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 आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920)



श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920)

रामानुजन अद्वितीय गणितीय प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उन्होंने सिर्फ 33 वर्ष के अल्प काल में विश्व को अपनी गणित की समझ और शोधों से न केवल आश्चर्यचकित किया, अपितु भारत का सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ होने का गौरव भी प्राप्त किया। किसी भी तरह की औपचारिक शिक्षा न लेने के बावजूद रामानुजन ने उच्च गणित के क्षेत्र में ऐसी विलक्षण खोजें कीं, कि इस क्षेत्र में उनका नाम अमर हो गया। उन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवन भर में गणित के लगभग 3900 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। हाल ही में इनके सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है।

रामानुजन एक शांत-चित्त और सात्त्विक प्रवृति वाले आध्यात्मिक पुरुष थे। जीवन के कठिन दौर में भी उन्होंने कभी गणित को नहीं छोड़ा।
1911 में उन्होंने 'जर्नल ऑफ द इंडियन मैथेमेटिकल सोसायटी' में 'बरनौली संख्याओं के कुछ गुण' विषय पर एक शोध-पत्र प्रकाशित
किया। इस पत्र से उन्हें मद्रास के शिष्टजनों के मध्य एक गणित विषयक विशिष्ट प्रतिभा के रूप में विशेष पहचान मिली। विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश
गणितज्ञ जी.एच. हार्डी ने उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय बुला लिया। 
उन्होंने हार्डी और जे.ई. लिटिलवुड के साथ मिलकर गणित में शोध किया और गणित जगत् को आश्चर्यजनक परिणाम दिये। 

उन्होंने लंदन में अनेक शोध-पत्र जारी किये। वह लंदन की 'रॉयल सोसायटी' के फेलो चुने जाने वाले दूसरे और ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो
चुने जाने वाले प्रथम भारतीय थे। उनका जन्म दिवस 22 दिसंबर को भारत में 'राष्ट्रीय गणित दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

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