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 आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - होमी जहाँगीर भाभा (1909-1966)



होमी जहाँगीर भाभा (1909-1966)

'पद्म भूषण' से सम्मानित डॉ. होमी जहाँगीर भाभा, भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे। उन्हें भारत के 'परमाणु ऊर्जा
कार्यक्रम का जनक' कहा जाता है।

उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की ऐसी मजबूत नींव रखी, जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा है। मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से परमाणु क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य शुरू करने वाले डॉ भाभा ने समय से पहले ही परमाणु ऊर्जा की क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों में उसके उपयोग की संभावनाओं को परख लिया था। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान के क्षेत्र में उस समय कार्य आरंभ किया जब अनियंत्रित शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान न के बराबर था और नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार न था।

सन् 1941 में डॉ. भाभा को रॉयल सोसायटी का फेलो निर्वाचित किया गया। उनके निर्देशन में 1945 में 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR)' की स्थापना हुई। अगस्त 1948 में जब परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हुई तो होमी जहाँगीर भाभा को उसका प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। डॉ. भाभा के विशेष मार्गदर्शन में भारत का पहला आणविक रिएक्टर 'अप्सरा' स्थापित हुआ।

डॉ. भाभा की मृत्यु 24 जनवरी, 1966 को एक हवाई दुर्घटना में हो गई थी। उनके योगदान को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनवरी 1967 में ए.ई.ई.टी. (Atomic Energy Establishment Trombay) का नाम बदलकर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) रख दिया। आज यह अनुसंधान केंद्र भारत का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ-प्रदर्शक हो रहा है।

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