उग्रवाद का उदय (बाल, लाल और पाल) – गरम दल 1905
उग्रवाद का उदय (बाल, लाल और पाल) – गरम दल 1905
उदारवादी राजनीतिक उत्तेजना के साथ राष्ट्र का पुनर्निर्माण नहीं करना चाहते थे, वे सरकार के साथ सहयोग के पक्षपाती थे. लेकिन उग्रवादी सरकार के साथ असहयोग और नौकरशाही के साथ संघर्ष करना चाहते थे.
उग्रवादी सरकार के सुधारों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. वे जितना सरकार का विरोध करते थे उतना ही उदारवादियों के विचार का भी विरोध करते थे. गरम दल (garam dal) के अग्रदूत ब्रिटिश शासन को वरदान के बदले अभिशाप मानते थे. उनके कार्यक्रम में बहिष्कार तथा स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा को विशेष महत्त्व दिया गया था. उनका कहना था कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे प्राप्त करना कांग्रेस का लक्ष्य. हम स्वतंत्रता और न्याय चाहते हैं, दया की भीख नहीं. उग्रवादी स्वराज्य का वास्तविक/सार्थक स्वतंत्रता मानते थे. उग्रवादी प्रजातंत्र संविधान और प्रगति के साथ-साथ राष्ट्रीय आन्दोलन का सामाजिक आधार विस्तृत बनाना चाहते थे. उन्हीं के प्रयत्नों के परिणाम-स्वरूप निम्न मध्यम वर्ग राष्ट्रीय आन्दोलन में प्रवेश कर पाए. गरम दल (garam dal) के नेताओं ने जनसाधारण को राष्ट्रीयता और राजनीति का पाठ पढ़ाने के लिए विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन आरम्भ किया. इस प्रकार उग्रवाद भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण इकाई बन गया.