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 भारत मे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी | Science and technology in india 


"It is an inherent obligation of a great country like India with its traditions of scholarship and original thinking and its great cultural heritage to participate fully in the march of science, which is probably mankind's greatest enterprise today."
                                                         -Jawaharlal Nehru

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने मानव कल्याण में अभूतपूर्व योगदान दिया  है। मानव को शांति और खुशहाली प्रदान करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है चाहे वह रोगों का उन्मूलन हो, अंतरिक्ष : अन्वेषण हो, ऊर्जा का उत्पादन हो या फिर सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी के प्रतिफल हों।
सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी के लाभ हमें अनेक क्षेत्रों में मिल रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा संचार क्रांति संभव हो पाई है। सूचना के महामार्ग यानी इंटरनेट के बगैर तो आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कम लागत पर संचार सुविधाएँ एवं संचार तक दिनों-दिन पहुँच सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा ही संभव हो पाई है।
नैनो टेक्नोलॉजी भी एक तेज़ी से उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें भारत समेत अन्य देशों में काफी काम हो रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के महत्त्व को आज आमजन भी महसूस करता है। किसी भी राष्ट्र की साख
यानी उसके सम्मान और अस्मिता को भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति या उन्नति से ही आँका जाता है।


'विज्ञान' शब्द का अंग्रेज़ी रूपांतरण Science है, जो लैटिन भाषा के शब्द 'साइंटिया' से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ 'जानना' (to know) है। किसी भी विषय के संदर्भ में प्रायोगिक विश्लेषणों के फलस्वरूप प्राप्त क्रमबद्ध, सुसंगठित तथा सुव्यवस्थित ज्ञान को 'विज्ञान' कहते हैं।
विज्ञान तर्क और प्रायोगिक प्रेक्षणों द्वारा ही कार्य करता है। सचमुच बौद्धिक और मानसिक क्षमता प्रदान कर विज्ञान ने मानव समाज को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुँचाया है।
प्रौद्योगिकी यानी टेक्नोलॉजी का अर्थ है- विज्ञान का जीवन की ज़रूरतों के लिये उपयोग यानी टेक्नोलॉजी को हम कार्य रूप में विज्ञान (साइंस इन एक्शन) कह सकते हैं। असल में, विज्ञान पहले व्यावहारिक विज्ञान बनता है और फिर उसका रूपांतरण टेक्नोलॉजी में होता है। विज्ञान कुछ नियमों और सिद्धांतों पर आधारित होता है जिन्हें वैज्ञानिक प्रतिपादित करते हैं। इन नियमों और सिद्धांतों को जब कुछ अनुप्रयोगों में लगाया जाता है तब प्रौद्योगिकी का जन्म होता है। अत: यह स्पष्ट है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परस्पर पृथक् न होकर एक-दूसरे के पूरक तथा अंतर्संबंधित हैं।
विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि भारतीय विज्ञान की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। भारत में विज्ञान का उद्भव लगभग 3000 ई.पू. हुआ। जिस समय यूरोप में घुमक्कड़ जातियाँ अभी अपनी बस्तियाँ बसाना सीख रही थीं, उस समय भारत में सिंधु घाटी के लोग सुनियोजित ढंग से नगर बसाकर रहने लगे थे। हड़प्पा व मोहनजोदड़ो की खुदाई (मई 2016 में 'नेचर साइंटिफिक' में छपे शोध के अनुसार, आईआईटी खड़गपुर, पुरातत्त्व इंस्टीट्यूट, डेक्कन कॉलेज ऑफ पुणे, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
द्वारा यह दावा किया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 8000 वर्ष पुरानी थी।) से प्राप्त सिंधु घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक - दृष्टि व वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है।
उल्लेखनीय है कि सिंधु घाटी के निवासी पहिये, हल, विभिन्न प्रकार की धातुओं आदि के प्रयोग से पूर्णरूपेण परिचित थे। अग्नि-प्रकोप न एवं बाढ़-प्रकोप के साथ-साथ सूखा-प्रकोप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के से भी सुरक्षा की तकनीक उन्होंने विकसित कर रखी थी। सिंधु घाटी सभ्यता की उन्नत नगर निर्माण योजना आज भी एक उन्नत नगर के लिये आदर्श है। भारत की इस प्राचीन सभ्यता में सिंचाई, धातुकर्म, ईंट निर्माण तथा क्षेत्र एवं मात्रा मापन में वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता था।

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