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 Bihar Board 12th Hindi Grammar Important Questions

Bihar Board 12th Hindi Grammar Important Questions

लिंग-निर्णय के नियम

1. शरीर के अंगों का नाम प्रायः पुल्लिंग होता है।
जैसे-सिर, बाल, ललाट, कान, ओठ, दाँत, हाथ, पैर, नेत्र, नयन, नख, मुख, गाल, मन, मस्तिष्क, रक्त, हृदय, दिल, अपवाद-आँख, नाक, जीभ, हड्डी, नस।

2. धातुओं के नाम प्रायः पुल्लिंग होता है।
जैसे-मोती, हीरा, पन्ना, मूंगा, नीलम, तांबा, लोहा, सोना, पीतल, काँसा । अपवाद-चांदी।

3. अनाज के नाम प्रायः पुल्लिंग होता है।
जैसे-गेहूँ, चावल, धान, चना, मटर, अपवाद-मकई, अरहर, मूंग, खेसारी।

4. द्रव पदार्थो नाम प्रायः पुल्लिंग होता है।
जैसे-जल, घी, तेल, शरबत, दही, अपवाद-चाय, स्याही, शराब।

5. नदियों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होती है।
जैसे गंगा, युमना, कृष्णा, गोदावरी, सतलज, व्यास, रावी, झेलम इत्यादी, अपवाद-सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, सोन।

6. वाहनों का नाम प्रायः स्त्रीलिंग होती है।
जैसे साइकिल, ट्रक, बस, कार, जीप, ट्रेन, ताव, बैलगाड़ी इत्यदि, अपवाद जहाज।

7. ‘ता’ प्रत्यय से बनी संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है।
जैसे एकता, समानता, स्वाधीनता, अधिकता, कठोरता, सुन्दरता, वीरता, लघुता, इत्यादि।

8. ‘आई’ प्रत्यय से बनी संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है।
जैसे अच्छाई, बुराई, लम्बाई, चौड़ाई, गहराई, मिठाई। .

9. ‘ना’ प्रत्यय से बना कृदन्तीय संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं।
जैसे दौड़ना, पढ़ना, लिखना, खेलना, हंसना, टेहलना, चलना।

10. ‘ना’ प्रत्यय हटा कर बनी कृदन्तीय संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है।
और मुस्कान, खोज, जाँच, चाल, भूल, झूठ, पहचान, मार, समझ, पहुँच, चमक, पुकार, समझ।

लिंग-निर्णध

निम्नलिखित शब्दों का वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय कीजिए।
शब्द – लिंग – वाक्य
अरहर – स्त्रीलिंग – अरहर पक गयी है।
अफवाह – स्त्रीलिंग – अफवाहें तेजी से फैलती है।
आकाश – पुल्लिंग – आकाश मीसा है।
उलझन – स्त्रीलिंग – उलझनें बढ़ती जा रही है।
आग – स्त्रीलिंग – आग लग रही है।
आँखें – स्त्रीलिंग – मधु की आँखें बड़ी-बड़ी है।
आंसू – पुल्लिंग – आँखें से आंसू टपक पड़े।
इच्छा – स्त्रीलिंग – इच्छा प्रबल होती है।
ऐनक – पुल्लिंग – ऐनक चमकता है।
ऐड़ी – स्त्रीलिंग – उसकी ऐड़ी फटी हुई है।
अदरक – पुल्लिंग – अदरख उपयोगी होता है।
कलम – स्त्रीलिंग – मधु के पास नयी कलम है।
कपड़ा – पुल्लिंग – कागज फट गयी।
कीमत – स्त्रीलिंग – प्रत्येक वस्तु की कीमत बढ़ती जा रही है।
किताब – स्त्रीलिंग – किताब पुरानी है।
किरणें – स्त्रीलिंग – सूर्य की किरणें सीधी रेखा में गमन करती है।
खिड़की – स्त्रीलिंग – मेरी खिड़की खुली हुई है।
खडक – पुल्लिंग – श्रीराम का खड़ाऊ अयोध्या के राज्य सिंहासन पर गया था।
खटिया – स्त्रीलिंग – उसकी खटिया खड़ी हो गयी।
खटमल – पुल्लिंग – रात में खटमल काटता है।

शब्द – लिंग – वाक्य
खरगोश – लिंग – खरगोश उजला होता है।
गीत – लिंग – उसने गीत गाया।
गर्दन – स्त्रीलिंग – उसकी गर्दन झुक गयी।
ग्रंथ – पुल्लिंग – ग्रंथ कालजयी होता है।
गमछा – पुल्लिंग – उसका गमछा नया है।
ग्लास – पुल्लिंग – ग्लास जल से भरा है।
गालि – स्त्रीलिंग – गंदी गालियाँ यौन विकृति की अभिव्यक्ति होती है।
गली – स्त्रीलिंग – यह गली हमारे घर तक जाती है।
गाल – पुल्लिंग – उसके गाल खुबसूरत है।
गेंद – स्त्रीलिंग – ‘वह पहली गेंद पर छक्का मार दिया।
घी – पुल्लिंग – घी गाढ़ा होता है।
घास – स्त्रीलिंग – घास हरी है।
चाँद – पुल्लिंग – आकाश में चाँद चमक रहा है।
चिड़ियाँ – स्त्रीलिंग – भोर में चिड़ियाँ चहचहाने लगती है।
छाछ – पुल्लिंग – छाछ उपयोगी पेय होता है।
जहाज – पुल्लिंग – समुद्र में जहाज डूब गया।
जी – पुल्लिंग उसका जी घबड़ा रहा है।
जीभ – स्त्रीलिंग – सर्प की जीभ लम्बी होती है।
जाल – पुल्लिंग – मछली पकड़ने के लिए जाल फेंका जाता है।
टमटम – पुल्लिंग – टमटम प्रदूषण रहित वाहन होता है।
डायरी – स्त्रीलिंग – नहा के पास एक नयी डायरी है।
तकली – स्त्रीलिंग – तकली नाच रही है।
तलवार – स्त्रीलिंग – उसकी तलवार लम्बी है।
तीर – पुल्लिंग – उसे एक घातक तीर लगा।
तारे – पुल्लिंग – आकाश में तारे चमकते है।
दरवाजा – पुल्लिंग – मेरा दरवाजा पी०एम०एस० कॉलेज के लिए सदैव खुला रहता है।
दही – पुल्लिंग – दही जम गया है।
दूध – पुल्लिंग – दूध उबल रहा है।
शादी – पुल्लिंग – शादी में पीली धोती पहनी जाती है।
धड़कन – स्त्रीलिंग – धड़कन तेज चल रही है।
दाल – स्त्रीलिंग – दाल गल चुकी है।
नमक – पुल्लिंग – सागर के जल से नमक बनता है।
नयन – पुल्लिंग – उसके नयन बड़े हैं।
नेत्र – पुल्लिंग – उसके नेत्र चमकीले हैं।
नजर – स्त्रीलिंग – उसकी नजरें झुकी हुई है।
नख – पुल्लिंग – नख स्वतः बढ़ता है।
पवन – पुल्लिंग – तेज पवन वृक्षों को उखाड़ देता है।
पक्षी – पुल्लिंग – पक्षी आकाश में उड़ते हैं।
पलंग – पुल्लिंग – पलंग नया है।
पतंगें – स्त्रीलिंग – पतंगें आकाश में उड़ती है।

शुद्ध – लिंग – वाक्य
प्रकाश – पुल्लिंग – ग्रीष्म ऋतु में सूर्य का प्रकाश अत्यन्त तीखा होता है।
बात – स्त्रीलिंग – लालूजी की बातें अनगढ़ होती है।
बाल – पुल्लिंग – उसके बाल लम्बे है।
बादल – पुल्लिंग – बादल गरजते हैं। मेघ
मेघ – पुल्लिंग – आकाश में मेघ छाये हैं।
लालच – सत्री – लालच बुरी बला है।
शरबत – पुल्लिंग – शरबत मीठा है।
सरकार – स्त्रीलिंग – बिहार की सरकार अच्छी है।
साइकिल – स्त्रीलिंग – अर्चना की साइकिल नयी है।
स्याही – स्त्रीलिंग – कलम में काली स्याही भरी गयी है।
होश – पुल्लिंग – उसके होश उड़ गये।
हवा – स्त्रीलिंग – आज हवा तेज चल रही है।
हड़ताल – स्त्रीलिंग – शिक्षकों की हड़ताल समाप्त हो गयी।

वाक्य शुद्धिकरण

निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए-

अशुद्ध – शुद्ध

1. परीक्षा आप पर निर्भर करती है। – परीक्षा आप पर निर्भर है।
2. आजकल वहाँ काफी सरगर्मी दृष्टिगोचर होती है। – आजकल वहाँ काफी सरगर्मी दिखाई पड़ती है।
3. वहाँ भारी-भरकम भीड़ जमा थी। – वहाँ भारी भीड़ लगी थी।
4. भगवान के अनेकों नाम हैं। – भगवान के अनेक नाम हैं।
5. वह बाघ को देखकर दौड़ता हुआ गया। – वह बाघ को देखकर भागता हुआ गया।
6. आपका दर्शन हुआ। – आपके दर्शन हुए।
7. वहाँ पशु और पक्षी उड़ते और चरते दिखाई दिए। – वहाँ पशु और पक्षी चरते और उड़ते दिखाई दिये।
8. पति-पत्नी के झगड़े का हेतु क्या हो सकता है? – पति-पत्नी के झगड़े का क्या कारण हो सकता है?
9. सविनयपूर्वक निवेदन है। – सविनय निवेदन है।
10. ऐसी एकाध बातें और कहिए। – ऐसी एकाध बात और कहिए।
11. ऐसी एकाध बात देखने में आती है। – ऐसी एकाध बात और सुनने में आता है।
12. उनकी प्रतीक्षा देख रहा हूँ। – उनकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
13. आपकी खूब धाक चली। – आपकी काफी धाक जमी।
14. मेरा नाम श्री आनन्द कुमार जी है। – मेरा नाम आनन्द कुमार है।
15. वर्मा के गीत में करुणा के अर्थ हैं। – वर्मा के गीत में करुणा के भाव हैं।
16. वह खुशी हुआ। – वह खुश हुआ।
17. यह बातें कोई से मत कहना। – यह बात किसी से नहीं कहना।
18. इन दोनों में केवल यही अन्तर है। – इन दोनों में यही अन्तर है।
19. वह गाने की कसरत करता है। – वह गाने का रियाज करता है।
20. उसका प्राण चला गया। – उसके प्राण चले गये।
21. वह लड़की को बुलाओ। – उस लड़की को बुलाओ।
22. साहित्य और जीवन का घोर संबंध है। – साहित्य और जीवन का अभिन्न संबंध है।
23. एक बैल, दो घोड़े और एक बकरी मैदान में चर रहे हैं। – एक बैल, दो घोड़े, एक बकरी मैदान में चर रही है।
24. बाघ और बकरी एक घाट पर पानी पीती है। – बाघ और बकरी एक घाट पर पानी पीते हैं।
25. सौभाग्यवती कन्या की शादी हुई। – आयुष्मती कन्या की शादी हुई।
26. लड़कों ने नेताजी को अभिनन्दन पत्र प्रदान किया। – लड़कों ने नेताजी को अभिनन्दन पत्र अर्पित किया।
27. इस समय आपकी आयु क्या है? – इस समय आपकी उम्र क्या है ?
28. आपकी आयु सोलह वर्ष की है। – आपकी अवस्था सोलह वर्ष की है।
29. महासमर विश्व की सर्वप्रथम समस्या है। – महासमर संसार की बड़ी समस्या है।
30. वह भागता हुआ आया। – वह दौड़ता हुआ आया।
31. शिक्षक प्रश्न पूछते हैं। – शिक्षक प्रश्न करते हैं।
32. मैं अपनी बात की स्पष्टीकरण करने के लिए तैयार हूँ। – मैं अपनी बात का स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार हूँ।
33. परीक्षा चल रही है। – परीक्षा हो रही है।
34. मैं आपकी श्रद्धा करता हूँ। – मैं आप पर श्रद्धा रखता हूँ।
35. मुझसे यह काम संभव नहीं हो सकता। – मुझसे यह काम संभव नहीं।
36. शास्त्रीजी की मृत्यु से हमें बहुत खेद हुआ। – शास्त्रीजी की मृत्यु से बहुत दुःख हुआ।
37. किसी भी आदमी को भेज दो। – किसी आदमी को भेज दो।
38. उसके हाथ में बेड़ियाँ हैं। – उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी है।
39. हम तो अवश्य ही आयेंगे। – हम तो अवश्य आयेंगे।
40. शब्द केवल संकेतमात्र है। – शब्द केवल संकेत है।
41. प्रधानाध्यापक लड़के चुनेंगे। – प्रधानाध्यापक लड़कों का चुनाव करेंगे।
42. उससे यह काम संभव नहीं हो सकता है। – उससे यह काम संभव नहीं।
43. राम ने रोटी खाया। – राम ने रोटी खायी।
44. उसने मुक्तहस्त से धन लुटाया। – उसने मुक्तहस्त धन लुटाया।
45. चरखा काटना चाहिए। – चरखा चलाना चाहिए।
46. राम और मोहन सम्बन्धी बातें हैं। – राम और मोहन से सम्बन्धित बातें हैं।
47. घर में आग जली है। – घर में आग लगी है।
48. आपका यह कहना बड़ी बात होगी। – आपका यह कहना बड़ी बात होगा।
49. थोड़ी देर बाद वे लौट आयेंगे। – थोड़ी देर में वे लौट आयेंगे।
50. श्री कृष्ण के अनेकों का नाम हैं। – श्री कृष्ण के अनेक नाम हैं।
51. वहाँ बहुत भीड़ है। – वहाँ काफी भीड़ है।
52. मुझे चिट्ठी लिखना है। – मुझे चिट्ठी लिखनी है।
53. वह पाँच आदमी थे। – वे पाँच आदमी थे।
54. हमारी देश की सरकार बदल गयी है। – हमारे देश की सरकार बदल गयी है।
55. मैं तुम और वह जाता है। – वह, तुम और मैं जाता हूँ।
56. इसने अनेकों गलती किया। – इसने अनेक गलती की।
57. रोटी टेढ़ा-मेढा है। – रोटी टेढ़ी-मेढ़ी है।
58. दही बहुत खट्टी है। – दही बहुत खट्टा है।
59. घड़ी टिक-टिक करते रहता है। – घड़ी टिक-टिक करते रहती है।
60. भारत में अनेकों जाति और धर्म के लोग धर्म के लोग रहते हैं। – भारत में अनेक जाति और धर्म के लोग रहते हैं।

विपरीतार्थक शब्द

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
काला – सफेद
रात – दिन
आकाश – पाताल
अनाथ – सनाथ
अन्य – स्वयं
अथ – इति
अवनति – उन्नति
अनुग्रह – विग्रह
अंतरंग – बहिरंग
अतिवृष्टि – अनावृष्टि
आधुनिक – पौराणिक
अर्वाचीन – प्राचीन
अधुनातन – पुरातन
अल्पज्ञ – बहुज्ञ
अवनि – अम्बर
अल्पायु – दीर्घायु
अनुराग – विराग
अवनत – उन्नत
अनुकूल – प्रतिकूल
अर्थ – अनर्थ
अंतर्द्वन्द्व – बहिर्द्वन्द्व
आमिष – निरामिष
अन्त – आदि
अंतर्मुखी – बहिर्मुखी
अमावस्या – पूर्णिमा
अल्प – अति
अस्त – उदय
अपेक्षा – उपेक्षा
अत्यधिक – स्वल्प

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
सुख – दुःख
गरम – ठंडा
अमर – मर्त्य
अज्ञ – विज्ञ प्रज्ञ
अग्नि – जल
अस्वस्थ – स्वस्थ
अगम – सुगम
अपमान – सम्मान
अमृत – विष
अलभ्य – लभ्य, सुलभ
अंधकार – प्रकाश
अकाल – सुकाल
अल्पसंख्यक – बहुसंख्यक
आयात – निर्यात
आविर्भाव – तिरोभाव
आसमान – जमीन
रोशनी – अंधेरा
आत्मा – परमात्मा
आश्रित – अनाश्रित
आदान – प्रदान
आदर – अनादर, निरादर
आरंभ – अन्त
आवृत्त – अनावृत्त
आकर्षण – विकर्षण
आर्द्र – शुष्क
आशा – निराशा
आसक्त – विरक्त, अनासक्त
आस्तिक – नास्तिक
आहूत – अनाहूत

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
अनुज – अग्रज
अनुरक्ति – विरक्ति
अधम – उत्तम
आलोक – अंधकार
आभ्यन्तर – बाह्य
आय व्यय – कटु
इहलोक – परलोक
इन्सान – शैतान, हैवान
इच्छा – अनिच्छा
इष्ट – अनिष्ट
ईद – मुहर्रम .
ईश्वर – जीव
उपकार – अपकार
उपसर्ग – प्रत्यय
उत्कर्ष – अपकर्ष
उन्मूलन – रोपण
उदार – कृपण, अनुदार
उत्साह – अनुत्साह
उचित – अनुचित
उत्कृष्ट – अपकृष्ट, निकृष्ट
उपस्थित – अनुपस्थित
उपयोग – अनुपयोग, दुरुपयोग
उपयुक्त – अनुपयुक्त
उच्च – निम्न
उधार – नकद
उद्धत – विनीत
उपमेय – उपमान, अनुपमेय
उदयाचल – अस्ताचल
missin g

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
आजादी – गुलामी
आस्था – अनास्था
अधिकार – अनधिकार, कर्तव्य
कनीय – वरीय
कायर – वीर, नीडर
मधु, – मधुर
कपूत – सपूत
कम – ज्यादा, बेशी
कृष्ण, श्वेत – धवल, शुक्ल
कुलदीप – कुलांगार
करुण – निष्ठुर
कृतज्ञ – कृतघ्न
क्रय – विक्रय
क्रूर – अक्रूर, सरल
कुटिल – सरल
कृत्रिम – प्राकृतिक
कलुष – निष्कलुष
निरुत्साह – कुप्रबंध, सुप्रबंध
कुमार्ग – सुमार्ग
क्रोध – क्षमा, अक्रोध
कुसुम – वज्र
कर्मण्य – अकर्मण्य
कृपण – दाता, दानी
कोप – कृपा, शांति
खूबी – खामी
खण्डन – मण्डन
खेद – प्रसन्नता
खाद्य – अखाद्य
खारा – मीठा
खल – सज्जन
खुशी – गम
खुश – दुःखी
खुशहाली – मातम
खर्च – आमद
गुरु – लघु, शिष्य
गौरव – लाघव
गंभीर – वाचाल
गरल सुधा – अमृत
गहरा – छिछला
गीला – सूखा
गुप्त – प्रकट

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
कनिष्ठ – वरिष्ठ, ज्येष्ठ
ग्रामीण – शहरी
ग्राह्य- त्याज्य
गुण – दोष
कृष्ण – कंस
घरेलू – बाहरी
चर – अचर
चोर – साधु
चिरन्तन – नश्वर
छाया – प्रकाश
जन्म – मरण
जय – पराजय
जड़ – चेतन
ज्योति – तम
जागृति – सुषुप्ति
जीवन – मरण
जुदाई – मेल
जरा – शिशु
जंगम – स्थावर
ज्वार – भाटा
जटिल – सरल
ताप – शीत
तरल – ठोस ।
दुर्जन – सज्जन
ध्वंस – निर्माण
नूतन – पुरातन
नश्वर – अमर
नैतिक – अनैतिक .
निरर्थक – सार्थक
रक्षक – भक्षक
रचना – ध्वंस
राजा – प्रजा, रंक
रिक्त – पूर्ण ।
राग – विराग
रत – विरत
रंगीन – बेरंग, रंगहीन
राम – रावण
रागी – विरागी
रुका – चालू
लाभ – हानि
लिखित – अलिखित, मौखिक

गृही, गृहस्थ – त्यागी, संन्यासी
निर्मल – मलिन
निष्काम – सकाम
निरामिष – सामिष
राम – रावण
निरक्षर – साक्षर
नया – पुराना
नीति – अनीति
पण्डित – मूर्खा
प्रलय – सृष्टि
पराया – अपना
प्रेम – घृणा
पाप – पुण्य
पालक – पीड़क
परतंत्र – स्वतंत्र
बर्बर – सभ्य
भोगी – योगी
भय – साहस
मानव – दानव
महात्मा – दुरात्मा
मिलन – विरह
योग – वियोग
यौवन – वार्धक्य
युवक – वृद्ध
युद्ध – शाति
यश – अपयश
यथार्थ – कल्पित
यजमान – पुरोहित
यौगिक – तत्त्व
विश्लेषण – संश्लेषण
विस्मरण – स्मरण
विमुख – सम्मुख, उन्मुख
हरा-भरा – सूखा, उजाड़
वैतनिक – अवैतनिक
वर – वधू
विशाल – क्षुद्र
सजीव – निर्जीव
सबल – निर्बल, दुर्बल
संयोग – वियोग
सम – विषम
सर्द – गर्म

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
लघु – गुरु
लौकिक – अलौकिक
लिप्त – अलिप्त, निर्लिप्त
लुप्त – व्यक्त
लाग – बेलाग .
विजय – पराजय
विवाद – निर्विवाद
विधि – निषेध
विशालकाय – क्षीणकाय, लघुकाय
विशिष्ट – सामान्य
विस्तार – संक्षेप
वृहत्, महत् – लघु, क्षुद्र
विस्तृत – संक्षिप्त
व्यष्टिं – समष्टि
मोटा – पतला
विशेष – सामान्य
व्यावहारिक – अव्यावहारिक .
वसन्त – पतझर
विनीत, उद्धत – अविनीत
वृष्टि – अनावृष्टि
व्यास – समास
वैमनस्य – सौमनस्य
विकीर्ण – संकीर्ण
विपन्न – संपन्न
विरागी – रागी
विधवा – सधवा
वक्र – सरल, ऋजु
सुर – असुर
सुनाम – दुर्नाम
संतोष – असंतोष
स्वामी – सेवक
संकल्प – विकल्प
संपन्न – विपन्न
संधि – विग्रह
सामयिक – असामयिक
सविकार – निर्विकार
स्पृश्य – अस्पृश्य
स्थिर – अस्थिर, चंचल
संबद्ध – असंबद्ध
स्वधर्म – परधर्म, विधर्म
सबाघ – निर्वाध

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
सत् – असत्
सगुण – निर्गुण
सफल – विफल, निष्फल
सफल – असफल
सच्चरित्र – दुश्चरित्र
ससीम – असीम
सुकर – दुष्कर
सहयोगी – प्रतियोगी
सजल – निर्जल
स्वाधीन – पराधीन
स्वतंत्रता – परतंत्रता
स्वदेश – विदेश
स्वजाति – विजाति
सम्मान – अपमान
स्वर्ग – नरक
संकोच प्रसार – नि:संकोच, असंकोच
वृद्धि – हास
साकार – निराकार
सुकर् – कुकर्म, दुष्कर्म
सुपात्र – कुपात्र
सुलभ – दुर्लभ कुमार्ग
सुमार्ग – कुपथ
सत्पथ – सूक्ष्म
सुयश – अपयश
स्थूल – असंग, निस्संग
संत. – असंत
सात्विक – तामसिक
शुभ – अशुभ
शकुन – अपशकुन
शत्रु – मित्र
शीत – उष्ण
शुष्क – तरल, आई
शांति – क्रांति, अशांति
सदाचारी – दुराचारी, कदाचारी
सुबह – शाम.
संध्या – उषा
सुपरिणाम – दुष्परिणाम
सुबुद्धि – कुबुद्धि
स्वीकृति – अस्वीकृति
सौभाग्य – दुर्भाग्य

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
सरस – नीरस
संघटन – विघटन
संश्लिष्ट – विश्लिष्ट
सत्कार – तिरस्कार
सापेक्ष – निरपेक्ष
सदाचार – दुराचार, कदाचार
सक्षम – अक्षम
सत्कर्म – दुष्कर्म
सलज्ज – निर्लज्ज
साधु – असाधु
सत्य – असत्य
सच – झूठ
सच्चा – झूठा
सुमति – दुर्मति, कुमति
संकीर्ण – विस्तीर्ण
स्वप्न – जागृति
सुकृति – कुंकृति, दुष्कृति
सूना – भरा
अल्पायु – दीर्घायु
सुदूर – सन्निकट
सुसंगति – कुसंगति
समय – कुसमय

शब्द – विपरीतार्थक शब्द
सखा – शत्रु
सुकाल – अकाल, दुष्काल
श्लील – अश्लील
शुभ – अशुभ
शासक – असुन्दर, कुरूप
शोषित – शासित
शोक – शोषक
शयन – जागरण
श्रीगणेश – इतिश्री
श्रद्धा – घृणा, अश्रद्धा
श्रवण – दृश्य
श्यामा – गौरी
हँसना – रोना
हास – रुदन
हार – जीत
हस्वा – दीर्घ.
हिंसा – अहिंसा
चिरायु – अल्पायु
क्षर – अक्षर
क्षम्य – अक्षम्य
क्षमा – दण्ड, रोष

महावरे और लोकोठियाँ

बहती गंगा में हाथ धोना – (मौके का लाभ उठा लेना)-परीक्षा में जब छूटकर नकलबाजी चल रही है, तो तुम भी बहती गंगा में हाथ धो लो।

कलम तोड़ना – (बहुत अच्छा लिखना)-वात्सल्य-वर्णन के क्षेत्र में कहा जाता है कि सूरदास ने कलम तोड़ दी।

मुँह लगाना – (ढीठ बनाना)-इकलौती बेटी होने का नतीजा था कि मोख्तार साहब ने उसे मुंह लगा रखा था।

घास छीलना – (व्यर्थ जीवन बिताना)-मैंने भी देश-दुनिया देखी है, कोई कोई घास नहीं छीलता रहा हूँ।

सिर पर पैर रखकर भागना – (तेजी से, बेतहाशा भागना)-पुलिस-दल को आते देखकर चोरों का गिरोह सिर पर पैर रखकर भागा।

कलेजा मुँह को आना – (बहुत घबड़ा जाना)-ऐसा भयानक दृश्य था कि मेरा तो कलेजा मुँह को आ गया।

सिर धुनना – (पछताना, दुखी होना)-बाढ़ से इतनी भारी क्षति हुई कि सारे गाँव के लोग सिर धुन रहे थे।

मुंह छिपाना – (लज्जा से छिपे रहना)-उसने कर्ज खाया है क्या जो मोहन से मुंह चुराता फिरता है।

करवटें बदलना – (किसी की याद या चिन्ता में बेचैन होना या रहना)-क्या बताऊँ भाई ! वे जो नहीं आये तो रात भर में करवटें बदलता रहा।

सिर घूमना – (घबरा जाना)-अचानक सांप को बिस्तर पर देखकर मेरा तो सिर घूमने लगा।

उठना-बैठना – (घनिष्ठता होना)-राय साहब के यहाँ मुन्नु भाई का उठना-बैठना है।

दो कौड़ी का आदमी – (बेकार आदमी, बहुत ही गरीब आदमी)-भाईजी ! आपको न जर है, न जमीन। आप तो दो कौड़ी के भी आदमी नहीं हैं।

नाक कटना – (बेइज्जत हो जाना)-भरी सभा में डॉट पड़ने से श्री सिंह की नाक कट गयी।

नौ-दो ग्यारह होना – (भाग जाना)-पुलिस को देखते ही डाकू नौ-दो ग्यारह हो गये।

कान काटना – (बढ़-चढ़कर होना)-तेज चलने में आजकल के विमान पहले के विमानों के कान काटते हैं।

नंगे पाँव दौड़ना – (आवेश में आ जाना)-मुख्यमंत्री का पद मिलते ही मोहन नंगे पांव दौड़ने लगा है।

पांव मारना – (रुकावट डालना)-विपक्ष को आजकल हर बात में पांव मारना जरूरी है ना mis

भींगी बिल्ली बनना – (डर जाना, विनम्रता प्रकट करना)-है तो वह शैतान लेकिन मास्टर साहब को देखते ही भीगी बिल्ली बन जाता है।

दिन में तारे दिखाई देना – (बहुत घबरा जाना)-हीरे-जवाहरात का बक्सा वहाँ से गायब देखकर मुझे तो दिन में तारे दिखाई देने लगे।

मुंह फुलाना – (रूठना)-मैंने जो सच्ची बात कही तो उसी रोज से मुंह फुलाये हुए हैं मुझसे सिन्हा।

नाक रगड़ना – (खूब खुशामद करना)-चाहे तुम धर्मदेव के आगे लाख नाक रगड़ो लेकिन वह मानेगा नहीं पूरा जल्लाद है।

बगलें झांकना – (शर्मिन्दा होना)-लालाजी की फटकार सुनकर बेचारा हीरा प्रसाद बगलें झाँकने लगा।

शह देना – (बढ़ावा देना)-प्रिसिपल ने अपने फायदे के लिए कॉलेज के बदमाश छात्रों को शह दे रखा है।

छूमन्तर होना – (गायब होना, दूर हो जाना)-डॉक्टर ने ऐसी दवा दी कि सरोज का सिर-दर्द छू-मन्तर हो गया।

कान देना – (ध्यान देना)-आजकल के जमाने में चापलूसों की चलती है, वाजिब बात कहने वालों पर कोई कान नहीं देता।

mis(बहका देना)-मेरे विरोधियों ने मेरे खिलाफ आजकल मुख्यमंत्री का कान भर दिया है।

कान फूंकना – (चेला बनाना)-वह जमाना गया जब गुरु किसी का कान फूंक देते थे।

नाक का बाल होना – (बहुत प्यारा होना)-तेज छात्र होने के कारण सुरेश शिक्षकों की नाक का बाल बना हुआ है।

पानी रखना – (इज्जत बचाना)-भरी सभा में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी का पानी रखा।

छत्तीस का रिश्ता होना – (उल्ट)-उस घटना के बाद आजकल उनमें छत्तीस का रिश्ता है।

हाथ मलना – (पछताना)-जब कॉलेज बन्द हो जायेगा, तुम्हारी नौकरी चली जायेगी, तब हाथ मलोगे, समझे?

हाथ धोकर पीछे पड़ना – (किसी का नुकसान करने के लिए लगातार लगे रहना)-उसका वेतन भुगतान नहीं होने पाये, इसके लिए प्रिंसिपल, यूनिवर्सिटी से शिक्षा विभाग तक हाथ धोकर पीछे पड़े हुए हैं।

हामी भरना – (सहमति प्रकट करना)-आजकल की पलियां हर बात में अपने पतियों की हामी क्यों भरें?

हाथापाई होना – (मारपीट होना)-उस दिन तो घर के विवाह को लेकर बच्चू बाबा और लड़कों में हाथा-पाई होते-होते बची।

जूता मारना – (बेइज्जत करना)-घर आये मेहमान को जूता मारना तो उचित नहीं।

गुड़ गोबर होना – (बर्बाद होना)-बेमौसम बारिश हो जाने से खड़ी फसल का गुड़ गोबर हो गया।

ज्यों कोल्हू का बैल – (पुरानपंथी, कठोर परिश्रमी)-बेचारे रामलाल दिन-रात मजदूरी करते हैं ज्यों कोल्हू का बैला

तलवार से तलवार टकराना – (युद्ध करना)-इस बार दोनों देशों के बिगड़े हुए सम्बन्ध देखकर लगता है कि तलवार से तलवार टकरायेगी अवश्य।

चाँदी का जूता – (पैसे के बल पर काम कराना)-आजकल कौन काम ऐसा है जो चाँदी के जूते से नहीं कराया जा सकता?

किनारा करना – (अपने को अलग कर लेना)-मीरा का व्यवहार देख कर उसके पति ने उससे किनारा कर लिया।

एक आँख से देखना – (भेद-भाव नहीं करना)-घर के मालिक को चाहिए कि सबको एक आँख से देखे-चाहे कोई ज्यादा कमाये या कम कमाये।

कुर्सी देना – (आदर करना)-हमारी संस्कृति सिखलाती है कि अपने से बड़ों को कुर्सी दें।

अपने पैरों खड़ा होना – (स्वावलंबी होना)-पति-पत्नी को चाहिए कि आजकल की महँगी को देखते हुए अपने-अपने पैरों पर खड़े हों।

अलख जगाना – (जागृति लाना)-सन् 74 में जयप्रकाश बाबू ने काँग्रेसी सरकार के भ्रष्टाचारों के खिलाफ अलख जगाया था।

गला छूटना – (आजाद हो पाना)-आज उसके रुपये लौटाकर मेरा गला छूटा।

सिर चढ़ाना – (ढीठ बनाना)-इकलौता पोता होने का यह अर्थ नहीं कि आप उसे सिर पर चढ़ा लीजिए।

आस्तीन का साँप – (छिपा हुआ दुश्मन)-आपका भाई है तो क्या? आस्तीन का साँप है वह।

गाल बजाना – (डींग हॉकना)-शर्माजी को तुम नहीं जानते? उन्हें गाल बजाने के सिवा कुछ आता ही नहीं है।

आँखें चार होना – (प्रेम होना)-तनवीर के साजिया को देखते ही आँखें चार हो गयीं।

घी के दिये जलाना – (खुशी मनाना)-परीक्षा में सर्वप्रथम होने के उपलक्ष्य में आज नरेश के घर घी के दिये जलेंगे।

श्रीगणेश करना – (शुरू करना)-मानोजी ने इसी साल वसंत पंचमी के दिन से तो फोटो कम्पोजिंग का श्रीगणेश किया है।

लोहा लेना – (विरोध करना)-किसकी इतनी ताकत है कि मुझसे लोहा लेगा!

खाक छानना – (परेशान होना)-नौकरी के लिए आजकल कितने ग्रेजुएट खाक छान रहे हैं।

थाली का बैंगन होना – (सिद्धान्तहीन होना, दलबदलू होना)-नरेश भी आदमी है ? कभी काँग्रेस में, कभी जनता पार्टी में, थाली का बैंगन है वह।

आठ-आठ आंसू रोना – (बहुत दुःखी होना)-कृष्ण के वियोग में गोपियाँ आठ-आठ आँसू बहाती रहती थीं।

माथा पकड़ना – (चिन्तित होना)-आखिर कौन-सी ऐसी समस्या है भाई जो तुम माथा पकड़ कर बैठे हो?

हाथ रगड़ना – (रोकना, मना करना)-नानाजी तो रजिस्ट्री की कागजात पर हस्ताक्षर कर ही देते, मगर मामाजी ने ही उनका हाथ पकड़ लिया।

सिर फिरना – (पागल होना)-प्रिंसिपल साहब की हरकतों को देखकर लगता है कि आजकल उनका सिर फिर गया है।

अंगूठा दिखाना – (धोखा देना, स्वभाव बदल जाना)-अपना मतलब निकल जाने पर दीपक ने मोहन को अंगठा दिखा दिया।

छक्के छुड़ाना – (बुरी तरह परास्त करना)-पानीपत की लड़ाई में मुगलों ने पठानों के छक्के छुड़ा दिये।

जले पर नमक छिड़कना – (मसीबत में पड़े इन्सान पर मुसीबत आना)-अभी पिता की मृत्यु हुई है। उससे कर्ज के रुपये वसूलना जले पर नमक छिड़कना नहीं तो और क्या है?

आसमान के तारे तोड़ना – (असम्भव कार्य करना)-उस मूर्ख के लिए प्रथम श्रेणी लाना आसमान के तारे तोड़ने के बराबर था।

अंधेर मचना – (बहुत दुर्गति होना)-आजकल प्रिंसिपल की मनमानी की वहज से कॉलेज में अंधेर मचा हुआ है।

आँख लगाना – (नींद आ जाना)-थका-माँदा लेटा था, लेटते ही आँख लग गयी।

सिर मुड़ाते ओले पड़ना – (असमय में संकट आ जाना)-इसी महीने आयकर देना पड़ा और माताजी भी बीमार पड़ गयीं-मानो सिर मुड़ाते ओले पड़े।

सिर धुनना – (पछताना)-अब तो जो नुकसान होना था, हो ही गया, सिर धुनने से क्या?

हाथ पर हाथ धरना – (निष्प्रयल बैठे रहना)-संकट में हाथ पर हाथ धरकर बैठने से काम नहीं चलेगा।

पीठ दिखाना – (पराजय स्वीकार करना)-महाराणा प्रताप ही थे कि उन्होंने अकबर के आगे कभी पीठ नहीं दिखायी।

तीन तेरह होना – (बर्बाद हो जाना)-नानाजी के मरते ही सारी जायदाद तीन-तेरह हो गयी।

आँख दिखाना – (क्रोध करना)-मैंने क्या बिगाड़ा है जो आंख दिखा रहे हो?

हथेली पर बाल जमना – (असम्भव काम करना)-वे कैसे हैं-तुम्हें क्या पता, उनसे तुम्हारा काम होना हथेली पर बाल जमाना है।

नाकों चने चबाना – (खूब तंग होना)-अंग्रेजों को यहाँ शासनकाल में नाकों चने चबाने पड़े थे।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना – (अलग राय या मत रखना, सामूहिक हित की बात न सोचना)-अरे भाई ! छोड़ो शर्माजी को। वे तो अपनी खिचड़ी अलग पका रहे हैं।

आँख का पानी गिरना – (बेशर्म हो जाना)-आजकल के मंत्री क्या कुकर्म नहीं करते ! उनकी आँखों का पानी जो गिर गया है।

ईद का चाँद – (बहुत दुर्लभ हो जाना)-आठ साल बाद जब मैं मिला तो वे कह उठे-अरे भाई, तुम तो ईद के चाँद हो गये।

कान में तेल डालना – (ध्यान न देना)-चाहे लाख हड़ताल हो, सरकार मानो कान में तेल डाले सोयी रहती है।

पर्यायवाची शब्द

परस्पर समान अर्थ रखने वाले शब्दों का समानार्थी, समानार्थक या पयार्यवाची शब्द कहते हैं। एक ही व्यक्ति या वस्तु के अनेक नाम पयार्यवाची शब्द होते हैं। जिस भाषा में पयार्यवाची शब्दों की संख्या जितनी अधिक होती है, वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध और सम्पन्न होती है।
प्रमुख पयार्यवाची शब्द निम्नांकित हैं-

1. वाण – शर, तीर, नाराच।
2. वायु – हवा, पवन, समीर।
3. वेश्या – गणिका, मंगलामुखी।
4. शंकर – शिव, महादेव, महेश, शंभु।
5. सरस्वती – शारदा, वीणापाणि, वाग्देवी।
6. नदी – आपगा, दरिया, सरिता, सलिला।
7. पत्थर – प्रस्तर, अश्म, पाषाण।
8. पक्षी – विहग, खग, परिन्दा।
9. पति – स्वामी, बल्लभ, आर्यपुत्र।
10. आम – आम्र, रसाल, सहकार।
11. आँसू – अत्र, अश्रु, नेत्रजला
12. इच्छा – अभिलाषा, आकांक्षा, कामना।
13. इन्द्र – देवराज, पुरन्दर, सुरेन्द, सुरेश।
14. ऊंट – ऊष्ट्र, क्रेमलक, दीर्घग्रीवा।
15. कमल – जलज, नीरज, सरोज, इन्दीवर।
16. कपड़ा – वस्त्र, वसन, चीर।
17. किरण – अंशु, म्यूख, रश्मि।
18. गंगा – सुरसरी, देवनदी, भागीरथी।
19. गदहा – गर्दभ, खर, बैशाखनन्दन।
20. गणेश – गणपति, लम्बोदर, एकदन्ता
21. गाय – धेनु, भद्रा।
22. गीदड़ – जम्बुक, शृगाल, सियार।
23. घर – आलय, गृह, आवास, गेह।
24. चन्द्रमा – इन्दु, शशि, विधु, मयंका
25. चाँदनी – कौमुदी, चन्द्रिका, ज्योत्स्ना।
26. चूहा – इन्दुर, मूषक, मूष।
27. जल – नीर, वारि, उदक।
28. जंगल – वन, विपिन, अरण्य।
29. डर – भय, भीत।
30. तलवार असि, कृपाल, करवाल।
31. तलाब सरोवर, ताल, तलैया।
32. अग्नि आग, अनल, पावक।
33. अंधकार – तम, तमस, तिमिर।
34. अमृत – जीवनोदक, पीयूष, सुधा।
35. आकाश – व्योम, गगन, नभा
36. अंतरिक्ष – व्योम, नभ।
37. तोता – कीर, शुक।
38. देवता – सुर, देव, ईश, प्रभु।
39. देवता – सुर, देव, ईश, प्रभु
40. दुर्गा – चण्डिका, चामुण्डा, अभया, कल्याणी।
41. धनुष – कमान, चाप, धन्वा।
42. पटनी – भार्या, दारा, गृहिणी, वामा।
43. पर्वत – अद्रि, भूधर, अचल।
44. पृथ्वी – भू, भूमि, इला, धरती।
45. पत्ता – पत्र, पल्लव, किसलय।
46. पुष्प – सुमन, कुसुम, प्रसून।
47. पुस्तक – किताब, ग्रंथ, पोथी।
48. प्रकाश – आभा, प्रभा, विभा।
49. प्रेम – अनुराग, प्रीति, प्रणय, प्यार।
50. पार्वती – उमा, गौरी, शिवा, भवानी।
51. बन्दर – कर्मट, शाखामृग, कपि, हरि, वानर।
52. ब्रह्म – विधि, विधाता, पितामह।
53. बादल – मेघ, घन, जलद।
54. बैल – वृष, वृषभ।
55. भौंरा – अलि, भ्रमर, मधुप, मधुकर।
56. मछली – मीन, मत्स्य, झख।
57. मदिरा – शराब, सुरा।
58. मोर – मयूर, केकी।
59. युमना – कृष्णा, कालिन्दी, अर्कजा।
60. रात – रजनी, रैन, निशा, यामिनी।
61. राजा – नृप, भूप, महीप, राव।
62. लहर तरंग, ऊर्मि, हिलोर।
63. विष – जहर, हलाहल, माहुर।
64. विष्णु – हरि, दामोदर, नारायण।
65. सूर्य – रवि, भानु, अर्क, आदित्य।
66. स्वेद – श्रमजल, सीकर, पसीना।
67. स्त्री – नारी, वनिता, कामिनी, रमणी।
68. सागर – समुद्र, जलधि, जलेश।
69. सेना – अनी, वाहिनी, कटक।
70. सोना – स्वर्ण, सुवर्ण, कनक, हेम।
71. हिरन – मृग, कुरंग, हरिणा
72. हवा – वायु, पवन, प्रभंजन।
73. सिंह – शेर, शर्दूल, मृगराज!
74. हाथी – गज, गयन्द, कुरंग।
75. सर्प – अहि, भुजंग, व्याल।
76. लक्ष्मी – कमला, इन्दरा, श्री।
77. पुत्र – तनय, सुत, आत्मज।
78. पुत्री – तनया, सुता, आत्मजा।
79. वृक्ष – तरु, द्रुम, विटप, गाछ।
80. नाव – तरी, तरिणी, नौका, डोंगरी।
81. कामदेव – मार, मदन, मन्मथ, मनोज।
82. कुत्ता – स्वान, रतिदेव।
83. कोयल – कोकिल, पिक, वनप्रिया
84. कौआ – काग, वायस।
85. क्रोध – अमर्ष, कोप, रोष।

प्रश्न – निम्नलिरितत शब्दों का संधि-विच्छेद करें।

पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
विद्यार्थी = विद्या + अर्थी
कवीन्द्र = कवि + इन्द्र
गिरीश = गिरि + ईश
गणेश = गण + ईश
महोत्सव = महा + उत्सव
महर्षि = महा + ऋषि
सदैव = सदा + एव।
इत्यादि = इति + आदि
प्रत्येक = प्रति + एक
स्वागत = सु +आगत
नयन = ने + अन
नायक = पौ + अक
सद्गति = सत् + गति
दिगम्बर = दिक् + अम्बर
सज्जन = सत् + जन
उल्लास = उत् + लास
संसार = सम् + सार
आशीर्वाद = आशीः + वाद
वाद दुरात्मा = दु: + आत्मा
‘निष्फल = निः + फल
मनोज = मनः + ज
निश्चय = निः + चय
निश्छल = निः + छल
प्रातः काल = प्रातः + काल
रामायण = राम + अयन
स्वाधीन = स्व + अधीन
विद्यालय = विद्या + आलय
महेन्द्र = महा + इन्द्र
महोदय = महा + उदय
श्रवण = श्रो + अन
नीरोग = निः + रोग
तपोवन = तपः + वन
मनोरथ = मनः + रथ
सरोवर = सरः + वर
निर्धन = निः + धन
यशोधरा = यशः + धरा
न्याय = नि + आय

प्रश्न निम्नलिखित शब्दों का समास बताएँ।

1. यथाशक्ति = अव्ययीभाव समास
2. प्रतिदिन = अव्ययीभाव समास
3. भरपेट = अव्ययीभाव समास
4. यथा संभव = अव्ययीभाव समास
5. पकेटमार = तत्पुरुष समास
6. गगनचुम्बी = तत्पुरुष समास
7. रसोईघर = तत्पुरुष समास
8. देशभक्ति = तत्पुरुष समास
9. सेनानायक = तत्पुरुष समास
10. राजकन्या = तत्पुरुष समास
11. गंगाजल = तत्पुरुष समास
12. राजमहल = तत्पुरुष समास
13. पीताम्बर = कर्मधारय समास
14. नवयुवक = कर्मधारय समास
15. सज्जन = कर्मधारय समास
16. नीलकमल = द्विगु समास
17. दो पहर = द्विगु समास
18. चौराहा = द्विगु समास
19. पंचवटी = द्विगु समास
20. दशानन = बहुब्रीहि समास
21. पीताम्बर = बहुब्रीहि समास
22. लम्बोदर = बहुब्रीहि समास
23. वीणापाणि = बहुब्रीहि समास
24. त्रिनेत्र = बहुब्रीहि समास
25. राजा-रानी = द्वन्द्व समास
26. लोटा-डोरी = द्वन्द्व समास
27. शीतोष्ण = द्वन्द्व समास
28. गौरी शंकर = द्वन्द्व समास
29. भला-बुरा = द्वन्द्व समास
30. माता-पिता = द्वन्द्व समास
31. फल-पिता = द्वन्द्व समास

प्रश्न-निम्नलिखित शब्दों का विश्लेषण बताएँ।

संज्ञा (विशेष्य) – विशेषण
जंगल – जंगली
अनुराग – अनुरागी
अपराध – अपराधी
देश – देशी
पूर्वी – पूर्वी
पश्चिम – पश्चिमी
लोभ – लोभी
समुद्र – समुद्री
जल – जलीय
राष्ट्र – राष्ट्रीय
स्थान – स्थानीय
जाति – जातीय
आकाश – आकाशीय
पुस्तक – पुस्तकीय
पर्वत – पर्वतीय
भारत – भारतीय
वायु – वायवीय
क्षेत्र – क्षेत्रीय
सागर – सागरीक
अनुमान – अनुमित
जीवन – जीवित
उत्साह – उत्साहित
उत्तेजना – उत्तेजित
घृणा – घृणित
नियम – नियमित
मूर्छा – मूर्छित
शिक्षा – शिक्षित
ग्राम – ग्रामीण
कृपा – कृपालु
दया – दयालु
चमक – चमकीला
रस – रसीला
स्वर्ण – स्वर्णिम
अग्र – अग्रिम
समाज – सामाजिक
धर्म – धार्मिक
परिवार – पारिवारिक
अर्थ – आर्थिक
साहित्य – साहित्यिक
इतिहास – ऐतिहासिक
नीति – नैतिक
विज्ञान – वैज्ञानिक
उद्योग – औद्योगिक
इच्छा – ऐच्छिक
भूगोल – भौगोलिक
लोक – लौकिक
शिक्षण – शैक्षणिक
संस्कृत – सांस्कृतिक
हृदय – हार्दिक
अग्नि – आग्नेय
मुनि – मौन
ऋषि – आर्ष
सेना – सैन्य
पूजा – पूजय
वन – वन्य
दास – दास्य
भोजन – मोज्य
सखा – सख्य
स्तुति – स्तुत्य
गृहस्थ – गार्हस्थ्य
दीन – दैन्य
शृंगार – शृंगारिक
क्षण – क्षणिक

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