भारत में विज्ञान नीति की नींव | Basis of Science Policy in India



आजादी के बाद भारत को अनेक संकटों और समस्याओं से जूझना पड़ रहा था, लेकिन 'आधुनिक भारत के निर्माता' कहे जाने वाले पंडित
जवाहरलाल नेहरू ने देश को विज्ञान मंत्र देते हुए जनता से आह्वान किया कि यह विज्ञान और केवल विज्ञान ही है जो एक ऐसे देश, जहाँ पीड़ित लोग रहते हैं, भूख और गरीबी, अस्वच्छता और निरक्षरता, अंधविश्वास और घातक रीतियों और विशाल संसाधनों के व्यर्थ हो जाने आदि से संबंधित समस्याओं का समाधान कर सकता है। 
उस समय देश में वैज्ञानिक अनुसंधान का वातावरण बनाने के लिये कई वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं और संस्थानों की स्थापना की गई लेकिन इन सभी प्रयासों में सबसे ठोस और महत्त्वपूर्ण कदम था- राष्ट्रीय विज्ञान नीति का प्रस्ताव। यह संसार में अपनी तरह का पहला और अनूठा प्रयोग था, जो पहली बार भारत में हुआ।
उल्लेखनीय है कि पंडित नेहरू द्वारा देश की पहली विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति जारी की गई। भारत के वैज्ञानिक नीति संकल्प (साइंटिफिक पॉलिसी रिजोल्यूशन), 1958 द्वारा विज्ञान तथा इसके सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान के संवर्द्धन, प्रोत्साहन और इसके अस्तित्व को बनाए रखने पर बल दिया गया।
जनवरी 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस के अधिवेशन में दूसरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति प्रस्तुत की थी जिसके उद्देश्यों में प्रौद्योगिकी संबंधी कुशलता और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, लोगों को न्यूनतम लाभदायक रोजगार उपलब्ध कराना, परंपरागत निपुणता को व्यावसायिक रूप प्रदान करना, कम-से-कम पूंजी से अधिक विकास का प्रबंध करना, उपकरणों और प्रौद्योगिकी को आधुनिक बनाना, ऊर्जा की बचत व संरक्षण करना और पर्यावरण की रक्षा के प्रसार सम्मिलित थे। वस्तुतः यह प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य प्रौद्योगिकी से संबंधित जटिल और व्यापक क्षेत्रों के लिये दिशा-निर्देशों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर बनाई गई थी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति-2003, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को एक न साथ लाई और अनुसंधान एवं विकास (Research and Development) ने में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जारी किया। उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' के साथ 'जय विज्ञान' का नारा बुलंद किया। इस नीति में राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने तथा राष्ट्रीय नवोन्मेष प्रणाली का सृजन करने के लिये राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास प्रणाली के साथ सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों के कार्यक्रमों को समेकित करने की मांग की गई।

नवोन्मेष नीति की आवश्यकता (Necessity of Innovation Policy)

 'नवोन्मेष' से तात्पर्य ऐसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित समाधानों से है, जिन्हें अर्थव्यवस्था अथवा समाज में सफलतापूर्वक परिनियोजित किया जाता है, जिसने देश के विकासात्मक लक्ष्यों में केंद्रीय स्थान हासिल कर लिया है। भारत ने नीति के उपकरण के रूप में नवोन्मेष को अब तक अपेक्षित महत्त्व प्रदान नहीं किया था। इसलिये राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी चालित नवोन्मेष को अपनाने की आवश्यकता पड़ी।
भारत ने वर्ष 2010-20 को 'नवोन्मेष दशक' के रूप में घोषित किया। सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष में सहक्रिया बनाने
के लिये एक नीति प्रतिपादित करने की आवश्यकता पर बल दिया और  इसकी राष्ट्रीय नवोन्मेष परिषद् की भी स्थापना की। यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति-2013 इन्हीं घोषणाओं के अनुसरण में है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति-2013 (Science, Technology and Innovation Policy-2013)

मुख्य विशेषताएँ

●  समाज के सभी वर्गों में वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना
●  समाज के सभी वर्गों के युवाओं में विज्ञान के अनुप्रयोग हेतु कौशलों न्या को बढ़ावा देनाः
● प्रतिभाशाली युवाओं के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष में करियर को आकर्षक बनाना
● विज्ञान के कुछ अग्रणी क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने के लिये अनुसंधान और विकास का विश्वस्तरीय ढाँचा स्थापित करना;
● वर्ष 2020 तक भारत को पाँच बड़ी वैश्विक वैज्ञानिक शक्तियों में खड़ा करना (वैश्विक वैज्ञानिक प्रकाशनों में भारत के हिस्से को 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करना और विश्व की एक प्रति शीर्ष पत्रिकाओं में आलेखों की संख्या मौजूदा स्तर से बढ़ाकर चार
गुना करना):
● विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष प्रणाली के योगदानों को समावेशी आर्थिक विकास के एजेंडे के साथ जोड़ना और उत्कृष्टता तथा
संगतता की प्राथमिकताओं पर ध्यान देना;
● अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिये माहौल तैयार करना;
● सफल प्रयोगों को दोहराकर तथा नई पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की व्यवस्थाएँ कायम करके अनुसंधान और विकास के
निष्कर्षों को सामाजिक और व्यावसायिक उपयोगों में बदलना;
● आकार और प्रौद्योगिकी की सीमाओं के दायरे में संसाधनों के बेहतर उपयोग से कम लागत की नवीनीकरण गतिविधियों को बढ़ावा देना;
● विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित ज्ञान से संपदा संवर्द्धन के कार्यक्रमों को मान्यता देने वाली सोच और मूल्य प्रणाली को बढ़ावा देना;
● एक सुदृढ़ राष्ट्रीय नमोन्वेष प्रणाली की स्थापना करना।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति-2020
(Science, Technology and Innovation Policy-2020)

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) द्वारा 5वीं राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष
नीति का मसौदा जारी किया गया। यह नीति 2013 की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति का स्थान लेगी।
नई नीति में उन व्यक्तियों और संगठनों का शामिल किया गया है जो अनुसंधान और नवाचार क्षेत्र से संबंधित हैं तथा उस इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में सक्षम हैं और जिनके द्वारा लघु, मध्यम तथा दीर्घकालिक मिशन मोड परियोजनाओं के माध्यम से महत्त्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, जिस तरह के नए संकटों का दुनिया को सामना करना पड़ रहा है वैसे
हालात में यह नई नीति अपने विकेंद्रीकृत तरीकों से प्राथमिकताओं वाले क्षेत्र तय करेगी। यह निर्धारित करेगी कि किन क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दिया भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जाना है; अनुसंधान के तरीके कैसे होने चाहिये तथा सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिये प्रौद्योगिकी का किस पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

महत्त्वपूर्ण प्रावधान 
न्याय और समावेशन से संबंधित

● लैंगिक समानता

◆ नीति में प्रस्तावित है कि सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं का कम-से-कम 30% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। साथ ही लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्यूर (LGBTQ+) समुदाय से जुड़े वैज्ञानिकों को 'स्पाउसल बेनिफिट्स' (Spousal Benefits) प्रदान किये जाएँ।
◆ LGBTQ+ समुदाय को लैंगिक समानता से संबंधित सभी वार्तालापों में शामिल किया जाए और उनके अधिकारों की सुरक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उनके प्रतिनिधित्व व विचारों को शामिल करने हेतु प्रावधान किये जाएँ।

● बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल

◆ नीति में बाल-देखभाल को बिना लैंगिक भेदभाव के और काम के घंटों को लचीला बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
◆ इसके अलावा मातृत्व प्रसव और सही से बच्चे की सही ढंग से देखभाल करने के लिये माता-पिता हेतु पर्याप्त छुट्टी का प्रस्ताव किया गया है।
◆ सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित सभी अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों को कर्मचारियों के बच्चों के लिये डे-केयर सेंटर स्थापित करने तथा बुजुर्गों की देखभाल के लिये भी प्रावधान किया गया है।

● दिव्यांगजनों के लिये

◆ यह नीति दिव्यांगजनों की सहायता के लिये सभी वित्तपोषित सार्वजनिक वैज्ञानिक संस्थानों में उनके समावेशन न करने हेतु “संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन" का पक्षधर है।

● अन्य संबंधित प्रावधान

◆ चयन, पदोन्नति, पुरस्कार या अनुदान से संबंधित मामलों में आयु-संबंधी छूट के लिये 'शैक्षणिक स्तर पर आयु' को आधार बनाया जाए, न कि लैंगिक आयु सीमा को।
◆ एक ही विभाग या प्रयोगशाला में कर्मचारी के तौर पर नियुक्त होने वाले विवाहित युगल की एक साथ कार्य करने की सीमा को हटाना।
नोट : अभी तक शादीशुदा युगल एक ही विभाग में कार्य नहीं कर सकते थे जिस कारण रोजगार छोड़ने के मामले सामने आते हैं या जब कोई सहकर्मी शादी करने का फैसला करता है तो उसकी मर्जी के बगैर उसका स्थानांतरण कर दिया जाता है।
● ओपन साइंस पॉलिसी (वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन): सभी को वैज्ञानिक ज्ञान और डेटा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया है जिससेः
◆ वैश्विक स्तर पर सभी महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक पत्रिकाओं की थोक में खरीद संभव होगी, साथ ही भारत में भी सभी तक इनकी मुफ्त पहुँच संभव होगी।
◆ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार वेधशाला स्थापित करना जो देश में वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित सभी प्रकार के डेटा के केंद्रीय भंडार के रूप में कार्य करेगा।

अनुसंधान और शिक्षा

● यह नीति-निर्माताओं को अनुसंधान इनपुट प्रदान करने और हितधारकों को एक साथ लाने के लिये शिक्षा अनुसंधान केंद्र (Education
Research Centre) और सहयोगी अनुसंधान केंद्र (Collaborative Research Centre) स्थापित करने का प्रस्ताव करती है।
●अनुसंधान और नवप्रवर्तन उत्कृष्टता फ्रेमवर्क (Research and Innovation Excellence Framework) की प्रासंगिकता का उद्देश्य
हितधारकों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाना है।
● एक समर्पित पोर्टल सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान के आउटपुट तक पहुँच प्रदान करेगा जिसे इंडियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी
आर्चिव ऑफ रिसर्च (Indian Science and Technology Archive of Research) के माध्यम से बनाया जाएगा।
● स्थानीय अनुसंधान और विकास क्षमताओं को बढ़ावा देने तथा चुनिंदा क्षेत्रों, जैसे- घरेलू उपकरणों, रेलवे, रक्षा आदि में बड़े स्तर पर
आयात को कम करने हेतु बुनियादी ढाँचा स्थापित करेगा।

भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करने के लिये

● यह नीति आने वाले दशक में भारत को शीर्ष तीन वैज्ञानिक महाशक्तियों के बीच तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर स्थिति प्राप्त करने
में सहायक होगी।
● प्रत्येक 5 वर्षों में पूर्णकालिक समकक्ष (Full-Time Equivalents) शोधकर्ताओं की संख्या, R&D पर सकल घरेलू व्यय और GERD
(Gross Domestic Expenditure on R&D) पर निजी क्षेत्र के योगदान को दुगुना करने में सहायक।
● एक रणनीतिक प्रौद्योगिकी बोर्ड (Strategic Technology Board- STB) की स्थापना करना जो सभी सामरिक सरकारी विभागों को
जोड़ेगा और खरीदी जाने वाली या स्वदेश निर्मित प्रौद्योगिकियों की निगरानी तथा अनुशंसा करेगा।

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