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 Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 11 एक दल के प्रभुत्व का दौर

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 11 एक दल के प्रभुत्व का दौर


→ स्वतन्त्र भारत का जन्म अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में हुआ था। देश के समक्ष प्रारम्भ से ही राष्ट्र-निर्माण की चुनौती थी।

→ देश को राष्ट्र-निर्माण की चुनौती के साथ-साथ लोकतन्त्र की स्थापना की चुनौती का सामना भी करना पड़ रहा था।

→ भारतीय राजनेताओं ने लोकतन्त्र की स्थापना हेतु समाज के विभिन्न समूहों में पारस्परिक एकता की भावना को विकसित करने का प्रयास किया।

→ देश में संविधान का निर्माणं 26 नवम्बर, 1949 को हुआ था तथा यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

→ जनवरी 1950 में देश के चुनाव आयोग का गठन किया गया जिसका कार्य देश में यथाशीघ्र प्रथम आम चुनाव कराना था। सुकुमार सेन पहले चुनाव आयुक्त बने।

→ प्रथम आम चुनाव में 17 करोड़ मतदाताओं द्वारा 3200 विधायकों तथा लोकसभा के लिए 489 सांसदों को चुना जाना था। इन मतदाताओं में केवल 15 प्रतिशत ही साक्षर थे। अतः इनको मतदान के विषय में जानकारी देना एक महत्त्वपूर्ण समस्या थी।

→ प्रथम आम चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 के मध्य सम्पन्न हुए।

→ प्रथम आम चुनाव को सन् 1952 का चुनाव भी कहा जाता है क्योंकि देश के अधिकांश भागों में मतदान सन् 1952 में ही हुआ था।

→ भारत ने सम्पूर्ण विश्व को यह दिखा दिया कि लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव निर्धनता एवं अशिक्षा के वातावरण में भी कराए जा सकते हैं।

→ प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस को आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त हुई।

→ कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनावों में भी भारी जीत प्राप्त की।

→ देश का प्रथम प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया।

→ हमारे देश की चुनाव प्रणाली में ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ के तरीके को अपनाया गया है।

→ कांग्रेस का जन्म सन् 1885 ई० में हुआ था।

→ कांग्रेस ने एक जनव्यापी राजनीतिक पार्टी का रूप ले लिया और राजनीतिक व्यवस्था में इसका वर्चस्व स्थापित हुआ।

→ कांग्रेस पार्टी में क्रान्तिकारी व शान्तिवादी, कंजरवेटिव व रेडिकल, गरमपन्थी व नरमपन्थी, दक्षिणपन्थी व वामपन्थी के साथ-साथ प्रत्येक
धारा के मध्यमार्गी शामिल थे।

→ कांग्रेस ने सबको साथ लेकर चलने के स्वभाव के कारण एक असाधारण शक्ति प्राप्त की।

→ चुनावी प्रतिस्पर्धाओं के प्रथम दशक में कांग्रेस ने शासक दल के साथ-साथ विपक्ष की भी भूमिका का निर्वाह किया। इस कारण भारतीय राजनीति के इस कालखण्ड को ‘कांग्रेस प्रणाली’ कहा जाता है।

→ स्वतन्त्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं के मध्य पारस्परिक सम्मान का गहरा भाव था जो दलगत प्रतिस्पर्धाओं के तीव्र होने के कारण लगातार कम होता चला गया।

→ सन् 1957 के आम चुनाव में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी। सम्पूर्ण विश्व में यह पहला अवसर था जब लोकतान्त्रिक चुनावों के माध्यम से कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी।

→ कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन सन् 1934 में कांग्रेस के भीतर युवा नेताओं की एक टोली ने किया था। कांग्रेस से सन् 1948 में अलग हुई यह पार्टी समाजवादी, लोकतान्त्रिक एवं समाजवाद की विचारधारा में विश्वास करती थी।

→ भारतीय जनसंघ का गठन सन् 1951 में हुआ। यह अपनी विचारधारा एवं कार्यक्रमों के कारण अन्य दलों से अलग था। यह दल ‘एक देश, एक संस्कृति व एक राष्ट्र’ के विचार पर बल देता था।

→ लोकतन्त्र-शासन की वह प्रणाली जिसमें जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से अपने प्रतिनिधियों द्वारा सम्पूर्ण जनता के हित को दृष्टि में रखकर शासन करती है। इसे प्रजातन्त्र या जनतन्त्र भी कहा जाता है।

→ नायक पूजा-नायक पूजा चापलूसी का वह रूप है जिसमें किसी व्यक्ति विशेष योग्यता के न होते हए भी उसकी पूजा की जाती है।

→ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-सन् 1885 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लोक प्रचलित नाम कांग्रेस पार्टी था और इस पार्टी को स्वाधीनता संग्राम की विरासत हासिल थी।

→ हित समह-समाज के किसी विशेष हिस्से अथवा समह को बढावा देने वाले संगठन।

→ राजनीतिक दल राजनीतिक दल लोगों का समूह होता है जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है।

→ इतिहास का सबसे बड़ा जुआ-भारत में सार्वभौम वयस्क मताधिकार पर प्रारम्भ हुआ यह कार्य अपने आप में एक बड़ा जोखिम भरा प्रयोग था। इसी कारण एक भारतीय सम्पादक ने इसे ‘इतिहास का सबसे बड़ा जुआ’ करार दिया।

→ विरोधी दल-विपक्षी/विरोधी दल से आशय सत्तारूढ़ दल के बाद दूसरे मुख्य दल से है। यह अस्थायी रूप से ही अल्पमत में होता है।

→ मुक्ति संघर्ष—सन् 1957 में केरल में सत्ता से बेदखल होने से कांग्रेस पार्टी ने निर्वाचित सरकार के खिलाफ ‘मुक्ति संघर्ष’ छेड़ दिया। वहाँ कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी थी।

→ गठबन्धन-जब किसी बहुदलीय व्यवस्था में अनेक पार्टियाँ चुनाव लड़ने एवं सत्ता में आने के लिए आपस में हाथ मिला लेती हैं तो इसे गठबन्धन कहते हैं।

→ सत्तारूढ़ दल-वह राजनीतिक दल जिसकी सरकार होती है।

→ बोल्शेविक क्रान्ति-रूस में ‘रशियन सोशल डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी’ मतभेद हो जाने के कारण दो गुटों में विभक्त हो गई। बहुसंख्यक गुट ‘बोल्शेविक’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। बोल्शेविकों के नेता लेनिन थे।

→ मौलाना अबुल कलाम आजाद-ये स्वतन्त्र भारत के प्रथम शिक्षाशास्त्री थे। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतिपादन किया।

→ राजकुमारी अमृतकौर-स्वतन्त्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मन्त्री। इन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लिया।

→ आचार्य नरेन्द्र देव-कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक। इन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लिया तथा कई बार जेल भी गए।

→ पं. जवाहरलाल नेहरू-स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री। इनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने प्रथम आम चुनाव में विजय प्राप्त की थी।

→ बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर-संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्षा इन्होंने दलितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया।

→ दीनदयाल उपाध्याय-भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य। इन्होंने समग्र मानवतावाद का सिद्धान्त प्रस्तुत किया।

→ सी० राजगोपालाचारी-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व साहित्यकार। ये स्वतन्त्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल रहे।

→ श्यामाप्रसाद मुखर्जी-भारतीय जनसंघ के संस्थापक। स्वतन्त्रता के बाद नेहरू के प्रथम मन्त्रिमण्डल में मन्त्री रहे।

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