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 Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्त्व

Bihar Board Class 12 Chemistry p-ब्लॉक के तत्त्व Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 7.1
P, As, Sb तथा Bi ट्राइहैलाइडों से पेन्टाहैलाइड अधिक सह-संयोजी क्यों होते हैं?
उत्तर:
चूँकि पेन्टाहैलाइडों में केन्द्रीय परमाणु +5 ऑक्सीकरण अवस्था में होता है, जबकि ट्राइहैलाइडों में यह +3 ऑक्सीकरण अवस्था में होता है; अत: ट्राइहैलाइडों से पेन्टहैलाइड अधिक सहसंयोजी होते हैं।

प्रश्न 7.2
वर्ग 15 के तत्त्वों के हाइड्राइडों में BiHg सबसे प्रबल अपचायक क्यों है?
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्त्वों के हाइड्राइडों में BiH3 के प्रबल अपचायक है क्योंकि इस वर्ग के हाइड्राइडों में BiH3 सबसे कम स्थायी होता है।

प्रश्न 7.3
N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है?
उत्तर:
चूँकि प्रबल pπ – pπ अतिव्यापन के फलस्वरूप बनता है, अत: N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील है।

प्रश्न 7.4
अमोनिया की लब्धि को बढ़ाने के लिए आवश्यक स्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इसकी लब्धि बढ़ाने के लिए, ला-शातेलिए सिद्धान्त के अनुसार, आवश्यक स्थितियाँ निम्न प्रकार हैं –

  1. तापमान = 700 K,
  2. 200 × 105 Pa (लगभग 200 वायुमण्डलीय उच्च दाब)
  3. K2O तथा Al2O3 मिश्रित आयरन ऑक्साइड उत्प्रेरक हैं।

प्रश्न 7.5
Cu2+ विलयन के साथ अमोनिया कैसे क्रिया करती है?
उत्तर:
Cu2+ आयन अमोनिया से क्रिया करके गहरे नीले रंग का संकुचन बनाता है।

प्रश्न 7.6
N2O5 में नाइट्रोजन की सहसंयोजकता क्या है?
उत्तर:
N2O5 में, प्रत्येक नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों के चार सहभाजित युग्म हैं जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया हैं:


अत: N2O5 में N की संयोजकता 4 है।

प्रश्न 7.7
PH3 से PH+4 का आबन्ध कोण अधिक है। क्यों?
उत्तर:
PH3 से आबन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म तथा P – H बन्ध युग्म के बीच प्रतिकर्षण बल के कारण H – P – H कोण कम हो जाता है जबकि PH+4 में आबन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म H+ के साथ बन्ध बनाने में भाग लेता है। इस के कारण चारों P – H बन्ध तुल्य हो जाते हैं। चूँकि PH+4 अणुओं में sp3 संकरित हैं, अतः इसकी आकृति चतुष्फलकीय होती है तथा H – P – H कोण 1099.5° होता है, अत: PH3 से PH+4 का आबन्ध कोण अधिक होता है।

प्रश्न 7.8
क्या होता है जब श्वेत फॉस्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सान्द्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करते हैं?
उत्तर:
श्वेत फॉस्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सान्द्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करने पर फॉस्फीन बनती है।

प्रश्न 7.9
क्या होता है जब PCl5 को गर्म करते हैं?
उत्तर:
गर्म करने पर यह ऊर्ध्वपातित होता है परन्तु अधिक गर्म करने पर वियोजित हो फॉस्फोरस ट्राइ क्लोराइड तथा क्लोरीन बनाते हैं।

प्रश्न 7.10
PCl5 की भारी पानी में जल अपघटन अभिक्रिया का संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
फॉस्फोरस ऑक्सी-क्लोराइड तथा ड्यूटेरियम क्लोराइड बनते हैं।


प्रश्न 7.11
H3PO4 की क्षारकता क्या है?
उत्तर:
चूंकि H3PO4 अणु में तीन -OH समूह उपस्थित होते हैं, अत: इसकी क्षारकता 3 है।

प्रश्न 7.12
क्या होता है जब H3PO4 को गर्म करते हैं।
उत्तर:
H3PO4 के गर्म करने पर असमानुपातित होकर फॉस्फोरिक अम्ल तथा फॉस्फीन बनते हैं।

प्रश्न 7.13
सल्फर के महत्त्वपूर्ण स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त अवस्था में सल्फर निम्नलिखित में मिलती हैं –

1. सल्फाइड, जैसे:
जिंक ब्लैंड (ZnS), गैलेना (PbS), कॉपर पाइराइटीज (CuFeS2)

2. सल्फेट, जैसे:
जिप्सम (CaSO4.2H2O), बेराइटस (BaSO4) तथा एप्सम लवण (MgSO4.7H2O)

प्रश्न 7.14
वर्ग 16 तत्त्वों के हाइड्राइडों का तापीय स्थायित्व का क्रम लिखिए।
उत्तर:
चूँकि तत्त्वों के आकार वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ते हैं, अत: E – H बन्ध वियोजन ऊर्जा घटती है और यह बन्ध सरलता से टूट जाते हैं। अतः वर्ग 16 तत्त्वों के हाइड्राइडों का तापीय स्थायित्व वर्ग में नीचे जाने पर घटता है। अतः हाइड्राइडों के तापीय स्थायित्व का क्रम निम्न प्रकार है –
H2O > H2S > H2Se > H2 Te > H2Po

प्रश्न 7.15
H2O द्रव तथा H2S गैस है क्यों?
उत्तर:
H2O अणुओं के मध्य अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध होने के कारण उन का संगुणन हो जाता है, अत: H2O द्रव है जबकि H2S के अणुओं के मध्य अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनता। अतः इनका संगुणन नहीं होता और H2S गैस है।

प्रश्न 7.16
निम्न में से कौन-सा तत्त्व ऑक्सीजन के साथ सीधा अभिक्रिया नहीं करता?
Zn, Ti, Pt, Fe
उत्तर:
चूँकि प्लेटिनम एक उत्कृष्ट धातु है; अत: यह ऑक्सीजन से सीधे से संयोग नहीं करती है। दूसरी ओर, Zn, Ti तथा Fe सक्रिय धातुएँ हैं अतः ये ऑक्सीजन से सीधे संयोग करके अपने-अपने ऑक्साइड बनाती हैं।

प्रश्न 7.17
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए।

  1. C2H4 + O2 →
  2. 4Al + 3O2 →

उत्तर:

प्रश्न 7.19
O3 का मात्रात्मक आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
जब ओजोन पोटैशियम आयोडाइड के आधिक्य से जिसे बोरेट बफर (pH 9.2) के साथ बफरीकृत करने पर अभिक्रिया करती है तो आयोडीन उत्पन्न होती है। इसे सोडियम थायोसल्फेट के मानक विलयन के साथ अनुमापित करते हैं। इस प्रकार O3 का मात्रात्मक आकलन किया जाता है।

प्रश्न 7.20
तब क्या होता है जब सल्फर डाइआक्साइड को Fe(III) लवण के जलीय विलयन में प्रवाहित करते हैं?
उत्तर:
चूँकि SO2 अपचायक की भाँति कार्य करती है, अतः यह आयन (III) लवण को आयरन (II) में अपचयित कर देती है।
2Fe3 + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + SO42- + 4H+

प्रश्न 7.21
S – O आबन्धों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं। क्या SO2 अणु के ये दोनों S – O आबन्ध समतुल्य हैं?
उत्तर:
चूँकि SO2 में बनने वाली S – O आबन्ध सहसंयोजक हैं; अतः अनुनादी संरचनाओं के कारण ये दोनों समान रूप से प्रबल हैं।

प्रश्न 7.22
SO2 की उपस्थिति का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
SO2 की उपस्थिति निम्न दो परीक्षणों से की जाती
1. यह गुलाबी-बैंगनी रंग के अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट (VII) विलयन को MnO4 के Mn2+ आयन में अपचयन के कारण रंगहीन कर देती है।

प्रश्न 7.23
उन तीन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनमें H2SO4 महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्तर:

  1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
  2. पेट्रोलियम के शोधन में।
  3. अपमार्जक उद्योग में।

प्रश्न 7.24
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को लिखिए।
उत्तर:
H2SO4 के उत्पादन में SO2 का O2 के साथ उत्पादन V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO3 प्राप्त होती है।
2SO2 (g) + O2 (g) ⇄ 2SO3 (g); ∆fH = -19.6 kJ mol-1 यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्पक्रमणीय है। अग्रगामी अभिक्रिया में आयतन में कमी आती है। अतः ताप तथा उच्च दाब मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ हैं। परन्तु ताप अत्यधिक कम नहीं होना चाहिए अन्यथा अभिक्रिया की दर कम हो जाएगी।

प्रश्न 7.25
जल में H2SO4 के लिए Ka2<<Ka1 क्यों है?
उत्तर:
H2SO4 एक द्विक्षारकीय अम्ल है, यह दो पदों में आयनित होता है, इसलिए इसके दो वियोजन स्थिरांक होते हैं।

  1. H2SO4 (aq) + H2O → H3O+ (aq) + HSO4 (aq); Ka1 >10
  2. HSO4 (aq) + H2O (l) → H3O+ (aq) + SO42- (aq); Ka2 = 1.2 × 10-2

Ka1 (>10) के अधिक मान से तात्पर्य यह है कि H2SO4 H3O+ तथा HSO4 में अधिक वियोजित होता है। मुख्यत: H3O+ और HSO4 में प्रथम आयनन के कारण H2SO4 जल में प्रबल अम्ल है। HSO4 का H3O+ तथा SO42- आयनन नगण्य है; अत: Ka2 << Ka1

प्रश्न 7.26
आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी जैसे प्राचलों को महत्त्व देते हुए F2 तथा Cl2 की आक्सीकारक क्षमता की तुलना कीजिए।
उत्तर:
आक्सीकारक क्षमता F2 से Cl2 तक घटती है। जलयी विलयन में हैलोजनों की आक्सीकारक क्षमता वर्ग में नीचे की ओर घटती है (F से Cl तक)। फ्लु ओरीन का इलेक्ट्रोड विभव (+ 2.87 V) क्लोरीन = 1.36 V) की तुलना में उच्च होता है, इसलिए F2 क्लोरीन की तुलना में प्रबल आक्सीकारक है। अब इलेक्ट्रोड विभव निम्नलिखित प्राचलों पर निर्भर करता है –


फ्लु ओरीन 158.8 kJ mol-1 -333 kJ mol-1 515 kJmol-1
क्लोरीन 242.6 kJ mol-1 – 349 kJ mol-1 381 kJmol-1
अतः F2 प्रबल ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 7.27
दो उदाहरणों द्वारा फ्लु ओरीन के असामान्य व्यवहार को दर्शाइए।
उत्तर:
फ्लु ओरीन का असामान्य व्यवहार:
लघु आकार, उच्च विद्युत ऋणात्मकता, निम्न F – F आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा इसके संयोजी कोश में d – कक्षकों की अनुपलब्धता के कारण होता है।
उदाहरण:

  1. यह एक ऑक्सीअम्ल बनती है जबकि दूसरे हैलोजेन कई में ऑक्सो-अम्लों का निर्माण करते हैं।
  2. हाइड्रोजन फ्लुओराइड प्रबल हाइड्रोजन बन्धों के कारण द्रव होता है जबकि अन्य हाइड्रोजन हैलाइड गैसीय होते हैं।

प्रश्न 7.28
समुद्र कुछ हैलोजनों का मुख्य स्रोत है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
समुद्री जल में मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम तथा पोटैशियम के क्लोराइड, ब्रोमाइड तथा आयोडाइड होते हैं। जिनमें सोडियम क्लोराइड (द्रव्यमान अनुसार 2.5%) हैं। समुद्री निक्षेपों में सोडियम क्लोराइड तथा कार्नेलाइट KCI.MgCl2.6H2O प्रमुख हैं। कुछ समुद्री जीवों के तन्त्र में आयोडीन होती है। कुछ समुद्री पादपों में 0.5% आयोडीन तथा चिली साल्टपीटर 0.2% सोडियम आयोडेट होता है।

प्रश्न 7.29
Cl2 की विरंजक क्रिया का कारण बताइए।
उत्तर:
Cl2 की विरंजक क्रिया आक्सीकरण के कारण होती है। नमी या जलीय विलयन की उपस्थिति Cl2 नवजात आक्सीजन देती है।


यह नवजात आक्सीजन नमी की उपस्थिति में वनस्पतियों अथवा कार्बनिक यौगिक का विरंजन करती है। Cl2 की विरंजन क्रिया स्थाई होती है।

प्रश्न 7.30
उन दो विषैली गैसों के नाम बताइए जो क्लोरीन गैस से बनाई जाती है।
उत्तर:
फॉस्जीन (COCl2) तथा मस्टर्ड गैस (ClCH2SCH2CH2Cl)।

प्रश्न 7.31
I2 से ICI अधिक क्रियाशील क्यों हैं?
उत्तर:
चूँकि I – I आबन्ध से I – Cl आबन्ध दुर्बल होता है। ICl सरलता से टूटकर हैलोजेन परमाणु बनाता है जो तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं। अतः I से ICl अधिक क्रियाशील होता है।

प्रश्न 7.32
हीलियम को गोताखोरी के उपकरणों में उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
आधुनिक गोताखोरी के उपकरणों में हीलियम आक्सीजन के तनुकारी के रूप में प्रयुक्त होता है, क्योंकि रक्त में इसकी विलेयता बहुत कम है।

प्रश्न 7.33
निम्नलिखित समीकरण को सन्तुलित कीजिए:
XeF6 + H2O → XeO2F2 + HF
उत्तर:
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4HF

प्रश्न 7.34
रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन क्यों था?
उत्तर:
चूँकि रेडॉन अत्यन्त कम अर्द्धआयु वाला रेडियोएक्टिव तत्त्व है; अत: रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन था।

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