Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 14 डॉ. भीमराव अम्बेदकर
Bihar Board Class 6 Hindi डॉ. भीमराव अम्बेदकर Text Book Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से –
प्रश्न 1.
डॉ. अम्बेडकर के योगदानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
डा. अम्बेडकर का जीवन देश और समाज के लिये समर्पित था। उन्होंने देश के लिए कुछ अमूल्य सेवायें दी जैसे –
- अछूतों को समानता का अधिकार दिलाया।
- राष्ट्र की एकता के लिये संविधान में आवश्यक व्यवस्था करना।
- स्वतन्त्र भारत के संविधान के निर्माण के लिये अपनी सेवायें देना।
- धर्म, आंति, वर्ग आदि के कारण उत्पन्न भेद-भाव को जड़ से मिटा देने का संकल्प तथा प्रयास करना।
प्रश्न 2.
डा. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म क्यों स्वीकार कर लिया?
उत्तर:
डा. अम्बेडकर धर्म को मनुष्य के लिये आवश्यक मानते थे। उनका संघर्ष उन बुराईयों से था जिसमें धर्म के कारण मनुष्यों के बीच भेद-भाव पैदा करते थे। उनके अनुसार बौद्धधर्म समानता के सिद्धान्त पर आध रित है। इसीलिये उस समानता का सम्मान करते हुये डा. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।
प्रश्न 3.
डा. अम्बेडकर ने बड़ौदा महाराज की नौकरी क्यों छोड़ दी?
उत्तर:
डा. अम्बेडकर ने बड़ौदा महाराज की सेवा काल में अनुभव किया कि यहाँ भी जातिगत भेद-भाव का साम्राज्य है। कट्टरपंथी समुदाय के लोग उनके प्रति सहिष्णुता और समानता का भाव नहीं रखते। इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर भीमराव ने बड़ौदा महाराज की नौकरी छोड़ दी।
प्रश्न 4.
डा. अम्बेडकर के विचारों से आप कहाँ तक सहमत हैं और क्यों?
उत्तर:
डा. अम्बेडकर के विचार अत्यन्त प्रासंगिक थे। वे देश और समाज के हित में थे और अभी भी हैं। अतः उनके विचारों से असहमत होने का प्रश्न ही नहीं उठता।
प्रश्न 5.
नीचे स्तम्भ ‘क’ में डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण है तथा स्तम्भ ‘ख’ में उन घटनाओं के वर्ष दिये गये हैं। इन्हें सही क्रम में मिलान कीजिये।
उत्तर:
(क) – 3 (1891)
(ख) – 4(1907)
(ग) – 1 (1913)
(घ) – 2 (1905)
(ङ) – 6 (1920)
(च) – 5 (1956)
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
डॉ. अम्बेदकर को ‘भारतीय संविधान का जनक’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
स्वतन्त्र भारत के संविधान के निर्माण के लिये अपनी सेवायें देना तथा उन्हीं के नेतृत्व में भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था इसीलिए इन्हें भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है।।
प्रश्न 2.
डॉ. अम्बेदकर को ‘बाबा साहब’ के उपनाम से जानते हैं। कुछ और भी महापुरुषों को उपनाम से जाना जाता है। उनके नाम और उपनाम को लिखिए।
उत्तर:
1. रवीन्द्रनाथ टैगोर – गुरुदेव
2. मोहनदास करमचन्द गाँधी – बापू
3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद – देशरत्न
4. सुभाषचन्द्र बोस – नेताजी
5. बल्लभ भाई पटेल – सरदार
प्रश्न 3.
‘बाबा साहब’ किस प्रकार के भारत को देखना चाहते थे ?
उत्तर:
‘बाबा साहब’ भारत के उस स्वरूप को देखना चाहते थे जिसमें छूत-अछूत का कोई विचार नहीं हो। कोई भी समाज का व्यक्ति किसी से दलित न हो। भारत में जाति के आधार पर पेशा नहीं हो बल्कि ज्ञान एवं अभिरुचि के आधार पर पेशा को ग्रहण करें। समाज के सभी व्यक्ति को समान अधिकार प्राप्त हो। इत्यादि ।
व्याकरण
प्रश्न 1.
इन शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
महतवपूर्ण, परीस्थीती, निसचय, आत्मविसवास, रत्नागीरी, अधयापक ।
उत्तर:
प्रश्न 2.
“स्वामीजी, मैं ईश्वर का दर्शन करना चाहता हूँ। क्या आप ऐसा कर सकेंगे?”
साधु ने तपाक से कहा, “अरे ! क्यों नहीं ! कल सवेरे यहाँ आ जाना । हम लोग साथ-साथ सामने के पहाड़ की चोटी पर चलेंगे। वहाँ जाकर मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगा।”
उपर्युक्त अंश में उद्धरण चिह्न (” “), विस्मयादिसूचक चिह्न (!), प्रश्नसूचक चिह्न (?), योजक चिह्न (-), अल्प विराम चिह्न (,) तथा पूर्ण विराम चिह्न (।) हैं।
इस पाठ में भी इस तरह के विराम चिह्नों का प्रयोग किया गया है। उसका कुछ अंश लिखिए।
उत्तर:
अचानक वह उठ खड़ा हो जाता है। आँसू पोंछकर सोचता है, “मैं अछूत हूँ, यह पाप है। किसने बनाया है छुआछूत की व्यवस्था ? किसने बनाया है किसी को नीच? किसी को ऊँच? भगवान ने ? हर्गिज नहीं। वह ऐसा नहीं कर सकता। वह सबको समान रूप से जन्म देता है। यह बुराई मनुष्य ने पैदा की है। मैं इसे मिटाकर रहूँगा।”
कुछ करने को –
प्रश्न 1.
इस वर्ग पहेली में पाँच महापुरुषों के नाम छिपे हैं। उनके नाम मोटे लिखे गए अक्षर से शुरू होता है । ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
- महात्मा गाँधी
- जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- सुभाषचन्द्र बोस
- रवीन्द्रनाथ टैगोर ।
प्रश्न 2.
आपकी कक्षा में विभिन्न परिवेश के बच्चे पढ़ते हैं। आप सहपाठियों के घर पर जाकर देखिए कि वहाँ क्या-क्या होता है ? उनके अभिभावकों से बातचीत कीजिए और अपने मित्रों से उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना साफ-साफ एवं सुंदर अक्षर में लिखिए और कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
डॉ. भीमराव अम्बेदकर Summary in Hindi
पाठ का सार-संक्षेप
मध्यप्रदेश के महानगर में रामजी नाम के एक सूबेदार मेजर थे। 14 अप्रिल, 1891 ई० को सूबेदार के घर में एक बालक ने जन्म लिया। यह उनकी चौदहवीं संतान थी। जब यह बालक पाँच वर्ष का हुआ तब उसकी माँ का स्वर्गवास हो गया। बालक की माँ का नाम मीराबाई था। बालक के पालन-पोषण का भार उसकी चाची के कंधों पर आ गया जो प्यार से बच्चे को ‘मीना’ कहकर बुलाती थी। बड़ा होकर वही बालक भीमराव रामजी अम्बेडकर कहलाया। भीमराव की स्कूली शिक्षा रत्नागिरि नामक शहर में स्थित एक मराठी स्कूल से आरंभ हुयी। बाद में भीमराव के पिता सतारा आ गये और अपने बच्चे का दाखिला एक सरकारी स्कूल में करा दिया।
सन् 1905 में भीमराव का विवाह रामाबाई नाम की कन्या से कर दिया गया। उस समय कन्या की उम्र मात्र नौ वर्ष की थी। इस बीच भीमराव के पिता बम्बई आ गये और वहाँ के एलफिंस्टन स्कूल में अपने बेटे का नाम लिखा दिया जहाँ से सन् 1907 में भीमराव ने मैट्रिक की परीक्षा पास की। महार जाति के लिये भीमराव का मैट्रिक पास करना एक अत्यन्त गौरव की बात थी। भीमराव एलफिंस्टन कॉलेज में पढ़ने लगे जहाँ से सन् 1913 में इन्होंने बी.ए. की परीक्षा पास की । बड़ौदा के महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने प्रसन्न होकर उन्हें अपने दरबार में नौकरी दे दी पर दुर्भाग्यवश इसी वर्ष भीमराव के पिता का निध न हो गया।
बड़ौदा के महाराज की अनुकम्पा और प्यार युवा भीमराव पर अत्यधि क था पर दरबार के कटरपंथी उनसे ईर्ष्या और घृणा करते थे। अतः निराश होकर भीमराव ने अपनी उच्च शिक्षा जारी रखने के लिये अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में दखिला ले लिया। बडौदा के महाजन ने अपनी ओर से छात्रवृत्ति देकर भीमराव के आगे की पढ़ाई के लिये सहायता एवं सहयोग दिया। कोलम्बिया विश्वविद्यालय में भीमराव को प्यार और समानता का व्यवहार मिला और वहाँ से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण की। विदेश प्रवास के दौरान डा0 भीमराव ने दो पुस्तकें लिखीं और उनकी विद्वता की ध क सर्वत्र जम गयीं। इसका प्रतिफल यह हुआ कि डा. अम्बेडकर को मुम्बई के एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर लिया गया। किन्तु यहाँ भी डा. भीमराव को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि एक विशेष जातिवर्ग का होने के कारण कट्टरपंथी उनसे घृणा करते थे। निराश होकर डा. भीमराव ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
छुआछूत की समस्या के निदान के लिये उन्होंने एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। पत्रिका का नाम उन्होंने ‘मूकनायक’ रखा। पर साधनों के अभाव के कारण पत्रिका ज्यादा दिनों तक चल नहीं पायी और इसका प्रकाशन बन्द करना पड़ा। इसके बाद डा. भीमराव पढ़ने के लिए लन्दन चले गये और वहाँ से अर्थशास्त्र में डी. एस-सी की उपाधि प्राप्त कर मुंबई लौटे और यहाँ वकालत आरम्भ कर दी। सन् 1927 में इन्होंने ‘बहिष्कृत भारत’ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया। इसी वर्ष ये मुंबई विधान सभा के सदस्य बनाये गये।
सन् 1947 में आजाद भारत में गठित संविधान-सभा के डा. भीमराव सदस्य चुने गये। भारतीय संविधान का प्रारूप (आलेख) इन्हीं की अध्यक्षता में तैयार हुआ जिसमें राष्ट्रीय एकता और अछूतों के उद्धार की समस्या के समाधान पर विशेष बल दिया गया। आजाद भारत की पहली सरकार पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में बनी। डा. भीमराव अम्बेडकर भारत सरकार के पहले कानूनमंत्री बनायें गये। पर पं. जवाहर लाल नेहरू से उनका किसी समस्या को लेकर मतभेद हो गया और उन्होंने 1951 में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
सरकार से अलग होकर डा. भीमराव ने अपना ध्यान अछूतों की सेवा की ओर केन्द्रित किया। फलस्वरूप अछुतों के बीच वे दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होते गये। रूढ़िवादियों से इन्होंने कभी समझौता नहीं किया। सन् 1955 में इनका झुकाव बौद्ध धर्म की ओर हुआ। एक वर्ष के बाद इन्होंने नागपुर में बौद्ध ध र्म ग्रहण कर लिया। इन्होंने अछूत भाइयों को भी सलाह दी कि वे बौद्ध धर्म अपना लें। पर दुर्भाग्यवश अछूतों और दलितों का यह मसीहा अधिक दिनों तक उनकी सेवा नहीं कर सका और 1956 में ही 6 दिसम्बर को डा. भीमराव अम्बेडकर का निधन हो गया। आज भी इस देश के लोग अछूतों के इस नेता को सम्मान के साथ ‘बाबा साहब’ कहकर सम्बोधित करते हैं। वे देश के पिछड़े और दलित समाज के प्राण थे।
डा. बाबा साहब एक अध्ययनशील प्राणी थे। उनमें गजब का आत्मबल – था और वे जो सोचते थे उसे कार्य में परिणत करते थे। वे एक ओजस्वी वक्ता थे और तर्क करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी।
भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को छुआछूत के रूप से बाबा साहब ने मुक्ति दिलायी। आने वाली पीढ़ी डा. बाबा साहब अम्बेडकर को उनकी देश-सेवा के लिये सदा स्मरण करती रहेगी।