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 आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - डॉ. शांति स्वरूप भटनागर (1894-1955)


डॉ. शांति स्वरूप भटनागर (1894-1955)

शांति स्वरूप भटनागर जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फेलोशिप पर ये इंग्लैंड गए। इन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन से 1921 में विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
सन् 1941 में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनके शोध के लिये, इन्हें 'नाइटहुड' से सम्मानित किया गया। 1943 में इन्हें फेलो ऑफ रॉयल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न (Emulsion), कोलाइड्स (Colloides) और औद्योगिक रसायन शास्त्र (Industrial Chemistry) थे। 

किंतु इनका मुख्य योगदान रासायनिक क्रियाओं के अध्ययन के लिये चुंबकत्व के उपयोग के क्षेत्र में था। डॉ. भटनागर को भारत में 'शोध प्रयोगशालाओं का जनक' कहा जाता है। इन्हें भारत में 12 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। ये वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्' (CSIR) के पहले महानिदेशक व 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के पहले चेयरमैन भी रहे। सीएसआईआर उनकी उपलब्धियों एवं योगदान के सम्मान में 1958 से ही वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रौद्यागिकी विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को विज्ञान एवं प्रौद्योगि. की के लिये 'शांति स्वरूप भटनागर' पुरस्कार प्रदान करती है। 

उन्हें 1954 में भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया (किंतु, शांतिस्वरूप भटनागर प्राइज़ की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्शाया गया है कि 1954 में डॉ. भटनागर को 'पद्म विभूषण' सम्मान दिया गया था)।

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