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 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम | Indian Space Programme


भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
(Indian Space Programme)


विकासशील अर्थव्यवस्था और उससे जुड़ी समस्याओं से घिरे होने के बावजूद भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से विकसित किया है और उसे अपने तीव्र विकास के लिये इस्तेमाल भी किया है तथा आज विश्व के अन्य देशों को विभिन्न अंतरिक्ष सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। भारत में 1960 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत मुख्यतः साउंडिंग रॉकेटों (Sounding Rockets) की मदद से हुई। वर्ष 1961 में भारत ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये अंतरिक्ष अनुसंधान का विकास करने के प्रयास आरंभ किये। इसी परिप्रेक्ष्य में डॉ. विक्रम साराभाई तथा डॉ. रामनाथन के नेतृत्व में 1962 में 'भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति' (INCOSPAR) का गठन किया गया। डॉ. विक्रम साराभाई के अद्वितीय दिशा-निर्देशन में केरल स्थित 'धुंबा
इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिग स्टेशन' (TERLS) पर काम शुरू हुआ।

नोट: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के निधन के पश्चात् 'TERLS' का नाम बदलकर 'विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र' रख दिया गया।

'भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति' (INCOSPAR) का पुनर्गठन करके 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (ISRO) की स्थापना की गई। अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को और गति प्रदान करने के लिये भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष आयोग का गठन कर जून 1972 में अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई तथा सितंबर 1972 में इसरो को अंतरिक्ष विभाग (Department of Space-DoS) के अंतर्गत लाया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में 1970 का दशक प्रयोगात्मक था, जिस दौरान 'आर्यभट्ट', 'भास्कर', 'रोहिणी' तथा 'साईट' (Satellite Instructional Television Experiment -SITE) जैसे प्रयोगात्मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए।

ध्यातव्य है कि 'साईट' 1975-76 के दौरान विश्व में सबसे बड़े टेक्नो-सोशल एक्सपेरिमेंट के रूप में सामने आया। इसके बाद 'इसरो' तथा डाक एवं तार विभाग की एक संयुक्त परियोजना 'उपग्रह दूरसंचार परीक्षण परियोजना' (Satellite Telecommunication Experiments Project-STEP) की शुरुआत की गई। इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद 1980 का दशक संचालनात्मक युग बना, जब 'INSAT' तथा 'IRS' जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इनसैट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। 1990 का दशक भी अंतरिक्ष कार्यक्रम के संदर्भ में काफी उल्लेखनीय रहा। इस दौरान अंतरिक्ष संबंधी उत्पादों तथा सेवाओं की मार्केटिंग के लिये 1992 में भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में ट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड' का गठन किया गया।

आज उपग्रहों को स्वदेशी थान द्वारा प्रक्षेपित करने हेतु भारत का मराबूत 'प्रक्षेपण यान कार्यक्रम' है। यह अब इतना परिपक्व हो गया। कि प्रक्षेपण की सेवाएँ अन्य देशों को भी उपलब्ध कराता है। इसरो की व्यावसायिक शाखा 'एट्रिक्स' भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विषण विश्वभर में करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की खास विशेषता
अंतरिक्ष में जाने वाले अन्य देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है। भारत के चंद्रयान मिशन के अगले चरण के सपने संजोने से स्पष्ट आभास होता है कि आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम नए क्षितिज को छूने जा रहा है।

💨भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के छ दशकों की प्रमुख उपलब्धियाँ

1962: परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) का गठन किया गया। इसी वर्ष स्थापित केरल स्थित धुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) में काम शुरू हुआ।
1963: टीईआरएलएस से 21 नवंबर को पहला साउंडिंग रॉकेट (नाइक-अपाची) छोड़ा गया।
1965: धुंबा में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (एसएसटीसी) स्थापित किया गया।
1967: गुजरात के अहमदाबाद में प्रायोगिक उपग्रह संचार भू-स्टेशन (ईएससीईएस) संचालित किया गया।
1969: परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत 15 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन हुआ।
1971: आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में 'सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार' में कार्य संचालन प्रारंभ हुआ। किंतु इसे यह नाम 2002 में दिया गया। इससे पूर्व इसे ' श्रीहरिकोटा हाई एल्टिट्यूड रेंज' (SHAR) के नाम से जाना जाता था।
➤ 1972: अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) की स्थापना और इसरो को इसके अंतर्गत लाया गया। साथ ही अंतरिक्ष आयोग की भी स्थापना की गई। बंगलूरू में इसरो उपग्रह केंद्र की स्थापना और अहमदाबाद में 'अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र' (सैक) की स्थापना की गई।
1975: अमेरिकी उपग्रह का उपयोग कर SITE परियोजना का शुभारंभ । भारत ने 19 अप्रैल को पहला कृत्रिम उपग्रह 'आर्यभट्ट' प्रश्नपित किया, जो पूर्णत: स्वदेशी तकनीक से निर्मित था।
1977: जनवरी 1977 से जनवरी 1979 तक उपग्रह दूरसंचार परीक्षण परियोजना (स्टेप) को निष्पादित किया गया।
1979: भास्कर-1 प्रयोगात्मक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया। 'रोहिणी' (RTP) उपग्रह के साथ उपग्रह प्रक्षेपण यान- (एसएलवी-3) की पहली प्रायोगिक उड़ाना उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका।
➤ 1980: एसएलवी-3 की दूसरी प्रायोगिक सफल उदाना 'रोहिणी उपग्रह-1' (RS-1) कक्षा में स्थापित।
➤ 1981: एसएलवी-3 से 'रोहिणी' (RS-DI) कक्षा में स्थापित किंतु आशिक सफला प्रायोगिक भू-स्वैतिक संचार उपग्रह 'एप्पल' का प्रक्षेपण। तत्कालीन सोवियत संघ के रॉकेट से भास्कर-2 का प्रक्षेपण।
➤ 1982: संचार उपग्रह इनसैट-1ए अमेरिकी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित। किंतु 1983 में इनसैट-1ए को रद्द करना पड़ा।
1983: इनसैट-1बी के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इनसैट शृंखला स्थापित।
➤ 1984: भारत-रूसी मानव अंतरिक्ष मिशन का आरंभ, भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने रूसी अंतरिक्ष स्टेशन 'सलयुत 7' में 1 सप्ताह बिताए।
➤ 1987: एसआरओएसएस 1 उपग्रह के साथ संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) की पहली उड़ान विफल। 1988: रूसी रॉकेट से इंडियन रिमोट सेंसिंग (आईआरएस) उपग्रह आईआरएस-1ए को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया। एसआरओएसएस-2 उपग्रह के साथ संवर्द्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) की दूसरी उड़ान विफल। इनसैट-1 सी का प्रक्षेपण।
➤ 1990: इनसैट-1 डी कक्षा में स्थापित।
➤ 1991: आईआरएस-1बी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया।
1992: एएसएलवी ने सफलतापूर्वक एसआरओएसएस-सी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया। इनसैट श्रृंखला के पहले बहुउद्देशीय स्वदेश निर्मित उपग्रह इनसैट-2ए का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण।
➤ 1993: आईआरएस-1ई को ले जा रहे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की पहली प्रायोगिक उड़ान विफल। इनसैट-2 श्रृंखला का दूसरा उपग्रह इनसैट-2बी का प्रक्षेपण किया गया।
1994: एएसएलवी की चौथी उड़ान के साथ एसआरओएसएस-सी2 अभियान सफल। पीएसएलवी ने सफलतापूर्वक आईआरएस-पी2 को कक्षा में स्थापित किया।
1995: इनसैट-2 श्रृंखला के तृतीय उपग्रह इनसैट-2सी का प्रक्षेपण किया गया तथा आईआरएस-1सी का भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
➤ 1996: पीएसएलवी ने आईआरएस-पीठ के साथ उड़ान भरी।
➤ 1997; आईआरएस-1डी के साथ पीएसएलवी की पहली पूर्ण उड़ाना इनसैट-2 श्रृंखला के चौथे उपग्रह इनसैट-2D का प्रक्षेपण।
➤ 1999: भारत ने पीएसएलवी द्वारा विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजना शुरू किया। इसी वर्ष कोरू, फ्रेंच गुयाना से एरियन । प्रक्षेपण यान के द्वारा बहुउद्देशीय इनसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह इनसैट-2 का प्रक्षेपण किया गया तथा आईआरएस-पीय (ओशियनसैट) का भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था।
➤ 2001: भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान-डी। (जीएसएलवी-DI) के सफल प्रक्षेपण द्वारा प्रायोगिक संचार उपग्रह जीसैट 1 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया।
➤ 2002: पीएसएलवी-सी4 से कल्पना-1 उपग्रह प्रक्षेपित किया गया।
➤ 2003: पीएसएलवी-सी से रिसोर्ससैट-1(आईआरएस-पी6) उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
➤ 2004: जीएसएलवी एफ0 द्वारा 'एड्सैट' (EDUSAT) उपग्रह प्रक्षेपिता
➤ 2005: पीएसएलवी-सी द्वारा कार्टोसैट-1 एवं हैमसैट उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
2007: भारत के स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट (SRE-I) तथा काटोसैट-2 सहित इंडोनेशिया के लापान टवसैट एवं अर्जेंटीना के फउनसैट-1 विदेशी उपग्रहों को पीएसएलवी-सी द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
➤ 2008: पीएसएलवी-सी ।। द्वारा भारत का 'चंद्रयान-1' अभियान सफल।
➤ 2009: ओशनसैट-2 के साथ 6 अन्य विदेशी नैनो सैटेलाइट्स का पीएसएलवी-सी14 द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपण।
➤ 2010: कार्टोसैट-2B और विद्यार्थी उपग्रह (STUDSAT) के साथ तीन अन्य विदेशी उपग्रहों का पीएसएलवी-सी15 द्वारा सफल प्रक्षेपणा

➤2011:

👉 पीएसएलवी-सी 16 द्वारा रिसोर्ससैट-2, यूथसैट और एक्ससैट का सफल प्रक्षेपण।

👉 पीएसएलवी-सी 17 द्वारा जीसैट-12 का सफल प्रक्षेपण।

👉मेघा ट्रॉपिक्स, एसआरएमसैट, जुगनू और वेसलसैट-1 का पीएसएलवी-सी 18 द्वारा सफल प्रक्षेपण।

➤ 2012: इसरो के 100वें अंतरिक्ष अभियान के तहत पीएसएलवी-सी21 द्वारा फ्राँस एवं जापान के एक-एक अर्थात् दो विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण।
➤ 2013: भारत का ऐतिहासिक 'मंगल' अभियान (Mars Orbiter Mission) सफल। इसे पीएसएलवी-सी25 द्वारा 5 नवंबर, 2013 को लॉन्च किया गया था।
➤ 2014: जीएसएलवी-डी द्वारा जीसैट-14 का, पीएसएलवी-सी24 द्वारा आईआरएनएसएस-1बी का, पीएसएलवी-सी26 द्वारा आईआरएनएसएस-1सी का सफल प्रक्षेपण।

➤2015:

👉 पीएसएलवी-सी27 द्वारा नैवीगेशनल सैटेलाइट आईआरएनएसएस- ही का सफल प्रक्षेपण।

👉 पीएसएलवी-सी28 द्वारा ब्रिटेन के 5 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण।

👉 पीएसएलवी-सी29 द्वारा टेलीयोस-1 सहित सिंगापुर के 6 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण।

➤2016:

👉 पीएसएलवी-सी3। द्वारा नैवीगेशनल सैटेलाइट'आईआरएनएसएस- it' का. पीएसएलवी-सी32 द्वारा 'आईआरएनएसएस-1एफ' का और पीएसएलवी-सी335रा'आईआरएनएसएस-1जी' का सफल

👉पीएसएलवी-सी34 द्वारा काटोसैट-2 सहित यूएसए, कनाडा, जर्मनी, इंडानेशिया एवं भारत के कुल 20 उपग्रहों का प्रक्षेपणा

👉 पीएसएलवी-सी36 द्वारा रिसोर्ससैट-2ए का प्रक्षेपण।

➤2017:

👉 15 फरवरी को पीएसएलवी-सी37 (PSLV-C37) द्वारा 104 उपग्रह ध्रुवीय सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में स्थापित किये गए। जिनमें से तीन उपग्रह (कार्टोसैट-2 सीरीज उपग्रह, INS- 1A, INS-1B) स्वदेशी तथा अन्य विदेशी (USA के सर्वाधिक 96 उपग्रह) थे। यह एक रिकॉर्ड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड रूस (37 उपग्रह) के नाम था।

👉 23 जून को पीएसएलवी-सी38 द्वारा कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह के साथ 30 अन्य, विभिन्न देशों के उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया। 29 जून को जीसैट-17 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।

➤2018:

👉 29 मार्च, 2018 को जीएसएलवी-एफ08 द्वारा जीसैट-6ए का
सफल प्रक्षेपण।

👉 12 अप्रैल, 2018 को पीएसएलवी-सी41 द्वारा नैवीगेशनल सैटेलाइट 'आईआरएनएसएस-1आई' का सफल प्रक्षेपण।

👉 16 सितंबर, 2018 को पीएसएलवी-सी42 द्वारा ब्रिटेन के 2 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण।

👉 29 नवंबर, 2018 को पीएसएलवी-सी43 द्वारा भारत के हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (HYSIS) सहित अन्य 8 देशों के 30 दूसरे उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया गया जिनमें अमेरिका के सर्वाधिक 23 उपग्रह शामिल हैं।।

👉 19 दिसंबर, 2018 को जीएसएलवी-एफ11 (जीएसएलवी-एमके II) द्वारा सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-7ए का सफल प्रक्षेपण।

➤2019:

👉 24 जनवरी, 2019 को पीएसएलवी-सी44 द्वारा इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट-आर तथा स्टुडेंट सैटेलाइट 'कलामसैट' का सफल प्रक्षेपण।

👉 6 फरवरी, 2019 को कौरू के प्रमोचन स्थल, फ्रेंच गुएना से एरियन-5 (VA-247) रॉकेट के माध्यम से जीसैट-31 संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इसरो की पूर्व की इनसैट/जीसैट उपग्रह श्रृंखला के अनुरूप निर्मित यह अति वज़नी (2536 किग्रा.) उपग्रह भारतीय भू-भाग तथा द्वीपों को कवरेज प्रदान करेगा।

👉 1 अप्रैल, 2019 को PSLV-C45 द्वारा श्रीहरिकोटा से इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट एमिसैट (EMISAT) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। एमिसैट के साथ-साथ विदेशों के 28 उपग्रहों को भी अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया गया। एक साथ तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने वाला यह इसरो का प्रथम मिशन है।

👉 22 मई, 2019 को इसरो ने PSLV-C46 द्वारा रिसैट-2बी उपग्रह का प्रक्षेपण किया जो कृषि, वानिकी एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करेगा।

👉22 जुलाई, 2019 को GSLV Mk-III-MI द्वारा चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया गया।

👉 27 नवंबर, 2019 को पीएसएलवी-सी47 द्वारा कार्टोसैट-3 तथा 13 कमर्शियल नैनो सैटेलाइट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण।

👉11 दिसंबर, 2019 को पीएसएलवी-सी48 द्वारा RISAT-2BRI तथा 9 कमर्शियल उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण।

➤2020:

👉7 नवंबर, 2020 को पीएसएलवी-सी49 द्वारा रडार इमेजिंग सैटेलाइट EOS-01 और नौ विदेशी सैटेलाइटों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। EOS-01 अर्थ ऑब्जर्वेशन रीसैट सैटेलाइट का ही एक उन्नत संस्करण है। इसमें सिंथेटिक अपर्चर रडार लगा है, जो किसी भी समय और किसी भी मौसम में पृथ्वी पर नज़र रख सकता है।

👉17 दिसंबर, 2020 को पीएसएलवी-सी50 द्वारा संचार उपग्रह CMS-01 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। CMS-01 का उद्देश्य आवृत्ति स्पेक्ट्रम के विस्तारित-सी बैंड में सेवाएँ प्रदान करना है। इस विस्तारित-सी बैंड कवरेज में भारतीय मुख्य भूभाग, अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह शामिल होंगे।
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