NCERT Class 8 Hindi Chapter 1 ध्वनि
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 ध्वनि
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
पाठ का सार
‘ध्वनि’ कविता में निराला जी ने कविता के प्रति मानवीय संवेदना को उद्घाटित किया है तो दूसरी ओर अपने जीवन के वसंत की बात भी की है। कवि कहता है कि अभी तो मेरे जीवन में कोमल वसंत का आगमन हुआ है। मेरे जीवन का अन्त अभी नहीं हो सकता है। हरे-हरे पत्तों पर, डालियों और कलियों पर, कोमल शरीर पर मैं अपना सुखद सपनों से भरा कोमल हाथ फेरूँगा। सोती हुई कलियाँ भी जग जाएँगी। एक नए सवेरे का आगमन हो जाएगा, क्योंकि सोई हुई कलियाँ जागकर फूल के रूप में खिल जाएँगी, प्रत्येक फूल में लालसा छुपी हुई है, मैं उस लालसा को खींच लूँगा। अपने जीवन के अमृत से सबको सींच दूँगा। फिर इन सबको भी सुखों का द्वार दिखा दूंगा। वह द्वार जहाँ मेरे अनन्त परमेश्वर का वास है। मुझे अभी बहुत कुछ करना है। अभी मेरा अन्त नहीं होगा।
शब्दार्थ : मृदुल-कोमल; वन-जंगल; गाल-शरीर; प्रत्यूष-प्रातःकाल; निद्रित-नींद में डूबी हुईं; तंद्रालस-हल्की नींद के आलस्य से भरे हुए; अनंत-ईश्वर; लालसा-कुछ पाने की इच्छा।
कविता से
1. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर :
कवि का अंत अभी नहीं होगा, उसे ऐसा विश्वास इसलिए है क्योंकि कवि जीवन के प्रति निराश नहीं हैवह उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ हैउसके उपवन में अभी-अभी वसंत का आगमन हुआ हैउसे युवकों को उत्साहित करने जैसे अनेक कार्य करने हैं तथा स्वयं की रचनाओं तथा कार्यों की खुशबू चारों ओर बिखेरनी है।
2. फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उत्तर :
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए तथा उनकी महक बनाए रखने के लिए कवि उनका आलस्य छीन लेना चाहता हैवह उन्हें अनंत समय तक खिले रहने के लिए प्रेरित करना चाहता हैवह उनकी आँखों की बोझिलता दूर करना चाहता हैकवि उन फूलों को अपने नवजीवन के अमृत से अभिसिंचित करना चाहता है
3. कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर :
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर करने के लिए अपने स्वप्निल तथा कोमल हाथ फेरना चाहता है, जिससे पुष्प चुस्त, सजग तथा महक बिखेरते हुए पुष्पित-पल्लवित हो सकेंवह उनको वसंत के मनोहर प्रभात का संदेश देना चाहता हैऐसा करते हुए कवि चाहता है कि फूल खिलकर वसंत के सौंदर्य को और भी मनोहारी बना दें।
कविता से आगे
1. वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए
उत्तर :
भारतवर्ष में क्रमश: आने वाली छह ऋतुओं से पाँच के अपने गुण तो हैं पर उनकी हानियाँ तथा नकारात्मक प्रभाव भी हैंवसंत ऋतु में न वर्षा ऋतु जैसा कीचड़ होता है न ग्रीष्म ऋतु जैसी तपन, उमस और पसीने की बदबू इसी प्रकार ने शिशिर ऋतु की ठंडक, न हेमंत ऋतु की हाड़ कॅपाती सर्दी और चारों ओर पाले की मार, वृक्षों की पत्तियाँ तक गिर जाती हैवसंत ऋतु में सर्दी-गर्मी समान होने से मौसम अत्यंत सुहावना होता हैपेड़ों पर लाल-लाल पत्ते, कोपलें तथा हरे-भरे पत्तों के बीच रंग-बिरंगे फूलों के गुच्छे तो पेड़ों के गले में हार के समान दिखाई देते हैंमदमाती कोयल का गान, तन-मन को महकाती हवा तथा पूरे यौवन का जोश लिए प्रकृति की छटा देखते ही बनती हैयह ऋतु मनुष्य, पशुपक्षी तथा अन्य जीवों को प्रसन्न कर देती है, इसलिए इस ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है
2. वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए
उत्तर :
वसंत ऋतु का समय फाल्गुन, चैत तथा वैसाख माह के आरंभिक दिनों अर्थात् मार्च-अप्रैल होता हैइसकी अवधि लगभग दो माह होती हैइस ऋतु में निम्नलिखित त्योहार मनाए जाते हैं
(क) वसंत पंचमी-इस त्योहार पर लोग पीले वस्त्र धारण करते हैंकिसान शाम को पूजन के उपरांत नई फसल का अनाज मुँह में डालते हैं? इसी दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती हैजगह-जगह पंडालों में सरस्वती की मूर्तियाँ स्थापित कर उनकी स्तुति तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
(ख) महाशिवरात्रि-इस दिन लोग व्रत रखते हैंवे शिवालय में जाकर भगवान शिव, पार्वती और गणेश की पूजा करते हैं
(ग) बैसाखी-पंजाब प्रांत में फसलों के पक जाने की खुशी में किसानों दूद्वारा यह त्योहार अत्यंत धूमधाम एवं उत्साह के साथ मनाया जाता हैइसी दिन हिंदू धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को अर्पित करने वाले वीर हकीकत राय की याद में बैसाखी का त्योहार मनाया जाता
निबंध – होली – भारत पर्व-त्योहारों का देश हैवर्ष में शायद ही ऐसी कोई ऋतु या महीना हो जब यहाँ कोई पर्व ने मनाया जाता हो यहाँ रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा, ईद, होली, गुडफ्राइडे, ओणम् आदि त्योहार मनाए जाते हैंइनमें होली के त्योहार का अपना अलग ही महत्त्व है जो पूरे देश में अत्यंत धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता हैबच्चे, बूढ़े, जवान, युवक-युवतियाँ सभी उम्र के व्यक्ति इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाते हैंयह त्योहार उल्लास से सराबोर करने वालाहै, जिसमें लोगों के मन की कटुता बह जाती है।
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला सबसे मुख्य त्योहार हैयह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैऐसा लगता हैकि यह त्योहार ऋतुराज वसंत के आगमन की सूचना देता हैहेमंत ऋतु में सर्दी की अधिकता से पेड़-पौधे अपनी पत्तियाँ गिराकर ढूँठ जैसे दिखाई देते हैंऋतुराज वसंत के स्वागत में ये पेड़ नई-नई पत्तियाँ, कोमल कलियाँ एवं फूल धारण कर लेते हैंइससे प्रकृति का सौंदर्य बढ़ जाता है, जो इस त्योहार की मस्ती और आनंद को कई गुना बढ़ा देता हैयह वसंत की मादकता का ही असर है कि रंग और गुलाल से सराबोर होने पर भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
इस त्योहार को मनाने के पीछे अनेक जनश्रुतियाँ प्रचलित हैंएक पौराणिक आख्यान के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक दानव अत्यंत क्रूर और अत्याचारी थावह ईश्वर के महत्त्व तथा अस्तित्व को नहीं मानता थावह लोगों को ईश्वर-पूजा के लिए मना करता और ऐसा न करने वालों को वह अत्यंत क्रूरता से दंडित करता थावह स्वयं को भगवान समझता था और लोगों से अपनी पूजा करवाता थाउसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का अनन्य भक्त थावह अपने पुत्र द्वारा ईश्वर की पूजा-अर्चना सह न सका और उसने उस पर तरह-तरह के अत्याचार करना शुरू कर दियावह चाहता था कि उसका पुत्र भी उसे ही भगवान मानकर उसकी पूजा करता रहेप्रहलाद द्वारा ऐसा न करने पर वह प्रहलाद को मारने के लिए तरह-तरह के उपाय आजमाने लगाजब हिरण्यकश्यप के सभी उपाय बेकार हो गए तो उसने अपनी बहन होलिका को बुलवायाहोलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग से जल नहीं सकतीहोलिका और हिरण्यकश्यप ने इस वरदान का दुरुपयोग करना चाहा और योजनानुसार होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई, जिससे प्रहलाद जल कर मर जाए, किंतु परिणाम उनकी सोच के विपरीत निकलाहोलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गयाबुराई पराजित हुईउसी की याद में पूर्णिमा की रात में होलिका दहन कर बुराइयों को भस्म किया जाता है।
अगले दिन प्रात:काल से चारों ओर रंग और गुलाल उड़ता दिखाई पड़ता हैसभी वर्ग के लोग इस त्योहार को अत्यंत धूमधाम से मनाते हैंवे रंगों से सराबोर होकर अबीर-गुलाल लगाते हुए एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएँ देते फिरते हैंइस दिन धनी-निर्धन का, बालक-वृद्ध का, विद्वान-मूर्ख का भेद मिट जाता हैचेहरे पर रंग पुते होने से लोगों की असलियत का पता नहीं चलता हैसभी रंगों की मस्ती में डूबे होते हैंगलियाँ, सड़कें रंग तथा अबीर से लाल, हरी, पीली दिखती हैंबच्चे रंग-बिरंगी पिचकारियों में तरह-तरह के रंग भरकर एक-दूसरे पर डालते फिरते हैंसड़कों तथा गलियों में युवक एक-दूसरे को रंग में भिगोते, एक-दूसरे पर अबीर मलते तथा हुड़दंग मचाते घूमते फिरते हैंग्रामीणों में इस त्योहार का उत्साह देखते ही बनता हैवे झाँझ, मृदंग और करताल लेकर फाग गाते हैं‘होरी खेले रघुबीरा अवध में होरी खेले रघुबीरा’ की गूंज चारों ओर सुनाई देती हैब्रजक्षेत्र के बरसाने की होली भारत में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हैइसी दिन दोपहर बाद लोग नए एवं साफ कपड़े पहनकर लोगों से मिलने-जुलने जाते हैंइस दिन विशेष पकवानगुझियाँ तथा अन्य मिठाइयाँ आने-जाने वालों को खिलाई जाती हैं।
लोग इस दिन अपने मन का मैल धोकर एक-दूसरे से गले मिलते हैंऔर संबंधों को पुनर्जीवित करते हैंहोली का त्योहार हमें भाईचारा तथा आपसी सौहार्द बढ़ाने का संदेश देता हैलोग अपना वैर-भाव त्यागकर एक-दूसरे से गले मिलते हैंकुछ लोग इस त्योहार को विकृत करने की कोशिश करते हैंवे रंगों की जगह तारकोल, पेंट, ग्रीस, तेल आदि लोगों के चेहरे पर मलते हैं जो अत्यंत हानिप्रद होता हैइससे आँखों की ज्योति जाने का खतरा होता हैइस दिन कुछ लोग शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं और त्योहार की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं।
रंगों एवं मस्ती के इस त्योहार को हमें अत्यंत शालीनतापूर्वक मनाना चाहिएरंग और अबीर मलने के लिए किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहिएहमें इस त्योहार की पवित्रता बनाए रखना चाहिए जिससे हमारे बीच प्रेम, सद्भाव तथा मेल-जोल बढ़ सके, तथा ‘होली आई, खुशियाँ लाई’ चरितार्थ हो सके।
3. “ऋतु परिवर्तन को जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर :
विभिन्न ऋतुएँ साल के विभिन्न महीनों में बारी-बारी से आती हैं और अपनी सुंदरता बिखेर जाती हैंऋतुओं के परिवर्तन का मानव जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैहमारा खान-पान, पहनावा तथा हमारी गतिविधियाँ इससे प्रभावित होती हैंमुख्य ऋतुएँ और उनके प्रभाव को हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं
ग्रीष्म ऋतु – पसीने से सराबोर करने वाली इस ऋतु में हम सूती तथा हल्के वस्त्र पहनना पसंद करते हैंहमारे खाद्य तथा पेय पदार्थों में तरावट पहुँचाने वाली वस्तुओं-लस्सी, सिकंजी, छाछ, शीतल पेय पदार्थ आदि की मात्रा बढ़ जाती है।
वर्षा ऋतु – इस ऋतु में चारों ओर कीचड़ फैल जाता हैवातावरण में नमी बढ़ जाती हैरोगों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
शीत ऋतु – हड्डियाँ कँपा देने वाली इस ऋतु में हम ऊनी कपड़े, कोट, शॉल, स्वेटर आदि का प्रयोग करते हैंचाय, कॉफी, गर्म दूध तथा गर्माहट पहुँचाने वाली वस्तुओं का अधिक प्रयोग करते हैं।
वसंत ऋतु – इसे सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता हैइस ऋतु में न अधिक सर्दी होती है और न गर्मीस्वास्थ्य की दृष्टि से यह सर्वोत्तम ऋतु हैइस समय चारों ओर फैली प्राकृतिक सुषमा मनोरम लगती हैयह सब देख मन अनायास ही प्रसन्न हो उठता है।
अनुमान और कल्पना
1. कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।
उत्तर :
काव्यांश में ‘आम में बौर आने’ तथा ‘होली की त्योहार’ का वर्णन हैइसके अलावा भौंरों के गुंजार करने तथा वातावरण में उन्मुक्त मस्ती छाने से पता चलता है कि ‘वसंत ऋतु का ही वर्णन’ है।
2. स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता हैफूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर :
फूल-पौधों के लिए मैं निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगा
(क) फूल-पौधों को नष्ट होने से बचाने के लिए उनकी सुरक्षा का प्रबंध करूंगा
(ख) उनकी उचित वृधि के लिए समय पर सिंचाई, खाद तथा उचित देखभाल करूंगा
(ग) उन्हें खरपतवार तथा रोगों से बचाने का प्रयास करूंगा
(घ) प्रात:काल में पुष्पित पौधों पर प्यार से हाथ फेरूंगा
(ङ) इन पुष्पों को न मैं तोडूंगा, न किसी को इन्हें नष्ट करने देंगा ताकि वे दीर्घकाल तक अपनी महक तथा सौंदर्य बिखेर सकें।
3. कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा हैअनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है? जैसे नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो।
उत्तर :
उपयुक्त कार्यों का निम्नलिखित संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है
(क) माली उपवन में उलझी लताओं को उचित स्थान पर फैला रहा है
(ख) छोटा बच्चा उपवन में उड़ती रंग-बिरंगी चिड़ियों के पीछे भाग कर उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहा है
(ग) मैं फूलों पर पड़ी ओस की बूंदों को निहारकर मुग्ध हो रहा हूँ
(घ) वृद्धजन पार्क में बच्चों को घास नष्ट न करने तथा पुष्पों को तोड़ने से मना कर रहे हैं तथा गिरे पौधों को सहारा देकर खड़ा कर रहे हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ध्वनि कविता के कवि कौन हैं ?
(क) निर्मल वर्मा
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(घ) सूरदास
उत्तर:
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
प्रश्न 2.
कवि क्यों कहता है कि मेरा अंत अभी नहीं होगा ?
(क) कवि अभी बच्चा है
(ख) कवि ने मौत पर विजय प्राप्त करली है ?
(ग) कवि को अभी बहत कार्य करने है।
(घ) कवि के जीवन में अभी-अभी वसंत आया है ?
उत्तर:
(घ) कवि के जीवन में अभी-अभी वसंत आया है ?
प्रश्न 3.
हरे-हरे पात कितका प्रतीक है?
(क) जीवन की खुशियों का
(ख) हरियाली का
(ग) जीवन के वैभव का
(घ) घन संपत्ति का
उत्तर:
(क) जीवन की खुशियों का
प्रश्न 4.
कवि फूल-फूल से क्या खींच लेना चाहता है ?
(क) शहद
(ख) तंद्रालस लालसा
(ग) प्राण
(घ) जल
उत्तर:
(ख) तंद्रालस लालसा
प्रश्न 5.
कवि उन फूलों को किससे सींचना चाहता है ?
(क) जल से
(ख) धन से
(ग) भावनाओं से
(घ) नव जीवन के अमृत से
उत्तर:
(घ) नव जीवन के अमृत से
प्रश्न 6.
‘प्रत्यूष’ शब्द का क्या अर्थ है ।
(क) प्रयोग
(ख) प्रतिदिन
(ग) प्रातःकाल
(घ) सायंकाल
उत्तर:
(ग) प्रातःकाल