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 bseb 8th class hindi notes | हुंडरू का जलप्रपात

bseb 8th class hindi notes | हुंडरू का जलप्रपात

bseb 8th class hindi notes

वर्ग – 8

विषय – हिंदी

पाठ 5 – हुंडरू का जलप्रपात

 हुंडरू का जलप्रपात
                               -कामता प्रसाद सिंह ‘ काम ‘

हुंडरू झारखण्ड राज्य के छोटा नागपुर जिले में पड़ता है । सूची से 27 मील की दूरी पर स्थित है – हुंडरू का जलप्रपात । अत्यन्त सुन्दर , मनमोहक यह जलप्रपात है । उसका यात्रा मार्ग भी सुन्दर एवं मनमोहक है ।
पहाड़ , जंगल , घाटियाँ , नदियों को पार कर हुंडरू के जलप्रपात तक पहुँचा जाता है । आदिवासियों का गीत , पशु – पक्षियों की आवाज से यात्रा आनन्ददायक हो जाता है । हरियाली सम्पन्न वह प्रदेश जादू की तरह मन को मोह लेता है ।
कहीं कोयला तो कहीं अबरख के खान मिलते हैं । वहाँ के लोग गरीब और सीधे – सादे हैं । हुंडरू का जलप्रपात स्थल शोभा देवलोक जैसा है । 243 फीट ऊँची जगह से गिरता यह प्रपात पहाड़ों को चीरता पत्थर पर जिस समय गिरता है , उसका स्वरूप अत्यन्त आकर्षक दिखता है । पानी गिर – गिरकर 20-20 फीट उछलता है । झरने ( प्रपात ) से आगे का दृश्य और भी अधिक मोहक है । उससे आगे भी ऊँचे – ऊंचे प्रपात ( झरना ) है लेकिन वहाँ तक पहुँचाना कठिन है ।
पहाड़ के ऊपर से नीचे पतली – पतली पगडंडी से चलकर घाटी की शोभा भी वर्णनीय है । सर्पाकार पतली – पतली नदियों के किनारे रंग – बिरंगे पत्थर विभिन्न आकार – प्रकार में लोगों के लिए नयनाभिराम लगता है ।
हुंडरू की शोभा प्रकृति प्रदत्त है ।वहाँ दुकानों का आभाव है । खाने – पीने की चीज नहीं के बराबर मिलते हैं । प्रपात के पास भयंकर ध्वनि दूर से ही लोगों को आकर्षित कर लेता है । हुंडरू का जलप्रपात दर्शनीय है ।

शब्दार्थ –

नीलिमा = नीलापन , श्यामलता । तरदुद = कठिनाई , परेशानी । द्रुतगति = तेज चाल । गुलजार = प्रफुल्लित , खिला हुआ । बाग = बगीचा । अवर्णनीय = जिसका वर्णन नहीं हो सके । दर्शनीय = देखने लायक । विस्मित = आश्चर्यचकित । साध्य = लक्ष्य । विभीषिका = संकट , त्रासदी , भय । उद्गमस्थान = वह स्थान जहाँ से नदियाँ निकलती हैं , मूल – स्रोत , उत्पत्ति ।   विलीन- लुप्त हो जाना।

                 प्रश्न – अभ्यास
पाठ से –
1. जैसे हुंडरू का झरना वैसा उसका मार्ग । ” इस कथन की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – हुंडरू का झरना अत्यन्त आकर्षक , मनमोहक और आनन्ददायक है । उसी प्रकार हुंडरू जाने का मार्ग भी आकर्षक , मनमोहक और आनन्ददायक है । मार्ग में बीहड़ जंगल जिसमें हिंसक जीवों की आवाज के साथ – साथ विविध पक्षियों का कलरव मनमोहक लगता है । हरे – भरे खेतों की हरियाली रास्ते का आनन्द और भी बढ़ा देता है । हुंडरू का जल प्रपात से उत्पन्न घवल झाग मन के सारे विकारों को दूर कर देता है ।

2. हुंडरू का झरना कैसे बना है ?

उत्तर – स्वर्ण – रेखा नदी पहाड़ को पार करने के लिए अनेक भागों में विभक्त हो जाती है । पुनः एक जगह होकर पहाड़ से उतरती है । यह है हुंडरू का झरना जो 243 फीट ऊपर से गिरती है ।

3. ” स्वयं झरने से भी ज्यादा खूबसूरत मालूम होता है , झरने से आगे का दृश्य ” उस सुन्दरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर – हुंडरू झरने से भी ज्यादा खुबसूरत मालूम होता है उसके आगे का दृश्य । आगे घाटी है । पहाड़ों के बीच पतली नदी मानो थर्मामीटर का पारा हो । नदी के इर्द – गिर्द पत्थरों का अंबार उस पर झाड़ी । चारों ओर सुन्दरता ही सुन्दरता दिखाई पड़ती है । सम्पूर्ण दृश्य प्राकृतिक है । स्वर्ग जैसा सुख देने वाला हुंडरू के झरने से आगे का दृश्य है।

4. प्रस्तुत पाठ के आधार पर समझाइए कि किसी यात्रा – वृतांत को रोचक बनाने के लिए किन – किन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ?

उत्तर – प्रस्तुत पाठ ” हुंडरू का जल प्रपात ” यात्रा – वृतांत है । किसी भी यात्रा – वृतांत को रोचक बनाने के लिए प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ – साथ वहाँ के सांस्कृतिक , सामाजिक , आधिक स्थिति का वर्णन भी अनिवार्य है । जैसा कि ” हुंडरू का जलप्रपात ” शीर्षक पाठ में लेखक ने वर्णन किया है ।

5. यहाँ पर एक दृश्य का वर्णन दो प्रकार से किया गया है ।

उत्तर– ( क ) हुंडरू का पानी कहीं साँप की तरह चक्कर काटता है , कहीं हरिण की तरह छलाँग भरता है और कहीं बाघ की तरह गरजता हुआ नीचे गिरता है ( ख ) हुंडरू का पानी चक्कर काटकर छलाँग भरता हुआ नीचे गिरता है । इनमें से आपको कौन – सा तरीका अच्छा लग रहा है और क्यों ?
उत्तर- ( i ) उपरोक्त दो कथनों में मुझे प्रथम कथन का तरीका अच्छा लगता है क्योंकि प्रथम कथन में विशेष्य – विशेषण दोनों का प्रयोग है जबकि दूसरे कथन में विशेषण मात्र प्रयोग हुआ है ।
( ii ) प्रथम कथन अलंकारपूर्ण है । इसमें उपमा अलंकार का समावेश किया गया है । जैसे साँप की तरह चक्कर काटना , हिरण की तरह छलांग लगना ।

गतिविधि

1. बिहार के दर्शनीय स्थानों की सूची बनाइए । प्राकृतिक सम्पदा तथा कृषि को ध्यान में रखते हुए बिहार एवं झारखंड का तुलनात्मक वर्णन कीजिए ।

उत्तर – हमारा बिहार दर्शनीय स्थानों से भरा है । जिसमें – पटना की पटनदेवी , गोलघर , अजायबघर , चिडियाखाना , महावीर मंदिर , अगमकुँआ और गुरुगोविन्द सिंह का जन्म स्थान , इनके अतिरिक्त बक्सर में ताड़का बध स्थान , गोपालगंज में थावे मंदिर सहरसा का चण्डिका स्थान , बेगुसराय का कावर झील , सीतामढ़ी ( जनकपुर ) में सीता का जन्म स्थान , कुशेश्वर स्थान , हरिहर नाथ आदि दर्शनीय स्थल हैं । प्राकृतिक सम्पदा में झारखंड अवश्य आगे है । लेकिन झारखंड में कृषि योग्य भूमि की कमी है । कृषि क्षेत्र में हमारे बिहार झारखंड की अपेक्षा आगे है ।

2. अपने – अपने गाँव और उसके आस – पास ईख , अरहर , सरसों के लहलहाते फूलों पर मंडराते हुए भौरों को अवश्य देखा होगा । साथ ही आम की मंजरियों पर मकरन्द को चूसते हुए मधुमक्खियों के झुंड एवं आम के पल्लवों के बीच छिपी हुई कोयल की कूक भी आपने अवश्य सुनी होगी । इस प्राकृतिक दृश्य को महसूस कीजिए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।।

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