JAC Board Jharkhand Class 9th Social Science History Solutions chapter -2-यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

JAC Board Jharkhand Class 9th Social Science History Solutions chapter -2-यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

 सही विकल्प का चयन करें-

प्रश्न 1. लेनिन कौन था ?
(a) वोल्शेविक पार्टी का नेता, 

(b) अंतरिम सरकार का नेता,

(c) मेन्शेविक पार्टी का नेता,

(d) उदारवादी दल का नेता ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 2. कुलक से क्या समझते हैं ?
(a) सेना की अच्छी हालत,

(b) किसान की अच्छी हालत.

(c) राजा की अच्छी हालत,

(d) रानी की अच्छी हालत ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 3. 1917 में जारशाही के पतन की घटना को क्या कहते है ?
(a) फरवरी क्रांति,

(b) खूनी रविवार,

(c) अक्टूबर क्रांति,

(d) मार्च क्रांति।
उत्तर-(c)

प्रश्न 4. जार किस देश का शासक था ?
(a) अमेरिका,

(b) रूस,

(c) चीन,

(d) जापान ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 5. सामाजिक उपबंध नामक पुस्तक की रचना किसने की ?
(a) रूसो,

(b) दिदरो,

(c) वाल्टेयर,

(d) टॉमस पैन ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 6. रूस में 'कोलखोज' क्या था ?
(a) सामंत,

(b) सामूहिक खेती,

(c) सामूहिक प्रार्थना,

(d) विद्रोह ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 7. 1929 में किसने रूस में सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया ?
(a) लेनिन,

(b) स्तालिन,

(c) कार्ल मार्क्स,

(d) ड्यूमा ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 8. रूसी शासक जार निकोलनस द्वितीय ने कब त्याग पत्र दिया ?
(a) 10 जनवरी, 1910,

(b) 2 मार्च, 1917,

(c) 15 फरवरी, 1915,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 9. लुई ब्लांक कौन था ?
(a) एक राष्ट्रवादी,

(b) एक वैज्ञानिक,

(c) एक उद्योगपति,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 10. किसके नेतृत्व में मजदूरों का जुलूस विंटर पैलेस पहुँचा ?
(a) फादर टेटे,

(b) राबर्ट ओवेन,

(c) पादरी गैपॉन,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(c)

प्रश्न 11. सेंट पिटर्सबर्ग का नया नाम क्या पड़ा ?
(a) पेरिस,

(b) पेत्रोग्राद,

(c) पोलैंड,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 12. रूसी बोल्शेविक पार्टी का नेता था-
(a) लेनिन,

(b) मार्क्स,

(c) मैक्सिम गोर्बी,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 13. अक्तूबर क्रांति प्रारम्भ होने के समय रूस का प्रधानमंत्री था-
(a) लेनिन,

(b) केरेंस्की,

(c) पुतिन,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 14. लेनिन के बाद रूसी कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व किसने किया ?
(a) लेनिन,

(b) गोर्बाचोव,

(c) स्तालिन,

(d) सोलोकोव ।
उत्तर-(c)

प्रश्न 15. सोवियत संघ का विघटन कब हुआ ?
(a) 1980,

(b) 1989,

(c) 1991,

(d) 2004.
उत्तर-(c)

प्रश्न 16. साम्यवादी विचार के संस्थापक कौन थे ?
अथवा, समाजवादी विचारधारा के प्रवर्तक कौन थे ?
(a) लेनिन,

(b) नेपोलियन,

(c) कार्ल मार्क्स,

(d) हिटलर ।
उत्तर-(c)

प्रश्न 17. 'ड्यूमा' किस देश की संसद का नाम था ?
(a) जापान,

(b) ब्रिटेन,

(c) जर्मनी,

(d) रूस ।
उत्तर- (d)

प्रश्न 18. कई खेतों को मिलाकर की जाने वाली सामूहिक खेती को क्या कहते हैं ?
(a) कम्यून,

(b) बाड़ाबंदी,

(c) बेटो,

(d) यूटोपिया ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 19. रवीन्द्रनाथ टैगोर किस वर्ष रूस की यात्रा पर गए थे ?
(a) 1925,

(b) 1927,

(c) 1930,

(d) 1935.
उत्तर-(c)

प्रश्न 20. 'समाजवाद' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था ?
(a) कार्ल मार्क्स,

(b) मॉन्टेस्क्यू,

(c) रॉबर्ट ओवेन,

(d) जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ।
उत्तर-(c)

प्रश्न 21. कार्ल मार्क्स कहाँ का निवासी था ?
(a) रूस,

(b) फ्रांस,

(c) जर्मनी,

(d) इंग्लैण्ड।
उत्तर-(c)

प्रश्न 22. 'दास कैपिटल' नामक पुस्तक के लेखक कौन थे ?
(a) कार्ल मार्क्स,

(b) वॉल्टेयर,

(c) मॉन्टेस्क्यू,

(d) अलेक्जेंडर-II
उत्तर-(a)

प्रश्न 23. 'दुनिया के मजदूरों एक हो' का नारा किसने दिया था ?
(a) मॉन्टेस्क्यू,

(b) कार्ल मार्क्स,

(c) वॉल्टेयर,

(d) जार निकोलस-II
उत्तर-(b)

प्रश्न 24. पेत्रोगाद सोवियत का जन्म कब हुआ ?
(a) 27 फरवरी, 1917,

(b) 21 मार्च, 1917,

(c) 27 फरवरी, 1919,

(d) 21 मार्च, 1919.
उत्तर-(a)

प्रश्न 25. पेत्रोगाद क्रांति को किस नाम से जाना जाता है ?
(a) फरवरी क्रांति,

(b) अक्टूबर क्रांति,

(c) मार्च क्रांति,

(d) अगस्त क्रांति ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 26. मार्फा वासीलेवा थी-
(a) बहादुर महिला कारीगर,

(b) एक अनपढ़ किसान,

(c) एक जादूगर,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर- (a)

प्रश्न 27. रूसी शासक जार निकोलनस द्वितीय ने कब त्याग पत्र दिया ?
(a) 10 जनवरी, 1910,

(b) 2 मार्च, 1917,

(c) 15 फरवरी, 1915,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 28. रूस के सम्पन्न किसान को कहा जाता है-
(a) कुलीन वर्ग,

(b) कुलक,

(c) पादरी वर्ग,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(b)

प्रश्न 29. किन शक्तियों को केन्द्रीय शक्तियाँ कहा जाता है ?
(a) जर्मनी, आस्ट्रिया और तुर्की,

(b) अमेरिका और जर्मनी,

(c) जापान, जर्मनी और तुर्की

(d) जर्मनी और जापान ।
उत्तर-(a)

प्रश्न 30. 1917 से पूर्व रूस पर किसका शासन था ?
(a) जार निकोलस ।

(b) जार निकोलस II

(c) जार निकोलस III

(d) जार निकोलस IV
उत्तर-(b)

प्रश्न 31. रूसी संसद का क्या नाम था ?
(a) संसद भवन,

(b) काँग्रेस,

(c) पार्लियामेंट,

(d) ड्यूमा ।
उत्तर-(d)

प्रश्न 32. रूसी क्रांतिकारियों के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?
(i) प्रथम विश्व युद्ध से रूस को हटाना,
(ii) जमीन किसानों को देना,
(iii) कारखानों पर मजदूरों का नियंत्रण,
(iv) गैर रूसी जातियों को समानता का दर्जा देना।
(a) (i) और (ii).

(b) (ii) और (iii),

(c) (i) और (iv),

(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-(b)

प्रश्न 33. "खूनी रविवार' के नाम से किस दिन को जाना जाता है ?
(a) 1 जनवरी 1905,

(b) 9 जनवरी 1905,

(c) 15 जनवरी 1905,

(d) 20 जनवरी 1905.
उत्तर- (d)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. उदारवादी कौन थे ?
उत्तर- कॉंग्रेस के वे नेता जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के आरम्भिक दौर में 1885 ई० से लेकर 1905 ई० तक कॉंग्रेस की बागडोर सम्भाले रखी उन्हें उदारवादी कहा जाता है। ऐसे कुछ नेताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, एम० जी० रानाडे आदि के नाम विशेषकर उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 2. खानाबदोशीवाद से क्या समझते हैं ?
उत्तर- जीवन व्यतीत करने की एक शैली जिसके अन्तर्गत लोग एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते बल्कि अपनी रोजी कमाने के लिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की ओर घूमते ही रहते हैं।

प्रश्न 3. लेनिन के अप्रैल की तीन माँगें क्या थी ?
उत्तर- लेनिन के अप्रैल की तीन माँगें-
(क) युद्ध को बंद किया जाए।

(ख) भूमि किसानों को हस्तांतरित की जाए।

(ग) बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो ।

प्रश्न 4. निर्वासित किसे कहते है ?
उत्तर- बलपूर्वक किसी भी व्यक्ति को उसी के देश से बाहर निकालना या भेजना निर्वासित कहलाता है।

प्रश्न 5. भारत के किन्हीं दो प्रमुख सामाजिक, धार्मिक सुधारकों के नाम लिखें, जिनका फ्राँस की क्रांति पर प्रभाव पड़ा था तथा जो इसकी महत्ता के विषय में बातचीत करते थे।
उत्तर- (क) राजा राममोहन राय,

(ख) डिरोजियो ।

प्रश्न 6. रूस की क्रांति की तात्कालिक उपलब्धियों क्या थीं ?
उत्तर- (क) नया समाजवादी ढाँचा— रूसी क्रांति ने रूस में नये समाजवादी ढंग के समाज की स्थापना के कार्य को शुरू किया।

(ख) रूस को मजबूत किया- रूसी क्रांति ने रूस को बहुत मजबूत देश बनाया था। वह शीघ्र ही विश्व की एक बड़ी शक्ति बनकर उभरा।

प्रश्न 7 जार निकोलस द्वितीय से गैर-रूसी अप्रसन्न क्यों थे ?
उत्तर- जार निकोलस द्वितीय द्वारा गैर-रूसी लोगों पर रूसी भाषा थोपी गई। उसने उनकी संस्कृति को समाप्त करने की कोशिश की थी।

प्रश्न 8. रूसी घुड़सवार सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से क्यों इंकार कर दिया ?
उत्तर- क्योंकि वह रूस के जार निकोलस द्वितीय के अन्यायपूर्ण कार्यों से तंग आ चुके थे।

प्रश्न 9. रूसी शासक जार निकोलस द्वितीय ने कब त्यागपत्र दिया ?
उत्तर-2 मार्च 1917 ई० को।

प्रश्न 10. क्रांति के उपरान्त (1905) रूस के जार निकोलस द्वितीय ने जो तीन सुधार किए, उनका वर्णन करें।
उत्तर- (क) स्वतंत्रापूर्वक बोलने की स्वतंत्रता दे दी गई।

(ख) प्रेस की स्वतंत्रता ।

(ग) संगठन (संघ) बनाने की स्वतंत्रता ।

प्रश्न 11. ड्यूमा क्या है ?
उत्तर- ड्यूमा- यह एक निर्वाचन द्वारा गठित रूसी संसद थी। इसका निर्माण जार ने 1905 की क्रांति के दौरान करने की अनुमति दी थी।

प्रश्न 12. कुलक से क्या समझते हैं ?
उत्तर- रूस में जो किसान अच्छी हालत में थे उनके लिए यह नाम (अर्थात् कुलक) प्रयोग में लाया जाता था । स्टालिन के कालांश के दौरान आधुनिक खेतों के विकास हेतु तथा उन्हें उद्योगों की भाँति मशीनों से कमाने के लिए यह आवश्यकता समझा गया कि पूरे रूस में कुलक (Kulaks) को समाप्त कर दिया जाये ।

प्रश्न 13. कौन पार्टी निजी सम्पत्ति की व्यवस्था के खिलाफ थे ?
उत्तर- बोल्शेविक ।

प्रश्न 14. किस विचारधारा के लोग सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और स्थान चाहते थे ?
उत्तर- उदारवादी ।

प्रश्न 15. सोवियत का सबसे बड़ा अकाल कब पड़ा ?
उत्तर- 1930-1933.

प्रश्न 16. सोवियत संघ की स्थापना लेनिन (बोल्शेविक पार्टी) द्वारा कब हुई ?
उत्तर- दिसम्बर 1922.

प्रश्न 17. किस क्रांति के माध्यम से समाजवादियों ने रूस में सत्ता सँभाली ?
उत्तर- 1917 में अक्टूबर क्रांति ।

प्रश्न 18. सोवियत किन्हें कहा जाता था ?
उत्तर- रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन को ।

प्रश्न 19. बोल्शेविक का विद्रोह कब शुरू हुआ ?
उत्तर- 24 अक्टूबर, 1917.

प्रश्न 20. बोल्शेविक पार्टी के नेता लेनिन कब रूस लौटे ?
उत्तर- 1917

प्रश्न 21. लेनिन ने बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर क्या नाम रखा ?
उत्तर- रूसी कम्युनिस्ट पार्टी ।

प्रश्न 22. रूसी इतिहास के किस तिथि को आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है ?
उत्तर- 22 फरवरी।

प्रश्न 23. किसी भी व्यक्ति को उसी के देश से बाहर निकालना या भेजना क्या कहलाता है।
उत्तर- निर्वासित ।

प्रश्न 24. फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने मिलकर किससे युद्ध किया ?
उत्तर - केन्द्रीय शक्ति के देशों से ।

प्रश्न 25. कौन 'निजी सम्पत्ति' के विरोधी थे ?
उत्तर- समाजवादी ।

प्रश्न 26. मेनशेविक पार्टी के नेता कौन थे ?
उत्तर- केरेस्की ।

प्रश्न 27. 1815 के बाद इटली में राष्ट्रवादी आंदोलन किसने किया ?
उत्तर-गिसेप्से मेजिनी ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. सोवियतों की उन तीन माँगों को लिखें जिनकी वजह से जार का पतन हुआ था ।
उत्तर- (क) देश में शांति स्थापित की जानी चाहिए तथा देश में हर वास्तविक काश्तकार को ही जमीन दी जाए।

(ख) देश के सभी उद्योग पूर्णतया मजदूरों के नियंत्रण में हों।

(ग) गैर-रूसी समुदायों को समान स्तर दिया जाए तथा संपूर्ण शक्तियाँ केवल सोवियतों के हाथों में ही दी जानी चाहिए।

प्रश्न 2. कम्युनिस्ट मैनिफैस्टो (साम्यवादी घोषणा-पत्र ) नामक दस्तावेज क्रांतिकारी क्यों था ?
उत्तर- साम्यवादी घोषणा-पत्र का समाजवादी आंदोलन पर बड़ा भारी प्रभाव पड़ा था। सन् 1840 ई० में कम्युनिस्ट घोषणा पत्र को कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने लिखा था। उनके विचारों से दासता, सामन्तवाद और पूँजीवाद सब एक समान हैं। उनका जोर मजदूरों के हितों की ओर अधिक था न कि मिल मालिकों के हितों की ओर। वे व्यक्ति के काम के अनुसार उसे विशेषाधिकार देने के पक्ष में थे, न कि जन्म या वंशानुगत के अनुसार विशेषाधिकार देने के पक्ष में।

प्रश्न 3. उग्रवादियों (गरमपंथी) की विचारधारा क्या थीं ?
उत्तर- उग्रवादियों की विचारधाराएँ-
(क) यूरोप में लोगों का वह समूह जो अपने देश में एक ऐसी सरकार स्थापित करने के लिए हर कदम उठाने के लिए तैयार था जो लोगों के बहुमत पर अवलम्बित हो।

(ख) इस समूह के कुछ लोग महिलाओं को मताधिकार दिए जाने के समर्थक भी
थे।

(ग) ये चरमपंथी बड़े-बड़े भूमि स्वामियों एवं धनी कारखाना मालिकों को विशेषाधिकार दिए जाने के घोर विरोधी थे।

(घ) उग्रपंथी निजी संपत्ति को बनाये रखने के विरोधी नहीं थे लेकिन वे कुछ ही लोगों के हाथों में सम्पदा के केन्द्रीयकरण के घोर विरोधी थे।

प्रश्न 4.1905 की क्रांति के बाद रूस के जार निकोलस द्वितीय द्वारा आरम्भ किए गए दो सुधारों का वर्णन करें।
उत्तर- रूस का जार निकोलस द्वितीय पक्का तानाशाह था। परन्तु जब रूस में 1905 ई० की क्रांति हुई तो वह सुधार करने के लिए तैयार हो गया।

(क) उसने लोगों को स्वतंत्रता से अपने विचार अभिव्यक्त करने और संघ बनाने की स्वतंत्रता दे दी और प्रेस से भी अंकुश हटा लिये।

(ख) वह यह भी मान गया कि कानून लोगों की चुनी हुई संस्था द्वारा बनाए जायेंगे, जिसे ड्यूमा कहा जाता था ।

प्रश्न 5. बोल्शेविक कौन थे ?
उत्तर- यह रूस के औद्योगिक मजदूरों की एक राजनीतिक पार्टी थी जिसका नेता लेनिन था। इस पार्टी के साथ औद्योगिक मजदूरों का अधिक भाग था इसलिए इसे बहुसंख्यक गुट या बोल्शेविक गुट कहा जाता है। यह गुट क्रांतिकारी विचारधारा में विश्वास रखता था। उनका विचार था कि जिस देश में न तो संसद हो और न ही नागरिकों को कोई जनतांत्रिक अधिकार दिए गए हों वहाँ शान्तिमय ढंग से कोई परिवर्तन नहीं लाये जा सकते। यह पार्टी ही अंत में 1917 ई० में रूस में एक सफल क्रांति लाने में कामयाब हुई।

प्रश्न 6. रूस में केरेन्स्की सरकार क्यों अलोकप्रिय हो गई थी ?
उत्तर- (क) वह जनता की नब्ज को महसूस करने में विफल रहा।

(ख) लोग शान्ति चाहते थे लेकिन वह युद्ध जारी रखना चाहता था ।

(ग) गैर-रूसी जनता ने उसकी सरकार के अधीन समान स्तर पाना चाहा जिसे देने में वह हिचकिचा रहा था याद रहे इस विषय में बोल्शेविक दल की नीतियाँ पूर्णतया स्पष्ट एवं लोकप्रिय थीं।

प्रश्न 7. रूस के इतिहास में कौन-सी घटना 'खूनी रविवार के नाम से जानी जाती है ?
अथवा, ‘लाल रविवार' अथवा 'खूनी रविवार' के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर - सन् 1905 में रूसी क्रांतिकारी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। 7 जनवरी (रविवार) 1905 में मजदूरों का एक समूह जार की याचिका देने के लिए जा रहा था। मजदूरों के इस समूह पर सेंट पीटर्सबर्ग ने निकट गोलियाँ चलाई गई जिससे हजारों मजदूर (स्त्रियाँ, पुरुष व बच्चे) घटना स्थल पर ही मारे गये और इससे भी अधिक घायल हो गये। यही घटना रूस के इतिहास में 'खूनी रविवार' या 'लाल रविवार के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 8. मेन्शेविक पार्टी के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर - यह रूस के औद्योगिक मजदूरों का एक अन्य राजनीतिक दल था जो परिवर्तन लाने के लिये शान्तिमय ढंग अपनाने के पक्ष में था न कि क्रांतिकारी ढंग अपनाने के पक्ष में । इस दल के साथ औद्योगिक मजदूरों की कम गिनती थी । इसलिए इस दल को अल्पसंख्यक दल या मेन्शेविक गुट कहा जाता था। यह दल यूरोप के विशेषकर फ्राँस और जर्मनी के राजनीतिक दलों की भाँति चुनाव में भाग लेकर विधान मण्डल या संसद आदि का निर्माण करना चाहता था । परंतु इस दल को कोई विशेष सफलता प्राप्त न हुई क्योंकि रूस का जार संवैधानिक ढंग पर चलने वाला न था ।

प्रश्न 9. फरवरी क्रांति में रूस की जनता की चार मुख्य माँगें क्या थीं ?
उत्तर- फरवरी क्रांति में रूस की जनता की चार मुख्य माँगें थीं-
(क) शान्ति अर्थात् प्रथम विश्व युद्ध से रूस अलग हो जाए।

(ख) जोतने वालों को ही जमीन दी जाए। चर्च, पादरियों, सामन्तों से भूमि छीन ली जाए ।

(ग) उद्योगों पर मजदूरों का नियंत्रण।

(घ) गैर-रूसी जातियों को समानता का दर्जा ।

प्रश्न 10. अक्टूबर क्रांति फरवरी क्रांति से कैसे भिन्न है ? इसके क्या परिणाम निकले ?
उत्तर-यह क्रांति का दूसरा दौर था । यह क्रांति नवम्बर मास में हुई परन्तु उसे अक्टूबर क्रांति का नाम दिया जाता है क्योंकि प्राचीन रूसी कैलेण्डर अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर से आठ दिन पीछे था। फरवरी क्रांति के पश्चात् रूस की राजसत्ता केरेंस्की नामक नेता ने संभाली परंतु वह लोगों की इच्छाएँ पूरी न कर सका, उद्योगों पर मजदूरों का अधिकार स्थापित न करा सका, किसानों को भूमि न दिला सका इसलिए नवम्बर 1917 ई० को रूस में दुबारा क्रांति हुई । अस्थायी सरकार को भंग कर दिया गया। केरेंस्की देश छोड़कर भाग गया और शासन की बागडोर लेनिन के हाथ में आ गई।

प्रश्न 11. कम्युनिस्ट इंटरनेशनल का क्या महत्व था ?
उत्तर-कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध के शीघ्र ही पश्चात् 1919 ई० में की गई। इस संस्था ने साम्यवाद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने का प्रयत्न किया। इसके प्रभावाधीन अनेक देशों में साम्यवादी संगठनों की स्थापना हुई और विश्व के अनेक प्रजातंत्रीय देशों ने राजनीतिक समानता के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक समानता लाने का भी प्रयत्न किया। द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रारम्भ होते ही सारा संसार युद्ध के भयंकर वातावरण में उलझ गया और इस प्रकार 1943 ई० में कम्युनिस्ट इंटरनेशनल को भंग कर दिया गया।

प्रश्न 12. रूस की 1917 की क्रांति के दो राजनैतिक कारण बताएँ ।
उत्तर- रूस की 1917 की क्रांति के दो राजनीतिक कारण-
(क) 1905 ई० की क्रांति- सन् 1905 की रूसी क्रांति को 1917 की क्रांति की जननी कहा जाता है। 22 जनवरी, 1905 को मास्को में एक माँग पत्र को लेकर मजदूरों व कृषकों द्वारा शान्तिपूर्ण ढंग से एक जुलूस निकाला जा रहा था कि जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चला दी। फलस्वरूप 1000 लोग मारे गये, हजारों लोग घायल हुए और 60 हजार लोगों को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया गया। जगह-जगह हड़तालें तथा दंगे हुए। जार ने दमन के द्वारा क्रांति दबा दी किन्तु क्रांति की ज्वाला अन्दर ही अन्दर सुलगती रही और 1917 में एक महान क्रांति के रूप में प्रकट हुई।

(ख) जार का अत्याचारी शासन- जार एक निरंकुश शासक था। वह साम्राज्यवादी नीति में विश्वास रखता था। निरन्तर युद्धों के कारण रूस आर्थिक संकट में फँस गया था। लोगों को जार का शासन असहनीय होता जा रहा था। वह लोगों पर तरह-तरह के अत्याचार करता था। अतः अत्याचारी शासन ने भी 1917 की क्रांति को लाने में सहायता की।

प्रश्न 13. लेनिन के अनुसार, रूसी क्रांति को सफल बनाने के लिए कौन दो परिस्थितियाँ आवश्यक थीं ?
उत्तर- लेनिन के अनुसार रूसी क्रांति को सफल बनाने के लिये निम्नांकित दो परिस्थितियाँ आवश्यक थी-

(क) तानाशाही समाप्त होनी चाहिए जिसका अर्थ है कि रूस के जार को हटाना होगा अन्यथा वह रूस की क्रांति के मार्ग में अनेक अड़चनें पैदा करेगा।

(ख) रूस को प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो जाना चाहिए क्योंकि शान्ति स्थापित किये बिना कुछ प्राप्त होने वाला नहीं क्रांति के लाभ तो युद्ध के वातावरण में कभी भी प्राप्त नहीं हो सकते।

प्रश्न 14. रूस की अक्टूबर 1917 की क्रांति में बोल्शेविक दल ने किस प्रकार योगदान दिया था ?
उत्तर-बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध (प्रथम विश्व युद्ध) को समाप्त करने के लिए स्पष्टतया अपनी नीतियाँ रखीं, भूमि का किसानों को हस्तान्तरण तथा यह नारा आगे बढ़ाया कि सभी शक्तियाँ सोवियतों को गैर-रूसी नागरिकों के मामले पर बोल्शेविक ही केवल मात्र ऐसी पार्टी थी जिसकी नीतियाँ पूर्णतया स्पष्ट थीं। लेनिन ने लोगों के इस अधिकार की घोषणा की कि आत्म-निर्णय का अधिकार, उन सभी को भी है जो रूसी साम्राज्य के अधीन (उपनिवेश के रूप में) हैं।

प्रश्न 15. किसानों की हीन दशा 1917 ई० की रूसी क्रांति के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
अथवा, 1917 की रूसी क्रांति से पहले रूस में कृषकों की दशा का वर्णन करें।
उत्तर- 1861 ई० से पहले रूस में सामन्त प्रथा थी। तब किसान भूमिदास के रूप में जमीनों को जोतते-बोते थे परंतु वे भूमि की उपज का अधिकांश भाग सामन्तों को विशेषकर रूस के शासक, जिसको जार कहते थे, को दे देते थे। इन पर करों का भी बड़ा बोझ था। यद्यपि 1861 ई० में सामन्त-प्रथा समाप्त कर दी गई फिर भी रूस के किसानों की दशा बहुत खराब रही क्योंकि उनके पास छोटे-छोटे खेत थे जिन पर पुराने तरीकों से खेती की जाती थी। उन पर ऋणों का बोझ रहता था तथा खेती की दशा सुधारने के लिए उनके पास धन न था। इस कारण किसानों को, जो देश की जनसंख्या के 75% थे, दो समय भोजन भी नहीं मिल पाता था। इस प्रकार किसानों की हीन दशा तथा भूमि के लिए उनकी भूख 1917 ई० की क्रांति का एक प्रबल (सामाजिक) कारण सिद्ध हुई।

प्रश्न 16. 1917 की क्रांति से पूर्व ऐसा क्यों कहा जाता था कि रूस पुरानी दुनिया में रह रहा था ?
उत्तर- रूस पर अभी भी सामन्तवादी कुलीन वर्गों द्वारा शासन किया जाता था और नये उदित हो रहे मध्यम वर्ग रूस के शासन में कोई भूमिका नहीं थी। जार का शासन निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी था। जार अभी भी राजाओं के दैविक शक्ति सिद्धांत में विश्वास रखता था ।

प्रश्न 17. रूस के इतिहास में 9 जनवरी, 1905 का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-(क) 9 जनवरी, 1905 रूस की 1917 की क्रांति का पूर्वाभ्यास बन गया।

(ख) इस दिन हजारों शान्तिपूर्ण कार्यकर्ता (श्रमिक) मारे गये तथा रूस की सेनाओं के द्वारा इतने ही बुरी तरह घायल कर दिये गये, जबकि वे उसे (जार को) एक माँग-पत्र देने जा रहे थे।

(ग) इससे सेना तथा नौसेना सहित संपूर्ण रूस में हलचल पैदा हो गई। इसने लोगों को क्रांति के लिए तैयार किया ।

प्रश्न 18. रूस में 1905 में क्रांतिकारी उथल-पुथल क्यों पैदा हुई थी ? क्रांतिकारियों की क्या माँगें थीं ?
उत्तर- आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बहुत बढ़ गई थीं और वास्तविक वेतनों में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई थी। प्युतिलोव आयरन वर्क्स से अनेक श्रमिकों को निकाल दिया गया था। इसीलिए मजदूर स्त्रियाँ, पुरुष तथा बच्चे शांतिपूर्ण ढंग से एक जुलूस के रूप में जार को ज्ञापन देने जा रहे थे। फादर गैपॉन इनके नेता थे। परंतु विंटर पैलेस पहुँचने से पूर्व ही पुलिस द्वारा उन पर गोलियाँ बरसाई गई, जिससे 100 से अधिक मजदूर मारे गए व 300 से अधिक घायल हुए। रूस में 1905 की क्रांतिकारी उथल-पुथल इसी कारण से हुई थी। क्रांतिकारियों की माँगे थीं- केवल आठ घंटे काम, वेतनों में वृद्धि तथा कार्य स्थितियों में सुधार।

प्रश्न 19. बोल्शेविक पार्टी का 1917 की रूस की क्रांति लाने में क्या हाथ है ?
उत्तर- अक्टूबर 1917 में रूस की क्रांति लाने में बोल्शेविक पार्टी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही-
(क) लेनिन द्वारा अंतरिम सरकार का भंग किया जाना- फरवरी 1917 ई० में रूस में जो क्रांति हुई उसके परिणामस्वरूप वहाँ राजकुमार केरेंस्की के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। परन्तु यह सरकार लोगों की इच्छाओं को पूरा न कर सकी इसलिए इसने शीघ्र ही लोगों का सहयोग खो दिया। इस अवसर पर लेनिन ने बोल्शेविक पार्टी का पुनर्गठन किया क्रांति का रूप केरेंस्की की सरकार की ओर किया और उसे और इस जबरदस्ती भंग कर दिया। राजकुमार केरेंस्की भाग खड़ा हुआ प्रकार सरकार की बागडोर बोल्शेविक पार्टी के हाथ में आ गई। इस प्रकार अक्टूबर 1917 की क्रांति सफल हुई।

(ख) किसानों और मजदूरों के हाथ में नेतृत्व सौंपना- बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता मजदूरों और किसानों के हाथ में सौंप दी। उन्होंने जमीदारों की संपत्ति और भूमियों को छीन लिया और कइयों की हत्या कर दी। तब मजदूरों और किसानों के संघों ने गाँवों और नगरों के स्थापित प्रशासन को संभाल लिया।

प्रश्न 20. फरवरी क्रांति से क्या तात्पर्य है ? इसे ऐसा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- फरवरी क्रांति- यह क्रांति रूसी पंचांग के अनुसार 27 फरवरी, 1917 को हुई। अतः इसे 'फरवरी क्रांति' के नाम से जाना जाता है। रूस के तत्कालीन शासक जार निकोलस द्वितीय बिना किसी तैयारी के मित्र राष्ट्रों के साथ प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया परन्तु बिना हथियारों, वर्दी, रसद तथा कुशल नेतृत्व के रूसी सेना की पराजय ही नहीं हुई, बल्कि भारी संख्या में रूसी सैनिक भी मारे गये। देश में भोजन की कमी हो गई। अतः देश में अशान्ति तथा अराजकता फैल गई। जनता 'रोटी' और कुशासन का अंत चाहती थी। जार को सिंहासन छोड़ने पर मजबूर किया गया और राजकुमार केरेन्स्की के नेतृत्व में अस्थायी सरकार की स्थापना की गई।

प्रश्न 21. अक्टूबर क्रांति' का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-अक्टूबर क्रांति— यह क्रांति का दूसरा दौर था। पुराने रूसी कैलेण्डर के अनुसार यह क्रांति 25 अक्टूबर से प्रारम्भ हुई। फरवरी क्रांति के बाद रूस की राजसत्ता केरेन्स्की ने संभाली थी, परन्तु वह जनता की इच्छाएँ एवं आवश्यकताएँ पूरी न कर सका। वह उद्योगों पर मजदूरों का अधिकार स्थापित न करा सका, किसानों को भूमि न दिला सका, अतः अक्टूबर में पुनः क्रांति हो गई । अस्थायी सरकार को भंग कर दिया गया। केरेन्स्की देश छोड़कर भाग गया और शासन की बागडोर लेनिन के हाथ में आ गई।

प्रश्न 22. स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम क्या था ? वर्णन करें।
उत्तर- स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-
(क) सभी किसानों को सामूहिक खेतों में काम करने का आदेश कर दिया।

(ख) ज्यादातर जमीन और साजो-समान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए।

(ग) सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में नाटकीय वृद्धि नहीं हुई बल्कि 1930-1933 की खराब फसल के बाद तो सोवियत इतिहास का सबसे बड़ा अकाल पड़ा जिसमें 40 लाख से ज्यादा लोग मारे गए ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर - 1905 ई० से पहले रूस की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दशा बड़ी शोचनीय थी इसलिए वहाँ 1905 ई० में एक महान् क्रांति हुई जो 1905 की रूसी क्रांति के नाम से प्रसिद्ध है। रूस में जार का शासन न केवल अव्यवस्थित ही था वरन् अत्याचारी भी था । जार निकोलस द्वितीय (1894-1917) एक ढोंगी संत रासपुटिन के प्रभाव में आकर प्रतिक्रियावादी हो गया था और लोगों पर अत्याचार करने लगा था । किसानों और मजदूरों की स्थिति दिन-प्रतिदिन शोचनीय होती जा रही थी । चारों ओर अकाल ने अपना दामन फैला रखा था और भूख के कारण बहुत से लोग कीड़े-मकोड़ों की तरह मर रहे थे। स्थिति बड़ी उत्तेजक थी। उधर पश्चिमी देशों की प्रजातंत्रीय प्रथाओं से प्रभावित होकर रूस के नागरिक भी अपने देश के उत्तरदायी सरकार चाहते थे परन्तु निरंकुशता के नशे में मदमस्त जार लोग की उचित मांगों को भी सुनने को कहाँ तैयार था ? परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते जो शांतिप्रिय नेता थे वे भी क्रांतिकारी बन गये । रूस में औद्योगिक क्रांति के आगमन से वहाँ मज़दूरों की अनेक संस्थाएँ अस्तित्व में आयीं। क्योंकि रूस में मजदूरों और कारीगरों की अवस्था पहले ही बड़ी दयनीय थी इसलिए विभिन्न मजदूर संस्थाएँ मार्क्स की सामाजवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुई । परिणामस्वरूप 1883 ई० में मज़दूरों ने रशियन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। 1903 ई० में यह दल दो भागों में विभक्त हो गया। एक को मेन्शेविक गुट और दूसरे को बोल्शेविक गुट का नाम दिया गया। मेन्शेविक दल जो अल्पसंख्यक गुट था, फ्राँस और जर्मनी की भाँति ऐसा दल चाहता था जो शांतिमय ढंग से परिवर्तन लाये और चुनावों में भाग लेकर संसदीय प्रणाली द्वारा कार्य करें। इसके विपरीत दूसरा गुट बोल्शेविक गुट था जो बहुमत में था। उस दल के नेता इस विचार के थे कि जिस देश में न कोई संसद रही हो और न ही नागरिकों के पास जनतांत्रिक अधिकार रहे हों वहाँ संसदीय प्रणाली द्वारा परिवर्तन लाना असम्भव है। परिवर्तन तो क्रांति द्वारा ही लाये जा सकते हैं, इसलिए इस दल के नेता संगठित होकर क्रांति के लिए काम करने में विश्वास रखते थे। शीघ्र ही लेनिन इस दल का नेता बन गया जो मार्क्स के बाद समाजवादी आंदोलन का महानतम विचारक माना जाता है। 1905 ई० में जब जापान जैसे छोटे से देश ने रूस को युद्ध-क्षेत्र में पराजित कर दिया तो जनवरी 1905 ई० को रूस में एक क्रांति उठ खड़ी हुई। इसमें मजदूरों के प्रतिनिधियों की परिषदों में जिन्हें साधारणतया सोवियत कहा जाता है, महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई स्थानों पर सेना और नौ-सेना ने क्रांतिकारियों का साथ दिया। इस क्रांति से डरकर जार थोड़ा झुका और अनेक रियायतें देने के लिए तैयार हो गया।

प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी ?
उत्तर- 1917 से पहले रूस में कामकाजी जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों से अनेक दृष्टियों से भिन्न थी-
(क) कृषकों की हीन दशा- रूस के किसानों की दशा अन्य यूरोपीय देशों से भिन्न थी वे अपने खेतों को कई बार इकट्ठा करके अपने मीर (चक) में सामूहिक खेती कर लेते थे। प्रत्येक कम्यून को व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुसार बाँट भी लिया जाता था। सन् 1861 में सामन्तवादी प्रथा समाप्त होने पर भी किसानों की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। उनकी दशा दयनीय ही बनी रहीं क्योंकि उनके छोटे-छोटे और अलग-अलग खेत थे, उनकी सिंचाई के साधन अच्छे नहीं थे, उनका खेती करने का ढंग पुराना था, वैज्ञानिक रीति से खेती नहीं करते थे, उनके पास अच्छे कृषि-यंत्र नहीं थे। करों का उन पर भारी बोझ था उन्हें दो समय का भोजन भी नहीं मिलता था, अतः किसानों की हीन दशा क्रांति का एक मुख्य कारण बनी।

(ख) श्रमिकों की हीन दशा- रूस में मध्यम वर्ग न होने के कारण औद्योगिक क्रांति काफी देर से हुई उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ हुआ। इसके पश्चात् उसका बड़ी तेजी से विकास हुआ
किन्तु निवेश के लिए पूँजी विदेशों से आई विदेशी पूँजीपति अधिक लाभ कमाना चाहते थे। उन्होंने मजदूरों की दशा पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया पूँजीपति लोग मजदूरों को कम से कम वेतन देकर अधिक से अधिक काम लेते थे तथा उनसे बुरा व्यवहार करते थे उन्हें राजनैतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे, अतः उनमें असन्तोष बढ़ता जा रहा था अतः हम कह सकते हैं कि मजदूरों की हीन दशा भी रूसी क्रांति में सहायक सिद्ध हुई वस्तुतः रूस के उद्योग कुछ क्षेत्रों में स्थापित किए गए थे। रूस का प्रमुख औद्योगिक केन्द्र पीटर्सबर्ग और मास्को था। कारीगर अधिकांश उत्पादन स्वयं ले लेते थे। लेकिन बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों क्राफ्ट वर्कशाप के साथ-साथ चलती थीं। रूस में 1890 तक अन्य किसी भी प्रमुख यूरोपीय देश की तुलना में कुल मजदूरों की संख्या बहुत ही कम थी। 1900 तक अनेक क्षेत्रों में शिल्पकारों तथा औद्योगिक मजदूरों की संख्या लगभग बराबर हो गई थी। रूसी मजदूरों की दशा सुधारने के लिए विदेशी पूँजीपतियों ने कोई रुचि नहीं ली।

प्रश्न 3. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया ?
उत्तर- रूस में जारशाही का धराशायी होना- छोटी-छोटी घटनाएँ अक्सर ही क्रांति भड़का देती हैं। रूसी क्रांति की शुरुआत के लिए ऐसी ही एक छोटी घटना थी। रोटी खरीदने के प्रयास कर रही मजदूर औरतों का एक प्रदर्शन। फिर मजदूरों की एक आम हड़ताल हुई जिसमें सैनिक और अन्य लोग भी शामिल हो गए। 12 मार्च 1917 को राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग (बाद में इसका नाम पेत्रोग्राद पड़ा और फिर इसका लेनिनग्राद पड़ा। सोवियत संघ के पतन के बाद पुनः इसका नाम सेंट पीटर्सबर्ग हो गया है) क्रांतिकारियों के हाथों में आ गई। क्रांतिकारियों ने जल्द ही मास्को पर भी कब्जा कर लिया। जार शासन छोड़ कर भाग गया और 15 मार्च को पहली अस्थायी सरकारी बनी। जार के पतन की इस घटना को फरवरी की क्रांति कहा जाता है क्योंकि पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार यह 27 फरवरी 1917 को घटित हुई थी मगर जार का पतन क्रांति का आरम्भ मात्र था । जनता की सबसे महत्त्वपूर्ण चार माँगें थीं- शान्ति, जमीन की मलकियत जोतने वाले को, कारखानों पर मजदूरों का नियंत्रण और गैर-रूसी जातियों को समानता का दर्जा अस्थायी सरकार का प्रधान केरेंस्की नामक एक व्यक्ति था। वह इनमें से किसी भी माँग को पूरा नहीं कर सका और सरकार जनता का समर्थन खो बैठी। लेनिन फरवरी की क्रांति के समय स्विटजरलैंड में निर्वासन का जीवन बिता रहे थे, वे अप्रैल में वापस लौट आए। उनके नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करने, किसानों की जमीन देने तथा "सारे अधिकार सोवियतों को देने की स्पष्ट नीतियाँ सामने रखीं। गैर-रूसी जातियों के सवाल पर केवल बोल्शेविक पार्टी ही ऐसी थी जिसके पास एक स्पष्ट नीति थी । केरेंस्की सरकार की अलोकप्रियता के कारण 7 नवम्बर 1917 को उसका पतन उस समय हो गया जबकि उसके मुख्यालय विंटर पैलेस पर नाविकों के एक दल ने कब्जा कर लिया। 1905 की क्रांति में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लियोन त्रात्सकी मई 1917 में रूस लौट आए थे। पेत्रोग्राद सोवियत के प्रमुख के रूप में नवम्बर के विद्रोह का वह एक प्रमुख नेता थे। उसी दिन सोवियतों की अखिल-रूसी कांग्रेस की बैठक हुई और उसने राजनीतिक सत्ता अपने हाथों में ले ली। 17 नवम्बर को होने वाली इस घटना को अक्टूबर की क्रांति कहा जाता है क्योंकि उस दिन पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 25 अक्टूबर की तारीख थी । अक्टूबर की क्रांति लगभग पूरी तरह शान्तिपूर्ण थी । क्रांति के दिन पेत्रोग्राद में दो व्यक्ति मारे गए। मगर यह नया राज्य जल्द ही गृह-युद्ध में फँस गया। सत्ताच्युत जार की सेना के कुछ अधिकारियों ने सोवियत राजसत्ता के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ दिया। इंग्लैंड, फ्राँस, जापान, अमरीका और अन्य देशों की सेनाएँ भी उनके पक्ष में आ गईं। यह युद्ध 1920 तक चला। इस समय तक नए राज्य की "लालसेना' (रैड आर्मी) जार के पुराने साम्राज्य के लगभग सभी भागों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर चुकी थी। यह लाल सेना बुरी तरह साधनहीन थी और इसमें अधिकांशतः मजदूर और किसान थे फिर भी उसने अपने से बेहतर साधनों से लैस और बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त सेनाओं पर विजय पाई। इस प्रकार जार का शासन खत्म हो गया ।

प्रश्न 4. फरवरी क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर- फरवरी क्रांति की प्रमुख घटनाएँ-
(क) फरवरी माह में रूसी मजदूरों ने खाद्यान्न अभाव को बुरी तरह महसूस किया गया।

(ख) नेवा नदी के दक्षिणी किनारे स्थित एक फैक्टरी में तालाबंदी 22 फरवरी 1917 को हुई।

(ग) 23 फरवरी, 1917 को नेवा नदी के फैक्टरी मजदूरों की सहानुभूति में पचास फैक्टरी के मजदूरों ने हड़ताल कर दी।

(घ) रविवार 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा के सदस्यों को निष्कासित कर दिया। देश भर में लोगों ने जार के इस कार्य का घोर विरोध किया।

(ङ) 26 फरवरी, 1917 को प्रदर्शनकारी और अधिक शक्ति से नेवा नदी के बायें किनारे की गलियों में प्रदर्शन करने हेतु निकल पड़े।

(च) 27 फरवरी, 1917 को हड़तालियों तथा प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मुख्यालय में तोड़-फोड़ कर दी। गलियों लोगों से भर गई। गलियों में लोग गला फाड़-फाड़ कर रोटी, मजदुरी, काम के घंटों एवं लोकतंत्र के पक्ष में नारे लगा रहे थे।

(छ) 28 फरवरी, 1917 को एक प्रतिनिधि मण्डल जार से मिलने गया। सेना के कमाण्डरों ने जार को सलाह दी कि वह गद्दी छोड़ दे। उसने उनकी सलाह को मान लिया।

(ज) 2 मार्च, 1917 को मिलिट्री कमाण्डरों ने अपने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया। सोवियत नेताओं एवं ड्यूमा नेताओं ने देश को चलाने के लिए एक तदर्थ सरकार बनाई।

फरवरी 1917 की क्रांति के प्रभाव-
(क) लेनिन ने रूस की नई सरकार के सामने निम्नांकित माँगें रखीं-
(i) युद्ध को बंद कर दिया जाए।

(ii) भूमि काश्तकारों के दे दी जाए।

(iii) बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए।

उपर्युक्त उल्लेखित लेनिन के तीन माँगों को लेनिन की अप्रैल थिसिस कहा जाता है।

(ख) गर्मी के दिनों में मजदूरों का आंदोलन फैल गया। औद्योगिक क्षेत्रों कमेटियाँ गठित की गई जो उद्योगपतियों से सवाल करने लगीं कि वे किस तरह से अपने-अपने कारखानों को चला रहे थे।

(ग) बड़ी संख्या में श्रम संगठनों का रूस में गठन हुआ।

(घ) सेना में सिपाहियों की कमेटियाँ गठित कर दी गई।

(ङ) जून 1917 में लगभग 500 सोवियतों ने अपने प्रतिनिधि सोवियतों की आल रसियन काँग्रेस में भेजे।

प्रश्न 5. अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर- अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाएँ-
(क) अस्थायी सरकार एवं बोल्शेविकों में जैसे ही टकराव एवं संघर्ष बढ़ा, तो लेनिन को डर हो गया कि अस्थायी सरकार कहीं तानाशाही की स्थापना न कर दे।

(ख) सितम्बर 1917 में लेनिन ने सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने के विषय में बातचीत करनी शुरू कर दी थी। सेना, सोवियतों एवं कारखानों में जो बोल्शेविकों के समर्थक थे उन्हें साथ-साथ लाया गया।

(ग) 16 अक्टूबर 1917 को लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत तथा बोल्शेविक पार्टी को सहमत कर लिया कि समाजवादी शक्ति को हथिया लें। लेनिन के नेतृत्व में एक सैनिक क्रांतिकारी कमेटी को सोवियतों के द्वारा नियुक्त किया गया। घटना की तारीख को गुप्त रखा गया ।

(घ) 24 अक्टूबर को विप्लव शुरू हो गया। समस्या की बू आते ही प्रधानमंत्री केरेन्स्की ने शहर छोड़ दिया और सेना को बुला लिया। प्रातः काल में ही अस्थायी सरकार के प्रति जो सेना वफादार थी उसने बोल्शेविक अखबारों की दो इमारतों पर कब्जा कर लिया। सरकार समर्थक सेनाओं को टेलीफोन एवं टेलीग्राफ कार्यालयों पर नियंत्रण करने तथा विन्टर पैलेस की रक्षा के लिए भेज दिया गया।

(ङ) अन्य शहरों में भी विद्रोह हुए। विशेषकर मास्को में बड़ी भारी लड़ाई हुई लेकिन दिसम्बर तक बोल्शेविकों ने मास्को- पेत्रोग्राड क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया ।

अक्टूबर 1917 की क्रांति के प्रभाव-
(क) चूँकि बोल्शेविक निजी सम्पत्ति के बिल्कुल खिलाफ थे इसलिए नवम्बर 1917 तक सभी उद्योग एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इसका अर्थ था इनका स्वामित्व एवं प्रबन्ध सरकार ने अपने हाथों में ले लिया।

(ख) भूमि को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया गया और किसानों को अनुमति दे दी गयी कि वे कुलीनों की भूमि हथिया लें ।

(घ) परिवार की जरूरतों के अनुसार बड़े घरानों की भूमि को छोड़कर बोल्शेविकों ने शेष को जबरदस्ती छीन लिया।

(ङ) श्रम संघों को दल के नियंत्रण में रखा गया।

(च) नवम्बर 1917 में बोल्शेविकों ने संविधान सभा के लिए चुनाव कराये लेकिन वे बहुमत का समर्थन प्राप्त करने में विफल रहे ।

(छ) मार्च 1918 में बोल्शेविकों ने अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रबल विरोध के बावजूद ब्रेस्ट लिटोवक्सो में शान्ति-संधि कर ली।

प्रश्न 6. बोल्शेविको ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर-15 मार्च, 1917 को रूस में जार ने राज सिंहासन छोड़ दिया। केरेन्स्की की नेतृत्व में नई सरकार बनी, जो जनता की समस्याओं को हल करने में असफल रही। अतः उसने जनता का समर्थन खो दिया। ऐसे समय में लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता संभाली। इस पार्टी ने लेनिन के नेतृत्व में किसानों को भूमि हस्तांतरित करने और सारी सत्ता सोवियतों को देने के लिए स्पष्ट नीतियाँ अपनाई। 
लेनिन ने रूसी क्रांति को सफल बनाने के लिए अग्रलिखित घोषणाएँ कीं-
(क) उसने सर्वप्रथम रूस को प्रथम महायुद्ध से अलग कर दिया। यद्यपि औपचारिक रूप से जर्मनी के साथ संधि बाद में ही की गई। इस शांति-संधि के वक्त जर्मनी ने शांति की कीमत के रूप में जो भू-भाग माँगे उसे साम्यवादी सरकार ने दे दिया।

(ख) जमींदारों, चर्च और जार भूमि किसानों की पंचायतों को सौंप दी।

(ग) सरकार ने निजी सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया।

(घ) उत्पादन के सभी साधनों पर सरकार का नियंत्रण हो गया।

(ङ) उद्योगों का नियंत्रण मजदूर सोवियतों और श्रमिक संघों को दे दिया गया।

(च) उद्योगों, बैंकों, कम्पनियों, खानों आदि का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

(छ) लोगों के अधिकार की उद्घोषणा की गई तथा गैर-रूसी जनता सहित जार के साम्राज्य के सभी नागरिकों को आत्म-निर्माण का अधिकार दे दिया गया।

(च) वोल्शेविकों द्वारा जुलाई 1917 में लोकप्रिय प्रदर्शन आयोजित किया गया तथा उसे सख्ती से कुचल दिया गया। अनेक बोल्शेविक नेता या तो छिप गये या रूस छोड़कर विदेशों को भाग गये। 

प्रश्न 7. जार निकोलस द्वितीय के निरंकुश शासन प्रकृति का वर्णन करें जिसने रूस को क्रांति के कगार पर ला दिया |
अथवा, जार निकोलस रूसी क्रांति के लिये किस हद तक जिम्मेदार थे, उसका वर्णन करें।
उत्तर-1917 ई० में रूस में एक क्रांति हुई जो इतिहास में अक्टूबर क्रांति के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह क्रांति विशेषकर राजनीतिक कारणों का या रूस के जार निकोलस द्वितीय के निरंकुश शासन का परिणाम थी । रूस का जार, विशेषकर निकोलस द्वितीय बिल्कुल उद्दण्ड और निरंकुश शासक था। 1905 ई० की क्रांति दबाने के पश्चात् जार निकोलस द्वितीय की निरंकुशता बढ़ती ही गयी। उसने गुप्तचर विभाग का कार्य बहुत तेज कर दिया। जिनका क्रांति से जरा-सा भी संबंध समझा गया उनको या तो मार दिया गया या बंदी बना लिया गया या देश-निकाला दे दिया गया। जार अपनी सुन्दर रानी जरीना के प्रभाव में था जबकि रानी जरीना पर रासपुटीन नामक ढोंगी सन्त का प्रभाव था। यह ढोंगी सन्त दमन की नीति का बड़ा पक्षपाती था। कहते हैं कि यह एक गुण्डा था जो कि चोरी के अपराध में पकड़ा गया था। बाद में उसने साधु का वेष धारण कर लिया था। एक बार जब रानी और उसका इकलौता पुत्र बीमार पड़े तो उसने यह कहा कि वह अपनी चमत्कारिक शक्ति से उनको ठीक कर देगा। ठीक हो जाने पर रानी उसको बहुत मानने लगी। इतिहासकार रासपुटीन को 'होली डैविल' के नाम से पुकारते हैं। 1905 ई० की क्रांति के कारण जार ने यह वायदा किया था कि वह रूस में ड्यूमा अर्थात पार्लियामेंट का निर्माण करेगा परन्तु बाद में निरंकुशता के कारण उसने केवल ढाई महीने में ही उसे भंग कर दिया। इसके अतिरिक्त जार ने एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर रखा था जिसमें भाँति-भाँति के लोग रहते थे जो सदा उसके लिए कोई न कोई समस्या खड़ी किए रहते थे। इसके अतिरिक्त जार की साम्राज्यवादी नीति भी देश के लिये बड़ी भयंकर सिद्ध हुई क्योंकि निरन्तर युद्धों के कारण इतना धन व्यर्थ में गया कि देश में एक प्रकार का आर्थिक संकट-सा आ गया और सारी जनता जार के विरुद्ध हो गयी।

प्रश्न 8. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस के भाग लेने से उत्पन्न परिस्थितियाँ किस प्रकार रूसी तानाशाही में गिरावट का कारण बनीं ?
अथवा,
प्रथम विश्वयुद्ध ने 1917 ई० की रूस की क्रांति लाने में क्या प्रभाव डाला ?
उत्तर- यूरोप में 1914 ई० से पहले दो शक्ति गुट स्थापित हो चुके थे। एक में इंग्लैंड फ्राँस और रूस तथा दूसरे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इटली थे। प्रथम विश्वयुद्ध शुरू होने पर रूस बिना किसी पूर्व तैयारी के अपने गुट का साथ देने के लिये युद्ध में शामिल हो गया। पहले ही देश में धन, अस्त्रों-शस्त्रों तथा सेना की कमी थी अतएव जबरदस्ती किसानों को भर्ती करके बड़ी संख्या में युद्ध के मैदान में भेज दिया गया। लड़ने के साधनों, अस्त्र-शस्त्रों तथा रसद की कमी से ये अनाड़ी युद्ध में बुरी तरह मारे गये। अनुमानतः छः लाख सैनिक मारे गये, पाँच लाख घायल हुए तथा बीस लाख कैदी बना लिये गये। जो लोग मारे गये, घायल हुए या कैदी बने, उनके परिवारों एंव पड़ोसियों में सरकार के प्रति विद्रोह की प्रबल भावनाएँ पनपने लगीं । अब लोग ऐसी सरकार को कभी सहन नहीं कर सकते थे। जब 7 मार्च, 1917 ई० को विद्रोह शुरू हुआ तो विद्रोहियों की संख्या निरन्तर बढ़ती चली गई क्योंकि लोगों को पता चल चुका था कि जार के पास अब इतने सैनिक नहीं कि वह अपना निरंकुशवादी शासन बनाये रख सके। यदि प्रथम विश्वयुद्ध में जार भाग न लेता और रूसी सेना उसमें नष्ट न हुई होती तो वह अपने सैनिक बल पर लोगों के विद्रोह को आसानी से कुचल डालता। इस प्रकार जार द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेना उसके लिये बड़ी विनाशकारी सिद्ध हुआ । 

प्रश्न 9. घटनाओं का वर्णन करें जो 1905 की क्रांति के लिए उत्तरदायी थीं। इस क्रांति के दो महत्त्वपूर्ण प्रभावों का उल्लेख करें ।
उत्तर-(क) 1904-1905 में रूस एवं जापान में युद्ध हुआ। युद्ध में रूस, जापान द्वारा पराजित कर दिया गया था। रूसी लोगों ने जार का जोरदार विरोध करना शुरू कर दिया। उनका विश्वास था कि रूस की पराजय (जापान जैसे छोटे देश के हाथों) इसलिए हुई क्योंकि जार युद्ध को ठीक ढंग से जारी रखने में विफल रहा था।

(ख) रविवार, 9 जनवरी, 1905 के दिन हजारों मजदूर पूर्णतया शांतिपूर्वक अपनी पत्नियों तथा बच्चों के साथ जार के महल की ओर अपने क्रोध को प्रकट करने तथा उसे एक याचिका देने के लिए बढ़ रहे थे। जब श्रमिक विन्टर पैलेस की ओर जार के पास जा रहे थे कि उन पर जार के अंगरक्षकों एवं सेना ने गोली चला दी। एक हजार से अधिक लोग मारे गये तथा कई हजार लोग बुरी तरह घायल हो गये । इस घटना के फलस्वरूप 1905 में क्रांति हुई । यद्यपि इस क्रांति को कुचल दिया गया था लेकिन 'खूनी रविवार की घटना के फलस्वरूप सम्पूर्ण रूस में अप्रत्याशित तोड़-फोड़ एवं उपद्रव हुए। यहाँ तक कि इस क्रांति में सेना तथा नौ सेना के कुछ दस्तों ने भी भाग लिया । 

क्रांति का प्रभाव-
(क) जार ने इस क्रांति के बाद नागरिकों को कुछ अधिकार दे दिये। वे अब मजदूर संघ बना सकते थे तथा उन्हें भाषण देने की स्वतंत्रता दे दी गई। ड्यूमा का सत्र बुलाया गया।

(ख) 1905 की क्रांति के बाद रूस में एक नये ढंग का संगठन, जिसे सोवियत नाम से जाना गया, गठित हुआ । इसने फरवरी तथा अक्टूबर 1917 की दोनों क्रांतियों में बढ़-चढ़कर भाग लिया ।

प्रश्न 10. रूस की क्रांति के अंतर्राष्ट्रीय परिणामों की विवेचना करें।
अथवा, विश्व पर 1917 की रूसी क्रांति के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर - 1917 की रूसी क्रांति के परिणाम-
(क) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी आंदोलन- रूसी क्रांति का प्रभाव विश्वव्यापी था । 'मनुष्यों तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा में शामिल सिद्धांतों की तरह मार्क्स के विचारों को भी व्यापक पैमाने पर लागू करने की बातें कही गई। रूस ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्क्स के समाजवादी विचारों का प्रचार शुरू कर दिया, जिससे अन्य देशों में भी समाजवादी क्रांतियाँ हो सकी।

(ख) आर्थिक नियोजन- रूस में आर्थिक नियोजन प्रणाली बहुत सफल हुई जिससे विश्व के कई राष्ट्रों ने अपने विकास के लिए भी आर्थिक नियोजन प्रणाली को अपनाना शुरू किया।

(ग) श्रम की महत्ता बढ़ी - रूस में क्रांति के बाद हर व्यक्ति के लिए काम करना अनिवार्य कर दिया गया। इससे श्रम को विश्व में एक नयी मर्यादा मिली।

(घ) उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलन- नयी सोवियत सरकार की राष्ट्रीय संघर्ष कर रही औपनिवेशिक जनता का मित्र समझा जाने लगा। क्रांति के बाद रूस यूरोप का एकमात्र ऐसा देश था, जिसने विदेशी शासन से सभी राष्ट्रों की स्वाधीनता का खुलकर समर्थन किया। रूसी क्रांति के फलस्वरूप कई उपनिवेशों के लोगों ने साम्राज्यवाद विरोधी जन आंदोलन को तीव्र कर दिया।

(ङ) सार्वभौमिकता तथा अंतर्राष्ट्रीयवाद- अनेक समस्याओं को जिसे अबतक राष्ट्रीय समस्याएँ मानी जाती थी. अब उन्हें पूरी दूनिया की चिंता का विषय समझी जाने लगी। सार्वभौमिकता और अंतर्राष्ट्रीय, जो आरंभ से ही समाजवादी विचारधारा के मूल सिद्धांत रहे है, पूरी तरह साम्राज्यवाद के विरोधी थे। रूसी क्रांति ने स्वाधीनता के आंदोलनों को भी प्रभावित किया और इस प्रभाव के कारण इन आंदोलनों ने अपने लक्ष्यों को और व्यापक बनाकर उसमें योजनाबद्ध आर्थिक विकास द्वारा सामाजिकता और आर्थिक समानता लाने का सिद्धांत भी शामिल कर लिया। इस तरह से रूसी क्रांति का विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। रूसी क्रांति के बारे में लिखते हुए स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा है कि 'इसने मुझे राजनीति के बारे में अधिक सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से सोचने के लिए बाध्य किया।

प्रश्न 11. 1917 की रूसी क्रांति के मुख्य कारणों की विवेचना करें।
उत्तर- रूसी क्रांति के निम्नांकित कारण हैं-
(क) जार का निरंकुश शासन- जारों की रूसी राजसत्ता आधुनिक युग की आवश्यकताओं से एकदम मेल नहीं खाती थी। जार निकोलस द्वितीय स्वयं भी राजाओं के दैवी अधिकारों में विश्वास करता था। निरंकुशतंत्र की रक्षा को वह अपना परम कर्तव्य मानता था ।

(ख) किसानों की दयनीय स्थिति- 1861 ई० में भू-दास प्रथा का उन्मूलन हो चुका था, मगर इससे किसानों की दशा नहीं सुधरी। उनकी जोतें अभी भी बहुत छोटी-छोटी थी और उनको विकसित करने तक का पूँजी भी किसानों के पास न थी। किसानों की जमीन की भूख रूसी समाज के असंतोष का एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक तथ्य था ।

(ग) मजदूरों की हीन दशा- रूस में औद्योगिकरण का आरंभ देर से हुआ। फिर भी इसकी गति अच्छी थी मगर निवेश के लिए आधी से अधिक पूँजी विदेशों से आई। विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी आसानी से मुनाफा बटोरने में थी और मजदूरों की दशा सुधारने की उन्हें कोई चिंता नहीं थी । मजदूरों को कोई भी राजनीतिक अधिकार प्राप्त न थे। इनकी दशा बहुत ही हीन थी।

(घ) जार का रूसीकरण की नीति- यूरोप और एशिया की विभिन्न जातियों को पराजित करके रूसी जारों ने विशाल साम्राज्य खड़ा किया था। इन जीते हुए क्षेत्रों की जनता की संस्कृतियों का महत्त्व कम करने की कोशिश की। रूस के साम्राज्यवादी प्रसार उसे टकरावों में भी उलझाया और होनेवाले युद्धों ने रूसी राजसत्ता के खोखलेपन को और उजागर किया ।

(ख) समाजवादी विचारधारा का प्रचार- औद्योगीकरण के आरंभ के बाद जब मजदूरों के संगठन बने तो उन पर समाजवादी विचारधारों का प्रभाव था। 1883 ई० में मार्क्स के एक अनुयायी जूयार्जी प्लेखानोव ने 'रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया।

(च) प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की हार- जार ने अपनी साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए रूस को प्रथम विश्वयुद्ध में झोंक दिया। यह घातक सिद्ध हुआ और रूसी निरंकुशतंत्र का अंत हो गया। रूसी सेना बुरी तरह हार रही थी। लाखों सैनिक मारे जा चुके थे सैनिकों की दशा पर सरकार का कोई ध्यान नहीं था। इन्हीं कारणों से रूस में क्रांति होना अनिवार्य हो गया।

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