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  भारतीय राजव्यवस्था : एक दृष्टि में

 भारत में प्रथम

◆ राष्ट्रपति― डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

◆ उपराष्ट्रपति― डॉ. एस. राधाकृष्णन्

◆ प्रधानमंत्री― जवाहरलाल नेहरू

◆ उपप्रधानमंत्री― सरदार वल्लभभाई पटेल

◆ लोक सभा मान्यता प्राप्त विपक्ष के नेता― वाई. वी. चव्हाण

◆  मुख्य न्यायाधीश― हीरालाल जे. कानिया

◆ सर्वोच्च न्यायालय की महिला न्यायाधीश― फातिमा बीबी

◆ निर्वाचन आयुक्त― सुकुमार सेन

◆ लोक सभा अध्यक्ष― गणेश वासुदेव मावलंकर

◆ पंचायती राज का प्रारम्भ― राजस्थान

◆ 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज अधिनियम का निर्माण― कर्नाटक

◆ राज्य में गैर-कांग्रेसी सरकार― केरल

                          प्रमुख अनुच्छेद

◆  मौलिक अधिकार― 12 से 35 भाग-3

◆ स्वतन्त्रता का अधिकार― 19

◆ अस्पृश्यता का अन्त― 17

◆ प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता का अधिकार― 21

◆ कारखानों या खान में 14 वर्ष से कम आयु के बालकों के नियोजन पर प्रतिबन्ध― 24

◆ राज्य के नीति निर्देशक तत्व― 36 से 51 भाग-4

◆ मौलिक कर्तव्य― भाग-4,51 ए

◆ धन विधेयक― 110

◆  वार्षिक वित्तीय विवरण― 112

◆ लेखानुदान― 116

◆ राष्ट्रीय आपात― 352

◆ राज्यों में आपात (राष्ट्रपति शासन)― 356

◆ वित्तीय आपात― 360

◆ संविधान संशोधन― 368

◆ जम्मू कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान― 370

◆ हिन्दी भाषा में संविधान का प्राकृतिक पाठ― 394क

◆ पंचायती राज― 40, 243-243 ण

◆ नगरपालिका― 243त-243 य छ

        प्रमुख पदाधिकारियों के लिए अनिवार्य आयु

◆ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के लिए कम से कम― 35 वर्ष

◆ राज्यपाल के लिए कम-से-कम― 35 वर्ष

◆ उच्चतम न्यायालय के लिए सेवानिवृत्ति― 65 वर्ष

◆ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए सेवानिवृत्ति― 62 वर्ष

◆ लोक सभा का सदस्य (कम-से-कम)― 25 वर्ष

◆ राज्य सभा का सदस्य (कम-से-कम)― 30 वर्ष

◆ मतदाता की कम-से-कम आयु― 18 वर्ष

◆ विवाह के लिए लड़के की कम-से-कम आयु― 21 वर्ष

◆ विवाह के लिए लड़की की कम-से-कम आयु― 18 वर्ष

◆ संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य (कार्यकाल)― 65 वर्ष की आयु तक अथवा 6 वर्ष
                                                                      का कार्यकाल जो भी पहले

◆ राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य (कार्यकाल)― 62 वर्ष की आयु तक अथवा 6 वर्ष
                                                                       का कार्यकाल जो भी पहले

                          प्रमुख संस्थाओं की सदस्य संख्या

◆ संविधान सभा― 389 (292 प्रान्तों, 93 देशी रियासतों व 4 कमिश्नर क्षेत्रों से)

◆ लोक सभा (अधिकतम) -552 (530 राज्यों से + 20 संघीय क्षेत्रों +2 राष्ट्रपति द्वारा नामित)

◆ राज्य सभा (अधिकतम)― 250 (238 राज्यों से +12 राष्ट्रपति द्वारा नामित)

◆ विधान सभा― अधिकतम–500, न्यूनतम–60

◆ विधान सभा जहाँ साठ से कम संख्या है― गोआ-40, मिजोरम-40,सिक्किम-32,पुदुचेरी-30

◆ विधान परिषद्― अधिकतम राज्य विधान सभा के सदस्यों की 1/3, कम-से-कम–40
                           (जम्मू कश्मीर-36)

◆ उच्चतम न्यायालय― कुल–31 (30 न्यायाधीश + 1 मुख्य न्यायाधीश)

◆ लोक सभा में सर्वाधिक सदस्य (राज्य से)― 80 (उत्तर प्रदेश)

◆ लोक सभा में कम-से-कम सदस्य (राज्य से)― 1 (मिजोरम, नगालैण्ड, सिक्किम,
                                                                      सभी संघ क्षेत्र दिल्ली को छोड़कर)

◆ राज्य सभा में सर्वाधिक सदस्य― 31 (उत्तर प्रदेश)

◆ राज्य सभा में न्यूनतम सदस्य― 1 (गोआ, नगालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम,
                                                   मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, पुदुचेरी)

◆ आठवीं अनुसूची में भाषाओं की संख्या― 22

◆ गणपूर्ति― कुल संख्या का 1/10 (लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद्)

                           प्रमुख पदाधिकारियों के वेतन

◆ राष्ट्रपति― 1,50,000 रुपए मासिक

◆ राज्यपाल― 1,10,000 रुपए मासिक

◆ उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश― 1,00,000 रुपए मासिक

◆ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश― 90,000 रुपए मासिक

◆ उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश― 90,000 रुपए मासिक

◆ उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश― 80,000 रुपए मासिक

◆ नियन्त्रक महालेखा परीक्षक― 90,000 रुपए मासिक

◆ उपराष्ट्रपति (राज्य सभा के सभापति के रूप में)― 1,25,000 रुपए मासिक

◆ लोक सभाध्यक्ष― 1,25,000 रुपए मासिक

◆ सांसद― 50,000 रुपए मासिक

◆ सांसद निधि― 5 करोड़ रुपए वार्षिक

                           प्रमुख संविधान संशोधन

◆ प्रथम (1951)― राज्यों के भूमि सुधार कानूनों को नवीं अनुसूची में रखकर न्यायालयों 
                           के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया.

◆ सातवाँ (1956)― राज्यों का पुनर्गठन.

◆ बारहवाँ (1962)― पुर्तगाली आधिपत्य वाले गोआ, दमन तथा दीव को भारत का अंग 
                               बना लिया गया.

◆ चौदहवाँ (1962)― फ्रांसीसी आधिपत्य वाले पांडिचेरी को भारत का अंग बनाया गया.

◆ छब्बीसवाँ (1971)― राजाओं के प्रीवीपर्स तथा विशेषा-धिकार समाप्त.

◆ सत्ताइसवाँ (1971)― पूर्वोत्तर राज्यों का पुनर्गठन किया गया.

◆ पैंतीसवाँ (1974)― सिक्किम को सह-राज्य के रूप में भारत में सम्मिलित किया.

◆ छत्तीसवाँ (1975)― सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया.

◆ बयालीसवाँ (1976)― प्रस्तावना में पंथ निरपेक्ष, समाज-वादी और अखंडता शब्द जोड़े गए.

― राष्ट्रपति मंत्रिमण्डल की सलाह मानने के लिए बाध्य.

― मौलिक कर्तव्यों का समावेश.

◆ चौबालीसवाँ (1978)-सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त किया.

― सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में और मंत्रिमंडल की लिखित सलाह पर आपात की 
     घोषणा राष्ट्रपति करेगा.

◆ बावनवाँ (1985)-दल-बदल विरोधी प्रावधान (दसवीं अनुसूची)

◆ अट्ठावनवाँ (1987)― भारतीय संविधान का हिन्दी में प्राधिकृत रूप के लिए प्रावधान.

◆ इकसठवाँ (1988)― मताधिकार की आयु 21 से घटाकर 18 की गई.

◆ पैंसठवाँ (1990)― अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान 
                               किया गया.

◆ उन्हत्तर (1991)― दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र किया गया तथा विधान सभा 
                              की स्थापना की गई.

◆ तिहत्तरवाँ (1992)― पंचायती राज (ग्यारहवीं अनुसूची).

◆ चौहत्तरवाँ (1992)― नगर निकाय सम्बन्धी (बारहवीं)

                 उच्चतम न्यायालय के प्रमुख वादों में निर्णय

◆ शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ (1952)― संविधान संशोधन की शक्ति जिसमें मूल 
                                                              अधिकार भी सम्मिलित है, अनुच्छेद 368 
                                                              में निहित हैं.

◆ सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)― मूल अधिकारों में संशोधन का 
                                                                   अधिकार अनुच्छेद 368 में ही माना गया.

◆ गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)― संसद को मूल अधिकारों में कमी या समाप्त 
                                                              करने का अधिकार नहीं है.

― सर्वोच्च न्यायालय पर उसके पूर्व में किए गए निर्णय बाध्यकारी नहीं हैं.

― अनुच्छेद 368 केवल प्रक्रिया बताता है, क्षेत्र नहीं.

◆ केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य (1973)― अनुच्छेद 368 द्वारा मूल अधिकारों 
                                                                      में संशोधन किया जा सकता है.

― संसद को मूल अधिकार सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार 
    है, लेकिन आधारभूत ढाँचे को बनाए रखना आवश्यक है.

◆  ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)― अनुच्छेद 21 तथा अनुच्छेद 19 में प्रदान की 
                                                                    गई स्वतन्त्रताएं भिन्न प्रकार की हैं.

◆ मेनका गांधी वाद (1978)― लोकहित की परिभाषा बहुत व्यापक है अतः स्पष्ट नहीं है.

― अनुच्छेद 21 में प्रदत्त दैहिक स्वतन्त्रता का सामान्यतया स्वाभाविक अर्थ लगाया 
     जाना चाहिए.

― नैसर्गिक न्याय का सिद्धान्त भी निहित होना चाहिए.

◆ मिनर्वा मिल बनाम भारत संघ (1980)― मौलिक अधिकारों को राज्य के नीति निर्देशक 
                                                            तत्वों पर प्रमुखता प्रदान की गई (अनुच्छेद 39 
                                                            (b) तथा 39 (c) की प्रमुखता अनुच्छेद
                                                            14, 19 पर बनाए रखते हुए).

                                     प्रमुख तिथियाँ

◆ संविधान सभा का चुनाव― 1946

◆ संविधान सभा की प्रथम बैठक― 9 दिसम्बर, 1946

◆ जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत― 13 दिसम्बर, 1946

◆ संविधान, संविधान सभा में अंगीकृत― 26 नवम्बर, 1949

◆ संविधान लागू किया गया― 26 जनवरी, 1950

◆ भारत स्वतन्त्र हुआ― 15 अगस्त, 1947

◆ राष्ट्र ध्वज अपनाया गया― 22 जुलाई, 1947

◆ राजचिह्न अपनाया गया― 26 जनवरी, 1950

◆ राष्ट्रगान (जन-गण-मन) अपनाया गया― 24 जनवरी, 1950

◆ प्रथम आम चुनाव― 1952 (1951-52)

◆ प्रथम वित्त आयोग का गठन― 1951

◆ प्रशासनिक सुधार आयोग― 1966-69

◆ प्रथम राष्ट्रपति का चुनाव (अन्तरिम संसद द्वारा)― 24 जनवरी, 1950

◆ संविधान के तहत राष्ट्रपति का विधिवत् चुनाव― मई 1952

◆ प्रथम योजना आयोग का गठन― 15 मार्च, 1950

◆ सामुदायिक विकास कार्यक्रम― 1952

◆ 73वाँ संविधान संशोधन लागू होने की तिथि― 24 अप्रैल, 1993

◆ पंचायती राज का विधिवत् प्रारम्भ― 2 अक्टूबर, 1950 (नागौर राजस्थान में)

◆ हिन्दू विवाह अधिनियम― 1955

◆ दहेज निषेध अधिनियम― 1957-62 (द्वितीय लोक सभा)

◆ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम― 1972

◆ वन संरक्षण अधिनियम― 1980

◆ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम― 1986

◆ जल प्रदूषण से बचाव और नियन्त्रण अधिनियम― 1974

◆ वायु प्रदूषण से बचाव और नियन्त्रण अधिनियम― 1981

◆ लोकदायित्व अधिनियम― 1991

◆ नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम― 1955

◆ बाल श्रम निषेध और नियमन अधिनियम― 1986

◆ बन्धुआ मजदूर व्यवस्था निवारण अधिनियम― 1975

◆ विपक्ष के नेता को मान्यता एवं वेतन भत्ते अधिनियम― 1977

                              प्रमुख आयोग/समिति

◆ संविधान की प्रारूप समिति―(अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर)
                                         ― संविधान को लिपिबद्ध करना.

◆ सरदार स्वर्ण सिंह समिति (1976)― सांविधानिक सुधार (मूल कर्तव्यों के समावेश की
                                                       संस्तुति)

◆ सीतलवाड़ समिति (1966)― राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने की संस्तुति.

◆ राजमन्नार समिति (तमिलनाडु सरकार, 1969)― (i) अवशिष्ट विषय या तो समाप्त कर 
                                                                 देने चाहिए अथवा राज्यों को दिए जाने चाहिए.

(ii) अन्तर्राज्यीय परिषद् का गठन किया जाना चाहिए.

(iii) अखिल भारतीय सेवाओं को समाप्त किया जाना चाहिए.

सरकारिया आयोग (कन्द्र- राज्य सम्बन्ध, 1983)―
                                          (i) अन्तर्राज्यीय परिषद् का गठन होना चाहिए.
                                          (ii) निगम कर का राज्यों के साथ बँटवारा
                                          (iii) अखिल भारतीय सेवाओं को सशक्त बनाना
                                          (iv) राज्यपाल को नियुक्त करने से पहले मुख्यमंत्री
                                                 की सलाह

◆ दर आयोग
(एस. के. दर, 1947-48)― राज्यों का पुनर्गठन मात्र भाषा के आधार पर नहीं होना चाहिए.

◆ जे. वी. पी. समिति (जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, पट्टाभिसीतारमैया, 1948)―
                                             राज्यों के पुनर्गठन में देश की सुरक्षा, एकता एवं आर्थिक
                                              समृद्धि को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

◆ राज्य पुनर्गठन आयोग (सैयद फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू, के. एम. पणिक्कर, 1956)―
                                                  राज्यों के पुनर्गठन के लिए भाषा के आधार को स्वीकार
                                                   किया, इसी के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम
                                                   बनाया गया.

◆ लोक लेखा समिति
(22 सदस्य : 15 लोक सभा +7 राज्य सभा)―
(i) भारत सरकार के लोक लेखे तथा नियन्त्रक महालेखाकार के प्रतिवेदन का निरीक्षण करती है.

(ii) अपव्यय को रोकने के लिए यह सुनिश्चित करती है कि लोक-धन संसद के निर्णयों 
      के अनुसार ही खर्च किया जाए.

◆ प्राक्कलन समिति
(30 सदस्य-लोक सभा)―
(i) प्रशासनिक दक्षता एवं मितव्ययता बढ़ाने के सम्बन्ध में वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देना.

(ii) प्राक्कलन की सीमा में ही धन निकाला जाए, इसका परीक्षण करना.

(iii) संसद में प्राक्कलन के लिए सुझाव.

◆ कोठारी आयोग
(डी.एस. कोठारी, 1976)―
भारतीय उच्च सिविल सर्विसेज में परीक्षा तथा भर्ती सम्बन्धी नीतियाँ तथा विधि.

◆ राष्ट्रीय पुलिस आयोग (धर्मवीर. 1979)― पुलिस सुधार के लिए संस्तुतियाँ.

◆ नियोगी समिति (के. सी. नियोगी, 1946)― आर्थिक नियोजन के लिए मंत्रिपरिषद् के 
                                                                प्रति उत्तरदायी संगठन की सिफारिश

◆ प्रशासनिक सुधार आयोग (मोरारजी देसाई (1966-67) के. हनुमन्तय्या (1967-70)―
                                                           व्यापक प्रशासनिक सुधार के लिए सुझाव दिए.

◆ बलवन्त राय मेहता समिति (1956-57)― त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के गठन 
                                                              की संस्तुति.

अशोक मेहता समिति (1977-78)― द्विस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की संस्तुति.

◆ बी.एम. तारकुंडे समिति―(चुनाव सुधार, 1974)
(i) मतदाता की आयु 21 से घटाकर 18 करना.

(ii) चुनाव प्रचार में सरकारी धन एवं तन्त्र का उपयोग न करें.

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