परमाणु ऊर्जा विभाग | Department of Atomic Energy-DAE
परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के सीधे प्रभार के तहत दिनांक 3 अगस्त, 1954 को की गई थी। परमाणु ऊर्जा विभाग की संकल्पना प्रौद्योगिकी, अधिक संपदा के सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता का जीवन स्तर उपलब्ध कराने के माध्यम से भारत को और अधिक शक्ति-संपन्न बनाना है। यह देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर, नाभिकीय और विकिरण प्रौद्योगिकियों और उनके अनुप्रयोगों के विकास और विस्तार के माध्यम से अपने लोगों को पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन और बेहतर स्वास्थ्य व सुरक्षा उपलब्ध कराने में योगदान के द्वारा अर्जित किया जाना है।
परमाणु ऊर्जा विभाग नाभिकीय विद्युत/अनुसंधान रिएक्टरों के अभिकल्पन, निर्माण एवं प्रचालन तथा सहायक नाभिकीय ईंधन चक्र प्रौद्योगिकियों जिनमें नाभिकीय खनिजों का अन्वेषण, खनन एवं प्रसंस्करण, भारी जल (D20) का उत्पादन, नाभिकीय ईंधन संविरचन, ईंधन पुनर्संस्करण तथा नाभिकीय अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं, के कार्य में लगा हुआ है। यह राष्ट्र की संपन्नता में योगदान देने वाली प्रगत
प्रौद्योगिकियों का भी विकास कर रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख कार्यक्षेत्र निम्नलिखित हैं-
◆ त्वरकों, लेजरों, सुपर कंप्यूटरों, प्रगत सामग्रियों और यंत्रीकरण का विकास करना तथा उद्योग क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के अंतरण को प्रोत्साहित करना;
◆ रेडियो आइसोटोप्स के उत्पादन के लिये अनुसंधान रिएक्टरों का निर्माण और प्रचालन करना तथा चिकित्सा, कृषि एवं उद्योग के क्षेत्रों
में विकिरण प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग करना;
◆ स्वदेशी तथा अन्य प्रमाणित प्रौद्योगिकियों के विस्तार तथा साथ ही संबद्ध ईंधन चक्र सुविधाओं के साथ द्रुत प्रजनक रिएक्टरों एवं
थोरियम रिएक्टरों के विकास के माध्यम से नाभिकीय विद्युत के योगदान को बढ़ाना;
◆ नाभिकीय ऊर्जा तथा विज्ञान के संबद्ध अग्रणी क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान करना तथा राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान देना।