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 इसरो के प्रमुख केंद्र


प्रमुख केंद्र इसरो के


👉 विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Centre-vssc): तिरुवनंतपुरम (केरल) स्थित वीएसएससी इसरो का प्रमुख केंद्र है, जहाँ उपग्रहों और परिजापी रॉकेटों के प्रमोचन यानों के विन्यास और विकास की गतिविधियाँ निष्पादित की जाती हैं और प्रमोचन यान तैयार किये जाते हैं।

👉 इसरो उपग्रह केंद्र-आईसैक (ISRO Satellite Centre-ISAC): आईसैक वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुप्रयोज्य अभियानों के लिये उपग्रह प्रौद्योगिकी का विकास और उपग्रह प्रणालियों के कार्यान्वयन में कार्यरत है। यह बंगलूरू में स्थित है।

नोट: ISAC का वर्तमान नाम यू.आर.राव उपग्रह केंद्र (URSC) है।

👉 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र-शार [Satish Dhawan Space Centre (SDSC)-SHAR]: एसडीएससी-शार, इसरो का प्रमुख प्रमोचन केंद्र है। यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित है। एसडीएससी-शार में निम्न भू-कक्षा, ध्रुवीय कक्षा और भूस्थिर अंतरण कक्षा में उपग्रह प्रमोचन के लिये अपेक्षित अवसंरचना उपलब्ध है।

नोट: वर्ष 2002 में इसरो के पूर्व चेयरमैन और वैज्ञानिक सतीश धवन के मरणोपरांत श्रीहरिकोटा रेंज (SHAR) का नाम बदलकर 'सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र-शार' कर दिया गया।

👉 द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre-LPSC): इसरो के प्रमोचन यान और अंतरिक्ष-यान कार्यक्रमों के लिये द्रव प्रणोदन के क्षेत्र में 'द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र' (एलपीएससी) एक उत्कृष्ट केंद्र है। इसकी गतिविधियाँ वलियमाला (तिरुवनंतपुरम) और बंगलूरू में विस्तारित हैं।

👉 अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (Space Applications Centre-SAC): अहमदाबाद स्थित यह केंद्र भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख केंद्रों में से एक है। केंद्र का प्रमुख कार्य संचार, दिशा निर्देशन और मौसम विज्ञान से संबंधित नीतभारों (पेलोड) का विकास तथा स्पेस तकनीकी के अनुप्रयोगों के प्रचालन पर अपना ध्यान संकेंद्रित करना है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से संबद्ध 'सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन एशिया एंड द पैसेफिक' (सीएसएसटीईएपी) में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र के तहत उपग्रह संचार, मौसम विज्ञान और वैश्विक परिवर्तन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिये SAC मेज़बान संस्था है।

👉 राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (National Remote Sensing Centre- NRSC): हैदराबाद में स्थित एनआरएससी को । सितंबर, 2008 से इसरो के पूर्ण विकसित केंद्र (Full-fledged Centre) के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। इससे पहले एनआरएससी एक स्वायत्त निकाय था, जो अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के अंतर्गत राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी (एनआरएसए) कहलाता था। यह केंद्र सुदूर संवेदन उपग्रह आँकड़ों के एक्विजिशन और प्रोसेसिंग, आँकड़ों के वितरण, हवाई सुदूर संवेदन और आपदा प्रबंधन हेतु निर्णय समर्थन के लिये जिम्मेदार है।

👉 विकास और शैक्षिक संचार यूनिट (Development and Educational Communication Unit-DECU): अहमदाबाद में स्थित विकास और शैक्षिक संचार यूनिट ने आम आदमी की सेवा हेतु विभिन्न सामाजिक अनुप्रयोगों के लिये देश भर में उपग्रह संचार भू-तंत्र लागू किया है। यह समाज की वास्तविक समस्याओं के समाधान में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देता है और समग्र राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। टेली एजुकेशन, टेली मेडिसिन आदि जैसे अंतरिक्ष अनुप्रयोग कार्यक्रमों का सतत विस्तार, समाज के लिये प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करने में DECU द्वारा निभाई जा रही संवर्द्धित भूमिका को दर्शाता है।

👉 इसरो दूरमिति, अनुवर्तन और आदेश नेटवर्क (ISRO Telemetry, Tracking and Command Network-ISTRAC): इस्ट्रैक, इसरो व विश्व भर की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रमोचन यान और पृथ्वी की निम्न कक्षा में परिक्रमारत अंतरिक्ष यानों तथा गहन अंतरिक्ष अभियान के लिये अंतरिक्ष यान नियंत्रण, टीटीसी (Telemetry, Tracking and Command) सपोर्ट और अन्य संबंधित परियोजनाओं के लिये अंतरिक्ष प्रचालन सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिये जिम्मेदार है। इसरो की भारतीय प्रादेशिक नौवहन उपग्रह प्रणाली के लिये अनुवर्तन और वायुमंडलीय अनुप्रयोगों के लिये रडार प्रणाली का विकास और ग्राउंड सिगमेंट नेटवर्क की स्थापना इस्ट्रैक की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। इस्ट्रैक के अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे दूरमिति अनुवर्तन नियंत्रण भू-स्टेशन-बंगलूरू, लखनऊ,शार (श्रीहरिकोटा), तिरुवनंतपुरम, पोर्ट ब्लेयर द्वीप, ब्रुनेई, बिआक (इंडोनेशिया) और मॉरीशस में स्थित हैं।

👉 मुख्य नियंत्रण सुविधा (MasterControl Facility MCF): कर्नाटक में हासन और मध्य प्रदेश में भोपाल से इसरो के सभी भू-स्थिर/ भू-तुल्यकालिक उपग्रहों (जैसे- INSAT, GSAT तथा IRNSSशृंखला के उपग्रह) का नियंत्रण व निगरानी की जाती है। एम.सी.एफ. इन उपग्रहों की समूची कालावधि में उपग्रहों के कक्षा संवर्द्धन, कक्षीय नीतभारों की जाँच एवं सभी कक्षीय प्रचालनों के लिये उत्तरदायी है।

👉 लेबोरेटरी फॉर इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (Laboratory for Electro Opties Systems-LEOS): बंगलूरू में स्थित LEOS उपग्रहों तथा प्रमोचन यानों के लिये इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सेंसर्स की अभिकल्पना, विकास और उत्पादन में कार्यरत है। यह वर्तमान व भावी उपग्रहों के लिये नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है।

नोट: ध्यातव्य है कि भारत के प्रथम कृत्रिम उपग्रह 'आर्यभट्ट' का निर्माण सन् 1975 में LEOS में ही किया गया था।

👉 भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (Indian Institute of Remote Sensing-IIRS): देहरादून में स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार की एक यूनिट है। यह सुदूर संवेदन, भू-सूचना, अवस्थिति व नौवहन प्रौद्योगिकी तथा तत्संबंधित अनुप्रयोगों के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिये शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान का एक महत्त्वपूर्ण संस्थान है। यह भी संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिये अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा केंद्र के रूप में मेजबान संस्थान है।

👉 इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (ISRO Propulsion Complex-IPRC): इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के कन्याकुमारी के पास महेंद्रगिरि पहाड़ियों में स्थित है। यह इसरो के द्रव नोदन प्रणाली का मुख्य परीक्षण केंद्र है। आईपीआरसी की भूमिका उपग्रह और उपग्रह प्रमोचन यान दोनों के लिये द्रव नोदन प्रणाली के विकास हेतु अनुसंधान करना है। आईपीआरसी को इसरो के विश्वसनीय प्रमोचन यान पीएसएलवी के दूसरे और चौथे चरणों की सुपुर्दगी की ज़िम्मेदारी है। जीएसएलवी मार्क II हेतु 75KN प्रणोद क्षमता के स्वदेशी निम्नतापीय इंजन और जीएसएलवी मार्क III हेतु 200 KN प्रणोद क्षमता के इंजन के विकास में आईपीआरसी ने मुख्य भूमिका निभाई है।

नोट: पहले इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (IPRC), महेंद्रगिरि को द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (LPSC), महेंद्रगिरि के रूप में जाना जाता था लेकिन हमारे देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भावी वृद्धि तथा महेंद्रगिरि के सहगामी विस्तार का संज्ञान लेते हुए इसे 01 फरवरी, 2014 से प्रभावी आईपीआरसी, महेंद्रगिरि के रूप में प्रोन्नत किया गया।

👉 इसरो जड़त्वीय प्रणाली यूनिट (ISRO Inertial Systems Unit- IISU): तिरुवनंतपुरम स्थित इसरो जड़त्वीय प्रणाली यूनिट (आईआईएसयू) प्रमोचन यानों (Launch Vehicles) और अंतरिक्ष यानों (Spacecrafts) के लिये जड़त्वीय प्रणाली के क्षेत्र में कार्यरत एक उत्कृष्ट केंद्र है। आईआईएसयू में जड़त्वीय संवेदकों व प्रणालियों तथा उनसे संबंधित उपग्रह घटकों के क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास कार्य किये जाते हैं। यह यूनिट संपूर्ण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम हेतु जड़त्वीय प्रणालियों के डिज़ाइन, इंजीनियरिंग, विकास व उन्हें निष्पादन योग्य बनाकर उपलब्ध कराने में सक्षम है।
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