आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - अनिल काकोडकर (जन्म-1943)
अनिल काकोडकर एक प्रख्यात भारतीय परमाणु वैज्ञानिक हैं। 1996-2001 तक वे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक रहे।
2000-2009 तक वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव थे। काकोडकर 'थोरियम आधारित उन्नत भारी जल संयंत्र' पर भारत की आत्मनिर्भरता के समर्थक थे, जिसमें प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में थोरियम-यूरेनियम-233 के साथ चालक इंधन के रूप में प्लूटोनियम का उपयोग होता है। डॉ. काकोडकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के रिएक्टर इंजीनियरिंग डिवीज़न से जुड़े थे तथा 'ध्रुव रिएक्टर' की डिजाइन और कंस्ट्रक्शन में इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शांतिपूर्ण कार्यों के लिये तथा भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु 1998 में जो पोखरण-2 परमाणु परीक्षण हुआ था, उसमें डॉ.
काकोडकर ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। इन्होंने भारत के दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) तकनीक के स्वदेशी विकास का नेतृत्व किया।
इन्होंने वैज्ञानिक शोध पर 250 से अधिक लेख लिखे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में इनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए इन्हें 1998 में पद्म
श्री, 1999 में पद्म भूषण और 2009 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।