Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 13 दादा-दादी के साथ
Bihar Board Class 6 Hindi दादा-दादी के साथ Text Book Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से –
प्रश्न 1.
सभी लोग घर की सफाई क्यों कर रहे थे?
उत्तर:
क्योंकि घर में कुछ खास मेहमान आने वाले थे। इन मेहमानों की खासियत यह थी कि वे थे तो अपने रिश्तेदार पर इनका आगमन इंगलैंड से होने वाला था और घर के लोगों को ऐसा लग रहा था कि इंगलैंड से आ रहे इन मेहमानों को कहीं हमारे घर की गंदगी अच्छी न लगे और उनके सामने हमारी हँसाई न हो जाय – अतः सभी मिलकर घर का कोना-कोना साफ कर रहे थे।
प्रश्न 2.
पद्मिनी और राहुल को पिंकी-विकी की कौन-सी बात खटकती थी?
उत्तर:
पद्मनी और राहुल को यह बात खटकती थी कि अपनी भाषा में न बोलकर, न जाने क्यों वे सदा अंगरेजी में ही बोलते हैं। यद्यपि वे यानी पिंकी-विकी इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि राहुल और पद्मिनी अंगरेजी के साथ हिन्दी भी अच्छी तरह समझते और बोलते हैं। इन्होंने तो सोचा था कि भारत आकर इनकी हिन्दी का ज्ञान और निखर जायेगा।
प्रश्न 3.
पद्मिनी की उत्सुकता का क्या कारण था?
उत्तर:
पद्मिनी दादी के पास रस्सी से बुनी चारपाई पर बैठी थी। दादी ने उसको अपने से बिल्कुल सटा लिया था और उसके रेशमी बालों को प्यार से सहला रही थी। बाहर काली रात के साये में मेढ़कों का टरांना सुनाई दे रहा था। आकाश में तारे छिटक रहे थे। पद्मिनी को लगा वह किसी बीते हुये अतीत में वापस आ गयी है। यह था डैड का देश और इस देश का जीवन और प्राचीन सभ्यता।
प्रश्न 4.
किसने कहा, किससे कहा और क्यों कहा?
प्रश्नोत्तर –
(क) अच्छा किया जो इन्हें हिन्दी सिखाई।।
उत्तर:
राहुल और पद्मिनी के आगमन पर सभी नाते, रिश्तेदार, संबंधी उनसे मिलने आ गये। दिनभर लोगों का घर में आना-जाना लगा रहा। रिश्ते के भाई-बहन, चाचा-चाची, दादा-दादी, बुआ-फूफा के आने से घर भरा रहा। बच्चों को देखकर ये सभी अपनी-अपनी टिप्पणी देने लगे।
किसी और ने कहा- “अच्छा किया, इन्हें हिन्दी सिखाई। नहीं तो हमारी बात नहीं समझ पाते।”
(ख) “ओ हो! आई एम सो सॉरी।”
उत्तर:
पदमिनी और राहुल के संग घर के लोगों का दिन बीत गया- शाम हो गयो और आज फिर बिजली गुल हो गयी। इस स्थिति से निबटने के लिये पिंकी ने सफाई देते हुये कहा- “ओ हो!,आई एम सो सॉरी! तुम सोचोगे कैसी कंट्री है इंडिया।”
(ग) “अपनी भाषा जानते हुये भी न जाने क्यों वे सदा अंगरेजी ही बोलते हैं।”
उत्तर:
ये विचार हैं पद्मिनी के। वह सोचने लगी कि अपनी भाषा जानते हुये भी वे न जाने क्यों सदा अंगरेजी में बोलते हैं। उन्हें मालूम था राहुल और पद्मिनी दोनों भाषा (हिन्दी और अंगरेजी) भली-भांति जानते हैं।
(घ) “अच्छा! यही है तुम्हारी बेटी?”
उत्तर:
ये शब्द बुआ-फुआ ने पद्मिनी से पहली मुलाकात पर कहे।
(ङ) “लगता है बेटी माँ जैसी है। वही नीली आँखें और काले बाल, बड़ी सुन्दर निकली है।”
उत्तर:
ये वाक्य भी घर में आये रिश्तेदारों में से ही किसी के हैं। डैड, ये शब्द सुनकर फूले न समाते थे। उन्हें अपने इन भतीजे और भतीजी पर गर्व हो रहा था।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
इस कहानी में किसकी भूमिका आपको सबसे अच्छी लगी और क्यों ?
उत्तर:
दस पूरी कथा में सबसे अच्छी भूमिका दादी की लगी। दादी ने विदेश से आये बच्चों का अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति का एहसास कराया जो पद्मिनी और राहुल के भारत आने का उद्देश्य था। दादी का मधुर प्यार भरा सामीप्य पाकर दोनों बच्चे अत्यन्त आह्लादित थे।
प्रश्न 2.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी अधूरी है? क्यों?
उत्तर:
इस कहानी का अन्त अचानक होता है, ऐसा लगता है, खंडहर देखने जाने की बात पर कहानी का अन्त हो जाता है। खंडहर की यात्रा का विवरण आने से कहानी को एक परिपक्वता मिलती- कहानी के विकास को .. एक अन्तिम पड़ाव तक पहुँचाया जा सकता है जो कहानीकार ने नहीं किया। शायद वे पाठकों को आगे की घटना को जानने के लिये उनकी कल्पनाशीलता को उभारना चाहते थे।
प्रश्न 3.
सोचिये, इस कहानी के अन्त में अगले दिन क्या हुआ होगा?
उत्तर:
उसी कल्पनाशीलता की कड़ी को जोड़ते हुये यह समझा जा सकता है कि दोनों बच्चे अगले दिन खंडहर की यात्रा पर गये होंगे। वहाँ इन्होंने खंडहर के चित्र उतारे होंगे जिसे यादगार के रूप में इंग्लैण्ड ले जायेंगे। कुछ नये पक्षी राहुल ने देखे होंगे और उनकी बोली, उनके कार्यकलापों को आत्मसात किया होगा जिसे वे अपनी डायरी में नोट करेंगे ताकि इस पर वे गहरायी से अध्ययन कर सकें।
प्रश्न 4.
अगर ऐसा हो कि आपके यहाँ कोई सम्बन्धी आये तो आप क्या-क्या करेंगे?
उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग परिवार और व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला होगा और फिर इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आने वाले मेहमान की श्रेणी क्या है?
अगर मेहमान या संबंधी अत्यन्त करीबी हैं तो वह घर के परिवार के सदस्यों की तरह सम्मान और आदर का अधिकारी होगा। औपचारिक संबंधी का स्वागत औपचारिक ढंग से किया जायेगा यथा स्वागत, बातचीत, नाश्ता-चाय आदि और फिर दरवाजे तक जाकर उनकी गर्मजोशी के साथ विदाई।
व्याकरण –
प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
इन शब्दों के वचन बदले –
उत्तर:
प्रश्न 3.
इन वाक्यों में सर्वनाम शब्द को रेखांकित कीजिए।
(क) “अच्छा, यही है तुम्हारी बेटी?”
(ख) वह उसकी मदद करने लगा।
(ग) जो ढूँढ़े उसे मिले।
(घ) मैं अवश्य देखना चाहूँगी उन खण्डहरों को।
उत्तर:
(क) अच्छा, यही है तुम्हारी बेटी ?
(ख) वह उसकी मदद करने लगा।
(ग) जो ढूँढे उसे मिले।
(घ) मैं अवश्य देखना चाहूँगी उन खण्डहरों को।
कुछ करने को –
प्रश्न 1.
आपके यहाँ कई मौकों (अवसर) पर कौन-कौन से सम्बन्धी/रिश्तेदार आते हैं ? उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
परिवार में आयोजित विवाह आदि के अवसरों पर सबसे अधि क मेहमान घर में आते हैं। इनमें सभी करीब के संबंधी, पारिवारिक मित्र, पास-पड़ोस के लोग, परिचित, बंधु-बांधव बुलाये जाते हैं।
संबंधियों में – नाना-नानी, मामा-मामी, बुआ-फुफा, दीदी-जीजाजी, भैया-भाभी, इनके बच्चे सभी आमंत्रित होते हैं।
प्रश्न 2.
पधिनी और राहुल को दादी पास बुलाकर कहानी सुनाई। क्या आपको भी दादी/नानी कोई कहानी सुनाती है? कहानी सुनते समय आप क्या महसूस करते हैं? अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
अलग-अलग छात्र अपने-अपने अनुभव के आधार पर इसका उत्तर तैयार करेंगे और अपने अनुभव कक्षा में सुनायेंगे।
दादा-दादी के साथ Summary in Hindi
पाठ का सार-संक्षेप
‘दादा-दादी के साथ’ शीर्षक यह फीचर एक छोटी-सी कहानी है जिसके सहारे लेखक हमारे देश में आ रहे बदलाव, खासकर सांस्कृतिक धरातल पर आ रहे परिवर्तन की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। आज के बच्चे किस प्रकार अपनी भाषा, संस्कृति और प्राचीन विरासतों को भुलाकर, ठुकराकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं इसकी झाँकी इस पाठ में प्रस्तुत की गयी है।
भारत के किसी हिन्दी प्रदेश का एक छोटा-सा कस्बा है हमीरपुर-यह न पूरा विकसित शहर है और न ठेठ देहात। यहाँ के लोग देहाती जीवन-शैली का त्याग कर शहरीपन अपनाने की चेष्टा कर रहे हैं। हमीरपुर के जिस परिवार की यह कथा है, उसमें कुल चार सदस्य हैं- एक गृहिणी, दूसरे उनके पति तथा उनके दो बच्चे। इन्होंने अपने दोनों बच्चों का नाम भारतीय परिवेश का नहीं रखकर, पाश्चात्य शैली का रखा है – लड़की का नाम पिंकी और लड़के का नाम विकी। अब ये दोनों बच्चे बातचीत में अंगरेजी वाक्यों का उपयोग करते हैं। इन्हें भारत से बाहर के बात-व्यवहार, रहन-सहन की शैली ज्यादा भाति है और अपनी श्रेष्ठता के भाव का प्रदर्शन करने के लिये ये अपनी अंगरेजी भाषा की जानकारी का खुलकर प्रयोग करते हैं।
एक दिन इन्हें पता चलता है कि इनके दो संबंधी (रिश्तेदार) जो विदेश – में रहते हैं, इनके घर इंगलैंड से आ रहे हैं। ये इनके अपने चाचा विपिन प्रताप . सिंह के बच्चे हैं। इनमें एक का नाम है राहुल और दूसरे का नाम है पद्मिनी। रिश्ते में ये पिंकी और विकी के भाई-बहन हुये। अब यहाँ ध्यान देने की बात है कि इंगलैंड से आने वाले बच्चों के नाम पूर्णरूपेण भारतीय हैं। इसके द्वारा हमारी हीन मानसिकता पर लेखक ने प्रकाश डाला है जो अत्यन्त स्पष्ट है।
हमीरपुर का पूरा परिवार अपने अतिथियों के स्वागत की तैयारी में लग जाता है। घर के नौकर-चाकर, माली, चौकीदार सभी घर की सफाई में लग जाते हैं- मेहमान विदेश से आ रहे हैं -पता नहीं हमारे रहन-सहन के स्तर में कहीं कोई कमी न दिखाई पड़ जाय? विदेश से आये ये बच्चे पास-पड़ोस, नाते रिश्तेदारों के आकर्षण का केन्द्र बन जाते हैं क्योंकि ये विदेश से स्वदेश आ रहे हैं। इनसे मिलकर लोग-बाग अपने-अपने ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। लोग यह कहना नहीं भूलते कि ये हिन्दी बोलते और समझते हैं – यह कितनी अच्छी बात है।
प्रारंभिक परिचय का सिलसिला शाम तक चलता रहता है। पिंकी को इस ..बात की चिन्ता हो जाती है कि आज भी यहाँ अन्य दिनों की तरह बिजली गायब है। पिंकी, राहुल और पद्मिनी के सामने इस असुविधा के लिये खेद प्रकट करते हुये कहती है – “ओ हो! आई एम सो सॉरी! तुम सोच रहे होगे कैसी कंट्री है इण्डिया।” पदमिनी ने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की केवल मुस्कुरा भर दिया। वह सोचने लगी-अपनी भाषा होते हुये भी वे न जाने सदा अंगरेजी में ही क्यों बोलते हैं? इन्होंने तो यह सोचा था कि भारत आकर उनके हिन्दी बोलने का अभ्यास और अच्छा हो जायेगा। लेकिन यहाँ तो बात उल्टी ही हो रही थी।
लालटेन जला दी गयी और सब आकर दादी के पास आँगन पर बैठ गये। रस्सी से बुनी चारपाई उन्हें अच्छी लगी। दादी का प्यार और दुलार पद्मिनी __ को बड़ा अच्छा लग रहा था। दादी उसके रेशमी बालों को प्यार से सहलाने लगी।
दादी ने पूछा बेटा! तुमने रामायण-महाभारत की कहानियाँ सुनी हैं?
राहुल ने कहा- “सुनाइये न दादी – डैड ने कुछ सुनाया है परन्तु।” पिंकी ने मुँह बनाकर कहा – ” ओह नो. नॉट अगेन। वही परानी कथायें।”
दादी बोली – “बेटा, पौराणिक कथाओं में कितना ज्ञान भरा है।”
पिंकी ने बहस की – “आजकल के साइंस के जमाने में तुम्हारी कहानियाँ बिल्कुल फिट नहीं बैठती। क्या मिलेगा हमें उनसे।” बहस सुन, दादाजी भी हाजिर हो गये और कहा “जो ढूँढे उसे मिले।” इन कहानियों से “मनोरंजन के साथ आदर्श व मूल्य समझने का कार्य भी हो जाता था।”
फिर दादी ने कहानियाँ सुनायी क्योंकि राहुल और पद्मिनी इन्हें सुनना चाहते थे। रात का भोजन बाहर आँगन में ही किया गया। इन बच्चों के लिये विशेष रूप से स्वदेशी जायके वाले लिट्टी की व्यवस्था की गयी थी। उस बेक किये गये पकवान का इन्होंने भरपर आनन्द लिया। ये उपले पर सेंके गये थे और उनका सोंधापन गजब का आनन्द दे रहा था। पिंकी ने इसकी जगह सूप, ब्रेड और अंडे अपने लिये बनवाये थे।
भोजन के क्रम में अगले दिन के कार्यक्रम की चर्चा होने लगी। पिंकी बोली “हमीरपुर छोटी जगह है।” तुमलोगों को शायद मुम्बई, दिल्ली, कलकत्ता जैसे शहर अच्छे लगते हैं और पता चलता कि इंडिया कैसा है? पर राहुल की इच्छा तो भारत के गाँव देखने की थी। पिंकी ने समझाया- ” इसका मतलब रियल विलेज से है जहाँ केवल ‘हट’ हो – चलो कल दिखा देंगे।”
विकी सोचने लगा- “हाँ, वे जो खंडहर हैं, उनके पास बसा एक छोटा-सा स्थित विलेज है। वहीं चला जाया”
पदमिनी की आँखें नीली रोशनी में चमक उठी – खंडहर? कब के हैं? क्या वे बहुत प्राचीन हैं? पद्मिनी ने वहाँ जाने का अपना संकल्प पक्का कर लिया।
पिंकी हँसने लगी – “उन टूटी-फूटी दीवारों को देखने में मेरी तो कोई रुचि नहीं है।”
पद्मिनी ने कहा – ” मुझे है, मुझे इतिहास में विशेष रुचि है।”
राहुल ने भी हामी भरी – ” मैं भी। शायद उधर कुछ दुर्लभ पक्षियों के भी संकेत मिल जाय।
“उल्लू और चमगादड़ के सिवा और क्या मिलेगा?” विकी ने हँसते हुये कहा।
“वे भी ठीक रहेंगे” – राहुल खुशी-खुशी बोला – “चमगादड़ भी एक ऐसा पक्षी है जो हर जगह नहीं मिलता और फिर भारतीय चमगादड़ कैसे होते हैं, इसका भी तो पता चलेगा।
पद्मिनी को लगा- पिंकी-विकी इस योजना पर बहुत खुश नहीं हुये पर राहुल और पद्मिनी ने अपना इरादा पक्का बना लिया कि वे कल खंडहर देखने अवश्य जायेंगे। उन्हें अगर बिना किसी मार्ग-दर्शक के भी जाना पड़े तो वे जायेंगे क्योंकि उन्हें हिन्दी आती है और वे अपना रास्ता स्वयं ढूँढ लेंगे। वे स्वयं वहाँ से घूम आयेंगे।