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 Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 9 वर्षा बहार

Bihar Board Class 7 Hindi वर्षा बहार Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता के आधार पर वर्षा ऋतु का वर्णन करें।
उत्तर:
मुकुटधर पाण्डेय जी की कविता “वर्षा-बहार” में वर्षा ऋतु को सुखदायक और मनोहर बताया गया है।।

वर्षा ऋतु आते ही आकाश में घनघोर बादल छाने लगते हैं। बिजली चमकने लगती है। बादल गरजने लगता है। पानी बरसता है । झरने झर-झरकर बहने लगते हैं । उण्डी हवाएं चलती है। डालियाँ झूलती जर आती हैं। जलीय जीव प्रसन्न दिखाई पड़ते हैं। मालीनें गीत गाने लगती हैं। मोर नाचने लगता है। मेढ़क की आवाज सुनाई पड़ने लगता है। गुलाब खिलने लगता है। हंस कतार बाँधे चलने लगते हैं।

प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु में बाग-बगीचों में आनंद क्यों छा जाता है?
उत्तर:
वर्षा-ऋतु आते ही बाग-बगीचे में फूल खिलने लगते हैं। सभी ‘ पेड़-पौधे हरे-हरे हो जाते हैं। पपीहे की आवाज सुनाई पड़ने लगती है। पेड़ों की डालियाँ झुमती नजर आती हैं । फूलों के सुगन्ध से वातावरण सुगन्धमय हो जाता है।

इस प्रकार वर्षा ऋतु में बाग-बगीचे में आनन्द छा जाते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए –
(क) खिलता गुलाब कैसा सौरभ उड़ा रहा है।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में गुलाब खिलने से वातावरण सुगन्धित हो जाता है।

(ख) गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में कतार बाँधे हंस अपना गीत सुनाकर किसानों के मन को आनन्दित कर रहे हैं।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
अपने अनुभव के आधार पर वर्षा ऋतु का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु ग्रीष्म के बाद आता है, वर्षा का आगमन होता है। आकाश में बादल छाने लगते हैं, बिजलियाँ चमकती हैं बादल गरजने लगते हैं। पानी बरसता है। पेड़-पौधों में नव जीवन आ जाता है। तालाब, नदियाँ, झील सब जलमय हो जाता है । सभी जलस्रोतों में पानी गन्दा दिखने लगता है। सब जगह कीचड़ ही कीचड़ नजर आता है। मेढ़क की आवाज, झिंगुर की आवाज सुनाई पड़ने लगते हैं। चारों ओर खुशहाली नजर आती है।

प्रश्न 2.
ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। वर्षा ऋतु के आने पर आप कैसा महसूस करते हैं ?
उत्तर:
ग्रीष्म के बाद वर्षा के आगमन होते ही गर्मी कम होने लगती है। लोगों को ठण्डी महसूस होने लगती हैं। वायुमण्डल का तापमान कम होने लगता है। आकाश में छाये बादल से पृथ्वी की शोभा बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
यहाँ कविता की प्रथम पंक्ति दी गई है। इसके आधार पर अन्य तीन पंक्तियों की रचना स्वयं कीजिए –
उत्तर:
बादल बरसे, नाचे मोर,
बिजली चमके करे शोर ।
धरा दमके बोले हंस,
मच्छर उपजे करे दंश ।।

व्याकरण –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए –
सुख, प्रसन्न, सुन्दर, ठण्डी।
उत्तर:
सुख = दुःख।
प्रसन्न = अप्रसन्न
सुन्दर = कुरूप ।
ठण्डी = गर्मी

कुछ करने को –

प्रश्न 1.
वर्षा ऋतु में आपके घर एवं गाँव की स्थिति कैसी हो जाती है? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
हमारा घर गाँव में है। मेरा घर खपरैल है। वर्षा ऋतु आते ही हमारे घर में पानी चुता है। कपड़े, अन्न, जलावन सभी भीग जाते हैं। सब जगह पानी ही पानी दिखाई पड़ता है। घर से निकलना मुश्किल जैसा लगता है। नदियाँ भर जाती हैं। कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है। लेकिन पेड़-पौधे हरे-भरे दिखने लगते हैं। किसान खुश हो जाते हैं। खेतों में चहल-पहल बढ़ जाता है।

वर्षा बहार Summary in Hindi

वर्षा बहार सबके, मन को लुभा रही है।
नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है।

भावार्थ – वर्षा ऋतु का आनन्द सबके मन को आकर्षित कर रहा है। आकाश में घनघोर बादल अनोखी शोभा बिखेर रहा है।

बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं।
पानी बरस रहा है, झरने भी बह रहे हैं।

भावार्थ – आकाश में बिजली चमकती है, बादल गरजते हैं, पानी बरसता है और झरने बहने लगते हैं।

चलती हवा है ठण्डी, हिलती है डालियाँ सब।
बागों में गीत सुन्दर, गाती है मालिने अब ।।

भावार्थ – ठण्डी-ठण्डी हवाएँ चल रही हैं। सभी पेड़-पौधे की डालियाँ हिल रही हैं। बगीचे में मालियों की बेटी (मालिन) सुन्दर गीत गा रही है।

तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते।
फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते ॥

भावार्थ – तालाब में जलीय जीव अति प्रसन्न दिखते हैं। वर्षा ऋतु में पपीहे उड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं।

वर्षा होने से ग्रीष्म ऋतु अपना ताप छोड़ने लगा है।
करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे।
मेढ़क लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे ॥

भावार्थ – वर्षा ऋतु में वन में मोर नाचने लगते हैं । मेढ़क अपना प्रिय सुगीत सुनाकर लोगों को लुभा रहा है।

‘खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है,
बागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है।

भावार्थ – वर्षा ऋतु में गुलाब खिलकर अपना सुगन्ध उड़ा रहा है। .बंगीचे में सब ओर आसानी से आनन्द छा रहा है।

चलते कतार याँधे, देखो ये हंस सुन्दर,
गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर ॥

भावार्थ – वर्षा ऋतु में सुन्दर हंस कतार बाँधे चलते हैं, सुन्दर गीत गाकर किसानों के मन हर रहे हैं।

इस भाँति है अनोखी, वर्षा बहार भू पर,
सारे जगत की शोभा निर्भर है इसके ऊपर ।।

भावार्थ – इस प्रकार पृथ्वी पर वर्षा ऋतु अनोखी आनन्द ला दिया है। सम्पूर्ण जगत की शोभा वर्षा ऋतु पर निर्भर है।

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