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 Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 3 In Hindi

Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 3 in Hindi

प्रश्न 1.
बैंक दर एवं ब्याज दर में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
बैंक दर वह दर है जिस पर केन्द्रीय बैंक सदस्य बैंकों के प्रथम श्रेणी के व्यापारिक बिलों की पुर्नकटौती करता है और उन्हें ऋण देता है।

ब्याज दर वह दर है जिस पर देश के व्यापारिक बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ ऋण देने को तैयार होती हैं।

प्रश्न 2.
मुद्रा के किन्हीं दो कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर:
आधुनिक युग को मौद्रिक युग कहा जाता है। इस युग के विकास से मुद्रा के कार्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुद्रा के कार्यों को तीन वर्गों में बाँटा गया है-

  1. प्राथमिक कार्य : (A) विनिमय का माध्यम, (B) मूल्य की इकाई।
  2. गौण अथवा सहायक कार्य : (A) स्थगित भुगतानों का मान, (B) मूल्य का संचय, (C) मूल्य का हस्तांतरण।
  3. आकस्मिक कार्य : (A) साथ निर्माण का आधार, (B) अधिकतम सन्तुष्टि का माप, (C) राष्ट्रीय आय का वितरण, (D) निर्णय का वाहक, (E) शोधन क्षमता की गारंटी, (F) पूँजी की तरलता में वृद्धि।

प्रश्न 3.
सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इनके बीच अंतर को स्पष्ट करें।
उत्तर:
एक वस्तु की विभिन्न इकाइयों के उपभोग से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता के जोड़ को कुल उपयोगिता कहा जाता है।
TU = MU1 + MU2 ………… EMU
किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि को सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn – TUn – 1

MU और TU में अंतर :

  • MU घटती है तो TU घटती दर पर बढ़ती है।
  • MU शून्य तो TU अधिकतम।
  • MU ऋणात्मक तो TU घटती है।

प्रश्न 4.
किसी वस्तु की माँग के तीन प्रमुख निर्धारक तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की माँग के तीन निर्धारक तत्त्व हैं-

  • वस्तु की कीमत (Px) : जब X वस्तु की कीमत बढ़ती है तब माँग की मात्रा घटती है और इसमें विपरीत भी होती है।
  • उपभोक्ता की आय : उपभोक्ता के आय के बढ़ने या घटने से सामान्य वस्तु की माँग बढ़ती या घटती है।
  • सम्भावित कीमत : वस्तु की सम्भावित कीमत के बढ़ने/घटने से उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी हो जाएगी।

प्रश्न 5.
उत्पादन, आय और व्यय के चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में होने वाली आर्थिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पादन, आय तथा व्यय का चक्रीय प्रवाह निरन्तर चलता रहता है। इसका न आदि है और न अन्त। उत्पादन आय को जन्म देता है और प्राप्त आय से वस्तुओं और सेवाओं की माँग की जाती है और माँग को पुरा करने के लिए व्यय किया जाता है। अर्थात् आय व्यय को जन्म देता है। व्यय से उत्पादकों को आय प्राप्त होता है और फिर उत्पादन का जन्म देता है।
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प्रश्न 6.
पूर्ण प्रतियोगता में AR वक्र की प्रकृति की व्याख्या करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म अपने उत्पादन को उद्योग द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचती है जो सभी फर्मों के लिए दी गई होती है। क्योंकि फर्म कीमत स्वीकारक होती है। पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म दिए हुए मूल्य पर उत्पादन की जितनी मात्रा है चाहे बेच सकती है। उपराक्त चित्र में PP मूल्य रेखा या AR रेखा है और OP कीमत पर फर्म उत्पादन की किसी भी मात्रा को बेच सकती है। AR रेखा X अक्ष के समानान्तर होती है।
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प्रश्न 7.
राजकोषीय नीति क्या है ? किसी अर्थव्यवस्था में अत्यधिक माँग को सुधारने के लिए राजकोषीय उपाय क्या हैं ?
उत्तर:
राजकोषीय नीति वह नीति है जिसके द्वारा देश की सरकार निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सरकार की आय, व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति में परिवर्तन करती है।

अत्यधिक माँग को सही करने के लिए निम्नलिखित राजकोषीय नीति अपनाये जा सकते हैं-

  • सार्वजनिक निर्माण, सार्वजनिक कल्याण, सुरक्षा आदि पर सरकारी व्यय घटाना चाहिए।
  • हस्तान्तरण भुगतान तथा आर्थिक सहायता पर सार्वजनिक व्यय घटाना चाहिए।
  • करों में वृद्धि करनी चाहिए।
  • घाटे की वित्त व्यवस्था कम करनी चाहिए।
  • सार्वजनिक ऋण में वृद्धि की जाये ताकि क्रय शक्ति को कम किया जा सके। सरकार द्वारा लोगों से प्राप्त ऋणों को खर्च करने पर रोक लगानी चाहिए।

प्रश्न 8.
मौद्रिक नीति के मुख्य उपायों के नाम लिखें।
उत्तर:
मौद्रिक नीति के उपाय-

  • बैंक दर नीति- बैंक को उधार देने के लिए ब्याजपर नियंत्रण करना। इसके द्वारा न्यून माँग को संतुलित करने का प्रयास करता है। इसके लिए समुचित मौद्रिक उपायों को लागू करता है।
  • खुले बाजार की क्रियाएँ- सरकारी प्रतिभूतियों को व्यापारिक बैंक के साथ क्रय-विक्रय करने का कार्य संपादित करता है। इस प्रकार यह व्यापार असंतुलन को नियंत्रण करता है।
  • सुरक्षित कोष अनुपात में परिवर्तन- सुरक्षित कोष अनुपात दो प्रकार के होते हैं-नकद जमा अनुपात तथा संवैधानिक तरलता अनुपात। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया न्यून मॉग के ठीक करने के लिए नकद जमा अनुपात तथा संवैधानिक तरलता अनुपात पर निरंतर समुचित परिवर्तन करता रहता है।
  • मुद्रा की आपूर्ति तथा साख का नियंत्रण- रिजर्व बैंक देश में मुद्रा की आपूर्ति तथा साख की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। इसके लिए यह मौद्रिक नीति की रचना करता है।

प्रश्न 9.
प्रत्यक्ष कर के तीन विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • ये कर जिस व्यक्ति पर लगाये जाते हैं, वही इन करों का भुगतान करता है। ये किसी अन्य व्यक्ति पर टाला नहीं जा सकता।
  • ये कर प्रगतिशील होते हैं।
  • ये कर अनिवार्य होते हैं।

प्रश्न 10.
माँग वक्र की ढलान ऋणात्मक क्यों होती है ?
उत्तर:
निम्नांकितं कारणों से माँग वक्र की ढलान ऋणात्मक होती है-

  • घटती सीमांत उपयोगिता का नियम- उपभोक्ता वस्तु की सीमांत उपयोगिता को दिये गये मूल्य के बराबर करने के लिए कम कीमत होने पर अधिक क्रय करता है। P = MU
  • प्रतिस्थापन प्रभाव- मूल्य कम होने पर उपभोक्ता अपेक्षाकृत महँगी वस्तु के स्थान पर सस्ती वस्तु का प्रतिस्थापन करता है।
  • आय प्रभाव- मूल्य में कमी के फलस्वरूप उपभोक्ता आय वृद्धि की स्थिति को महसूस करता है और क्रय बढ़ा देता है।
  • नये उपभोक्ताओं का उदय।

प्रश्न 11.
उत्पादन फलन किसे कहते हैं ? समझायें।
उत्तर:
उत्पादन की आगतों तथा अन्तिम उत्पाद के बीच तकनीकि फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहते हैं। उत्पादन फलन यह बताता है कि एक निश्चित समय में आगतों में परिवर्तन से उत्पादन में कितना परिवर्तन होता है। यह आगतों तथा उत्पादन के भौतिक मात्रात्मक संबंध को बताता है। इसमें मूल्य शामिल नहीं होता है।

उत्पादन फलन Q= f (L, K)
L = उत्पत्ति के साधन (श्रम)
K= उत्पत्ति के साधन (पूंजी)
Q= उत्पादन की भौतिक मात्रा

प्रश्न 12.
पूर्ण प्रतियोगी बाजार को क्या विशेतायें होती हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी बाजार की निम्नांकित विशेषतायें होती हैं-

  1. फर्मों का उद्योग में स्वतंत्र प्रवेश तथा निकास
  2. क्रेताओं तथा विक्रेताओं की बहुत अधिक संख्या
  3. वस्तु की समरूप इकाइयाँ
  4. बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान
  5. साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  6. शून्य यातायात व्यय
  7. पूर्ण रोजगार
  8. क्षैतिज AR वक्र।

प्रश्न 13.
उत्पादन सम्भावना वक्र की विशेषतायें लिखें।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र की विशेषतायें (Properties of P.P.C.)- उत्पादन संभावना वक्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) उत्पादन संभावना वक्र का ढलान नीचे की ओर दाई तरफ होता है (Downward sloping of PPC)- उत्पादन संभावना वक्र का ढलान ऊपर से नीचे की ओर बाएँ से दाएँ होता है। इसका कारण यह है कि पूर्ण रोजगार की स्थिति में दोनों वस्तुओं के उत्पादन को एक साथ नहीं बढ़ाया जा सकता है। यदि एक वस्तु जैसे Y का उत्पादन अधिक किया जाए तो दूसरी वस्तु जैसे Y का उत्पादन कम हो जाएगा।

(ii) उत्पादन संभावना वक्र मूल बिन्दु के अवतल (Concave to Origin)-
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यह वक्र बिन्दु के नतोदर (Concave) होता है। इसका कारण यह है कि X वस्तु की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने के लिए Y वस्तु की पहले की तुलना में अधिक इकाइयों का त्याग करना होगा अर्थात् X वस्तु की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने की अवसर लागत Y वस्तु के उत्पादन में होने वाली हानि के रूप में बढ़ने की ४] प्रवृत्ति प्रकट होता है अर्थात् उत्पादन बढ़ती अवसर लागत के नियम के आधार पर होता है।

प्रश्न 14.
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या समझाइए।
उत्तर:
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या (Problem of What to Produce)- प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है कि सीमित साधनों से किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे हम अपनी अधिकतम आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सकें। इन समस्या के उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि हमारी आवश्यकतायें अधिक हैं और उनकी पूर्ति करने के लिये साधन सीमित हैं तथा उनके वैकल्पिक प्रयोग हैं। इस समस्या के अंततः दो बातों का निर्णय करना पड़ता है।

पहला निर्णय लेना पड़ता है कि हम किस प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करें-उपभोक्ता वस्तुओं (जैसे चीनी, घी आदि) का या पूँजीगत वस्तुएँ (मशीनों, टैक्टर, आदि या दोनों प्रकार की वस्तुओं) का। दूसरा निर्णय यह लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए और पूँजीगत वस्तुओं का कितना।

प्रश्न 15.
एक आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है ? “कैसे उत्पादन किया जाए” की समस्या को समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक समस्या असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों (जिनके वैकल्पिक प्रयोग भी हैं) के कारण उत्पन्न होती है।

कैसे उत्पादन किया जाए ? (How to Produce)- यह अर्थव्यवस्था की दूसरी मुख्य केन्द्रीय समस्या है। इस समस्या का संबंध उत्पादन की तकनीक का चुनाव करने से है। इसके लिए श्रम-प्रधान तकनीक (Labour-intensive technique) काम में ली जाए या पूँजी-प्रधान तकनीक (Capital-intensive technique) प्रयोग में लाई जाए। एक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह कौन-सी तकनीक का प्रयोग किस उद्योग में करे। सबसे कुशल तकनीक वह है जिसके प्रयोम से समान मात्रा का उत्पादन करने के लिए सीमित साधनों की सबसे कम आवश्यकता होती है। उत्पादन न्यूनतम लागत पर करना संभव होता है। उत्पादन कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों को उपलब्धता और उनके मूल्यों पर उत्पादन की तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए

प्रश्न 16.
एक अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है, उसके अंदर नहीं। इस कथन के पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
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यह कहना गलत है कि एक अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है। यह तभी हो सकता है जब अर्थव्यवस्था में साधनों का पूर्णतः तथा कुशलता से प्रयोग किया जा रहा हो। यदि साधनों का अल्प प्रयोग, अकुशलता से किया जा रहा है तो उत्पादन संभावना वक्र के अंदर ही होगा न कि उत्पादन संभावना वक्र पर।

प्रश्न 17.
मॉग के नियम की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
माँग का नियम वस्तु की कीमत और उस कीमत पर माँगी जाने वाली मात्रा के गुणात्मक संबंध को बताता है। उपभोक्ता अपनी मनोवैज्ञानिक पद्धति के अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में ऊँची कीमत पर वस्तु को कम मात्रा खरीदता है और कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा। उपभोक्ता की इसी मनोवैज्ञानिक उपभोग प्रवृत्ति पर माँग का नियम आधारित है। माँग का नियम यह बताता है कि अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत संबंध पाया जाता है। दूसरे शब्दों में, अन्य बातें समान रहने की दशा में किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी हो जाती है तथा इसके विपरीत कीमत में कमी होने पर वस्तु के माँग में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 18.
उदासीन वक्र के निर्माण की विधि लिखें।
उत्तर:
उदासीन वक्र का निर्माण (Construction of indifferent Curve)- उदासीन वक्र के निर्माण के लिए तटस्थता तालिका की आवश्यकता होती है। तटस्थता तालिका ऐसी तालिका को कहते हैं जिसमें दो वस्तुओं के ऐसे दो वैकल्पिक संयोगों को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। जब तालिका के विभिन्न संयोगों को एक वक्र में प्रस्तुत किया जाता है तो उसे तटस्थता वक्र ऋणात्मक ढलान वाला होता है क्योंकि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं का उपभोग करना चाहता और कम वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को प्राथमिकता देता है।

प्रश्न 19.
एक देश में भूकंप से बहुत से लोग मारे गये उनके कारखाने ध्वस्त हो गए। इसका अर्थव्यवस्था के उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
बहुत से लोगों के मरने तथा कारखानों के ध्वस्त होने से संसाधनों में कमी होगी। संसाधनों की कमी होने पर संभावना वक्र बाईं ओर खिसक जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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प्रश्न 20.
अर्थशास्त्र में संतुलन से क्या अभिप्राय है ? समझायें।
उत्तर:
संतलन (Equilibrium)- भौतिक विज्ञान में संतुलन का अर्थ स्थिर अवस्था से लिया जाता है। संतुलन की अवस्था में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होती या किसी प्रकार की गति नहीं होती किन्तु अर्थशास्त्र में संतुलन का अर्थ स्थिर अथवा अर्थव्यवस्था में गतिहीनता से नहीं लिया जाता। अर्थशास्त्र में संतुलन की अवस्था उस स्थिति को कहते हैं जिसमें गति तो होती है परन्तु गति की दर में परिवर्तन नहीं होता। यह वह अवस्था है जिसमें अर्थव्यवस्था की कोई एक इकाई या भाग या सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था अपने इष्ट बिन्दु पर होती है और उनमें उस बिन्दु से हटने की.कोई प्रवृत्ति नहीं होती।

प्रश्न 21.
प्रारम्भिक उपयोगिता, सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
(i) प्रारंभिक उपयोगिता (Initial Utility)- किसी वस्तु की प्रथम इकाई के उपभोग करने से जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे प्रारम्भिक उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक संतरा खाने में 10 इकाइयों (यूनिटों) की उपयोगिता प्राप्त होती है तो यह उपयोगिता प्रारम्भिक उपयोगिता कहलाएगी।

(ii) सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility)- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक आम खाने से कुल उपयोगिता 10 यूनिट है और दो आम खाने से कुल उपयोगिता 18 यूनिट है। ऐसी अवस्था में दूसरे आम से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता 8 (18-10) होगी। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु की अन्तिम इकाई से प्राप्त होने वाली उपयोगिता सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

(iii) कल उपयोगिता (Total Utility)- किसी निश्चित समय में कुल इकाइयों के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता कुल उपयोगिता होती है। कुल उपयोगिता की गणना करने के लिए सीमान्त उपयोगिताओं को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 22.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
उपयोगिता (Utility)- उपयोगिता पदार्थ का वह गुण है जिसमें किसी आवश्यकता की संतुष्टि होती है। प्रा० एडवर्ड के शब्दों में “अर्थशास्त्र में उपयोगिता के अर्थ उस संतुष्टि आनन्द या लाभ से है जो किसी व्यक्ति को धन या सम्पत्ति के उपभोग से प्राप्त होती है।” उपयोगिता का सम्बन्ध प्रयोग मूल्य (Value use) से होता है। जिन वस्तुओं में प्रयोग मूल्य होता है, उसमें . उपयोगिता विद्यमान होती है। उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता का फलन है।

उपयोगिता की विशेषताएँ (Characteristics of utility)-

  • उपयोगिता भावगत (subjective) है। यह व्यक्ति के स्वभाव, आदत व रुचि पर निर्भर करती है।
  • वस्तुओं की उपयोगिता समय तथा स्थान के साथ बदलती रहती है।
  • उपयोगिता का लाभदायकता से कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता।
  • उपयोगिता कारण है तथा संतुष्टि परिणाम है।
  • उपयोगिता का. किसी वस्तु को स्वादिष्टता से कोई सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 23.
विदेश मुद्रा के हाजिर बाजार क्या होते हैं ?
उत्तर:
हाजिर बाजार : विदेशी विनिमय बाजार में यदि लेन-देन दैनिक आधार पर होते हैं तो ऐसे बाजार को हाजिर बाजार या चालू बाजार कहते हैं। इस बाजार में विदेशी मुद्रा की तात्कालिक दरों पर विनिमय होता है।

प्रश्न 24.
केन्द्रीय बैंक का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक प्रणाली की सर्वोच्च संस्था को केन्द्रीय बैंक कहते हैं। केन्द्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के लिए मौद्रिक नीति बनाता है और उसका क्रियान्वयन करवाता है। यह ऋणदाताओं का अन्तिम् आश्रयदाता होता है।

प्रश्न 25.
सीमान्त उपयोगिता तथा उपयोगिता में क्या संबंध है ?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में सम्बन्ध (Relationship between Marginal Utility and Total Utility)-

  • कुल उपयोगिता आरम्भ में लगातार बढ़ती है और एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् यह घटनी शुरू हो जाती है, परन्तु सीमान्त उपयोगिता आरम्भ से ही घटना शुरू कर देती है।
  • जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
  • जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है।
  • जब कुल उपयोगिता घटती है तब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 26.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम समझाएं।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम (Law of diminishing marginal utility)- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस तथ्य की विवेचना करता है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अगली इकाई का उपभोग करता है अन्य बातें समान रहने पर उसे प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है। एक बिन्दु पर पहुँचने पर यह शून्य हो जाती है और यदि उपभोक्ता इसके पश्चात् भी वस्तु की सेवन जारी रखता है तो यह ऋणात्मक हो जाती है।

इस नियम के लागू होने के दो मुख्य कारण हैं-

  • वस्तुएँ एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती तथा
  • एक विशेष समय पर एक विशेष आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

प्रश्न 27.
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी (Increase in demand and decrease in demand)-
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प्रश्न 28.
आय प्रभाव, प्रतिस्थापन प्रभाव और कीमत प्रभाव से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आय प्रभाव (Income Effect)- वस्तु की कीमत कम होने पर उपभोक्ता उसी आय से अधिक मात्रा में वस्तुएँ खरीद सकता है। जब उपभोक्ता की क्रय शक्ति में वृद्धि हो जाती है, तो वह वस्तु की अधिक मात्रा खरीदता है। इसे आय प्रभाव कहते हैं।

प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect)- किसी वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ने पर जब उपभोक्ता उसकी माँग पर कम और उसकी प्रतिस्थापन वस्तु (कॉफी) की माँग अधिक करते हैं तो इसे प्रतिस्थापन प्रभाव कहते हैं।

कीमत प्रभाव (Price Effect)- आय प्रभाव और प्रतिस्थापन प्रभाव के योग को कीमत प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 29.
माँग की लोच मापने की कुल व्यय विधि समझाएँ।
उत्तर:
माँग की लोच को मापने की कुल व्यय विधि (Total outlay method to measure the elasticity of demand)- इस विधि के अन्तर्गत कीमत परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु एवं होने वाले कुल व्यय पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता हैं इस विधि से केवल यह ज्ञात किया जा सकता है कि माँग की कीमत लोच इकाई के बराबर है, इकाई से अधिक है अथवा इकाई से कम। इस प्रकार इस विधि के अनुसार माँग की लोच तीन प्रकार की होती है- (i) इकाई से अधिक लोचदार, (ii) इकाई के बराबर लोच तथा (iii) इकाई से कम लोचदार माँग।

  • इकाई से अधिक लोचदार मांग (Greater than unit)- जब कीमत के कम होने पर कुल व्यय बढ़ता है और उसके बढ़ने पर कुल व्यय घटता है तब माँग की लोच इकाई से अधिक होती है।
  • इकाई के बराबर लोच (Unitary elastic)- जब कीमत में परिवर्तन होने पर कुल व्यय स्थिर रहता है, तब माँग की लोच इकाई के बराबर होती है।
  • इकाई से कम लोचदार मांग (Less than unit)- जब कीमत बढ़ने से कुल व्यय बढ़ना है और कीमत के कम होने पर कुल व्यय घटता है तो उस समय माँग की लोच इकाई से कम होती है।

प्रश्न 30.
माँग के नियम की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम की विशेषताएँ (Characteristics of law.of demand)-

  • माँग के नियम के अनुसार किसी वस्तु की कीमत और माँग की गई मात्रा में विपरीत संबंध होता है।
  • यह नियम माँग में परिवर्तन की दिशा का बोध कराता है, न कि उसकी मात्रा में परिवर्तन का।
  • इस नियम के अनुसार कीमत और माँग में आनुपातिक संबंध नहीं है।
  • यह नियम वस्तु की कीमत में परिवर्तन का उसकी माँगी गई मात्रा पर प्रभाव बताता है, न कि माँग में परिवर्तन का वस्तु की कीमत पर।

प्रश्न 31.
माँग के नियम के मुख्य अपवाद लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम के मुख्य अपवाद (Exceptions to the law of demand)- माँग के नियम के मुख्य अपवाद निम्नलिखित हैं-

  • घटिया वस्तएँ (Inferior Goods)- प्रायः घटिया वस्तुओं पर माँग का नियम लागू नहीं होता। घटिया वस्तुओं की माँग उनकी कीमत गिरने से कम हो जाती है।
  • दिखावे की वस्तुएँ (Prestigious Goods)- माँग का नियम प्रतिष्ठामूलक वस्तुओं जैसे-हीरे-जवाहरात तथा अन्य वस्तुएँ जैसे कीमती वस्त्र, ए. सी., कार आदि पर लागू नहीं होता।
  • अनिवार्य वस्तुएँ (Essential Goods)- अनिवार्य वस्तुएँ जैसे अनाज, नमक, दवाई आदि पर माँग का नियम लागू नहीं होता।
  • फैशन (Fashion)- फैशन में आने वाली वस्तुओं पर भी माँग का नियम लागू नहीं होता।

प्रश्न 32.
मांग की कीमत लोच का एकाधिकारी, वित्तमंत्री तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
(i) एकाधिकारी के लिए महत्त्व (Importance for Monopolist)- एकाधिकारी वस्तु की कीमत का निर्धारण वस्तु की मांग की लोच के आधार पर करता है। यदि वस्तु की मांग लोचदार है तो वह नीची कीमत निर्धारित करेगा। इसके विपरीत यदि माँग बेलोचदार है तो एकाधिकारी ऊँची कीमत निर्धारित करेगा।

(ii) वित्त मंत्री या सरकार के लिए महत्त्व (Importance for Finance Minister or Government)- सरकार अधिकतर उन वस्तुओं पर कर लगाती है जिनकी माँग बेलोचदार होती है ताकि अधिक से अधिक आगम गप्त हो सके। इसके विपरीत लोचदार वस्तुओं पर कर लगाने से उनकी माँग कम हो जाती है जिससे सरकार को करों के रूप में कम आगम प्राप्त हो सकती है।

(iii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्व (Importance in International Trade)- जिन वस्तुओं की माँग बेलोचदार है उनके लिए एक देश अन्य देशों से अधिक कीमत ले सकता है।

प्रश्न 33.
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में क्या अन्तर बताएं।
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में अन्तर (Difference between individual demand curve and market demand curve)- व्यक्तिगत माँग वक्र वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर एक उपभोक्ता द्वारा उस वस्तु की मांगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। इसके विपरीत बाजार माँग वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाजार के सभी उपभोक्ताओं द्वारा मांगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। बाजार माँग वक्र को व्यक्तिगत वक्रों के समस्त जोड़ के द्वारा खींचा जाता है।

प्रश्न 34.
माँग की आय लोच समझाइये।
उत्तर:
माँग की आय लोच से अभिप्राय इस बात को माप करने से है. कि उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उसकी माँगी गई मात्रा में कितना परिवर्तन होता है। माँग की आय लोच को मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
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यहाँ ∠Q = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
ΔY = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
Y = प्रारम्भिक परिवर्तन
Q = प्रारम्भिक माँग

माँग की आय लोच की तीन श्रेणियाँ हैं-

  • ऋणात्मक,
  • धनात्मक तथा
  • शून्य।

प्रश्न 35.
उत्पादन फलन की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
उत्पादन फलन की विशेषतायें-

  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के स्थानापन्न हैं अर्थात् एक या कुछ साधनों में परिवर्तन होने पर कुल उत्पादन में परिवर्तन हो जाता है।
  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के पूरक हैं अर्थात् चारों साधनों के संयोग से ही उत्पादन होता है।
  • कुछ साधन विशेष वस्तु के उत्पादन के लिये विशिष्ट होते हैं।
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