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 Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 8 हमारे आस-पास के बाजार

Bihar Board Class 7 Social Science हमारे आस-पास के बाजार Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रामजी की दुकान से लोग किन-किन कारणों से सामान खरीदते हैं ?
उत्तर-
रामजी की दुकान नजदीक होने के कारण गाँव के ज्यादातर लोग : यहाँ से सामान खरीदते हैं। इनकी दुकान में नमक, गुड़, चाय, चीनी, माचिस आदि रोजमर्रा की सामान मिलते हैं। रामजी गाँव के अधिकतर लोगों को पहचानते हैं इसलिए कभी-कभी उधार सामान भी दे देते हैं। इनके दुकान में सामान के बदले सामान भी मिलता है।

प्रश्न 2.
किराने के सामान के लिए जलहरा के कछ लोग ही रामजी की दुकान पर बार-बार आते हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर-
जलहरा गाँव में रामजी की दुकान के अलावे किराने की और भी ‘2-3 दुकाने हैं। जिसके घर से जो दुकान ज्यादा नजदीक पड़ती है, तो उस दुकान पर चले आते हैं और रामजी अपने पहचान वालों को उधार भी दे देता है।

प्रश्न 3.
बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है। उदाहरण देते हुए अपना मत रखिए।
उत्तर-
बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर सामान महँगा मिलता है। उदाहरण के लिए-जैसे हम कभी कोई सामान एक साथ 5 kg. खरीदते हैं तो उसकी कीमत हमें 45 रु. बताई जाती है यानि 9.रु. 91 kg. पर अगर हम वही समान ! kg. खरीदते हैं, तो हमें उसकी कीमत 10 रु. p/kg. बताई जाती है। इससे प्रति किलो रु. ज्यादा देना पड़ता है।

प्रश्न 4.
जलहरा की दुकान और तिथरा के बाजार में क्या अंतर है?
उत्तर-
जलहरा एक छोटा गाँव है, जिसके कारण यहाँ दुकानों की संख्या भी कम है। यहाँ किराने की 3-4 दुकाने ही हैं। लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इन दुकानों पर आश्रित होते हैं। जबकि तियरा एक बड़ा गाँव है। यहाँ लगभग 500 घर है। यहाँ पर 15-20 दुकाने हैं, जिसमें 7-8-दुकानें किराना की है। इसके अलावा कपड़ा, मिठाई, सब्जी-फल, चाय, नाश्ता आदि मिलते हैं।

प्रश्न 5.
आस-पास के गाँवों के लोग किन कारणों से तिथरा के बाजार आते हैं ?
उत्तर-
तियरा एक बड़ा गाँव है। यहाँ 15-20 दुकाने हैं जिसमें 78 दुकानें किराना की होती है। यहाँ कपडे, चाय-नाश्ता, फल-सब्जी आदि भी मिल जाती है। यहाँ ठेले पर छोटे, भंजा आदि भी मिलते हैं। इसलिए आस-पास के छोटे गाँव के लोग यहाँ आकर खरीदारी करते हैं। उन्हें इस बाजार में सभी समान मिल जाते हैं। इन बाजारों में समान की अच्छी बिक्री होती है।

प्रश्न 6.
उधार लेना कभी तो मजबूरी है, तो कभी सुविधा । उदाहरण देकर ‘समझाएँ।
उत्तर-
जब कभी अगर हम बाजार गए और हमारे पास पैसे नहीं है और हमें कोई वस्तु सस्ते दामों पर मिल जाए तो, हम कोशिश करते हैं कि उस वक्त हमें वे समान उधार में मिल जाए और अगर हमें वह वस्तु उधार में मिल जाता है तो उस वक्त उधार हमारे लिए सुविधा बन जाता है। पर अगर हमें किसी वस्तु की सख्त जरूरत हो पर उस वक्त हमारे पास पैसे नहीं हो तो उधार लेना हमारी मजबूरी बन जाती है जबकि हमें पता होता है कि उधार लेने की वजह से हमें उस वस्तु की थोड़ी अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

प्रश्न 7.
लोग साप्ताहिक बाजार क्यों आना पसन्द करते हैं?
उत्तर-
साप्ताहिक बाजार सप्ताह में एक बार, एक दिन और एक जगह पर लगने वाला बाजार होता है। यहाँ रोजमर्रा के उपयोग की सभी चीजें मिल जाती हैं। यहाँ एक ही समान कई दुकानों में मिलता है। इसलिए अगर कोई विक्रेता अपनी वस्तु का अधिक दाम बताता है, तो लोगों के पास दूसरे दुकान से समान खरीद लेने का विकल्प होता है।

खरीददारों के पास मोल-भाव कर वस्तु की कीमत करवाने का मौका भी होता है। यहाँ पर ज्यादातर वस्तुएँ सस्ती एवं एक ही स्थान पर मिल जाता है। अलग-अलग सामान खरीदने के लिए अलंग-अलग स्थानों पर जाने की जरूरत नहीं होती है।

प्रश्न 8.
साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्ती क्यों होती है?
उत्तर-
साप्ताहिक बाजार में एक ही वस्तु कई दुकानों में मिलती हैं, इसके कारण दुकानदारों में आपस में कड़ी प्रतियोगिता होती है।

प्रश्न 9.
मोल-भाव कैसे और क्यों किया जाता है ? अपने अनुभव के आधार घर टोलियाँ बनाकर नाटक करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 10.
साप्ताहिक बाजार में जाने का अनुभव लिखें।
उत्तर-
मैं एक बार अपने माता-पिता के साथ साप्ताहिक बाजार गई थी। ये बाजार क्योंकि सप्ताह में एक ही दिन लगता है इसलिए बाजार में बहुत भीड़ थी। वहाँ रोजमर्रा के सभी सामान उपलब्ध थे। एक ही जैसे सामान कई दुकानों में मिल रहे थे। सभी लोग अपनी-अपनी जरूरतों के समान खरीदने में व्यस्त थे। कुछ दुकानदार अपनी वस्तु का दाम अधिक बता रहे. थे तो लोग दूसरे दूकान की ओर जा रहे थे, तो कुछ लोग उसी दूकानदार से वस्तु का मूल्य कम करने को कह रहे थे।

सभी लोग खरीदारी करने में व्यस्त थे। वहाँ आस-पास के गाँव के लोग भी खरीददारी करने आए थे। वे लोग जल्दी-जल्दी अपने जरूरत की समान खरीद रहे थे क्योंकि उन्हें शाम तक’

अपने गाँव वापस भी लौटना था और अगर किसी का कोई परिचित व्यक्ति मिल गया तो वो बातें भी कर रहे थे और खरीददारी भी। मेरे माता-पिता ने भी अपने जरूरतों के सामान की खरीददारी की और फिर हम अपने घर लौट आए।

प्रश्न 11.
आपके घर के आस-पास या कोई शहर के मोहल्ले की दुकानों का विवरण लिखें।
उत्तर-
मेरे घर के पास एक दुकान है। वहाँ रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सभी सामान उपलब्ध होते हैं। वहाँ सौंदर्य प्रसाधन से लेकर खाद्य सामग्री सभी कुछ मिलता है। उस दुकान के बाहर में फोन बूथ भी है, जहाँ से लोग फोन भी करते हैं। वहाँ के दुकानदार बहुत ही अच्छे हैं। घर के पास दुकान होने के कारण मोहल्ले के सभी लोगों से उनकी जान-पहचान हो गई है।

सभी लोग अपने उपयोग के समान वहीं से लेते हैं। उनके दुकान का सामान भी बहुत अच्छे किस्म का होता है जरूरत पड़ने पर वे हमलोगों को उधार भी देते हैं और बाद में हम उन्हें पैसे दे देते हैं। उनके दुकान में बिक्री भी अच्छी होती है।

प्रश्न 12.
साप्ताहिक बाजार और गाँव की दकानों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
साप्ताहिक बाजार सप्ताह में एक ही दिन लगता है। यहाँ पर कोई. भी व्यक्ति अपनी वस्तुएँ बेच सकता है। यहाँ पर रोजमर्रा के उपयोग के समान के साथ ही अन्य भी बहुत सारी वस्तएँ मिलती हैं। यहाँ पर लोगों को मोल-भाव कर सामान के दाम कम कराने का मौका मिलता है। अगर उन्हें लगता है कि दुकानदार वस्तुओं की कीमत कम नहीं कर रहा है, तो लोग दूसरी दुकान से सामान खरीद लेते हैं। यहाँ पर दूसरे गाँवों से लोग खरीददारी करने आते हैं।

पर मोहल्ले के दुकानों में उस मोहल्ले के लोग या उसके आस-पास के लोग ही खरीददारी करने आते हैं। यहाँ के दुकानों में रोजमर्रा के उपयोग के समान भी मिलते हैं। यहाँ पर वस्तुओं का मोल-तोल कम किया जाता है। वह दुकानें स्थायी होती हैं और प्रतिदिन खुलली है। यहाँ पर जान-पहचान की वजह से आपको उधार सामान भी मिल सकता है पर साप्ताहिक बाजार में ऐसा नहीं होता है।

प्रश्न 13.
पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान क्यों खरीदते हैं?
उत्तर-
पूरन और जूही हमेशा उस दुकान से ही सामान खरीदते हैं, क्योंकि वह दुकान उनके मोहल्ले में ही हैं और वहाँ के सामान भी अच्छे किस्म के होते हैं। उस दुकान से उनके घर में एक बार में एक महीने का राशन जाता है। पूरन और जूही सामानों की लिस्ट बनाकर दुकान में दे देते हैं और सामान मिलने पर वह दुकानदार से सामानों के दाम लिखकर एक कागज पर ले लेते हैं और जब उनके पापा को वेतन मिलता है तो वे दुकानदार को पैसे दे देते हैं। दुकानदार के रजिस्टर पर भी उनके द्वारा लिए गए सामानों की लिस्ट होती है।

अपनी वस्तुओं को ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए वे लोग दाम कम करते हैं। जैसे-अगर कोई दुकानदार अपनी किसी वस्तु का मूल्य 10 रु. बताता है और खरीददार उसे नहीं खरीदता है तो दूसरा दुकानदार अपनी उसी वस्तु का दाम 9 रु. बताकर उसे बेच देता है। फिर यहाँ पर अलग-अलग दुकान होने से खरीददारों को मोल-भाव करने का भी पूरा मौका मिलता है और वे वस्तुओं का दाम कम करवा लेते हैं। फिर दुकानदारों को सुबह दुकान लगाकर शाम तक हटाना भी होता है इसलिए वे लोग वस्तुओं का दाम कर ज्यादा से ज्यादा वस्तुएँ बेचने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 14.
शहरों में कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते हैं, क्यों?
उत्तर-
कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते, क्योंकि वहाँ पर सभी सामान ब्रांडेड कंपनियों की होती है और उन सब पर एक पर्ची रहती है जिस पर उनका निश्चित दाम लिखा रहता है।

प्रश्न 15.
मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में क्या अंतर है?
उत्तर-
मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में बहुत अंतर होता । है। मॉल के दुकानदार से आप वस्तुओं के कीमत को कम करवाने के लिए मोल-भाव नहीं कर सकते हैं। मॉल के दुकानदार आपको एक बार में महीने… भर का सामान देकर बाद में पैसे नहीं ले सकते, उन्हें तुरंत ही पैसा चाहिए। मॉल के दुकानदार से आप उधार सामान भी नहीं ले सकते हैं।

वहीं मोहल्ले के दुकानदार से आप वस्तुओं के मोल-भाव भी कर सकते हैं और उनसे वस्तुओं के दाम कम भी करवा सकते हैं। मोहल्ले के दुकानदार आपको एक बार में महीने भर का सामान देकर बाद में पैसे नहीं ले सकते,

उन्हें तुरंत ही पैसा चाहिए। मॉल के दुकानदार से आप उधार सामान भी नहीं

ले सकते हैं। वहीं मोहल्ले के दुकानदार से आप वस्तुओं के मोल-भाव भी कर सकते हैं और उनसे वस्तुओं के दाम कम भी करवा सकते हैं। मोहल्ले के दुकानदार से हम महीने भर का सामान एक बार में ले सकते हैं और फिर पैसे मिलने पर उन्हें पैसे दे सकते हैं। मोहल्ले के दुकानदार जान-पहचान वाले होने के कारण कभी-कभी जरूरत पड़ने पर हमें उधार भी देते हैं।

प्रश्न 16.
ब्रांडेड सामान किन कारणों से महंगा होता है?
उत्तर-
ब्रांडेड सामान के महँगे होने का सबसे बड़ा कारण होता है उनके ब्रांड का नाम । ब्रांडेड कंपनियाँ अपने सामानों का बड़ा-बड़ा विज्ञापन करवाती है, वे अपने सामानों के अच्छे क्वालिटी के होने के दावे करती है।

जिसमें कंपनियों का बहुत पैसा खर्च होता है। फिर अपने ब्रांडेड सामानों को बेचने के लिए कंपनियाँ बड़े-बड़े शोरूम का उपयोग करते हैं। इसमें भी उनका बहुत पैसा खर्च होता है। इन्हीं सब कारणों से ब्रांडेड सामान बिना ब्रांड वाले सामान से महंगे होते हैं।

प्रश्न 17.
दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है। शिक्षक के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है क्योंकि यहाँ पर सभी तरह के लोग आ-जा सकते हैं। अपनी जरूरतों के सामान खरीद सकते हैं। यहाँ आने-जाने को लेकर किसी के ऊपर कोई बंदिश नहीं होती। सभी जाति-धर्म आदि के लोग यहाँ एक साथ आकर खरीददारी करते हैं। यहाँ शिक्षित-अशिक्षित, अमीर-गरीब किसी के ऊपर कोई बंदिश नहीं होती है। – यहाँ कोई भी आकर सामान बेच सकता और खरीद सकता है।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बाजार क्या है? यह कितने प्रकार होता है?
उत्तर-
बाजार वह जगह होती है, जहाँ हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जाते हैं। हमारे चारों तरफ बाजार होते हैं। बाजार में हमारी जरूरतों के सभी सामान उपलब्ध होते हैं। बाजार में कई तरह दुकानों होते हैं, जिसमें हमें तरह-तरह के सामान मिलते हैं जैसे कपड़ा, चावल मसाला, अखबार, टी-बी-, मोबाईल, कॉपी-किताब, दवा आदि।

बाजार कई प्रकार के होते हैं-गाँव की दुकान, गाँव का बाजार, साप्ताहिक बाजार या हाट, मोहल्ले का दुकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल और थोक बाजार।

इन बाजारों में हम अपनी जरूरतों के हिसाब से खरीददारी करने जाते हैं। जब हमें कम सामान खरीदना होता है तो हम छोटी दुकानों से ही सामान खरीद लेते हैं और ज्यादा समान लेना होता है तो हम थोक बाजार से भी सामान खरीदते हैं।

प्रश्न 2.
ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीददारी क्यों नहीं पाते?
उत्तर-
ग्राहक सभी बाजार में समान रूप से खरीददारी नहीं पाते क्योंकि कछ बाजारों जैसे-साप्ताहिक बाजार में ग्राहकों को वस्तुओं के दाम के माल-भाव करने का मौका मिलता है और वे वस्तुओं के दाम कम करवा सकते हैं और दुकानदार वस्तुओं के दाम कम नहीं करता है तो वे दूसरी दुकान से सामान ले लेते हैं।

मोहल्ले के दुकानदारों से जान-पहचान की वजह से कभी-कभी उधार समान भी मिल जाता है। पर यही अगर ग्राहक चाहे की वे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या मॉल में वस्तुओं का मोलभाव करें तो यह संभव नहीं होता क्योंकि मॉल में सामान बहुत महंगे और ब्रांडेड होते हैं। थोक बाजार में ग्राहक आसानी से मोल-भाव करते हैं, क्योंकि एक बार में ज्यादा सामान लेने पर सामानों की कीमत कुछ कम होती है।

प्रश्न 3.
बाजार में कई छोटे दुकानदार से बातचीत करके उनके काम और आर्थिक स्थिति के बारे में लिखें।
उत्तर-
बाजार में कई छोटे दुकानदार भी होते हैं, वो लोग मंडी से सामान लाकर बेचते हैं। पर उनके पास सामानों की मात्रा बहुत कम होती है। वे लोग छोटी मात्रा में खरीद-बिक्री करते हैं। उनके दुकानों में रोजमर्रा के उपयोग की सभी सामान उपलब्ध होती है। वे लोग जान-पहचान वालों को कभी-कभी उबार सामान भी द देते हैं और बाद में उनसे पैसे ले लेते हैं।

इनकी आर्थिक स्थिति कुछ खास अंच्छी नहीं होती है। क्योंकि उन्हें – ज्यादा जाम नहीं होता । वे बड़े दुकानों की तरह सामानों को आधुनिक तरीके से पैकिंग करवाकर नहीं बेचते हैं। उनके दुकानों की साज-सज्जा भी अच्छी नहीं होती है। इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति भी साधारण ही रहती है।

प्रश्न 4.
बाजार को समझने के लिए अपने माता-पिता के साथ आपके – आस-पास के बाजारों का परिभ्रमण करके संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
मैं अपने पिताजी के साथ एक बार अपने घर के पास वाले बाजार में गई थी। वहाँ सभी वस्तुएँ मिल रही थीं। कछ दुकानें छोटी थी और कछ दुकानें बड़ी थी। छोटी दुकानों में सामानों की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं थी और वह दुकान भी बहुत ही साधारण-सी थी। वहाँ पर से आस-पास के लोग सामानों की खरीददारी कर रहे थे।

वहीं कुछ दूकानें बहुत बड़ी और आकर्षित ढंग से सजी हुई थी। वहीं कुछ दुकानों में ब्रांडेड कपडे, कुछ में ब्रांडेड जूते आदि मिल रहे थे। वहीं कुछ ठेले आदि पर भो जूते और कपड़े बेच रहे थे। वहीं पास में सब्जी और फल भी मिल रहे थे। ठेले पर चाट-पकौड़े, भुंजा ‘आदि मिल रहे थे। सभी लोग खरीददारी करने में व्यस्त थे।

प्रश्न 5.
किसी साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वालों से बातचीत करके अनुभव लिखें कि उन्होंने यह काम कब और कैसे शुरू किया? पैसों की व्यवस्था कैसे की? कहाँ-कहाँ दकानें लगाता/लगाती हैं? सामान कहाँ से खरीदता/खरीदती है ?
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 7 Social Science हमारे आस-पास के बाजार Notes

पाठ का सार संक्षेप

हमारे आस-पास के बाजार – हमें अपने आस-पास दुकानें देखने को मिलती है। बाजार में भी दुकानें देखने को मिलती है और इन दुकानों में तरह-तरह के सामान मिलते हैं। अपने आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमलोग बाजार जाते हैं। बाजार के कई रूप होते हैं जैसे नजदीक की दुकान, साप्ताहिक बाजार, बड़ी दुकान तथा शॉपिंग कॉम्पलेक्स आदि । इस अध्याय में हम बाजार के विभिन्न रूपों को जानेंगे।

गाँव की दूकान – गाँव में ज्यादातर छोटी-छोटी दूकानें होती है। इन दुकानों में किराने का समान जैसे – माचिस, नमक, गड, चीनी, चाय, तेल आदि मिलता है। इन दुकानों में थोड़ा बहुत उधार सामान मिलता है, पैसा न होने पर यहाँ से लोगों का काम चल जाता है बशर्ते की दुकानदार आपको पहचानता हो। इन दुकानों में सामान के बदले सामान भी मिलता है, जिसे हम ‘वस्तु “विनिपय प्रणाली’ कहते हैं। यहाँ के लोग छोटी-छोटी जरूरतों के लिए इन दुकानों पर निर्भर रहते हैं।

शहर में मोहल्ले की दुकान – हमारे मोहल्ले में भी किराने करदकान होती है । मोहल्ले में होने के कारण ज्यादातर लोग यहीं से सामान खरीदते हैं। यहाँ भी अलग-अलग ब्रांड के साबुन, दंत मंजन, पाउडर, केश तेल आदि रखे थे। मोहल्ले की दुकान होने के लोग उससे एक महीने का सामान एक बार में ही ले लेते हैं और फिर वेतन मिलने पर एक बार में ही पूरा पैसा दे देते हैं। दुकानदार हिसाब की एक पर्ची खरीददार को दे देता है और दूसरी अपनी रजिस्टर में लिख .ना है। गेहल्ले में ऐसी भी कई दुकानें होती हैं जहाँ दूध, फल, सब्जी, खाइ पदार्थ, हा स्टेशनरी आदि वस्तुएँ मिलती है। ये स्थायी एवं प्रतिदिन खुलने – जानें होती हैं।

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