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 bihar board class 8th science notes | फसल : उत्पादन एवं प्रबंधन

bihar board class 8th science notes | फसल : उत्पादन एवं प्रबंधन

फसल : उत्पादन एवं प्रबंधन

अध्ययन सामग्री-रोटी, कपड़ा और मकान मानव की तीन न्यूनतम आवश्यकताएंँ हैं। जिस
प्रकार वायु एवं जल हमारे जीवन के लिए तथा पौधे के जीवन के लिए आवश्यक तत्वों में से एक
माने जाते हैं। ठीक उसी प्रकार भोजन भी हमारे जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। भोजन वह
भोज्य पदार्थ है जो हमारे शारीरिक एवं मानसिक विकास को ऊर्जा प्रदान करता है। इतना ही नहीं, मनुष्य को हरेक काम करने में ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो हमें भोजन से ही प्राप्त होती है। पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। परन्तु मानव तथा अन्य जन्तु जीवित रहने के लिए भोजन कहाँ से प्राप्त करते हैं। मानव एवं जन्तु अपना भोजन पौधों, जन्तुओं अथवा दोनों से प्राप्त करते हैं। इसलिए इनका नियमित उत्पादन एवं प्रबंधन आवश्यक है। हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। इतना ही नहीं, हमारा राज्य बिहार भी कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। कृषि यहाँ की जनता की मुख्य पेशा है। अत: फसल का उत्पादन अधिक-से-अधिक हो इसके लिए उत्पादन तथा उसके प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है।
फसल, उत्पादन एवं प्रबंधन से तात्पर्य यह है कि अधिक-से-अधिक फसल का उत्पादन
हो जिसके लिए उन्नत बीज समय-समय पर सिंचाई, निकौनी, कटाई तथा भंडारण का समुचित
व्यवस्था करना ही प्रबंधन कहलाता है।
फसलों का उत्पादन मौसम के अनुसार होता है। गेहूँ की बुआई जाड़े में, धान की बुआई
वर्षा ऋतु में इत्यादि।
वर्षा ऋतु में उपजाई जाने वाली फसलें खरीफ, शीत ऋतु में उपजाई जाने वाली फसलें रबी
एवं ग्रीष्म ऋतु में उपजाई जाने वाली फसलें जायद कहलाती हैं।
खरीफ फसलें    ―   धान, मक्का।
रबी फसलें         ―   गेहूँ, चना।
जायद फसलें      ―    मक्का, तरबूज ।
अच्छे फसल उत्पादन के लिए निम्नलिखित क्रियाकलाप समय-समय पर करना चाहिए।
(i) मिट्टी तैयार करना या खेत तैयार करना, (ii) बीजों का चयन, (iii) बुवाई, (iv) सिंचाई,
(v) निकौनी, (vi) कटाई, (vii) गहाई, उसाई एवं सफाई, (viii) भण्डारण ।
खाद एवं उर्वरक–अच्छे फसल के उत्पादन के लिए या पौधों को पौष्टिक भोजन के रूप
में खाद एवं उर्वरक दिया जाता है। पौधे एवं जानवरों के अपशिष्ट जैसे गोबर, बेकार साग-सब्जियों, पौधे-पत्तियों तथा अन्य जैव अवशेष से प्राप्त कार्बनिक खाद कहलाते हैं। सूक्ष्मजीव बेकार पदार्थों को कार्बनिक पदार्थों में अपघटित कर देते हैं। इस प्रकार तैयार की हुई खाद कम्पोस्ट कहलाता है।
खाद के अलावा भी कुछ रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें उर्वरक कहते हैं। जैसे-
यूरिया, अमोनियम सल्फेट, पोटाश, पोटैशियम सल्फेट इत्यादि । उर्वरक जल में घुलनशील होते
हैं तथा पौधों की जड़ों द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। फसलों की पैदावार बढ़ाने के
लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। परन्तु मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए उर्वरकों
के स्थान पर जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए तथा दो फसलों के बीच कुछ समय के लिए
खेत को खाली छोड़ देना चाहिए।
उर्वरक एवं खाद में अन्तर-
* जैविक खाद के लाभ-
→ जैविक खाद से मिट्टी में जल सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है।
→ जैविक खाद से मिट्टी भुरभुरी एवं सरंध्र हो जाती है।
→ जैविक खाद से मित्र जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
→ जैविक खाद से मिट्टी का गठन में सुधार होता है।
                                           अभ्यास
1. सही विकल्प चुनिए-
(i) धान की फसल है―
(क) रबी
(ख) खरीफ
(ग) जायद
(घ) क एवं ख दोनों
(ii) चना की फसल है―
(क) खरीफ
(ख) रबी
(ग) जायद
(घ) इनमें से कोई नहीं
(iii) उर्वरक है―
(क) कार्बनिक पदार्थ
(ख) अकार्बनिक लवण
(ग) क एवं ख दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
(iv) खरपतवार हटाने को कहते हैं―
(क) जुताई
(ख) सिंचाई
(ग) निराई
(घ) कटाई
(v) अनाज का भण्डारण किया जाता है-
(क) जूट के बोरों में
(ख) धातु के पात्रों में
(ग) कोठियों में
(घ) F.C.I. गोदामों में
(ङ) उपर्युक्त सभी
            उत्तर-(i) (ख), (ii) (ख), (iii) (ख), (iv) (ग), (v) (ङ) ।
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) मिट्टी को उलटने-पलटने की प्रक्रिया ………… कहलाती है।
(ii) खाद ………….. पदार्थों का मिश्रण है।
(iii) धान एवं गन्ना में …………. सिंचाई की जरूरत होती है।
(iv) केंचुए को किसानों का ………… कहा जाता है।
(v) फलदार पौधों को पानी देने का सबसे अच्छा तरीका………….. तंत्र है।
उत्तर-(i) जुताई, (ii) रासायनिक, (iii) अधिक, (iv) मित्र, (v) ड्रिप ।
3. कॉलम A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B से कीजिए-
कॉलम A                                    कॉलम B
(i)खरीफ फसल                          (a) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट
(ii) रबी फसल                            (b) गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष
(iii) रासायनिक उर्वरक                 (c) धान एवं मक्का
(iv) कार्बनिक खाद                      (d) कटाई का यंत्र
(v) हार्वेस्टर                                 (e) गेहूँ, चना, मटर
उत्तर-(i)(c), (ii) (e), (iii) (a), (iv) (b), (v) (d) ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) सिंचाई किसे कहते हैं ? इसकी आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-पौधों को जीवित रहने के लिए जल की जरूरत होती है। बीज के अंकुरण से लेकर
फसल तैयार होने के कुछ दिन पहले तक या कुछ पौधों में एक फल टूटा तो दूसरा लगा वैसे
पौधों में निरंतर पानी की आवश्यकता होती है। पौधों को जिन पोषक तत्वों की जरूरत होती है
वे पानी में घुलकर जड़ों द्वारा पौधों के विभिन्न अंगों तक पहुंचते हैं। पौधों में लगभग 90%
जल होता है। अच्छी फसल उत्पादन के लिए फसलों को विभिन्न अंतराल पर पानी देना ही सिंचाई कहलाता है। सिंचाई की आवश्यकता को इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है।
(क) अंकुरण के लिए। (ख) पौधों की वृद्धि के लिए। (ग) पत्ती तथा टहनी में वृद्धि
के लिए। (घ) भोजन तैयार करने में। (ङ) फूल तथा फल में वृद्धि के लिए इत्यादि ।
(ii) खाद एवं उर्वरक में क्या अन्तर है?
उत्तर-
(iii) जैविक खाद से क्या लाभ है ?
उत्तर-जैविक खाद से निम्नलिखित लाभ हैं-
(क) जैविक खाद से मिट्टी की जल सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है।
(ख) जैविक खाद से मिट्टी भुरभुरी एवं सरंध्र हो जाती है जिसके कारण गैस विनिमय
सरलता से होता है।
(ग) जैविक खाद से मित्र जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
(घ) जैविक खाद से मिट्टी का गठन में सुधार होता है।
(ङ) जैविक खाद से मिट्टी को ह्यूम प्राप्त होता है।
(iv) खरपतवार क्या है? हम उनका नियंत्रण कैसे करते हैं?
उत्तर-खेतों में फसली पौधों के साथ-साथ कुछ अवांछनीय पौधे भी उग जाते हैं जो कि
मुख्य फसल के साथ भोजन, स्थान एवं जल का बंटवारा करके फसल को प्रभावित करते हैं।
इन अवांछनीय पौधों को खरपतवार कहते हैं। अच्छी फसल उत्पादन के लिए खरपतवार पर
नियंत्रण आवश्यक होता है। इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं।
(क) खेत की जुताई कर । (ख) खुरपी या हाथ से निकालकर । (ग) रसायनों का प्रयोग
कर इत्यादि।
(v) फसलों की उपज में सुधार हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दीजिए।
उत्तर-फसलों की उपज में सुधार हेतु महत्वपूर्ण सुझाव-
(क) मिट्टी/खेत को ठीक से तैयार करना। (ख) उन्नत/उत्तम बीज का चयन । (ग)
समय से बुवाई। (घ) समय-समय पर सिंचाई । (ङ) समय-समय पर निकौनी । (च) जैविक
खाद का अधिक से अधिक प्रयोग। (छ) वैज्ञानिक पद्धति से खेती करना ।
(ज) केंचुएँ का प्रयोग ।
(vi) केंचुए को “किसानों का मित्र” कहा जाता है। क्यों ?
उत्तर-रासायनिक खादों के प्रयोग, पीड़कनाशी के प्रयोग इत्यादि कारणों से जमीन की उर्वरा
शक्ति खत्म हो जाती हैं। जिसके कारण फसल का उत्पादन बहुत कम हो जाता है।
वैज्ञानिक शोध से निष्कर्ष निकला है कि केंचुए “किसानों का मित्र” होता है। क्योंकि केंचुए
भोजन के रूप में मिट्टी को ग्रहण करता है और उसमें रासायनिक अधिकता को कम कर मल
के रूप में बाहर निकाल देता है। निश्चित भू-भाग में निश्चित मात्रा में केंचुए को डालकर उसके
उर्वरा शक्ति को वापस लाया जा सकता है। इतना ही नहीं बहुत कम खर्च में केंचुए को उपलब्य
किया जा सकता है। इन सभी कारणों से केंचुए को “किसानों का मित्र” कहा जाता है।
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