेशित कण को उच्च आवृत्ति के विद्युत क्षेत्र में प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में प्रयोग करते हुए बार-बार गति करायी जाती है तो यह त्वरित होता है तथा पर्याप्त मात्रा में अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेता है ।
बनावट : यह दो खोखले गोले D आकृति के धात्विक अक्षों का बना होता है, जिन्हें डीज कहते हैं। इन डीज के मध्य कुछ अन्तराल रखा जाता है, जिसमें धनावेशित कणों के स्रोत को रखा जाता है। डीज को उच्च आवृत्ति दोलक से जोड़ा जाता है जो कि डीज के अन्तराल में उच्च आवृत्ति विद्युत क्षेत्र प्रदान करता है । इस व्यवस्था को प्रबल विद्युत चुम्बक के दो ध्रुवों के मध्य रखा जाता है। इस विद्युत चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र अर्द्धचन्द्र के तल के लम्बवत होता है।

कार्य विधि : यदि 0 से कोई धनावेशित कण उत्सर्जित होता है तथा जब D2 ऋणावेशित होता है व D1 धनावेशित होती है तो कण D2 की ओर त्वरित होता है। जैसे ही यह D2 में प्रवेश करता है, यह धात्विक कण के विद्युत क्षेत्र में घिर जाता है। D2 में यह चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करता है। इसलिए D2 में यह अर्द्धवृत्ताकार पथ का अनुकरण करता है । अर्द्धवृत्त पूर्ण करने के पश्चात् जब डीज की ध्रुवणता उत्क्रमित हो जाती है तो यह डीज के मध्य अन्तराल में प्रवेश करता है। अब प्रोटॉन D1 की ओर त्वरित होता है। अब यह D1 में प्रवेश करता है तथा चुम्बकीय क्षेत्र के कारण अर्द्धवृत्ताकार पथ का अनुसरण करता है जो प्रोटॉन की गति के लंबवत होता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि प्रोटॉन डीज निकाय की परिधि तक न पहुँच जाए। इस स्थिति में प्रोटॉन विक्षेपण प्लेट द्वारा विक्षेपित हो जाता है, जो कि खिड़की W में से होता हुआ लक्ष्य से टकराता है।

सिद्धान्त (Theory) : जब कोई प्रोटॉन अर्द्धचन्द्र में चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् गर्म करता है तब इस पर कार्यरत लॉरेंज बल
F = qvB sin 90° = qvB

यह बल आवेशित कण को – त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति कराने के लिए अभिकेन्द्र बल mv2r प्रदान करता है।

अतः धनात्मक आवेशित कण द्वारा अर्द्धवृत्त पूर्ण करने में लगा समय समान होता है तथा त्रिज्या पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 21.
अथवा, बायोट-सावर्ट के नियम की व्याख्या करें । धारावाही वृत्ताकार कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर-
अथवा, बायोट-सावर्ट का नियम (Biot-Savart law)__यह नियम धारावाही चालक के कारण किसी बिन्दु पर चुम्बकीय सामर्थ्य निर्धारित करता है।
dB
मान लिया कि लम्बाई dl लम्बाई का AB अल्पांश है जिसमें धारा I प्रवाहित हो रही है। धारावाही अल्पांश के कारण r दूरी पर P एक बिन्दु है जिस पर चुम्बकीय क्षेत्र निम्न बातों पर निर्भर करता है |

मान लिया कि एक तार RS की वृत्ताकार कुंडली है, जिसकी त्रिज्या r है तथा इससे I धारा प्रवाहित हो रही है । इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान निकालने के लिए वृत्ताकार कुंडली को छोटे-छोटे भाग dl, all, dl, इत्यादि में बाँट दिया जाता है। एक छोटे भाग dl के कारण केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र

वृत्ताकार कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक
मान लिया कि एक तार RS की वृत्ताकार कुंडली है, जिसकी त्रिज्या r है तथा इससे I धारा प्रवाहित हो रही है । इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान निकालने के लिए वृत्ताकार कुंडली को छोटे-छोटे भाग dl, dly, dl, इत्यादि में बाँट दिया जाता है। एक छोटे भाग dl के कारण केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र

प्रश्न 22.
बायो-सावर्ट नियम के अनुसार किसी सीधे धारावाही तार के कारण किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर-
मान लिया MN एक सीधा चालक है जिसमें I धारा प्रवाहित हो रही है। चालक के समीप r दूरी पर P एक बिन्दु है तथा इस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करना है।
चालक की अल्प लंबाई (CD = dl) लिया जाता है।
अल्प लंबाई CD के कारण P बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र


Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi - 27

प्रश्न 23.
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के सिद्धांत, बनावट, क्रिया तथा आवर्धन क्षमता का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर-
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी एक प्रकाशीय यंत्र है जिसके द्वारा अति सूक्ष्म कणों या सूक्ष्म वस्तुओं को देखने के लिये किया जाता है।
सिद्धांत-जब किसी वस्तु को कम फोकस दूरी के एक लेंस 0 के सामने Fऔर 2F दूरी के बीच रखते हैं तो वस्तु का वास्तविक, उलटा और आवर्धित प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है तो लेंस के दूसरी ओर बनता है । यदि यह प्रतिबिम्ब बड़े द्वारक वाले एक अन्य उत्तल लेंस E के फोकस बिन्दु और प्रकाशित केन्द्र के बीच बनता है तो यह प्रतिबिम्ब लेंस के लिये एक बिम्ब की तरह कार्य करता है। यह लेंस द्वारा बनने वाला अंतिम प्रतिबिम्ब उलटा. आभासी एवं अत्यन्त आवर्धित होता है।

संरचना-इसमें कम फोकस दूरी तथा कम द्वारक वाले दो समाक्षीय उत्तल लेंस 0 तथा E होते हैं जिन्हें अभिदृश्यक तथा नेत्र लेंस कहते हैं।
वस्तु लेंस वस्तु के निकट होता है । इसका द्वारक छोटा एवं फोकस दूरी कम होती है। नेत्र लेंस की द्वारक नया फोकस दूरी वस्तु लेंस के द्वारक तथा फोकस दूरी से ज्यादा होती है । वस्तु लेंस तथा नेत्र लेंस के बीच की दूरी को दण्ड वक्र व्यवस्था के द्वारा समायोजित किया जाता है।

कार्य विधि-माना कि एक वस्तु है जो F तथा 2F के मध्य स्थित है । इस वस्तु का वास्तविक, उलटा एवं आवर्धित प्रतिबिम्ब लेंस 0 के दूसरी ओर बनता है। लेंस E की स्थिति इस प्रकार समायोजित की जाती है कि PQ’ का प्रतिबिम्ब वस्तु की दिशा में स्पष्ट दृष्टि के न्यूनतम दूरी पर बने जो आभासी, उलटा तथा आवर्धित होता है।

आवर्धन क्षमता (Magnifying power)-आवर्धन क्षमता एक अनुपात | है जो अंतिम प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बनाये गये कोण तथा वस्तु के द्वारा बनाये | गये कोण में होता है जब वस्तु स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर रहती है।
Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi - 29
Bihar Board 12th Physics Model Question Paper 4 in Hindi - 30
जहाँ me = नेत्रिका के द्वारा उत्पन्न आवर्धन
m0 = अभिदृश्यक के द्वारा उत्पन्न आवर्धन नेत्र लेंस के लिये

प्रश्न 24.
दिष्टकारी क्या है ? संधि डायोड का पूर्ण तरंग दिष्टकारी के रूप में प्रयोग होता है। सचित्र वर्णन करें।
उत्तर-
दिष्टकारी-वह युक्ति जो प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित करती है, दिष्टकारी कहलाती है। – संधि डायोड पूर्ण तरंग दिष्टकारी के रूप में-यह प्रत्यावर्ती निवेशी संकेतों के दोनों अर्द्धाशों का दिष्टकरण करता है।
सिद्धांत-संधि डायोड केवल वायसित अवस्था में ही चालन नहीं करता है जबकि पश्च वायसित अवस्था में चालन नहीं करता है।
पूर्ण दिष्टकारी का चित्र

ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुंडली (S) से डायोड D1 तथा D2 के P सिरे | के जोड़ा जाता है। लोड प्रतिरोध RL के सिरों पर निर्गत वोल्टता प्राप्त की जाती है। संधि डायोड के N सिरे को द्वितीयक कुंडली के केन्द्रीय भाग से जोड़कर उभयनिष्ठ बिन्दु बनाया जाता है।

कार्य प्रणाली-जब निवेशी प्रत्यावर्ती संकेत का धनात्मक अर्द्ध-चक्र प्राथमिक कुंडली से प्रवाहित होता है। अन्योन्य प्रेरण के कारण से द्वितीयक कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा इस प्रकार होती है कि जब द्वितीयक कुंडली का ऊपरी सिरा धनात्मक होता है तो निचला सिरा ऋणात्मक होता है। इस प्रकार जब डायोड D1 अग्रवायस में होता है तो डायोड D2 पश्च वायसित हो जाता है। निर्गत वोल्टता जो निवेशी अर्द्धचक्र के अनुसार परिवर्तित होती है, लोड प्रतिरोध (RL) के सिरों पर प्राप्त की जाती है।

निवेशी प्रत्यावर्ती संकेत के ऋणात्मक अर्द्ध-चक्र के दौरान डायोड D1 पश्च वायस में तथा D2 अग्रवायसित होता है। डायोड D2 के कारण परिपथ | में निश्चित दिशा में प्रवाहित होनेवाली धारा दिखायी गयी है। निर्गत वोल्टता (R) के सिरों पर प्राप्त की जाती है।

इस प्रकार निवेशी प्रत्यावर्ती संकेत (तरंग) के दोनों अक्षांशों का दिष्टकरण करता है। इसलिए संधि डायोड को पूर्ण तरंग दिष्टकारी कहा जाता है।

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