Advertica

 राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति, 2015-2020 (National Biotechnology Development Strategy 2015-2020)


(National Biotechnology Development Strategy 2015-2020)

राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति, 2015-20 का शुभारंभ दिसंबर 2015 में नई दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री द्वारा किया गया। इस रणनीति का उद्देश्य भारत को एक विश्वस्तरीय जैव विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इसका उद्देश्य नए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और व्यावसायीकरण के लिये मजबूत बुनियादी ढाँचा बनाना तथा भारत के मानव संसाधनों को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश के साथ प्रमुख मिशन की शुरुआत करना है।

प्रमुख बिंदु
• मानवता की भलाई के लिये ज्ञान और साधनों का उपयोग करने को बढ़ावा देना।
• नए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश के साथ एक प्रमुख और सुव्यवस्थित मिशन की शुरुआत करना।
• भारत के विशाल मानव संसाधन को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना।
• अनुसंधान एवं विकास और व्यवसायीकरण के लिये एक मजबूत बुनियादी ढाँचा तैयार करना।
• भारत को एक विश्व स्तर के जैव-विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना।

रणनीति के महत्त्वपूर्ण तत्त्व
• एक कुशल कार्यबल और नेतृत्व की स्थापना करना।
• बढ़ती हुई जैव अर्थव्यवस्था के अनुरूप ज्ञान के वातावरण को सशक्त बनाना।
• बुनियादी, विषयी, अंतर-विषयी विज्ञानों में अनुसंधान के अवसरों को बढ़ावा देना।
• उपयोग से प्रोत्साहित खोज अनुसंधान को प्रोत्साहन देना।
• समग्र विकास के लिये जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना।
• नवाचार, ट्रांसलेशनल क्षमता और उद्यमशीलता को पोषित करना।
• एक पारदर्शी, कुशल और विश्वस्तरीय रूप से सर्वश्रेष्ठ विनियामक प्रणाली और संचारण रणनीति को सुनिश्चित करना।
• जैव-प्रौद्योगिकी सहयोग वैश्विक और राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
• पुनः तैयार किये गए प्रारूपों से युक्त संस्थागत क्षमता को मजबूत करना।
• प्रक्रियाओं के साथ-साथ परिणामों के मापन के ढाँचे का सृजन करना।

लक्षित लक्ष्य
• वर्ष 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर अर्जित करने की चुनौतियों को पूरा करने के लिये देश को तैयार करना।
• हेल्थकेयर, खाद्य एवं पोषण, स्वच्छ ऊर्जा और शिक्षा नामक चार प्रमुख मिशनों का शुभारंभ करना।
• वैश्विक भागीदारी से पूरे देश में प्रौद्योगिकी विकास और ट्रांसलेशन नेटवर्क की स्थापना करना-5 नए क्लस्टर्स, 40 जैव प्रौद्योगिकी इंक्यूबेटरों, 150 टीटीओ, 20 बायो-कनेक्ट केंद्रों की स्थापना करना।
• जीव विज्ञान और जैव-प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद् की स्थापना करके मानवीय पूंजी का निर्माण करने में रणनीतिक और केंद्रित निवेश को बढ़ावा देना।
Previous Post Next Post