आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - हरगोविंद खुराना (1922-2011)

भारतीय मूल के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना ने जैव रसायन के अंतर्गत 'न्यूक्लिओटाइड' (Nucleotide) विषय में शोधकार्य किया। सन् 1948 में उनका शोधकार्य पूरा हुआ। उसी दौरान उन्हें भारत सरकार से एक और छात्रवृत्ति मिली, जिससे वे आगे के अध्ययन के लिये स्विट्ज़रलैंड चले गए। 
वहाँ पर उन्होंने प्रो. व्लादिमीर प्रीलॉग के साथ रहकर काम किया। डॉ. खुराना ने एंजाइम शोध संस्थान में रहते हुए जेनेटिक कोड (Genetic Code) पर शोध कार्य किया। उनके इस शोध में अमेरिकी वैज्ञानिक मार्शल वारेन निरेनबर्ग और डॉ. रॉबर्ट डब्ल्यू. होले ने सहयोग दिया। उनका यह शोध बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ, जिस पर उन्हें वर्ष 1968 का चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार निरेनबर्ग और होले के साथ संयुक्त रूप से दिया गया।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद अमेरिका ने डॉ. खुराना को 'नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस' की सदस्यता प्रदान की (यह सम्मान
केवल विशिष्ट अमेरिकी वैज्ञानिकों को ही दिया जाता है।)। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. खुराना के कार्यों को सम्मान देने के लिये विस्कोंसिन
मेडिसन यूनिवर्सिटी, भारत सरकार और इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम ने संयुक्त रूप से सन् 2007 में खुराना प्रोग्राम प्रारंभ किया।

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