आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (1931-2015)



'मिसाइल मैन' कहलाने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। उन्होंने
देश के कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। एक वैज्ञानिक और इंजीनियर के तौर पर
उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया। 
भारत सरकार ने महत्त्वाकांक्षी 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम' का प्रारंभ डॉ. कलाम की देख-रेख में किया। इस परियोजना ने देश को 'अग्नि' और 'पृथ्वी' जैसी मिसाइलें दी हैं।
जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए। उनकी देख-रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना
दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया। इस प्रकार कलाम ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कर आत्मनिर्भरता के
युग में पहुँचाया।
विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1981 में 'पद्म भूषण', 1990 में 'पद्म विभूषण' और 1997 में
'भारत रत्न' से सम्मानित किया।
वर्ष 2002 में वे भारत के राष्ट्रपति चुने गए। उन्हें 'जनता के राष्ट्रपति' के नाम से जाना जाता है क्योंकि वे आम जनता विशेषकर युवा वर्ग द्वारा बहुत पंसद किये जाते थे। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करने के लिये अनेक किताबें भी लिखीं, जिनमें 'विंग्स ऑफ फायर : एन
ऑटोबायोग्राफी' सर्वाधिक प्रसिद्ध है। 
उन्होंने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को पुस्तकों के माध्यम से समाज के सामने रखा। 'इंडिया 2020 : ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम', 'इग्नाइटेड माइंड्स : अनलीशिंग द पावर विदिन इंडिया', 'माई जर्नी : ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शन्स' जैसी
पुस्तकें उनके विचारों को परिलक्षित करती हैं।


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