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 Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 9 18 वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ

Bihar Board Class 7 Social Science 18 वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्वयात्त राज्य किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
जो राज्य अपना सम्पूर्ण प्रशासनिक निर्णय और नीति-निर्धारण स्वयं करता है, उस राज्य को ‘स्वायत्त राज्य’ कहते हैं।

प्रश्न 2.
नये राज्यों को तीन समूह में विभाजित करने के आधार क्या रहा होगा?
उत्तर-
पहले से चले आ रहे केन्द्रीय शासकों का कमजोर हो जाना ही ऐसा प्रमुख कारण रहा होगा, जिससे राज्य तीन राज्यों में विभाजित हो गया।

प्रश्न 3.
तकावी ऋण क्या था ?
उत्तर-
राज्य द्वारा किसानों को दिये गये ऐसे ऋण को तकावी ऋण कहा जाता था, जिस ऋण की रकम का मकसद उपज को बढ़ाना था ।

प्रश्न 4.
ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था क्या थी ?
उत्तर-
राजस्व वसूली के लिये एक निश्चित क्षेत्र पर निर्धारित रकम के लिए कुछ लोगों से शासक द्वारा किए गए समझौता ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था थी।

प्रश्न 5.
चौथ किसे कहा जाता था ?
उत्तर-
मराठों द्वारा पड़ोसी राज्यों पर हमला नहीं किये जाने के बदले किसानों से ली जाने वाली उपज का चौथाई भाग के कर को चौथ कहा गया ।

प्रश्न 6.
सरदेशमुखी क्या था ?
उत्तर-
मराठों से बड़े जमींदार परिवारों, जिन्हें सरदेशमुख कहा जाता था, ” इनके द्वारा लोगों के हितों की रक्षा के बदले लिया जाने वाला उपज का दसवाँ भाग होता था । ऐसे कर वसूलने वाले को सरदेशमुख कहा जाता है ।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

आइए याद करें :

प्रश्न (i)
मुगलों के उत्तराधिकारी राज्य में कौन राज्य आता है ?
(क) सिक्ख
(ख) जाट
(ग) मराठा
(घ) अवध
उत्तर-
(घ) अवध

प्रश्न (ii)
बंगाल में स्वायत राज्य की स्थापना किसने की ?
(क) मुर्शिद कुली खाँ
(ख) शुजाउद्दीन
(ग) बुरहान-उल-मुल्क
(घ) शुजाउद्दौला
उत्तर-
(क) मुर्शिद कुली खाँ

प्रश्न (iii)
सिक्खों के एक शक्तिशाली राजनैतिक और सैनिक शक्ति के रूप में किसने परिवर्तित किया :
(क) गुरुनानक
(ख) गुरु तेगबहादुर
(ग) गुरु अर्जुनदेव
(घ) गुरु गोविन्द सिंह
उत्तर-
(घ) गुरु गोविन्द सिंह

प्रश्न (iv)
शिवाजी ने किस वर्ष स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ?
(क) 1665
(ख) 1680
(ग) 1674
(घ) 1660
उत्तर-
(ग) 1674

प्रश्न (v)
मराठा परिसंघ का प्रमुख कौन था?
(क) पेशवा
(ख) भोंसले
(ग) सिंधिया
(घ) गायकवाड़
उत्तर-
(क) पेशवा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :

  1. ठेकेदारी प्रथा – मराठा
  2. सरदेशमुखी – औरंगजेब का निधन
  3. निजाम-उल-मुल्क – जाट
  4. सूरजमल – हैदराबाद
  5. 1707 ई० – भू-राजस्व प्रशासन

उत्तर-

  1. ठेकेदारी प्रथा – भू-राजस्व प्रशासन
  2. सरदेशमुखी – मराठा
  3. निजाम-उल-मुल्क – हैदराबाद
  4. सूरजमल – जाट
  5. 1707 ई० – औरंगजेब का निधन

आइए विचार करें

प्रश्न (i)
अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर-
अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश इसलिए की कि वे मुगल-प्रभाव को कम करना चाहते थे । यही हाल हैदराबाद का भी था । इस प्रकार धीरे-धीरे ये मुगलों से पूर्णतः मुक्त होकर स्वतंत्र शासक बन बैठे ।

प्रश्न (ii)
शिवाजी ने अपने राज्य में कैसी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की?
उत्तर-
शिवाजी के काल में प्रशासन का केन्द्र राजा अर्थात स्वयं शिवाजी थे । राजा को सहयोग देने के लिए आठ मंत्री थे जिन्हें ‘अष्ठ प्रधान’ कहा जाता था ।

  1. पेशवा-पेशवा प्रधानमंत्री था । प्रशासन और अर्थ विभाग की देखरेख करता था । राजा के बाद यही सबसे अधिक शक्ति वाला अधिकारी था ।
  2. सर-ए-नौबत-यह सेनापति की नियुक्ति करता था तथा घोडा के साथ ही अन्य सैनिक साजो-सामान की देखरेख करता था ।
  3. मजुमदार-लेखाकार-इनका काम राज्य के आय-व्यय का लेखा रखना था ।
  4. वाके नवीस-गृह विभाग के साथ ही गुप्तचर विभाग का यह प्रध न होता था । राज्य के विरोधी शक्तियों का यह विवरण रखता था ।
  5. सुरु नवीस-राजा को पत्र व्यवहार में मदद करना सुरु नवीस का ही काम था ।
  6. दबीर-दबीर विदेश विभाग का प्रधान होता था । पड़ासी राज्यों से सम्बंध बनाये रखना इसी का काम था ।
  7. पंडित राव-पंडित राव धार्मिक मामलों का प्रभारी था। विद्वानों और धार्मिक कार्यों हेतु मिलने वाले अनुदानों का वितरण यही करता था
  8. न्यायाधीश शास्त्री-हिन्दू न्याय प्रणाली का व्याख्याता न्यायाधीश शास्त्री ही हुआ करता था ।

प्रश्न (iii)
पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार क्यों हुआ?
उत्तर-
शिवाजी की मृत्यु के बाद और औरंगजेब के जीवित रहने तक मराठा क्षेत्रों पर पुन: मुगलों का अधिकार हो गया । लेकिन जैसे ही 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई, शिवाजी के राज्य पर चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार का प्रभाव स्थापित हो गया। शिवाजी के उत्तराधिकारियों ने उसे पेशवा का पद दे दिया । इस नये बने पेशवा ने पुणा को मराठा राज्य का केन्द्र बनाया। पेशवाओं ने मराठों के नेतृत्व में सफल सेन्य संगठन का विकास किया, जि

सके बल पर उन्होंने अपने राज्य का बहुत विस्तार दिया । मुगलों के कई परवर्ती शासकों ने पेशवाओं का नेतृत्व स्वीकार कर लिया। इसी कारण पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार हुआ।

प्रश्न (iv)
मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर क्या . प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर दरगामी प्रभाव पड़ा । छोटे-छोटे राज्यों की भरमार हो गई । छोटे राज्यों के सभी नायक ऐश-मौज का जीवन व्यतीत करते रहे। खर्च को पूरा करने के लिए किसानों पर कर-पर-कर बढ़ाये गये । किसान तबाह होने लगे । इनकी इन कमजोरियों को अंग्रेज पैनी नजर से देख रहे थे । फल हुआ कि अंग्रेजों ने एक-एक कर . सभी छोटे राज्यों को अपने अधिकार में कर लिया । इसके लिये इनको बल के साथ छल का भी व्यवहार करना पड़ा । अंततोगत्वा किसी भी रूप में ये पूरे भारत पर अधिकार करने में सफल हो गये ।

प्रश्न (v)
अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों के बीच क्या समानताएँ थीं?
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों तीन राज्य प्रमुख थे-बंगाल, अवध और हैदराबाद । तीनों गुलाम शासन के अधीन रहने वाले सूबे थे । इसका फल हुआ कि बहुत बातों में ये तीनों राज्य समान थे । आय का स्रोत भूत-राजस्व वसूली की व्यवस्था तीनों ने एक समान ही रखी । इन तीनों ने जागीरदारी व्यवस्था को समाप्त कर दिया ताकि राज्य शासन पर इनका आधिपत्य पूरी तरह स्थापित हो जाय । इस प्रकार तीनों राज्यों के बी क .. समानताएँ थीं।

Bihar Board Class 7 Social Science 18 वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ Notes

पाठ का सार संक्षेप

अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध में अनेक स्वतंत्र भारतीय राज्यों का उदय हुआ। इसका परिणाम हुआ कि मुगल साम्राज्य सिमटकर छोटा हो गया । 1707 में औरंगजंघ की मृत्यु के बाद मुगलों के अनेक सूबे स्वतंत्र हो गये । विरोधी शक्तियाँ भी सशक्त होकर स्वतंत्र राज्य बनकर निष्कटंक हो गई । मुगलों के जो सूबेदार औरंगजेब के जितने विश्वासी थे, उन्होंने उतना ही बड़ा विश्वासघात किया और सूबों के स्वतंत्र शासक बन बैठे ।

भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम साम्राज्य के खंडहर पर निम्नलिखित राज्य थे : मुगल साम्राज्य के सूबेदार : बंगाल, अवध और हैदराबाद । मुगलों के मनसबदार-जागीरदार : राजपुताना, क्षेत्र के सभी राज्य । मुगलों से युद्ध कर चुके राज्य : मराठा, सिक्ख, जाट एवं बुन्देल।।

इन नये राज्यों में सर्वाधिक प्रमुख राज्य थे : बंगाल, अवध और हैदराबाद । हैदराबाद के नवाबों को ‘निजाम’ कहा जाता था । इन तीनों का मुगल दरबार . में बहुत इज्जत किया जाता था। इन्होंने इसी का लाभ उठाया ।

बंगाल-बंगाल को स्वतंत्र राज्य बनाने में दो नवाबों का हाथ था : मुर्शिद कली खाँ और अलीवर्दी खाँ । मुर्शिद कुली खाँ को 1700 में बंगाल का सूबेदार बनाया गया था, तभी से उसने यहाँ एकाधिकारी प्रवृति दिखाने लगा था । भूमिकर वसूलने के लिए उसने जमींदारी तथा ठेकेदारी व्यवस्था कायम कर अपने लिए अनेक हसबखाह बना लिये । इन लोगों ने उसके शासन को व्यवस्थित रखने में मदद की । इसने हिन्दुओं और मुसलमानों को रोजगार में समान अवसर देकर शासन में स्थिरता कायम की । हैदराबाद-हैदराबाद का सूबेदार निजाम-उल-मुल्क आसफजाह था । इसका मुगल दरबार में काफी प्रभाव था । दरबार के षड्यंत्रों से तं

ग आकर इसने अपने को स्वतंत्र घोषित कर लिया। इसने भी बंगाल के तर्ज पर भू-राजस्व वसूली के लिए जमींदार और ठेकेदार नियुक्त किये । चौक राज्य में हिन्दुओं की संख्या अधिक थी इसलिए इसके राज्य में हिन्दू जमींदारों की संख्या अधिक थी । इससे राज्य में स्थिरता आई ।

राजपूत राज्य-अकबर ने जिन राजपूतों को जोड़कर अपना साम्राज्य फैलाया था, औरंगजेब और उसके बाद के मुगल शासकों से राजपूतों की दूरी बढ़ती गई । अब राजपूतों में भी अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की आकांक्षा जागने लगी । क्षेत्र तथा प्रभूत्व बढाने के लिये ये आपस में ही लड़ने लगे और अपने को कमजोर करते रहे । सर्वाधिक श्रेष्ठ राजपूत शासक आमेर का सवाई जयसिंह था जिसका काल 1681 से 1743 तक माना जाता है। इसी ने गुलाबी नगर जयपुर की स्थापना की थी।

उसने जयपुर को जाटों से प्राप्त की थी । जयसिंह ने ही आगरा, दिल्ली, जयपुर, मथुरा और उज्जैन में पर्यवेक्षणशालाएँ बनवाई थीं, जिन्हें जन्तर-मन्तर कहा जाता है।

मराठा राज्य-मराठों का उदय मुगलों से संघर्ष के कारण हुआ था । मुगलों के विरुद्ध तलवार उठाने वाले पहले व्यक्ति थे शिवाजी । शिवाजी का जन्म 1627 में शाहजी भोंसले के घर हुआ। इनका आरंभिक जीवन मना जीजाबाई तथा अभिभावक दादाजी कोण देव के संरक्षण में हुआ । शिवाजी अपनो छोटी जागीर को सैनिक शक्ति द्वारा बढ़ाना चाहते थे । ये मात्र 18 वर्ष की आयु में ही रायगढ़, कोंकण तथा तोरण के किलों पर कब्जा करके अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा का परिचय दे दिया । मुगल बीजापुर को अपने नियंत्रण में करना चाहते थे । लेकिन शिवाजी ने ऐसा नहीं होने दिया ।

औरंगजेब शिवाजी की शक्ति को कम करना चाहता था । उसने छल-बल सभी का प्रयास किया लेकिन शिवाजी को दबा नहीं पाया । शिवाजी

ने रायगढ़ के किले में अपना राज्याभिषेक करवाया और अपने को एक स्वतंत्र राजा घोषित किया ।

शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था बहत ही उत्तम कोटि की थी। इनके आठ मंत्री थे जिन्हें अष्ट प्रधान कहा जाता था । वे थे:

  1. पेशवा
  2. सर-ए-नौबत
  3. मजुमदार-लेखाकार
  4. वाके नवीस
  5. गुरु नवीस
  6. दबीर
  7. पंडित राव और
  8. न्यायाधीश शास्त्री ।

इन सभी के कार्य बँटे हुए थे। इन सबके ऊपर राजा अर्थात शिवाजी थे।

पेशवाओं के अधीन मराठा शक्ति का विकास-शिवाजी की मृत्यु 1680 में हुई । फिर औरंगजेब के 1707 में मरने के बाद मराठा क्षेत्रपर चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार का प्रभुत्व स्थापित हो गया । शिवाजी के उत्तराधिकारियों द्वारा उसे पेशवा का पद प्रदान किया गया । पेशवा ने पुणा को मराठा राज की राजधानी बनाया । पेशवाओं ने मराठों के नेतृत्व में सफल सैन्य संगठन का विकास किया ।

बाद में पेशवाओं ने पाँच परिवारों में मराठा क्षेत्र को बाँटकर अलग-अलग राज्य करने लगे। पुणे के इलाका पर पेशवाओं का अधिकार रहा । ग्वालियर का इलाका सिंधिया के अधीन हो गया । इन्दौर पर होल्कर राज्य करने लगे। विदर्भ का इलाका गायकवाड़ के पास रहा तो नागपुर का इलाका भोंसले के अधिकार में रहे ।

इन सबका सैद्धांतिक प्रमुख पेशवा ही था । सबको मिलाकर मराठा परिसंघ कहा जाता था । पेशवा के अधीन मराठा राज्य भारत का एक शक्तिशाली राज्य बन गया । लेकिन 1761 में पानीपत की दूसरी लड़ाई में मराठा अहमद शाह अब्दाली से हार गये, जिससे उनकी शक्ति छिन्न-भिन्न हो गई । हार का कारण राजपूतों का चुप रहना और मराठों की स्वार्थ नीति भी थी । अब सिंधिया, होल्कर, गायकवाड, भोंसले तथा पुणे में पेशवा अपने-अपने क्षेत्र में सिमटकर रह गए ।

जाट एक कृषक समूह होने के बावजूद मुगलों से संघर्ष कर अपने को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में बदल लिया । इनका प्रभाव दिल्ली और आगरा के क्षेत्रों में बढ़ा । जाट राज्य की स्थापना चूडामन और बदन सिंह के नेतृत्व में हुआ । लेकिन इस राज्य का पूर्ण विकास 1750 और 1763 ई० के बीच सूरजमल के नेतृत्व में हुआ।

सिक्ख राज्य-सिक्ख एक धर्म था, जिसे गुरु नानक ने स्थापित किया था । सतरहवीं शताब्दी में सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय में संगठित होने लगे। . सिक्खों के अंतिम गुरु गुरु गोविन्द सिंह (1666-1708) के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने को धार्मिक और राजनैतिक रूपों में संगठित करने का प्रयास किया । गुरु गोविन्द सिंह के बाद गुरु परम्पग समाप्त हो गई । इनके अनुयायी बन्दा बहादुर के नेतृत्व में सिक्खों ने 8 वर्षों तक मुगलों से संघर्ष किया लेकिन राज्य निर्माण नहीं कर सके

नादिरशाह तथा अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों के कारण पंजाब के प्रशासन में अव्यवस्था फैल गई । अब्दाली की वापसी के बाद सिक्ख पुनः संगठित होने लगे । पहले ये जत्थों तथा बाद में मिस्लों में संगठित हुए। इन मिस्लों के ही एक मिस्ल के प्रधान रणजीत सिंह के नेतृत्व में सिक्खों ने उन्नीसवीं शताब्दी में एक शक्तिशाली राज्य का गठन कर लिया।

भारतीय राज्य और राजाओं के बिखराव का लाभ अंग्रेजों ने खब उठाया। 1857 में इन सभी राज्यों ने मिलकर अंग्रेजों का विरोध करने का संकल्प लिया था, लेकिन वे अंग्रेजों को दबा नहीं सके । इसका कारण कुछ राज्यों का धोखा देना भी था ।

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