आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - चंद्रशेखर वेंकट रमन (1888-1970)


चंद्रशेखर वेंकट रमन (1888-1970)

सी.वी. रमन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने वैज्ञानिक संसार में भारत को ख्याति दिलाई। वर्ष 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे पहले एशियाई वैज्ञानिक थे। 
उनको यह पुरस्कार उनकी युगांतरकारी खोज 'रमन प्रभाव' के लिये मिला। सी. वी. रमन ने एकवर्णी प्रकाश (Monochromatic Light) का अध्ययन करते हुए पाया कि जब इसे किसी गैसीय या पारदर्शी माध्यम से गुज़ारा जाता है तो बहुत कम तीव्रता की कुछ किरणें पैदा हो जाती हैं जिनकी तरंगदैर्ध्य (Wavelength) मूल प्रकाश से थोड़ी अलग होती है, यानी एक छोटा-सा स्पेक्ट्रम प्राप्त हो जाता है। प्रकाश के एक रंग का दूसरे कई रंगों में विभक्त हो जाना 'प्रकाश का प्रकीर्णन' (Scattering of Light) कहलाता है। 
इस तरह पहली बार सी.वी. रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन की व्याख्या की। आसमान या समुद्र का नीला दिखना इसी प्रकीर्णन का परिणाम होता है। 
डॉ. रमन ने इस खोज की घोषणा 28 फरवरी, 1928 को की थी। सी.वी. रमन ने वर्ष 1934 में इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, बंगलूरू की स्थापना की। वर्ष 1948 में बंगलूरू में ही उन्होंने रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की और इसी संस्थान में शोधरत रहे। विज्ञान में उनके योगदान के लिये उन्हें 1929 में 'नाइटहुड', 1954 में 'भारत रत्न' तथा 1957 में 'लेनिन शांति पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

नोटः 'रमन प्रभाव' की खोज के उपलक्ष्य में 28 फरवरी का दिन 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

Previous Post Next Post