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 Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 5

Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 5

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता के बाद भारत जैसे नए राष्ट्र की कौन-सी चुनौतियाँ थी ?
उत्तर:
1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के चलते भारत का विभाजन हुआ और भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्यों की स्थापना हुई। देश विभाजन के चलते देश की राष्ट्रीय एकता काफी प्रभावित हुई। देश का वातावरण खून-खराबा, लूटपाट तथा सांप्रदायिक दंगों से विषाक्त हो गया। वैसे तो स्वतंत्र भारत के समक्ष अनेक समस्याएँ और चुनौतियाँ थीं, लेकिन प्रमुख रूप से निम्नलिखित तीन चुनौतियाँ थीं, जिनपर काबू पाए बिना हम देश की एकता को बचाने में कामयाब नहीं रह सकते थे-

  • राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने की चुनौती,
  • देश में लोकतंत्र बहाल करने की चुनौती तथा
  • संपूर्ण समाज के विकास और भलाई को सुनिश्चित करने की चुनौती।

प्रश्न 2.
अखिल भारतीय काँग्रेस का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
अखिल भारतीय काँग्रेस का जन्म 1880 के दशक के मध्य में 1885 में अंग्रेज विद्वान लॉर्ड ह्यूम के नेतृत्व में हुआ। उस समय काँग्रेस नवशिक्षित, कामकाजी तथा व्यावसायिक वर्गों के एक हित-समूह मात्र एक सीमित थी। धीरे-धीरे काँग्रेस के क्षेत्र और दायरे में विस्तार हुआ और 20वीं सदी के आते-आते इसने जन आंदोलन का रूप धारण कर लिया। बाद में जब काँग्रेस का जनाधार व्यापक हुआ तब तक राजनीतिक व्यवस्था में इसका दबदबा स्थापित हुआ। प्रारंभ में काँग्रेस पर प्रभाव अंग्रेजी जाननेवालों, अगड़ी जातियों, उच्च मध्य वर्गों तथा शहरी अभिजनों का था। लेकिन बाद में जब काँग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ किया इसके सामाजिक आधार का विस्तार होता गया।

इसने परस्पर-विरोधी हितों के विभिन्न समूहों को एक साथ जोड़कर किसानों, उद्योगपतियों, शहर और गाँव के निवासियों, मजदूरों और मालिकों, मध्य, निम्न और उच्च वर्ग तथा सभी जातियों के लोगों को जगह दिया। धीरे-धीरे जब काँग्रेस के नेतृत्व वर्ग का विस्तार हुआ तब इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को भी स्थान मिला जो अबतक खेती-गृहस्थी तथा गाँवों-देहातों तक ही अपने को सीमित रखते थे। स्वतंत्रता के समय तक काँग्रेस का स्वरूप एक सतरंगे इंद्रधनुष जैसा हो गया था, जिसके अंतर्गत सामाजिक गठबंधन का शक्ल स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही थी। काँग्रेस के इस सतरंगे सामाजिक गठबंधन में वर्ग, जाति, धर्म, भाषा तथा अन्य हितों का प्रतिनिधित्व भारत की अनेकता में एकता के दर्शन का बोध करा रहा था।

प्रश्न 3.
जनता पार्टी के निर्माण का वर्णन करें।
उत्तर:
1977 के लोकसभा चुनावों में भाग लेनेवाले विपक्ष के गठजोड़ के फलस्वरूप औपचारिक रूप से 1 मई, 1977 को जनता पार्टी का जन्म हुआ। जनता पार्टी एक ओर देश की राजनीति में भिन्न-भिन्न दलों द्वारा एक दलीय प्रभुत्व के विरुद्ध चलाए गए संघर्ष के आधार पर बनाई गई थी। दूसरी ओर, जनता पार्टी अनेक विविध प्रकार के समूहों द्वारा बनाई गई थी जिनके नेता पहले काँग्रेसी थे तथा जो काँग्रेस से गुटबंदी के कारण बाहर आ गए थे। जनता पार्टी ऐसे समूहों का समूह था जिनकी भिन्न-भिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमि थी तथा जिनके नेताओं का अलग-अलग वर्गों से उदय हुआ था। ऐसे समूह का सामजिक आधार भिन्न था तथा उनकी विचारधाराएँ अलग-अलग थीं। इन सबका जनता पार्टी के कार्यक्रम तथा उसकी कार्य शैली पर अत्यधिक प्रभाव रहा है।

प्रश्न 4.
क्षेत्रीय दलों के अभ्युदय के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
1967 के चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ने लगी। 1985 में लोकसभा में विपक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल एक क्षेत्रीय दल तेलगु देशम था। 1989 के बाद गठबंधन “जनीति के विकास के साथ क्षेत्रीय दलों की राष्ट्रीय राजनीति में विशिष्ट भूमिका हो गई। तेलगु देशम तथा शिवसेना जैसे क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधि को लोकसभा का अध्यक्ष पद तक प्राप्त हुआ। क्षेत्रीय दलों के अभ्युदय का मुख्य कारण राष्ट्रीय दलों का कमजोर पड़ना है। राष्ट्रीय दलों द्वारा क्षेत्रीय समस्या तथा पहचान की उपेक्षा का आरोप लगाया जाता है। इसी क्षेत्रीय भावना को उभारकर क्षेत्रीय दल अपनी स्थिति सुदृढ़ करते हैं। राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र को भारत में नहीं अपनाये जाने की परम्परा भी क्षेत्रीय दलों के विकास के कारण हैं।

प्रश्न 5.
महिला सशक्तिकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
महिला सशक्तिकरण का सीधा अर्थ है कि महिलाएँ इतनी सशक्त हो सकें कि वे सामाजिक, आर्थिक तथा राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वाह की क्षमता प्राप्त कर लें। कोई भी व्यवस्था अपनी आधी आबादी की उपेक्षा कर या भागीदार न बना कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ नहीं कर सकता है। इस प्रकार महिला सशक्तिकरण का व्यापक अर्थ यह है कि महिलाओं की क्षमता का उपयोग राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में किया जाए। अर्थात् महिला सशक्तिकरण एक सामाजिक और राष्ट्रीय आवश्यकता है। महिलाओं को पुरुषों के समान क्षमतावान, सक्रिय सहभागी तथा निर्णय निर्माता बनाना है। इसके लिए यह आवश्यक है कि महिलाओं के लिए शैक्षणिक, सामाजिक तथा आर्थिक बाधाएँ दूर की जाएँ।

प्रश्न 6.
श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है ? उनकी भूमिका पर विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
1. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनके संगठन लिट्टे की हिंसात्मक कार्यवाहियों तथा आंदोलन के कारण श्रीलंका को जातीय संघर्ष का सामना करना पड़ा जिसकी माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाये।

2. श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा है। तथा तमिल सरकार एवं नेताओं पर उनके (तमिलों के) हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं।

3. तमिल अल्पसंख्यक हैं। ये लोग भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसी एक बड़ी तमिल आबादी के खिलाफ हैं। तमिलों का बसना श्रीलंका के आजाद होने के बाद भी जारी रहा। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत’ नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है।

4. तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑव तमिल ईलम’ (लिट्टे) श्रीलंकाई सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। इसने ‘तमिल ईलम’ यानी श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग देश की माँग की है। श्रीलंका के उत्तर पूर्वी हिस्से पर लिट्टे का नियंत्रण है।

प्रश्न 7.
ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।
उत्तर:
(a) भारत-बांग्लादेश के बीच दो आपसी सहयोग के मसले- भारत और बांग्लादेश कई मसलों पर सहयोग करते हैं पिछले दस वर्षों के दौरान दोनों के बीच आर्थिक संबंध ज्यादा बेहतर हुए हैं बांग्लादेश भारत के पूरब चलो’ की नीति का हिस्सा है। इस नीति के अंतर्गत म्यांमार के जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया से संपर्क की बात है। आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मसले पर भी दोनों देशों ने निरंतर सहयोग किया है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि साझे खतरों को पहचान कर तथा एक-दूसरे की जरूरतों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता बरतकर सहयोग के दायरे को बढ़ाया जाए।

(b) भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी असहमति के मसले- बांग्लादेश और भारत के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर मतभेद हैं। भारतीय सरकारों के बांग्लादेश से नाखुश होने के कारणों में भारत में अवैध आप्रवास पर ढाका के खंडन, भारत-विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी जमातों को समर्थन, भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बांग्लादेश के इंकार, ढाका के भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने के फैसले तथा म्यांमार को बांग्लादेशी इलाके से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देने जैसे मसले शामिल हैं।

बांग्लादेश की सरकार का मानना है कि भारतीय सरकार नदी-जल में हिस्सेदारी के सवाल पर क्षेत्रीय दादा की तरह बर्ताव करती है। इसके अलावा भारत की सरकार पर चटगाँव पर्वतीय क्षेत्र में विद्रोह को हवा देने; बांग्लादेश के प्राकृतिक गैस में सेंधमारी करने और व्यापार में बेईमानी बरतने के भी आरोप हैं। रोटय्या शरणार्थियों का मामला भी दोनों देशों के आपसी असहमति का कारण है।

प्रश्न 8.
भारत और नेपाल के मध्य संबंधों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत-नेपाल के संबंध-
1. भारत और नेपाल के बीच बड़े मधुर संबंध हैं और पूरी दुनिया में ऐसे संबंधों के इक्के-दुक्के उदाहरण ही मिलते हैं। दोनों देशों के बीच एक संधि हुई है। इस संधि के तहत दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे के देश में बिना पासपोर्ट (पारपत्र) और वीजा के आ-जा सकते हैं और काम कर सकते हैं। खास संबंधों के बावजूद दोनों देश के बीच अतीत में व्यापार से संबंधित मनमुटाव पैदा हुए हैं।

2. नेपाल की चीन के साथ दोस्ती को लेकर भारत सरकार ने अक्सर अपनी अप्रसन्नता जतायी है। नेपाल सरकार भारत-विरोधी तत्वों के खिलाफ कदम नहीं उठाती। इससे भी भारत नाखुश है।

3. भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ नेपाल के चल रहे नक्सल आंदोलन को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानती हैं क्योंकि भारत में उत्तर बिहार से लेकर दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश तक विभिन्न प्रांतों में नक्सलवादी समूहों का उभार हुआ है। नेपाल में बहुत से लोग यह सोचते हैं कि भारत की सरकार नेपाल के अंदरूनी मामले में दखल दे रही है और उसके नदी जल तथा पनबिजली पर आँख गड़ाए हुए है।

4. चारों तरफ से जमीन से घिरे नेपाल को लगता है कि भारत उसको अपने भू-क्षेत्र से होकर समुद्र तक पहुंचने से रोकता है। बहरहाल भारत-नेपाल के संबंध एकदम मजबूत और शांतिपूर्ण हैं। विभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापार, वैज्ञानिक सहयोग, साझे प्राकृतिक संसाधन, बिजली उत्पादन और जल प्रबंधन ग्रिड के मसले पर एक साथ हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली से दोनों देशों के बीच संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद बंधी है।

प्रश्न 9.
तथ्य दीजिए कि पर्यावरण से जुड़े सरोकार 1960 के दशक के बाद से राजनैतिक चरित्र ग्रहण कर सके।
उत्तर:
पर्यावरण से जुड़े सरोकारों का लंबा इतिहास है लेकिन आर्थिक विकास के कारण पर्यावरण पर होने वाले असर की चिंता ने 1960 के दशक के बाद से राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया। वैश्विक मामलों से सरोकार रखनेवाले एक विद्वत् समूह ‘क्लब आव रोम’ ने 1992 में लिमिट्स टू ग्रोथ’ शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित की। यह पुस्तक दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के आलोक में प्राकृतिक संसाधनों के विनाश के संदेश को बड़ी खूबी से बताती है।

प्रश्न 10.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए ?
अथवा, रियो सम्मेलन का आयोजन क्यों और कहाँ हुआ था ? इससे जुड़ी कुछ विशेषताएँ भी लिखिए।
उत्तर:
1. उद्देश्य एवं स्थान- 1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन, ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ। इसे पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है।

2. विशेषताएँ- (i) इस सम्मेलन में 170 देश, हजारों स्वयं सेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय निगमों ने भाग लिया। वैश्विक राजनीति के दायरे में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला।

(ii) इस सम्मेलन मे पाँच साल पहले (1987) अवर कॉमन फ्यूचर’ शीर्षक बर्टलैंड रिपोर्ट छपी थी। रिपोर्ट में चेताया गया था कि आर्थिक विकास के चालू तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे। विश्व के दक्षिणी हिस्से में औद्योगिक विकास की माँग ज्यादा प्रबल है और रिपोर्ट में इसी हवाले से चेतावनी दी गई थी।

(iii) रियो-सम्मेलन में यह बात खुलकर सामने आयी कि विश्व के धनी और विकसित देश यानी उत्तरी गोलार्द्ध तथा गरीब और विकासशील देश यानी दक्षिणी गोलार्द्ध पर्यावरण के अलग-अलग अजेंडे के पैरोकार हैं। उत्तरी देशों की मुख्य चिंता ओजोन परत की छे और वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) को लेकर थी। दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे।

(iv) रियो-सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन जैव-विविधता और वानिकी के संबंध में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए । इसमें ‘एजेंडा-21’ के रूप में विकास के कुछ तौर-तरीके भी सुझाए गए लेकिन इसके बाद भी आपसी अंतर और कठिनाइयाँ बनी रहीं।

(v) सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि आर्थिक वृद्धि से पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे इसे ‘टिकाऊ विकास’ का तरीका कहा गया लेकिन समस्या यह थी कि ‘टिकाऊ विकास’ पर अमल कैसे किया जाएगा। कुछ आलोचकों का कहना है कि ‘एजेंड-21’ का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर है।

प्रश्न 11.
विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है ? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है ?
उत्तर:
(i) विश्व की साझी विरासत का अर्थ- साझी संपदा वह संसाधन है जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का हक होता है। यह साझा चूल्हा, साझा चारागाह, साझा मैदान साझा कुआँ या नदी कुछ भी हो सकता है। इसी तरह विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं। इसीलिए उनका प्रबंधन साझे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इन्हें ‘वैश्विक संपदा’ या ‘मानवता की साझी विरासत’ कहा जाता है। इसमें पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष शामिल हैं।

(ii) दोहन और प्रदूषण-
1. ‘वैश्विक संपदा’ की सुरक्षा के सवाल पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कायम करना टेढ़ी खीर है। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण समझौते जैसे अंटार्कटिका संधि (1959), मांट्रियल न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1987) और अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1991) हो चुके हैं। पारिस्थितिकी से जुड़े हर मसले के साथ एक बड़ी समस्या यह जुड़ी है कि अनुष्ट वैज्ञानिक साक्ष्यों और समय-सीमा को लेकर मतभेद पैदा होते हैं। ऐसे में एक सर्व-सामान्य पर्यावरणीय एजेंडा पर सहमति कायम करना मुश्किल होता है।

2. इस अर्थ में 1980 के दशक के मध्य में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छेद की खोज एक आँख खोल देनेवाली घटना है।

3. ठीक इसी तरह वैश्विक संपदा के रूप में बारी अंतरिक्ष के इतिहास से भी पता चलता है कि इस क्षेत्र में प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहाँ भी महत्वपूर्ण मसला प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास का है यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो दोहन-कार्य हो रहे हैं उनके फायदे न तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर हैं और न आगे की पीढ़ियों के लिए।

प्रश्न 12.
विदेशी संबंध के विषय में संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों के अन्तर्गत अनुच्छेद 51 में क्या कहा है। संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में ‘अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बढ़ावे’ के लिए राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत के हवाले (संदर्भ से) कहा गया है कि राज्य-

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का,
  • राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का,
  • संगठित लोगों के एक-दूसरे से व्यवहार में अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का, और
  • अंतर्राष्ट्रीय विवादों को पारस्परिक बातचीत द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का प्रयास करेगा।

प्रश्न 13.
प्रथम एफ्रो एशियाई एकता सम्मेलन कहाँ, कब हुआ? इसकी कुछ विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
एफ्रो एशियाई एकता सम्मेलन इंडोनेशिया के एक बड़े शहर बांडुग में 1955 में हुआ।
विशेषताएँ (Features)-

  • आमतौर पर इसे बांडुग सम्मेलन के नाम से जाना जाता है।
  • इस सम्मेलन में गुट-निरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने इंडोनेशिया से नस्लवाद खासकर दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद का विरोध किया।

प्रश्न 14.
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में हुआ। उन्होंने 1930 ई० से स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी की और उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री रहे। उन्होंने काँग्रेस पार्टी के महासचिव का पदभार संभाला। वे 1951-56 तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर रहे। इसी दौरान रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने रेलमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। 1957-64 ई० के बीच भी वे मंत्री पद पर रहे। उन्होंने जय-जवान, जय किसान का मशहूर नारा दिया था।

प्रश्न 15.
1977 के चुनाव के बाद प्रथम बार केन्द्र में विपक्षी दल की सरकार बनी इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर:
स्वंतत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कांग्रेस पार्टी ने सरकार का निर्माण किया और सत्तारूढ़ दल के रूप में 30 वर्षों तक केन्द्र में कांग्रेस का ही शासन चलता रहा। इसका कारण यह था कि भारत में संगठित और शक्तिशाली कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए एक सशक्त विरोधी दल का अभाव था। 25 जून, 1975 को सत्तारुढ़ इंदिरा सरकार द्वारा देश में आपात्काल की उद्घोषणा की गई और प्रायः सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को गिरफ्तार या नजरबंद कर लिया गया।

जनता पार्टी की स्थापना आपात्कालीन स्थिति के दौरान ही हो चुकी थी, लेकिन इसकी विधिवत स्थापना 1 मई, 1977 को हुई जब जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, ‘संगठन कांग्रेस, प्रजातांत्रिक कांग्रेस इत्यादि ने अपने पुराने स्वरूप को त्याग दिया। इन दलों ने जनता पार्टी में अपनी आस्था व्यक्त की। कृपलानी तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण का आशीर्वाद पाकर केन्द्र में जनता पार्टी ने मोरारजी देसाई के नेतृत्व में 28 जुलाई, 1979 तक अपना शासन किया। जनता पार्टी की सरकार बनने के जिम्मेवार कारण निम्नलिखित थे-

1. जयप्रकाश के नेतृत्व में बिहार आंदोलन,
2. इलाहाबाद हाई कोर्ट का इंदिरा गांधी के विरुद्ध निर्णय,
3. 25 जून, 1975 को राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा।

  • जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, राजनारायण, लालकृष्ण आडवानी, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी,
  • नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध, परिवार नियोजन संबधी ज्यादतियाँ,
  • रेडियो, समाचार-पत्र और दूरदर्शन पर प्रतिबंध,
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता की समाप्ति,
  • संजय गांधी की तानाशाही।

4. 42वाँ सांविधानिक संशोधन।

प्रश्न 16.
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था। उस पर समस्त विश्व के नेतृत्व का उत्तरदायित्व था। दूसरा शक्तिशाली देश सोवियत रूस था जो अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवादी क्रांति का कार्य करता था। पश्चिमी यूरोप के देश शक्तिशून्य हो चुके थे। अफ्रीका और एशिया के देशों में आर्थिक दरिद्रता छाई हुई थी। इन देशों में साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी विदेश नीति को साम्यवाद के प्रसार की रोक पर आधारित बनाया।

प्रश्न 17.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों या उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. संक्षिप्त परिचय (A brief Introduction)- लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) का जन्म 1902 में हुआ था। वे गाँधीवादी विचारधारा के साथ-साथ समाजवाद तथा मार्क्सवाद से प्रभावित थे। वस्तुतः वे युवावस्था में मार्क्सवादी थे। उन्होंने स्वराज्य के संघर्ष के दिनों में काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी एवं कालांतर में सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। वे इस दल के महासचिव (general secretary) के पक्षधर रहे।

2. प्रमुख कार्य एवं उपलब्धियाँ (Main works and achievements)- सन् 1942 में गाँधीजी द्वारा छेड़े भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) के महानायक बन गए। उन्हें स्वतंत्रता के उपरांत जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया। उन्होंने विनोबा भावे के भूआंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उन्हें कई बार देश के राष्ट्रपति तथा नेहरू मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कहा गया लेकिन उनहोंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। वे निस्वार्थी महान् नेता थे। उन्होंने 1955 में सक्रिय राजनीति छोड़ दी। वे गाँधीवादी होकर भूदान आंदोलन में बहुत ही सक्रिय हो गए। वे वस्तुतः लोक नायक थे। उन्होंने नागा विद्रोहियों से सरकार की ओर से सुलह की बातचीत की। उन्होंने कश्मीर में शांति प्रयास किए।

उन्होंने चंबल (घाटी) के डकैतों से सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कराया। उन्होंने सन् 1970 के बाद लाए गए बिहार आंदोलन का नेतृत्व स्वीकार किया। वे अधिकांश विरोधी राजनीतिक दलों को एक मंच पर इंदिरा गाँधी द्वारा लगाई गई (जून 1975) की आपातकाल के घोर विरोधी के प्रतीक बन गए थे। उन्होंने जनता पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई। सन् 1979 में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 18.
आंध्र प्रदेश में चले शराब विरोधी आंदोलन ने देश का ध्यान कुछ गंभीर मुद्दों की तरफ खींचा। ये मुद्दे क्या थे ?
उत्तर:
आंध्र प्रदेश में शराब-विरोधी आंदोलन द्वारा चलाए गए जिन गंभीर मुद्दों की तरफ ध्यान खींचा (Issue and item attention drawn by anti-liquor movement launched in Andhra Pradesh)- ताड़ी-विरोधी आंदोलन का नारा बहुत साधारण था- ‘ताड़ी की बिक्री बंद करो।’ लेकिन इस साधारण नारे ने क्षेत्र के व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों तथा महिलाओं के जीवन को गहरे प्रभावित किया।

(ii) ताड़ी व्यवसाय को लेकर अपराध एवं राजनीति के बीच एक गहरा नाता बन गया था। राज्य सरकार को ताड़ी की बिक्री से काफी राजस्व प्राप्ति होती थी इसलिए वह इस पर प्रतिबंध नहीं लगा रही थी।

(ii) स्थानीय महिलाओं के समूहों ने इस जटिल मुद्दे को अपने आंदोलन में उठाना शुरू किया। वे घरेलू हिंसा के मुद्दे पर भी खुले तौर पर चर्चा करने लगीं। आंदोलन ने पहली बार महिलाओं को घरेलू हिंसा जैसे निजी मुद्दों पर बोलने का मौका दिया।

(iv) ताड़ी-विरोधी आंदोलन महिला आन्दोलन, का एक हिस्सा बन गया। इससे पहले घरेलू हिंसा दहेज प्रथा, कार्यस्थल एवं सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ काम करने वाले महिला समूह आमतौर पर शहरी मध्यवर्गीय महिलाओं के बीच ही सक्रिय थे और यह बात पूरे देश पर लागू होती थी। महिला समूहों के इस सतत कार्य से यह समझदारी विकसित होनी शुरू हुई कि औरतों पर होने वाले अत्याचार और लैंगिक भेदभाव का मामला खासा जटिल है।।

(v) आठवें दशक के दौरान महिला आंदोलन परिवार के अंदर और उसके बाहर होने वाली यौन हिंसा के मुद्दों पर केंद्रित रहा। इन समूहों ने दहेज प्रथा के खिलाफ मुहिम चलाई और लैंगिक समानता के सिद्धांत पर आधारित व्यक्तिगत एवं संपत्ति कानूनों की माँग की।

(vi) इस तरह के अभियानों ने महिलाओं के मुद्दों के प्रति समाज में व्यापक जागरूकता पैदा की। धीरे-धीरे महिला आंदोलन कानूनी सुधारों से हटकर सामाजिक टकराव के मुद्दों पर भी खुले तौर पर बात करने लगा।

(vii) नवें दशक तक आते-आते महिला आंदोलन समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात करने लगा था। आपको ज्ञात ही होगा कि संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के अंतर्गत महिलाओं को स्थानीय राजनीतिक निकायों में आरक्षण दिया गया है।

प्रश्न 19.
“ऑपरेशन विजय” का वर्णन कीजिए तथा उसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
पुर्तगालियों ने जब किसी भी तरह से भारतीय की प्रार्थना की, आपसी बातचीत को गोवा को छोडने के लिए नहीं माना और उसने गलतफहमी में राष्ट्रवादियों और देशप्रेमियों पर हमले करने शुरू कर दिए। सैंकड़ों लोगों को पुर्तगाली पुलिस ने जब अपना निशाना बनाया तो भारत ने गोवा की आजादी के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ (Operation Vijay) नामक सैनिक कार्यवाही की ताकि गोवा के साथ-साथ गोवा और दमन दीव को अत्याचारी शासन से छुड़ाया जा सके।

ऑपरेशन विजय नामक कार्यवाही 17-18 दिसंबर, 1961 को शुरू की गई। इस कार्यवाही के कमांडर जनरल जे. एन. चौधरी थे। दोपहर के 2 बजकर 25 मिनट पर 19 दिसंबर, 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ नामक कार्यवाही समाप्त हो गई।

यह कार्यवाही भारतीय स्वतंत्रता को पूर्ण करने वाली कार्यवाही थी। गोवा, दमन, दीव हवेली आदि में भारत का तिरंगा फहराया गया। निःसंदेह गोवा की स्वतंत्रता ने भारतीयों का स्वाभिमान बढ़ाया और उन्हें सुशोभित किया। वे भारत के अंग बन गए। भारत की भूमि से विदेशियों की अनाधिकृत उपस्थिति और वर्चस्व पूर्णतया समाप्त हो गया।

प्रश्न 20.
गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा सन् 1987 में किस तरह प्राप्त हुआ ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
दिसंबर 1961 में पुर्तगाल से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाला गोवा एवं भारत संघ में शामिल हुए गोवा संघ प्रदेश में शीघ्र एक और समस्या उठ खड़ी हुई। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के नेतृत्व में एक तबके ने माँग रखी कि गोवा को महाराष्ट्र में मिला दिया जाए क्योंकि यह मराठी भाषी क्षेत्र है। बहरहाल, बहुत से गोवावासी गोवानी पहचान और संस्कृति को स्वतंत्र अहमियत बनाए रखना चाहते थे। कोंकणी भाषा के लिए भी इनके मन में आग्रह था। इस तबके का नेतृत्व यूनाइटेड गोअन पार्टी ने किया। 1967 की जनवरी में केंद्र सरकार ने गोवा में एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया।

इसमें गोवा के लोगों से पूछा गया कि आप लोग महाराष्ट्र में शामिल होना चाहते हैं अथवा अलग बने रहना चाहते हैं। भारत में यही एकमात्र अवसर था जब किसी मसले पर सरकार ने जनता की इच्छा को जानने के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रक्रिया अपनायी थी। अधिकांश लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डालो। इस तरह गोवा संघशासित प्रदेश बना रहा। अंत: 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य : बना।

प्रश्न 21.
1986 से किन नागरिक मसलों ने भारतीय जनता पार्टी को सुदृढ़ता प्रदान की ?
अथवा, शाहबानों मामला क्या था ? इस पर भारतीय जनता पार्टी ने काँग्रेस विरोधी क्या रुख अपनाया?
उत्तर:
(i) 1986 में ऐसी दो बातें हुईं जो एक हिन्दूवादी पार्टी के रूप में भाजपा की राजनीति के लिहाज से प्रधान हो गईं। इसमें पहली बात 1985 के शाहबानों मामले से जुड़ी है। यह मामला एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानों का था। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में अर्जी दायर की थी।

(ii) सर्वोच्च अदालत ने शाहबानों के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक से जुड़े अधिकारों) अधिनियम (1986) पास किया। इस अधिनियम के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया।

(iii) सरकार के इस कदम का कई महिला संगठन, मुस्लिम महिलाओं की जमात तथा अधिकांश बुद्धिजीवियों ने विरोध किया। भाजपा ने काँग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टिकरण’ करार दिया।

प्रश्न 22.
वी० डी० सावरकर कौन था ? उन्होंने हिंदुत्व के महत्त्व की किन शब्दों में व्याख्या की?
उत्तर:
1. परिचय (Introduction)- वी० डी० सावरकर भारत के महान् स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश के भीतर और देश के बाहर क्रांतिकारियों से मिलकर देश की आजादी में भाग लिया। 1 जून, 1909 को उन्हीं के एक घनिष्ठ मित्र और साथी मदन लाल धींगड़ा ने लंदन में उस. अंग्रेज अधिकारी (यानी सर विलियम कर्जन) की हत्या कर दी, जो अनेक निर्दोष लोगों की भारत में हत्याओं के लिए जिम्मेवार था वी० डी० सावरकर को कुछ समय बाद (अप्रैल 1910) कैद कर लिया गया और भारत जहाज पर बिठा कर भेज दिया गया। उन्होंने विदेशी सरकार को चकमा देकर जहाज से कूदकर समुद्र पार किया। वह उस समुद्र तट पर पहुँच गए जो उस समय फ्रांसीसियों के कब्जे में था। उन्होंने अपनी पुस्तक में 1857 के विप्लव को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी।

2. हिंदुत्व और उसकी व्याख्या (Hinduism and its explanation)- (i) ‘हिंदुत्व’ अथवा ‘हिन्दपन’ शब्द को वी० डी० सावरकर ने गढा (coined) था और इसको परिभाषित (defined) करते हुए उन्होंने इसे भारतीय (और उनके शब्दों में हिन्दू) राष्ट्र की बुनियाद (नीव) बताया। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है जो भारतभूमि को न सिर्फ ‘पितृभूमि’ बल्कि अपनी ‘पुण्यभूमि’ भी स्वीकार करे।

(ii) हिंदुत्व के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत राष्ट्र सिर्फ स्वीकृत राष्ट्रीय संस्कृति की बुनियाद पर ही बनाया जा सकता है। वे यह भी मानते हैं कि भारत के संदर्भ में राष्ट्रीयता की बुनियाद केवल हिन्दू संस्कृति (जो बहुत उदार एवं जिसकी पाचन शक्ति अद्भुत है) ही हो सकती है।

प्रश्न 23.
कारगिल की लड़ाई पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कारगिल की लड़ाई-
1. 1999 के शुरुआती महीनों में भारतीय क्षेत्र की नियंत्रण सीमा रेखा के कई ठिकानों जैसे द्रास, माश्कोह, काकसर और बतालिक पर अपने को मुजाहिद्दीन बताने वालों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान सेना की इसमें मिलीभगत भाँप कर भारतीय सेना इस कब्जे के खिलाफ हरकत में आई। इससे दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया। इसे ‘कारगिल की लड़ाई’ के नाम से जाना जाता है।

2. 1999 के मई-जून में यह लड़ाई जारी रही। 26 जुलाई 1999 तक भारत अपने अधिकतर ठिकानों पर पुनः अधिकार कर चुका था। कारगिल की लड़ाई ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था क्योंकि इससे ठीक एक साल पहले दोनों देश परमाणु हथियार बनाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुके थे।

3. जो भी हो यह लड़ाई सिर्फ कारगिल के क्षेत्र तक की सीमित रही। पाकिस्तान में इस लड़ाई को लेकर बहुत विवाद मचा। कहा गया कि सेना के प्रमुख ने प्रधानमंत्री को इस मामले में अँधेरे में रखा था। इस लड़ाई के तुरंत बाद पाकिस्तान की हुकूमत पर जनरल परवेज मुशर्रफ की अगुआई में पाकिस्तान सेना ने नियंत्रण कर लिया।

प्रश्न 24.
भारत और विश्व शांति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत की विदेश नीति का प्रमुख उद्देश्य विश्व में शांति की स्थापना करना है। जवाहर लाल नेहरू ने 1949 में कहा था कि, “भारतीय विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य पंचशील शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, निरस्त्रीकरण, मानव अधिकारों का समर्थन आदि हैं । भारत ने 1947 से 1989 तक विश्व की दो महाशक्तियों के बीच शीत युद्ध समाप्त करवाने के लिए हमेशा प्रयत्न किया। उपनिवेशों के स्वतंत्र आंदोलन का समर्थन किया। भारत हमेशा से विश्व शांति के प्रयास करता रहता है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जानेवाली शांति स्थापना के लिए सैनिक कार्यवाही में अपना सहयोग दिया है। भारत ने इस उद्देश्य के लिए कई देशों में अपनी सेनाएँ भेजी हैं। उदाहरण के लिए, 1950 में कोरिया के युद्ध में भारत ने चिकित्सा शिष्टमंडल भेजा था। इसी प्रकार कांगो में (1960-64), साप्रस (1964) मिश्र तथा गाजा में (1956) तथा अन्य राज्यों में भी संयुक्त राष्ट्र की प्रार्थना पर शांति स्थापना के लिए सैनिक टुकड़ियाँ भेजी हैं।

प्रश्न 25.
‘क्षेत्रीय आकांक्षाओं के प्रति भारत सरकार का नजरिया’ विषय पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा, क्षेत्रवाद के प्रति भारत सरकार के दृष्टिकोण पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय आकांक्षाओं अथवा क्षेत्रवाद के प्रति भारत सरकार का नजरिया या दृष्टिकोण (Outlook of Government of India about Regional Aspiration or Regionalism)- भारत ने विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण अपनाया। लोकतंत्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की राजनीतिक अभिव्यक्ति की अनुमति है और लोकतंत्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र विरोधी नहीं मानता। इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक राजनीति में इस बात के पूरे अवसर होते हैं कि विभिन्न दल और समूह क्षेत्रीय पहचान आकांक्षा अथवा किसी खास क्षेत्रीय समस्या का आधार बनाकर लोगों की भावनाओं को नुमाइंदगी करे। इस तरह लोकतांत्रिक राजनीति की प्रक्रिया में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और बलवती होती हैं।

साथ ही लोकतांत्रिक का एक अर्थ यह भी है कि क्षेत्रीय मुद्दों और समस्याओं पर नीति निर्माण की प्रक्रिया में समुचित ध्यान दिया जाएगा और उन्हें इसमें भागीदारी दी जाएगी। ऐसी व्यवस्था में कभी-कभी तनाव या परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। कभी ऐसा भी हो सकता है कि राष्ट्रीय एकता के सरोकार क्षेत्रीय आकांक्षाओं और जरूरतों पर भारी पड़े। कोई व्यक्ति ऐसा भी हो सकता है कि हम क्षेत्रीय सरोकारों के कारण राष्ट्र की वृहत्तर आवश्यकताओं से आँखें मूंद लें। जो राष्ट्र चाहते हैं कि विविधताओं का सम्मान हो साथ ही राष्ट्र की एकता भी बनी रहे। वहाँ क्षेत्रों की ताकतें, उनके अधिकार और अलग अस्तित्व के मामले पर राजनीतिक संघर्ष का होना एक आम बात है।

प्रश्न 26.
गुजरात के मुस्लिम विरोधी दंगे, 2002 पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
पृष्ठभूमि (Background)- कहा जाता है गोधरा (गुजरात) रेलवे स्टेशन पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी इस हिंसा का तात्कालिक उकसाना बहुत ही हानिकारक और दुखदायी साबित हुआ। अयोध्या (उत्तर प्रदेश) की ओर से आ रही एक रेलगाड़ी की बोगी कार सेवकों से भरी हुई थी और न जाने किस कारण से उसमें आग लग गई।

इस आग की दुर्घटना में 57 व्यक्ति जीवित जलकर मर गए। कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि गोधरा के खड़े रेल के डिब्बे में आग मुसलमानों ने लगायी होगी अथवा लगवाई होगी।

अफवाहें बड़ी खतरनाक और हानिकारक होती है। गोधरा की दुर्घटना से जुड़ी-अफवाह जंगल की आग की तरह संपूर्ण गुजरात में फैल गई। अनेक भागों में मुसलमानों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा का यह तांडव लगभग एक महीने तक चलता रहा। लगभग 1100 व्यक्ति इस हिंसा में मारे गए।

मुसलमानों के विरुद्ध हुए दंगों को रोकने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पीड़ित भुक्तभोगियों के परिजनों को राहत देने और दोषी दंगाईयों को तुरंत कानून के हवाले करने एवं पर्याप्त दंड देने के लिए कहा गया। आयोग का यह कहना था पुलिस और सरकारी मशीनरी ने अपने राजधर्म का निर्वाह नहीं किया है सरकार ने अनेक लोगों को राहत दी है। अनेक लोगों पर मुकदमें चल रहे हैं लेकिन यह मानना पड़ेगा कि आतंकवाद और साम्प्रदायिकता के कारण दंगे करना या कराना हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था (System) के किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है।

प्रश्न 27.
सामाजिक अधिकारों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
इनमें मुख्य रूप से ये अधिकार शामिल हैं-

  • विवाह करने और घर बसाने का अधिकार।
  • कुटुम्ब समाज की प्राथमिक इकाई है, जिसे राज्य और समाज का पूर्ण संरक्षण मिले।
  • शिक्षा का अधिकार-कम-से-कम प्राथमिक स्तर पर शिक्षा निःशुल्क होगी। शिक्षा का लक्ष्य मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानव अधिकारों के प्रति सम्मान की भावना जगाना है।

प्रश्न 28.
“भारत की विदेश नीति जातिवाद व रंगभेद का विरोध करती है।” स्पष्ट करें।
उत्तर:
जातिवाद व रंगभेद-भारत की विदेश नीति की एक प्रमुख विशेषता जाति भेद वरंगभेद का विरोध है। भारत ने संप ही जातिभेद व रंगभेद का विरोध किया है। यूरोप के श्वेत जातियों ने अन्य जातियों के साथ दुर्व्यवहार किया है। उन्हें हेय समझा है। उन्हें हीन बताकर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया है। भारत में भी अंग्रेजों ने भारतीयों के साथ बड़े अत्याचार किये थे। भारत ने स्वतंत्र होने के पश्चात् अफ्रीका के अश्वेत लोगों के साथ यूरोप की श्वेत जातियों द्वारा किये जानेवाले भेदभाव का कड़ा विरोध किया।

रोडेशिया (जिम्वाब्बे) तथा दक्षिण अफ्रीका के गोरे शासन की नीतियों का भारत ने खुलकर निरंतर विरोध किया और अफ्रीकी जनता के स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग दिया है। इतना ही नहीं अफ्रीकी देशों में और विशेषत: दक्षिण अफ्रीका में गोरी अल्पसंख्यक सरकार ही अश्वेतों के विरुद्ध रंगभेद नीति के संबंध में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ से कठोर रुख अपनाने का आग्रह किया। भारत के प्रयासों के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र ने रंगभेद की नीति के विरुद्ध अनेक प्रस्ताव पारित किए हैं।

प्रश्न 29.
संयुक्त राष्ट्र संघ के पुनर्गठन के सुधार संबंधी सुझावों को लागू करने में जो कठिनाइयाँ आती हैं उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
(i) यू० एन० ओ० के जो देश अब भी सदस्य नहीं हैं उन्हें सदस्य बनने के लिए राजी किया जाए। चीन, तिब्बत और ताइवान को स्वतंत्र सदस्यता दिये जाने का विरोध करता है जबकि अनेक सदस्य उसका समर्थन करते हैं।

(ii) सभी सदस्यों को एक मत देने का अधिकार होना चाहिए और वह व्यक्तिगत तौर पर गुप्त मतदान के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए। सभी निर्णय महासभा में बहुमत से होने चाहिए। बड़ी शक्तियाँ अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी हेकड़ी या वर्चस्व बनाये रखने के लिए इसकी अनुमति नहीं देती हैं।

(iii) सुरक्षा परिषद में पाँच की बजाय पंद्रह स्थायी सदस्य हों और वीटों का अधिकार समाप्त हो। यह सदस्यता विश्व के प्रमुख 50 राष्ट्रों को क्रमानुसार नम्बर दे दी जानी चाहिए, ऐसा पाँचों स्थायी सदस्य नहीं होने देना चाहते।

(iv) बदले हुए विश्व वातावरण में भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका को स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए।

(v) पर्यावरण की समस्याओं, जनाधिक्य की समस्याओं, आतंकवाद की समस्याओं, परमाणु अस्त्र-शस्त्र को समाप्त करने के मामले में सभी संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को पूरा सहयोग करना चाहिए।

प्रश्न 30.
सामाजिक अधिकारों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
इनमें मुख्य रुप से ये अधिकार शामिल हैं-

  • विवाह करने और घर बसाने का अधिकार।
  • कुटुम्ब समाज की प्राथमिक इकाई है, जिसे राज्य और समाज का पूर्ण संरक्षण मिले।
  • शिक्षा का अधिकार-कम-से-कम प्राथमिक स्तर पर शिक्षा निःशुल्क होगी। शिक्षा का लक्ष्यमानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानव अधिकारों के प्रति सम्मान की भावना जगाना है।

प्रश्न 31.
मानव अधिकारों में सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक मनुष्य को समाज में सांस्कृतिक जीवन में मुख्य रूप से भाग लेने, कलाओं का आनंद लेने और वैज्ञानिक प्रगति के फायदों में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार है।

घोषणा-पत्र के अंत में यह भी कहा गया है कि “प्रत्येक व्यक्ति का उस समुदाय के प्रति कर्तव्य है, जिसमें रसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास संभव है” नैतिकता सार्वजनिक व्यवस्था और जनकल्याण की दृष्टि में इन स्वतंत्रताओं के प्रयोग पर मर्यादाएँ लगाई जाएंगी।

प्रश्न 32.
वैश्विक तापवृद्धि विश्व में किस प्रकार खतरा उत्पन्न करता है ?
उत्तर:
वैश्विक ताप वृद्धि विश्व के अनेक भागों में भौगोलिक खतरों को उत्पन्न करता है।

उदाहरण- वैश्विक तापवृद्धि से अगर समुद्रतल 1.5-2.0 मीटर ऊँचा उठता है तो बांग्लादेश का 20 प्रतिशत हिस्सा डूब जाएगा; कमोबेश पूरा मालदीव सागर में समा जाएगा और थाइलैंड की 50 फीसदी आबादी को खतरा पहुँचेगा।

प्रश्न 33.
काका कालेलकर की अध्यक्षता में नियुक्त गठित आयोग संविधान की किसी धारा के अंतर्गत नियुक्त किया गया ? इस आयोग की सिफारिशों को क्यों नहीं स्वीकृत किया गया?
उत्तर:
काका कालेलकर आयोग की नियुक्ति (Appointment of Kaka Kalelkar Commission)- भारतीय संविधान की धारा 340 (1) के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रपति ने काका कालेलकर की अध ध्यक्षता में 1953 में आयोग गठित किया। इस आयोग का गठन सामाजिक तथा शैक्षणिक दष्टि से पिछड़े वर्गों की स्थिति को सुधारने हेतु और उन कठिनाइयों को दूर करने के लिए आवश्यक दिशा में कदम उठाने हेतु, सुझाव देने हेतु की गई थी।

काका कालेलकर की सिफारिशों को अस्वीकृति (Non-acceptance of suggestion of Kaka Kalelkar Commission)- काका कालेलकर आयोग ने मार्च 1955 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आयोजन ने 2399 जातियों को पिछड़ी जातियों की श्रेणी में रखा परंतु इस आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि इस आयोग ने उनके विकास के लिए किसी रियायत की सिफारिश नहीं की थी, क्योंकि कालेलकर स्वयं लोक सेवाओं में किसी भी समुदाय के लिए रियायत के विरुद्ध इस आधार पर था कि ‘सेवाएँ नौकरों के लिए नहीं परंतु समाज के लिए है।’ (Services are not for the servants but for the services of the entire society)

प्रश्न 34.
ज्योतिराव फूले पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ज्योतिराव फूले (1827-1890) : ज्योतिराव गोविंदराव फूले को ज्योतिबा फूले के नाम से जाना जाता था। ये पश्चिमी भारत के एक महान् समाज सुधारक थे। ये निम्न माली जाति से संबंध रखते थे। इनके पूर्वज फूल-मालाओं का व्यापार करते थे। ये बाल्यकाल से ही चिंतनशील थे एवं इनकी शिक्षा स्कॉटिश मिशन स्कूल में हुई थी। जयोतिबा फूले तत्कालीन भारतीय समाज की कुरीतियों को
दूर करने हेतु जीवन भर संघर्ष करते रहे एवं नारी को समाज में उच्च स्थान दिलाने हेतु आजीवन प्रयत्नशील रहे। इनकी 28 नवंबर, 1890 को मृत्यु हो गई।

प्रश्न 35.
महिला सशक्तिकरण की राष्ट्रीय नीति 2001 के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
2001 में भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए एक राष्ट्रीय नीति घोषित की। दृप्त नीति के मुख्य उद्देश्य अग्रलिखित हैं :

1. सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक नीतियों द्वारा ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें महिलाओं का अपनी पूर्व क्षमता को पहचानने का मौका मिले और उनका पूर्ण विकास हो।

2. महिलाओं द्वारा पुरुषों की भाँति राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक सभी क्षेत्रों में समान स्तर पर भी मानवीय अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का कानूनी और वास्तविक उपभोग।

3. स्वास्थ्य देखभाल, प्रत्येक स्तर पर उन्नत शिक्षा, जीविका एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन रोजगार, समान पारिश्रमिक, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक पदों आदि में महिलाओं को समान सुविधाएँ।

4. न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाकर महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन राष्ट्रीय नीति के अनुसार, केंद्रीय तथा राज्य मंत्रालयों को केंद्रीय, राज्य स्तरीय महिला एवं शिशु कल्याण विभागों और राष्ट्रीय एवं राज्य महिला आयोगों के साथ सहभागिता के माध्यम से विचार-विमर्श करके नीति को ठोस कार्यवाही में परिणत करने के लिए समयबद्ध कार्य योजना बनानी होगी।

प्रश्न 36.
किन्हीं पाँच मानव अधिकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव अधिकारों के घोषणा-पत्र में 20 मानव अधिकारों की सूची सम्मिलित है जिनमें से कुछ महत्वपुर्ण अधिकार निम्नलिखित हैं-

  1. जीवन की सुरक्षा व स्वतंत्रता का अधिकार।
  2. दासता व बंधुआ मजदूरी से स्वतंत्रता का अधिकार।
  3. स्वतंत्र न्यायपालिका से न्याय प्राप्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार।
  4. विवाह करने व पारिवारिक जीवन का अधिकार।
  5. कहीं भी आने-जाने व घूमने फिरने की स्वतंत्रता का अधिकार।
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