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 Bihar board notes class 11th Geography chapter 3

Bihar board notes class 11th Geography chapter 3

Bihar board notes class 11th Geography chapter 3

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उसके आदर्श उत्तर
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :
(i) निम्नलिखित में से कौन भूगर्भ की जानकारी का प्रत्यक्ष साधन है-
(क) भूकम्पीय तरंगे
(ख) गुरुत्वाकर्षण बल
(ग) ज्वालामुखी
(घ) पृथ्वी का चुम्बकत्व
उत्तर-(क)
(ii) दक्कन ट्रैप की शैल समूह किस प्रकार के ज्वालामुखी उद्गार का परिणाम है।
(क) शील्ड
(ख) मिश्र
(ग) प्रवाह
(घ) कुण्ड
उत्तर-(ग)
(iii) निम्नलिखित में से कौन सा स्थलमण्डल को वर्णित करता है?
(क) ऊपरी व निचले मैंटल
(ख) भूपटल व क्रोड
(ग) भूपटल व ऊपरी मैंटल
(घ) मैटल व क्रोड
उत्तर-(ग)
(iv) निम्न में भूकम्प तरंगें चट्टानों में संकुचन व फैलाव लाती हैं-
(क) ‘P’ तरंगें
(ख) ‘S’ तरंगें
(ग) धरातलीय तरंगें
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(क)
(v) पृथ्वी की क्रोड पर कौन से दो पदार्थ पाये जाते हैं?
(क) निकिल व तांबा
(ख) ताँबा व लोहा
(ग) निकिल व लोहा
(घ) लोहा व चूना
उत्तर-(ग)
(vi) निम्नलिखित में कौन-सा सक्रीय ज्वालामुखी है?
(क) स्ट्रांबोली
(ख) विसूवियस
(ग) बैरन आप
(घ) पोपा
उत्तर-(क)
(vii) निम्नलिखित में से किस शहर में दिन का अवधि सर्वाधिक है?
(क) मुंबई
(ख) चेनई
(ग) श्रीनगर
(घ) दिल्ली
उत्तर-(ग)
(viii) निम्नलिखित में से किस राज्य की जनसंख्या सर्वाधिक है?
(क) पं. बंगाल
(ख) बिहार
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) आन्ध्र प्रदेश
उत्तर-(ग)
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) भूगर्भीय तरंगें (Body Waves) क्या हैं?
उत्तर– -भू-गर्भिक तरंगें उद्गम केन्द्र ऊर्जा विमोचन के दौरान पैदा होती है और पृथ्वी के अंदरुनी भाग से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। इसलिए इन्हें भू-गार्भिक तरंगें कहा जाता है।
(ii) भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों के नाम बताइए।
उत्तर-पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में हमारी अधिकतर जानकारी परोक्ष रूप से प्राप्त अनुमानों पर आधारित है। इस जानकारी का कुछ भाग प्रत्यक्ष प्रेक्षणों पर आधारित है। पृथ्वी में सबसे असानी से उपलब्ध प्रत्यक्ष साधन ठोस पदार्थ धरातलीय चट्टाने है।
(iii) भूकंपीय तरंगें छाया क्षेत्र कैसे बनाती हैं?
उत्तर-जहाँ कोई भी भूकंपीय तरंग अभिलेखित नहीं होती। ऐसे क्षेत्र को भूकंपीय छाया क्षेत्र (Shadow Zone) कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंप अधिकेन्द्र से 105° और 145° के बीच का क्षेत्र (जहाँ कोई भी भूकंपीय तरंग अभिलेखित नहीं होती) दोनों प्रकार की तरंगों के लिए छाया क्षेत्र दूसरे भूकंप के छाया क्षेत्र से भिन्न होता है।


(iv) भूकंपीय गतिविधियों के अतिरिक्त भूगर्भ की जानकारी संबंधी अप्रत्यक्ष
साधनों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-खनन क्रिया से हमें पता चलता है कि पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दबाव में वृद्धि होती है। यह भी पता चलता है कि गहराई के बढ़ने के साथ-साथ पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता है।
दूसरा अप्रत्यक्ष स्रोत उल्काएँ हैं, जो कभी-कभी धरती तक पहुंचती है। उल्काएँ वैसे ही पदार्थ के बने ठोस पिंड हैं, जिनसे हमारा ग्रह (पृथ्वी) बना है। अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकंप संबंधी क्रियाएँ शामिल हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए-
(i) भूकंपीय तरंगों के संचरण का उन चट्टानों पर प्रभाव बताएँ जिनसे होकर यह तरंगें गुजरती हैं?
उत्तर-भिन्न-भिन्न प्रकार की भूकंपीय तरंगों के संचरित होने की प्रणाली भिन्न-भिन्न होती है। जैसे ही ये संचरित होती है तो चट्टानों में कंपन पैदा होती है। ‘P’ तरंगों से कंपन की दिशा तरंगों की दिशा के समानांतर ही होती है। यह संचरण गति की दिशा में भी पदार्थ पर दबाव डालती है। इसके (दबाव) के फलस्वरूप पदार्थ के घनत्व में भिन्नता आती है और चट्टानों में संकुचन के फैलाव की प्रक्रिया पैदा होती है। अन्य तीन तरह की तरंगें सचरण गति
के समकोण दिशा में कंपन पैदा करती हैं। ” तरंगें उधिर तल में, तरंगों की दिशा के समकोण पर कंपन पैदा करती है। अतः ये जिस पदार्थ से गुजरती है उसमे उभार व गर्त बनाती हैं। धरातलीय तरंगें सबसे अधिक विनाशकारी समझी जाती हैं।

(ii) अंतर्वेधी आकृतियों से आप क्या समझते हैं? विभिन्न अंतर्वेधी आकृतियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-ज्वालामुखी उद्गार से जो लावा निकलता है, उसके ठंडा होने से आग्नेय चट्टाने बनती है। लावा का यह जमाव या तो धरातल पर पहुंचकर होता है या धरातल के आधार पर आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण किया जाता है-
(i) ज्वालामुखी चट्टानें (जब लावा धरातल के नीचे ही ठंडा होता है) और (ii) पातालीय (Plutonic) चट्टों (जब) लावा धरातल के नीचे ठंडा होकर जम जाता है)। जब लावा भूपटल के भीतर ही ठंडा हो जाता है तो कई आकृतियाँ- बनती है। ये आकृतियाँ अंतर्वेधी आकृतियाँ (Intrusive forms) कहलाती हैं।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. भूकम्पीय तरंगों के प्रकार बताएँ।
उत्तर-(i) प्राथमिक तरंगे, (ii) माध्यमिक तरंगें, (iii) धरातलीय तरंगें।
2. धात्विक क्रोड के दो प्रमुख पदार्थ बताएँ।
उत्तर-(i) निकिल, (ii) लोहा।
3. पृथ्वी की तीन परतों के नाम लिखें।
उत्तर(i) सियाल, (ii) सीमा, (iii) नाइफ।
4. पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधन वताएँ।
उत्तर(i) खाने, (ii) कुएं, (iii) छिद्र।
5. पृथ्वी के आन्तरिक भाग में तापमान वृद्धि की औसत दर क्या है?
उत्तर-1°C प्रति 32 मीटर।
6. पृथ्वी की संरचना की जानकारी प्रदान करने वाले परोक्ष साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर-(i) तापमान, (ii) दबाव, (ii) परतों का घनत्व, (iv) भूकम्पीय तरंगे,
(v) उल्काएँ।
7. भूकम्पीय तरंगों के अध्ययन करने वाले यन्त्र का नाम है?
उत्तर-सीस्मोग्राफ (Seismograph)।
8. कितनी गहराई के पश्चात् ‘S’ तरंगें लुप्त हो जाती हैं?
उत्तर-2900 km.
9. कौन-सी तरंगें केवल ठोस माध्यम से ही गुजर सकती हैं?
उत्तर-अनुप्रस्थ तरंगें।
10. किन प्रमाणों से पता चलता है कि पृथ्वी के आन्तरिक भाग का तापमान अधिक है।
उत्तर– (i) ज्वालामुखी, (ii) गर्म जल के झरने, (iii) खानों से।
11. सियाल (Sial) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर -सियाल शब्द सिलिका तथा एल्यूमीनियम (Si + AI) के संयोग से बना है।
12. सीमा (Sima) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर-सीमा शब्द सिलिका तथा मैग्नीशियम (Si + Mg) के संयोग से बना है।
13. निफे (Nife) शब्द किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर– -निफे शब्द निकिल तथा फैरस (Ni + Fe) के संयोग से बना है।
14. पृथ्वी के केन्द्रीय परत को क्या कहते हैं?
उत्तर-अभ्यान्तर या क्रोड या गुरुमण्डल।
15. पृथ्वी का औसत घनत्व कितना है?
उत्तर-5.53.
16. सबसे धीमी गति वाली तरंगें कौन-सी हैं?
उत्तर-धरातलीय तरंगें।
17. पृथ्वी के अभ्यान्तर का घनत्व कितना है?
उत्तर-13
18. अभ्यान्तर का घनत्व सबसे अधिक क्यों है?
उत्तर-अभ्यान्तर में निकिल तथा लोहे के कारण।
19. Volcano ज्वाला शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से बना है?
उत्तर– यूनानी शब्द ‘Vulan’ का अर्थ-पाताल देवता है।
20. पृथ्वी के अन्दर पिघले पदार्थ को क्या कहते हैं?
उत्तर -मैग्मा।
21. जब मैग्मा पृथ्वी के धरातल से बाहर आ जाता है तो उसे कहते हैं?
उत्तर-लावा।
22. ज्वालामुखी के मुख्य भाग लिखें।
उत्तर-(i) छिद्र, (ii) ज्वालामुखी नली, (iii) क्रेटर।
23. ज्वालामुखीय विस्फोट के दो प्रकार लिखें।
उत्तर-(i) केन्द्रीय विस्फोट, (ii) दरारीय विस्फोट।
24. ज्वालामुखी विस्फोट के तीन कारण बताएँ।
उत्तर-(i) भूगर्भ में उच्च ताप, (ii) भाप तथा गैसें, (iii) दरारें (भ्रंशन)।
25. गहराई के साथ तापमान किस दर पर बढ़ता है?
उत्तर-32 मीटर के लिए 1°C.
26. ज्वालामुखी के तीन प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर-(i) सक्रिय ज्वालामुखी, (ii) प्रसुप्त ज्वालामुखी, (ii) मृत ज्वालामुखी।
27. भारत में सक्रिय ज्वालामुखी का नाम बताएँ।
उत्तर-अण्डमान द्वीप के निकट बैरन द्वीप।
28. विश्व में सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी कौन-सा है?
उत्तर-माओनालोआ (हवाई द्वीप)।
29. किस ज्वालामुखी को ‘रूस सागर का प्रकाश स्तम्भ’ के नाम से जाना जाता है?
उत्तर-स्ट्रॉम्बोली।
30. तीन पेटियों के नाम बताएँ जहाँ पर ज्वालामुखी पाये जाते हैं।
उत्तर-(i) प्रशान्त महासागरीय पेटी, (ii) मध्य महाद्वीपीय पेटी, (iii) अफ्रीका का दरार घाटी क्षेत्र।
31. विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी किस पेटी में पाये जाते हैं?
उत्तर-प्रशान्त महासागरीय पेटी।
32. ज्वालामुखी शंकु किसे कहते हैं?
उत्तर-ज्वालामुखी के मुख से निकले पदार्थ मुख के आस-पास जमा हो जाते हैं, धीरे-धीरे ये शंकु का रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शंकु कहते हैं।
33. क्रेटर किसे कहते हैं?
उत्तर-ज्वालामुखी के केन्द्र में कटोरे के समान या कीपाकार गर्त को क्रेटर कहते हैं।
34. काल्डेरा किसे कहते हैं?
उत्तर-विशाल क्रेटर को काल्डेरा कहते हैं।
35. भूकम्प किसे कहते हैं?
उत्तर– -पृथ्वी का अचानक हिलना।
36 भूकम्प आने के तीन कारण लिखो।
उत्तर-(i) ज्वालामुखी विस्फोट, (ii) विवर्तनिक कारण, (iii) लचक शक्ति।
37. तीन महत्त्वपूर्ण भूकम्पों के नाम लिखो जो वर्तमान समय में हुए हों।
उत्तर-(i) 1905 ई. में कांगड़ा भूकम्प, (ii) 1923 ई. में टोकियो भूकम्प, (iii) 2001 में गुजरात के मूज का भूकम्प।
38. उद्गम केन्द्र किसे कहते हैं?
उत्तर-पृथ्वी के अन्दर जहाँ भूकम्प उत्पन्न होता है, उसे उद्गम केन्द्र कहते हैं।
39. अधिकेन्द्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-भूकम्प केन्द्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थिर बिन्दु या स्थान को अधिकेन्द्र कहते है।
40. पृथ्वी के धरातल का विन्यास किन प्रक्रियाओं का परिणाम है?
उत्तर-पृथ्वी पर भू-आकृतियों का विकास बहिर्जात एवं अन्तर्जात क्रियाओं का परिणाम है। दोनों प्रक्रियाएँ निरन्तर कार्य करती हैं तथा भू-आकृतियों को जन्म देती है।
41. पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधनों के नाम लिखो।
उत्तर–प्रत्यक्ष साधन (Direct Sources)-(i) खाने, (ii) कुएँ, (iii) छिद्र।
अप्रत्यक्ष साधन (Indirect Sources)-(i) तापमान, (ii) दबाव, (iii) परतों का घनत्व, (iv) भूकम्पीय तरंगें, (v) उल्काएँ, (vi) गुरुत्वाकर्षण।
42. किन प्रमाणों से पता चलता है कि पृथ्वी के आन्तरिक भागों का तापमान अधिक है? आन्तरिक भागों में तापमान वृद्धि की दर क्या है?
उत्तर– -पृथ्वी के भीतरी भागों में गहराई के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती है। यहाँ वृद्धि दर 1°C प्रति 32 मीटर है। निम्नलिखित प्रमाणों से पृथ्वी के आन्तरिक भागों में अधिक तापमान का पता चलता है- (i) ज्वालामुखी विस्फोट, (ii) गर्म जल के झरने, (iii) खानों से, (iv) गाईजर से, (v) गहरे कुंओं से।
43. पृथ्वी के आन्तरिक भाग में उच्च ताप के क्या कारण हैं?
उत्तर-(i) रसायनिक प्रक्रियाएँ, (ii) रेडियो-धर्मी, (iii) पदार्थ, (iii) आन्तरिक
शक्तियाँ, (iv) उच्च मूल ताप।
44. हम कैसे जानते हैं कि अभ्यंतर तरल अवस्था में है?
उत्तर-विभिन्न तरंगों का वेग तथा मार्ग भूकम्पमापी यन्त्र द्वारा मापा जाता है। ये तरंगें विभिन्न परतों से टकराने के कारण परावर्तित होती रहती हैं। यह देखा गया है कि अनुप्रस्थ तरंगें द्रव माध्यम से होकर गुजर नहीं सकतीं। ये तरगें पृथ्वी के अभ्यान्तर (Core) में अनुपस्थित होती हैं। इसलिए यह अनुमान लगाया जाता है कि अभ्यान्तर में पदार्थ द्रव स्थिति में होते हैं।
45. भूकम्प की माप किस पैमाने पर की जाती है?
उत्तर-भूकम्पों की माप-भूकम्पीय घटनाओं का मापन भूकम्पीय तीव्रता के आधार पर अथवा आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। भूकम्पीय तीव्रता को मापनी [‘रिक्टर स्केल’ Richter Scale] के नाम से जाना जाता है। भूकम्पीय तीव्रता भूकम्प के दौरान ऊर्जा विमोचन से सम्बन्धित है। इस मापानी के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से 10
तक होती है। तीव्रता गहनता (Intensity Scale) हानि की तीव्रता’ मापनी इटली के भूकम्प वैज्ञानिक मरकैली (Mercalli) के नाम पर है। यह मापनी झटकों से हुई प्रत्यक्ष हानि द्वारा निर्धारित की गई है। इसका गहनता का विस्तार 1 से 12 तक है।
46. उद्गम केन्द्र किसे कहते हैं? इसकी गहराई कितनी होती है ?
उत्तर-उद्गम केन्द्र (Focus)-पृथ्वी के अन्दर जहाँ भूकम्प उत्पन्न होता है उसे उद्गम केन्द्र कहते है। इस केन्द्र से भूकम्पीय तरंगें चारों ओर निकलती है। साधारणतया भूकम्पो की गहराई 50-100 कि. मी. तक होती है। पातालीय भूकम्प की गहराई 700 कि मी. तक होती है।
47. अधिकेन्द्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-अधिकेन्द्र (Epicentre) -भूकम्प केन्द्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थित बिन्दु स्थान को अधिकेन्द्र कहते हैं। भूकम्प के झटके सब से पहले इस स्थान पर लगते हैं। भूकम्प द्वारा धरातल पर सबसे अधिक कम्पन अधिकेन्द्र पर होता है तथा इस केन्द्र के आस-पास सबसे अधिक तबाही होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सियाल (Sial) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-यह पृथ्वी का सबसे ऊपरी परत है। इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम के अंश अधिक मात्रा में हैं। इन दोनों धातुओं के संयोग के कारण इस परत को सियाल (Sial =Silica + Aluminium) कहते हैं। इस परत की औसत गहराई 60 km. है। इस परत का घनत्व 2.75 है। इस परत से महाद्वीपों का निर्माण हुआ है।
2. सीमा (Sima) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-सियाल से निचली परत को सीमा कहा जाता है। इस परत से सिलिका तथा मैग्नीशियम धातुएँ अधिक मात्रा में मिलती हैं। इसलिए इस परत को सीमा (Sime = Silia + Magnesium) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 2800 km है। इसका औसत घनत्व 4.75 है। महासागरीय तल इसी परत से बना हुआ है।
3. निफे (Nife) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-यह पृथ्वी की सबसे निचली तथा केन्द्रीय परत है। यह सबसे भारी परत है जिसका घनत्व 13 है। इसमें निकिल तथा फेरस (लोहा) धातुएँ अधिक हैं। इसलिए इसे (Nife = Nickle + Ferrous) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 3500 km. है।
4. पृथ्वी की तीन मौलिक परतों के नाम, गहराई, विस्तार तथा घनत्व बताएँ।
उत्तर– -पृथ्वी का निर्माण करने वाली तीन मूल परतें हैं जिनका रचना भिन्न घनत्व वाले पदार्थो से हुई है-
(i) भू-पृष्ठ (Crust), (ii) मैण्टल (Mantle), (ii) क्रोड (Core)।

5. सिस्मोग्राफ किसे कहते हैं इसका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?
उत्तर-सिस्मोग्राफ (Seismograph) -एक यन्त्र है जिसके द्वारा भूकम्पीय तरंगें तथा तीव्रता मापी जाती है। इस यन्त्र में लगी एक सूई द्वारा ग्राफ पेपर पर भूकम्प का उद्गम (Focus), भूकम्पीय तरंगों की गति, मार्ग तथा तीव्रता का ज्ञान होता है।
6. भूकम्पीय तरंगों के मुख्य प्रकार बताएँ कौन-सी तरंगें धीमी गति वाली हैं तथा कौन-सी तरंगें तेज गति वाली हैं?
उत्तर-भूकम्पीय तरंगें तीन प्रकार की है-(i) प्राथमिक या अनुदैर्घ्य तरंगें। (ii) गौण या अनुप्रस्थ तरंगें। (iii) धरातलीय या लम्बी तरंगें।
धरातलीय तरंगें सबसे धीमी गति से चलती हैं। प्राथमिक तरंगें सबसे तेज गति से  चलती है।
7. गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय क्षेत्र किस प्रकार भूकम्प सम्बन्धी सूचना देते हैं?
उत्तर-अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकम्प सम्बन्धी क्रियाएँ शामिल हैं। पृथ्वी के धरातल पर भी विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एक समान नहीं होता है। यह (गुरुत्वाकर्षण बल) ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्यरेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केन्द्र से दूरी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवों पर कम और भूमध्य रेखा पर अधिक होता है।
गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है। पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है। इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति (Gravity anomaly) कहा जाता है। गुरुत्व विसंगति हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के
वितरण की जानकारी देती है। चुम्बकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुम्बकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते हैं। भूकम्पीय गतिविधियाँ भी पृथ्वी की आन्तरिक जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
8. उल्काएँ पृथ्वी की आन्तरिक बनावट के विषय में जानकारी देने में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर-कभी-कभी जलते हुए पदार्थ आकाश से पृथ्वी की ओर गिरते दिखाई देते हैं। इन्हें उल्का (Meteorites) कहते हैं। यह सौर मण्डल का एक भाग है। इनके अध्ययन से पता चलता है कि इनके निर्माण में लोहा और निकिल की प्रधानता है। पृथ्वी की रचना उल्काओं से मिलती-जुलती है तथा पृथ्वी का आंतरिक क्रोड भी भारी पदार्थो (लोहा + निकिल) से बना हुआ है।
9. गुरुमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-गुरुमण्डल (Barysphere)-पृथ्वी के केन्द्रीय भाग या आन्तरिक क्रोड को गुरुमण्डल कहते हैं। इसकी औसत गहराई 4980 से 6400 मी. है। यह अत्यधिक भारयुक्त खनिज पदार्थों से बना हुआ है। इसका औसत घनत्व 13 से अधिक है। इसमें लोहा तथा निकिल पदार्थों की अधिकता है। इस भाग को अभ्यान्तर (Core) भी कहा जाता है।
10. ज्वालामुखी किसे कहते हैं? ज्वालामुखी के विभिन्न भाग बताएँ।
उत्तर-ज्वालामुखी (Volcano)-ज्वालामुखी क्रिया एक अन्तर्जात क्रिया है जो भू-गर्भ से सम्बन्धित है। ज्वालामुखी धरातल पर एक गहरा प्राकृतिक छिद्र है जिसके भू-गर्भ से गर्म गैसें, लावा, तरल व ठोस पदार्थ बाहर निकलते हैं। सबसे पहले एक छिद्र की रचना होती है जिसे ज्वालामुखी (Volcano) कहते है। इस छिद्र से निकलने वाले लावा पदार्थों के चारों ओर फैलने तथा ठण्डा होकर ठोस होने से एक उच्च भूमि का निर्माण होता है जिसे
ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। एक लम्बे समय में कई बार निकासन, शीतलन तथा ठोसीकरण की क्रिया से ज्वालामुखी का निर्माण होता है।
ज्वालामुखी के भाग (Parts of a Volcano)
(i) ज्वालामुखी निकास-एक छेद जिस से लावा का निष्कासन होता है ज्वालामुखी निकास होता है, निकास कहलाता है।
(ii) विवर-ज्वालामुखी निकास के चारों ओर एक तश्तरीनुमा गर्त को विवर कहते हैं।
(ii) कैल्डेरा-विस्फोट से बने खड़ी दीवारों वाले कंड को कैलडेरा कहते हैं।
11. तीन प्रकार के ज्वालामुखी कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes)-संसार में अनेक प्रकार के ज्वालामुखी मिलते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।
(i) सक्रिय ज्वालामुखी (ActiveVolcanoes)-यह वे ज्वालामुखी हैं जिनमें से लावा हमेशा निकलता रहता है। संसार में लगभग पांच सौ सक्रिय ज्वालामुखी है। हवाई द्वीप समूह . का मोनालुआ ज्वालामुखी विश्व का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है अन्य उदाहरण में भारत का बैरन द्वीप।
(ii) प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcanoes)- यह वे ज्वालामुखी है जो काफी समय तक शान्त रहने के पश्चात् अचानक सक्रिय हो जाते हैं। जैसे इटली’ का विसुवियस ज्वालामुखी।
(iii) विलुप्त ज्वालामुखी (Extinct Volcanoes)- यह वे ज्वालामुखी हैं जो पूर्ण रुप से ठण्डे हैं, जैसे जर्मनी का ऐफिल पर्वत।
12. प्रशान्त महासागरीय पेटी को ‘अग्नि वलय’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर–प्रशान्त महासागर के चारों ओर तटीय भागों में बहुत से सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते है। संसार के कुल 552 सक्रिय ज्वालामुखियों में से 403 ज्वालामुखी इस क्षेत्र में स्थित हैं। ये ज्वालामुखी प्रशान्त महासागर के चारों ओर एक वृत्त की भांति स्थित है। इनमे समय-समय पर उद्गार उत्पन्न होता रहता है। इस क्षेत्र के वृत्ताकार तथा सक्रिय ज्वालामुखियो के कारण इसे अग्नि वलय (Ringe of Fire) भी कहा जाता है।
13. भूकम्पों के विभिन्न प्रकार बताएँ?
उत्तर-उत्पत्ति के आधार पर भूकम्प निम्नलिखित प्रकार के हैं।
(i) विवर्तनिक भूकम्प -सामान्यतः विवर्तनिक (Tectonic) भूकम्प ही अधिक आते हैं। ये भूकम्प भ्रंश तल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
(ii) ज्वालामुखी भूकम्प–एक विशिष्ट वर्ग के विवर्तनिक भूकम्प को ही
ज्वालामुखीजन्य (Volcanic) भूकम्प समझा जाता है। ये भूकम्प अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं।
(iii) नियात भूकम्प-खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है। जिससे हलके झटके महसूस किये जाते हैं। इन्हें नियात (Collapse) भूकम्प कहा जाता है।
(iv) विस्फोट भूकम्प-कभी-कभी परमाणु व रसायनिक विस्फोट से भी भूमि में कम्पन होती है। इस तरह के झटकों को विस्फोट (Explosion) भूकम्प कहते हैं।
(v) बाँध जनित भूकम्प-जो भूकम्प बड़े बाँध वाले क्षेत्रों में आते हैं, उन्हें बांध जनित (Reservior induced) भूकम्प कहा जाता है।
14. दुर्बलता मण्डल क्या है?
उत्तर-दुर्बलता मण्डल (Asthenosphere) ऊपरी मैटल परत का एक भाग है। यह 650 कि. मी. गहरा है। यह परत ठोस तथा लचीला गुन रखती है। इस परत का अनुमान प्रसिद्ध भूकम्प वैज्ञानिक गुट्नबर्ग ने लगाया था। यहाँ भूकंपीय लहरों की गति कम होती है। Asthenosphere का अर्थ है दुर्बलता।
15. अनुदैर्घ्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-अनुदैर्घ्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों में अन्तर-
अनुदैर्घ्य तरंगें (Longitudinal Waves):-
(i) इन तरंगों में कण आगे बढ़ने की दिशा  में चलते हैं।
(ii) इन्हें प्राथमिक तरगें, ध्वनि तरंगें या  P-waves कहा जाता है।
(iii) इनकी गति कुछ तेज होती है।
(iv) ये तरल, गैस तथा ठोस तीनों माध्यमो  से गुजर सकती है।

अनुप्रस्थ तरंगें  (Transverse waves):-
(i) ये तरंगें दोलन की दिशा पर समकोण चलती हैं।
(ii) इन्हें द्वितीयक या S-waves भी कहा जाता है।
(iii) इनकी गति धीमी होती है।
(iv) ये केवल ठोस माध्यम से ही गुजर सकती है।
16. भू-पृष्ठ तथा अभ्यान्तर में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-भू-पृष्ठ तथा अभ्यान्तर में अन्तर-
भूपृष्ठ(Crust):-
(i) यह पृथ्वी की बाहरी परत है।
(ii) यह सबसे हल्की परत है।
(iii) इस परत का औसत घनत्व 2.75 है।
(iv) यह पृथ्वी के 0.5% भारा को घेरे हुए है।
(v) इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम की
अधिकता है।
अध्यान्तर (Core):-
(i) यह पृथ्वी की भीतरी परत है।
(ii) यह सबसे भारी परत है।
(iii) इस परत का औसत घनत्व 17.2 है।
(iv) यह पृथ्वी के 83% भाग का घेरे हुए है।
(v) इसमें निकिल तथा लोहे की अधिकता है।
17. सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रसुप्त ज्वालामुखी में अंतर बताएं
उत्तर– सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रसुप्त ज्वालामुखी में अंतर-
सक्रिय ज्वालमुखी (Active Volcanoes):-
(i) जिस ज्वालामुखी में प्रायः समय-समय पर उद्गार होता रहे, उसे
सक्रिय ज्वालामुखी कहते हैं।
(ii) इनमें आधुनिक काल में ही विस्फोट होता रहा है।
(iii) स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी इसका प्रसिद्ध उदाहरण है।

प्रसुप्त ज्वालमुखी (Dormant Volcanoes):-
(i) जो ज्वालामुखी दीर्घ-काल तक शान्त रहने के उपरान्त जागृत हो जाते हैं
उन्हें प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते हैं।
(ii) इसमें भविष्य में विस्फोट की शंका होती है।
(iii) विसुवियस ज्वालामुखी इसका प्रसद्धि उदाहरण है।
18. मैग्मा तथा लावा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर– मैग्मा तथा लावा में अंतर-
मैग्मा (Magma):-
(i) पृथ्वी के भीतरी भाग में पिघले हुए गर्म घोल को मैग्मा कहते हैं।
(ii) इसमें जल व अन्य गैसें भी मिली होती हैं।
(iii) यह पृथ्वी के भीतरी भागों में ऊपरी मैंटल में उत्पन्न होता है। (Magma is hot Sticky molten material.)

लावा (Lava):-
(i) जब उद्भेदन के कारण मैग्मा धरती के बाहर आकर ठण्डा तथा ठोस रूप
धारण कर लेता है तो उसे लावा कहते हैं।
(ii) इसमें जल व गैसों के अंश नहीं होते।
(iii) यह पृथ्वी के धरातल पर वायुमण्डल के सम्पर्क से ठण्डा व ठोस होता है। (The Solidifed magma is called Lava.)

19. सुनामी किसे कहते हैं? इनके विनाशकारी प्रभाव का एक उदाहरण दो।
उत्तर-सुनामी (Tsunami)-कई बार भूकम्प के कारण सागरीय लहरें बहुत
ऊंची उठ जाती है। जापान में इन्हें सुनामी कहते हैं। यह तूफानी लहरें तटीय प्रदेशों में जान-मान की हानि करती हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से जो भूकम्प आया जिससे 15 मीटर ऊंची लहरें उठी तथा पश्चिमी जावा में 36,00 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई।
26 दिसम्बर, 2004 को इण्डोनेशिया के निकट केन्द्रित भूकम्प से हिन्दमहासागर में 30 मीटर ऊंची सुनामी लहरें जिससे लगभग 3 लाख व्यक्तियों की जानें गई। इण्डोनेशिया, थाइलैंड, अण्डमान द्वीप, तमिलनाडु तट तथा श्रीलंका के तटीय भागों में प्रलय समान तबाही हुई।
20. प्रसुप्त तथा मृत ज्वालामुखी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-प्रसुप्त तथा मृत ज्वालामुखी में अन्तर:-
प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano):-
(i) जो ज्वालामुखी दीर्घ-काल तक शान्त रहने के उपरान्त जागृत हो जाते हैं उन्हें प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते हैं।
(ii) इनमें भविष्य में विस्फोट की शंका होती है।
(iii) बैरन द्वीप इसका उदाहरण है।

मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano):-
(i) जो ज्वालामुखी स्थायी रूप से शांत रहते हैं उन्हें मृत ज्वालामुखी कहते हैं।
(ii) इनमें विस्फोट का कोई भय नहीं होता।
(iii) अफ्रीका में किलीमंजारों ज्वालामुखी इसका उदाहरण है
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भूकम्पीय तरंगें कौन-कौन सी हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन करो। ये पृथ्वी की आन्तरिक संरचना की विभिन्मताओं की जानकारी कैसे देती हैं?
उत्तर-पृथ्वी की आन्तरिक संरचना की जानकारी का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत भूकम्पीय तरंगे हैं। भूकम्प के कारण पृथ्वी के धरातल के ऊपर तथा नीचे तरंगें उत्पन्न होती है। इन्हें भूकम्पीय तरंगें कहते हैं।

ये तरंगें पृथ्वी के भीतर जिस स्थान से उत्पन्न होती है उसे उद्गम केन्द्र (Focus) कहते हैं। इस केन्द्र के ऊपर धरातल पर स्थित स्थान को अभिकेन्द्र (Epicentre) कहते हैं। जहाँ भूकम्पमापी यन्त्र (Seismography) द्वारा इन तरंगों का आलेखन किया जाता है। भूकम्पीय तरंगे तीन प्रकार की होती है-
(i) अनुदैर्घ्य तरंगें (Longitudinal Waves)- -ये ध्वनि तरंगों (Sound Waves) की भान्ति होती हैं। ये तरल, गैस तथा ठोस तीनों माध्यमों से गुजर सकती हैं। ये तरंगें आगे-पीछे एक-समान गति से चलती हैं। इन्हें प्राथमिक तरंगें (Primary waves) या केवल P-waves भी कहा जाता है।

(ii) अनुप्रस्थ तरंगें (Tranverse Waves)- -ये तरंगें दोलन की दिशा पर समकोण बनाती हुई चलती हैं। इनकी गति धीमी होती हैं। ये तरंगें केवल ठोस माध्यम से ही गुजर सकती है। इन्हें साधारणतः माध्यमिक तरंगें (Secondary waves) या (S-waves) भी कहा जाता है।
(iii) धरातलीय तरंगें (Surface Waves) -ये तरंगें धरातल पर अधिक
प्रभावकारी होती हैं। गहराई के साथ-साथ इनकी तीव्रता कम हो जाती है। ये एक लम्बे समय में पृथ्वी के भीतरी भागों तक पहुँच पाती हैं। ये तरंगें ठोस, तरल एवं ‘गैसीय माध्यमों की सीमाओं से गुजरती हैं। इन्हें रैले तरंगें (Rayliegh waves) या (R-waves) भी कहा जाता है। इन भूकम्पीय तरंगों के वेग तथा संचरण मार्ग द्वारा पृथ्वी के आन्तरिक भागों
में विभिन्न परतों के भौतिक गुणों का पता चलता है। इन तरंगों के वेग से विभिन्न परतों के घनत्व का पता चलता है। इन तरंगों के अध्ययन से निम्नलिखित तत्त्वों का पता चलता है-(i) भू-पृष्ठ विभिन्न प्रकार की चट्टानों का बना हुआ है।
(ii) पृथ्वी को तीन परतों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे-भू-पृष्ठ, मैण्टल तथा क्रोड। (iii) भू-पृष्ठ सबसे हल्की परत है जिसका औसत घनत्व 2.7 है। (iv) क्रोड सबसे भारी परत है जिसका घमत्व 17.2 है। (v) 2900 किलोमीटर की गहराई तक तरंगों की निरन्तर गति से पता चलता है कि यह क्षेत्र ठोस पदार्थों से बना है। (vi) पृथ्वी के अभ्यान्तर की मोटाई 3500
किमी है। (vii) विभिन्न परतों में अन्तराल पाए जाते हैं जिनके कारण भूकम्पीय तरंगें अपना मार्ग बदल देती है। (viii) क्रोड में अनुप्रस्थ तरंगों का न होना इस बात का सूचक है कि क्रोड के पदार्थ द्रव स्थिति में हैं।

3. भूकम्प किसे कहते हैं? यह कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर-भूकम्प (Earthquake)-भूपृष्ठ के किसी भी भाग के अचानक हिल जाने को भूकम्प कहते हैं। (An earthquake is a sudden movement on the crust of the earth) इस प्रकार भूकम्प धरातलं का कम्पन तथा दोलन है जिसके द्वारा चट्टानें ऊपर नीचे सरकती हैं। यह एक आकस्मिक एवं अस्थायी गति है। भूकम्प अपने केन्द्र से चारों ओर तरंगों
के माध्यमों से आगे बढ़ता है।
भूकम्प के कारण–प्राचीन काल में लोग भूकम्प को भगवान् का कोप मानते थे, परन्तु वैज्ञानिकों के अनुसार भूकम्प के निम्नलिखित कारण है-
(i) ज्वालामुखी उद्गार (VolcanicEruption)-ज्वालामुखी विस्फोट में शक्ति होती है जिससे विस्फोट स्थान के समीपवर्ती क्षेत्र कॉप उठते हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से दूर-दूर तक भूकम्प अनुभव किए गए।
(ii) विवर्तनिक कारण (Tectonic Causes)-पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण धरातल पर चट्टानों में मोड़ तथा दरारें पड़ जाती हैं। दरारों के सहारे हलचल होती है और भूकम्प आते हैं।
(iii) पृथ्वी का सिकुड़ना (Contraction of Earth)-तापमान कम होने से पृथ्वी सिकुड़ती है तथा चट्टानों में हलचल के कारण भूकम्प आते हैं।
(iv) लचक शक्ति (Elasticity of Rocks)-जब किसी चट्टान पर दबाव पड़ता तो वह चट्टान उस दबाव को वापस धकेलती है।
4. पृथ्वी की आंतरिक संरचना की विवेचना कीजिए।
उत्तर-पृथ्वी की आंतरिक संरचना-आस्ट्रिया भू-वैज्ञानिक स्बेस (Suess) के
अनुसार महादेशों की तलछटी चट्टानों के नीचे पृथ्वी की तीन मुख्य परतें हैं-ऊपरी परत् मध्यवर्ती परत और केन्द्रीय पिंड जिनको उन्होंने क्रमश: सियाल, सीमा तथा नीफे कहा है।
(1) उपरी परत-महादेशों की तलछटी चट्टानों के ठीक नीचे एक ऐसी चट्टानों की परत है जो ग्रेनाइट से बहुत मिलती-जुलती है। इस परत का नाम स्वेस ने सियाल दिया है क्योकि इस परत की चट्टानों के ही मुख्य तत्त्व सिलिकन तथा एल्युमुनियम है। इस परत का घनत्व 2.75 से 2.90 तक है। Sial का अर्थ है-Sial = Silicon+Aluminium है, इस परत की औसत गहराई 60 संख्या है।
(2) मध्यवर्ती परत-सियाल के नीचे भारी चट्टानों की एक मोटी परत है। इसमें आग्नेय चट्टानों जैसे बेसाल्ट और ग्रैबो की प्रधानता है। इस परत का नाम सीमा (Sima) है क्योंकि इस दो मुख्य तत्त्व सिलिकन तथा मैतेशियम है। इस परत का घनत्व 2.90 से 4.75 तक है।
(3).केन्द्रीय पिण्ड-पृथ्वी की तीसरी परत भूगर्म का केन्द्रीय भाग है। इसमें मुख्यत: निकेल तथा लोहा जैसे भारी धातुओं का बाहुल्य है। इस परत का नाम निफे (Nife) दिया गया है। जिसका औसत घनत्व 12 से कुछ कम होता है। और Nife का अर्थ Nife = Nickle +Ferrous है जिसकी मुटाई 3500Km. लगभग है।

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