Advertica

 आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - मेघनाद साहा (1893-1956)





मेघनाद साहा (1893-1956)

मेघनाद साहा भारत के एक महान खगोल वैज्ञानिक थे। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनका अविस्मरणीय योगदान है। उनके द्वारा प्रतिपादित 'थर्मल आयोनाइजेशन' के सिद्धांत को खगोल विज्ञान में तारकीय वायुमंडल के जन्म और उसके रासायनिक संघटन की जानकारी का आधार माना जा सकता है।

खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनके अनुसंधानों का प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में किये गए कई शोध उनके सिद्धातों पर ही आधारित थे।
एक खगोल वैज्ञानिक के साथ-साथ साहा स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिये वे 'अनुशीलन समिति' के
साथ जुड़े। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनका संपर्क सुभाष चंद्र बोस और राजेंद्र प्रसाद जैसे राष्ट्रवादी नेताओं के साथ भी रहा। साहा को भारत सरकार द्वारा देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में प्रचलित पंचागों में सुधारों के लिये गठित समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 1927 में उन्हें लंदन के रॉयल सोसायटी का फेलो निर्वाचित किया गया। 

मेघनाद साहा को विज्ञान में उनके योगदान के लिये सदैव याद रखा
जाएगा, लेकिन उससे भी ज्यादा उन्हें आधुनिक भारत के लिये अनेक विज्ञान संस्थानों की स्थापना हेतु याद रखा जाएगा। 1933 में उन्होंने
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में 'इंडियन फिजिकल सोसायटी' की स्थापना की। आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के साथ मिलकर 1935 में उन्होंने
'इंडियन साइंस न्यूज एसोसिएशन' की स्थापना की जिसका मुख्य लक्ष्य सामान्य जन के मध्य विज्ञान को पहुँचाना और प्रसारित करना था। 1949 में उन्होंने 'इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स' की स्थापना की जो बाद में साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स' के नाम से जाना गया।

प्रो. साहा हमेशा देश के विकास के लिये सोचा करते थे। दामोदर नदी घाटी परियोजना उनकी इसी दूरदर्शी सोच का नतीजा था जिससे
बाढ़ राहत और सिंचाई के रूप में इन इलाकों की जनता को इसका लाभ मिला। देश में बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास, वैज्ञानिकों के लिये अनुकूल माहौल बनाने और भारत की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदलने के लिये उन्होंने संसद में जाना स्वीकार किया।





Previous Post Next Post