JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Civics Solutions chapter - 6- राजनीतिक दल
JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Civics Solutions chapter - 6- राजनीतिक दल
समकालीन भारत
राजनीतिक दल
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है ?
(a) बहुजन समाज,
(b) क्रांतिकारी लोकतंत्र,
(c) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद,
(d) आधुनिकता ।
उत्तर-(c)
प्रश्न 2. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना कब की गई ?
(a) 1925 ई०,
(b) 1927 ई०,
(c) 1929 ई०,
(d) 1930 ई० ।
उत्तर-(a)
प्रश्न 3. राजनीतिक दल का कार्य है-
(a) चुनाव लड़ना,
(b) सरकार का गठन करना,
(c) विरोधी दल का गठन करना,
(d) इनमें सभी ।
उत्तर-(d)
प्रश्न 4. भारत में निम्न में से किसे राजनीतिक दलों को 'राष्ट्रीय दल' अथवा 'क्षेत्रीय दल' के रूप में मान्यता देने का अधिकार है-
(a) राष्ट्रपति,
(b) प्रधानमंत्री
(c) संसद,
(d) चुनाव आयोग।
उत्तर-(d)
प्रश्न 5. भारत में राष्ट्रीय दल (2020 के अनुसार ) है -
(a) 6,
(b) 7,
(c) 8,
(d) 5.
उत्तर-(C)
प्रश्न 6. निम्न में किस देश में एक दलीय शासन प्रणाली है ?
(a) नेपाल,
(b) बांग्लादेश,
(c) पाकिस्तान,
(d) चीन।
उत्तर-(d)
प्रश्न 7. दो दलीय व्यवस्था किस देश में है?
(a) अमेरिका / ब्रिटेन,
(b) चीन,
(c) भारत,
(d) पाकिस्तान।
उत्तर-(a)
प्रश्न 8. किस प्रकार की व्यवस्था में अनेक दल चुनाव में भाग लेते हैं ?
(a) एकदलीय,
(b) बहुदलीय,
(c) दो-दलीय,
(d) राजशाही ।
उत्तर-(b)
प्रश्न 9. भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई-
(a) 1947,
(b) 1950,
(c) 1952,
(d) 1980.
उत्तर - (d)
प्रश्न 10. भारत में....... दलीय प्रणाली है।
(a) एक दलीय प्रणाली,
(b) द्विदलीय प्रणाली,
(c) बहुदलीय प्रणाली,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-(c)
प्रश्न 11. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का गठन कब हुआ था ?
(a) 1885,
(b) 1947,
(c) 1950,
(d) 1952.
उत्तर-(a)
प्रश्न 12. इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है ?
(a) बी० आर० अम्बेदकर,
(b) साहू महाराज,
(c) ज्योतिबा फुले,
(d) कांशीराम ।
उत्तर- (d)
प्रश्न 13. 2006 में देश में कितने दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे ?
(a) 12,
(b) 10,
(c) 8,
(d) 6.
उत्तर-(d)
प्रश्न 14. भारत में राजनीतिक दल निम्नांकित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं-
(a) नेतृत्व की चुनौती,
(b) विरोधी दलों में एकता का अभाव,
(c) अंदरूनी लोकतंत्र की चुनौती,
(d) इनमें सभी ।
उत्तर-(d)
प्रश्न 15. वह व्यक्ति जो किसी पार्टी, समूह अथवा दल के प्रति पूर्णतया समर्पित हो, कहलाता है-
(a) समर्थक,
(b) दल का व्यक्ति,
(c) अनुयायी,
(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर-(a)
प्रश्न 16. एक लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक सुधार करने का निम्नांकित में से बेहतर तरीका कौन-सा है ?
(a) कानूनी परिवर्तन,
(b) संवैधानिक परिवर्तन,
(c) लोगों का सशक्तिकरण,
(d) सुधारों के लिए कानून बनाना ।
उत्तर-(c)
प्रश्न 17. भारत में राजनीतिक दलों को मान्यता कौन देता है ?
(a) संसद,
(b) उच्चतम न्यायालय,
(c) राष्ट्रपति,
(d) चुनाव आयोग ।
उत्तर-(d)
प्रश्न 18. निम्न में से कौन राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी नहीं है ?
(a) बहुजन समाज पार्टी,
(b) समाजवादी पार्टी,
(c) भारतीय जनता पार्टी,
(d) काँग्रेस पार्टी |
उत्तर-(b)
प्रश्न 19. किसी दल से निर्वाचित होने के बाद उस दल को छोड़ कर किसी अन्य दल में चले जाने को क्या कहा जाता है ?
(a) बहुमत,
(b) मोर्चा,
(c) दल-बदल,
(d) गठबंधन |
उत्तर-(c)
प्रश्न 20. निम्न राजनीतिक दल का कार्य नहीं है-
(a) जनमत का निर्माण करना ।
(b) नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करना ।
(c) चुनाव लड़ना ।
(d) दंगे-फसाद करवाना ।
उत्तर - (d)
प्रश्न 21. तृणमूल काँग्रेस की सरकार निम्न में से किस राज्य में सत्तारूढ़ है ?
(a) असम,
(b) पश्चिम बंगाल,
(c) उड़ीसा,
(d) केरल ।
उत्तर-(b)
प्रश्न 22. निम्नांकित में से किस राज्य में 'शिव सेना' एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल के रूप में पाई जाती है ?
(a) कर्नाटक,
(b) गुजरात,
(c) महाराष्ट्र,
(d) मध्य प्रदेश |
उत्तर-(c)
प्रश्न 23. निम्नांकित में से किस राज्य में 'बीजू जनता दल' एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल के रूप में पाया जाता है ?
(a) आंध्र प्रदेश,
(b) कर्नाटक,
(c) बिहार,
(d) उड़ीसा ।
उत्तर-(d)
* कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें-
प्रश्न 1. बहुजन समाज पार्टी का गठन........में हुआ। (सन् 1919 ई० / सन् 1984 ई०)
उत्तर- सन् 1984 ई०
प्रश्न 2. बहुजन समाज पार्टी.......... सत्तारूढ़ दल है । (उत्तर प्रदेश में / किसी भी राज्य में नहीं)
उत्तर- किसी भी राज्य में नहीं
प्रश्न 3. भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न......... है। (हाथ / कमल का फूल)
उत्तर-कमल का फूल
प्रश्न 4. वर्तमान में केंद्र में....... की सरकार कार्यरत है। (यू०पी०ए०/ एन०डी०ए०)
उत्तर - एन०डी०ए०
प्रश्न 5. राजनीतिक दलों को मान्यता....... देता है। (राष्ट्रपति/ चुनाव आयोग)
उत्तर - चुनाव आयोग
प्रश्न 6. पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना .....की एक बड़ी चुनौती है। राजनीतिक दल / आंदोलन)
उत्तर - राजनीतिक दल
प्रश्न 7. राजनीतिक दलों के लिए वंशवाद एक........है। (चुनौती / उत्तरदायित्व )
उत्तर- चुनौती
प्रश्न 8. चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को.........कहते हैं। (दबाव समूह / राजनीतिक दल)
उत्तर - राजनीतिक दल
प्रश्न 9. चुनाव आयोग द्वारा बहुजन समाज पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा .........में प्राप्त हुआ। (1996/1997)
उत्तर- 1996
प्रश्न 10. पुराने भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके........बनी। (जनता पार्टी / भारतीय जनता पार्टी)
उत्तर - भारतीय जनता पार्टी
प्रश्न 11. बर्लुस्कोनी........ के प्रधानमंत्री थे। (जर्मनी / इटली)
उत्तर-इटली
प्रश्न 12. ब्रिटेन में...... पार्टी व्यवस्था है। (द्विदलीय / एकदलीय)
उत्तर- द्विदलीय
प्रश्न 13. वे दल जो चुनावों में हार जाते हैं, वे सत्ता में दलों के लिए .......की भूमिका निभाते हैं। (विपक्ष/ सत्तारूढ़ )
उत्तर-विपक्ष
प्रश्न 14. राजनीतिक दल समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर........तय करता है। (नीतियाँ और कार्यक्रम / चुनाव तिथि)
उत्तर - नीतियाँ और कार्यक्रम
प्रश्न 15. राजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को........ के सामने रखते हैं। (चुनाव आयोग / मतदाताओं)
उत्तर- मतदाताओं
प्रश्न 16. राजनीतिक दल लोकतंत्र की एक........शर्त है। (अनिवार्य / अनावश्यक)
उत्तर- अनिवार्य
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर-राजनीतिक दल ऐसे लोगों के समूह को कहते हैं जो एक जैसे विचार रखते हैं, देश की समस्याओं पर एक मत होते हैं और देश की सत्ता पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। उनकी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाने, चुनाव लड़ने, संविधान बनाने तथा सरकार के गठन और संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2. राजनीतिक दल के प्रमुख तीन हिस्से कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-(क) नेता,
(ख) सक्रिय सदस्य,
(ग) अनुयायी या समर्थक ।
प्रश्न 3. राजनीतिक दलों के कोई दो कार्य लिखें ।
उत्तर - (क) सत्ता दल सरकार का निर्माण करते हैं और जनकल्याण के कार्यों को जनता तक पहुँचाते हैं ।
(ख) विरोधी दल सरकार की नीतियों की आलोचना करके उसे सेवा कार्यों में लिप्त रहने के लिए मजबूर करते हैं ।
प्रश्न 4. एक दलीय प्रणाली का एक लाभ और एक हानि लिखें ।
उत्तर-प्रायः एक दलीय प्रणाली वाले देशों में अधिनायक तंत्र का बोलबाला होता है। इस तरह की दलीय प्रणाली में किसी आवश्यक विषय पर निर्णय तुरंत लिया जा सकता है। एक दलीय प्रणाली का दोष है कि जनता पर सरकार द्वारा मनमानी नीतियाँ लाद दी जाती है ।
प्रश्न 5. द्विदलीय प्रणाली का एक गुण और एक अवगुण लिखें।
उत्तर- जिन देशों में द्विदलीय प्रणाली होती है वहाँ एक सत्तारुढ़ होता है तथा दूसरा विरोधी दल का होता है। अतः वह सत्तारूढ़ दल को तानाशाही की राह पर चलने से रोकता है। सबसे बड़ा अवगुण है कि कई बार सरकार की प्रगतिशील नीतियों के मार्ग में विपक्ष रोड़े अटकाता है।
प्रश्न 6. बहुजन समाज पार्टी का संचालक कौन था ?
उत्तर- कांशीराम ।
प्रश्न 7. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है ?
उत्तर- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ।
प्रश्न 8. भारत के छः राष्ट्रीय दलों के नाम बताएँ ।
उत्तर - (क) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस,
(ख) भारतीय जनता पार्टी,
(ग) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी),
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,
(ङ) बहुजन समाज पार्टी,
(च) राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी ।
प्रश्न 9. छः पार्टियों के चुनाव चिह्न कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-(क) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का चुनाव चिह्न है हाथ,
(ख) भारतीय जनता पाटी का कमल,
(ग) भारतीय कम्युनिस्ट पाटी (मार्क्सवादी) का दराती हथौड़ा और सितारा,
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दराती और धान की बाली,
(ङ) बहुजन समाज पाटी का हाथी,
(च) राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी का घड़ी।
प्रश्न 10. क्षेत्रीय दल क्या है ?
उत्तर-क्षेत्रीय दल किसी क्षेत्र विशेष में अपनी राजनैतिक गतिविधियों को कार्यान्वित करते हैं और अपने क्षेत्र विशेष के हित के लिए कार्य करते हैं, क्षेत्रीय दल कहलाते हैं ।
प्रश्न 11. किसी दो राष्ट्रीय राजनीतिक दल का नाम बताएँ ।
उत्तर- दो राष्ट्रीय राजनीतिक दल
(क) भारतीय जनता पार्टी,
(ख) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ।
प्रश्न 12 राजनीतिक दलों के समक्ष वंशवाद की चुनौती क्या है ?
उत्तर - वंशवाद की चुनौती- अधिकांश दलों में नेताओं द्वारा अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है, जिसके परिणामस्वरूप एक सामान्य कार्यकर्ता के नेता बनने के आसार खत्म हो जाते हैं। दूसरे इससे अनुभवहीन तथा बिना जनाधार वाले लोग शीर्ष पद पर पहुँच जाते हैं।
प्रश्न 13. भारत में राजनीतिक दलों की संख्या कितनी है ?
उत्तर- भारत के चुनाव आयोग के नवीनतम प्रकाशन दिनांक 23 सितम्बर 2021 के अनुसार, पंजीकृत दलों की कुल संख्या 2858 थी, जिसमें 8 राष्ट्रीय दल, 54 राज्य दल और 2796 गैर-मान्यता प्राप्त दल थे।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं ?
उत्तर- राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जिसके सदस्यों में एक जैसे विचार होते हैं, एक जैसी नीतियाँ होती है और जो देश की विभिन्न समस्याओं पर एकमत होते हैं। एक राजनीतिक दल में निम्नांकित गुण होते हैं-
(क) एक विशेष संगठन - हर एक राजनीतिक दल का एक संगठित ढांचा होता है। नीचे से लेकर ऊपर तक के पदाधिकारियों को चुनने की विशेष व्यवस्था होती है। हर एक सदस्य को यह पता होता है कि उसे क्या करना है। ऐसे व्यवस्थित संगठन के बिना कोई राजनीतिक दल लम्बे समय तक टिक नहीं सकता ।
(ख) विचारधारा में एकता - एक सुव्यवस्थित संगठन के साथ किसी भी राजनीतिक दल में विचारधारा की एकता का होना आवश्यक है। हर एक दल के लक्ष्य होते हैं जो वे लोगों के सामने रखते हैं, उनका विश्वास प्राप्त करते हैं और चुनाव जीतने के प्रयत्न करते हैं। पार्टी का हर सदस्य इस उद्देश्यों और नीतियों को प्राप्त करने में प्रयत्नशील रहते हैं।
(ग) संवैधानिक तरीकों में अडिग विश्वास - कोई भी राजनीतिक दल हो उसे अपने देश के संविधान में अडिग विश्वास होता है। वे स्वच्छ और स्वतंत्र चुनाव पद्धति में विश्वास रखते हैं और चुनावों के परिणामों से अपनी सहमति प्रकट करते हैं। किसी भी हालत में वे गुण्डाबाजी और चुनाव केन्द्रों पर कब्जा करने की नहीं सोचते ।
(घ) जीतने के पश्चात् अपनी नीतियों पर अमल करना - हर राजनीतिक दल, यदि वह अपनी सरकार बना लेता है, उन नीतियों को पूरा करने का प्रयत्न करता है जो उसने अपने अपने घोषणा-पत्रों में दे रखी होती है।
प्रश्न 2. राजनीतिक दलों को कैसे सुधारा जा सकता है ?
उत्तर- लोकतंत्र के कामकाज के लिए राजनीतिक पार्टियाँ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। चूँकि दल ही लोकतंत्र का सबसे ज्यादा प्रकट रूप है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि लोकतंत्र के कामकाज की गड़बड़ियों के लिए लोग राजनीतिक दल को ही दोषी ठहराते हैं। अतः चुनौतियों का सामना करने के लिए दलों को सुधारने के लिए कुछ सुझाव निम्नांकित हैं-
(क) विधायकों और सांसदों को दल बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांसद या विधायक को अपनी सीट भी गँवानी होगी। उन्हें इसे मानना होता है।
(ख) उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए यह आदेश जारी किया है कि चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी सम्पत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा एक शपथपत्र के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया गया है।
(ग) चुनाव आयोग ने एक आदेश के जरिए सभी दलों के लिए संगठित चुनाव करना और आयकर का रिटर्न भरना जरूरी कर दिया है।
इनके अलावे राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दबाव बनाकर जैसे आन्दोलन और मीडिया आदि के द्वारा भी संभव हो सकता है। इस प्रकार लोकतंत्र मजबूत हो सकता है।
प्रश्न 3. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों है ?
उत्तर- लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की जरूरत निम्न कारणों से है-
(क) विश्व में बड़े-बड़े देश हैं जिनमें लोकतांत्रिक व्यवस्था है क्योंकि इन बड़े देशों में एक व्यक्ति द्वारा शासन संभव नहीं है, इसलिए कई लोगों के समूह मिलकर शासन करते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को एक समूह के रूप में संगठित करने के लिए राजनीतिक दल की जरूरत होती है।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के मतों द्वारा शासन वर्ग का चुनाव होता है। इसके लिए एक देश या प्रांत को कई चुनाव क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। राजनीतिक दल ही चुनावों में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले अपने उम्मीदवार खड़ा करते हैं और बहुमत मिलने पर सरकार का गठन करते हैं। एक व्यक्ति द्वारा एक क्षेत्र में चुनाव जीतकर सरकार का करना संभव नहीं हैं ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल की जरूरत होती है ।
(ग) राजनीतिक दल में एक विचारधारा के लोग सम्मिलित होते हैं जो चुनाव में बहुमत मिलने पर सरकार का गठन करते हैं और पूरे कार्यकाल तक शासन करते हैं। लेकिन अगर विभिन्न विचारधाराओं के लोग जो विभिन्न चुनाव क्षेत्रों से जीतकर सरकार का गठन करते हैं। यदि उनमें कोई मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो उनके द्वारा गठित सरकार क्षणिक ही होगी। ऐसी स्थिति में प्रभावी राजनीतिक दलों की जरूरत होती है। जो सत्ता में आने पर ठीक से सरकार संचालित कर सके ।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र को प्रभावी और दृढ़ बनाने में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 4. संघीय राजनीतिक दल और प्रान्तीय दल में क्या अंतर है ?
उत्तर- राष्ट्रीय राजनीतिक दल और प्रान्तीय दल में अन्तर-
विश्व के संघीय व्यवस्था वाले लोकतंत्र में दो तरह के राजनीतिक दल हैंसंघीय इकाइयों में से सिर्फ एक इकाई में अस्तित्व रखने वाले दल और अनेक या संघ की सभी इकाइयों में अस्तित्व रखने वाले दल । कई पार्टियाँ पूरे देश में फैली हुई हैं और उन्हें राष्ट्रीय पार्टी कहा जाता हैं इन दलों की विभिन्न राज्यों में इकाइयाँ हैं।
देश की हर पार्टी को चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण कराना पड़ता है आयोग सभी दलों को समान मानता है पर यह बड़े और स्थापित दलों को कुछ विशेष सुविधाएँ देता है। इन पार्टियों को मान्यता प्राप्त दल कहते हैं।
अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों के विधान सभा चुनाव में पड़े कुछ वोटों का 6% हासिल करता है तो उसे राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता मिलती है। जैसे- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, भारतीय जनता पार्टी ।
जब कोई पार्टी राज्य विधान सभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 फीसदी या उससे अधिक हासिल करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल जाती है । जैसे- समाजवादी पार्टी, समता पार्टी आदि ।
प्रश्न 5. क्षेत्रीय दलों से क्या तात्पर्य है ? क्षेत्रीय दल, राष्ट्रीय दलों से किस तरह भिन्न होते हैं ?
उत्तर - क्षेत्रीय दलों का अर्थ- क्षेत्रीय दल भारत में ऐसे राजनीतिक दल हैं जिनका प्रभाव पूरे राष्ट्र या देश में न होकर केवल अपने क्षेत्रों या किसी प्रांत तक ही सीमित होता है। क्षेत्रीय दलों का प्रभाव एवं कार्य क्षेत्र किसी विशेष राज्य तथा क्षेत्र तक ही सीमित होता है। कई बार तो इन दलों का निर्माण केवल किसी क्षेत्र की किसी विशेष मांग को उभारने के लिए ही किया जाता है। भारत के प्रमुख क्षेत्रीय दल हैं तमिलनाडु में – अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़घम (ए० आई० ए० डी० एम० के०) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी० एम० के०), आंध्र प्रदेश में– तेलगु देशम तथा जम्मू-कश्मीर में– नेशनल काँफ्रेंस।
राष्ट्रीय दलों व क्षेत्रीय दलों में अंतर-
(क) राष्ट्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव सारे राष्ट्र या देश में होता है। इन दलों का कार्यक्षेत्र देश का कोई प्रांत या क्षेत्र न होकर बल्कि पूरा देश होता है। परन्तु क्षेत्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव तथा कार्यक्षेत्र देश के एक प्रांत या क्षेत्र तक ही सीमित होता है ।
(ख) राष्ट्रीय दलों की शाखाएँ देश के अधिकतर राज्यों में फैली हुई होती हैं और इनके सदस्य भी भिन्न-भिन्न प्रांतों में रहने वाले लोग होते हैं परन्तु क्षेत्रीय दलों की शाखाएँ एक प्रांत या क्षेत्र तक ही सीमित होती है ।
प्रश्न 6. क्षेत्रीय दलों का क्या महत्व है ?
उत्तर-क्षेत्रीय दलों की भूमिका अथवा महत्व - भारत जैसे विस्तृत देश के लिए क्षेत्रीय दलों का होना एक स्वाभाविक सी बात है। इन दलों का अपना महत्व और अपनी भूमिका होती है।
(क) ये क्षेत्रीय दल किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की समस्याओं से सम्बन्धित होते हैं इसलिए अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की अधिक सेवा कर पाते हैं ।
(ख) जब इन दलों के सदस्य संसद के लिए चुने जाते हैं तो वे अपनी स्थानीय समस्याओं की ओर सारे राष्ट्र ध्यान आकर्षित करते हैं ।
(ग) साधारणतयाः ऐसे दल विरोधी दल को मजबूत करते हैं इसलिए केन्द्रीय सरकार को सतर्क रखने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं ।
प्रश्न 7. भारत के राष्ट्रीय दलों से आप क्या समझते हैं ? इनकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर- भारत में इस समय अनेक राष्ट्रीय दल एवं क्षेत्रीय दल हैं ।
राष्ट्रीय दलों की विशेषताएँ
(क) राष्ट्रीय दल ऐसे दलों को कहते हैं जिन्हें पिछले चुनाव में कुल मतों का कम से कम 6 प्रतिशत भाग और वह भी कम से कम 4 राज्यों में प्राप्त हुआ हो। ऐसे दलों को चुनाव आयोग राष्ट्रीय दल का दर्जा दे देता है।
(ख) ऐसे दल देशव्यापी मसलों की ओर सोचते हैं और क्षेत्रीय मसले क्षेत्रीय पार्टियों के लिए छोड़ देते हैं ।
(ग) उन्हें सारे देश के लोगों को ध्यान में रखकर अपनी नीतियों का निर्धारण करना पड़ता है।
(घ) ऐसे दलों का ध्यान केन्द्र में सरकार बनाने की ओर अधिक होता है और वे केन्द्र में या तो सत्ता दल या विरोधी दल की भूमिका निभाते हैं।
भारत के राष्ट्रीय दल -
इस समय भारतीय संसद में निम्नांकित मुख्य राष्ट्रीय दल हैं-
(क) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस,
(ख) राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी,
(ग) भारतीय जनता पार्टी,
(घ) कम्युनिस्ट पार्टी आफ इण्डिया तथा
(ङ) कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी),
(च) 1997 में बहुजन समाज पार्टी को भी उपरोक्त शर्तें पूरी करने के कारण चुनाव आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय दल का दर्जा दे दिया गया है।
प्रश्न 8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस- 1885 में गठित इस दल में कई बार विभाजन हुए हैं। आजादी के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर अनेक दशकों तक इसने प्रमुख भूमिका निभाई है। जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में इस दल ने भारत को एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का प्रयास किया। 1971 तक लगातार और फिर 1980 से 1989 तक इसने देश पर शासन किया। 1989 के बाद से इस दल के जन-समर्थन में कमी आई पर अभी यह पूरे देश और समाज के सभी वर्गों में अपना आधार बनाए हुए है। अपने वैचारिक रूझान में मध्यमार्गी (न वामपंथी न दक्षिणपंथी) इस दल ने धर्मनिरपेक्षता और कमजोर वर्गों तथा अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है। यह दल नई आर्थिक नीतियों का समर्थक है पर इस बात को लेकर भी सचेत है कि इन नीतियों का गरीब और कमजोर वर्गों पर बुरा असर न पड़े ।
प्रश्न 9. भारतीय जनता पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- भारतीय जनता पार्टी - पुराने भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 में यह पार्टी बनी। भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाने का लक्ष्य; भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (या हिन्दुत्व ) एक प्रमुख तत्व है। पार्टी जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के खिलाफ है। यह देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने के पक्ष में है। 1990 के दशक में इसके समर्थन का आधार काफी व्यापक हुआ। पहले देश के उत्तरी और पश्चिमी तथा शहरी इलाकों तक ही सिमटी रहने वाली इस पार्टी ने इस दशक में दक्षिण, पूर्व, पूर्वोत्तर तथा देश के ग्रामीण इलाकों में अपना आधार बढ़ाया । राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेता की हैसियत से यह पार्टी 1998 में सत्ता में आई । गठबंधन में कई प्रांतीय और क्षेत्रीय दल शामिल थे।
प्रश्न 10. बहुजन समाज पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- बहुजन समाज पार्टी - स्व० कांशीराम के नेतृत्व में 1984 में गठन | बहुजन समाज जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियाँ और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं, के लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास और उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा। पार्टी साहू महाराज, महात्मा फुले, पेरियार रामास्वामी नायकर और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और शिक्षाओं से प्रेरणा लेती है। दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दों पर सबसे ज्यादा सक्रिय इस पार्टी का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश में है, पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, दिल्ली और पंजाब में भी यह पार्टी पर्याप्त ताकतवर है । अलग-अलग पार्टियों से अलग-अलग अवसरों पर समर्थन लेकर इसने उत्तर प्रदेश में तीन बार सरकार बनाई ।
प्रश्न 11. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर - राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद 1999 में यह पार्टी बनी। लोकतंत्र, गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता, समता, सामाजिक न्याय और संघवाद में आस्था। यह पार्टी सरकार के प्रमुख पदों को सिर्फ भारत में जन्मे नागरिकों के लिए आरक्षित करना चाहती है। महाराष्ट्र में प्रमुख ताकत होने के साथ ही यह मेघालय, मणिपुर और असम में भी ताकतवर है। कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र सरकार में भागीदार ।
प्रश्न 12. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - मार्क्सवादी (सी० पी० आई० एम०) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - मार्क्सवादी- 1964 में स्थापित; मार्क्सवादी– लेनिनवादी में आस्था । समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की समर्थक तथा साम्राज्यवाद और सांप्रदायिकता की विरोधी । यह पार्टी भारत में सामाजिक-आर्थिक न्याय का लक्ष्य साधने में लोकतांत्रिक चुनावों को सहायक और उपयोगी मानती है। पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में बहुत मजबूत आधार । गरीबों, कारखाना मजदूरों, खेतिहर मजदूरों और बुद्धिजीवियों के बीच अच्छी पकड़। यह पार्टी देश में पूँजी और सामानों की मुक्त आवाजाही की अनुमति देने वाली नई आर्थिक नीतियों की आलोचक है। पश्चिम बंगाल में लगातार 30 वर्षों से शासन में ।
2004 के चुनाव में इसने करीब 6 फीसदी वोट और लोकसभा की 43 सीटें हासिल की।
प्रश्न 13. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी० पी० आई०) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - 1925 में गठित । मार्क्सवादी-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में आस्था । अलगाववादी और सांप्रदायिक ताकतों की विरोधी। यह पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजदूर वर्ग, किसानों और गरीबों के हितों को आगे बढ़ाने का एक उपकरण मानती है। 1964 की फूट (जिसमें माकपा इससे अलग हुई) के बाद इसका जनाधार सिकुड़ता चला गया लेकिन केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अभी भी ठीकठाक स्थिति है। बहरहाल, इसका समर्थन धीरे-धीरे कम होता गया है। 2004 के चुनाव में इसे 1.4 फीसदी वोट और लोकसभा की 10 सीटें हासिल हुई । मजबूत वाम मोर्चा बनाने के लिए सभी वामपंथी दलों को साथ लाने की पक्षधर ।
प्रश्न 14. लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर प्रकाश डालें।
अथवा, हमारे देश में विपक्ष के तीन मुख्य कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-लोकतंत्रीय शासन प्रणाली चुनावों पर आधारित होती है। चुनावों में जिस दल को बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह सरकार की स्थापना करता है और अन्य दल विरोधी दल कहलाते हैं । लोकतंत्र में विरोधी दलों का भी उतना ही महत्व होता है जितना कि सत्तारूढ़ दल का । लोकतंत्र में विरोधी दल निम्नांकित भूमिका निभाते हैं-
(क) सरकार की निरंकुशता पर रोक लगाना- लोकतंत्र में सरकार का निर्माण बहुसंख्यक दल के द्वारा किया जाता है। बहुमत के समर्थन के कारण सरकार कई बार मनमाने कानून व नीतियाँ लागू करने का प्रयत्न करती है, और जनता पर अत्याचार करती है। विरोधी दल सरकार का विरोध करके उसकी निरंकुशता पर रोक लगाता है और उसे मनमानी करने से रोकता है।
(ख) वैकल्पिक सरकार प्रस्तुत करना- विरोधी दल वैकल्पिक सरकार प्रस्तुत करते हैं। यदि किसी समय सरकार अचानक त्याग-पत्र दे दे या उसे हटा दिया जाए, तो विरोधी दल तुरंत सरकार का गठन करके शासन की बागडोर सँभाल लेते हैं ।
(ग) राजनैतिक चेतना उत्पन्न करना- लोकतंत्रीय शासन प्रणाली की सफलता के लिए जनता में राजनैतिक चेतना का जागृत होना आवश्यक है। इसके बिना चुनावों द्वारा सरकार में परिवर्तन लाना कठिन होता है। विरोधी दल सरकार की त्रुटियों को जनता तक पहुँचाते हैं और देश तथा सरकार के बारे में जनता को जानकारी देते हैं। इस प्रकार वे जनता में राजनैतिक जागृति उत्पन्न करते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विरोधी दल लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
अथवा, राजनीतिक दल क्या होता है ? लोकतंत्र में इसके कार्यों की विवेचना करें ।
अथवा, लोकतंत्र में राजनीति दलों का महत्व समझाएँ । अथवा, लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण प्रकार्यों का वर्णन करें ।
उत्तर - राजनीतिक दल - ऐसे लोगों का समूह, जो एक जैसे विचार रखते हैं और जो देश की विभिन्न समस्याओं पर एकमत होते हैं उसे राजनीतिक दल का नाम दिया जाता है।
राजनीतिक दलों का महत्व, भूमिकाएँ एवं कार्य- लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का अपना विशेष महत्व होता है। प्रजातंत्र में ये अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं-
(क) राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं और अपने उम्मीदवारों को अधिक से अधिक मत से जिताने का प्रयत्न करते हैं ।
(ख) राजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं और उनका समर्थन हासिल करने का प्रयत्न करते हैं ।
(ग) राजनीतिक पार्टियाँ देश के कानून निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(घ) लोकतंत्र में प्रत्येक दल सरकार बनाने का प्रयत्न करता है। चुनाव जीतने पर बहुमत दल सरकार बनाता है और अपनी नीतियों के अनुसार सरकार को चलाता है। दूसरे दल विरोधी दल के रूप में भूमिका निभाते हैं।
(ङ) लोकतंत्र में राजनीतिक दल प्रचार के विभिन्न साधनों द्वारा जनता में जागृति पैदा करते हैं और सही जनमत बनाने में बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। राजनीतिक दल जनता को राजनीतिक शिक्षा भी देते हैं ।
(च) राजनीतिक दल सरकार और जनता में कड़ी का काम करते हैं। सत्ता दल सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाता है।
(छ) चुनाव में एक ओर जहाँ सत्ताधारी दल अपनी उपलब्धियों पर प्रकाश डालता है, वहीं विरोधी दल सरकार की गलतियों को लोगों के सामने रखते हैं। इस प्रकार लोगों को देश, राज्य और स्थानीय इकाइयों के सामने आने वाली प्रत्येक समस्या के विषय में ठीक-ठीक जानकारी हो जाती है। ऐसी जानकारी के पश्चात् ही मतदाता अपने मत का ठीक प्रयोग करने में सफल होते हैं।
प्रश्न 2. राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं ?
उत्तर- राजनीतिक दलों के सामने चुनौतियाँ- राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए बड़े आवश्यक हैं। वे सरकार और लोगों के बीच कड़ी का काम करते हैं। लोकतंत्र के ठीक चलने का बहुत-सा दारोमदार राजनीतिक दलों पर ही होता है। इसलिए जब लोकतंत्र ठीक तरह नहीं चलता है तो लोगों की नाराजगी राजनीतिक दलों पर ही होती हैं। आमतौर पर लोगों की नाराजगी और आलोचना राजनीतिक दलों के कामकाज के चार पहलुओं पर ही केन्द्रित होती है। राजनीतिक दल के सामने ये चार चुनौतियाँ इस प्रकार हैं-
(क) पार्टियों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना- लोकतंत्र का अर्थ है कि कोई भी फैसला लेने से पहले कार्यकर्ताओं से परामर्श किया जाए परन्तु वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। ऊपर के कुछ नेता ही सभी फैसले ले लेते हैं। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बनी रहती है जो दोनों पार्टी और जनता के लिए हानिकारक सिद्ध होती है।
(ख) वंशवाद की स्थापना - क्योंकि अधिकांश दल पारदर्शी ढंग से अपना काम नहीं करते इसलिए उनके नेता धीरे-धीरे अपने रिश्तेदारों ओर पिट्टुओं को ही आगे बढ़ाते रहते हैं। ऐसे में ऊँचे-ऊँचे पदों पर परिवार के सदस्यों और नजदीकी लोगों का ही कब्जा बना रहता है ऐसा होना दल के अन्य सदस्यों के साथ सरासर अन्याय है और लोकतंत्र की भावना के बिल्कुल विरुद्ध है। प्रायः देखा गया है कि अनुभवहीन और अयोग्य व्यक्ति तो ऊँचे पदों पर आसीन रहते हैं और समझदार और योग्य व्यक्ति खड़े के खड़े रह जाते हैं।
(ग) पैसा और अपराधी तत्वों का प्रभुत्व - राजनीतिक दलों के सामने आने वाली तीसरी चुनौती, विशेषकर चुनाव के दिनों में पैसे और अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ की है। चुनाव जीतने की होड़ में राजनीतिक पार्टियाँ पैसे का अनुचित प्रयोग करके अपनी पार्टी का बहुमत स्थापित करने का प्रयत्न करती है। ऐसे में अपराधी तत्वों को साथ लेने में भी वे नहीं हिचकिचाती। ऐसे दलों से लोगों का क्या भला हो सकता है ।
(घ) ठीक विकल्प की कमी- आज के युग में भारत में ही नहीं वरन् विश्व-भर में राजनीतिक पार्टियों के पास ठीक विकल्प की कमी है। उनके पास नई-नई चीजे पेश करने के लिए कुछ नहीं होता। यदि ध्यान से देखें तो विभिन्न पार्टियों की नीतियाँ और प्रोग्राम एक से लगने लगता है औरों की तो छोड़ो निम्न वर्ग के लिए काम करनेवाली बहुजन समाज पार्टी ने भी उच्च वर्ग विशेषकर ब्राह्मणों को अपने साथ मिलाना और मुसलमानों को अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया। इस प्रकार उसकी काँग्रेस की और समाजवादी पार्टी की नीतियों में कोई विशेष अंतर नहीं रह गया है। शक्ति की चाहत ने बहुत से राजनीतिक दलों की नीतियों को एक कर दिया है। केवल उम्मीदवार और नेता अलग होते हैं उनकी नीतियाँ और प्रोग्राम लगभग एक जैसे। ऐसे में मतदाता असमंजस में पड़ जाते हैं ।
प्रश्न 3. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करे, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर- यदि हमें राजनीतिक दलों को बेहतर बनाना है तो उनकी कार्यप्रणाली में अनेक प्रकार के सुधार लाने होंगे।
(क) दल बदल को रोकने के लिए संविधान द्वारा यह तय कर दिया है कि दल बदलने पर सांसदों एवं विधायकों को अपनी सीट भी छोड़नी होगी ।
(ख) पैसे और अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश जारी कर दिया है कि हर उम्मीदवार को एक शपथपत्र में अपनी सम्पत्ति और अपराधिक मामलों का ब्योरा देना होगा।
(ग) चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को यह आदेश दिया है कि वे निरन्तर संगठनात्मक चुनाव कराए और अपनी आयकर रिटर्न में अपनी आमदनी का ब्योरा दें ।
(घ) राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार चुनते समय एक-तिहाई संख्या में महिलाओं को अवश्य टिकट दें ।
(ङ) राजनीतिक दलों को धन की दलदल से ऊपर उठाने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार चुनाव का खर्चा स्वयं उठाए ।
(च) आम नागरिक भी राजनीतिक दलों की अनुचित कार्यों पर नजर रख सकते हैं। वे समाचार-पत्रों में उनकी खामियों के विषय में लिख सकते हैं और मीडिया के माध्यम से उनकी खामियों को उजागर करके उन्हें ठीक रास्ते पर लाने में सहयोग दे सकते हैं ।
उपरोक्त उपायों से राजनीतिक दलों की कमजोरियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है ।
प्रश्न 4. आधुनिक लोकतंत्र राजनीतिक दलों के बिना क्यों नहीं चल सकता ? वर्णन करें ।
उत्तर-अगर दल न हो, तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र या निर्दलीय होंगे । तब, इसमें से कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा। सरकार बन जाएगी पर उसकी उपयोगिता संदिग्ध होगी। निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए कामों के लिए जवाबदेह होंगे। लेकिन, देश कैसे चले इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होगा। हम गैर दलीय आधार पर होने वाले पंचायत चुनावों का उदाहरण सामने रखकर भी इस बात की परख कर सकते हैं। हालाकि इन चुनावों में दल औपचारिक रूप से अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करते लेकिन हम पाते हैं कि चुनाव के अवसर पर पूरा गाँव कई खेमों में बँट जाता है और हर खेमा सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवारों का 'पैनल' उतारता है । राजनीतिक दल भी ठीक यही काम करते हैं। यही कारण है कि हमें दुनिया के लगभग सभी देशों में राजनीतिक दल नजर आते हैं चाहे वह देश बड़ा हो या छोटा, नया हो या पुराना, विकसित हो या विकासशील ।
राजनीतिक दलों का उदय प्रतिनिधित्व पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था के उभार के साथ जुड़ा है। जब समाज बड़े और जटिल हो जाते हैं तब उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को समेटने और सरकार को नजर में लाने के लिए किसी माध्यम या एजेंसी की जरूरत होती है। विभिन्न जगहों से आए प्रतिनिधियों को साथ करने की जरूरत होती है ताकि एक जिम्मेवार सरकार का गठन हो सके। उन्हें सरकार का समर्थन करने या उस पर अंकुश रखने, नीतियाँ बनवाने और नीतियों का समर्थन अथवा विरोध करने के लिए उपकरणों की जरूरत होती है। प्रत्येक प्रतिनिधि- सरकार की ऐसी जो भी जरूरते होती हैं, राजनीतिक दल उनको पूरा करते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दल लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त है।
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