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 Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Bihar Board Class 12 Chemistry d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.1
सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण भरित d कक्षक (4d10) है। आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है।
उत्तर:
सिल्वर (Z = 47) + 2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित कर सकता है जिसमें उसके 4d कक्षक अपूर्ण भरे हुए है। अतः यह संक्रमण तत्व है।

प्रश्न 8.2
श्रेणी, Sc (Z = 21) से Zn (Z = 30) में जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है, अर्थात् 126 kJ mol-1; क्यों?
उत्तर:
Zn के 3d – कक्षकों के इलेक्ट्रॉन धात्विक आबन्धन से प्रयुक्त नहीं होते हैं जबकि 3d – श्रेणी के शेष सभी धातुओं के d – कक्षक के इलेक्ट्रॉन धात्विक आबन्ध बनाने में प्रयुक्त होते हैं। अतः श्रेणी में Zn की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है।

प्रश्न 8.3
संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी का कौन-सा तत्व बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है एवं क्यों?
उत्तर:
Mn (Z = 25) के परमाणु में सर्वाधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। अतः यह +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है, जो सबसे बड़ी संख्या है।

प्रश्न 8.4
कॉपर के लिए EΘ(M2+M) का मान धनात्मक (+ 0.34 V) है। इसके सम्भावित कारण क्या हैं?
उत्तर:
किसी धातु के लिए EΘ(M2+M), निम्नलिखित पदों में होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन के योग से सम्बद्ध होता है –
M(s) + ∆a → M(g) (∆a H = परमाण्विक एन्थैल्पी)
M(g) + ∆iH → M2+ (g) (∆i = आयनन एन्थैल्पी)
M2+ (g) + (aq) → M2+ (aq) + ∆hyd H (∆iH = जलयोजन एन्थैल्पी)
कॉपर की परमाण्विक एन्थैल्पी उच्च तथा जलयोजन एन्थैल्पी कम होती है। इसलिए EΘ(Cu2+Cu) धनात्मक है। Cu (s) के Cu2+ (aq) में रूपान्तरण की उच्च ऊर्जा इसकी जलयोजन एन्थैल्पी द्वारा सन्तुलित नहीं होती है।

प्रश्न 8.5
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझाएंगे?
उत्तर:
आयनन एन्थैल्पी में अनियमित परिवर्तन विभिन्न 3d विन्यासों के स्थायित्व की क्षमता में भिन्नता के कारण है (उदाहरण: d0, d5, d10 असमान्य रूप से स्थाई हैं)।

प्रश्न 8.6
कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में क्यों प्रदर्शित होता है?
उत्तर:
छोटे आकार एवं उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीकरण अथवा फ्लुओरीन, धातु को उसके उच्च ऑक्सीकरण अवस्था तक आक्सीकृत कर सकते हैं।

प्रश्न 8.7
Cr2+ और Fe2+ में से कौन प्रबल अपचायक है और क्यों?
उत्तर:
Fe2+ की एक प्रबल अपचायक है।

कारण:
Cr2+ से Cr3+ बनने में d4 → d3 परिवर्तन होता है किन्तु Fe2+ से Fe2+ में d6 → d5 में परिवर्तन होता है। जल जैसे माध्यम में d5 की तुलना में d3 अधिक स्थायी है।

प्रश्न 8.8
M2+ (aq) आयन (Z = 27) के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
गणना:
M परमाणु (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d7 4s2 है।
∴ M2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d7
या

∴ इसमें तीन अयुगलित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
∴ M2+ (aq) आयन के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण (µ)
n(n+2) B.M.
3(3+2) B.M.
= 3.87 B.M.

प्रश्न 8.9
स्पष्ट कीजिए कि Cu+ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों? समझाइए।
उत्तर:
जलीय विलयन में Cu+ (aq) निम्नलिखित प्रकार से असमानुपात करके Cu2+ आयन बनाता है –
2Cu+ (aq) → Cu2+ (aq) + Cu (s)
इस का कारण यह है कि कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है, परन्तु Cu2+ (aq) के लिए ∆hyd, Cu+ (aq) की तुलना में अधिक ऋणात्मक होती है। अतः यह कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी को संतुष्ट करती है। इस प्रकार Cu2+ (aq) आयन Cu2+ (aq) आयन में परिवर्तित हो जाता है जो अधिक स्थाई होता है।

प्रश्न 8.10
लैन्थेनाइड आंकुचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनाइड आंकुचन अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
5d इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से परिरक्षित कहते हैं। दूसरे शब्दों में, 5d इलेक्ट्रॉनों का श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर दुर्बल परिलक्षित होता है।

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