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 अंतरिक्ष आयोग (Space Commission)



वर्ष 1972 में स्थापित अंतरिक्ष आयोग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये विभिन्न नीतियों का निर्माण करता है और उनके क्रियान्वयन पर भी नज़र रखता है। आयोग के ही दिशा-निर्देशन में अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि देश को इसका सामाजिक-आर्थिक लाभ मिल सके।

अंतरिक्ष विभाग (Department of Space-DoS)

अंतरिक्ष विभाग का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान के अनुसंधान और ग्रहीय अन्वेषण को जारी रखते हुए राष्ट्र के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लगातार उन्नत बनाना है। इसकी स्थापना अंतरिक्ष आयोग के साथ ही जून 1972 में की गई थी तथा सितंबर 1972 में इसरो को इसके अंतर्गत लाया गया। अंतरिक्ष विभाग अंतरिक्ष कार्यक्रमों को मुख्यतः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), पीआरएल, एनआरएल, एनई-सैक, एससीएल तथा आई.आई.एस.टी. के माध्यम से क्रियान्वित करता है।

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला
(Physical Research Laboratory-PRL)

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के आधार के रूप में विख्यात भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना डॉ. विक्रम साराभाई ने 1947 में की थी। अहमदाबाद (गुजरात) में स्थित पीआरएल मुख्य रूप से अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त एक स्वायत्त संस्था है। पीआरएल में भौतिकी, अंतरिक्ष एवं वायुमंडलीय विज्ञान, खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी एवं सौर भौतिकी तथा ग्रहीय एवं भू-विज्ञान के चुनिंदा क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान कार्य किया जाता है।

सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (Semi-Conductor Laboratory-SCL)

मोहाली, चंडीगढ़ (पंजाब) में स्थित सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (एससीएल), अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के अधीन स्वायत्तशासी संस्था के तौर पर माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिये देश की सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के कार्य से जुड़ी है। ध्यातव्य है कि 1 सितंबर, 2006 से पहले यह सेमी-कंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड, भारत सरकार के एक उपक्रम के रूप में जानी जाती थी। एससीएल हाई-रेल बोर्ड्स के फैब्रिकेशन (Fabrication of Hi-Rel Boards), रेडियोसोंडे प्रणालियों और इलेक्ट्रॉनिक उप प्रणालियों
के देशीकरण में भी संलग्न है।

राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला
( (National Atmospheric Research Laboratory-NARL)

तिरुपति (आंध्र प्रदेश) के निकट गदंकी में स्थित 'एनएआरएल' अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त एक स्वायत्त संस्था है। एनएआरएल देश में वायुमंडलीय अनुसंधान के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसने मूल वायुमंडलीय अनुसंधान, वायुमंडलीय अन्वेषण के लिये स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास एवं मौसम तथा जलवायु प्रतिदर्शन में विशेषज्ञता प्राप्त की है।

उत्तर-पूर्वी (पूर्वोत्तर) अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र या एनई-सैक
(North Eastern-Space Applications Centre-NE-SAC)

अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में सहायता के लिये मेघालय में शिलॉन्ग के पास उमियाम में स्थापित उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अंतरिक्ष विभाग और पूर्वोत्तर परिषद् की एक संयुक्त पहल है। इस केंद्र को यहाँ अव्वल दर्जे की तकनीकी आधारभूत सुविधाओं को विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है, ताकि पूर्वोत्तर के राज्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से प्राप्त सूचनाओं को अपनाकर अपने क्षेत्र का विकास कर सकें। इस समय उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र सुदूर संवेदन, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) व
उपग्रह संचार के प्रयोग से विशिष्ट परियोजनाओं को चलाने के अलावा अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान कार्यों में भी सहयोग कर रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान
(Indian Institute of Space Science and Technology-IIST)

मानव संसाधन में क्षमता निर्माण की दिशा में अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिये तिरुवनंतपुरम (केरल) में इस संस्थान की स्थापना की है। अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) का उद्घाटन 14 सितंबर, 2007 को अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया। संस्थान वैमानिकी (Avionics), एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) एवम भौतिकी (Physics) में विषेज्ञता सहित  एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में स्नातक, परास्नातक तथा Ph.D की उपाधि प्रदान करता है।

एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited-ACL)

'एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड' भारत सरकार की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के पास है। एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में अंतरिक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के वाणिज्यिक दोहन व प्रचार-प्रसार के लिये सरकार के स्वामित्व में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था। अब यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है। इसका एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष से संबंधित औद्योगिक क्षमताओं के
विकास को आगे बढ़ाना भी है। इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक एवं विपणन शाखा के रूप में एंट्रिक्स, पूरी दुनिया में अपने अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को अंतरिक्ष उत्पाद और सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। 'एंट्रिक्स' को भारत सरकार द्वारा 2008 में 'लघुरल कंपनी' का दर्जा दिया गया।

इसरो (Indian Space Research Organisation-ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है, जिसकी स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी। और इसका मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में है। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों (Launch Vehicles), परिज्ञापी रॉकेटों (Sounding Rockets) और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। वर्तमान में इसरो विश्व की छ: वृहत्तम अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसरो के पास संचार उपग्रहों (इनसैट) तथा सुदूर संवेदन (IRS) उपग्रहों का वृहत्तम समूह है, जो द्रुत तथा विश्वसनीय संचार एवं भू-प्रेक्षण की बढ़ती मांग को पूरा करता है। इसरो राष्ट्र के लिये उपयोगी विशिष्ट उपग्रह उत्पाद एवं उपकरणों का विकास करता है जिनमें प्रसारण, संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन उपकरण, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मानचित्रकला (Cartography), नौवहन, टेलीमेडिसिन तथा टेली एजुकेशन संबंधी उपग्रह शामिल हैं।

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