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 आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई (1919-1971)



डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई (1919-1971)

डॉ. साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। वे महान संस्थान निर्माता थे और उन्होंने विविध क्षेत्रों में अनेक संस्थानों की स्थापना की या स्थापना में मदद की।

अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 11 नवंबर, 1947 को जब पीआरएल की स्थापना हुई थी तब उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी। विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की सेवा की।

वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने अन्य उद्योगपतियों के साथ मिलकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद की
स्थापना में महत्त्वपूर्ण  भूमिका निभाई। विक्रम साराभाई का सबसे बड़ा योगदान 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना रहा है। इसरो आज भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का सबसे उन्नत, प्रतिष्ठित एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान उल्लेखनीय है कि 1966 में नासा (NASA) के साथ डॉ. साराभाई के संवाद के परिणामस्वरूप, जुलाई 1975-जुलाई 1976 के दौरान उपग्रह अनुदेशात्मक दूरदर्शन परीक्षण (एसआईटीई) का प्रमोचन किया गया | ( जब डॉ. साराभाई का स्वर्गवास हो चुका था )

विक्रम साराभाई को 1962 में शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित
किया गया।

सम्मान

* रॉकेटों के लिये ठोस और द्रव प्रणोदकों में विशेषज्ञता रखने वाले अनुसंधान संस्थान, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का नामकरण उनकी
स्मृति में किया गया, जो केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम् में स्थित है।
* 1974 में, सिडनी में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने निर्णय लिया कि सी ऑफ सेरिनिटी में स्थित मून क्रेटर बेसेल (Moon Crater
BESSEL) साराभाई क्रेटर' के रूप में जाना जाएगा।


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