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 Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 10 कुंभा का आत्म बलिदान

Bihar Board Class 7 Hindi कुंभा का आत्म बलिदान Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
दिये गये शब्दों से उपयुक्त स्थान पर भरिएबूंदी, चितौड़, नकली, सैनिक, मंत्री।
उत्तर:
(क) राणा चितौड़ का रहने वाला था।
(ख) बूंदी का नकली किला बनाया जाने लगा।
(ग) कुछ हाड़ा राजपूत राणा की सेना में सैनिक थे।
(घ) मंत्री ने सुझाव दिया कि बूंदी का एक नकली किला बनाया – जाए।
(ङ) वीर कुंभा बूंदी का सपूत था।

प्रश्न 2.
हाड़ा राजपूतों की राणा से नाराजगी का क्या कारण था ?
उत्तर:
बूंदी का नकली किला बनाकर राणा के द्वारा जीतना यह हाड़ा राजपूत बूंदी का अपमान माना। इसी से वे राणा से नाराज थे।

प्रश्न 3.
अपनी हार से क्रोधित हुए राणा ने अचानक क्या प्रतिज्ञा कर डाली?
उत्तर:
अपनी हार से क्रोधित हुए राणा ने अचानक प्रतिज्ञा कर डाली कि जब तक बूंदी पर अपना झंडा नहीं फहरा देंगे तब तक मुख में एक बूंद पानी तक नहीं डालेंगे।

प्रश्न 4.
राणा की प्रतिज्ञा तुरंत पूरी किए जाने में क्या कठिनाई थी?
उत्तर:
बूंदी के हाड़ा राजपूतं योद्धा तथा आजादी के प्रिय थे। बूंदी से तुरंत टकराना आसान नहीं था। बूंदी से पराजित महाराणा को शक्ति-संचय में कुछ समय तो लगता है। क्योंकि बूंदी के युद्ध में राणा अपनी सारी शक्ति खो चुके थे।

प्रश्न 5.
बूंदी का नकली किला क्यों बनवाया गया?
उत्तर:
बूंदी से पराजित होकर राणा गुस्सा में आकर जल्दबाजी में प्रतिज्ञा कर ली कि जबतक बूंदी को जीतेंगे नहीं तब तक मुख में एक बूंद पानी तक नहीं लेंगे। लेकिन राणा के लिए यह काम आसान नहीं था । परन्तु प्रतिज्ञा पूरी होना शीघ्र अनिवार्य था। अतः प्रतिज्ञा पूरी करवाने के लिए नकली बूंदी का किला बनवाया गया।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत पाठ से हाड़ा कुंभा के किन-किन गुणों का पता चलता है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पाठ से हाड़ा कुम्भा के शौर्य, पराक्रम, मातृभूमि भक्ति और बलिदानी गुणों का पता चलता है।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
हाड़ा कुंभा की हार, राणा की जीत से शानदार थी। कैसे?
उत्तर:
राणा की जीत नकली जीत थी। लेकिन हाड़ा कुम्भा की हार यथार्थ था । मातृभूमि को अपमान से बचाने वाला हाड़ा कुंभा हारकर भी अमर हो गया। क्योंकि आजादी के परवाने कभी हारते नहीं इसलिए हाड़ा कुंभा की हार भी राणा के जीत से शानदार थी। ।

प्रश्न 2.
आप अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए क्या-क्या कर सकते
उत्तर:
हम अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व लुटा सकते हैं। जान की बाजी लगा सकते हैं।

प्रश्न 3.
हाड़ा कुंभा की किस बात ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
हाड़ा! कुंभा की वह बात हमें सबसे ज्यादा प्रभावित किया । जब उसने ओजस्वी स्वर में बोला “यह नहीं हो सकता । मेरी प्यारी मातृभूमि बूंदी, जब तक तेरा यह बेटा जीवित है, तब तक तेरा यह अपमान कदापि सहन नहीं कर सकता । मैं रक्त की आखिरी बूंद शेष रहने तक अपनी मातृभूमि की रक्षा करूंगा। क्योंकि मातृभूमि के सपूत मातृभूमि को अपमानित होते नहीं देख सकते। धन्य था वह बूंदी का लाल ।

प्रश्न 4.
अगर आपकी जमीन पर कोई बलपूर्वक एवं छलपूर्वक कब्जा करना चाहे तो इस समस्या का समाधान आप कैसे करेंगे?
उत्तर:
अगर हमारे जमीन पर बलपूर्वक या छलपूर्वक कोई कब्जा करेगा तो हम उससे लड़ेंगे। चाहे बल से हो या न्यायालय हो अथवा छल से हो, ‘ हम उसे कब्जा नहीं होने देंगे।

प्रश्न 5.
अगले पृष्ठ पर बॉक्स में दी गई कहानी को वार्तालाप के रूप में लिखिए।
उत्तर:
अगले पृष्ठ पर बॉक्स में “जेन बातचीत” शीर्षक कहानी को वार्तालाप रूप इस प्रकार सम्भव है –

प्रथम दिन –

दूसरा शिष्य – तुम कहाँ जा रहे हो?
पहला शिष्य – जहाँ मेरे पाँव मुझे ले जाएंगे।
दूसरे दिन –
दूसरा शिष्य-आज कहाँ जा रहे हो?
पहला शिष्य – जहाँ हवा जाएगी, वहीं।
तीसरे दिन –
दूसरा शिष्य – आज कहाँ जा रहे हो?
पहला शिष्य – सब्जी खरीदने बाजार जा रहा हूँ।

व्याकरण –

प्रश्न 1.
पाठ में प्रयुक्त जातिवाचक एवं व्यक्तिवाचक संज्ञाओं को छाँटकर लिखिए –
उत्तर:
Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 10 कुंभा का आत्म बलिदान 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए –
उत्तर:
धूल चटाना – कुंभा राणा को धूल चटा दिया।
आग बबूला होना – राणा अपनी हार से आग-बबूला हो गये।
आँखें लाल होना – बूंदी के अपमान की बात सुनते ही कुंभा की आँखें लाल हो गईं।
लाशों पर से गुजरना – बूंदी को जीतने के लिए राणा को कुंभा के लाश पर से गुजरना पड़ा।
मुँह की खाना – बूंदी के युद्ध में चितौड़ की सेना को मुंह की खानी पड़ी।

कुंभा का आत्म बलिदान Summary in Hindi

कहानी का सारांश – कुंभा बूंदी रियासत में रहने वाला हाड़ा राजपूत था। हाड़ा जाति के लोगों की वीरता की कहानी सुनते ही लोग भयभीत हो जाते थे। क्योंकि हाड़ा राजपूत मर सकते थे लेकिन दुश्मनों को बूंदी में प्रवेश नहीं करने दे सकते थे।

एक बार चितौड़ के महाराजा ने छोटी रियासत मानकर बूंदी को अपने कब्जे में करना चाहा। इसके लिए वे अपनी बड़ी सेना लेकर बूंदी पर हमला किया। भीषण युद्ध के बाद भी महाराणा पराजित हो गये।

पराजय के अपमान से महाराणा की मन:स्थिति गड़बड़ हो गई। वे प्रतिज्ञा कर बैठे कि जबतक बूंदी पर अपना झंडा नहीं फहराएंगे पानी तक नहीं पिएँगें।

लेकिन बूंदी रियासत पर कब्जा करना आसान नहीं। महाराणा को अपनी शक्ति बढ़ाने में कुछ समय तो लगता है। मंत्रियों ने सोचा महाराणा की प्रतिज्ञा कैसे पूरा करें। एक उपाय सूझा, नकली बूंदी बनाकर महाराणा से आक्रमण करवाकर प्रतिज्ञा पूरी करवा दी जाए । बात पक्की हो गई । नकली बूंदी का किला बना । लेकिन बिल्कुल बूंदी के किला जैसा । महाराणा की सेना में ही कुंभा काम करता था। जब उसने नकली बूंदी. का किला देखा तब बनाने वालों से जानकारी ली। पता चला महाराणा अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए नकली बूंदी पर आक्रमण कर और जीतकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेंगे।

हाड़ा जातीय कुम्भा ने महाराणा के इस अभियान को बूंदी का अपमान समझा । उसने ठान ली कि जबतक हम जीवित हैं बूंदी का अपमान नहीं देख सकते । उसने अन्य हाड़ा सैनिकों को भी बताया। सभी अपनी मातृभूमि को अपमानित होने से बचाने के लिए दृढ़ संकल्प हो गये । अभियान को पूरा करने के लिए पूरी सैनिकों के साथ महाराजा नकली बूंदी के किला पर आक्रमण कर फतह के विचार से द्वार पर जाते हैं तो द्वार रक्षक जिनको आत्म समर्पण करना था। राणा के जान के दुश्मन बन गये। वाणों की बौछार से महाराजा घबड़ा गये । मात्र 20-25 हाड़ा राजपूतों ने महाराणा का मुकाबला तब तक करते रहे जब तक किला के द्वार पर स्थित सभी मारे नहीं गये । जब सभी मारे गये तब महाराणा नकली बूंदी के किला में प्रवेश किये।

वह व्यक्ति धन्य है जो अपनी मातृभूमि के रक्षार्थ अपना न्योछावर कर देता है।

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