आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक - सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा (जन्म-1942)
सैम पित्रोदा को एक दूर-संचार अभियंता, आविष्कारक, उद्यमी एवं भारत नीति-निर्माता के तौर पर जाना जाता है। RNMEN इन्हें 1980 के दशक में भारत में दूरसंचार और प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है। इनकी सहायता से भारत वैश्विक डिजिटल डिवाइड को पाटने की मजबूत कोशिश कर पाया। भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान सैम पित्रोदा को दूरसंचार, पानी, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तिलहन से संबंधित प्रौद्योगिकी मिशन की कमान दी गई।
सैम पित्रोदा ने इन सभी क्षेत्रों में अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हुए सामाजिक परिवर्तन की कुंजी के रूप में प्रौद्योगिकी के उपयोग का
मार्ग प्रशस्त किया और भारत के विकास-दर्शन और नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने में मदद की।
2005 में सैम पित्रोदा को भारत के राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। उनका कार्य भारत की प्रौद्योगिकी क्रांति के दूसरे चरण के
आधार के रूप में ज्ञान/शिक्षा से संबंधित संस्थानों में बुनियादी बदलाव का खाका तैयार करना था। इन्होंने राष्ट्रीय नवप्रवर्तन परिषद् की स्थापना की तथा भारत के प्रधानमंत्री के लोक सूचना के बुनियादी ढाँचे और नवाचार संबंधित विषयों के सलाहकार के तौर पर कैबिनेट मंत्री की हैसियत से सेवा कार्य किया।
सैम पित्रोदा 'भारत खाद्य बैंकिंग नेटवर्क' 'वैश्विक ज्ञान पहल' और 'पीपुल फॉर ग्लोबल ट्रांसफॉर्मेशन' जैसे गैर-लाभकारी संगठनों के एक
संस्थापक अध्यक्ष हैं। वे संयुक्त राष्ट्र ब्रॉडबैंड आयोग के संस्थापक आयुक्त हैं। वे डिजिटल विकास और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के एम-पावरिंग विकास पहल के चेयरमैन भी हैं। सैम पित्रोदा वर्ल्ड वाइड वेब फाउंडेशन के बोर्ड मेंबर भी हैं। भारत में टेलीमैटिक्स विकास केंद्र
का शुभारंभ भी सैम पित्रोदा ने ही किया था। पित्रोदा के नाम लगभग 100 प्रौद्योगिकी पेटेंट हैं। उन्हें वर्ष 2000 में लोक प्रशासन और प्रबंधन
सेवाओं में उत्कृष्टता के लिये लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
2009 में सैम पित्रोदा को 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।